शोनाली का घर:
जब पार्थ घर से ३०० किमी दूर मंत्रीजी के रिसोर्ट में डेविड से बात कर रहा था, उनके घर में सागरिका और निखिल की सगाई का प्रबंध कैसे हो ये चर्चा चल रही थी. क्योंकि ये स्त्री-विशेष कार्य था तो इस समय शोनाली, सुमति, शीला, सुप्रिया और सुरेखा इस में व्यस्त थें. वैसे संजना भी आयी हुई थी, पर वो सागरिका और पारुल के साथ उनके कमरे में थी. संजना उन दोनों बहनों की बातें सुनकर चकित भी थी और कुछ उदास भी. उनकी बातों से ये साफ था कि वे चुदाई के खेल में पारंगत हैं और कई साथियों के साथ चुदाई कर चुकी हैं. और यहाँ वो थी जो अपनी सील टूटने की प्रतीक्षा कर रही थी. पर उसकी माँ ने उसे विश्वास दिलाया था कि वो दिन भी अब दूर नहीं है.
“पारुल, यार, आज शाम की पार्टी का क्या किया है. सात बज रहे हैं, पर मम्मी लोग तो सब दूसरे ही काम में लगी हैं. लगता है इस बार की पार्टी फीकी ही निकलेगी.” सागरिका ने बुझे मन से कहा.
पारुल, “दीदी, तुम चिंता क्यों कर रही हो. पापा ने सुबह ही तो बताया था कि आज उन्होंने और नानाजी ने पार्टी का पूरा बीड़ा उठाया है. कल की नए वर्ष की पार्टी को निखिल, नितिन और सजल आयोजित करेंगे. अब हम सब तैयार हो जाते हैं. संजना, चलो तुम्हे मैं सजाती हूँ.”
संजना को इस बात से बहुत ख़ुशी हुई. उसे इस प्रकार का साथ कभी मिला नहीं था. उसके तीन तीन भाई थे, पर बहन एक भी न थी, पर पारुल और सागरिका उसकी ये कमी पूरी करने का प्रयास कर रही थीं.
सागरिका, “अरे पारुल, दो दिन में दो पार्टी, मजा आएगा. तू जा. संजना को मेरे साथ छोड़ दे. वैसे भी मेरे और इसके नाप में अधिक अंतर नहीं है. और फिर तुझे जितना समय लगता है उतने में तो हम दोनों तैयार हो जाएँगी. कल की पार्टी के लिए संजना को सजाने का काम तेरा. फिर देखेंगे कौन जीतेगा.”
इस बात पर सागरिका और संजना दोनों हंस पड़े और पारुल ने मुंह बनाने का स्वांग किया और अपने कमरे में चली गयी. तभी संजना का फोन बजा. उसकी माँ थी.
“हाँ, मॉम. सागरिका दीदी कह रही हैं कि वो मुझे तैयार करेंगी. आप चलो. वहीँ मिलेंगे.”
सुरेखा भी इस बात पर खुश हुई और स्त्री मंडली पार्टी के लिए उठ गयी.
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सुरेखा को आज की पार्टी का कारण नहीं पता था, उसकी माँ शीला ने उन्हें आज सुबह ही बताया था कि आज उनके घर में पार्टी है और उनका एवं जॉय का परिवार ही होंगे. और कल फिर पार्टी थी, नए साल की. इसे तीनों लड़के आयोजित कर रहे थे. पार्थ के न होने से अन्य तीनों पर अत्यधिक बोझ था. सुरेखा पार्टियों में कई दिनों से नहीं गयी थी. उसके पिता के घर जब पार्टी होती थी, तब वो अवश्य ही जाती थी, पर अब उसे पता चल चुका था कि उन्हें कम ही पार्टियों में बुलाया जाता था. सुप्रिया की बातों से उसे लग रहा था कि ये सामान्य पार्टी नहीं होगी. और इस सोच ने उसकी चूत में खलबली मचाई हुई थी.
घर पर पहुँच कर उसने सजने संवरने में अधिक देर नहीं की. वैसे भी उसकी सुंदरता प्राकृतिक थी, जिस हल्के से मेकअप से ही उभरा जा सकता था. हाँ, उसने अपनी पोशाक चुनने में समय लगाया और पहनने में भी. जब उसने तैयार होकर स्वयं को देखा तो उसे अपने से ही ईर्ष्या हो उठी.
“हम्म्म, अब भी मैं ठीक दिखती हूँ.” उसने स्वयं को सराहा.
“मॉम, आप ठीक नहीं बहुत सुंदर दिखती हो.” सजल ने उसके कमरे के द्वार से ही उसे देखते हुए कहा. “आप अगर लेट न हो रही होतीं, तो मैं एक बार आपकी चुदाई अवश्य करता.”
सुरेखा मन ही मन खुश हो गयी, “पर तुम अभी तक ऐसे क्यों खड़े हो, तैयार नहीं होने क्या?’
“बस मॉम, अभी कपड़े बदलकर आता हूँ, फिर सब साथ चलेंगे. संजना को भी बता देता हूँ.”
“संजना को सागरिका ले कर आएगी, वो उसके ही घर पर है.”
“ओह, ये तो बड़ी अच्छी बात है.”
“हाँ, अब जल्दी कर, फिर हम निकलते हैं.” ये कहते हुए सुरेखा अपने मेकअप को फिर से ठीक करने लगी.
सजल के लौटते ही उसने अपना पर्स लिया और माँ बेटे घर को बंद कर कर सजल के नाना के घर के लिए निकल पड़े.
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सागरिका: “संजना, तुम पहले नहा लो, फिर मैं तुम्हारा मेकअप करूंगी. तब तक तुम्हारे लिए कपड़े निकाल लेती हूँ.”
संजना: “थैंक यू , भाभी.”
ये कहकर संजना बाथरूम में गयी और जल्दी ही नहाकर तौलिया लपेटे हुए बाहर आयी. सागरिका ने उसे देखा तो उसे देखती रह गयी.
“क्या देख रही हो भाभी?”
“तुम सच में बहुत ही अधिक सुंदर हो. ऐसे बेकार कपड़े क्यों पहनती हो जिसमें तुम इतनी साधारण लगती हो. कोई बात नहीं, अब मैं तुम्हारे लिए सारे नए कपड़े लूँगी।”
“अरे नहीं, भाभी. मुझे ये ठीक लगते हैं.”
“भाभी की बात टालोगी?”
संजना ने हाथ डाल दिए. “ओके, भाभी.”
“तुम ये लहँगे वाली ड्रैस पहनो, तब तक मैं भी नहा लेती हूँ.”
संजना ने सागरिका द्वारा दिए कपड़े पहने तब तक सागरिका भी बाहर आ गयी. पर संजना का मुंह खुला ही रह गया. बात ये थी कि सागरिका नंगी ही बाहर आ गयी थी. संजना की ऑंखें सागरिका के अदम्य सौंदर्य से चौंधिया गयीं.
“भाभी आप तो बहुत सुंदर हो. निखिल भैया बहुत भाग्यशाली हैं.” ये कहते हुए संजना की आँखें सागरिका के तराशे हुए शरीर पर फिसल रही थीं. उसकी आँखें सागरिका की चूत के ऊपर ठहरीं जहाँ बाल का एक भी रेशा नहीं था. एकदम स्पॉट और चिकनी चूत को देखकर संजना चकित रह गयी और पूछ बैठी.
“भाभी आपकी चू… पर बाल नहीं हैं?”
“लेसर से निकलवा दिए. तुम्हारी भी ऐसी ही चिकनी करवा दूंगी. मॉम बता रही थीं कि तुमने अच्छा जंगल बनाया हुआ है.”
संजना शर्मा गयी.
“भाभी, मैंने कभी सोचा नहीं इस बारे में.”
“मुझे सासू माँ से पूछना पड़ेगा, उन्होंने भोग के बाद क्यों नहीं करवाया उसे साफ.”
संजना को समझ नहीं पड़ रहा था कि क्या कहे.
सागरिका उसके पास आयी और बोली, “मेरी प्यारी ननद, अब मैं तुम्हारा ध्यान रखूँगी। और एक बात और शर्माना बंद करो.”
संजना को अपनी माँ के द्वारा दिया गया यही पाठ याद आ गया. “ओके, भाभी.”
सागरिका ने संजना को ड्रेसिंग टेबल पर बैठाया और उसका मेकअप करने लगी. जल्दी ही संजना का रूप मानो बदल ही गया. वो स्वयं को ही पहचान नहीं पा रही थी. इसके बाद सागरिका ने उसे उठाया और फिर अपने कपड़े पहने और मेकअप किया. कुछ ही देर में दोनों सुंदरियां पार्टी के लिए तैयार थीं. सागरिका ने संजना का हाथ लिया और कमरे से निकलकर बैठक में आ गयी. वहाँ देखा तो जॉय बैठा था, पर शोनाली, पारुल और सुमति का अता पता नहीं था. जॉय अपनी बेटी को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया और फिर उसने संजना को देखा तो उसका मुंह खुला रह गया. वो उसे पहचान नहीं पाया, वैसे भी वो संजना से एक ही बार मिला था.
“ये कौन है?”
“ओह डैड, आप संजना को नहीं पहचाने?”
“ओह, वाओ. संजना तुम बिलकुल परी लग रही हो.”
“थैंक यू अंकल. ये भाभी का कमाल है.”
“कौन भाभी?” जॉय की बुद्धि काम नहीं कर रही थी.
“डैड, डैड, डैड. मैं इसकी भाभी बनने वाली हूँ. आप भी न.”
जॉय खिसियानी हंसी हंस पड़ा.
“तुम दोनों को देखकर मैं बिलकुल अवाक् हूँ.”
तब तक पारुल, शोनाली और सुमति भी आ गए. जॉय का लौड़ा इन पाँच सुंदर स्त्रियों को देखकर खड़ा हो गया. सभी स्त्रियों ने एक दूसरे की प्रशंसा करते हुए एक दूसरे को हल्के से चूमा. फिर जॉय को देखा तो उसे देखकर लगा कि वो जड़वत है. शोनाली उसके सामने गयी.
“चलिए, हमें बाद में देख लेना. देर हो जाएगी.”
“हाँ, हाँ, चलो, चलो .”
घर बंद करते हुए पहले ये विचार किया कि पैदल जाएँ या कार से, फिर कार से ही जाने में भलाई समझी और ५ मिनट में ही वे सब समर्थ के घर की घंटी बजा रहे थे.
उधर सुप्रिया और उसके दोनों बेटे निखिल और नितिन भी तैयार थे. सुप्रिया ने दोनों को देखा तो उसका मन भर आया. फिर अपने मन को संयत करते हुए उसने कहा, “लगता है आज तुम दोनों मम्मी की अच्छी सेवा करोगे रात भर.”
निखिल ने उत्तर दिया, “पहले तो ये पता नहीं कि नानाजी ने क्या कार्यक्रम बनाया है. उनके और नानी के बीच में इस पार्टी के लिए क्या तय हुआ है, ये वही जानते हैं. तो सम्भव है कि आपकी रात हमारे बीच न बीते बल्कि किसी और के साथ बीते। “
सुप्रिया ने कुछ सोचा फिर कहा, “जो भी हो, कल सुबह तो तुम दोनों मेरी अच्छी चुदाई करोगे ही. अगर जाना न होता तो मैं तो अभी से चुदाई के मूड में हूँ.”
निखिल ने आगे बढ़कर सुप्रिया के दोनों गालों पर हाथ रखा, “मॉम, कोई ऐसा समय बता सकती हो, जब आप चुदाई के मूड में नहीं रहती हो.”
“हट, बदमाश. पर तेरी बात सही है. चलो निकलें.”
कुछ ही देर में वे तीनों भी समर्थ के घर में प्रवेश कर रहे थे. उनके आगे सुरेखा और सजल अंदर गए थे. उन्हें आश्चर्य हुआ कि संजना नहीं आयी, फिर सोचा कि बाद में आएगी. अंदर अब लोग खड़े बातें कर रहे थे. निखिल अपनी भावी पत्नी को ढूंढ रहा था. उसे जब सागरिका दिखी तो उसके साथ एक नयी लड़की को देखकर उसे हैरानी हुई. इस समय उस लड़की को सुरेखा मौसी देखकर कुछ कह रही थीं और उसके चेहरे और माथे को बार बार चूम रही थीं. निखिल उस ओर गया और सागरिका ने उसे देखकर अपनी ४०० वाल्ट की मुस्कुराहट से उसका स्वागत किया. सागरिका की ओर देखकर वो उस लड़की को देखने लगा, कुछ जानी पहचानी सी लगी.
“मौसी, ये कौन है?” उसने सुरेखा से पूछा.
“बूझो तो जानें.” सुरेखा और सागरिका एक साथ बोल पड़ीं.
निखिल ने उस लड़की को देखा और फिर चिल्लाया, “संजू, तू! ओह भगवान! तू कितनी सुंदर लग रही है!” ये कहकर उसने संजना को गले से लगा लिया. संजना भी अपने भाई के सीने से चिपक गयी. निखिल ने उसका माथा चूमकर कहा. “इतनी सुंदर है तू, फिर क्यों झल्ली बनी घूमती है?”
सागरिका: “यही मैंने इससे पूछा था. और मौसी, अब मैं इसके कपड़े और मेकअप का ध्यान रखूंगी. आप कृपया मना मत करना.”
सुरेखा ने सागरिका को बाँहों में ले लिया, “तुम्हारी किसी बात के लिए मैं कभी मना नहीं करूंगी. आज तुमने मेरी संजू के लिए किया है, मैं इसे हमेशा ध्यान में रखूंगी.”
निखिल ने सागरिका से पूछा, “इसे तुमने सजाया है?”
संजना बोल उठी, “हाँ, भैया, ये भाभी का ही जादू है.”
निखिल, “थैंक यू, सग्गू. यू आर वंडरफुल.”
सागरिका, “अरे कुछ नहीं, मेरी इकलौती ननद है. इसके लिए नहीं करूंगी तो किसके लिए करूंगी?”
सभी लोग भावनाओं के सागर में भीग गए. इतने में समर्थ ने सबका ध्यान खींचा। समर्थ की ओर सबकी ऑंखें चली गयीं. इस समय सब अलग अलग खड़े हुए थे.
समर्थ: “सब बैठ जाओ, मुझे और शीला आपको कुछ बताना चाहते हैं.”
बैठक बड़ी होने के बाद भी इतने लोगों के लिए अपर्याप्त थी. पर किसी प्रकार सभी लोग बैठ गए. कुछ लड़कियां अपने पिता की गोद में जा बैठीं और कुछ माताएं अपने बेटों की. सबका ध्यान अब समर्थ और शीला की ओर था. शीला ने इस समय बहुत सरल मेकअप किया था, परन्तु इसमें भी उसका आकर्षण बढ़ा ही था.
समर्थ: “निखिल के विवाह की बात जब से चली है, मैं और शीला अपने विषय में कुछ चिंतन कर रहे हैं. ये जानकर कि हमारे नाती, नातिन विवाह करने वाले हैं, जानकर मन में इतनी प्रसन्नता है कि उसका वर्णन सम्भव नहीं है. पर इसके साथ ये भी आभास है कि अब हमें अपने आप को कुछ गतिविधियों से अलग कर देना चाहिए.”
ये सुनकर सबके चेहरे पर आश्चर्य और उदासी छा गयी.
समर्थ: “चिंता न करो, इनमें वो गतिविधियां नहीं हैं जो हमारे घर का अभिन्न अंग हैं. मैंने ये निश्चय किया है, कि मैं अब अपने बिज़नेस को सुप्रिया और सुरेखा के हाथों सौंप रहा हूँ. मैं उन्हें किसी भी प्रकार की सलाह के लिए अवश्य उबलब्ध रहूँगा, पर अब ये इन दोनों का ही उत्तरदायित्व है. इसके लिए मैंने आवश्यक अनुदेश दे दिए हैं और १ जनवरी से पूर्ण नियंत्रण इन दोनों के पास चला जायेगा. हाँ, मैं वेतन के रूप में कुछ राशि हर माह लूँगा, परन्तु मुझे नहीं लगता कि इसमें किसी को कोई आपत्ति होगी. ये राशि मुझे और शीला को बराबर मिलेगी और जीवन पर्यन्त मिलेगी. हम में से किसी की मृत्यु होने पर पूरी राशि जीवित व्यक्ति को मिलेगी. अगर किन्ही कारणों से कम्पनी किसी और को बेची जाती है, तो उसमें से ३०% भाग हमारा होगा. कल इस आशय के पत्र सुप्रिया और सुरेखा को दे दिए जायेंगे. इसीलिए, मैं निखिल, नितिन और सजल को कल की पार्टी के लिए पहले से धन्यवाद देता हूँ, क्योंकि ये मेरी कम्पनी के भागीदार के रूप में अंतिम होगी.”
सभी समर्थ की इस बात को चुपचाप सुन रहे थे. सुप्रिया और सुरेखा की आँखों से आंसू बह रहे थे.
“कुछ और आवश्यक बदलाव भी मैंने सोचे हैं. जैसा कि तुम सब जानते हो कि परिवार बढ़ रहा है. इसीलिए मैंने अपने बंगले में कुछ और विस्तार करने का निर्णय लिया है. बंगले की पश्चिम दिशा में बढ़ोत्तरी की जाएगी. ठेकेदार के अनुसार इसमें लगभग आठ महीने का समय लगेगा. मेरा ये विचार है, कि उसके समापन पर सुरेखा और सुप्रिया दोनों अपने परिवारों के साथ इसी घर में रहें. वैसे भी तुम लोगों का आधा समय यहीं बीतता है, तो अधिक अंतर नहीं पड़ेगा. तुम दोनों अपने वर्तमान बंगलों का क्या करना चाहते हो, ये तुम्हारा निर्णय रहेगा. पर शीला के अनुसार सुरेखा का घर संजना को दिया जाये जिससे कि वो विवाह के बाद उसमें ही रह सके. अगर उसका विवाह शहर से बाहर हो, तो ये निर्णय बदला जा सकता है. घर के विस्तार का नक्शा जो देखना चाहे वो देख सकता है.”
“अब जैसा कि सब देख सकते हैं, की हमारी बैठक अपने बढ़ते परिवार के लिए छोटी पड़ रही है, इसीलिए इसके लिए भी प्रयोजन किया गया है. पर मैं देख रहा हूँ कि गोदी में बैठने में बहुत सुख मिल रहा है.”
इस बात पर सब हंस पड़े.
“सागरिका और निखिल की अगले सप्ताह सगाई है. और उसके दो दिन बाद मैं और शीला दो माह के विश्व दर्शन पर निकल रहे हैं. इसमें से एक मास हम भारत भृमण करेंगे और शेष विश्व के कुछ और देशों का. मुझे विश्वास है कि इस अवधि में सुप्रिया और सुरेखा को मेरी आवश्यकता कम्पनी के कार्यों के लिए नहीं पड़ेगी. मैं जॉय और सुमति से भी अनुरोध करूंगा कि जहाँ तक सम्भव हो वे भी इन दोनों की सहायता करें. जॉय के वर्षों का अनुभव और सुमति की आंतरिक बुद्धिमत्ता मेरी बेटियों के लिए अमूल्य सिद्ध होगी.”
“अब अगर किसी के मन में कोई प्रश्न हो तो मुझसे, सॉरी, हम दोनों से पूछ सकता है.”
प्रश्न कई थे, पर समर्थ और शीला ने उन सबका शांति और सफलता से उत्तर दिया. इसके बाद सुप्रिया और सुरेखा जाकर दोनों के गले मिलीं. समर्थ ने सुरेखा के कान में कुछ कहा और सुरेखा ने सिर हिलाकर हामी भरी. जॉय ने उठकर समर्थ का हाथ मिलाया. सुमति की आँखों में नमी थी, आज उसके भाई भाभी के सिवाय किसी और ने उसकी प्रशंसा जो की थी. समर्थ ने उसे गले से लगाया और सुरेखा को संकेत किया. सुरेखा ने भी सुमति को गले लगाया और कहा कि १ जनवरी से वो भी उनकी कम्पनी में उन दोनों के साथ काम करेगी. उसका क्या काम रहेगा, इसका निर्णय ये देखकर किया जायेगा कि वो किस कार्य में उत्कृष्ट है.
फिर समर्थ की हुंकार सुनाई दी, “तो अब पार्टी हो जाये!”
समर्थ की इस घोषणा ने सबको एकाएक सक्रिय कर दिया. नितिन, निखिल और सजल ने जल्दी ही व्हिस्की, वाइन और बियर को बार में सजा दिया. उनके संकेत पर पारुल और संजना ने सबसे पूछकर तीनों भाइयों को बता दिया. सागरिका ने आगे बढ़ कर सहायता करनी चाही तो उसे सुप्रिया ने रोक लिया.
“उन्हें करने दो, तुम अब घर की रानी जो बनने जा रही हो.”
“ओह नहीं मॉम, रानी तो नानी, आप और मौसी ही रहेंगीं. मुझे राजकुमारी समझ लीजिये.” ये कहकर सागरिका ने अपनी हँसी से सुप्रिया के दिल के तार गुदगुदा दिए.
शीला ने सुप्रिया के पास आकर उसे कहा तो सागरिका ने भी उनके इस खेल में सम्मिलित होने की इच्छा की. पर शीला ने उसे बताया कि उसके लिए समर्थ ने कुछ अलग सोचा है. और वैसे भी, आज रात लम्बी रहने वाली है. अब जब समर्थ ने अवकाश लेने का संकल्प लिया है, तो उन्हें अब अपने जीवन को नए रंग में जीने का अवसर मिला है.
सबकी ड्रिंक्स हाथ में देने के बाद निखिल ने व्हिस्की ली, और अन्य चारों ने बियर. महिलाओं ने वाइन को चुना. जॉय और समर्थ भी व्हिस्की ही पी रहे थे. घुल मिल कर बातें करते हुए दूसरे राउंड की ड्रिंक्स भी आ गयीं. इतने में रेस्त्रां से खाना भी आ गया. कुछ देर के बाद सबने ड्रिंक समाप्त की और खाने पर जुट गए. खाना कम कैसे नहीं पड़ा ये एक रहस्य ही रहेगा क्योंकि सभी भूखे तो थे ही. खाने के बाद समर्थ ने जॉय को बालकनी में बुलाया. समर्थ ने एक सिगरेट निकाली और जॉय से भी पूछा. जॉय ने एक सिगरेट ली और दोनों सुलगाकर कुछ देर चुप खड़े रहे.
समर्थ: “जॉय, मैंने जो कहा था, उसे गंभीरता से लेना. मैं चाहता हूँ कि मेरी बेटियाँ इस व्यवसाय को और आगे ले जाएँ, पर समाज में स्त्री द्वारा चलाये व्यापार के साथ अधिक धोखा करने का अनुभव है मुझे. मेरी दोनों बेटियाँ कुछ भावुक हैं और इसका लाभ कुछ लोग उठाकर बिज़नेस को हानि पहुंचा सकते हैं. मैं तुमसे निवेदन करता हूँ, कि सेल और पैसे की वसूली की ओर अगर तुम बीच बीच में देखते रहोगे तो किसी भी हानि से बचा जा सकता है. मैं सुमति को इसीलिए भी इसमें मिलाना चाहता हूँ क्योंकि वो बहुत दृढ मन की है, और वो इन दोनों के दयालु स्वभाव की काट के रूप में काम कर सकती है.”
जॉय ने समर्थ को विश्वास दिलाया कि वे इसका ध्यान रखेगा और उसे भी समय समय पर अपने सुझाव भी देता रहेगा.
“वैसे पार्थ ने रूचि आहूजा के साथ जो डील की है तो मैं रूचि को भी आग्रह कर सकता हूँ. मैं उसके पिता और पति से अच्छे से परिचित था. परन्तु उसका मुख्य कार्य ये नहीं है. परन्तु तुम्हारे साथ अगर वो भी ध्यान रखेगी तो सब ठीक चलेगा.”
जॉय ने उसकी बात की सराहना की.
समर्थ: “आज तुम्हें मेरी छोटी बेटी का भी स्वाद चखने मिल सकता है, अगर हम जल्दी अंदर चलें और तुम उस पर पहले हाथ डाल दो. नहीं तो मेरे नाती उस पर लट्टू हैं.”
ये सुनकर जॉय ने तुरंत सिगरेट फेंकी और अंदर चल दिया. समर्थ भी एक छुपी मुस्कान लिए उसके पीछे हो लिया. अंदर खेल आरम्भ तो नहीं हुआ था पर देर भी नहीं थी. जॉय ने सीधे सुरेखा की ओर कदम बढ़ाये. और उसने नितिन को कुछ ही सेकंड से पछाड़ दिया. सुरेखा को देखकर जॉय ने कहा कि वो इतने दिन से उसका साथ पाने के लिए आतुर था, पर अवसर न मिलने के कारण हर बार चूक गया था. तो क्या सुरेखा आज उसके साथ कुछ समय बिताना पसंद करेगी. सुरेखा ने उसके बढ़े हाथ को लिया और हामी भरी. नितिन जो इस आशा में था कि अगर सेटिंग नहीं हुई तो मौसी को वो चोदेगा निराश होकर मुड़ा तो सागरिका से भिड़ गया.
“मेरे प्यारे देवर जी, आज आपको अपनी भाभी की सेवा करनी होगी. आप किसके चक्कर में थे? मौसी को आज मेरे पापा के साथ छोड़ दीजिये न प्लीज.”
सुमति समर्थ के पास जाकर उनके गले लग गयी.
“अपने मेरे ऊपर इतना विश्वास किया है, बाबूजी. मैं इसे कभी नहीं तोडूंगी.”
“मुझे पता है. मेरी दोनों बेटियां लोगों पर बहुत भरोसा कर लेती हैं. अन्यथा वे बहुत चतुर हैं.” समर्थ ने सुमति के नितम्ब पर अपने हाथों से दबाव बनाया और सुमति उनसे और अधिक सट गयी.
सुप्रिया ने संजना को अपने साथ लिया. संजना अपने चारों और बन रहे वातावरण से कुछ अचरज में थी. सुप्रिया ने उसे शीला के सामने लेकर खड़ा कर दिया.
“मम्मी, सम्भालो अपनी नातिन को. ये अब कली से फूल बनने के लिए आतुर है, और मुझे नहीं लगता कि अब इसे अधिक दिन तक रोक पाएंगे. तो आज इसके रस का पान करने का एक अवसर है, सबके लिए. इससे पहले कि पापा इसका कौमर्य लें, आप भी इसका स्वाद ले लो.”
शीला ने प्यार से संजना के चेहरे को हाथ में लेकर कहा, “हाँ, समर्थ बहुत अधीर है इसके लिए. हमारे भृमण पर निकलने के पहले वो इसे अवश्य फूल बना देंगे. और आज इस कच्ची कली का रस में तो पियूँगी ही, पर इसे भी अपना रस पिलाऊँगी। क्यों संजू, नानी का रस तो पिएगी न?”
“जी नानी” इसके अधिक संजना कुछ न कह सकी.
सुप्रिया: “मम्मी, आप इसे सम्भालो, मैं पारुल को देखती हूँ.”
निखिल शोनाली से बात कर रहा था, “तो सासु माँ, क्या मन है आज आपका?”
शोनाली ने उत्तर दिया, “देख रही हूँ कि हम दोनों और सजल ही बचे हैं, तो क्यों न सजल को साथ ले लेते. दोनों मिलकर मुझे चोदो।”
“नेकी और पूछ पूछ.” ये कहकर निखिल ने सजल को पुकारा जो निराश सा एक ओर खड़ा था. निखिल के बुलाने पर उसका चेहरा खिल गया. वो तपाक से पास आ कर खड़ा हो गया.
“मामीजी की इच्छा है कि हम दोनों इनकी एक साथ चुदाई करें. क्या सोचते हो?”
सजल ने तुरंत अपनी स्वीकृति दे दी. अब समस्या यही थी कि किसे कहाँ जाना है. और समर्थ ने इसका विचार पहले ही किया हुआ था.
“मैं और शीला अपने कमरे में जा रहे हैं. सुप्रिया और सुरेखा सुप्रिया के कमरे में जाओ. नितिन और निखिल तुम तीसरे कमरे में जाओ. मैंने रिकॉर्डिंग चला दी है. बाद में हम सब देखेंगे. किसी को कोई आपत्ति?”
इसका कोई प्रश्न ही नहीं था. शीला और समर्थ संजना और सुमति को लेकर अपने कमरे में चले गए. सुप्रिया और सुरेखा पारुल और जॉय को अपने कमरे में, और नितिन, निखिल और सजल शोनाली और सागरिका को लेकर अपने कमरे में चले गए.
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समर्थ और शीला:
कमरा बंद होते ही समर्थ ने सुमति को खींचा और उसे चूमते हुए उसके ब्लॉउस के हुक खोल दिए. उधर शीला संजना को लेकर बिस्तर पर बैठी और उसका चेहरा उठाकर चूमने लगी.
“बहुत मीठी है तू संजना, बहुत प्यारी. सदा ऐसे ही रहना बिटिया.” शीला ने उसे एक बार फिर चूमा और अपने गले का हार उतारकर संजना को पहनाया. “अब तू और भी अधिक सुंदर लग रही है. जाकर देख तो अपने आप को.”
संजना तुरंत उठकर शीशे में अपने आप को देखने लगी. सगारिका द्वारा किया गया मेकअप, सुंदर पोशाक और गले में ये कीमती हार, सच में उसकी सुंदरता को अद्वितीय बना रहे थे. कई मिनट तक वो स्वयं को भिन्न भिन्न कोणों से निहारती रही. फिर उसने प्रतिबिम्ब में नानी को पीछे खड़े होते देखा.
“सुंदर लग रही है न?”
“जी नानी, थैंक यू.” ये कहते हुए संजना पीछे मुड़ी तो चौंक गयी. उसकी नानी ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अब वो नंगी ही संजना के सामने खड़ी थी. संजना ने उनके शरीर को एक बार देखा.
“नानी, आप भी बहुत सुंदर हो. तभी मम्मी, मौसी और मैं भी ऐसी हैं.”
“चल झूठी, इस बुढ़िया को मक्खन लगा रही है.”
“नहीं माँ जी, सच बोल रही है.” ये सुमति ने कहा था.
संजना ने उस ओर देखा तो उसने सुमति को भी नंगा पाया. और वो अपने घुटनों के बल थी और उसके मुंह के सामने नाना का विशाल लंड तना खड़ा था. संजना नाना के लंड को देखकर अचम्भित हो गयी. अब तक उसने केवल सजल का ही लंड देखा था, जो उसे बड़ा लगता था, पर नाना का लंड तो सजल से भी बड़ा था. अधिक नहीं, पर बड़ा अवश्य था.
“चल आ, बस अब तू ही रह गयी है अपने कपड़ों में, तुझे तो मैं अपने हाथ से नंगा करूंगी.”
ये कहते हुए शीला बारी बारी से संजना के वस्त्र उतारकर एक ओर अच्छे से रखने लगी.
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सुप्रिया और सुरेखा:
दोनों बहनें बाप बेटी (जॉय और पारुल) के साथ सुप्रिया के कमरे में आ गए. वैसे तो एक कमरा सुरेखा का भी था, पर वो वहाँ कम हो रूकती थी. इसीलिए इतना व्यवस्थित भी नहीं था, पर अब समर्थ की घोषणा के बाद इस विषय में भी कुछ करना होगा. कमरे के अंदर आने के बाद जॉय ने एक ड्रिंक मांगी. सुप्रिया ने उसे उसकी ड्रिंक बनाकर दी. पारुल जो घरेलू चुदाई की अभ्यस्त थी, उसके पिता की ड्रिंक बनते समय ही अपने कपड़े उतार कर सोफे पर बैठ गयी थी. सुरेखा ने उसे इतनी सरलता से निर्वस्त्र होते देखा तो आश्चर्य किया, पर अब वो अपने परिवार में भी व्यभिचार के दर्शन कर चुकी थी, इसीलिए उसने इसे सहर्ष स्वीकार किया.
जॉय के हाथों में उसकी ड्रिंक देकर सुप्रिया ने उसके होंठ चूमे, “मेरी बहन का अच्छा ध्यान रखना समधी जी.”
जॉय ने उसे विश्वास दिलाया कि वो अपनी ओर से कोई कमी नहीं छोड़ेगा. सुप्रिया ने पारुल को देखा जो पहले ही नंगी हुई बैठी थी.
“वाह, बहुत सुंदर और स्वादिष्ट.”
पारुल की नमी से भीगी पारुल की चूत की ओर देखकर सुप्रिया के मुंह में पानी आ गया. उसने भी अपने कपड़े उतारने में अधिक देर न की. और जब तक वो नंगी होकर पारुल के आगे खड़ी हुई, जॉय और सुरेखा भी अपने बंधनों से मुक्त हो चुके थे. जॉय ने सुरेखा को अपनी बाँहों में लेकर एक गहरा चुंबन दिया. सुरेखा इस चुंबन में खो सी गयी और जॉय के सीने से लगकर खड़ी हो गयी. पर जॉय का मन अभी नहीं भरा था. वो सुरेखा का चेहरा उठाकर फिर से उसे चूमने लगा और इस बार सुरेखा ने उसका पूरा साथ दिया. एक दूसरे के चुंबन में खोये इन दोनों को अब कमरे में उपस्थित अन्य दो व्यक्तियों का भान ही नहीं था.
“मुझे तुम्हारी चूत का स्वाद लेना है.” सुप्रिया ने पारुल से कहा.
“और मुझे आपकी.” पारुल ने उत्तर दिया.
“तो फिर समय नष्ट करने का कोई अर्थ नहीं. तुम नीचे या मैं?”
“जैसा आप चाहो.”
“हम्म, ठीक है, तुम नीचे लेटो.”
ये कहते हुए पारुल को बिस्तर पर लिटाकर सुप्रिया ने अपनी चूत उसके मुंह पर रखी और फिर आगे झुकते हुए पारुल की पसीजी चूत पर अपनी जीभ फिराई। उसने पारुल के शरीर में एक कम्पन अनुभव किया और अगले ही पल उसके शरीर में भी वही कम्पन हुआ जब पारुल की जीभ ने उसकी चूत पर अपनी जीभ चलाई. जॉय ने सुरेखा से अपना चुंबन तोड़ा और उसे बिस्तर पर बैठकर उसके दोनों पांव फैला दिए. सुरेखा ने भी जॉय का आशय समझते हुए अपनी जांघें और फैला दीं. जॉय ने उसके जांघों को चूमते हुए उनपर बारी बारी अपनी जीभ चलाई. सुरेखा के शरीर में बिजली सी कौंध गयी. हल्के हल्के जाँघों को चूमते हुए जॉय ने सुरेखा की चूत के ऊपर अपना मुंह जोड़ा और गहरे चुसाव के साथ चूत को चूस लिया. सुरेखा की साँस रुक गयी. ऐसा उसने पहले कभी भी अनुभव नहीं किया था. जॉय ने अब बिना रुके उसकी चूत के चारों ओर और अंदर अपनी जीभ को चलाया तो सुरेखा का मन विव्हल हो गया.
इस समय दोनों बहनों की चूत को बाप बेटी चूसने चाटने में लगे थे. पर पायल भी सुप्रिया की चूत पी रही थी, जबकि सुरेखा का मुंह खाली था. सुरेखा ने इसे ठीक करने के लिए जॉय से कहा कि वो भी उसे अपने लंड चूसने के लिए दे. सुरेखा बिस्तर पर लेटी और जॉय ने ऊपर से अपने लंड को उसके चेहरे के सामने लहराया. सुरेखा ने हाथ में लेकर उसे अपने मुंह में लिया और जॉय ने आगे झुकते हुए सुरेखा की चूत का सेवन पुनः आरम्भ कर दिया.
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शोनाली और सागरिका:
शोनाली अपनी बेटी सागरिका, अपने होने वाले दामाद निखिल और उसके दोनों भाइयों के साथ तीसरे शयनकक्ष में प्रविष्ट हुई. उसके पीछे चल रहे तीनों भाई उसके उचकते कूल्हों को देखकर मंत्रमुग्ध थे. शोनाली भी उन्हें कुछ अधिक ही उछालते हुए चल रही थी. सागरिका के ऊपर तो मानो किसी का ध्यान ही नहीं था. अगर सागरिका की ऑंखें पीछे देख पातीं तो उसे अवश्य ईर्ष्या होती, अपनी माँ से. पर सृष्टि की रचना ऐसी नहीं है. कमरे में अंत में सजल ने कदम रखा और दरवाजे को बंद कर दिया.
शोनाली: “ओके, देखो, अब हम सब यहां हैं, तो मैं सीधी बात कहती हूँ. मुझे तीनों के लंड चाहिए, एक साथ. ऐसा किये हुए मुझे बहुत समय हो चुका है, और मैं इस अवसर को खोना नहीं चाहूंगी. सागरिका, तुम क्या चाहती हो?”
सागरिका: “मॉम, आप ने तो मेरे दिल की बात छीन ली. मैं भी यही चाहती थी. पर क्योंकि सजल हमसे पहली बार मिला है, तो मैं उससे जानना चाहूंगी कि वो क्या चाहता है. पहले आप या मैं?” सागरिका अपने कपड़े निकाल रही थी और उसकी सुंदरता को देखकर सजल ठगा सा खड़ा था.
शोनाली: “क्यों न हम उसे दिखा दें कि उसे क्या मिलने वाला है, जिससे उसे निर्णय में कठिनाई न हो.” शोनाली ने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे किया और फिर उसे उतारने लगी.
सजल इन दोनों को देखकर विस्मित था. किसे चुने? इसका समाधान उसके बड़े भाई निखिल ने कर दिया.
निखिल: “मैं तो कहूंगा कि आप दोनों को सजल का लंड पहले अपनी चूत में लेना चाहिए. जब तक वो ऐसा नहीं करेगा, हम दोनों आपको छुएँगे भी नहीं. और फिर उसके बाद हम दोनों भी आपकी चुदाई करेंगे, जैसा आप चाहती हो.”
सजल ये सुनकर खुश हो गया. उसे उसके मन की इच्छा पूरी होते दिखी. “हाँ ये ठीक है. पर पहले आंटी।”
शोनाली ने सागरिका की ओर विजयी मुस्कान के साथ देखा. सागरिका ने उसे देखा और मुस्कुराई.
“मॉम, आप अगर ये सोचकर इतरा रही हो कि सजल पहले आपको चोदने वाला है, तो मैं आपको ये बता देती हूँ कि मैं भी सजल से अपनी गांड पहले मरवाऊँगी उसके बाद इन दोनों को छूने दूँगी.”
अब तो सजल की ख़ुशी की सीमा ही नहीं रही. न केवल उसे शोनाली की चूत मिलने वाली थी, बल्कि उसकी होने वाली भाभी उससे गांड भी मरवाने के लिए तैयार थी.
निखिल: “लगता है छोटे भाई, आज तेरी बहुत अधिक माँग है. चल आगे बढ़ और मम्मी जी को चोद, हम तेरा साथ देने के लिए जल्दी ही आते हैं.”
नितिन अब तक बिना कुछ बोले नंगा हो ही चुका था. निखिल ने भी अपने कपड़े उतार दिए. सजल के हाथ अपने कपड़े उतारते हुए कांप रहे थे, तो सागरिका ने आगे बढ़ते हुए उसका साथ दिया और जल्दी ही वो भी नंगा था.
नितिन ने उसे देखकर सीटी बजाई, “भाई अब छोटा नहीं रह गया.”
और सच में सजल का खड़ा लंड गर्व से तन कर खड़ा था. शोनाली भी उसके लंड को प्यासी आँखों से देख रही थी. फिर वो आगे बढ़ी.
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समर्थ और शीला:
शीला ने जब संजना के नंगे शरीर को देखा तो उसे ईर्ष्या सी हुई. जवानी की अनछुई कली थी संजना. एक समय शीला भी ऐसी ही दिखती थी. पर आयु ने उसके शरीर को ढाल दिया था. कसे हुए कटाव, चिकनी त्वचा, कहीं भी किसी सिलवट का नामोनिशान नहीं था उसकी नातिन के शरीर पर. उसे प्यार से बिस्तर पर लिटाते हुए वो संजना की आँखों में देख रही थी. पर उसे वहां वासना नहीं बल्कि शीला के प्रति अपार प्रेम और समर्पण दिख रहा था. संजना के भोलेपन पर शीला का भी प्रेम उमड़ पड़ा. वो संजना के चेहरे को हाथों में लेकर चूमने लगी. उसके चेहरे का कोई भी रोम नहीं था जिसे शीला ने नहीं चूमा. संजना केवल अपनी नानी के इस प्रगाढ़ प्रेम को प्राप्त कर रही थी. बिना कुछ कहे. शांत.
पर समर्थ को ये सब दिख रहा था और उसने शीला के इस प्रेम को समझा. उसे संजना के यौवन में शीला की जवानी याद आ गयी. सुमति इन सबसे अनिभिज्ञ समर्थ के लंड को चाटकर अपने लिए खड़ा करने में लगी थी. पर उसे अन्य लोगों की भी चिंता थी. किसी को याद भी रहेगा कि नहीं उसके प्रोटीन का डोस का. उसे विश्वास था कि अन्य कमरों में जब गांड में माल छोड़ा जायेगा तो उसके लिए सहेजा जायेगा. उसके मुंह में पानी आ गया और ये पानी समर्थ के लंड के ऊपर बहने लगा.
शीला बिस्तर पर लेटी अपनी नातिन संजना के शरीर को ऊपर से चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ रही थी. उसकी गर्दन, मम्मे, पेट, नाभि को चूमते हुए वो अपने गंतव्य की ओर आ रही थी. शीला के मुंह और जीभ के कभी हल्के और कभी गहरे स्पर्श से संजना आनंद से दूभर हो चुकी थी. उसकी मौसी और माँ के साथ किये सहवास ने उसे आगे आने वाले सुख की कल्पना तो करा ही दी थी, पर नानी जिस प्रकार उसके शरीर को पूज रही थीं, वो उसके लिए एकदम नया अनुभव था. उसकी अब तक अक्षत योनि पसीज गयी थी. हालाँकि उससे रस की वृष्टि तो नहीं हो रही थी, पर उसे अपनी चूत में कुछ नयी संवेदना अवश्य हो रही थी.
“नानी, आप क्या कर रही हो. ओह, नानी. मुझे क्या हो रहा है. मेरा शरीर जल रहा है. प्लीज नानी. आपने क्या किया है. मुझे कुछ हो रहा है. नानी.” वो बोले जा रही थी.
शीला उसके इस उद्गार समझ रही थी, और रुकने का उसका कोई भी आशय नहीं था. वो अपने लक्ष्य के निकट पहुँच चुकी थी. उसके अपनी उँगलियों से संजना की कच्ची चूत की पंखुड़ियाँ छेड़ीं तो संजना सिहर गयी. पंखुड़ियों को अलग करते हुए शीला ने उनकी अंदरूनी त्वचा को सहलाया तो संजना की चूत ने रस छोड़ दिया. शीला ने अपनी उँगलियों को अपने मुंह में लिया और प्रथम रिसाव को चखा. अद्भुत स्वाद और सुगंध ने उसके मुंह और नाक को विह्वल कर दिया.
उसने समर्थ की ओर देखा जो उसे ही देख रहा था. आँखों के संकेत से उसे बुलाकर शीला ने संजना की चूत के रस से अपनी उँगलियाँ भिगोयीं. समर्थ ने सुमति को प्यार से हटाते हुए शीला की उँगलियाँ चाटीं। और उसे भी शीला का ही अनुभव हुआ. ये स्वाद बस अब कुछ ही दिनों के लिए थे. कुछ ही दिनों के अंदर वो अपनी नातिन के कौमार्य को भंग जो करने वाला था. अब तक सुमति भी आ गयी और शीला ने उसे भी संजना का स्वाद चखाया. इसके बाद समर्थ और सुमति अपने कार्य में व्यस्त हो गए और शीला के होंठ संजना की चूत को पहुंच गए.
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सुप्रिया और सुरेखा:
हालाँकि सुप्रिया अन्य लोगों की उपस्थिति में इस प्रकार से कई बार चुदाई कर चुकी थी, पर सुरेखा के लिए ये एक प्रकार से पहला ही अवसर था. उसने अब तक केवल अपने सगे परिवार के साथ ही ऐसा किया था, परन्तु आज पहली बार उसे किसी अन्य परिवार के साथ ऐसा अवसर मिला था. पहले वो कुछ झिझक रही थी, पर उसने सुप्रिया को देखा जो बिना किसी चिंता के पारुल पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किये हुए थी. उसने भी केवल जॉय के बारे में ही सोचने का निश्चय किया और इसी कारण अब वो जॉय के लंड को पूरे मन से चूस रही थी और जॉय के द्वारा उसकी चूत को मिलते सुख को भी अनुभूत कर रही थी.
जॉय अपने पूरे अनुभव को अपनी समधन की बहन की चूत को चाटने में झोंक दे रहा था. और उसे इसका प्रत्याशित फल भी मिल रहा था. सुरेखा की चूत अब खिल चुकी थी और उसे अपनी जीभ से उसकी अंदर की गहराइयों को छूने में कोई अधिक प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ रहा था. सुरेखा की चूत भी पर्याप्त मात्रा में अपना कामरस छोड़कर उसकी जीभ और उँगलियों का भरपूर स्वागत कर रही थी. उँगलियों से चूत को खोलकर जॉय अपनी जीभ से उसे अंदर और बाहर चाट रहा था. सुरेखा भी उसी तन्मयता से जॉय के लंड को चूस रही थी. ये उसके पति और परिवार के बाहर का पहला लंड जो था, और वो इसका पूरा आनंद लेना चाहती थी.
पारुल इस आयु में भी चुदाई में पूरी निपुण थी. और इसका श्रेय उसके घर की महिलाओं को जाता था. उसकी माँ शोनाली, बुआ सुमति और बहन सागरिका ने उसे पुरुष और स्त्री दोनों के साथ सम्भोग में पूर्ण रूप से पारंगत कर दिया था. सुप्रिया की अपने चेहरे पर उपस्थित चूत को वो बड़े ही प्रेम से चाट रही थी. हालाँकि सुप्रिया की चूत बहुत खुली हुई थी, क्योंकि उसकी चुदाई अच्छे बड़े लौंड़ों से होती थी, और बहुत समय से हो रही थी, परन्तु पारुल को इसके कारण अपनी जीभ को अंदर तक डालने में कोई भी व्यवधान नहीं आ रहा था. सुप्रिया भी अपनी गांड मटका कर उसके मुंह पर अपनी चूत को रह रह कर रगड़ देती थी. और जब वो ऐसा करती तो पारुल भी प्रतिउत्तर में अपनी गांड हिलती और सुप्रिया को उसकी चूत में अपने मुंह को लगाए रखने में कुछ प्रयास करना पड़ता था. पर दोनों एक दूसरे के साथ इस खेल का पूरा आनंद ले रही थीं.
सुरेखा की इच्छा अब चुदने की थी और उसने जॉय को इस बात के लिए संकेत किया. जॉय भी अब चुदाई के ही मूड में था, वो अपना पहला रस सुरेखा के मुंह में उसकी चूत के रस के साथ मिलाकर छोड़ना चाहता था. उसने पलटकर सुरेखा की टाँगों के बीच अपना स्थान बनाया और अपने लंड को उसकी स्पंदन करती चूत के मुहाने पर रखा. उसने सुरेखा को देखा तो उसकी दृष्टि भी उन दोनों के समागम के क्षेत्र पर ही टिकी थीं और उसके चेहरे पर प्रसन्नता और आत्मीयता के भाव थे.
सुरेखा की आँखों में देखते हुए जॉय ने अपने लंड को उसकी चूत में डालते हुए दबाव बनाये रखा. वो सुरेखा के चेहरे के बदलते भावों को पढ़ने का प्रयास कर रहा था. सुरेखा की मुस्कान, जैसे पल भर के लिए हटी, फिर दोबारा उसके चेहरे को सजाने लगी. उसके चेहरे पर आनंद और आश्चर्य के भाव थे. सुख की अनुभूति थी. जब जॉय के लंड ने पूरा रास्ता तय कर लिया तो वो भाव एक संतुष्टि के थे, जैसे किसी रिक्त स्थान और इच्छा की पूर्ति हो गयी हो.
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शोनाली और सागरिका:
शोनाली ने सजल के लंड पर से आँख हटाए बिना सधे कदमों से बढ़ते हुए उसके लंड को हाथ में थाम लिया. लंड उसके हाथ में फुदकने लगा. शोनाली के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखर गयी.
“लगता है मुझे देखकर खुश हो रहा है.” शोनाली ने कहा.
सागरिका भी सजल के लंड पर आँखें गढ़ाए थी. जब शोनाली के हाथ में सजल का लंड मचला तो सागरिका की गांड में भी कुछ खलबली सी हुई. पर उसे पता था कि अभी उसकी गांड की खुजली मिटाने में समय लगेगा. परन्तु उसे एक नए लंड को अपनी गांड में लेने की कल्पना से ही उत्तेजना हो रही थी. निखिल उसके चेहरे के भाव देखकर समझ गया कि उसके मन में क्या है.
“थोड़ा रुको, जान. फिर तुम्हारी गांड में ये जायेगा, जैसा कि तुम चाहती हो.”
सागरिका ने निखिल को देखा और मुस्कुराते हुए सिर हिलाया.
शोनाली अब सजल के लंड को अपने हाथ में लिए हुए सहला रही थी. सजल का लंड इससे अधिक तन नहीं सकता था और उसे कुछ पीड़ा सी हो रही थी. शोनाली ने उसका दर्द समझा और उसे बिस्तर के कोने पर बैठाया और उसके सामने बैठते हुए उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया. सजल के मुंह से एक सिसकी निकली. तीनों दर्शक सामने चल रहे दृश्य को उत्सुकता से देख रहे थे. इनमें से किसी ने सजल को पहले इस रूप में नहीं देखा था.
निखिल और नितिन अपने इस भाई के पराक्रम को देखने और उसकी सफलता की कामना कर रहे थे. वहीं सागरिका अपनी माँ को कुछ स्त्री सुलभ ईर्ष्या के साथ देख रही थी. फिर उसने ये सोचकर अपना मन मनाया कि सजल गांड तो पहले उसकी ही मारेगा। शोनाली के प्रतिष्ठित लंड चूसने की प्रतिभा का इस समय सजल पूरा आनंद ले रहा था. उसे ये आभास हुआ कि शोनाली उसकी माँ से इस कला में कोसों आगे है. उनकी जीभ जिस प्रकार से उसके टोपे पर नाच रही थी वो अपने आप में ही अविस्मरणीय था. उनका लंड को अपने मुंह में लेना, चूसना, निगलना और फिर बाहर निकाल देना, सब किसी कलाकार की सिद्धि का प्रारूप थे.
उसके लंड को मन भर चूसने के बाद शोनाली खड़ी हुई. सजल के सामने उसकी चूत बहार बिखेर रही थी. सजल ने अपना हाथ बढाकर उसकी चूत को छुआ और उसकी उँगलियों में शोनाली का रस आ गया. उसने अपनी ऊँगली सूंघने के बाद उसे अपने मुंह में लेकर चाट लिया. निखिल और नितिन ने ताली बजाकर उसके उस कार्य की सराहना की तो सागरिका ने भी उनका साथ दिया. उनके इस प्रोत्साहन से सजल को आगे बढ़ने का साहस हुआ और उसने शोनाली को अपनी ओर खींचकर उसकी चूत में अपना मुंह लगा दिया. फिर वो शोनाली की चूत को कुत्ते के समान चाटने लगा. शोनाली केवल ऊह आह ही करती रह गयी और सजल अपनी प्यास उसकी चूत से बुझाता रहा.
शोनाली को खड़ा रहना कुछ असहज लग रहा था तो उसने सजल के सिर को प्यार से थपथपाया और फिर हटाते हुए बिस्तर पर जा लेटी। अपने पाँव फैलाते हुए उसने सजल को उसकी चूत के सेवन करने का निमंत्रण दिया. इस बार सजल ने कुछ संयम से काम लिया और अपनी माँ के सिखाये अनुसार शोनाली की चूत का भोग लगाने में जुट गया.
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समर्थ और शीला:
समर्थ ने सुमति के कान में धीरे से फुसफुसाया: “किस किस की गांड से रस पीना है आज?”
सुमति के शरीर में रोमांच दौड़ गया, उसने काँपते शब्दों में कहा, “जिस जिस की सम्भव हो.”
“सबको तुम्हारा ये व्यसन पता है. और मैनें लड़कों को भी बता दिया है. तो तुम्हारा बुलावा आएगा जैसे ही वे गांड मारना आरम्भ करेंगे. तुम्हें इतना समय मिलेगा कि जाकर अपनी इच्छा पूरी कर सको. जॉय से मैंने कुछ नहीं कहा, पर सुप्रिया को बता दिया है.”
“थैंक यू” सुमति ने उनका आभार व्यक्त किया.
“अब लंड चुसाई बहुत हो गयी आओ अब तुम्हारी चूत को थोड़ा आनंद दें, उसके बाद तुम्हारी गांड की बारी रहेगी.” समर्थ ने उसे और उत्तेजित करने के लिए बताया. “वैसे चाहो तो शीला की गांड भी मार लूंगा तुम्हारे लिए, पर उसके पहले मुझे लगता है तुम्हें दूसरों कमरों का बुलावा आ जायेगा.”
समर्थ ने फिर उठकर सुमति को बिस्तर पर लिटाया और स्वयं जाकर टीवी ऑन करते हुए अन्य कमरों में लगे कैमरों पर लगा दिया. दो कमरों के दृश्य अब टीवी पर चल रहे थे. पर समर्थ ने टीवी को मौन कर दिया. वो इस कमरे के आनंद में विघ्न नहीं डालना चाहता था. सुमति समर्थ को प्यासी दृष्टि से देख रही थी और अपनी टाँगे चौड़ी करते हुए समर्थ द्वारा उसकी चुदाई का निमंत्रण दे रही थी. समर्थ ने उसकी भी न बुझने वाली प्यास को समझा और उसकी टॉँगों के बीच बैठकर अपने लंड को उसकी चूत पर रखते हुए एक लम्बा धक्का मारा. सुमति की चूत को चीरता हुआ उसका लंड अंदर जड़ तक समा गया. सुमति ने आनंद भरी एक सिसकारी ली. और समर्थ को अपने ऊपर खींचकर उसके होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए.
उसकी सिसकारी सुनकर संजना का ध्यान उस ओर गया और उसने अपने नाना को सुमति की चूत के अंदर लंड डाले हुए देखा. न जाने कब मेरी भी चूत का उद्घाटन होगा. नाना और सुमति के चुंबन और नाना के इस आयु में भी गठे शरीर के संचार को देखकर वो प्रभावित थी. उसके आनंद को चार चाँद लगाने में उसकी नानी भी अपना योगदान दे रही थी. शीला ने अपने शरीर को ऐसे कोण में कर लिया था जहाँ से वो समर्थ और सुमति की चुदाई को देख सकती थी, वहीं वो अपनी प्यारी कमसिन नातिन की चूत का भी भरपूर सेवन कर सकती थी.
उसकी उँगलियों से उन मासूम पंखुड़ियों को एक दूसरे से दूर कर दिया था और उसे संजना की बुर के अंदर की गुलाबी त्वचा दिख रही थी. बस कुछ ही दिनों में इसका रंग गुलाबी नहीं रहेगा, कुछ लालिमा ले लेगा. और जब तक वो अपने भृमण से लौटेंगे, तब तक न जाने कितनी लाल हो चुकी होगी. शीला की जीभ अब संजना की चूत के चारों ओर के मखमली क्षेत्र को चाट रही थी. संजना की चूत से उठती हुई कौमार्य की सुगंध उसे एक नए नशे का आभास करा रही थी. चूत के आसपास चाटते हुए वो शनैः शनैः संजना की चूत की ओर बढ़ रही थी.
संजना की चूत पर जैसे ही शीला की जीभ लगी, संजना झड़ गयी. और बहते हुए रस को शीला चाटने लगी जैसे कोई कुतिया पानी पीती है. और फिर उसने अमृत को पीने के बाद अपनी उँगलियों से संजना को चूत को खोला और अपनी जीभ से उसके अंदर चाटने लगी. संजना की चूत की लुभावनी सुगंध उसके नथुनों में बस गयी. वो कभी प्यार तो कभी प्यास के साथ संजना की चूत को चाट रही थी. समर्थ का लंड अपनी यात्रा में सतत आगे बढ़ रहा था. सुमति की चूत में उसका लंड बड़ी सरलता से अंदर बाहर हो रहा था. सुमति की चूत भी अपना पानी छोड़कर उसके रास्ते को सुगम बना रही थी. लम्बे शक्तिशाली धक्कों से सुमति की चूत को चोदते हुए समर्थ किसी भी प्रकार की दया नहीं दिखा रहा था. सुमति वैसे भी इसी प्रकार की चुदाई की इच्छा रखती थी. समर्थ का लंड उसकी प्यासी चूत में खलबली मचा रहा था.
उसे इस बात का भी आभास था कि अब उसके भाई जॉय और उसके बेटे पार्थ के साथ उसे अब चार और लंड मिले थे. समर्थ, निखिल, नितिन और सजल. वो सजल के रस को पीने के लिए उतावली थी, एक बार सीधे उसके लंड से और एक बार उस गांड से जिसमे सजल अपना रस छोड़े। चूत में जो आनंद आ रहा था उसके साथ ही इन विचारों ने उसकी गांड में भी एक खुजली उत्पन्न कर दी. उसने एक हाथ पीछे करते हुए अपनी गांड को एक ऊँगली से टटोला और उसमे अपनी ऊँगली डाल दी.
“मैं सहायता करता हूँ.” ये कहकर समर्थ ने उसके हाथ को हटाकर अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी.
सुमति की पतली ऊँगली की तुलना में समर्थ की ऊँगली मोटी थी और सुमति की सिसकारी निकल गयी. समर्थ उसकी चूत में अपने लंड को चलाते हुए उसकी गांड में भी ऊँगली अंदर बाहर करने लगा. सुमति का शरीर ढीला पड़ गया और उसकी चूत से रस की धार बह निकली. वो बिस्तर पर शिथिल सी पड़ गयी. समर्थ ने अपने लंड को उसकी चूत से निकाला और अपनी ऊँगली को गांड में से निकालकर उसकी गांड का निरीक्षण किया. उसकी ऊँगली के प्रताप से गांड का छेद खुला हुआ था और उसे आमंत्रित कर रहा था. समर्थ ने एक गहरी साँस ली और अपने लंड का टोपा सुमति की गांड पर रख दिया.
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सुप्रिया और सुरेखा:
जॉय सुरेखा के चेहरे पर छाए आनंद के भावों को देखकर गर्व कर रहा था. हालाँकि वो मानसिक रूप से एक शक्तिशाली पुरुष था, परन्तु कुछ दिनों से उसे इस परिवार के सम्पर्क में आकर शारीरिक हीनता का आभास हो रहा था. जीवन का चक्र भी कुछ इस गति से चल रहा था कि वो इस बारे में अधिक कुछ सोच नहीं पा रहा था. उसे लग रहा था कि पार्थ, और सिंह परिवार के पुरुषों की तुलना में वो कम बैठता है. परन्तु सुरेखा के भावों को देखकर उसे अपनी इस हीनता से मुक्ति सी मिल गई।
सुरेखा ने अपने पाँव जॉय की पीठ पर लपेट लिया और उसे और तेज चुदाई के लिए उत्साहित करने लगी. जॉय को इसमें कोई कठिनाई न थी और वो अब सुरेखा के गहरे, लम्बे और तीव्र धक्कों से चोदने में लग गया. सुरेखा भी अपनी इस चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी. अपने परिवार के बाहर ये उसका किसी अन्य पुरुष के साथ पहला अवसर था और उसे इसमें बहुत सुख मिल रहा था.
दूसरी ओर पारुल और सुप्रिया एक दूसरे की चूत में अपनी उँगलियों, जीभ और अंगूठों से भिड़ी हुई थीं. एक दूसरे को खाने के लिए लालयित ये दोनों चूत को अंदर तक न केवल चाट रही थीं, बल्कि अब दो उँगलियों से चोद भी रही थीं. स्त्री समलैंगिक सहवास के आनंद से ये दोनों भलीभांति परिचित थीं और एक स्त्री को दूसरी से क्या इच्छा होती है, ये जानते हुए एक दूसरे की संतुष्टि का प्रयास कर रही थीं. सुप्रिया जो ऊपर थी, उसने पारुल की गांड के नीचे से अपनी एक ऊँगली को पारुल की तंग गांड में डाला तो पारुल ने तुरंत अपनी गांड को ऊँचा उठाकर सुप्रिया के लिए राह सहज कर दी. सुप्रिया ने गांड से ऊँगली निकाली, और फिर पारुल की चूत में डालते हुए अपने मुंह से चाटी और फिर से पारुल की गांड में पेल दी. इस बार उसने ऊँगली को पहले से अधिक अंदर धकेला था.
पारुल भी कौन सी पीछे रहने वाली थी. उसके लिए तो सुप्रिया का पूरा पिछवाड़ा खुला हुआ था, पर एक ही समस्या थी कि उसके हाथ हटाने से सुप्रिया की चूत उसके मुंह पर बैठकर उसकी साँसे रोक सकती थीं. उसने फिर भी एक प्रयास का अवसर लेने का निर्णय लिया और दाएं हाथ से सुप्रिया को पकड़े हुए बाएं हाथ से सुप्रिया की गांड के छेद को टटोला. छेद मिलते ही उसने अपनी एक ऊँगली गांड में डाल दी. सुप्रिया इस खेल की पुरानी खिलाडी थी. वो समझ गयी कि अब उसे अपनी चूत को पारुल के मुंह पर अपने ही बलबूते रखना है, तो उसने आसान में कुछ बदलाव किया जिसके कारण अब वो पारुल के हाथों के सहारे के बिना भी चूत चटवा सकती थी. पारुल के मन में सुप्रिया के प्रति आदर और बढ़ गया. और उसने सुप्रिया की गांड में अपनी ऊँगली की गति को अपना सम्मान दिखाने के लिए बढ़ा दिया.
जॉय सुरेखा की चुदाई अब पूरी तन्मयता और अपनी शक्ति के अनुसार कर रहा था. उसकी आँखें उसके साथ चल रहे पारुल और सुप्रिया के प्रेमालाप पर भी जा रही थीं. हालाँकि वो अपनी बेटी पारुल को देख नहीं पा रहा था पर उसे पारुल पर भी गर्व था कि वो सुप्रिया को पूरा प्यार दे रही थी. घर की सबसे छोटी होने के कारण वो जॉय की सबसे चहेती भी थी. जॉय ने ही उसकी चूत का उद्घाटन किया था. और अब तक केवल उसने और पार्थ ने ही उसकी मादक जवानी का आनंद लिया था. जॉय ने ही उसकी गांड भी पहली बार मारी थी. और पारुल ने अब तक पार्थ को अपनी गांड से दूर ही रखा था. हाँ सुमति को अवश्य उसने गांड चाटने और उसकी गांड से जॉय के वीर्य को पीने का अवसर दिया था. अब देखना ये था कि वो कब तक अपनी गांड अन्य लौडों से बचा कर रख सकती थी.
जॉय के धक्कों की बढ़ती गति से सुरेखा अब तक दो तीन बार झड़ चुकी थी. वर्षों की प्यासी सुरेखा अब अपने जीवन का पूरा आनंद लेने की ओर अग्रसर थी और वो जॉय को और तीव्र और गहरी चुदाई के लिए प्रोत्साहित कर रही थी. जॉय ने सुरेखा को काँपते हुए और शरीर को अकड़ते हुए अनुभव किया। इस बार सुरेखा बहुत तीव्रता से झड़ने वाली थी. जॉय भी बहुत निकट था और उसने इसकी घोषणा करते हुए सुरेखा को चेताया. पर सुरेखा अब किसी भी चेतावनी से परे थी. वो चाहती थी कि जॉय उसकी चूत को अपने रस से सींच दे. उसके लरजते हुए शरीर ने जॉय के बीज के लिए स्वयं को तैयार कर लिया.
जैसे ही एक चीख के साथ सुरेखा झड़कर ठंडी पड़ी, वैसे ही जॉय ने भी अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया और हाँफता हुआ सुरेखा के शरीर पर गिर गया. सुरेखा ने उसके चेहरे को हाथ में लेकर उसके होंठों से अपने होंठ लगाए और दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. उधर सुप्रिया और पारुल भी झड़ रही थीं, एक दूसरे का रस पीते हुए दोनों ने अपना शीर्ष प्राप्त कर लिया था. एक दूसरे की चूत के रस की हर बूँद को पीने के बाद ही दोनों एक दूसरे से अलग हुईं. पर पारुल की एक प्यास अभी भी शेष थी. उसने अपने आपको सुप्रिया के नीचे से निकाला और अपने पिता के पास चली गयी. जॉय ने उसे देखा तो समझ गया और वो सुरेखा के ऊपर से हट गया.
पारुल ने अपने होंठ सुरेखा की चूत पर रखे और अपने पिता का जीवन रस उसकी चूत से पीना आरम्भ कर दिया. सुप्रिया ने उसे देखा फिर जॉय की ओर देखा जिसके लंड पर उसकी बहन सुरेखा का रस अभी भी चमक रहा था. उसने जॉय को पास बुलाया और अपने मुंह से उसके लंड को चाटकर साफ कर दिया. अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उसने चटखारे लिए और सुरेखा को देखा जो इस समय बिलकुल शांत पड़ी थी. उसके चेहरे के भाव और चमक उसके सुखद अनुभव की साक्षी थी. सुप्रिया को एक बार फिर अपनी बहन पर प्यार उमड़ आया. पारुल ने सुरेखा की चूत से सारा रस पीने के बस सुरेखा की चूत से अपना चेहरा हटाया.
“पापा, बहुत स्वादिष्ट है आप दोनों का मिश्रण. अच्छा है कि अब ये नियमित रूप से पीने मिलेगा.” पारुल ने जॉय से कहा.
“बिलकुल, हम तुम्हें इसका समय समय पर सेवन कराते रहेंगे.”
“थैंक यू, जॉय!” ये सुरेखा ने कहा था. वो ऑंखें खोले तीनों को देख रही थी. उसने सुप्रिया की आँखों में अपने लिए अनंत प्रेम देखा और एक बार मुस्कुराते हुए फिर से अपनी ऑंखें बंद कर लीं.
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शोनाली और सागरिका:
सजल अपनी माँ के सिखाये गुर को शोनाली पर उपयोग कर रहा था. अब शोनाली जितनी खेली खिलाई स्त्री को मुंह से सुख देना कोई सरल चुनौती तो थी नहीं. पर सजल अनुभवी तो नहीं था पर आतुर था. चूत के आसपास और ऊपर अपनी जीभ के प्रहारों से उसने शोनाली को जल्दी ही उत्तेजित कर दिया. जब उसकी जीभ ने शोनाली की चूत के अंदर प्रवेश किया तो शोनाली झड़ गयी. सजल प्रथम परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया और उसने शोनाली द्वारा भेंट किये रस की हर बून्द को पीते हुए अंत में उसकी चूत को चाटकर साफ कर दिया.
अब मुख्य आकर्षण का समय था. उसने शोनाली की ओर देखा. शोनाली को उसकी समस्या समझ आ गयी. शोनाली ने सजल को नीचे लिटाया और उसके लंड को मुंह लेकर चूसने, चाटने लगी, और कुछ ही मिनट में सजल झड़ आया. सजल झड़ना नहीं चाहता था, पर शोनाली के निपुण मौखिक आघात के सामने टिक भी नहीं सका. शोनाली ने भी सजल के वीर्य की हर बून्द को पी लिया.
शोनाली: “अब जब तुम एक बार झड़ गए हो, तो तुम्हें अगली बार समय लगेगा और तुम मुझे देर तक चोद सकोगे। सग्गू, आकर अपने देवर के लंड को चाटकर खड़ा करो, तब तक मैं इन दोनों मुश्टण्डों को तैयार करती हूँ.”
सागरिका: “पर मॉम, हमने माना था कि सजल जब तक आपको चोदना आरम्भ नहीं करता तब तक मैं उसे छूऊँगी भी नहीं।”
शोनाली: “वो ठीक है. अपने मुंह से चोद तो चुकी हूँ. अब नखरा न कर, ये भी तेरी ओर देख कैसे लालच से देख रहा है. और तुम दोनों, इधर आओ.”
निखिल और नितिन तुरंत शोनाली के आगे अपने खड़े लंड लेकर चले आये. सागरिका ने सजल के लंड को मुंह में लिया तो उधर उसकी माँ ने अपने दामाद और उसके भाई के लंड को चूसने के लिए अपना मुंह खोल लिया. सागरिका बहुत प्रेम से सजल के लंड को चूस रही थी, पर उसे ये भी ध्यान था कि उसे सजल के लंड को अपनी माँ की चुदाई के लिए तैयार करना है, न कि झड़ाना है. और जब उसे लगा कि सजल का लंड उपयुक्त अवस्था में पहुंच गया है तो उसने लंड के सुपाड़े पर एक चुंबन लिया और फिर शोनाली को बताया।
शोनाली के दामाद निखिल और उसके भाई नितिन के लंड तो पहले ही से अपना आतंक मचाने के लिए आतुर थे. शोनाली तो उन्हें केवल इसीलिए चूस रही थी कि वो कुछ चिकने हो जाएँ. नहीं तो उन दोनों के भारी लौंड़ों से चोटिल होने की संभावना थी. शोनाली ने सागरिका की बात सुनकर सजल की ओर देखा जो बिस्तर पर लेटा उसे आशा से देख रहा था. शोनाली ने उन दोनों लौंड़ों को छोड़ा और सजल के लंड पर एक चुबंन किया और फिर अपने पांव दोनों ओर करते हुए उसके ऊपर खड़ी हो गयी. फिर उसने अपनी चूत को एक हाथ से फैलाया और नीचे की ओर बैठने लगी. नीचे आकर उसने सजल के लंड को दूसरे हाथ से संभाला और अपनी चूत के मुंह पर लगाया. फिर उसके लंड पर बैठती चली गयी. लंड को अपनी चूत में पूरा लेने के बाद वो झुकी और सजल के चेहरे को चूमने लगी.
सजल ने उसके होंठ से अपने होंठों से मिलाये और दोनों एक दूसरे को पागलों के समान चूमने लगे. शोनाली ने चुंबन के चलते हुए अपनी गांड को हिलना आरम्भ किया और सजल के लंड पर उठक बैठक करने लगी. सजल के लिए ये आनंद के क्षण थे. आज तक उसने केवल अपनी माँ को ही चोदा था और आज उसे अपनी माँ की आयु की दूसरी स्त्री की चुदाई करने का अवसर मिल रहा था. वो भी अपने कूल्हे उचकाते हुए शोनाली की चुदाई करने लगा. कुछ ही देर में दोनों ने अच्छी गति पकड़ ली. पर शोनाली की इच्छा ये तो थी नहीं, ये जानते हुए नितिन उसके मुंह के आगे खड़ा हो गया और शोनाली ने उसके लंड को एक ही बार में अपने मुंह में गपक लिया और पूरे जोश से चूसने लगी.
उसे अपनी पीठ पर एक हाथ का आभास हुआ तो उसने अपनी उछलकूद रोक दी. फिर उसने किसी की जीभ को गांड पर चलता हुआ अनुभव किया. और फिर वो जीभ हटी तो उसे अपनी गांड पर एक लंड के रखे जाने का ज्ञान हुआ. सागरिका ने ही चाटी होगी मेरी गांड, ये सोचते हुए वो नितिन के लंड को चूसते जा रही थी. जब उसे अपनी गांड पर दबाव का आभास हुआ तो उसने नितिन के लंड को मुंह में तो लिया पर चूसना रोक दिया. निखिल अपनी भावी सास की गांड में अपना लंड बड़े प्रेम से डाल रहा था. उसे पता था कि शोनाली एक ही बार में भी उसका लंड गांड में लेने के लिए सक्षम है, परन्तु वो उसकी गांड के हर रोम से अपने लंड का परिचय करना चाहता था. सासूमाँ के लिए उसका इतना तो कर्तव्य बनता ही था.
जब लंड ने अपना पूरा रास्ता तय कर लिया तो निखिल ने थोड़ा सा लंड निकालते हुए शोनाली की गांड मारना आरम्भ किया. शोनाली ने जब देखा कि अब उसके तीनों छेदों में लौड़े लगे हुए हैं तो वो नितिन के लंड को चूसते हुए सजल के लंड पर उछाल मारने लगी. निखिल ने उससे ताल मिलाते हुए उसकी गांड में अपना लंड पेलने में अब गति पकड़ ली. सजल का ये पहला अवसर था जब उसे एक दूसरे लंड के साथ चुदाई करना मिला था. शोनाली की चूत और गांड के बीच की पतली सी झिल्ली के दोनों ओर दो लंड चलायमान थे. इसमें से सजल के लिए ये एकदम नया ही अनुभव था. अब तक उसे केवल चूत के घर्षण का ही आनंद मिला था, पर आज उसे न केवल चूत बल्कि उसके दूसरी ओर गांड में चल रहे लंड के घर्षण का भी आभास हो रहा था. और ये अतुलित आनंद था.
सजल के सिवाय सभी इस प्रकार की चुदाई के अभ्यस्त थे. और शोनाली को इसमें अनंत आनंद मिलता था. अगर उसके मुंह में नितिन का लंड न होता तो उसकी चीखों से कमरे में हड़कंप मच जाता. पर इसका अर्थ ये नहीं था कि उसे आनंद कुछ कम आ रहा था. उसकी चीखें नितिन के लंड को दबा रही थीं. नितिन को उसकी गले से निकलती गुं गुं की ध्वनि और गले की हलचल से पता लग रहा था कि वो चीख रही थी. और उसकी चीख के लिए खुलता मुंह नितिन के लंड को और अंदर निगल लेता था. सागरिका इस दृश्य से अपने समय की प्रतीक्षा कर रही थी. उसे भी तीन लौंड़ों से चुदने का जो अवसर मिला था, उसे वो किसी भी मूल्य पर गंवाँ नहीं सकती थी.
निखिल के धक्के तीव्र होने के बाद शोनाली की उछलकूद कम हो चली थी. और इसके कारण अब सजल अपने लंड को उसकी चूत में उछल उछल कर पेल रहा था. पहली बार इस प्रकार की चुदाई करने के बाद भी उसने शीघ्र ही अपना काम सीख लिया था और शोनाली को उसकी चुदाई से बहुत मजा आ रहा था. गांड में चल रहे निखिल के दिंची लंड ने भी उसे सुख की पराकाष्ठा पर लेकर खड़ा कर दिया था. सजल को अपने लंड पर कुछ बहता हुआ अनुभव हुआ तो वो जान गया कि शोनाली झड़ रही है. शोनाली के शरीर का संचालन भी अब कुछ बिगड़ने लगा था. निखिल बिना रुके अपने लंड से शोनाली की गांड के परखच्चे उड़ने में व्यस्त था. सास हो या माँ, उसे गांड मारते समय कभी भी दया नहीं आती थी. वैसे उससे गांड मरवाने वाली स्त्रियों को भी उसके मोटे लम्बे लौड़े से ऐसी ही चुदाई पसंद थी जो उनकी गांड के पोर पोर को खोल दे.
निखिल ने अंततः अपने रस से शोनाली की गांड को भर ही दिया पर वो हटा नहीं. उसने सागरिका को देखकर संकेत किया और सागरिका ने फोन लगाया. निखिल के लंड को अपनी गांड में लिए हुए अब शोनाली सजल के लौड़े पर और तेजी से कूदने लगी. और उसकी चूत ने झड़कर अपने सुख की घोषणा की. नितिन के लंड को अब शोनाली इतनी अधिक जोर से चूस रही थी कि अगर नितिन का लंड थोड़ा भी कमजोर होता तो कट के गिर पड़ता. पर इसके कारण ये अवश्य हुआ कि नितिन के लंड ने अपना पानी उसके मुंह में छोड़ दिया. सम्भवतः उसे शोनाली के आक्रमण से बचने का यही एकमात्र रास्ता दिखा होगा.
सजल ने जैसे ही अपने रस से शोनाली की चूत को भरना आरम्भ किया कि कमरे खुला और सुमति ने प्रवेश किया. परिस्थिति के अनुसार उसने कपड़े पहनने में समय नहीं खोया था. उसे अंदर आते देख निखिल ने अपने लंड को शोनाली की गांड से निकाला। सजल इस पूरे घटनाक्रम से अचम्भित था और उसे सुमति का आना और भी आश्चर्य में डाल गया. निखिल हटकर खड़ा हुआ तो सागरिका ने उसके लंड को मुंह में लेकर चाटते हुए साफ कर दिया. सजल शोनाली के नीचे से ये देखकर और चकित हो गया जब सुमति ने शोनाली की गांड में अपना मुंह लगाया और सड़प सड़प की ध्वनि के साथ उसकी गांड में से निखिल का वीर्य पी लिया.
शोनाली सजल के ऊपर से उठी और सुमति ने उसकी गांड के नीचे जाकर अपना मुंह खोल दिया. शोनाली ने अपनी गांड में जोर लगाया और कुछ और रस सुमति के मुंह में समा गया. सुमति ने चटखारा लिया और बिना कुछ और कहे कमरे से चली गयी. सागरिका ने निखिल के लंड को साफ करने के बाद अपनी माँ की चूत में मुंह लगा दिए और उसमे से सजल का रस पी लिया. सजल के पास ही खड़े हुए गीले लंड को देखा तो वो उसे चाटे बिना भी न रह सकी.
सागरिका को छोड़कर सभी संतुष्ट थे. पर उसे यूँ छोड़ने का किसी का भी आशय नहीं था. पर उसके लिए कुछ देर ठहरना आवश्यक था.
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समर्थ और शीला:
सुमति की गांड ने फैलते हुए समर्थ के लंड स्वागत किया. समर्थ ने भी बड़े संयम के साथ सुमति की गांड में लंड डाला. सुमति का चेहरा बिस्तर पर लगा हुआ था और उसका मुंह संजना और शीला की ओर था. साँस रोके सुमति समर्थ के लंड को अपने अंतिम पड़ाव तक पहुँचने की प्रतीक्षा कर रही थी. किस कारण आज समर्थ इतना समय ले रहा था उसे ये समझ नहीं पड़ा. फिर आँखों ने संजना को देखा तो उसे समझ आया कि संजना भयभीत न हो इस कारण समर्थ उसकी गांड इतने प्रेम से मार रहे थे. परन्तु इस प्रकार से सुमति की गांड की खुजली और बढ़ गयी. वो कसमसाते हुए अपनी गांड को उछाल कर समर्थ के लंड पर फेंक रही थी. समर्थ समझ तो गया पर कुछ करने का साहस नहीं जुटा पाया. सुमति का धैर्य टूट गया उसने समर्थ को मुड़कर देखा तो उसकी आँखों में विनय था.
“थोड़ा तेज करो न बाबूजी, ऐसे क्यों तड़पा रहे हो मुझे. प्लीज, जोर से मारिये न गांड, मेरी तो खुजली बढ़ा दी है आपने .”
शीला ने समर्थ को देखा और उसे संकेत किया कि वो संजना को संभाल लेगी, वो सुमति की इच्छा पूरी करे. बस फिर क्या था, समर्थ ने अपने पूरे लौड़े को गांड से बाहर निकाला और एक भयंकर धक्के के साथ सुमति की गांड में ठोक दिया. सुमति बिलबिला उठी. और फिर उसके चेहरे पर संतोष की छाया आयी. उसकी सिसकारियां समर्थ को और तेजी से गांड मारने के लिए उद्वेलित करने लगी और समर्थ भी इस कार्य में पूरे जोश के साथ जुट गया.
संजना भी अपनी नानी के मुंह में लगातार अपना पानी छोड़ रही थी और उसकी प्यारी नटखट नानी उसे पीने में कोई कोताही नहीं कर रही थी. शीला इस रस की मिठास का कुछ और दिन सेवन करना चाहती थी. अपने पति की ओर कनखियों से देखते हुए उसे समर्थ के भाग्य पर गर्व हुआ. अपनी बेटियों का तो वो कौमार्य नहीं ले पाए, परन्तु अपनी नातिन के रूप में उन्हें ये सुअवसर मिला था. शीला की जीभ के उसकी नातिन की चूत अब बेबस थी. जब शीला ने पाया कि संजना की चूत के रस की हर बूँद वो पी चुकी है तो अपना चेहरा उठाकर उसने संजना को देखा.
संजना के चेहरे की लुभावनी मुस्कान ने उसे प्रसन्न कर दिया. ऑंखें बंद किये लेटी संजना अपने ही स्वर्ग में विचरण कर रही थी. उसे इस बात का भी आभास नहीं था कि उसकी नानी अब उसकी चूत से हट चुकी है. वो तो उस सुखद अनुभव में अभी भी लीन थी. शीला को इस बात पर गर्व हुआ कि उसके प्रयासों ने संजना का ध्यान समर्थ और सुमति की ओर नहीं जाने दिया. अन्यथा उसके कोमल मन को कुछ आघात लग सकता था. शीला ने एक बार फिर अपने सामने खिली हुई कुंवारी चूत पर जीभ फेरी और एक चुम्बन देते हुए हट गयी. संजना ने अधखुली आँखों से अपनी नानी को देखा.
“क्या हुआ नानी?”
“झड़ तो चुकी है इतनी बार, अब नानी को भी तृप्त कर दे, मेरी लाड़ो।”
“हाँ नानी. पर मुझे इतने अच्छे से नहीं आता.”
“तेरा प्यार ही बहुत है मेरे लिए, जैसा मन करे वैसे ही कर लेना.” शीला ने उसे सांत्वना दी.
“अच्छा नानी.”
ये कहते हुए संजना ने अपने नाना की ओर देखा जिनके चेहरे पर अब कुछ तनाव दिख रहा था. उसने नाना के आगे घोड़ी बनी सुमति को देखा जिसका मुंह उनकी ही ओर था. उसके चेहरे के भाव संजना को कुछ समझ नहीं आये. वो पीड़ा में थीं या आनंद में, उनके मिश्रित भावों को समझना अभी संजना की समझ के परे थे. पर सुमति की सिसकारियां ये दर्शा रही थीं कि उसे इसमें सुख मिल रहा था. नाना के चेहरे के तनाव में भी एक जीत का भाव था. उसने उन दोनों के समागम स्थल को देखा तो चौंक गयी. नाना तो उनकी गांड मार रहे हैं. उसने एक बार आश्चर्य से नाना की ओर फिर देखा. क्या वो भी इस प्रकार की चुदाई करते हैं? पर संजना को अधिक सोचने का समय न देकर शीला उसके बगल में आ लेटी।
“तेरे नाना को गांड से बहुत प्रेम है, किसी भी स्त्री को वो बिना गांड मारे नहीं छोड़ते.” संजना को अपनी माँ की याद आयी.
“उन्होंने मम्मी की…?”
“नहीं, अब तक नहीं, तेरी माँ बहुत हठी है. नाना को गांड पर हाथ भी नहीं रखने देती. क्या सजल ने उसकी गांड मारी है?”
संजना को आश्चर्य हुआ कि नानी को सजल और उसकी माँ के बारे में पता है. उसने स्वीकृति में सिर हिलाया.
“तो अब वो अपनी गांड तेरे नाना से अधिक दिन नहीं बचा पायेगी. हमारे यात्रा पर निकलने से पहले तेरी चूत का उद्घाटन और उसकी गांड की चुदाई किये बिना इन्हें शांति नहीं मिलेगी.”
समर्थ की झड़ने की हुंकार ने उस दोनों का ध्यान तोड़ दिया. वहीँ सुमति की आनंद से भरी चीख भी उन्हें आकर्षित कर उठी. समर्थ के लंड की रस को अपनी गांड में भरता हुआ अनुभव कर सुमति भी झड़ रही थी. उसकी गांड इस समय उछाल कर समर्थ के लंड को अपने में आत्मसात करने का प्रयास कर रही थी. पर समर्थ का लंड अब ढीला पड़ चुका था. उसने अपने लंड को सुमति की गांड से निकाला।
“अब देख, सुमति क्या करती है. पर इसे देखकर चकित या द्रवित मत होना। चुदाई में हर एक के अपने प्रिय खेल होते हैं. और इसके लिए सुमति से घृणा मत कर बैठना.” शीला ने संजना के कान में धीमे से कहा.
संजना देख रही थी. सुमति ने अपना आसन बदला और सीधे लेट गयी. फिर उन अपना दायाँ हाथ अपनी गांड के नीचे किया और उसपर समर्थ का वीर्य गिरने लगा. एक हथेली भरने के बाद सुमति ने उसे अपने मुंह से लगाया और उसे पीने के बाद अपनी हाथ और उँगलियों को चाटकर फिर अपनी गांड के नीचे लगा दिया. चार पांच बार इस उपक्रम के बाद उसने अपनी दो उँगलियाँ गांड में डालीं और रस के जो अवशेष थे उन्हें भी इकठ्ठा करने के बाद उन उँगलियों को चाट लिया. उसने अपने मुंह से एक संतोष भरी ध्वनि की और चटखारे लेकर समर्थ को देखा और फिर मुड़कर शीला और संजना को.
शीला तो उसके इस व्यसन से परिचित थी पर संजना का मुंह खुला हुआ था. सुमति ने उसे आंख मारी तो संजना ने शर्मा के सिर झुका लिया. सुमति ने उठकर समर्थ के लंड को चाटा और बिलकुल साफ कर दिया. इतने में ही समर्थ के फोन पर एक संदेश आया और उसने सुमति को बताया कि उसे शोनाली के कमरे में याद किया जा रहा है. सुमति तपाक से उठी और वैसे ही नंगी चल पड़ी जहां शोनाली की चुदाई समाप्त हुई थी और उसकी रस से भरी गांड सुमति की प्रतीक्षा में थी.
इसके बाद समर्थ ने कपड़े डाले और शीला से कहा कि वो बैठक में जाकर अन्य कमरों में क्या चल रहा है देखने जा रहा है. शीला ने कुछ न कहा, बस बिस्तर पर लेटकर अपने पाँव फैला लिए, संजना के लिए. संजना अब कम से कम इस खेल से तो परिचित थी और उसने भी अधिक संकोच नहीं किया और अपना मुंह अपनी नानी की चूत पर लगाकर चाटने लगी. सुप्रिया द्वारा सिखाये हुए गुर का उसने भली भांति प्रयोग किया, और शीला को आनंद के सागर में गोते लगवाने लगी. पर वो ये भूल गयी कि सुप्रिया अगर सेर थी तो नानी सवा सेर. शीला ने उसे इस कला का और भी गहन अध्ययन कराया और संजना को अपने नए पाठ का प्रयोग करने के लिए भी उत्साहित किया.
संजना को नानी की चूत में वो आनंद और स्वाद नहीं मिला, जो उसकी माँ की चूत में था. पर सुरेखा की चुदाई उस प्रकार से अब तक हुई भी नहीं थी, जिस प्रकार से शीला की, जिसे लगभग प्रतिदिन ही किसी न किसी लंड से चुदने का सौभाग्य प्राप्त था. और सम्भवतः यही कारण था कि संजना जैसी नयी विद्यार्थी भी दोनों में भेद करने में समर्थ थी. पर शीला संजना की इन भावनाओं से अनजान संजना को नए नए कोण और बिंदुओं पर ध्यान देने के लिए पथ प्रदर्शन कर रही थी. संजना भी नानी के इन निर्देशों का पालन करते हुए उन्हें अपने अंतर्मन में लिख रही थी, और अगली बार उसकी माँ सुरेखा और सुप्रिया मौसी को इसका लाभ होना स्वाभाविक था.
शीला की चूत चूसने और चाटने के साथ ही संजना बताये अनुसार शीला की जांघों और उसकी जंघाओं और चूत के मिलन स्थल के बीच की दरार को भी चाट रही थी. हल्की गुदगुदी के साथ शीला हँसते हुए संजना के इस कर्म का आनंद उठा रही थी. चूत को खोलते हुए संजना ने अपनी स्वचालित जीभ से शीला के अंदर की त्वचा को भी अपनी जीभ से चाटा। शीला उसके इस कृत्य से आनंदित होते हुए संजना के मुंह में झड़ गयी. फिर उसने संजना के सिर को बड़े प्रेम से सहलाते हुए अपनी चूत पर दबा लिया. संजना चाटती रही और शीला झड़ती रही. पर शीला की वृद्ध चूत की निस्तारण क्षमता घट चुकी थी. चुदाई की अनंत इच्छा होते हुए भी उसकी चूत और रस वर्षा करने में असमर्थ थी. शीला ने प्रेमपूर्वक संजना के चेहरे को उठाया और फिर स्वयं उठकर उसके होंठ चूमने लगी.
“अच्छा सीखी है रे तू, बहुत स्त्रियों को सुख देगी तू अपने जीवन में.” शीला ने उसे प्रोत्साहन देते हुए कहा.
“मम्मी को भी?”
“वो तो तेरी वैसे भी प्रशंसा करते नहीं थकती, अब तो न जाने क्या करेगी. तेरी माँ सच में भाग्यवान है तेरी जैसी बेटी पाकर.”
फिर शीला ने कहा की उन्हें भी समर्थ के पास चलना चाहिए, देखें कि और लोग क्या कर रहे है. कपड़े पहनकर नानी और नातिन बैठक में चले गए. बैठक में समर्थ बैठे बियर पीते हुए सामने 3D में दोनों कमरों में चल रहे दृश्य देख रहे थे. सुमति नहीं दिखी तो उन्हें कुछ आश्चर्य हुआ पर कुछ ही देर में सुमति भी कपड़े डालकर आ गयी और समर्थ के पास बैठ गयी. शीला पहले ही संजना को अपनी गोद में लिए थी. सुमति उठी और वो भी समर्थ को गोद में बैठ गयी और चल रहे दृश्यों को देखने लगी.
“कम से कम अब किसी को फोन नहीं करना पड़ेगा. जैसे ही किसी की गांड में लंड जायेगा, मैं चली जाऊँगी.” सुमति ने मन में सोचा. न जाने कैसे समर्थ ने उसके मन के भाव पढ़ लिए.
समर्थ: “दौड़ मत जाना, कुछ देर गांड मारने भी देना. अलग कमरे में इसीलिए भेजा है सबको.”
सुमति शर्मा गयी और उसने अपनी स्वीकृति दी. समर्थ ने टीवी पर CCTV को सुप्रिया के कमरे पर केंद्रित कर दिया.
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सुप्रिया और सुरेखा:
सुरेखा की चूत का रस पीने के बाद पारुल हटी ही थी कि सुप्रिया बोल पड़ी, “सुरेखा, तुम्हे भी अब पारुल का रस चखना चाहिए. सच कहूँ तो संजना के जैसे ही मीठा है. चुदी हुई है तो कुछ अंतर अवश्य है, पर मेरे लिए पारुल और संजना एक जैसी ही हैं.”
पारुल बोल पड़ी, “मौसी, मुझे भी अपनी चूत का स्वाद लेने का बहुत मन है, संजना का भी मैं रस पियूँगी, पर अभी आपका रस पीने की इच्छा है.”
सुप्रिया, “तो हो गया, पारुल और सुरेखा एक दूसरे के साथ. तो समधी जी, हमें अपना खेल खेलने का अवसर मिल रहा है.”
जॉय, “बिलकुल समधन साहिबा, आपकी सेवा करना तो मेरा परम कर्तव्य है.”
सुप्रिया उठी और जॉय के होठों को चूमकर उसे लेटने के लिए कहा. जॉय अभी ही झड़ा था और उसका लंड मुरझाया हुआ था, पर सप्रिया के चुम्बन ने उसे पुनर्जीवन का वरदान दिया. बिस्तर पर लेटकर वो सुप्रिया के सुंदर शरीर को अपनी आँखों से पीने का प्रयास कर रहा था. उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि कुछ ही दिनों में वे इतने निकट आ गए थे. उसकी पत्नी शोनाली और बहन सुमति भी अत्यंत सुंदर स्त्रियों में थीं, पर जो आकर्षण इन दोनों बहनों में था वो अद्वितीय था.
सुप्रिया जान रही थी कि जॉय उस पर आसक्त है, और उसने इसे दूर करने का कोई प्रयास भी नहीं किया. अपने पाँवों को जॉय के मुंह के दोनों ओर करते हुए अपनी चूत उसके मुंह पर लगा दी और आगे झुकते हुए जॉय के लंड को अपने मुंह में ले लिया. जॉय की लहराती जीभ ने अपनी समधन की चूत को लक्ष्य बनाते हुए अपना प्रभाव दिखाना आरम्भ किया. जॉय चूत चाटने में इतना निपुण था कि उसकी जीभ और उँगलियों के बल पर ही वो किसी भी स्त्री को अनगिनत बार स्वर्ग का द्वार दिखा सकता था. सुप्रिया वैसे तो जॉय की इस कला से परिचित थी, परन्तु उसने कभी इसका पूरी श्रध्दा से अनुभव नहीं किया था.
आज इस अवसर पर अपनी चूत को पूर्णतया जॉय को सौंप दिया. और जॉय ने भी इसका अधिकाधिक लाभ उठाते हुए उसकी चूत पर अपनी कला का प्रदर्शन किया. सुप्रिया भी किसी से कम न थी, उसके भी लंड चूसने का एक अलग ही ढंग था और उसका ये कहना था कि वो किसी को भी ५ मिनट के अंदर ध्वस्त कर सकती है. उसने अपनी इस कला को जॉय के लंड को जब चाटने और चूसने में लगाया. जॉय की आनंद की सीमा ही जैसे पुनर्धारित हो चली. अगर जॉय कुछ समय पहले सुरेखा की चूत में न झड़ा होता तो उसका ठहरना सम्भव न था.
सुरेखा ने पारुल को लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गयी. दोनों एक दूसरे की चूत को चाटने लगीं और जल्दी ही आनंद से दूभर ही उठीं. हालाँकि पारुल ने सुरेखा की चूत से अपने पिता जॉय का रस खींच लिया था, पर इस आसन में जो रस अंदर गहराई में ठहरा हुआ था वो भी अब बाहर निकल रहे थे और पारुल के मुंह में जा रहे थे. पारुल इसके कारण और भी उत्तेजित हो उठी और उसने सुरेखा के भग्नाशे को दाँतों में लेकर काट लिया. सुरेखा पीड़ा से बिलबिला उठी पर अगले ही क्षण उसे ऐसा लगा कि वो अपना शरीर छोड़कर अन्य ही लोक में है. इतना तीव्र स्खलन उसके जीवन में उसने कभी अनुभव नहीं किया था.
झड़ते हुए शरीर के कम्पन के कारण उसका ध्यान पारुल की चूत से हट ही गया. जब उसे अपने शरीर का ज्ञान हुआ तो उसने भी पारुल की उसी प्रकार से भग्नाशे पर काटा। अब ये प्रतिस्पर्धा चल पड़ी कि दोनों में से कौन जीतेगा. पर जॉय ने ये देखा तो उन्हें सावधान किया.
“इसमें अधिक उत्तेजित होने से एक दूसरे को चोट पहुंचा सकते हो. दाँतों से नहीं होंठों से काम लो, आनंद भी आएगा और पीड़ा भी नहीं होगी.” उसने समझाया.
ये सुनने के बाद सुरेखा और पारुल एक दूसरे की चूत को पीते हुए केवल अपने होंठों और उँगलियों से ही भग्न को छेड़ती रहीं. जॉय और सुप्रिया चुदाई के लिए उत्सुक थे और सुप्रिया ने घोड़ी का आसन लिया.
“जॉय, आज तुम प्लीज मेरी गांड मारो. चूत बाद में चोद लेना. मेरी गांड बहुत देर से झुँझला रही है और अगर इसमें लौड़ा नहीं गया तो मुझे पागल ही कर देगी.” सुप्रिया ने कहा.
“जैसा मैंने कहा है समधन साहिबा, आपकी सेवा करना तो मेरा परम कर्तव्य है.”
जॉय ने अपने लंड पर थूक लगाया और फिर अपनी ऊँगली को सुप्रिया की चूत में डालकर उसके रस से सुप्रिया की गांड को तर किया और अपने लंड को उसकी गांड पर रखते हुए हल्के दबाव के साथ अपने लंड से सुप्रिया की गांड को बंद कर दिया.
“जहाँ खुजली है, वहाँ अब मेरा लंड आपको खुजलायेगा और फिर औषधि का लेप लगाकर ही बाहर आएगा.”
उसकी इस बात पर सुरेखा खिलखिला पड़ी. जॉय दमदार धक्कों के साथ सुप्रिया की कसी गांड में अपना हल चलने लगा. बैठक में सुमति बेचैन हो रही थी. उसका भाई अपनी समधन की गांड मार रहा था और जॉय के हर धक्के के साथ सुमति की चूत और मुंह में पानी आ रहा था. वो समर्थ की गोद में कसमसा रह थी. समर्थ भी समझ गया कि सुमति की इच्छा क्या है. उसने सुमति की चूत पर अपना हाथ रखा और उसे मसलने लगा. सुमति सामने 3डी में चल रहे दृश्य के कारण वैसे भी बहुत चुदासी हो रही थी, समर्थ के हाथ के कारण उसका धैर्य टूट ही गया.
“बाबूजी, मुझे जाने दो न, उसके बाद आप जो चाहो मेरे साथ कर लेना.” उसने समर्थ से विनती की.
समर्थ ने अपना हाथ उसकी चूत से हटाया और उसकी गर्दन चूमकर उसे जाने की आज्ञा दे दी. सुमति गोली की गति से आगे बढ़ी, पर रुक गयी. उसे ये तो पता ही नहीं था कि जाना किधर है. उसने विनयी आँखों से समर्थ को देखा तो समर्थ ने संकेत से बताया कि पहले तल के दूसरे कमरे में. इस बार सुमति की गति और अधिक हो गयी.
जॉय सुप्रिया की गांड में अपने लंड का प्रताप दिखा रहा था. पारुल और सुरेखा अपने प्रेमालाप के बीच में उनकी ओर देख रहे थे. सुप्रिया के चेहरे पर उन्माद था तो जॉय का कुछ भींचा हुआ चेहरा उसके परिश्रम को दर्शा रहा था. जॉय के धक्के लम्बे और पलंगतोड़ थे और सुप्रिया को इसी प्रकार से अपनी गांड फड़वाना भाता था. उसी समय उनके कमरे के दरवाजे के खुलने और फिर बंद होने की ध्वनि हुई. सुरेखा का मुंह उस ओर था इसीलिए उसने सुमति को देखा जो अंदर आयी थी. सुमति अपने कपड़े उतार कर एक ओर डालकर जॉय के द्वारा सुप्रिया की गांड की चुदाई समाप्त होने की प्रतीक्षा करने लगी.
जॉय का अब झड़ने का समय हो चूका था, और सुप्रिया ने भी अपनी गांड को सकुचा कर उसके लंड को दुहने का कार्य आरम्भ कर दिया था. सुप्रिया की गांड की इस प्रकार से खुलने और बंद होने से जॉय भी ठहर न सका. उसे सुप्रिया की इस कलाकारी पर सुखद आश्चर्य हुआ और अगले ही पल उसके लंड ने अपना माल सुप्रिया की गांड में छोड़ दिया. सुप्रिया और जॉय पारस्परिक सिसकारियों के साथ झड़ गए.
जॉय ने कुछ देर तक अपने लंड को सुप्रिया की गांड में ही रखा और फिर सिकुड़ते लंड को बाहर खींच लिया. प्रकाश से भी अधिक गति से उसके सामने उसकी बहन आ खड़ी हुई. सुमति को देख जॉय को पहले आश्चर्य हुआ फिर वो हंस पड़ा. सुमति ने भी उसे मुस्कुराते हुए हटने के लिए कहा. अब तक सुप्रिया भी सुमति को देख चुकी थी.
“देखो मैंने आपके लिए अपनी गांड में क्या बचा के रखा है.”
सुमति जॉय के हटते ही सुप्रिया की गांड पर टूट पड़ी और अपना मुंह लगाते हुए उसकी गांड से जॉय के रस को चूस कर पीने लगी. जॉय अपनी बहन के इस उपक्रम को देखता रहा और जब उसने पायल की पुकार सुनी तो उस ओर देखा.
“बुआ की आज पूरी पार्टी ही रही है. है न डैड?” पारुल बोली तो जॉय ने हामी भरी.
जब सुमति सुप्रिया की गांड को खाली करने के बाद उठी तो पारुल ने उससे पूछ ही लिया, “क्यों बुआ, कितनी हो गयीं आज?”
“तीन.” और फिर उसने जॉय के मुरझाये लंड को मुंह में लेकर साफ किया और कपड़े पहन के वहाँ से चल पड़ी. द्वार पर पहुंचकर वो ठहरी और बोली, “जब हो जाये तो बैठक में ही आ जाना.”
ये कहते हुए वो कमरे को बंद करते हुए बैठक में चली गयी.