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नूतन और मेहुल:
नूतन ने अगला वीडियो आरम्भ करने से पहले मेहुल से कहा कि वो आँखें बंद रखे और जब वो कहे तब खोले.
नूतन: “मैं ये तुम्हें आरम्भ से नहीं दिखाना चाहती. कुछ आगे करने के बाद दिखाऊँगी।”
मेहुल: “अब और कितने दिखाओगी, कब से तुम्हारी मखमली गांड की आशा से मेरा लंड तड़प रहा है.”
नूतन: “इसीलिए मैं तुम्हें पूरे नहीं दिखा रही, क्लब में महिलाओं की क्या रूचि है ये जानना भी आवश्यक है. ये और अगला वीडियो कुछ विशेष विकृतियों के बारे में है. इनके लिए हम केवल उन्हीं रोमियो को चुनते हैं जो ये खेल खेल सकते हैं. अन्यथा नहीं.”
मेहुल ने समझते हुए, “ठीक है. पर अब तक मैंने ऐसा कुछ नहीं देखा जो मेरे लिए कठिन हो.”
नूतन: “ये अच्छा है, पर अब आँखें बंद करो.”
मेहुल ने आँखें बंद कर लीं और नूतन ने सही स्थान पर वीडियो लेकर रोका और मेहुल से ऑंखें खोलने के लिए कहा। कमरा अभी खाली ही था, पर शीघ्र ही बाथरूम का द्वार खुला और उसमें से एक स्त्री बाहर निकली. उसके आँखों पर एक मुखौटा था. वो नंगी तो थी ही, पर वो इस समय घुटनों के बल चल रही थी, और तो और उसके गले में एक पट्टा बंधा हुआ था, जैसे कुत्तों को बंधा जाता है. उस पट्टे की रस्सी किसी के हाथ में थी. जब वो कमरे में आगे आई तो उसके पीछे एक पुरुष था जो उस पट्टे को पकड़े हुए था. उसने भी मुखौटा पहना था और वो भी नंगा ही था.
उनके आगे आने पर मेहुल ने देखा कि कमरे में इस बार गद्दा बिस्तर पर तो था ही, एक नीचे भी बिछा हुआ था. वो स्त्री उस गद्दे पर आकर रुक गई और अपना मुंह नीचे करके कुत्ते के समान ही बैठ गई. नूतन ने मेहुल को देखा तो उसने मेहुल की आँखों में एक विषैली चमक देखी। उस स्त्री के सामने उस पुरुष ने एक स्टूल रखा और उसपर बैठ गया.
“तुम जानती हो न कि आज तुम्हें तुम्हारे व्यवहार का दंड मिलेगा?”
“जी.”
“बहुत अच्छा. तुम जानती हो कि तुम्हारे दण्ड का क्या नियम है. तो अब आरम्भ करते हैं.”
“ये पति पत्नी हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक हैं ये तुम्हें आगे देखकर पता चल जायेगा.” नूतन ने समझाया.
उस महिला ने अपना चेहरा उठाया और फिर अपने पति के तलवे चाटने लगी. दोनों तलवों को चाटने के बाद उसने ऊपर देखा तो पति का लंड अब पूरे आक्रोश में था. पति ने स्टूल को आगे किया और लंड को पत्नी के मुंह के सामने ले आया. अपने मुंह में लेकर चूसते हुए पत्नी के मुंह से गप्प गप्प की ध्वनि आ रही थी. परन्तु अधिक देर तक चूसने का अवसर नहीं दिया गया.
“इतना पर्याप्त है, अब तुम्हारे दण्ड का समय आ गया है.”
ये सुनकर पत्नी ने अपने कूल्हे ऊपर उठा लिए. पति उठकर उसके पीछे गया और उसकी चूत में उँगलियाँ डालकर उसे चोदने लगा. पत्नी के मुंह से सिसकियाँ निकलने लगीं. अपनी उँगलियों को बाहर निकलकर पति ने लंड को उसकी चूत में एक ही धक्के में डाल दिया. पत्नी आगे की और गिर पड़ी, पर तुरंत संभलकर पूर्व आसन में आ गई.
“गुड गर्ल.” पति ने कहा और उसे तेजी से चोदने लगा. पर इस बार भी उसने अधिक देर तक चुदाई नहीं की. लंड बाहर निकाला और उँगलियों से चूत से ढ़ेर सारे रस को बटोरकर पत्नी की गांड पर लगाया. पत्नी कसमसाने लगी.
“वैसे तो तुम्हारी गांड सूखी ही मारनी चाहिए, पर आज तुम पर मुझे दया आ गई है.” पति ने कहा.
फिर अपने लंड को गांड पर रखा और पहले कुछ इंच तक बहुत धीरे से लंड डाला। फिर अचानक एक ही बार में एक धक्के में ही पूरा लंड पेल दिया. पत्नी फिर आगे गिर गई पर इस बार उठी नहीं। पति पूरी शक्ति के साथ उसकी गांड मारने में जुटा रहा. मेहुल को समझ नहीं आ रहा था कि इसके लिए उन्हें नूतन के घर आने की क्या आवश्यकता पड़ी थी. दस मिनट की दमदार चुदाई के बाद जब पति झड़ने को हुआ तो उसने लंड को बाहर निकाला और फिर से स्टूल पर जा बैठा. पत्नी ने सिर उठाकर उसके लंड को मुंह में लिया और चाटने लगी. तभी कमरे का द्वार खुला और दो रोमियो अंदर आ गए.
“आओ, इस रंडी ने मुझसे छल किया है. और अब इसे दण्ड दिया जा रहा है. क्या तुम दोनों भी मेरी सहायता करोगे.”
“जी, सर. बताएं क्या करना है.”
“तुम्हारे सामने इसकी चूत और गांड है, तो चोदो जी भर कर. आज हम तीनों इसे चोद चोद कर इसके किये का भुगतान करेंगे.”
दोनों रोमियो शीघ्र ही नंगे हो गए. उन्हें पहले ही बता दिया गया था कि उनकी भूमिका क्या है. एक रोमियो नीचे लेटा और पत्नी को दूसरे ने सहारा देकर उसके लंड पर बैठा दिया. इसके बाद दूसरे ने अपने लंड पर जैल लगाया और उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया. पति ने अपने लंड को फिर से मुंह में डाला और अब तीनों उसे चोदने में व्यस्त हो गए. नूतन ने वीडियो आगे बढ़ाया तीनों पुरुष उसे चोदते रहे, पर केवल पति के ही लंड को उसके मुंह में जाने का सौभाग्य मिला. पति ने आगे भी उसकी चूत और गांड मारी, और इस समय एक रोमियो अलग खड़ा रहा. चुदाई लगभग दो घंटे चली, बीच में विराम भी लिया गया, पर पत्नी को केवल एक बार बाथरूम जाने की अनुमति मिली और वो घुटनों के बल ही गई और आई.
चुदाई समाप्त हुई तो पति ने दोनों रोमियो को जाने के लिए कहा और पत्नी को रस्सी से लेकर पहले जैसे बाथरूम में ले गया. इसके कुछ देर बाद दोनों बाहर आये तो वो अब नंगे तो थे पर मुखौटे नहीं थे. मेहुल दोनों को पहचान गया. वो महिला एक सम्मानित विधायक थी जो महिला सशक्तिकरण की पक्षधर थी. मेहुल को इस अपवाद पर हंसी आ गई.
“बाहर जो दिखते हैं, लोग वैसे होते नहीं. ये अपने पति की अधीनता से संतुष्ट होती हैं. और ये क्लब कभी नहीं जातीं। केवल पहले दिन ही इंटरव्यू के लिए गई थीं, और उसके बाद कभी नहीं. यहाँ या अन्य दो क्लब प्रबंधक के घर ही जाती हैं. अपने पति के सामने या साथ ही चुदवाती हैं. मुंह में पति के सिवा किसी का लंड नहीं लेतीं। पति को इन्हें दूसरों से चुदवाती देखने में आनंद आता है.”
“सच में संसार में किस किस प्रकार के लोग रहते हैं और कैसी कुंठाओं से ग्रस्त हैं.” मेहुल ने कहा और नूतन ने वीडियो बंद कर दिया.
“एक बात है, आप आगे अगर कोई और वीडियो चलाने वाली हैं तो पहले मेरे लंड को चूसकर शांत कर दें. कब से अपनी गांड की कल्पना से तना हुआ है.” मेहुल ने कहा और इसे नूतन ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.
नूतन मेहुल के लंड चूसने में जुट गई और मेहुल आँखें बंद किये हुए अब तक के देखे हुए वीडियो का मन ही मन विश्लेषण करने लगा. ये तो उसे समझ आ ही गया था कि क्लब में स्त्रियों की न केवल काम वासना को तृप्त किया जाता था, बल्कि उनकी कुंठाओं का भी पोषण किया जाता था. उसे केवल एक ही चिंता थी कि इस प्रकार की स्त्रियों के समागम के पश्चात क्या रोमियो अपने जीवन में आगे जाकर कभी सादे सेक्स का आनंद ले पाएंगे? वो स्वयं इस बात का उदाहरण था. परन्तु उसने इस विषय को कभी और सोचने के लिए छोड़ दिया. वैसे भी अब समुदाय में सम्मिलित होने के बाद सादे सेक्स के अवसर कम ही रहने वाले थे. उसके परिवार की ही जीवनशैली सादी तो किसी भी प्रकार से नहीं थी.
नूतन ने उसके लंड को चूसकर उसका रस पी लिया और फिर मेहुल के साथ बैठ गई.
“कुछ आराम मिला?”
मेहुल ने हामी भरी तो नूतन ने फिर से रिमोट उठा लिया.
“फिर से आँखें बंद करो. ये भी कुछ कुछ पिछले जैसा ही है पर एक बड़ा परिवर्तन है.”
मेहुल ने आँखें बंद कर लीं पर उसे अनुमान था कि इस बार क्या होगा.
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सुनीति का घर:
सुनीति और महक अब एक दूसरे से खुल गए थे. आशीष भी अपनी पत्नी के अपनी भावी बड़ी बहू के साथ के वार्तालाप को सुन रहा था. उसे आज ये आभास हुआ था कि उसके पिता या उसके ससुर को किस प्रकार की भावना रही होगी जब उन दोनों का विवाह निश्चित हुआ था. उसके मन में आनंद की एक नई लौ थी. सुनीति और महक बातें कर रही थीं जैसे एक परिवार में जुड़ने पर उसके बारे में बताया जाता है.
सुनीति, “मैं तुम्हारी मम्मी से बात करूंगी कि जब तक विवाह सम्पन्न नहीं होता तब तक वो तुम्हें इसी प्रकार से सप्ताह में एक या दो दिन हमारे पास आने की अनुमति दे दें.”
“दो तीन दिनों में मेरे माता पिता भी यहीं आ रहे हैं. कई वर्षों के बाद उन्होंने यहाँ आना स्वीकार किया है, पुराने विचारों के कारण अब तक रुके हुए थे. पर इस बार जब पापाजी, यानि इनके पिताजी जब गाँव गए तो उन्हें मनाने में सफल रहे थे. अभी तो केवल दो माह के लिए आने के लिए माने हैं, पर हम सब यही चाहते हैं कि वे अब यहीँ रहें. देखें क्या होता है. सम्भव है कि तुमसे मिलने के बाद वे इस पर विचार करें. उन्हें भी अपने नातियों के बच्चों से खेलने का मन तो करेगा ही.” सुनीति ने मुस्कुरा कर कहा तो महक शर्मा गई.
“अरे सुनीति, कहाँ अभी से इस फूल सी बच्ची को माँ का दायित्व देना चाहती हो. अभी तो इसके खाने खेलने के दिन हैं.” आशीष ने हँसते हुए कहा.
“मुझे पता है आपके खेल का अर्थ. आपको तो बस एक ही ध्यान रहता है.”
“मेरा वो तात्पर्य नहीं था, पर अगर इतनी सुंदर स्त्रियां सामने हों तो ऐसा न सोचना भी एक अपराध ही, है न महक?” आशीष ने कहा.
“जी पापाजी.” महक ने कहा.
“क्या? तुम एक बार में ही इनका पक्ष लेने लगीं? मेरे बारे में कोई सोच नहीं है?” सुनीति ने गंभीर स्वर में कहा.
महक घबरा गई कि ये क्या हो गया, कहाँ पति पत्नी के बीच में फंस गई. वो कुछ कहने ही वाली थी कि सुनीति और आशीष ठहाके मार कर हंसने लगे.
“अरे तुम घबराओ मत. ये तो हमारे ठिठोली करने का ढंग है.”
ये सुनकर महक शांत हुई और सुनीति के सीने में मुंह छुपा लिया.
“वैसे अगले सप्ताह तुम्हारी भेंट इनके पिता और मेरे माता पिता से होगी, अन्य सबसे भी तुम उचित रूप से मिलोगी.” सुनीति के इस कथन से महक को कुछ आभास हो गया कि ये मिलन किस प्रकार का होगा.
इसके बाद सुनीति ने अपने और आशीष के माता पिता के बारे में बताया. उनकी घनिष्ठ मित्रता और गाँव में उनके मित्र समूह के बारे में भी बताया. महक जो कभी गाँव में नहीं रही थी ये सुनकर अचरज में पड़ गई कि वे सब अपने गाँव में इतने वर्षों से इस प्रकार से उन्मुक्त सेक्स का आनंद ले रहे थे.
“गाँव को इतना पिछड़ा मत समझो. वो कई मापदंडों में नगरों से भी आगे हैं. वैसे तो मुझे अपने परिवार और उनके मित्रों के ही बारे में पता है, पर आश्चर्य नहीं होगा कि ये अन्य परिवारों के बीच भी चलता हो. वहाँ भी कई मित्र मंडलियाँ हैं. वैसे मेरी माँ तुमसे मिलकर बहुत प्रसन्न होंगी. उन्हें तो कबसे अपने नातियों की बहुओं के आने की प्रतीक्षा है. उन्हें ये तो पता है कि असीम का विवाह तय हो गया है, पर ये नहीं पता कि तुम्हारे परिवार की जीवनशैली भी ऐसी ही है. उन्हें कुछ आशंका है कि आगे क्या होगा. अगले सप्ताह तुमसे मिलकर वो दुविधा भी मिट जाएगी.”
इस बार आशीष बोला, “पापा और सुनीति के पिता बहुत पुराने मित्र हैं. मेरी माँ के देहांत के बाद उन्हें यहां लाने के लिए हमें बहुत प्रयास करने पड़े. आज भी वो निरंतर अपने गाँव जाते रहते हैं. उनका बहाना तो ये होता है कि खेत खलिहान देखने जा रहे हैं, पर उन्हें वहाँ अपने मित्रों के साथ रहना अधिक भाता है.”
सुनीति अब अपने हाथ को नीचे ले जाकर महक की चूत से खेल रही थी. उसने देख लिया था कि अब आशीष भी अगली चुदाई के लिए आतुर हैं. और इस बार अवश्य ही वो अपनी भावी बहू की गांड ही मारने के इच्छुक होंगे. सुनीति को पता था कि आज उसे अपने सुख का त्याग करके महक और आशीष को अधिक समय देना होगा. फिर वो ये सोचकर मुस्कुरा उठी कि इसकी भरपाई वो कल करेगी. और उसके बाद तो उसके पिता भी आ ही जायेंगे. कितने दिन हो गए उनसे मिले हुए. ये सोचते हुए उसकी चूत में पानी आ गया. उसके महक की चूत में एक ऊँगली डाली और रस से भीगी उस ऊँगली से महक की गांड को कुरेदा. महक ने अपने कूल्हे उठाकर उन्हें सहायता की.
“गांड मरवाना अच्छा लगता है?” सुनीति ने पूछा.
“जी. बहुत.” महक ने भी बेझिझक उत्तर दिया.
“तो तेरी ये इच्छा आज तेरे पापाजी पूरी करेंगे और उसके बाद परिवार के सारे पुरुष. इन सबको भी गांड मारने में बहुत आनंद आता है.” ये कहकर सुनीति ने गांड में ऊँगली डाल कर घुमाई. “सुनिए, बहूरानी भी गांड मारने में रूचि रखती है, तो क्या आप…”
“बिलकुल, नेकी और पूछ पूछ.”
ये सुनकर महक हंस पड़ी और सुनीति ने कहा, “देखा, क्या कहा था मैंने?” फिर आशीष से बोली कि वो बाथरूम से जैल ले आये. आशीष अपने लंड को हिलाते हुए बाथरूम से जैल ले आया.
“अब महक को मेरी चूत का रस पीने दो और आप उसकी गांड मारो. थोड़ा प्रेम से मारना बहू है हमारी.”
हालाँकि महक कहना तो चाहती थी कि जैसे मन हो वैसे मारो, पर उसने चुप रहना ही भला समझा. अगर आशीष जोर से मारेंगे तो अच्छा ही होगा. आशीष उठकर बाथरूम में गया और लौटा तो उसके हाथ में जैल की एक ट्यूब थी. सुनीति लेट गई थी और महक उसकी चूत पर झुकी हुई थी. महक की सुंदर गांड इस समय ऊपर उठी हुई आशीष को आमंत्रण दे रही थी. इस समय वो महक की गांड को प्रेम से मारना चाहता था. उसे विश्वास था कि महक कड़ाई से गांड मरवाने का भी अनुभव रखती होगी, परन्तु उसे उसी प्रकार से प्रस्तुत होना था जैसे विक्रम अपनी बेटी के साथ होता था.
महक की गांड पर हाथ फिराते हुए उसे अग्रिमा और भाग्या की गांड की याद आ ही गई. वो भी इसी प्रकार से सुडौल और सुंदर थीं. समुदाय में उनके प्रवेश को इतने दिन भी नहीं हुए थे कि उसे अन्य लड़कियों की गांड का आनंद मिल पाता। उसे मधु जी की पोती मान्या की गांड का भी ध्यान आया जो सम्भवतः सबसे यंग और तंग थी. अपने सामने परोसी हुई गांड को देखकर आशीष के मुंह में पानी भर आया. उसने ट्यूब को एक ओर रखा और महक के नितंब फैलाकर उसके गांड के छेद को खोल दिया. बाहर भूरी दिखने वाली गांड अंदर से हल्का गुलाबी रंग लिए हुए थी. अपनी जीभ से उसने उसे छेड़ा तो महक के शरीर के कम्पन ने उसे और आगे बढ़ने के लिए उत्साहित किया.
इस बार उसने अपनी जीभ को महक की गांड के ऊपर घुमाया और फिर अंदर डाल दिया. महक की प्रतिक्रिया से सुनीति समझ गई कि आशीष क्या कर रहा है. उसने आशीष की ओर देखा.
“ कैसा स्वाद है बहू का?”
“मीठा तो नहीं है, पर बहुत भिन्न है. तुम्हें लेना है?”
“अभी नहीं. आपके रस से मिले स्वाद को चखूँगी। वैसे महक चाहे तो मेरी गांड का स्वाद चख सकती है.”
महक समझ गई कि उससे क्या अपेक्षित है, पर उसने अभी अपना ध्यान सासू माँ की चूत पर ही रखा. सुनीति ने उसके सिर पर प्रेम से हाथ घुमाया, पर कुछ बोली नहीं. आशीष अब महक की गांड को अच्छे से चाट चुका था. उसने ट्यूब को लिया और महक की गांड में अच्छे से डाला और अपनी उँगलियों से उसे अंदर तक मिला दिया. इसके बाद अपने लंड पर उसने पर्याप्त जैल लगाया. अब वो अपनी भावी बहू की गांड मारने के लिए आतुर था. अंगूठे से उसे खोलकर उसने तंगी का अनुमान लगाया. और अपने लंड को महक की गांड पर रखा. अभी आशीष ने लंड गांड के छेद पर लगाया ही था कि सुनीति ने उसे रोक दिया.
“सुनिए, ऐसा करते हैं कि मैं उलटी हो जाती हूँ, और मैं महक की चूत का ध्यान रखती हूँ और आप गांड पर केंद्रित रहिये.”
“ये भी सही है.” आशीष ने कहा, हालाँकि इस समय उसे रोकने के कारण उसे कुछ क्रोध भी आया.
कुछ ही पल में नई स्थिति में भावी सास बहू एक दूसरे में डूब गयीं. आशीष ने फिर कुछ जैल अपने लंड पर लगाया और महक की गांड को अंगूठे से खोला और फिर अपने लंड को उसकी गांड पर रखा. किसी प्रकार का नया व्यवधान न पड़ जाये, इसी सोच के साथ उसने शीघ्रतिशीघ्र अपने लंड का सुपाड़ा अंदर धकेल दिया. उफ्फ, क्या गांड थी और उससे बहती हुई ऊष्मा से उसके लंड को मानो एक भट्टी में प्रवेश करने का अनुभव हुआ. तंग, सुडौल, मखमली और गर्म, महक की गांड के बारे में उसके यही विचार मन में कौंधे.
महक के मुंह से एक हल्की सी कराह निकली, परन्तु उसने अपनी सास की चूत से मुंह को हटाया नहीं. बल्कि लंड के अंदर जाते ही उसकी जीभ ने सुनीति की चूत में और भीतर तक प्रवेश कर लिया. सुनीति ने उसके सिर पर हाथ फेरा और आशीष को संकेत किया कि वो अब किले को जीत ले. आशीष की आँखें चमक उठीं और उसने इस बार लंड पर और अधिक दबाव डाला और इस बार उसका लंड महक की गांड में अंदर घुसता गया जैसे मक्खन पर छुरी चलती है.
कुछ ही पलों में उसके पूरे लंड ने महक की गांड की गहराई को नाप लिया था. अब उसने हल्के धक्कों के साथ महक की गांड मारनी आरम्भ की. उसे अपनी बेटी अग्रिमा की गांड की तंगी और महक की गांड में बहुत समानता लग रही थी. अपनी बेटी की गांड के बारे में सोचते ही उसका लंड और फनफना उठा और उसने गति बढ़ा ही. महक को भी अब आनंद आने लगा. उसके मन की इच्छा जो गांड तेजी से मरवाने की थी वो अब पूरी होती दिख रही थी. महक अपनी जीभ से सुनीति की चूत को अंदर तक चाट रही थी. महक की कुशलता और अपने पति के चेहरे पर आनंद के भावों से सुनीति भाव विभोर हो गई. महक सुनीति की चूत को न केवल प्रेम से चाट और चूस रही थी, बल्कि उसके द्वारा छोड़े जा रहे रस की हर बूँद पर अपना अधिकार जमा रही थी.
आशीष के धक्के अब महक की आशा के अनुरूप हो गए थे. उसे अपनी गांड में एक लम्बे मोटे लंड से जो संवेदना की इच्छा थी वो पूर्णतया पूरी हो रही थी. उसकी अपनी चूत भी इसकी साक्षी थी. और इस रस को पीने में सुनीति पीछे नहीं थी. सुनीति के लिए उस मधुर रस का पान सरल था क्योंकि महक की चूत द्वारा छोड़ी हर बूँद उसके ही मुंह में जा रही थी. अपनी जीभ के महक की चूत में अंदर तक डालकर सुनीति केवल अपने होंठों से ही उसे चूस रही थी. जीभ से होता हुआ महक की चूत का रस उसके मुंह में जा रहा था.
हर बूँद का स्वाद उसे प्राप्त हो रहा था. हालाँकि आशीष के धक्कों की बढ़ती हुई गति से इस स्थिति को बनाये रखने में उसे अत्यधिक परिश्रम करना पड़ रहा था. परन्तु वो अनुभवी थी और उसने अपने हाथ आशीष के हाथों से सटकर महक की गांड पर रखे हुए थे, जिसके कारण कुछ सीमा तक वो अपने परिश्रम में सफल हो रही थी. भावी सास ससुर के साथ इस मिलन में उसे अपार आनंद मिल रहा था. उसे विश्वास था कि परिवार के अन्य जन भी चुदाई में इतने ही पारंगत होंगे. जिन्हें इस प्रकार की शिक्षा मिली हो, वो उपयुक्त प्रेमी सिद्ध होंगे.
“ओह, पापा जी. खोल दीजिये मेरी गांड. प्लीज अपना पानी मेरी गांड में ही छोड़ना. नहीं तो इसकी जलन नहीं मिटेगी.” महक ने विनती करते हुए अपना मुंह सुनीति की चूत से हटाकर बोला.
“चिंता न करो बहूरानी, तुम्हारी गांड को अच्छे से सींच दूँगा। तुम्हारी जलन दूर हो जाएगी. वैसे भी अब मैं झड़ने ही वाला हूँ.”
कुछ और धक्कों के बाद आशीष ने अपने रस से महक की गांड को भर दिया. सुनीति और महक भी झड़ गए पर यथास्थिति में ही एक दूसरे की चूत को चाटते रहे. आशीष ने अपने लंड को बाहर निकाला तो महक की खुली गांड से रस बहता हुआ नीचे सुनीति के मुंह में भी चला गया. पर सुनीति ने कोई आपत्ति नहीं की और जो मिला उसे ग्रहण कर लिया. कोई पाँच सात मिनट के बाद दोनों संतुष्ट हो कर एक दूसरे से हट गयीं. महक उठकर खड़ी हुई तो उसकी गांड से आशीष के बहते रस ने सुनीति के चेहरे और वक्ष पर एक धारा छोड़ दी.
एक ओर बैठकर महक ने अपनी उँगलियाँ से गांड को साफ किया और प्रेम से अपने भावी सास ससुर को देखा. वो भी उसे उसी भावना से देख रहे थे. सुनीति ने अपने पति के रस को जहाँ जहाँ गिरा था अपने अंग पर मल लिया. महक ने उठकर सुनीति और आशीष के होंठ चूमे.
“आपने मुझे जो अपने परिवार में स्वीकार किया है, उसकी मैं ऋणी हूँ, और कभी आपके परिवार की प्रतिष्ठा को कम नहीं होने दूँगी, ये मेरा वचन है.”
“हम भी तुम्हारे जैसी बहू पाकर प्रसन्न हैं. हम सब जीवन के हर सुख दुःख में साथ रहेंगे. अब चलो बाथरूम में सफाई कर लेते हैं और फिर सोते हैं.”
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नूतन और मेहुल:
नूतन ने मेहुल को आँखें खोलने के लिए कहा और इस बार टीवी पर अलग दृश्य था. दो महिलाएं खड़ी हुई थीं और उनके सामने दो गद्दे बिछे थे जिस पर दो पुरुष घुटनों के बल बैठे हुए थे. सब नंगे ही थे. महिलाओं की आयु ४५ वर्ष के निकट थी, परन्तु अधिक अंतर नहीं था उन दोनों में. देखने में सुंदर थीं, शारीरिक रूप से भी आकर्षक थीं. पुरुष भी स्वस्थ और बलिष्ठ थे. दोनों के लंड भी किसी अनुपात में छोटे तो नहीं ही थे.
“ये दोनों बहनें हैं और क्लब के दूसरी ओर के नगर में रहते हैं. इन्हें तुम सम्भवतः नहीं पहचानते होंगे. दोनों हमारी क्लब की सदस्या हैं.” नूतन ने बताया.
“कोई फैमिली डिस्काउंट मिला है क्या?” मेहुल ने हँसते हुए पूछा.
“ये तो तुम्हें शोनाली से ही पूछना होगा.” नूतन ने भी हंसकर बोला।
बड़ी बहन दोनों पुरुषों से सम्बोधित थी, “अब तुम दोनों यहीं बैठकर हम दोनों की चुदाई देखोगे. कुछ बोलना नहीं है, चुपचाप देखना कैसे बड़े बड़े लौड़े तुम्हारी पत्नियों के हर छेद की माँ चोदने वाले हैं. आज हम दोनों की भरपूर चुदाई होने वाली है. जैसे तुम दोनों नहीं कर सकते.”
मेहुल को ये बड़ा तिरस्कारपूर्ण लगा. उसने नूतन को देखा, पर उसने कुछ नहीं कहा. इसके बाद कमरे में नूतन का प्रवेश हुआ और उसके पीछे चार रोमियो आ गए. बड़ी बहन ने नूतन से कोई प्रश्न करना ही चाहा था कि नूतन ने उसे ठहरने का संकेत दिया और वो स्त्री चुप हो गई. चारों रोमियो अंदर आये और दोनों को चूमा और फिर अपने कपड़े उतारने लगे. नूतन बाहर चली गई. दोनों स्त्रियां बिस्तर पर बैठ गयीं और दो दो रोमियो उनके सामने जा खड़े हुए. लौडों को तौल कर उन्होंने अपने पतियों पर फिर कुछ कटाक्ष किया और एक एक करके लंड चूसने लगीं.
रोमियो भी उनके पतियों को ताने दे रहे थे. पर दोनों पति चुप ही थे. कुछ ही देर में नूतन फिर से आयी और इस बार वो दो और रोमियो को ले कर आयी थी. बड़ी बहन ने नूतन का आभार माना और लंड चूसने में जुट गई. वो दोनों रोमियो भी नंगे होकर पुरुषों के सामने लंड हिलाते हुए बिस्तर पर पीछे जाकर उन दोनों बहनों के मम्मे दबाने लगे और गर्दन तथा कान चाटने लगे.
इसके बाद चुदाई का महासंग्राम जो आरम्भ हुआ तो मेहुल को उन दोनों महिलाओं की क्षमता पर आश्चर्य हुआ. नूतन वीडियो बीच बीच में आगे कर रही थी पर फिर भी जिन भिन्न भिन्न आसनों में उन दोनों की भीषण चुदाई हुई वो किसी उच्च कोटि के पुरुस्कार के लिए चयनित किया जा सकता था. क्लब के छह रोमियो ने हर सम्भव मिश्रण में उन दोनों की भरपूर चुदाई तो की ही, परन्तु जिस प्रकार से वो सभी उन दोनों पतियों की अवहेलना और अपमान कर रहे थे वो उनके प्रति सहानुभूति उत्पन्न कर रहा था.
वीडियो दो घंटे के निकट था पर नूतन ने उसे पच्चीस मिनट में ही दिखा दिया. जब उन दोनों को चुदाई समाप्त हुई तो रोमियो निकल गए और वो दोनों महिलाएं बिस्तर पर एक दूसरे को चूमती और चाटती रहीं. फिर वे दोनों उठीं और बाथरूम में चली गयीं.
“अब एक रोचक दृश्य भी देखो और सुनो.” नूतन ने मेहुल से कहा.
जब दोनों महिलाएं बाथरूम से आयीं तो वो नंगी ही थीं और सोफे पर बैठ गयीं.
“आज बहुत आनंद आया. आप दोनों को भी आया?” बड़ी बहन ने पूछा.
“हाँ, मस्त चुदाई की है तुम दोनों की.” उसके पति ने उत्तर दिया जिसका उसके साढ़ू ने समर्थन किया.
“अब आप दोनों के आनंद लेने का समय है.” छोटी ने कहा. तभी नूतन ने प्रवेश किया. इस बार वो नंगी ही थी.
“नूतन, तुम्हारा आभार है जो तुमने इतना अच्छा प्रबंध किया. अब हमारे पतियों को भी कुछ सुख की आशा है.”
“अवश्य. मैं तो कब से इसकी प्रतीक्षा कर रही हूँ. पर आज आप बहुत समय तक लगे रहे.”
नूतन ने उन दोनों पतियों को उठाया और बिस्तर पर ले गई. इसके बाद दोनों ने मिलकर नूतन को चोदा और मेहुल ने अनुभव किया कि वो इसमें सक्षम थे और किसी भी प्रकार से उन्नीस नहीं थे. वो क्यों इस प्रकार के अपमान को सह रहे थे ये उसे समझ नहीं आया. पर मनुष्य की विकृतियों की थाह समझना असम्भव है. नूतन की चुदाई करने के बाद दोनों महिलाओं ने नूतन की चूत और गांड में से अपने पतियों के रस को साफ किया. फिर नूतन बाहर चली गई.
दोनों पति भी सोफे पर बैठे और छोटी बहन ने एक अलमारी से शराब निकाली और चारों ने दो दो पेग पिए. इस बीच कुछ बातें और भी हुईं.
छोटी, “आज मेनका आ रही है, तो आप दोनों को आज अपनी बेटी को चोदने का अवसर मिलेगा.”
बड़ा, “ओह, धन्यवाद। सच में वो मस्त चुदवाती है. तो क्या आज रात तुम दोनों?”
बड़ी, “हाँ, अपने बेटों से चुदने का जो आनंद है उसकी कोई तुलना नहीं है.”
इसके बाद नूतन ने वीडियो बंद कर दी. उसकी गांड अब चुदने के लिए लालायित थी. एक अंतिम वीडियो जिसे विशेषकर शोनाली ने दिखने को कहा था वो अपनी गांड की खुजली मिटने के बाद दिखा देगी. नूतन ने जब ये मेहुल को बताया तो उसकी बाँछे खिल गयीं. बहुत देर से तड़प रहा था वो इस गांड को मारने के लिए. उसके लंड ने एक अंगड़ाई ली तो नूतन खिलखिला उठी.
“लगता है ये भी अब आतुर है.”
“होगा नहीं, इतनी देर से आप वीडियो पर वीडियो दिखाए जा रही हो. वो तो मैं ही हूँ जो इस दण्ड को सहन कर रहा हूँ.”
“सॉरी मेहुल, पर ये भी आवश्यक ही था. शोनाली ने क्यों तुम्हें आज ही सब समझाने के लिए कहा था ये मुझे नहीं पता, क्योंकि इसके लिए रोमियो को अलग से बुलाया जाता है.”
मेहुल को समझ आ रहा था कि शोनाली ने ऐसा क्यों किया था. पर वो नूतन को बता नहीं सकता था. शोनाली उसकी थाह नापना चाहती थी.
“अब मुझे भी तुम्हारे लंड को अपनी गांड में लेने के लिए देर नहीं करनी है.”
ये कहते हुए उसने पास की टेबल से एक जैल की ट्यूब निकालकर मेहुल को थमा दी. फिर उसने घोड़ी का आसन ले लिया और अपनी गांड को मटकाते हुए घुमाने लगी. मेहुल उसके पीछे गया और उसकी थिरकती गांड को देखकर सम्मोहित हो गया. इस आयु में भी नूतन की गांड के कसाव बने हुए थे. उसके चिकने नितम्बों पर हाथ फिराते हुए वो अपने लक्ष्य को साधने के लिए उत्सुक था. नूतन उसे छेड़ने के लिए अपनी गांड के छेद को खोल और सिकोड़ रही थी. मेहुल ने नूतन के नितम्ब पकड़े और उसे रोक दिया. उसके मुंह में पानी आ गया. और उसकी जीभ ने नूतन की गांड के भूरे छेद को छेड़ा. नूतन सिसक उठी.
गांड को चाटते हुए मेहुल अपनी उँगलियों से उसे खोलने का प्रयत्न कर रहा था. नूतन मोटे लम्बे लौड़े लेने की अनुभवी थी और उसकी गांड को खुलने में अधिक परिश्रम भी नहीं लगा. खुलते ही मेहुल की जीभ ने उसे अंदर तक सहलाया। दो तीन मिनट तक वो उसकी गांड को इसी प्रकार से प्रेम करता रहा फिर उसने जैल से उसे भरा और अपने लंड पर भी समुचित मात्रा में जैल लगा लिया. नूतन अब मेहुल के बलशाली लंड से अपनी गांड का सत्यानाश होने के लिए तड़प रही थी.
मेहुल ने उसकी गांड के दोनों ओर हाथ रखे और अपने लंड को गांड के छेद पर लगाते हुए दबाव बनाना आरम्भ किया. पक्क की ध्वनि के साथ उसके लंड का टोपा पहली बाधा सरलता से पार कर गया. उसने अपने लंड पर नूतन की गांड को संकुचित होता अनुभव किया. कुछ समय यूँ ही रुककर उसने फिर से दबाव डाला और लंड की यात्रा आगे की ओर चल पड़ी. नूतन ने सोचा था कि मेहुल रुक रुक कर लंड अंदर डालेगा, पर हुआ इसका विपरीत ही. मेहुल बिना रुके समान दबाव के साथ उसकी गांड में पूरा लंड समाने तक आगे बढ़ता रहा. और अंत में रुक गया.
नूतन ने एक गहरी साँस भरी. कालिया के नाग के बाद आज पहली बार उसे अपनी गांड पूर्ण रूप से भरी हुई अनुभव हो रही थे. ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो कि एक मिलीमीटर का भी स्थान अछूता न था. ये गांड मारेगा कैसे? उसके मन में प्रश्न उठा. और इसका भी समाधान तुरंत ही हो गया. मेहुल ने अपने लंड को बहुत प्रेम से बाहर खींचा और इस बार जब उसने अंदर डाला तो नूतन की गांड की मानो धज्जियाँ ही उड़ गयीं.
“ओह माँ! उई माँ. मर गई रे!” नूतन के मुंह से निकला.
परन्तु उसकी गांड अब मेहुल के वश में थी. उसके बच निकलने के हर प्रयास को मेहुल के मजबूत हाथों ने निरस्त्र कर दिया. कुछ देर छटपटाने के बाद मेहुल ने फिर उसकी गांड से लंड निकालकर अंदर की ओर धकेला. नूतन को कुछ कष्ट हुआ, पर कुछ ही क्षणों में उसकी गांड इस आगंतुक का मानो स्वागत करने के लिए खुलने लगी. मेहुल को भी ये आभास हो गया और उसने अपने लंड को नूतन की गांड में पिस्टन की भांति चलाना आरम्भ कर दिया.
नूतन की गांड में अब जलन का स्थान एक नई अनुभूति ने ले लिया था. मेहुल गांड मारने का बहुत अनुभवी खिलाडी था. जिन महिलाओं ने उसकी शिक्षा की थी, उन्होंने हर प्रकार के व्यवधान और प्रतिक्रिया के लिए भी उसे शिक्षित किया था. किस गांड को कितनी गति, शक्ति और गहराई से मारा जाना चाहिए, वो इसमें निपुण हो चुका था. नूतन की गांड में लंड के तीन चार बार के भ्रमण से ही उसे पता चल गया था कि नूतन को कैसी चुदाई आनंद देगी.
और नूतन भी अब उसकी इस शिक्षा का आनंद ले रही थी. कुछ रोमियो केवल अपने लंड के बड़े होने के घमंड में ही इतने चूर होते थे कि वे दनादन गांड मारने लगते थे. नूतन ने कभी उनको दुबारा अवसर नहीं दिया था, हालाँकि उन्हें ये अवश्य समझाकर भेजा था कि वे क्या गलत कर रहे थे. मेहुल को इस प्रकार से उसकी गांड को एक वाद्य यंत्र के समान बजाते हुए उसे मेहुल की सामर्थ्य और परिपक्वता पर आश्चर्य हुआ.
मेहुल अब एक सधी हुई गति से नूतन की गांड मार रहा था. वो अपनी गति और गहराई को रह रह कर बदल भी रहा था जिससे नूतन और उसे दोनों को इस मिलन का असीम आनंद मिल रहा था. नूतन ने अपने एक हाथ से अपने भगनाशे को छेड़ा और पल भर में ही झड़ गई. उसके झड़ते ही मेहुल ने अपनी गति बदली और इसके पहले कि नूतन पूरी सम्भलती उसे और गहराई तक चोदने लगा.
नूतन की अब सिसकारियां और आनंद भरी सीत्कारों ने मेहुल को और प्रोत्साहित किया। अचानक मेहुल ने नूतन से कहा कि वो आसन बदलना चाहता है. इस बार नूतन अपनी पीठ के बल लेटी और मेहुल ने फिर से उसकी गांड मारनी आरम्भ कर दी. नूतन के दोनों पैरों को पकड़कर उसने मोड़ दिया जिसके कारण लंड की चोट अब और विकट हो गई. दस मिनट तक नूतन की इस आसन में गांड मारने के बाद नूतन अनगिनत बार झड़ी और उसकी चूत के रस ने मेहुल के लंड के ऊपर अपने पानी छोड़ा था, जो अब मेहुल के लंड के माध्यम से उसकी गांड में भी जा चुका था और राह सरल हो गई थी.
मेहुल ने बताया कि अब वो भी झड़ने वाला है तो नूतन ने कुछ न कहा. मेहुल ने इसका अर्थ ये माना कि वो गांड में ही पानी छोड़ सकता है. कुछ ही देर में अपने पानी से नूतन की गांड को लबालब भर दिया और फिर ठहर कर अपने लंड को नूतन की गांड से निकाला और फिर नूतन के पाँव सीधे किया और उसके साथ जाकर लेट गया.
“कैसा लगा?”
“अद्भुत.” ये कहते हुए नूतन ने उसके सीने में अपना सिर छुपा लिया.
मेहुल उसके बालों को सहलाता रहा और उसे लगा कि नूतन सो गई है. पर कुछ ही देर में नूतन हिली और फिर उठ गई. बाथरूम की ओर जाती हुई नूतन की मटकती गांड को देखकर मेहुल का लंड फिर अकड़ गया. नूतन लौटी तो उसने तुरंत रिमोट उठाया.
“शोनाली ने मुझे कहा है तुम्हें एक वीडियो दिखाने के लिए, और इसे अंत में ही दिखाना था.”
ये कहते हुए वो मेहुल के साथ बैठी और वीडियो खोजने लगी, फिर उसने वीडियो चलाया. मेहुल ये तो समझ गया था कि शोनाली उसे ये वीडियो किसी विशिष्ट अभिप्राय से ही दिखाना चाहती थीं. परन्तु जो उसने देखा तो वो सकते में आ गया. उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं लाये पर उसे शोनाली के इस वीडियो के चयन का अभिप्राय समझ आ गया था.
उस वीडियो में तीसरे बंगले की मालकिन शीला थीं, जो इस आयु में भी चुदाई में अग्रणी थीं. उनके साथ पार्थ की माँ सुमति थी. वीडियो में सामान्य सामूहिक चुदाई का खेल चला था. शीला क्लब की सदस्या थीं, पर सुमति नहीं थी. इसी कारण वे दोनों नूतन के घर पर ये खेल खेल रही थीं. उनकी चुदाई में चार रोमियो थे और लगभग एक घंटे इस चुदाई का कार्यक्रम चला था. मेहुल ने अब भली भांति समझ लिया था था कि पार्थ और समर्थ अंकल के घर भी पारिवारिक चुदाई का खेल चलता है. और उसे शोनाली के इस रहस्योद्घाटन का तात्पर्य भी समझ आ गया था.
वीडियो देखने के बाद टीवी बंद कर दिया गया और मेहुल ने नूतन की एक बार और भीषण चुदाई की और फिर दोनों सो गए.
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अगले दिन सुबह:
मेहुल:
मेहुल ग्यारह बजे नूतन के घर से निकला. अपनी कार में अपने पास रखे बैग को देखकर वो मुस्कुराया. उसने नूतन से कुछ सेक्स के खिलौने लिए थे, उधार पर. इसका मूल्य उसे लौटाने पर चुकाना था. आज सुबह भी मेहुल ने नूतन को निर्बाध दो घंटे चोदा था. उसकी चूत और गांड की ऐसी दुगति की थी कि जब वो निकल रहा था तो नूतन बिस्तर पर नंगी निढ़ाल पड़ी थी और उसकी चूत और गांड से मेहुल का रस बह रहा था. उसने एक क्षीण मुस्कान के साथ मेहुल को बाय कहा था.
मेहुल ने अपना फोन उठाया और एक कॉल लगाई.
“मेहुल?”
“हाँ, घर में कौन है?”
“अभी तो सब बाहर हैं, तुम आ रहे हो क्या?” उस ओर से प्रश्न आया.
“हाँ, और आपको मुझे कैसे दरवाजे पर मिलना है, ये जानती हैं न आप?”
“हाँ, हाँ, बिलकुल, बिलकुल.”
“ठीक है, मैं पंद्रह मिनट में आ रहा हूँ. मेरे पास आपके लिए एक आदेश भी है और एक प्रस्ताव भी.” ये कहकर मेहुल ने फोन बंद किया और कार को नए गंतव्य की ओर मोड़ लिया.
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महक-सुनीति:
सुनीति ने महक को प्रातः शीघ्र ही उठा दिया. महक ने स्नान किया और वस्त्र पहनकर सुनीति के साथ बैठक में चली गई. जीवन के साथ में सलोनी भी खड़ी थी. सलोनी के भाव देखकर ही पता चल रहा था कि उसकी रात में अच्छे से चुदाई हुई है. महक ने उनके पाँव छुए तो जीवन ने उसे आशीर्वाद दिया.
जीवन: “मेरी बलवंत से बात हुई है, उसने दो दिन का समय और माँगा है, तो मैं दो दिनों बाद ही जाऊँगा।”
सुनीति का मुंह मुरझा गया. उसे देख जीवन ने उसे अपनी बाँहों में लिया.
“परन्तु मैंने उसे अधिक समय रहने के लिए भी मना लिया है. दो दिन की देरी के दण्ड स्वरूप दो सप्ताह और रुकेंगे. क्यों न यूँ ही उन्हें दण्ड दे दे कर जाने ही न दिया जाये.”
“ओह! पापा. आप सच में महान हो.”
“चलो अब नष्ट इत्यादि करो, फिर तुमसे भी मुझे कुछ बात करनी है.”
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मेहुल:
मेहुल ने अपनी कार रोकी और अपने जूते मोज़े उतार कर एक ओर जूते के स्थान पर लगा दिया. फिर उसने तीन बार घंटी बजाई. दो तीन मिनट के बाद घर के अंदर से कुण्डी खुली। मेहुल ने स्वयं द्वार खोला और अंदर चला गया. उसके सामने एक स्त्री घुटनों के बल बैठी थी और अपना सिर झुकाये हुए थी. उसके कपड़े एक ओर पड़े सोफे पर अस्तव्यस्त पड़े थे और वो पूर्ण नग्नावस्था में थी. मेहुल उसके सामने जाकर खड़ा हो गया. महिला ने झुककर मेहुल के पैरों को चाटा। मेहुल आगे बढ़कर एक सोफे पर बैठ गया और अपने पैर टेबल पर रख दिए. वो महिला घुटनों के बल चलकर आयी और इस बार उसने मेहुल के तलवे चाटकर साफ किया. मेहुल मुस्कुराया.
“गुड़ गर्ल. तुम बहुत अच्छी दासी हो. हो न?”
महिला ने सिर हिलाया. हालाँकि वो अब लड़की नहीं थी, पर अपने लिए गर्ल का सम्बोधन सुनकर उसे प्रसन्नता अवश्य हुई थी.
“तो मैं आपके लिए एक प्रस्ताव लाया हूँ. अगर आप उसे स्वीकार करेंगी तो मैं आपको अपनी दासता से मुक्त कर दूँगा।”
उस महिला ने न में सिर हिलाया.
“क्या आपको स्वीकार नहीं है?” मेहुल के स्वर में आश्चर्य था.
“मुझे मुक्ति नहीं चाहिए. ये मेरे लिए एक नया अनुभव है और मैं कुछ दिन और इसका आचरण करना चाहती हूँ.”
मेहुल के अट्ठास में एक कुटिलता थी, जिसे सुनकर वो महिला सहम गई.
“अच्छा है, बहुत अच्छा. जैसे आपकी इच्छा. अपनी गांड दिखाओ.”
महिला मुड़ी और अपनी गांड मेहुल की ओर करते हुए आगे झुक गई. मेहुल को देखकर ही आभास हो गया कि इस गांड में रात में किसी ने गुल्ली डंडा खेला है. उसके मन में एक विचार आया.
“अब से इस गांड में कोई और लंड नहीं जायेगा, जब तक आपकी दासता समाप्त नहीं हो जाती.”
“ये कैसे सम्भव है. प्लीज, ऐसा मत करो.”
“ठीक है. पर जिस दिन मैं आने के लिए कहूँगा उसके एक दिन पहले से कोई लंड नहीं जाना चाहिए. ठीक है?”
“जी. ये सम्भव है.”
मेहुल मुस्कुराया. अपने कपड़े उतारकर उसे एक ओर रखे और उसके तमतमाए लंड को देखकर महिला का मुंह सूख गया.
“आज मेरे पास अधिक समय नहीं है. पर इस गांड को मारे बिना तो जा नहीं पाउँगा.” मेहुल ने महिला के चेहरे पर ख़ुशी की झलक देखी. “पर पहले मेरा प्रस्ताव. अगर स्वीकार नहीं होगा, तो आज के बाद मैं आपके पास कभी नहीं आऊँगा।”
महिला समझ गई कि ये कुछ ऐसा होगा जो उसके लिए कठिन होगा. अन्यथा…
“तो मैं चाहता हूँ कि ……..” मेहुल बता रहा था और उस महिला के चेहरे की हवाइयाँ उड़ रही थीं. ऐसा अपमानजनक प्रस्ताव सुनकर वो विचलित हो गई. पर उसकी आँखों के सामने मेहुल अपने लंड को भी सहला रहा था, जिसके बिना उसे अब चुदाई की चरम आनंद को खोने का भय भी था.
“ऐसा आपको मात्र एक बार करना है. इसके बाद कभी भी ऐसी कोई भी परिस्थिति नहीं उपजेगी. तो आप क्या सोचती हैं?”
“मु मु मुझे कुछ समय चाहिए.”
“चलिए आपकी गांड की सिकाई करने तक का समय में आपको देता हूँ. गांड मारने तक आपको अपना निर्णय लेना होगा.” मेहुल ने उस महिला को उठाते हुए सोफे पर बैठाया.
“इतना कठिन नहीं है. और सम्भव है इसमें भी आपको आनंद आये. मेरी दासी बनने के पहले आपने ऐसी कल्पना की थी? नहीं न, तो चिंता छोड़ दीजिये. अब सोफे पर ही झुक जाइये. आज आपकी गांड यहीं मारने का मन है.”
महिला एक नशे जैसी मनस्थिति से सोफे पर आगे की ओर झुक गई. मेहुल ने अपने लंड को उसके मुंह के सामने किया तो अपनी गांड के लेने से पहले चाटकर गीला करने का अवसर मिलने पर महिला को कुछ शांति मिली. उसने लंड को चाटा और अच्छे से गीला कर दिया और कुछ देर चूसा.
“मेरी रात की साथिन की चूत और गांड का स्वाद कैसा लगा? अच्छा लगा न?”
महिला ने कोई उत्तर नहीं दिया और मेहुल के लंड को और अधिक ऊर्जा से चूसने लगी.
“अब इतना ही ठीक है.”
मेहुल उसके पीछे गया और उसकी गांड में अपने मुंह से ढेर सारा थूक उढेल दिया. अंगूठे से उसे अंदर डालकर उसने अपने लंड को छेद पर रखा. लंड का दबाव बनाते हुए टोपे के अंदर प्रविष्ट होते ही महिला ने एक गहरी श्वास भरी.
“आह!”
“आप जानती हो न मुझे कैसे गांड मारना अच्छा लगता है?”
“हाँ, और मुझे भी इस मोटे लंड से गांड मरवाने में बहुत आनंद आता है. इसके लिए मैं बीच चौराहे पर भी नंगी होकर गांड मरवा सकती हूँ.”
मेहुल ने अपने लंड को अब तक एक चौथाई तक उस गांड में डाल लिया था. इस बार उसने लंड को बाहर किया और एक अच्छा धक्का लगाया. इतनी खुली और चुदी हुई गांड में भी उसके लंड ने केवल आधा ही लक्ष्य भेदा. महिला दूभर होकर सोफे पर फ़ैल गई. मेहुल इतनी ही गहराई तक अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. महिला के मुंह से आनंद की सिसकारियाँ निकल रही थीं. मेहुल ने इस क्रम में अचानक से एक और शक्तिशाली धक्का लगाया तो लंड इस बार पूरा गांड में समा गया. महिला की चीख ने कमरे को दहला दिया.
“मर गई, माँ. मर गई. मेरी गांड फट गई. मत कर बेटा इतना अत्याचार. क्यों फाड़ रहा है मेरी गांड?”
महिला की याचना ने मेहुल के मन को और कठोर कर दिया. ये मेहुल का वो व्यक्तित्व था जिसके लिए प्रौढ़ महिलाएं उसकी दीवानी थीं. उसके मन में दया करुणा का कोई स्थान नहीं रहता था जब वो अपने इस रौद्र रूप में उनकी चुदाई करता था.
“नहीं फ़टी है. और फटेगी भी नहीं. इतने लौड़े खाने के बाद भी अगर आपकी गांड फट रही होती तो उस दिन ही फट चुकी होती जिस दिन मैंने पहली बाद मारी थी. अब रोना गाना बंद करो, नहीं तो मैं चला जाऊँगा और लौटूँगा भी नहीं.” मेहुल के कर्कश स्वर ने महिला के रुदन को एकाएक रोक दिया.
“कर ले अपने मन की, पर जाने की बात मत करना. फट जाये तो फट जाये पर तेरे लंड के बिना अब जीवन नहीं जीना है.”
“ये हुई न बात, अब देखो कैसे तुम्हारी गांड की खुजली मिटाता हूँ.”
इसके बाद तो मेहुल ने जिस धुआंधार गति से उसकी गांड में अपने लंड से पेला तो उस महिला को स्वर्ग और नर्क के एक साथ दर्शन प्राप्त हो गए. दस मिनट की इस भीषण चुदाई के बाद अब उस महिला के मुंह से दर्द की कराहों ने आनंद की सीत्कारों निकलने लगीं.
“सच में, तेरा जैसा गांड मारने वाला मुझे आज तक नहीं मिला. तू अपनी माँ की भी गांड मारना ऐसे ही. उसे भी रुलाना. उसकी गांड को अपने बाप के लायक मत छोड़ना. मार दिया तूने मुझे आज, पर अब मैं हर दिन मरने के लिए भी तैयार हूँ. आह, आह, वाह क्या मोटा लौड़ा है तेरा मादरचोद. क्या खाकर पैदा किया था तेरी माँ ने? ऐसी माँ को तो ऐसे लौड़े से चुदने का पूरा अधिकार है.”
महिला जो कह रही थी, उसके कारण मेहुल का आक्रोश बढ़ रहा था. अपनी माँ के लिए ऐसे शब्द सुनकर उसके चेहरे पर क्रूरता की चमक आ गई. उसने अपने लंड के पूरे लम्बाई के साथ महिला की गांड पर हमले करने आरम्भ कर दिए. इसके साथ ही वो महिला के नितम्बों पर थप्पड़ मारने लगा. गांड में चलायमान लम्बा मोटा लंड और गांड पर पड़ते हुए थप्पड़ों के कारण वो महिला अचानक एक भयानक चीख के साथ झड़ी और आगे गिर कर शिथिल हो गई. मेहुल ने अपना आक्रमण नहीं रोका और अगले दस मिनट तक उस मृतप्राय महिला की गांड के परखच्चे उडाता रहा. अंत में उसने अपने पानी को उसकी गांड में ही छोड़ दिया. लंड को धीरे से बाहर निकालकर वो महिला के मुंह के पास गया. उसके बाल पकड़कर उसके चेहरे को ऊपर किया और अपने लंड को आश्चर्य से खुले मुंह में डाल दिया.
“माँ की लौड़ी, मेरी माँ के बारे में अगर कभी और उल्टा सीधा बोली तो तेरी वो हालत करूँगा की तेरी आत्मा काँप जाएगी. समझी रंडी, माँ की लौड़ी?” मेहुल ने जिस स्वर में ये बोला था तो उस महिला को आभास हो गया कि उसने सीमा पर कर ली थी. लंड को चाटने के बाद वो सोफे से उतर कर मेहुल के पैरों में गिर गई.
“मुझे क्षमा कर दे बेटा, मेरे मुंह से जो भी निकला उसे मेरी भूल समझ कर क्षमा कर दे. अब मैं सपने में भी ऐसा नहीं करुँगी.” ये कहते हुए वो मेहुल के पैर चाटने लगी.
मेहुल को अपने पैरों पर उसके आँसुओं का आभास हुआ. उसने महिला को उठाया और सोफे पर बैठाया.
“ठीक है, पर आगे से इस बात का ध्यान रखना. मैं नहीं चाहता कि आपको किसी प्रकार से चोट पहुंचे. आप हमारे बीच कभी मेरी माँ को मत लाना. अब बताइये कि मेरा प्रस्ताव स्वीकार है या नहीं?”
महिला ने स्वीकृति दी तो मेहुल ने उसे कपड़े पहनने के लिए कहा और स्वयं भी कपड़े पहन लिए.
“मैं अभी आया.” ये कहकर मेहुल कार से वो बैग ले आया.
“इन्हें देखिये और मैंने आपको जो कहा है, ये सब उनके लिए ही है.” मेहुल ने उसे हर वस्तु का अभिप्राय समझाया और उसे कैसे उपयोग में लाना है ये भी बताया.
“मेहुल. मैं तुम्हारे लिए इस तिरिस्कार को भी झेलने के लिए मान रही हूँ. पर ये वचन दो कि इसके बाद ये दासी की भूमिका केवल हम दोनों के एकांत में ही होगी. प्लीज.”
“मैंने तो आपको मुक्त करने का भी प्रस्ताव किया था. आपने ही उसे नहीं माना। पर मैं वचन का धनी हूँ. ये आपको मात्र एक बार ही करना है.”
महिला ने मेहुल का माथा चूमा और उस बैग को बंद कर लिया. मेहुल निकल गया और उस महिला ने वो बैग अपनी अलमारी में छुपाकर रख दिया. गांड सहलाते हुए वो बाथरूम में घुस गई.
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स्मिता का घर:
एक बजे तक सारे पंछी अपने घोसले में लौट चुके थे. भोजन करने के बाद स्मिता ने मेहुल से बात करनी चाही. स्मिता और श्रेया एक सोफे पर बैठे थे और मेहुल उनके सामने था.
“बेटा, हमें ये निर्णय लेना है कि तुम्हे महक और स्नेहा के साथ पहले भेजा जाये, या हम दोनों का जो अधूरा कार्य है उसे सम्पन्न किया जाये.”
माँ और भाभी की गांड मारने के बारे में सोचते ही मेहुल का लंड अंगड़ाई लेने लगा. पर उसने कुछ बोला नहीं.
“मैं और श्रेया चाहते है कि अधूरा कार्य पूरा किया जाये और हम दोनों को उसे एक साथ करने में कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि हमें ये अधिक रुचिकर लग रहा है.”
श्रेया बोली, “भाई, इसके बाद आप महक और स्नेहा के साथ भी कार्य अधूरा छोड़कर उसे दोनों के साथ एक बार में पूरा कर सकते हो. दोनों अभी इतना परिपक्व नहीं हैं कि आपके लंड को सरलता से झेल सकें.”
मेहुल, “जैसा आप उचित समझें. परन्तु ये होगा कैसे?”
स्मिता ने उसकी ओर एक पर्ची बढ़ाई.
SC: कल
M: दो दिन बाद
S: उसके दो दिन बाद
MS: उसके दो या तीन दिन बाद.
मेहुल ने इसका अर्थ समझ लिया.
“ठीक है माँ, भाभी. पर अगर एक दो दिन इधर उधर हो जाएँ तो आप बुरा मत मानना। मेरे अपने भी कुछ कार्य हैं, जिनकी मैं उपेक्षा नहीं कर सकता. पर मैं आपकी इस समय सारणी का पूरा मान रखने का प्रयास करूँगा। कल कब?”
“दोपहर तीन के बाद ही. तुम्हें कुछ काम है क्या?”
“नहीं कल नहीं है. और मैं प्रयास करूँगा कि जो दिन अपने निर्धारित किये हैं उन दिनों भी मैं उपलब्ध रहूँ। क्या हम तीन बजे ही हर दिन के लिए निर्धारित कर सकते हैं?”
“मेरे विचार से ये उचित है.” श्रेया के चेहरे के भाव से मेहुल उनकी सुंदरता की प्रशंसा किये बिना न रह सका.
“भाभी, यू आर टू ब्यूटीफुल.”
श्रेया शर्मा गई.
“धत्त, कोई अपनी भाभी को ऐसे बोलता है क्या?”
“उनकी भाभी आपके जितनी सुंदर भी नहीं होंगी.”
स्मिता ने बीच में टोका, “ठीक है. तो कल मिलेंगे. अभी नींद आ रही है.”
मेहुल, “मॉम, मुझे आपसे कुछ कहना है, अकेले में.”
श्रेया उठकर चली गई और मेहुल स्मिता के पास जाकर बैठा. उसने जो कल रात अन्य बंगले के परिवारों के बारे में जाना तो वो स्मिता को बताया. पर ये वचन भी लिया कि वो आगे किसी को नहीं कहेगी. उसके पापा को भी नहीं. स्मिता मान गई. इसके बाद मेहुल ने कल के लिए कुछ विशेष निवेदन किया किसे सुनकर स्मिता अचरज में तो पड़ी पर सहर्ष मान भी गई. मेहुल और स्मिता इसके बाद अपने कमरों में चले गए.
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स्मिता का घर:
मेहुल अगले दिन तक घर में ही रहा. उसकी पढ़ाई के कुछ पीछे रह जाने के कारण उसने इस पूरे समय केवल उस पर ही ध्यान दिया. उसे इस रूप में देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि ये लड़का किसी को भी निर्ममता से भी चोद सकता है. उसकी प्रिंसिपल मैरी का निमत्रण आया था परन्तु मेहुल ने उनसे क्षमा माँगते हुए आने में असमर्थता बताई थी. मैरी ने भी अपनी चुदाई से अधिक महत्व मेहुल की पढ़ाई को दिया, वो एक शिक्षिका जो थीं.
महक अपने भाई के साथ मिलन के लिए अब आतुर हो गई थी, पर उसकी माँ और भाभी ने उसे दो दिन रुकने के लिए कहा था. महक ने राणा परिवार के सप्ताहांत के निमंत्रण के बारे में बताया तो स्मिता को कुछ निराशा हुई क्योंकि इसी समय उनके अपने परिवार में भी सामूहिक चुदाई का खेल होता था. परन्तु महक के ससुराल वालों को प्रसन्न रखना भी उतना ही आवश्यक था. उसने महक से कहा कि वो सुनीति से कहे कि वो बारी बारी से एक सप्ताह छोड़कर जाया करेगी. उसे विश्वास था कि सुनीति मान जाएगी. श्रेया ने स्मिता से समुदाय के प्रबंधन के चुनाव से हटने के लिए निवेदन किया तो स्मिता ने मान लिया और अपना समर्थन सुजाता को देने की घोषणा समुदाय में कर दी. महक के विवाह में व्यस्त होने का कारण बताने से उसके इस निर्णय पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ.
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अगले दिन:
सुबह मेहुल ने नहा धोकर नाश्ता किया और फिर से अपनी पढ़ाई पूरी करने में जुट गया. फिर एक बजे खाना खाया और अपने कमरे में लौट गया. ये घर में उसका सामान्य व्यवहार था इसीलिए किसी ने उसे कुछ नहीं कहा. खाने के बाद उसने अपने कमरे में जाकर कुछ लोगों से बात की और फिर एक घंटे के लिए सो गया. ढाई बजे उठकर स्नान किया और फिर आज के कार्यक्रम के लिए उचित कपड़े पहने. अपना फोन लेकर बैठक में गया जहाँ स्मिता बैठी थी.
“श्रेया को मैंने कमरे में भेज दिया है. मैं भी आती हूँ. तुम कितनी देर में आने वाले हो?” स्मिता ने पूछा.
मेहुल ने घड़ी देखी, “बस आपके पीछे पीछे आता हूँ.”
स्मिता चली गई और मेहुल ने रसोई में जाकर पानी पिया. उसके फोन पर एक संदेश आया. उसने देखा और फिर घर के मुख्य द्वार को हल्का खोलकर स्मिता के कमरे में चला गया. मेहुल कमरे में गया तो देखा कि स्मिता और श्रेया अब तक यूँ ही बैठे थे.
“क्या हुआ?” उसने पूछा.
“तुम्हारी ही राह देख रहे थे.”
“ओह, ठीक है.” ये कहते हुए उसने आगे बढ़कर अपनी माँ को बाँहों में भर लिया. फिर दूसरे हाथ को फैलाकर श्रेया को भी बाँहों में ले लिया.
“मेरी प्यारी मॉम और भाभी. मैं बता नहीं सकता कि मैं आज कितना प्रसन्न हूँ. मैंने जीवन में कभी सोचा न था कि ऐसा दिन भी आएगा, जब हम इस प्रकार से एक दूसरे के साथ होंगे.”
“पर हमें पता था. तुम्हें न बताना हमारी दुविधा थी. वैसे भी बीस वर्ष के होने के बाद तुम्हें सब बताना ही था. पर तुम्हें स्वयं ही सब पता चल ही गया.”
मेहुल ने स्मिता के गाउन को उसके कंधे से खिसकाया तो वो पल भर में ही नीचे गिर गया और स्मिता का लुभावना शरीर अपने पूरे दर्प में चमक उठा.
“मेहुल.”
मेहुल ने सुना तो उसने श्रेया को देखा और उसके भी गाउन को उसी प्रकार से उतार दिया. अब उसके सामने उसकी माँ और भाभी पूर्णतया नग्न खड़ी हुई थीं. न उनके शरीर पर एक भी धागा ही था न ही आँखों में रत्ती भर लज्जा. एक प्यास थी, जिसे मिटाने का दायित्व मेहुल पर था. मेहुल की टी-शर्ट को श्रेया ने उतारा और स्मिता उसके पजामे के नाड़े को खींचकर पजामे को निकाल फेंकने को ही थी, कि उसे लगा कि वो कुछ भारी था.
“मेरा मोबाइल है उसमे.” मेहुल ने बताया और फिर पजामे से मोबाइल निकालकर एक ओर रख दिया.
“भाभी, मैंने आज के लिए एक विशेष प्रबंध किया है. परन्तु आपको मेरे ऊपर विश्वास करना होगा कि ये केवल आज के लिए है. आप किसी भी प्रकार से मुझपर गुस्सा नहीं होने वाली हैं.”
श्रेया को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी, हालाँकि उसने सोचा कि ये मेहुल ने केवल उससे ही क्यों पूछा.
“मॉम, आपको भी.” मेहुल ने मानो भाभी के मन को पढ़ लिया था.
“अवश्य.” माँ और भाभी ने उसे विश्वास दिलाया. इतने में मेहुल का मोबाइल थरथराया.
“ठीक है. तो मुझे पाँच मिनट का समय दीजिये. मैं बस यूँ गया और यूँ आया.” ये कहकर मेहुल नंगा ही कमरे से निकल गया.
जब मेहुल कमरे में लौटा तो उसके हाथों में एक कुत्ते को घुमाने वाला पट्टा था. और जब वो और भीतर पहुँचा तो स्मिता और श्रेया की ऑंखें आश्चर्य से फ़टी रह गयीं. पट्टे के दूसरे छोर पर एक नंगी महिला थी. पट्टा उसके गले में बंधा था और वो घुटनों के बल चलकर मेहुल के पीछे आ रही थी. यही नहीं, उसकी गांड में से पूँछ जैसी वस्तु निकली हुई दिख रही थी. कानों के ऊपर भी कुत्ते के जैसे नकली कान लगे हुए थे. एक प्रकार से वो महिला मानव रूप में भी एक कुतिया ही लग रही थी.
और वो कोई और नहीं, बल्कि श्रेया की माँ सुजाता थी!
स्मिता को मेहुल ने संकेत अवश्य दिया था, पर ये दृश्य देखकर उसका मन विचलित हो गया. और श्रेया! उसे तो जैसे काटो तो खून नहीं. सुजाता उनके आगे उसी रूप में रही. मेहुल ने पट्टे को एक हल्का सा झटका दिया तो सुजाता ने आगे बढ़कर स्मिता के पैरों को चाटना आरम्भ कर दिया. दोनों पैर चाटकर उन मेहुल को देखा. मेहुल ने उसे संकेत दिया और वो लौटकर अपने स्थान पर चली गई.
“मुझे आंटीजी के इस विकृति के प्रति झुकाव का जब आभास हुआ तो मैंने सोचा कि क्यों न उन्हें भी आज के इस खेल में सम्मिलित कर लिया जाये. वो मेरी हर आज्ञा पालन करने के लिए आतुर रहती हैं और मैं उन्हें प्यार से…” मेहुल ने सुजाता की ओर देखा, “… क्या बुलाया करता हूँ मैं आपको?”
“सूजी, सूजी डार्लिंग.” सुजाता ने उत्तर दिया.
श्रेया ये देखकर अचम्भित थी कि उसकी माँ किसी प्रकार से भी किसी प्रभाव में नहीं दिख रही थी और न उन्हें उनके सामने इस प्रकार से उपस्थित होने में कोई शर्म आ रही थी.
“सूजी डार्लिंग, बहुत प्यारा नाम रखा है इसका तुमने बेटा। तो क्या ये मेरी भी आज्ञा मानेगी?” स्मिता ने आनंद लेते हुए कहा.
“क्यों सूजी डार्लिंग, क्या कहती हो?” मेहुल ने पट्टे को खींचकर पूछा.
“अगर मेरे स्वामी कहेंगे तो अवश्य मानूँगी.”
“सही उत्तर, सूजी डार्लिंग। आज के लिए तुम हम तीनों की आज्ञा मानोगी. अपनी बेटी को भी अपनी स्वामिन समझकर ही बात करोगी. समझीं?”
“जी.”
“और इसके लिए तुम्हें उपहार स्वरूप में क्या मिलेगा, ये भी बता ही दो.”
सुजाता ने श्रेया और स्मिता की ओर देखा और बिना हिचक उत्तर दिया, “आप मेरी गांड मारेंगे और मुझे मेरी इन दोनों स्वामिनों को हर प्रकार से स्वच्छ करने का अवसर देंगे.”
“हम्म्म. मॉम, भाभी. आपकी कोई इच्छा है?”
“अभी नहीं. पर अगर कुछ मन में आया तो अवश्य बोलूँगी। वैसे मेरे पैरों के तलवे भी गंदे हो गए हैं. तो सूजी डार्लिंग, उन्हें चाटकर साफ कर दो. और मेरी प्यारी बहू के भी.”
श्रेया ने एक बार कुछ कहना चाहा, पर मेहुल के सिर के संकेत के कारण रुक गई.
“सूजी डार्लिंग, तुम मॉम की इच्छा पूरी करो, मुझे भाभी से कुछ बात करनी है.”
ये कहकर मेहुल श्रेया को एक ओर ले गया.
“भाभी, अभी आप बिना प्रश्न इस खेल में सम्मिलित हो जाइये. आंटीजी को भी ये आनंद देता है. शेष मैं आपको बाद में समझा दूँगा। उन्हें आप जितना तिरस्कृत करेंगी, उन्हें उतनी ही उत्तेजना होती है. मैं बाद में समझाता हूँ. पर आप…..”
“ठीक है. मुझे तुम पर विश्वास है. अब चलो, देखें सूजी डार्लिंग क्या कर रही है. मेहुल, मॉम ने हम सबको सदा अपने अंगूठे के नीचे रखा और कई बार हम सबको तिरस्कृत और प्रताड़ित किया है. न जाने क्यों मुझे आज अपने सामान्य स्वभाव के विपरीत उन्हें उनके ही ढंग से उत्तर देने की इच्छा है. ये मेरा स्वाभाविक स्वरूप नहीं है, तो अगर मैं कुछ अधिक आगे बढ़ जाऊँ तो मुझे टोक देना.”
मेहुल को श्रेया के उत्तर से शांति मिली और दोनों पास आकर खड़े हो गए. सुजाता अब तक स्मिता के पैरों के तलवे चाट कर चमका चुकी थी और उसी प्रकार बैठी हुई अगली आज्ञा की प्रतीक्षा कर रही थी.
स्मिता, “ओके, सूजी डार्लिंग. देखो मेरी बहू भी आ ही गई है. तुम तो इसे जानती ही हो? तुम्हारी बेटी जो ठहरी. अब जाओ, उसके भी पैरों को चाटकर साफ करो. उसके बाद मैं तुम्हें आगे क्या करना है बताती हूँ.”
अब खेल की कमान स्मिता ने संभाल ली थी. सुजाता से इतने वर्षों का वैमनस्व का आज वो स्वयं प्रतिशोध लेने वाली थी. उन्होंने मेहुल को देखा कि अगर उसे आपत्ति हो. मेहुल ने अपने उठे अंगूठे से उसकी शंका को दूर कर दिया. आज न केवल मेहुल अपनी माँ और भाभी की गांड मारने वाला था, बल्कि उन्हें अपने ऊपर किए गए अपराधों का भी मोल चुकाने का अवसर दे रहा था. श्रेया अपनी माँ के गालों को अपने मुक्त तलवे से सहला रही थी. सुजाता पूरी तन्मयता से श्रेया के पैरों को चाट रही थी. स्मिता उसके पीछे आई और उसकी गांड में लगे डिल्डो को जोर से हिला दिया और गांड पर अपने पैरों से एक हल्की चपत लगाई.
“जी मम्मीजी, मारो इसके गांड पर लात और थप्पड़. बहुत अकड़ू है ये.” सुजाता ने आश्चर्य से सिर उठाकर श्रेया को देखा तो श्रेया ने अपने अंगूठे को उसके मुंह में डाला और बोली, “किसने कहा रुकने को? चल अपना काम कर नहीं तो मेहुल को कह दूँगी और तुझे उसके लंड से गांड मरवाने की इच्छा को भूलना होगा.”
सुजाता का शरीर सिहर उठा और ऐसा प्रतीत हुआ मानो वो झड़ गई हो. पर वो श्रेया के पैरों को चाटने में लग गई. जब दोनों पैरों को चाट लिया तो स्मिता ने मेहुल से पट्टे को ले लिया.
“सूजी डार्लिंग, आज तुम हम तीनों की कुतिया हो. मेरी गांड मारने के लिए मेरा बेटा बहुत दिनों से उतावला है. पर इसके लंड को ऐसे झेलना मेरे वश का नहीं है. तो आकर मेरी गांड को चाटो और उसे उसके लंड के लिए सुगम बना दो.” स्मिता ने क्रूर स्वर में बोला।
“मॉम, भाभी. इसके पहले आप ये सम्भालो.” मेहुल ने दो रिमोट जैसे उपकरण उन्हें दिए. “सूजी की गांड में जो डिल्डो है, उसमें बैटरी है, इस बटन से उसे चलाया जाता है, इन दो से उसकी गति कम या अधिक की जाती है और इस बटन से उसे रोका जाता है.” ये रिमोट स्मिता ने ले लिए.
दूसरे रिमोट को श्रेया को देकर कहा, “भाभी, आंटीजी की चूत में एक अंडे के आकार का वाइब्रेटर है. उसे भी इसी प्रकार से चलाया जाता है. अब आप दोनों के हाथ में ये रिमोट हैं तो जैसे चाहें उपयोग करें.”
सास बहू ने दोनों को चलाया तो सुजाता की चूत और गांड में हलचल होने लगी और वो कंपकँपा गई. धीमा और तेज करने का अभ्यास करने के बाद दोनों को न्यूनतम गति पर लेकर छोड़ दिया. अब सुजाता की चूत और गांड में हल्के स्पंदन हो रहे थे. पर आज के लिए उसे अपना पद पता था. मेहुल को लगा कि उसने इन दोनों को प्रभार देकर गलती कर दी. वे दोनों इस समय ही इतनी कड़ाई दिखा रही थीं तो आगे न जाने क्या करेंगी. उसने अपने दोनों हाथों को नीचे की ओर करते हुए उन्हें संकेत किया कि वे संयम में रहें. श्रेया ने अपने पैर हटा लिए.
“ओके, सूजी डार्लिंग. जाओ अब मेरी सासू माँ की गांड को भली भांति मेरे लाडले देवर के लंड के लिए चिकना कर दो. पर इसके लिए केवल अपने मुंह और जीभ का प्रयोग करना. जैल इत्यादि को बाद में लगाना. तब तक मैं देवर राजा के लंड को चूसती हूँ.”
मेहुल को पास बुलाकर उसने लंड को हाथ में लिया. “देखो सूजी डार्लिंग. कैसा मोटा तगड़ा लौड़ा है मेरे देवर का. गांड में पूरी खलबली मचा देगा. तुम तो ले चुकी हो इसे, कैसे लगा था?”
“बहुत ही अच्छा. ऐसे गांड मारी थी मेरी कि मैं इसकी दासी बन गई.” सुजाता को मानो उस याद ने घेर लिया.
“पूछा किसी ने कैसे मारी थी? और हम भी देख रहे हैं कि तुम इसकी दासी हो. अपना काम सम्भालो. मम्मीजी चलिए इसे अपनी गांड चाटने दीजिये.” श्रेया ने कहा.
“मुझे लगता है मैं सोफे पर जाती हूँ, वहाँ ठीक रहेगा. इसे बिस्तर पर नहीं चढ़ने देना है.” स्मिता ने कहा और सोफे पर जाकर बैठी और अपनी दोनों टाँगों को ऊपर कर लिया. इस प्रकार से उसकी चूत और गांड दोनों अब नीचे बैठकर चाटी जा सकती थीं.
“आओ, सूजी डार्लिंग. मेरे बेटे के लिए मेरी गांड को अच्छे से साफ और गीला कर दो. ध्यान रहे अंदर तक सफाई करनी है. मेरे प्यारे बेटे के लंड पर कोई गंदगी नहीं लगनी चाहिए.”
सुजाता न जाने क्यों इस सबमें और भी उत्तेजित हो रही थी. वो स्मिता की गांड के नीचे जाकर रुकी और अपनी जीभ से चाटने लगी.
“आओ भैया, अब तुम्हारे लंड को भी मम्मीजी की गांड के लिए सही कर दूँ.” श्रेया ने कहा और फिर रिमोट से सुजाता कि चूत के अंदर के अंडे की गति बढ़ा दी.
श्रेया ने मेहुल के लंड को मुंह में लिया पर अपनी माँ की गतिविधियों पर भी ध्यान रखा. वो अंडे की गति से खेल रही थी. कभी बढ़ा देती तो कभी कम कर देती. सुजाता भी उसी गति से स्मिता की गांड को चाट रही थी. स्मिता ने अपने नितम्ब फैलाये और उसकी गांड का छेद खुल गया.
“अंदर भी चाटो सूजी डार्लिंग.” स्मिता ने कहा.
सुजाता ने स्मिता की गांड में जीभ डाली ही थी कि स्मिता ने गांड को बंद कर लिया. सुजाता की जीभ उसमे फँसी रह गई. पर सुजाता भी कोई कच्ची खिलाडी तो थी नहीं, उसने स्मिता के नितम्ब फैलाये और अपनी जीभ को बाहर निकाल ही लिया. पर इस बार वो अपनी जीभ को अंडे की गति के अनुरूप स्मिता की गांड में अंदर और बाहर करने लगी. जीभ में थूक को एकत्रित करती और फिर स्मिता की गांड में डालकर अपनी जीभ से अंदर तक धकेल देती.
स्मिता ने श्रेया को देखा तो उसका एक हाथ रिमोट पर था. स्मिता ने भी अब रिमोट से खेलना आरम्भ किया और सुजाता की गांड का डिल्डो हलचल में आ गया. अब सुजाता के लिए समस्या हो गई. दोनों अलग गति से उसकी चूत और गांड में हिल रहे थे. और उसका मस्तिष्क इसे समझने में असमर्थ था. उसकी चूत पानी छोड़ने लग रही थी. परंतु उसे आज अपने कर्मों की प्रायश्चित करना था. वो स्मिता की गांड को अंदर से चाटने में जुटी रही.
“हम्म्म, श्रेया. इधर आओ और देखो सूजी डार्लिंग ने ठीक से काम किया है या नहीं?” स्मिता ने श्रेया को पुकारा. श्रेया ने मेहुल के तमतमाए लंड को मुंह से निकाला और स्मिता की गांड का निरीक्षण किया.
“सूजी डार्लिंग ने अच्छा काम किया है. फिर वो एक ओर पड़ी जैल की ट्यूब ले आई और सुजाता को देकर कहा, “सूजी डार्लिंग, अब इनकी गांड में अच्छे से लगा दो और हट कर अपने स्थान पर चली जाओ.”
सुजाता ने आज्ञा का पालन किया और फिर घुटनों के बल कुतिया के समान खड़ी हो गई. श्रेया ने अब मेहुल को पुकारा और उसके लंड पर भी जैल लगाया.
“जाओ, मेरे लाडले देवर जी. कर दो अपनी मम्मी की गांड का भी बेड़ा पर. पर इन पर दया करना, ये सूजी डार्लिंग जैसी रण्डी नहीं हैं. माँ हैं आपकी.”
“बिलकुल भाभी. और फिर आपकी गांड भी उतने ही प्रेम से मारूंगा।”
श्रेया ने मेहुल के लंड को अपनी सास की गांड के मुहाने रखा. और फिर आगे जाकर स्मिता के होंठों को चूमा.
“मम्मी जी, अब देखिये अपने छोटे बेटे के बड़े लंड का प्रताप.”
“मॉम, आर यू रेडी?” मेहुल ने पूछा.
“हाँ, मेरे लाल. कब से तरस रही हूँ इसके लिए. अब देर न कर.”
मेहुल ने लंड पर दबाव बनाया और सुजाता के परिश्रम और जैल के कारण चिकनी हुई गांड में लंड पक्क से घुस गया. स्मिता की हल्की से आह निकली. मेहुल अपनी माँ की गांड में लंड का टोपा डालने के बाद रुक गया. स्मिता की गांड का स्पंदन और गर्मी ने उसे एक अपूर्व सुख का आभास कराया. कुछ देर तक यूँ ही रुकने के बाद उसने फिर दबाव डाला और लंड कुछ और अंदर गया. मेहुल फिर रुका और स्मिता भी अपनी साँसों को संभालने लगी.
मेहुल ने इसी प्रकार अपने लंड को दो तीन इंच अंदर डालकर रुकते हुए अंतिम लक्ष्य को पार किया. और इसमें उसने लगभग सात आठ मिनट लगा दिए. लंड जब पूरा अंदर समा गया तो मेहुल रुका रहा. उसकी तीव्र इच्छा थी कि पूरे लंड को बाहर निकालकर पेल दे, पर अपनी माँ के साथ वो ऐसा नहीं कर था. तो उसने तीन चार इंच निकाला और फिर धकेला. इस प्रकार से स्मिता की गांड को कुछ देर तक मारने के बाद उसने कुछ लम्बे धक्के लगाने आरम्भ किये, पर पूरा लंड अभी तक उपयोग नहीं किया.
स्मिता आनंद से दूभर हो गई थी.
“कैसा लग रहा है मम्मीजी?” श्रेया ने पूछा.
“पूरा भरा हुआ, पर बहुत अच्छा भी. जा तू अब अपनी गांड भी चटवा कर आ जा फिर दोनों को एक साथ चोद पाये.” स्मिता ने सुझाव दिया.
सुजाता ने जब ये सुना तो उसकी आँखें चमक उठीं. अपनी बेटी को इस लंड के लिए उपयुक्त बनाने के विचार से उसकी चूत फिर से बहने लगी. श्रेया ने उसकी ओर देखा.
“सूजी डार्लिंग, सुना मम्मीजी ने क्या कहा? आ जाओ, अब मेरी गांड को भी मेरे प्यारे देवर के लिए तैयार करो.” ये कहते हुए श्रेया उसी प्रकार से सोफे पर जा बैठी और सुजाता उसके सामने जाकर उसकी गांड को चाटने लगी.
जिस प्रकार से सुजाता ने स्मिता की गांड के साथ किया था उसने वही ढंग श्रेया की गांड अपनाया. पर एक समस्या ये रही कि श्रेया की गांड स्मिता की गांड से कहीं अधिक तंग और संकरी थी. परन्तु सुजाता ने और परिश्रम से श्रेया की गांड को समुचित रूप तक खोल दिया. इसके बाद उसने जाकर ट्यूब ली और श्रेया की गांड में डालकर उसे अच्छे से अंदर तक चिपड़ दिया. सुजाता ने फिर श्रेया को देखा और संकेत दिया कि अब वो स्मिता के पास चली जाये. अब मेहुल स्मिता की गांड पूरे लंड से मार रहा था और स्मिता कि सिसकारियों ने कमरे में एक संगीत बिखेरा हुआ था. श्रेया स्मिता के साथ जाकर घोड़ी के आसन में आ गई.
“सूजी डार्लिंग,” मेहुल ने सुजाता को पुकारा.
“जी”
“इधर आओ, और जब मैं अपना लंड एक गांड से निकालूँगा तब तुम इसे साफ करके दूसरी गांड में डालना. और खाली हुई गांड को चाटकर उसे गीला बनाये रखना. इसके लिए मैं तुम्हें बिस्तर पर आने की अनुमति दे रहा हूँ.”
सुजाता मेहुल के पास आकर उकड़ूँ बैठ गई.
स्मिता ने श्रेया को देखा और बोली, “अब देख तू भी मेरे छोटे बेटे के मोटे लौड़े का प्रताप.”
श्रेया हंस पड़ी और उसने अपनी गांड मटकाई और मेहुल से बोली, “आ जाओ मेरे देवर जी. अपनी भाभी की गांड भी कृतार्थ कर दो.”
मेहुल ने अपने लंड को स्मिता की गांड से धीरे से बाहर निकाला और सुजाता की ओर किया. सुजाता ने लपक कर उसे चाटा और फिर एक मिनट के लिए चूसा और अपनी बेटी, स्मिता की बहू और मेहुल की भाभी की गांड के मुहाने पर रख दिया. उसने दीन दृष्टि से मेहुल को देखा, मानो कह रह थी कि मेरी बेटी पर दया करना. मेहुल ने मुस्कुराकर सिर हिलाकर उन्हें भरोसा दिलाया. फिर अपनी माँ की गांड की ओर संकेत किया मानो कहा हो कि आपका ध्यान उधर रखा चाहिए.
“भाभी, आर यू रेडी?” मेहुल ने पूछा.
सुजाता देखना चाहती थी अपनी बेटी की गांड में मेहुल के लंड का प्रवेश और वो स्मिता की गांड को ऊपर से चाटते हुए मेहुल के लंड को देखती रही. मेहुल ने स्मिता के समान ही श्रेया की भी गांड में अपने लंड को डाला. लगभग एक ही ढंग वो आज उन दोनों की गांड मारने वाला था. आधे लंड से दस मिनट तक श्रेया की गांड मारने के बाद उसने लंड निकाला और सुजाता ने फिर से स्मिता की गांड से अपना मुंह हटाते हुए उसके लंड को चाटा।
“चूसना नहीं है.” मेहुल ने कहा.
सुजाता ने मन मारकर लंड साफ करके उसे स्मिता की गांड पर लगा दिया और स्वयं श्रेया की ओर मुड़ गई. अपनी बेटी की खुली गांड देखकर उसे कुछ दया आई. उसने अपनी जीभ से उसकी गांड के खुले भाग को चाटा तो गांड स्वतः ही बंद होती चली गई. बस अब इसी प्रकार का क्रम चल निकला मेहुल एक की गांड मारता फिर सुजाता उसका लंड चाटती, अगली गांड पर लगाती और जिस गांड से निकला था उसे चाटने लग जाती। मेहुल इस प्रकार से अपनी माँ और भाभी दोनों की गांड मार रहा था और सुजाता उनकी सहायक थी.
आधे घंटे से अधिक तक चले इस क्रम का अंत अब निकट था. मेहुल ने सुजाता को कुछ समझाया और वो जैसे ही स्मिता की गांड में झड़ने लगा तो लंड बाहर निकाला, सुजाता ने उसे अपनी मुठ्ठी में पकड़ा जिससे कि रस बाहर न गिरे और श्रेया की गांड में डाल दिया. मेहुल ने एक दो धक्के ही श्रेया की गांड में लगाए और उसे अपने रस से भर दिया. उसका शरीर अकड़ा हुआ था. श्रेया की गांड पर मेहुल का लंड लगाने के बाद सुजाता ने अपना मुंह स्मिता की गांड पर लगाकर मेहुल का रस चूस लिया. उधर जैसे ही श्रेया की गांड से लंड निकला तो उसने श्रेया की गांड भी चूसकर खाली कर दी. अब वो प्यासी आँखों से मेहुल के लंड को ताकने लगी. मेहुल ने अपने लंड को उसके नाक के सामने किया और सुजाता ने उसक लंड को मुंह में लेकर बेशर्मी से चूसना आरम्भ कर दिया.
सास बहू अब संतुष्ट होकर उसी मुद्रा में थी. फिर दोनों ने करवट ली और सुजाता की मेहुल के लंड पर हो रही गतिविधि को देखने लगीं. मेहुल ने अपने लंड को बाहर निकाला और सुजाता के सिर पर थपकी दी.
“गुड जॉब, सूजी डार्लिंग.”
“यस, सूजी डार्लिंग. वेरी गुड जॉब.” स्मिता और श्रेया ने भी सहमति जताई.
सुजाता का गर्व से फूल कर सीना चौड़ा हो गया.
“कुछ समय के लिए विश्राम करते हैं. उसके बाद सूजी डार्लिंग को उनके उत्तम प्रदर्शन और कार्य कौशल के लिए उनका उचित प्रकार से धन्यवाद किया जायेगा.” मेहुल ने कहा तो सब बैठ गए, केवल सुजाता अपने स्थान पर निर्धारित आसन में ही रही.
“जब सूजी डार्लिंग के पुरुस्कार की बात चली है तो उन्हें कुछ ट्रेलर दिखाया जाये?” श्रेया ने कहा.
उसने रिमोट से सुजाता की गांड के डिल्डो को उच्चतम गति पर कर दिया. देखा देखी स्मिता ने भी यही किया. बेचारी सुजाता से अब सहन नहीं हो रहा था, वो इस आसन में डोल रही थी पर उसके ऊपर दया करने वाला वहाँ कोई न था.
मेहुल ने उसकी ये स्थिति देखी तो कहा, “इतना मत करिये कि सूजी डार्लिंग अपने पुरुस्कार के पहले ही धराशाई हो जाएँ. बल्कि मैं सोच रहा हूँ कि उनकी गांड का डिल्डो निकाल ही दिया जाये. नहीं तो इतनी खुली गांड मारने में कोई आनंद नहीं आएगा.”
ये सुनकर श्रेया ने रिमोट से उसे बंद किया और पास आकर धीरे से डिल्डो को निकाल दिया. गांड खुल कर सामने आई तो श्रेया बोली, “ठीक कहा. ऐसी खुली गांड तो रेल की सुरंग जितनी चौड़ी है. कुछ सामान्य होने दीजिये, नहीं तो न आपको, न ही सूजी डार्लिंग को आनंद आएगा.”
ये सुनकर सुजाता का चेहरा लाल हो गया. फिर श्रेया ने जाकर सबके लिए फलों का रस लाया और सबने उसे शांति से पिया. इतनी देर का विराम ही मेहुल के लिए पर्याप्त सिद्ध हुआ. स्मिता और श्रेया ने कानाफूसी की.
स्मिता, “मेहुल, सूजी डार्लिंग का उपहार उसे इसी स्थान पर देना चाहोगे या बिस्तर पर?”
मेहुल, “बिस्तर पर. घुटने दुःख गए होंगे और मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई विशेष आनंद आएगा दोनों को. उपहार है तो कष्ट नहीं होना चाहिए.”
स्मिता, “ओके, सूजी डार्लिंग अब तुम उठ सकती हो और बिस्तर पर जाओ. श्रेया जाकर सूजी डार्लिंग की गांड में जैल लगा दो. चाहे सुरंग जितनी चौड़ी ही क्यों न हो, पर मेरे बेटे के लंड के लिए फिर भी संकरी ही है.”
सुजाता ने धन्य माना कि उसे अब यूँ नहीं बैठना होगा. और उठकर कुछ लड़खड़ाते हुए बिस्तर पर जाकर घोड़ी का आसन बना लिया. श्रेया ने जाकर उसकी गांड में जैल लगाया और फिर मेहुल के लंड पर जैल लगाकर उसे सवारी गांठने के लिए कहा. इसके बाद मेहुल ने अपने चिर परिचित ढंग से सुजाता की गांड की धज्जियाँ उड़ा दीं. स्मिता और श्रेया ये दृश्य देखकर स्वयं को भाग्यशाली माने कि मेहुल ने उनकी गांड में ऐसा आतंक नहीं मचाया. पंद्रह मिनट तक सुजाता की गांड मारकर मेहुल ने अपने लंड को निकालकर सुजाता में मुंह में डाला और अपना रस वहीं मुंह में ही छोड़ दिया.
इसके बाद सब सहज हो गए. श्रेया ने सुजाता को बाथरूम में ले जाकर नहलाया.
“मॉम, आज के आचरण के लिए मुझे क्षमा करना. पर आपने हम सबको हमेशा नीचा दिखाया है, इसीलिए मैं आज स्वयं को रोक न पाई.” उसने सुजाता से कहा.
“सच तो ये है कि जब तक मेहुल के नीचे मैं नहीं आई थी तब तक मैं भी बहुत घमंडी थी. इस लड़के ने मेरी पूरी विचारधारा बदल दी. अब मुझे लगता है कि मुझे इस प्रकार के व्यव्हार की अपेक्षा थी, कि कब कोई आएगा और मुझे मेरा स्थान दिखायेगा. काश, तुम्हारे पापा ये समझ पाते तो तुम सबको इतना सहन न करना पड़ता.” सुजाता ने बोला।
“और मैं चाहूँगी कि बीच बीच में मुझे इस प्रकार का घूँट पिलाया जाये, मुझे इसमें सच में एक आनंद आया, मानो मेरी एक कुँठा जाग्रत हो गई है.”
“ठीक है, आप जब चाहोगी हम आपको ऐसे ही तिरस्कृत करेंगे. मम्मीजी और मेहुल से भी बात कर लेते हैं.”
श्रेया और सुजाता कमरे में आये तो स्मिता और मेहुल यूँ ही बैठे थे. श्रेया ने सुजाता के साथ हुई बात को बताया तो स्मिता ने कहा, “ठीक है. ये ‘सूजी डार्लिंग’ हमारा कोड वर्ड रहेगा. जब भी हम में से किसी को इस प्रकार के आनंद की इच्छा होगी वो इसका प्रयोग कर सकता है. सुजाता भी इसका उपयोग करके बता सकती है कि वो दासी स्वरूप में आना चाहती है. इस के सिवाय हम सब सामान्य रूप से रहेंगे.”
सबको ये सुझाव रुचिकर लगा. इसके बाद एक से गले मिलकर स्मिता, श्रेया स्नान करने चले गए. मेहुल सुजाता को लेकर उसे घर के बाहर छोड़ने आया.
“मेहुल बेटा, मैं तुम्हारा धन्यवाद करती हूँ. और मैं तुम्हारी दासता से कभी मुक्त नहीं होना चाहती. पर स्मिता की बात भी सही है.”
“ओके आंटीजी. अब आप जाइये, आज आपने बहुत कुछ वहन किया है. अब जाकर विश्राम कीजिये.”
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सुजाता का घर:
चार दिन बाद:
शाम को सभी भोजन के बाद अपने कमरों में चले गए. सुजाता बाथरूम में गई तो अविरल ने एक बैग सोफे के एक ओर रख दिया. सुजाता बाहर आई तो उसका पानी से गीला शरीर दमक रहा था. अविरल ने उसे अपने साथ बैठाया और उसके गले में बाँहें डाल दीं.
“क्या बात है, आज बड़ा प्रेम उमड़ रहा है मुझ पर?” सुजाता ने इठलाकर पूछा.
“बात ही कुछ ऐसी है. न जाने क्यों मुझे लगता है कि मेरी वर्षों की दबी इच्छा पूरी होने वाली है.” अविरल ने उसके होंठ चूमकर कहा.
“अच्छा जी. और वो क्या है.”
“बात ये है “सूजी डार्लिंग”,” अविरल ने बैग को उठाकर सामने की टेबल पर रखा, “कि श्रेया ने मुझे तुम्हारी दबी हुई इच्छाओं से अवगत करा दिया है.”
सुजाता अचरज से अपने पति को देखती रही, फिर मुस्कराई और नीचे बैठकर अविरल के पैरों को चाटने लगी. अविरल ने अपने पैर फैला दिए और सोफे पर फैलकर बैठ गया. उन दोनों के जीवन में नए रंग भरने लगे थे.
और रात अभी शेष थी.
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अविरल अपनी पत्नी के इस नए रूप में देखकर दुविधा में था. आज तक उसने सुजाता को अन्य लोगों पर एक प्रकार से राज करते हुए ही देखा था. उसने एक और अनुभव किया था. पिछले कुछ दिनों से उसके इस व्यवहार में स्पष्ट रूप से कमी आई थी. और वो पहले से अधिक संतुष्ट भी लग रही थी. क्या उसका वो दुर्व्यवहार का कारण उसकी इस विकृति का पोषित न हो पाना था? क्या अब वो इसीलिए अधिक प्रसन्न है क्योंकि उसे अपना सच्चा स्वरूप दिख गया था?
“सूजी डार्लिंग, उठो और व्हिस्की लेकर आओ. और वो बड़ा कटोरा भी ले आओ जिसमें तुम नमकीन इत्यादि रखती हो. उसे खाली ही लाना.”
सुजाता ने रसोई से वो कटोरा ले आई. साथ में कुछ अल्पाहार भी ले आई. अविरल उसकी अधीनता की सीमा नापना चाहता था. सुजाता ने कटोरा अविरल के सामने रखा फिर व्हिस्की, पानी और दो ग्लास भी ले आई. उसके बाद सुजाता उसके सामने ही घुटनों के बल बैठ गई.
“सूजी डार्लिंग, मैं कुछ नियम बनाना चाहता हूँ. इनका तुम्हें पालन करना होगा. तुम उनके विषय में क्या विचार रखती हो इससे मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता. समझ रही हो न?”
“जी.”
“पहला नियम: ये कमरा अब से मेरा और सूजी डार्लिंग का है. इस कमरे में सुजाता के लिए कोई स्थान नहीं है. कमरे के बंद होते ही तुम सूजी डार्लिंग बन जाओगी. ठीक है?”
सुजाता के उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना ही अविरल आगे बोला,
“दूसरा नियम: कमरे के बाहर तुम केवल सुजाता ही रहोगी और इस नाम का कोई अर्थ नहीं होगा. हाँ अगर श्रेया या अन्य किसी को इस विषय में बात करनी हो तो उन्हें इस कमरे में ही आना होगा.”
सुजाता ने शब्दों में अन्य किसी सुना तो काँप गई. क्या अन्य परिवारजनों को भी अविरल बताने वाले हैं?
“तीसरा नियम: स्मिता और विक्रम के घर में भी ये नियम उनके कमरे में ही उपयोग में आएगा. ये आज श्रेया स्मिता को बता देगी. इसका अर्थ ये है कि इन दो स्थानों के सिवाय तुम सदा सुजाता ही रहोगी, और इन दो स्थानों में सदा ही सूजी डार्लिंग. इस व्यवस्था को कुछ समय के लिए केवल तीन लोग ही परिवर्तित कर सकते हैं: मैं, श्रेया और मेहुल.”
सुजाता आश्चर्य से अविरल को देखने लगी. अविरल मुस्कुराया.
“श्रेया ने मुझे बताया कि तुम्हें मेहुल ने ही इस राह पर डाला है, तो मैं उसके अधिकार को तो छीनने से रहा.”
“मैं कुछ कहना चाहती हूँ.” सुजाता बोली, “मुझे आपके नियम मानने में कोई कठिनाई नहीं है. परन्तु अगर विवेक, स्नेहा और मोहन हमारे साथ रहे जैसे पिछले सप्ताह थे तो क्या होगा?”
“कुछ नहीं होगा, यही नियम रहेगा और तुम सूजी डार्लिंग ही बनी रहोगी. यही स्मिता के घर के लिए भी उपयुक्त है. अन्य परिवार के लोगों को भी इस नियम से अवगत करा दिया जायेगा, जब भी उन्हें जानने की आवश्यकता होगी.”
“अब अंतिम नियम: ये रूप केवल हमारे परिवार के साथ ही होगा। बाहरी किसी भी व्यक्ति, चाहे वो समुदाय का ही क्यों न हो, इस रूप के दर्शन नहीं करेगा.”
“आप बच्चों के सामने मुझे सूजी डार्लिंग बनाये रखेंगे?”
“मुझे विश्वास है कि तुम्हें भी इसमें अत्यधिक आनंद आएगा. क्या श्रेया की दासी बनना तुम्हें अच्छा नहीं लगा था?”
“लगा था. आप ठीक कह रहे हैं. और इन नियमों के कारण कभी भी स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं होगी. परन्तु क्या आपको नहीं लगता कि विशेष परिस्थितियों में बाहरी लोगों के सामने भी ये रूप लेने में बुराई नहीं है?”
सुजाता अब अत्यधिक उत्तेजित होने लगी थी. अगर उसके परिवार वाले भी उसे इस प्रकार से उपयोग करेंगे तो उसकी हर दबी इच्छा पूरी हो सकेगी.
अविरल: “इस विषय में सोचा जा सकता है. उस समय के आने तक इसे सीमित समूह में ही रखा जाये तो ठीक होगा.”
“जी, जैसा मेरे स्वामी चाहें.” सुजाता ने कहा और अविरल के दाएं पैर के अंगूठे को चूस लिया.
“गुड गर्ल, सूजी डार्लिंग. आओ इस नए जीवन के लिए एक एक पेग हो जाये.”
सुजाता उठकर पेग बनाने लगी. पहला पेग बनाते ही अविरल ने उसे रोक दिया. वो सुजाता की सीमा की जाँच करना चाहता था.
“ये मेरा ग्लास है. तुम्हारे लिए मेरे पास एक नया विचार है.”
सुजाता उसे देखने लगी. अविरल ने कटोरा उठाया और उसे थमा दिया.
“मेरे पैरों को व्हिस्की से धोकर उसे ग्लास में डालकर पीना, सूजी डार्लिंग.”
सुजाता के शरीर में एक झुरझुरी सी हुई. इस प्रकार के तिरिस्कार उसने कल्पना भी नहीं की थी.
“और आगे भी पहले मेरे पाँव धोया करोगी, इसी प्रकार से.”
“जी.”
सुजाता ने एक गिलास में व्हिस्की डाली और कटोरे को नीचे रखकर अविरल के पाँव धोये और फिर उस व्हिस्की को ग्लास में डाल लिया.
“गुड, गुड, चीयर्स माई डियर सूजी डार्लिंग!”
अविरल को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था और सुजाता को अपने जीवन का अर्थ.
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दो दिन पहले:
मेहुल और महक:
महक आज बहुत चहक रही थी. सुबह नाश्ते के समय भी उसके इस हर्ष का अनुमान लग गया था. मेहुल शांत था, पर उसे महक की आँखों में दिख रहा था कि वो उसे ही देख रही थी.
“तो मेहुल, तुम्हारा आज का क्या कार्यक्रम है?” विक्रम ने पूछा.
“जैसे आपको पता न हो? आप भी न!” स्मिता ने हंसकर कहा.
“अरे भाई, पूछने में क्या जाता है? क्यों महक?” विक्रम भी हंस पड़ा, पर महक का चेहरा लाल हो गया.
“देखो कैसे लाल हो गए हैं इसके गाल.” विक्रम ने हँसते हुए कहा.
“पापा. आप बहुत बुरे हो. मैं आपसे बात नहीं करती. मम्मी, बस आप ही मेरी फ्रेंड हो.” महक ने रूठने का नाटक किया.
“अब देखें शाम तक चेहरा ही लाल रहेगा या कुछ और भी लाल लाल हो जायेगा. क्यों महक?” स्मिता ने हंसकर कहा.
“मम्मा, आप भी पापा के साथ हो गयीं. अब मेरा क्या होगा?” महक ने रुंआसे स्वर में पूछा।
“क्या हो गया हमारी प्यारी नंद को?” श्रेया भी आ गई तो पूछने लगी.
स्मिता ने बताया तो श्रेया भी हंसने लगी. वो महक के कान के पास गई और फुसफुसाई, “अगर कहो तो पहले मैं कुछ तेल वेल लगा दूँ, कहीं सूज न जाये तुम्हारी….”
“मैं जा रही हूँ, इस घर में मेरा कोई भी नहीं है.” महक उठते हुए बोली, हालाँकि उसके मन में भी लड्डू फूट रहे थे.
“अरे रुको, दीदी. नाश्ता कर के जाओ. फिर न जाने कब मिले? चलो मैं चलता हूँ साथ.” मेहुल ने उसके हाथ को पकड़ा और बैठा लिया.
“अब तू कह रहा है तो रुक जाती हूँ. नहीं तो चली ही जाने वाली थी.”
“चलो, अच्छा हुआ. अब वैसे भी विवाह के बाद तू अपने ससुराल जो चली जाएगी. फिर हमारी याद कहाँ आनी है,” श्रेया ने कहा.
“ऐसा मत कहो भाभी.”
“अच्छा अब ये बताओ कि क्या है आज का कार्यक्रम?”
स्मिता: “मैं और श्रेया तो सुजाता के साथ उसके चुनाव में सहायता करने के लिए जा रहे हैं. आप और मोहन अपने काम पर जाओ. और महक और मेहुल अपने कार्य को पूरा करेंगे.”
नाश्ते के बाद स्मिता ने मेहुल को पास बुलाया. “मेहुल बेटा, महक का ध्यान रखना. तेरा लंड बहुत लम्बा और मोटा है. उसे चोट न पहुंचे. वैसे भी अब वो कुछ ही दिनों में पराई भी हो जाएगी.”
मेहुल, “मम्मी, आप बिल्कुल भी चिंता न करो. दीदी को कुछ नहीं होगा. ये मेरा वचन है.”
ग्यारह बजे तक विक्रम, मोहन, श्रेया और स्मिता निकल गए. मेहुल बैठक में ही बैठा रहा, वो महक दीदी के बुलावे के लिए ठहरा हुआ था. आधे घण्टे बाद महक भी आई तो मेहुल उसे ठगा सा देखता रह गया. महक ने बहुत सुंदर कपड़े पहने थे और उत्कृष्ट मेकअप किया हुआ था. उसकी सुंदरता इस समय चन्द्रमा को भी पीछे छोड़ रही थी. मेहुल को यूँ तकते देख वो शर्मा गयी.
“क्या देख रहा है?”
“दीदी, तुम कितनी सुंदर हो. असीम कितना भाग्यशाली हैं.”
महक आगे बढ़कर मेहुल के गले लग गयी. “आई लव यू.”
“आई लव यू, टू.”
“चलो मेरे कमरे में.” महक ने मेहुल के हाथ को पकड़ा और एक नयी यात्रा के लिए दोनों चल पड़े.
मेहुल के मन में एक ही भावना थी. वो आज महक को ऐसा सुख देना चाहता था जिसे वो जन्म जन्मांतर तक न भूले. आज वो अपनी उन सारी प्रशिक्षिकाओं के अनुभव के निचोड़ का उपयोग करने वाला था. महक भी मन में ऐसा ही कुछ विचार कर रही थी. उसके मन में ये था कि वो मेहुल को अपने प्रेम से इतना आनंदित कर देगी कि उसे पिछले दिनों में जो भी अनुभव हुआ है उसे वो भूल जायेगा. उसे ये नहीं पता था कि मेहुल इस खेल में दो साल से लिप्त था और उसका अनुभव ऐसी अनुभवी और परिपक़्व महिलाओं के साथ था जो महक से कोसों आगे थीं.
महक के कमरे में जाते ही मेहुल के नथुनों में एक सुगंध भर गयी. महक ने उसके इस संगम के लिए एक सुंदर वातावरण बनाया था. मेहुल का मन अपनी दीदी के इस प्रेम से विव्हल हो गया. महक ने उसकी ओर मुड़कर उसे अपनी बाँहों में भर लिया.
महक, “मुझे जब ये पता चला था कि समुदाय में जाने के बाद एक दिन मुझे तुम्हारे साथ भी सम्भोग का अवसर मिलेगा तो मुझे स्वयं पर संशय होने लगा था. तब तुम अठारह वर्ष के थे और ऐसा सोचना भी मुझे पाप लगा था. पर जैसे समय निकला, मैंने तुम्हारे बारे में भी सोचना आरम्भ किया तो कई दिन तो मैं केवल तुम्हें ही अपने साथ होने की कल्पना करती थी.”
मेहुल ये नहीं बता सका कि उसके मन में परिवार की किसी भी स्त्री के लिए मन में कभी ऐसे विचार भी आये हों. वो अपनी अन्य महिला मित्रों से ही संतुष्ट था. पर वो महक की बात सुन रहा था.
“उस दिन जब तुमने भैया, भाभी और स्नेहा को पकड़ा तो मुझे लगा था कि मेरी इच्छा कभी पूर्ण न होगी, और तुम हमें छोड़कर चले जाओगे. जब तुमने मम्मी के साथ जाने का निर्णय लिया तो मेरे मन को इतनी शांति मिली थी कि मैं रात भर सोई नहीं थी. और आज मैं तुम्हारे साथ हूँ. मुझे चुदाई का बहुत अनुभव नहीं है. घर में ही मैं अधिक चुदाई करती हूँ. समुदाय में जहाँ मेरी सहेलियाँ हर दूसरे दिन किसी न किसी से चुदवाती हैं, मैं इसमें बहुत कोताही करती हूँ. जो समुदाय के नियमों के लिए आवश्यक है केवल उतनी.”
मेहुल: “एक बात का मैं भी समर्थन करता हूँ. मुझे समुदाय में अत्यधिक रूचि नहीं है. पर क्योंकि ये हम सबके लिए नितांत आवश्यक है तो मैं भी उतना ही भाग लूँगा जितना न्यूनतम है.”
महक: “अब असीम के साथ विवाह भी होने वाला है. उनके परिवार में तो और भी अधिक ही चुदाई का वातावरण है. तो मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलने वाला है. पर जो भी मैं जानती हूँ, मैं उसे हम दोनों के सुख के लिए प्रयोग में लाना चाहती हूँ.”
मेहुल ने जब महक की बात सुनी तो उसने भी अपने पिछले दो वर्षों के बारे में उसे संक्षेप में बताया. महक को अचरज इस बात का हुआ कि मेहुल इतनी चतुरता से अपने इस रूप को सबसे छुपा सका था. उसे भी लगा कि मेहुल के अनुभव से उसे भी कुछ नया अनुभव होने वाला है.
महक: “तो मेरा छोटा भाई उतना भी अनुभवहीन नहीं है जितना सब समझते हैं. पर इस बात को जिस चतुराई से छुपाया है वो भी प्रशंसनीय है.”
मेहुल: “मैं नहीं चाहता था कि मेरे इस चरित्र का किसी को पता चले. मुझे क्या पता था कि यहाँ तो सब चार कदम आगे थे.” कहते हुए वो हंस पड़ा.
उसके हाथ महक की पीठ को सहला रहे थे. महक ने अपना चेहरा उठाया तो मेहुल ने उसे चूम लिया. और मानो दोनों को शरीर में बिजली सी कौंध गयी. एक दूसरे को वो चूमने लगे और मेहुल की जीभ ने महक के मुंह में हलचल मचा दी.
मेहुल: “मुझे आपको अच्छे से देखना और प्यार करना है. कपड़े उतार देते हैं.”
महक: “मेरे मन की बात.”
दोनों पलक झपकते ही एक दूसरे के सामने नंगे हो गए. एक दूसरे के शरीर आज पहली बार इतनी निकटता से देखे थे, वो भी बिना वस्त्रों के बंधन के तो कुछ समय तक तो एक दूसरे को देखते ही रहे. महक सुंदरता की प्रतिमा थी तो मेहुल युवा शक्ति का नमूना. महक ने जब मेहुल के लंड को देखा तो वो सहम गई. अभी तक लंड पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था फिर भी वो बहुत भयानक सा लग रहा था.
“भाई, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है. क्या ये मेरी चूत में जा पायेगा?”
“दीदी, बिलकुल जायेगा.” मेहुल ने महक को बाँहों में लेकर चूमा, “और आपको मैं इस प्रकार से चोदुँगा कि आपको केवल आनंद का अनुभव होगा.”
महक कुछ सोचते हुए, “हाँ, मैं समझती हूँ. फिर भी डर लग रहा है.”
“आप मुझ पर विश्वास कर सकती हो.”
“मैं जानती हूँ.”
मेहुल ने महक को बिस्तर पर बैठाया और फिर धीरे से लिटा दिया. एक बार महक के लेटते ही उसके पाँव चौड़े करते हुए वो उनके बीच में खिली हुई चूत को देखने लगा. उसे न जाने क्यों चालीस वर्ष के ऊपर की ही स्त्रियों में अधिक रूचि थी. मेहुल ने अब तक दो तीन अपनी आयु की लड़कियों को भी चोदा था, पर उसका मन मध्यम आयु से अधिक की स्त्रियों पर आसक्त था. जो आकर्षण उसे महक की चूत में दिख रहा था वो पहले कभी न हुआ था. उसके बीच में अपने सिर को रखते हुए उसने एक गहरी साँस लेते हुए उसकी चूत की मादक सुगंध को सूँघा। फिर अपनी जीभ से उसे चाटना आरम्भ किया.
“ओह, मेहुल!” महक ने सिसकारी ली.
महक अपने भाई के सिर पर प्यार से हाथ फिराने लगी. मेहुल भी पूरे मन से महक की चूत के रस को चाट रहा था और महक की चूत भी उसे पर्याप्त रस दे रही थी. ऐसा लग रहा था मानो महक की चूत कोई नहर या नदी थी जिसमे जल की कोई कमी न थी. मेहुल ने भी अपनी जीभ को इस बहती हुई नदी में और अंदर धकेला और महक की चूत के जितना सम्भव हो उतना अंदर तक चाटने का प्रयास किया. महक को भी एक अद्भुत आनंद आ रहा था. उसने तो सोचा था कि मेहुल अनाड़ी होगा, पर उसके कार्यकलापों ने सिद्ध कर दिया था कि इससे बड़ा खिलाड़ी सम्भवतः उसके संसर्ग में अब तक नहीं आया था. मेहुल के सिर पर हाथ फिराते हुए वो अपनी जाँघें चौड़ी किये हुए मेहुल की जादुई जीभ की प्रतिभा का आनंद ले रही थी.
मेहुल वैसे तो जीवन भर ये रस पी सकता था, पर आज उसके मन में अन्य ही लक्ष्य था. उसने सर उठाकर महक को देखा तो महक उसके बालों में हाथ घुमाते हुए उसे अत्यधिक प्रेम से देख रही थी. मानो वासना का एक कण भी न हो. दोनों की आँखें मिलीं तो महक मुस्कुराई.
“दी….” मेहुल ने इतना ही कहा था कि महक ने उसे रोक दिया. “अब मुझे भी तेरे लंड का स्वाद लेने दे. देखूं तो मेरा भाई जो इतना बड़ा लंड लेकर घूम रहा था मेरे मुंह में समायेगा या नहीं?”
मेहुल उठ गया और महक वहीं बिस्तर पर बैठ गई. मेहुल का विशाल लंड इस समय तमतमाया हुआ था और महक एक बार तो डर ही गई. परन्तु उसने हार न मानी और सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराई। लंड ने झटका मारा और उसके इस कार्य का स्वागत किया. लंड को चाटते हुए महक का आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा और वो और द्रुत गति से लंड चाटने लगी. फिर अपने मुंह में लिया और पूरे भरे मुंह से उसे चूसने का प्रयास करने लगी. कुछ देर में उसका मुंह मेहुल के लंड का अभ्यस्त हो गया और फिर महक ने पूरे प्रेम से मेहुल के लंड की चूसा. पर दोनों भाई बहन के शारीरिक संगम के लिए आतुर थे. दोनों अब और संयम नहीं रख सकते थे. महक ने लंड को मुंह से निकाला और फिर मेहुल को देखा. मेहुल उसकी निशब्द भाषा को समझ गया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया.
“धीरे करना, तेरा लंड बहुत बड़ा है.” महक ने प्रार्थना की.
“दीदी, आप चिंता न करो. बस आनंद लो. सम्भव है कि कुछ कष्ट हो, पर वो क्षणिक ही होगा. ये मेरा वचन है.”
मेहुल ने एक बार फिर महक की चूत को देखा और उसे चाटने से स्वयं को रोक न पाया. दो तीन मिनट उसे चाटकर जब उसे शांति मिली तो उसने अपने लंड को चूत पर लगाया.
“धीरे” महक ने अंतिम बार कहा.
मेहुल ने कुछ न बोला और लंड को महक की चूत में बहुत सहज गति से अंदर डाल दिया. महक ने एक सिसकारी ली, और अपने पैरों को फैला दिया. महक को चूत में मेहुल की यात्रा आगे बढ़ती रही. पर आधे लंड के अंदर समाने के बाद वो ठहर गया. अब उसने लंड को आगे पीछे करना आरम्भ किया और महक को आनंद आने लगा. मेहुल स्वयं पर अंकुश लगाए था. और इसी प्रकार से वो कुछ समय तक चोदता रहा. जब उसे लगा कि महक की चूत में आगे बढ़ा जा सकता है तो धीरे धीरे वो और अंदर तक जाने लगा.
सधे हुए धक्के और शांत रूप से चल रहे इस सम्भोग में महक को कोई भी असहजता नहीं हुई. हालाँकि उसे मेहुल के इस नियंत्रण पर आश्चर्य और गर्व अवश्य हुआ. वो आनंद के सागर में डूबती उभरती रही और मेहुल अपने लंड को उसकी चूत में एक सतत गति से चलाता रहा. महक के शरीर ने एक झुरझुरी के साथ अपने पहले स्खलन की घोषणा की. मेहुल के लंड ने अपना पूरा लक्ष्य प्राप्त कर लिया था और उसके लंड की ठोकर के साथ ही महक के शरीर ने इसका स्वागत किया था.
मेहुल एक निश्चित योजना के साथ महक को पूरे लौड़े के साथ चोदने लगा, गति भी ऐसी थी कि महक हर कुछ देर में झड़ जाती थी. कई दिनों से इस प्रकार की चुदाई से उसका नाता नहीं रहा था. उसे चुदाई और सम्भोग का अंतर भी समझ आया. जो मेहुल कर रहा था वो सम्भोग था, चुदाई नहीं. मेहुल भी ये जानता था कि दीदी की पहली चुदाई में प्रेम होना आवश्यक था. चुदाई तो इसके बाद भी की जा सकती थी. दोनों भाई बहन इस यात्रा के नए राही थे और दोनों उसका पूर्ण आनंद ले रहे थे.
दोनों भाई बहन इसी प्रकार से प्रगाढ़ प्रेम के साथ सम्भोग में जाने कितनी ही देर लीन रहे. महक को ये सम्भोग सदा के लिए स्मरण रहने वाला था. मेहुल भी इसी प्रकार के भावों में खोया था. अब जिस सरलता और चपलता से उसका लंड महक की चूत में चल रहा था उसका कारण महक की चूत से बहती हुई रस की निरंतर धारा थी. मेहुल भी अब अपने चरम पर पहुंच चुका था और झड़ने की कगार पर था. उसने महक से पूछना आवश्यक नहीं समझा और उसे केवल एक चेतावनी ही दी.
महक ने कोई उत्तर नहीं दिया और इस लम्बी दौड़ के समापन पर मेहुल ने अपना रस महक की चूत में छोड़ दिया. दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और फिर मेहुल महक के साथ लेट गया जहाँ उनके होंठ एक दूसरे से अलग नहीं हुए. फिर एक दूसरे के होंठों के छोड़कर एक दूसरे की आँखों में देखते हुए उनकी मुस्कुराहट ने अपना प्रेम दर्शा दिया.
महक ने पहले बात बोल, “वाओ, मेहुल, तुम तो सच में अद्भुत हो. मुझे तुम्हारे लंड से एक बार भी कोई पीड़ा नहीं हुई.”
मेहुल, “मैंने तो पहले ही कहा था.”
महक: “हाँ. पर अब मुझे अगली बार जोर से जम कर चोदना, मुझे भी तो पता चले कि मेरे भाई के पीछे इतनी स्त्रियाँ क्यों मरती हैं.”
मेहुल: “बिलकुल, दी. जैसा आप चाहो.”