***********************************
शीला का घर:
दिंची क्लब के आयोजन के लगभग एक सप्ताह बाद, सांय काल में समर्थ और शीला अपने घर की बैठक में बैठे हुए थे. उनका ८५ इंच के विशाल OLED टीवी इस समय चल रहा था और दोनों उस पर चल रहे कार्यक्रम को देख रहे थे. ये कार्यक्रम उनके ही घर के एक कमरे से प्रसारित हो रहा था. और जैसा कि आप जानते हैं कि समर्थ के घर का हर कमरा वीडियो कैमरों से सज्जित था. और इस कार्यक्रम के कलाकार भी उनके ही परिवारजन थे.
टीवी पर इस समय उनकी छोटी बेटी का फिल्मांकन हो रहा था. सुरेखा की चूत में नितिन ने अपना लौड़ा डाला हुआ था और उसका मुंह निखिल के लंड से भरा हुआ था. सुरेखा पीठ के बल लेटी हुई थी और उसका चेहरा बहुत ही समीप से दिख रहा था. दोनों भाई उसे बड़े प्यार से चोद रहे थे और सुरेखा भी इसका आनंद ले रही थी. सुप्रिया आज ऑफिस अपने ही घर चली गई थी. परन्तु सुरेखा आ गयी थी दोपहर में ही. और निखिल और नितिन के आने के पश्चात् सुरेखा उनके साथ एक शयनकक्ष में चली गई थी.
शीला: “सुरेखा ने किसी प्यासी मछली के समान हमारी जीवन शैली को अपना लिया है. अब उसे भी चुदवाने में बहुत आनंद आता है. बेचारी न जाने कितने दिनों से प्यार की भूखी थी.”
समर्थ: “मुझे तुम्हें कुछ बताना है.” उसका स्वर गंभीर था.
शीला: “ऐसा क्या है जो बताने के पहले पूछ रहे हो. सब ठीक तो है.”
समर्थ खड़ा होते हुए: “नहीं, सब ठीक नहीं है.” ये कहकर वो अपने घर में बने ऑफिस में गया और एक लिफाफा ले कर आया और शीला के हाथ में दिया.
समर्थ: “मैंने अपनी सिक्युरिटी कंपनी के द्वारा नागेश की जासूसी करवाई, पिछले दस दिनों में. अभी भी चल रही है.”
शीला ने लिफाफा खोला तो हतप्रभ रह गई. इसमें नागेश अपने विदेश दौरे पर अन्य लोगों के साथ सम्भोग में सलग्न था. पर आश्चर्य की बात ये थी कि वो स्त्रियों नहीं बल्कि दूसरे आदमियों के साथ लिप्त था. कहीं वो लंड चूस रहा था तो कहीं गांड मरवा रहा था.
समर्थ: “मैंने अपने वकील से सुरेखा की ओर से तलाक का नोटिस बनवा दिया है. जब वो वापिस आएगा तब उसे वो सौंप दिया आएगा. इन चित्रों के साथ. मुझे नहीं लगता कि वो कोई आपत्ति करेगा. उसे शहर छोड़ने के लिए मैंने कुछ राशि का प्रबंध किया है. उसकी कंपनी के MD से भी बात की है, वो उसे दूसरे शहर स्थानांतरित कर देंगे. मैंने उन्हें कारण नहीं बताया पर उन्होंने मेरी विनती स्वीकार कर ली है.”
शीला: “पर सुरेखा?”
समर्थ: “तुम्हें उससे बात करनी है. मेरा कुछ कहना अभी सही नहीं होगा. मुझे नहीं लगता कि सुरेखा वैसे भी उसके साथ रहना चाहती है, और ये देखकर तो बिल्कुल ही नहीं. मुझे एक बात की संतुष्टि है.”
शीला: “क्या?
समर्थ: “अब चूँकि इन दोनों में कई महीनों से शारीरिक सम्बन्ध नहीं हैं, तो सुप्रिया किसी भी प्रकार के सेक्स रोग से बच गई.”
शीला: “मैं आज ही रात को सुरेखा से बात करती हूँ.”
************
सुप्रिया का घर:
सुप्रिया अपने घर आज एक विशेष प्रयोजन से गई थी. आज अपनी भांजी संजना को अपने घर कुछ बात करने के लिए आमंत्रित किया था. संजना, मौसी के घर निर्धारित समय पर पहुँच गई. सुप्रिया मौसी को वो बहुत प्रेम करती थी. उनका स्वभाव और उनकी सुंदरता ने उसे सदा प्रभावित किया था. पर आज अकेले बुलाये जाने का उसे रहस्य नहीं समझ में आया. सुप्रिया ने उसे घर में अंदर बुलाया और दोनों बैठकर पहले तो संजना की पढाई के बारे में बातें करते रहे. संजना की बातों से उसकी व्यवसाय में रूचि तो समझ में आ गई. फिर सुप्रिया ने अपनी बात उस ओर मोड़ी जिसके लिए संजना को बुलाया था.
सुप्रिया: “आजकल सुरेखा का मूड कैसा है. मैंने देखा था कि कुछ दिन पहले तक वो बहुत उखड़ी हुई रहती थी.”
संजना: “पता है मौसी, अब तो लगता है की मम्मी बिल्कुल चेंज हो गयी हैं. जहाँ हम दोनों को हर बात पर डाँट देती थीं, अब तो बहुत प्यार और संयम से समझाती हैं. जो भी हुआ है, उनके लिए बहुत अच्छा है.”
सुप्रिया: “हम्म्म्म, मेरे विचार से मुझे पता है क्या हुआ है.”
संजना: “क्या मौसी?”
सुप्रिया: “मैं वो भी बता दूँगी। और, वैसे तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड वगैरह है या नहीं?”
संजना: “नहीं मौसी, मित्र तो बहुत हैं, पर बॉयफ्रेंड लायक कोई नहीं. और वो मित्र भी सच्चे हैं या नहीं मुझे पता नहीं. हमेशा ऐसे देखते हैं जैसे मुझे नंगा कर रहे हैं.” कहते हुए संजना ने अपने मुंह पर हाथ रख दिया अपितु कोई गलत बात निकल गई हो मुंह से.
सुप्रिया: “इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं, संजना. इस आयु में लड़कों को हर लड़की में एक ही आकर्षण होता है. और आजकल ऐसा भी नहीं कि लड़कियां इससे दूर भागती हैं. तुम्हारी कुछ सहेलियां तो अवश्य इसका लाभ उठाती ही होंगी.”
संजना: “जी मौसी, कुछ ने तो ४-४ बॉयफ्रेंड रखे हुए हैं.”
सुप्रिया: “इसमें कोई गलत नहीं है. ये जवानी दोबारा तो आनी नहीं, तो जितना हो सके उसका आनंद उठाना चाहिए.”
संजना ने आश्चर्य से मौसी को देखा.
संजना: “मौसी, आपको ये गलत नहीं लगता?”
सुप्रिया: “किंचित भी नहीं. जब मैं तुम्हारी अवस्था की थी तो मेरे तो ६ बॉयफ्रेंड थे.” और फिर थोड़ा आगे झुककर संजना के पास आकर कुछ षड्यंत्रकारी स्वर में, “और इतनी ही गर्लफ्रेंड भी थीं.”
संजना स्तब्ध रह गई.
संजना, “मौसी, गर्लफ्रेंड यानि?”
सुप्रिया ने अपने हाथ को संजना की जांघ पर हल्के हल्के चलते हुए उत्तर दिया, “हम्म्म्म! जो तुम समझ रही हो वो सच है. और पता है मेरी सबसे अच्छी गर्लफ्रेंड का नाम क्या था?”
संजना: “नहीं.”
सुप्रिया ने फुसफुसाकर बोला, “सुरेखा. सुरेखा था नाम उसका.”
संजना को काटो तो खून नहीं.
संजना: “मम्मी!”
सुप्रिया ने सिर हिलाकर मुस्कुराकर हामी भरी.
संजना: “आप तो बहनें हैं फिर कैसे.”
सुप्रिया: “क्योंकि सबसे बड़ा मानसिक सुख शारीरिक सुख में ही निहित होता है. और हम वैसे भी साथ ही सोती थीं, तो कोई समस्या ही नहीं थी.”
संजना सोच में डूब गई. उसे कभी सपने में भी ये विचार नहीं आया था की उसकी माँ लेस्बियन सम्बन्ध में कभी रही होगी. और तो और वो भी उसकी मौसी के साथ. तभी उसे दूर से किसी के बोलने की आवाज़ आयी. शायद मौसी उससे कुछ कह रही थीं. उसने उनकी बात पर ध्यान दिया.
सुप्रिया: “कहाँ खो गयीं, मेरी बात सुनी?”
संजना: “नहीं मौसी, सॉरी मैं कुछ सोच रही थी.”
सुप्रिया ने संजना की जांघ पर हाथ चलते हुए उसकी चूत के ऊपर रोक दिया. संजना उनकी ओर एकटक देख रही थी.
सुप्रिया: “मैंने कहा कि मैं चाहती हूँ कि हम दोनों भी वैसे ही प्यार करें.” ये कहकर वो रुक गई और संजना की प्रतिक्रिया देखने लगी. संजना ने उत्तर नहीं दिया पर सुप्रिया के हाथ को हटाया भी नहीं.
फिर संजना हकलाते हुए बोली, “पर मम्मी को पता लगा तो…..”
सुप्रिया ने अपने हाथ से संजना को चूत पर दबाव बनाकर कहा, “ कौन बताएगा? और सच कहूँ तो वो स्वयं तुम्हारी इस मिठास को चखना चाहेगी.” ये कहते हुए सुप्रिया ने संजना के होंठ चूम लिए.
कुछ ही क्षणों में ये चुम्बन प्रगाढ़ हो गया. संजना की प्रतिक्रिया को स्वीकारात्मक समझते हुए सुप्रिया खड़ी हो गई और अपना हाथ संजना की ओर बढ़ाया.
सुप्रिया, “बेबी, ये सही स्थान नहीं है. मेरे कमरे में चलते हैं.”
संजना वशीभूत सी होकर सुप्रिया के साथ उसके कमरे में जा पहुंची. सुप्रिया ने दरवाजा बंद किया और अपने कपडे निकालने लगी और पालक झपकते ही वो संजना के सामने पूरी नंगी खड़ी थी.
फिर वो संजना की ओर बढ़ी और उसका चेहरा हाथ में लेकर प्यार से बोली, “शर्मा मत मेरी गुड़िया, तुमने कभी किसी स्त्री के साथ कुछ भी नहीं किया न?”
संजना ने न में सिर हिलाया.
सुप्रिया: “तुम्हें आज से मैं वो सब सिखाऊँगी जो तुम्हें सीखना चाहिए.” कहते हुए सुप्रिया ने संजना के वस्त्र उतारने शुरू किये. पर जब सुप्रिया का हाथ उसकी पैंटी पर पड़ा तो संजना ने उसका हाथ पकड़ लिया.
संजना: “मौसी, ये गलत नहीं है न?”
सुप्रिया: “बिल्कुल भी नहीं.”
ये कहकर उसने संजना को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी पैंटी भी अलग कर दी. संजना की एकदम मलाईदार बुर अब उसके सामने थी. और उसे देखकर ये भी समझ आ गया की संजना एक अछूती कली है. उसने अपने भाग्य को धन्य माना जो उसे ऐसी बुर को भोगने का पहला अवसर मिला था. उसने दोनों पंखुड़ियों को थोड़ा सा खोला और अपनी जीभ से बुर पर चमक रही नमी को चाट लिया.
************
शीला का घर:
निखिल कुछ देर में नंगे ही बैठक में आया, उसके चेहरे पर पसीना चमक रहा था और एक संतुष्टि का भाव भी.
निखिल: “मौसी बहुत कमाल की हैं. मेरे लंड का पानी पूरा निचोड़कर पी गयीं.”
शीला: “क्या हुआ, तूने उसे चोदा नहीं.”
निखिल: “अपने छोटे भाई के लिए छोड़ दिया. आज उसी को सेवा करने दो उनकी.” ये कहकर उसने बार से अपने लिए एक पेग बनाया और टीवी पर चल रहे कार्यक्रम को देखने लगा.
निखिल: “नाना, जो कैमरे आपने लगाए हैं उनसे पिक्चर इतनी साफ आती है कि ऐसा लगता है कि हम वहीं हैं.”
समर्थ: “हाँ, बहुत उच्च कोटि के कैमरे लगाए हैं. पर अब मैं कुछ और करने के बारे में विचार कर रहा हूँ.”
निखिल: “इससे अधिक क्या करेंगे नानाजी?”
समर्थ: “3D, ये सबसे नए कैमरे हैं, और ये टीवी भी 3D पिक्चर दिखा सकता है. जो अभी कमी लग रही है वो भी नहीं रहेगी.”
निखिल: “वाओ, पर सारे घर में लगाने में बहुत खर्चा नहीं आएगा?”
समर्थ: “हाँ, २८ लाख का बजट दिया है. अगले हफ्ते में उन्हें लगाने के लिए उनका दल आएगा.”
निखिल: “ओके, मैं तो अभी से उसके द्वारा बने वीडियो के बारे में सोच रहा हूँ.”
समर्थ और शीला हंसने लगे.
निखिल: “नानी, पार्थ का फोन आया था. आपका दिंची क्लब का प्रवेश की प्रक्रिया पूरी करने हेतु उसने आपसे कोई दिन चुनने के लिए कहा है.”
शीला समर्थ से, “आप क्या कहते हो, कब जाऊँ?”
समर्थ: “ऐसा करो जिस दिन ये लोग कैमरे लगाने आ रहे हैं उसी दिन चली जाओ. उस दिन मेरे सिवाय यहाँ किसी की आवश्यकता नहीं है.”
शीला: “निखिल, जैसा नानाजी ने कहा है, वही आगे बता दे.”
निखिल: “जी नानी.”
शीला टीवी की ओर संकेत करते हुए: “और इन दोनों को बोल, अब बस करें खाना भी खाना है.”
निखिल ये सुनकर उठकर उस कमरे में चला गया.
************
सुप्रिया का घर:
सुप्रिया के शयनकक्ष के बिस्तर पर संजना कसमसा रही थी. उसके दोनों पाँव पूरी तरह से फैले हुए थे और उसकी मौसी उसकी चूत में अपना चेहरा घुसाए हुए थी. सुप्रिया जैसी अनुभवी चूत चाटने वाली स्त्री के सामने संजना ने हाथ डाल दिए थे. उसने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा थे कि इस प्रकार के सेक्स में भी इतना सुख है. और अब उसने ठान लिया था कि सेक्स के हर आयाम का वो सुख लेगी. परन्तु अभी उसे अपनी चूत में जो संवेदना हो रही थी उसके सामने उसकी आगे की किसी भी प्रकार की सोच पर पर्दा डल गया था.
सुप्रिया को भी इस अनछुई बुर के स्वाद ने विह्वल किया हुआ था. ऐसा स्वाद, ऐसी मिठास, ऐसी खुशबू उसे अपनी युवावस्था के दिनों का स्मरण करा रही थी. उसने निश्चय किया कि वो स्वार्थी बनकर जब तक उसका मन इस रस से भर नहीं जाता, वो इसे अपने लिए बचा के रखेगी. हालाँकि उसे ये पता था कि एक बार ये सुख पाने के पश्चात् संजना जल्दी ही इसके आगे बढ़ना चाहेगी. और तो और उन्होंने अभी ये भी निश्चित नहीं किया था कि संजना का उद्घाटन कौन करेगा। इस पंक्ति में समर्थ अवश्य सबसे आगे थे, पर वो इस शुभ कार्य को किसी और को भी सौंप सकते थे. संजना की अनचुदी बुर इस समय अश्रुधार बहा रही थी जिसके स्वाद से सुप्रिया अपने जीवन को धन्य मान रही थी.
“मौसी, मुझे अब बहुत अजीब लग रहा है, मौसी, ये क्या हो रहा है?”
मौसी तो अपने भोग में लीन थी, उसने कोई उत्तर नहीं दिया. वो जानती थी कि कुछ प्रश्न अपना उत्तर स्वयं ही ढूंढ लेते हैं. और यही हो भी रहा था.
“मौसी, मेरा सूसू निकल जायेगा मौसी. मुझे बहुत अजीब लग रहा हैं वहां. मौसी ….. मौ …… सीईईईई …. मम्मीईईई उउउह आऊवोह मौसी मेरी सूसू निकल गई मौसी आपके मुंह में. ये क्या हो गया!”
संजना के पूरा झड़ने के बाद सुप्रिया ने अपना कामरस से ओतप्रोत चेहरा उठाकर उसकी ओर देखा.
“कैसा लगा मेरी लाडो?”
“बहुत अच्छा मौसी, पर अपने मेरा सूसू क्यों पिया.”
सुप्रिया ने उसकी चूत पर एक बार फिर जीभ चलते हुए कहा, “पहली बात तो ये है कि ये तुम्हारी सूसू नहीं थी. जब हम औरतें सेक्स के समय चरम पर पहुँचती है, तब उनका शरीर ये रस छोड़ता है. इसे कामरस भी कहते हैं. और जो तुमने आज अनुभव किया है, उसके लिए इस संसार की हर स्त्री व्याकुल रहती है. अब ये समझ लो कि तुमने आनंद के उस द्वार को देख लिया है जिसके लिए हर मनुष्य क्या नहीं करता.”
“मौसी, हम ये फिर कर सकते हैं.” संजना ने उत्सुकता से पूछा.
“बिल्कुल, आज तुम मेरे ही साथ रुक जो रही हो. मैंने सुरेखा से अनुमति ले ली थी.”
“और भैया लोग, वो भी तो आते होंगे?”
“नहीं आज नाना नानी ने उसे किसी विशेष अभियान में लगाया हुआ है. वो दोनों वहीं रहेंगे. आज हम दोनों अकेले ही हैं. चल अब खाना खा लेते हैं.”
ये कहते हुए सुप्रिया ने कपडे डाले और कमरे के दरवाजे पर रुक गई. संजना भी शीघ्र कपड़े पहन कर आ गई और दोनों रसोई में चले गए. जाते जाते सुप्रिया ने फोन से एक संदेश किया, “ मिशन सफल”
************
सुरेखा का घर:
सजल आज घर जल्दी पहुँच गया था. सुरेखा ने उसे पहले ही बता दिया था की वो नाना नानी के घर जा रही है. और बाद में संजना का फोन आया कि वो भी मौसी के घर जा रही है. सजल को ऐसा अवसर कम ही मिलता था जब ये दोनों घर से इतनी देर एक साथ बाहर हों. उसने घर में जाकर फटाफट अपने कपडे बदले और बाथरूम में घुस गया जहाँ पर वाशिंग मशीन लगी थी. खंगालकर उसने सुरेखा की एक पैंटी ढूंढ निकाली और तुरंत अपने कमरे में घुसकर दरवाज़ा बंद कर लिया.
फिर टीवी पर उसने एक इन्सेस्ट (पारिवारिक सम्भोग) की वीडियो लगाई जो उसने नेट से डाउनलोड की थी. और ये सब करके वो अपने बिस्तर पर बैठकर मस्ती से मूवी देखते हुए मुठ मारने लगा. जब उसका एक बार झड़ गया तो उसने सफाई की और फिर दोबारा अपने लंड को खड़ा करने के लिए हिलाने लगा. कुछ ही देर में वो फिर तन गया था और उसने एक बार फिर अपनी माँ की पैंटी में मुठ मारकर अपना वीर्य छोड़ दिया. इस समय वो इतना आराम से था कि उसकी झपकी लग गई और वो सो गया.
************
शीला का घर:
निखिल कमरे में पहुंचा तो देखा कि नितिन का वीर्य उसकी मौसी की चूत से बह रहा था जिसे अपनी उँगलियों में समेटकर चाटने का प्रयास कर रही थी. उसके बाद सुरेखा नितिन का लंड चूसने लगी जैसे फिर चुदवाने की इच्छा हो. दोनों भाई एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए.
निखिल: “क्या हुआ मौसी?”
सुरेखा: “मुझे और चुदवाने का मन है, तुम जाओ.”
निखिल: “अरे मौसी, सारी रात पड़ी है. नानी बुला रही हैं. चलिए.”
नितिन और सुरेखा उसी अवस्था में बैठक की ओर बढ़ गए.
सुरेखा: “मम्मी, आपने बुलाया?”
शीला ने सुरेखा की चूत से बहता हुआ वीर्य देखा तो उसे हंसी आ गई.
शीला: “ये ठीक है कि सालों से तेरी अच्छी चुदाई नहीं हुई, पर ये भी नहीं कि तू सब कुछ भूल जाये. चलो, खाने का समय है, खाने के बाद मुझे तुझसे कुछ आवश्यक बात भी करनी है.”
सुरेखा ने हाथ मुंह धोकर एक गाउन पहन लिया और खाने के लिए बैठ गई. तभी उसे ध्यान आया कि आज सजल घर में अकेला है क्यूंकि संजना भी सुप्रिया के घर पर है. खाना समाप्त करने के बाद शीला सुरेखा को समर्थ के घर में बने ऑफिस में ले गई और दरवाजा बंद कर लिया.
सुरेखा: “क्या हुआ, मम्मी.”
शीला: “सुरेखा, विषय थोड़ा गंभीर है. पहले ये बता कि तेरे और नागेश के सेक्स सम्बन्ध कितने दिन पहले हुए थे.”
सुरेखा: “मम्मी, बात क्या है?”
शीला: “जो पूछा है उसका उत्तर दो, उलटे सवाल मत करो.” शीला का स्वर कठोर था.
सुरझा: “साल से अधिक हो गया. ठीक से याद नहीं पर साल से तो अधिक हो ही गया है.”
शीला ने कहा: “जो मैं अब बताने जा रही हूँ, तुम्हें इससे धक्का लगेगा, पर बताना भी आवश्यक है.” ये कहकर शीला ने वो लिफाफा सुरेखा की ओर बढ़ा दिया.
चित्र देखकर सुरेखा के चेहरे का रंग ही उड़ गया. वो रोने लगी. कुछ समय जब वो रो चुकी तब शीला ने उसे गले से लगाकर ढाढस बंधाया.
“तेरे पापा ने तलाक के पेपर बना लिए हैं. बाहर जाकर उस पर हस्ताक्षर कर देना. पापा ने नागेश का स्थानांतरण दूसरे शहर करवा दिया है. नागेश अगर कुछ न नुकुर करेगा तो ये चित्र हम कई लोगों को भेजेंगे. मेरे विचार से अब तुम उससे अपने आप को मुक्त मानो। ”
सुरेखा ने कुछ नहीं कहा और उठकर बाहर चली गई.
“पापा, पेपर कहाँ हैं?”
समर्थ उसके दुःख को समझ रहा था.
“सॉरी, बेटी.” फिर उसने उठकर अपने ऑफिस से पेपर्स ले आये और सुरेखा ने निश्चित स्थानों पर हस्ताक्षर कर दिए.
सुरेखा: “पापा, मैं घर जा रही हूँ. पता नहीं सजल ने कुछ खाया या नहीं.”
समर्थ: “निखिल, जाकर मौसी को छोड़कर आ.”
सुरेखा: “मैं चली जाऊंगी।”
समर्थ: “बिल्कुल भी नहीं. या तो यहीं रुको नहीं तो निखिल छोड़कर आएगा.”
सुरेखा: “ठीक है.”
ये कहकर वो अपने कपड़े बदलने चली गई और कोई १० मिनट में वापिस लौट आयी. समर्थ और शीला ने उसे गले लगाया.
“तू चिंता मत करना, हम अभी ज़िंदा हैं.”
“मुझे बस इस बात का दुःख है कि मुझे जानने में इतने साल लग गए. पर अब मैं मुक्त हुई.”
निखिल सुरेखा को लेकर निकल गया और उसे छोड़कर वापिस लौट आया.
************
सुरेखा का घर:
सुरेखा ने अपने घर में देखा कि सारे घर की बत्तियां जल रही थीं. उसने रसोई में जाकर देखा तो पाया कि खाने के लिए कुछ भी नहीं था. उसे सजल की चिंता हुई. फिर वो अपने कमरे की और बढ़ी कि कपडे बदल कर खाने के लिए कुछ बना देगी. अचानक उसके पैर ठिठक गए. सजल के कमरे से कुछ आवाजें आ रही थीं जैसे कोई चुदाई कर रहा हो. उसने देखा कि दरवाजा तो बंद था पर लॉक नहीं था. उसने धीरे से खोलकर अंदर झाँका तो उसके होश उड़ गए. सजल सोया हुआ था पर उसका लंड उसके अंडरवियर से बाहर था और उसके ऊपर सुरेखा की पैंटी थी. उसने धीमे क़दमों से कमरे में प्रवेश किया और टीवी पर चल रहे दृश्य को देखा.
उसे ये समझने में अधिक समय नहीं लगा कि सजल एक इन्सेस्ट मूवी देख रहा था जिसमें संभवतः एक लड़का अपनी माँ की चुदाई कर रहा था. टीवी को देखा तो उसमें एक USB लगी हुई थी.उसने कमरे से बाहर जाकर दरवाजा बंद किया और अपने कमरे में जाकर एक पतली झीनी नाइटी पहन ली. उसके मन में सुप्रिया के सुझाव आ रहे थे. अगर घर में ही लंड उपलब्ध है तो उसका उचित उपयोग करना चाहिए. कपड़े बदलकर उसने सजल का दरवाजा खटखटाते हुए उसे खाने के लिए आने के लिए कहा.
अपनी माँ की आवाज़ से सजल की आंख खुल गई. उसने देखा कि कमरा बंद है, पर मम्मी ने पुकारा था. उसने तुरंत टीवी बंद किया, अपना अंडरवियर ठीक किया, सुरेखा के पैंटी को तकिये के नीचे रखकर बाथरूम में जाकर मुंह धोया और कमरे से बाहर निकला. उसने रसोई में कुछ आवाज सुनी तो समझ गया कि मम्मी कुछ बना रही है. धड़कते मन से वो किचन की ओर चल पड़ा. रसोई में पहुंचा और सुरेखा ने जो पहना था उसे देखकर सजल के लंड में फिर तनाव आ गया और उसके शार्ट में एक टेंट बन गया. इससे पहले कि वो कुछ समझता या करता सुरेखा उसकी ओर मुड़ी और उसकी भी ऑंखें सजल के टेंट पर पड़ीं.
“मैं आयी तो देखा तुम सो रहे थे.” सुरेखा ने सजल के शंका को और बढ़ाते हुए कहा. अब सजल को ये नहीं समझ आया कि उसकी माँ ने क्या और कितना देखा है.
“मेरी आंख लग गई थी, थक कर. आप कब आयीं? आपने तो कहा था आज नाना के घर पर ही रहोगे.”
“अब बिस्तर पर लेट तुम ऐसा क्या कर रहे थे जो थक गए थे? कोई मूवी भी लगी थी तुम्हारे टीवी पर, कौन सी थी. चलो खाने के बाद साथ देखेंगे.” सुरेखा को सजल को छेड़ने में कुछ अधिक ही आनंद आ रहा था.
“पता नहीं, टीवी पर कोई चल रही होगी. मैं तो टीवी चला कर सो गया था.”
“चलो, कभी और सही. लो अब खाना खा लो, बस हल्का सा ये बना दिया है. वैसे भी थके होने पर कम ही खाना चाहिए.”
सजल ने प्लेट ली और डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाने लगा. सुरेखा उठकर किसी कमरे में गई और कुछ ही मिनट में लौट आई. अभी सुरेखा का मन नहीं भरा था सजल को सताने से.
“अरे, ये बताओ, तुमने मेरी पैंटी देखी है क्या वो नीली वाली? मैं वाशिंग मशीन में कपडे धोने डाल रही थी तो देखा वो नहीं है.”
सजल के गले में खाना अटक गया और उसे जोर का ठसका लगा. सुरेखा ने जल्दी से उठकर उसे पानी दिया और उसकी पीठ ठोकी. सजल की जब साँस सँभली तो उसने थोड़ा और पानी पिया.
“मुझे कैसे पता होगा आपकी पैंटी का? हो सकता है संजना ने ले ली हो गलती से.”
“हाँ, हो तो सकता है.”
सजल ने किसी तरह खाना खाया और प्लेट किचन में रखी और गुड नाइट कहकर अपने कमरे की ओर दौड़ गया. सुरेखा के चेहरे पर इस समय एक कुटिल मुस्कान नाच रही थी. सजल ने अपना कमरा लॉक किया और जल्दी से टीवी से USB निकाला जिसमे पॉर्न मूवी थी. फिर उसने अपनी तकिया के नीचे से पैंटी निकालने के लिए हाथ बढ़ाया तो वहाँ कुछ नहीं था. वो अचंभित हो गया. उसे याद था कि उसने पैंटी को तकिया के नीचे ही रखा था. उसे लगा कि शायद उसने वाशिंग मशीन में डाल दी हो. यही सोचकर उसने दरवाजा खोला तो हक्का बक्का रह गया.
दरवाजे पर उसकी माँ खड़ी थी और वो अपने हाथ में एक नीले रंग की पैंटी घुमा रही थीं.
“कुछ ढूंढ रहे थे क्या?”
************
सुप्रिया का घर:
सुप्रिया ने खाने के बाद फिर एक बार संजना का रस चूसा और पिया. उसके मन को आत्मतृप्ति मिली.
सुप्रिया: “संजना, मुझे एक वचन दो.”
संजना: “क्या मौसी?”
सुप्रिया: “यही कि तुम अभी किसी भी पुरुष से नहीं चुदवाओगी। मैं इस कली का रस जी भर कर पीना चाहती हूँ. और भी कुछ लोग हैं जो इस कुंवारी चूत का रस पीना चाहेंगे. क्या है न आजकल अनछुई कली मिलना असंभव है. क्या वचन देती हो. हाँ, ये अवश्य है कि तुम्हें हम अधिक दिनों तक नहीं रोकेंगे, और संभव हुआ तो तुम्हारी चूत का उद्घाटन भी एक विशिष्ट व्यक्ति से ही करवाएंगे, जिससे कि तुम्हें जीवन भर के लिए एक मधुर स्मृति मिल जाये.”
संजना: “मौसी, सच कहूँ तो मैं यही सोच रही थी. पर मैं आपको वचन देती हूँ कि आपके बताये बिना मैं किसी भी पुरुष से नहीं चुदवाऊँगी।”
सुप्रिया: “अब तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि तुम्हें भी जानना चाहिए कि मुझे तुम्हारे रस में ऐसा क्या स्वाद आया कि मैं न्योछावर हो गई.”
संजना: “हाँ, पर मैं क्या करूँ ?”
सुप्रिया ने अपने पाँवों को फैला कर अपनी चूत की पंखुड़ियों को सहलाते हुए कहा, “वही जो मैं अब तक कर रही थी. मेरी चूत को चूस और चाटकर अब तुम मुझे सुख दो और जानो कि क्या जादू है इसके रस में.”
संजना: “पर मुझे तो कुछ आता ही नहीं.”
सुप्रिया: “तुम आरम्भ तो करो, कुछ मैं बताती रहूंगी, और कुछ तुम स्वयं ही सीख लोगी.”
संजना ने अपना चेहरा सुप्रिया की जांघों के बीच में डाला और सेक्स के ज्ञान का दूसरा अध्याय पढ़ना शुरू किया.
************
शीला का घर:
निखिल जब वापिस पहुंचा तो देखा कि नाना और नानी दोनों गायब हैं. नितिन बड़े टीवी पर कोई शो देख रहा था.
निखिल: “नानी कहाँ हैं?”
नितिन: “सोने चली गयीं.”
निखिल: “तो हम भी चलते हैं.”
नितिन: “नहीं, आज मना किया है आने को. दोनों अकेले ही रहेंगे.”
निखिल: “यार पता होता तो मैं मौसी के ही घर रुक जाता.”
शीला और समर्थ अपने कमरे में लेटे हुए थे और आने वाले विवाह के विषय में बात कर रहे थे.
समर्थ: “सोच रहा हूँ, कल सुमति को बुला लेते हैं. कल हमारे सिवाय कोई और तो रहेगा नहीं, उसे बुला कर देखते हैं, कि विवाह में क्या आयोजन ठीक रहेगा. शोनाली और जॉय से सीधे पूछना अच्छा नहीं लगेगा.”
शीला: “ठीक है, कल बुला लूंगी। “
समर्थ: “क्या हुआ आज बच्चों को मना कर दिया आने के लिए.”
शीला: “रोज रोज की चुदाई से एक दो दिन छुट्टी भी चाहिए होती है. और हम दोनों को इस तरह लेटकर बातें किये हुए कितना समय हो गया.”
समर्थ: “सच है.”
शीला: “सुप्रिया ने संजना का भोग लगा लिया आज.”
समर्थ: “अच्छा है. चलो अब सो ही जाते हैं.”
************
सुरेखा का घर:
सजल को काटो तो खून नहीं. अपनी माँ के हाथ में अपने वीर्य से सनी पैंटी देखकर उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई. उसके बचने के लिए कोई मार्ग नहीं था.
“अंदर चलो.” सुरेखा ने कठोर शब्दों में कहा.
सजल डरता हुआ कमरे में अंदर आ गया.
“बैठो” ये कहकर सुरेखा ने दरवाजा लॉक कर दिया.
उसके बाद वो टीवी को देखने लगी. उसने देख लिया की उसमें में USB नहीं लगी है.
“USB कहाँ है?”
“कौ क कौ कौन सी USB”
“मैंने पूछा कि USB कहाँ है, तो मुझे पता होगा कि कौन सी. अब बताओ कहाँ है.?”
सजल ने अपने पैंट से USB निकाल कर दे दी.
सुरेखा ने उसे टीवी में लगाकर टीवी चालू किया. सजल एकदम से सुरेखा के पांवों में लोट गया.
“मम्मी, नहीं. मुझे क्षमा कर दो. प्लीज. प्लीज़, मत देखो.”
“तो तुम्हें अपनी मम्मी की पैंटी अच्छी लगती हैं?”
सजल पांव पकडे लेटा रहा.
“बोलो?”
सजल ने सिर हिलाकर झुका लिया.
“और तुम ये माँ बेटे की चुदाई की फिल्म देखते हो और मेरी पैंटी को गन्दा करते हो?” सुरेखा को इस खेल में बहुत आनंद आ रहा था.
“मुझसे गलती हो गई. अब ऐसा नहीं करूंगा.”
अब तक सुरेखा अपने शरीर से वो झीनी नाइटी उतार चुकी थी और केवल एक लाल रंग की पैंटी में खड़ी थी. सजल उसके पांवो में पड़ा हुआ था. और ऊपर देख ही था.
“हम्म्म, तो तुम्हें क्या दंड मिलना चाहिए?”
सजल अपना सर नीचे ही किये हुए बोला , “बस मुझे क्षमा कर दो, जो दंड देना है दो, पर बस क्षमा कर दो.”
“ठीक है, ऊपर देखो, मेरी ओर.” ये कहते हुए सुरेखा ने अपने दोनों पांव फैला दिए.
सजल ने ऊपर देखा तो उसकी आंखे फट गयीं. उसके ऊपर उसकी माँ दोनों पांव फैलाये मात्र एक पैंटी में खड़ी थी. उसे उस पैंटी में कुछ गीलापन भी दिख रहा था. और उसके ऊपर माँ के दो पहाड़ जैसे मम्मे अपने पूरे सौंदर्य में तने हुए थे.
“तुम्हें मेरी पैंटी पसंद है न? आकर इसे चूसो. सावधान! जो उतारने का प्रयास भी किया!” ये कहते हुए सुरेखा बिस्तर के किनारे पैर फैलाकर बैठ गई.
************
सुप्रिया का घर:
संजना अपने अनुमान के अनुसार सुप्रिया की चूत चाटने का प्रयास कर रही थी. अब एक अप्रशिक्षित और अनुभवी में अंतर तो होता ही है. ये ध्यान करते हुए कि मौसी ने क्या किया था उसका ही अनुशरण करने का प्रयास कर रही थी. परंतु उस समय वो अपने आनंद में इतनी व्याप्त थी कि उसे ठीक से कुछ याद ही नहीं था. परन्तु, वो जितना संभव हो उतने प्यार से अपने काम में लगी थी.
सुप्रिया यही सोच रही थी कि इस कच्ची कली को तो स्वयमेव सीखने में बहुत समय लगेगा. इसी कारण संजना को युक्तियाँ सुझाईं. संजना भी इस काम में आनंद पा रही थी. सुप्रिया ने अपनी चूत के कपाट खोलकर संजना को बताया कि किस प्रकार से उसे अपनी जीभ से भीतर का विश्लेषण करना है. अब संजना थी तो नयी पर जैसे ही उसने अपनी जीभ अंदर सरकाई मानो उसे ज्ञान स्वतः प्राप्त हो गया. उसने हर छिद्र, हर बिंदु को अपनी जीभ से टटोलना जब प्रारम्भ किया तो सुप्रिया के शरीर में आनंद की लहर दौड़ गई.
“हाँ, यूँ ही, बहुत अच्छा लग रहा है. उउउह व्वाआह संन्न ज न्नन्ना।”
संजना ने जब ये सुना तो उसे बहुत प्रसन्नता हुई की उसके उपक्रम से मौसी इतनी खुश है. उसने अपने प्रयास को और बढ़ा दिया. अचानक ही सुप्रिया का शरीर अकड़ गया, और संजना को अपनी जीभ पर कुछ खारे से पानी का अनुभव हुआ.
“उउउह व्वाआह संन्न ज न्नन्ना, मैं गईईई “
और संजना का पूरा मुंह सुप्रिया के रस से भर गया. सुप्रिया ने उसका सिर पकड़कर अपनी चूत में दबा लिया था इसीलिए संजना हट न पायी और उसे पूरा पानी पीना पड़ गया. पर उसे इसका स्वाद बुरा बिल्कुल भी नहीं लगा. जब सुप्रिया पूरी झड़ गई तो उसने बड़े प्यार से संजना के सिर पर हाथ फिराया और थपकी देकर संतोष व्यक्त किया. संजना ने अपना चेहरा उठाकर सुप्रिया को देखा.
“तू तो बहुत जल्दी सीख गई मेरी गुड़िया रानी. आ मौसी को एक पप्पी दे.”
संजना सुप्रिया के पास लेट गयी और दोनों एक दूसरे को चूमते हुए प्यार करते रहे. और कुछ देर यूँ ही प्यार करते हुए दोनों एक दूसरे से नंगी ही लिपटी हुईं नींद की गोद में चली गयीं.
************
सुरेखा का घर:
घुटनों के बल चलकर सजल सुरेखा के पाँवों के बीच में आ गया. फिर उसने पैंटी पर अपनी नाक रगड़ते हुए एक गहरी साँस ली. सुरेखा की चूत की भीनी सुगंध उसके नथुनों में भर गई और उसे एक नशा सा हो गया. उसने ३-४ बार यही क्रिया दोहराई, जब तक उसके फेफड़े सुरेखा की मादक गंध से भर नहीं गए. फिर उसने अपना मुंह पैंटी पर लगाया जो इस समय गीली हो चुकी थी. एक बार अपना मुंह उस पर लगाकर उसने लम्बा घूंट सा लिया जिससे की उसके मुंह में सुरेखा का अमृत रस बहता चला आया. उस रस को पीते ही सजल का नियंत्रण समाप्त हो गया. वो किसी भूखे पशु के समान जोर जोर से चूस कर मानो अपना मन और पेट दोनों ही भरने का प्रयास कर रहा हो.
सुरेखा इस समय आनंद के सागर में हिलोरें ले रही थी. सुप्रिया न जाने कब से इसका आनंद ले रही है. अब उसका क्रम है, और उसने जीवन में खोये हुए सुख के हर क्षण को वापिस पाने का निर्णय लिया. उसने प्रेम से अपनी जांघों के बीच अपने बेटे को देखा. उसने एक हाथ बढाकर उसके सिर को सहलाया. उसने अब तक कठोरता दिखाई थी, परन्तु वो नहीं चाहती थी कि उसका बेटा दब्बू बन जाये. उसने खेल समाप्त करने का निर्णय किया.
“तुम चाहो तो पैंटी उतार सकते हो.” ये कहते हुए सुरेखा ने अपनी गांड उठा ली. सजल ने इसे शुभ संकेत मानकर धीरे से पैंटी को सरकाकर उतार दिया. अब उसकी माँ की सुन्दर गुलाबी चूत उसकी आँखों के समक्ष थी. इस दृश्य की चाह में उसने न जाने कितनी रातों को मुठ मारी थी.
“मैं छू कर देखूं?”
“अवश्य “
सजल ने अपने हाथ को बढ़ाते हुए सुरेखा की चूत के कपाल छुए. फिर उसे प्यार से सहलाने लगा. ऐसा करने से सुरेखा की चूत पर कामरस के मोती चमकने लगे. सजल ने अपना मुंह आगे किया और उस सुगन्धित जीवन रस को जीभ से चाट लिया. सुरेखा का शरीर काँप उठा. तो यही वो संवेदना थी जो सुप्रिया अनुभव करती होगी. उसका लाड़ला बेटा ही आज उस स्थान का अवलोकन कर रहा था जहाँ से उसने जन्म लिया था. सुरेखा से अब और संयम नहीं हुआ. उसने सजल का सिर पकड़कर अपनी चूत पर जोर से दबा लिया. सजल की तो साँस ही रुक गयी. सुरेखा ने उसके सिर को छोड़ा और खड़ा होने के लिए कहा.
सुरेखा: “अगर तुम्हें मेरी पैंटी ही चाहिए थी तो अलग बात है, पर अगर तुम्हें और कुछ भी इच्छा है, तो मैं उसे पूरी करने के लिए तत्पर हूँ. ये मैं तुम्हें इसीलिए कह रही हूँ क्योंकि तुम्हारे पापा से मुझे डेढ़ साल से छुआ भी नहीं है. और मैं चुदास से विह्वल हूँ. क्या तुम मुझे प्यार करोगे? बुझाओगे मेरी प्यास?”
सजल को मानो कुबेर का खजाना मिल गया. उसने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि आज के दिन ये चमत्कार लेकर आएगा. उसने सिर उठाकर अपनी माँ को एक प्रेमी की दृष्टि से देखा तो उसे अद्वितीय सौंदर्य की साक्षात् अप्सरा के दर्शन हुए. इस आयु में उसकी माँ का यौवन खिला हुआ था. अगर लड़कियों में सुंदरता होती है, तो उसकी माँ में एक अनूठा आकर्षण था.
सजल: “मम्मी, मेरा वश चले तो मैं संसार का आपको हर सुख देना चाहूंगा जो आपको मिलना चाहिए. आपके तन और मन दोनों को मैं अपने प्यार से ओतप्रोत कर दूंगा. आप जो भी इच्छा रखती हैं, मैं उसे अवश्य पूरा करूँगा. परन्तु, मुझे अभी कुछ आता नहीं है, बस फ़िल्में देखकर जो ज्ञान अर्जित किया है मेरा अनुभव वहीँ तक सीमित है. आप अगर इसमें मेरी शिक्षिका बनेंगी तो मैं अवश्य अच्छा शिष्य भी बनूँगा.”
सुरेखा की ऑंखें भीग गयीं. अपने पति के तिरिस्कार से व्यथित उसके मन में जीवन की एक नयी उमंग जाग गयी. वो उठकर सोफे पर जा बैठी और उसने सजल को अपने पास बैठने का संकेत किया. सजल के पास बैठते ही उसने उसके सीने पर अपना सिर रख दिया और सुबकने लगी. सजल को समझ नहीं आया कि वो क्या करे. बड़े से बड़े अनुभवी पुरुष भी स्त्री के रोने का अर्थ नहीं समझे तो ये तो एक प्रकार से नादान था.
“मम्मी, रो क्यों रही हो.”
“मैंने सोचा भी नहीं था कि मुझे कभी दोबारा प्यार मिलेगा.” ये कहते हुए उसे इस बात की ग्लानि थी.
इस बात की कि उसने अपने शरीर को अपने पिता और भांजों को समर्पित किया, न कि उससे अथाह प्रेम करने वाले पुत्र को. पर उसने एक बात का निश्चय किया। आज तक उसकी गांड कोरी थी, और ये वो अपने बेटे को ही भेंट में देगी, समय आने पर. और तब तक वो इसमें किसी भी और पुरुष का प्रवेश वर्जित ही रखेगी. उसने एक मुस्कराहट से सोचा कि उसके पिता और भांजों में जो शर्त लगी है उसकी इस कुंवारी गांड को लेकर, वो तीनों ही हार जायेंगे. ये सोचकर वो ठहठहा कर हंस पड़ी. अब सजल को फिर समझ नहीं आया कि रोते रोते उसकी माँ हंसने क्यों लगी. पर उसने मूर्ख सिद्ध होने के स्थान पर चुप रहने ही श्रेयस्कर समझा.
************
शीला का घर:
हालाँकि समर्थ सो चुके थे, पर शीला को नींद नहीं आ रही थी. उसका मन अपने परिवार के बारे में चिंतित था. समर्थ ने उसे कभी भी किसी सुख से वंचित नहीं रखा. उसने समर्थ के सिर पर प्यार से हाथ चलाते हुए समर्थ के शांत चेहरे को देखकर ईश्वर का धन्यवाद किया जिसने उन्हें न केवल साथ ही रखा अपितु एक जैसी सोच भी दी. कुछ देर में उसने जब अपना हाथ हटाया तो एक हाथ ने उसकी कलाई पकड़ ली. समर्थ उसकी ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे.
शीला: “आप सोये नहीं?”
समर्थ: “सो गया था, पर किसी खटके ने जगा दिया. देखा कि तुम सिर सहला रही हो तो सोने का स्वांग करता रहा. क्या हुआ? नींद नहीं आ रही?”
शीला: “नहीं, कुछ हुआ नहीं. बस प्रार्थना कर रही थी कि सब कुछ ऐसे ही अच्छे से चलता रहे. अब निखिल की भी बहू आ जाएगी. परिवार बढ़ने लगा है. हमें कभी बेटे की कमी नहीं लगी, पर अगर एक बेटा भी होता तो वंश आगे चलता.”
समर्थ: “सच कहूँ तो केवल बेटों से वंश चलने का मुझे बहुत औचित्य नहीं लगता. हमारी दोनों बेटियाँ हमारा ही वंश हैं, और उनके बेटे हमारा ही नाम आगे ले जायेंगे.”
शीला: “बात तो आप ठीक ही कह रहे हैं.”
समर्थ: “अब अगर तुम्हें बेटा किसी और कारण से चाहिए था तो अलग बात है. नातियों के लंड के लिए तुम्हें ३८ साल जो रुकना पड़ा था.”
शीला: “हटो, मुझसे मत बोलो.”
समर्थ: “ठीक है नहीं बोलता. पर तुम्हें नींद का इंजेक्शन लगा देता हूँ.” ये कहते हुए समर्थ ने शीला पर चढ़ाई कर दी.
************
सुरेखा का घर:
सुरेखा: “सजल, मेरे लिए एक ड्रिंक बनाकर लाएगा? मुझे तुझसे कुछ और भी बात करनी है. अपने लिए चाहिए तो बियर ले ले.”
सजल को आश्चर्य हुआ क्योंकि सुरेखा कभी कभार ही ड्रिंक लेती थी.
सजल: “मम्मी, सब ठीक तो है.”
सुरेखा: “लेकर आ, तुझसे कुछ बात करनी है. सुन, बोतल साथ ही ले आना.” ये कहकर वो उठी और अपने कमरे की ओर बढ़ गई.
जब तक सजल उसकी ड्रिंक और कुछ नमकीन और अपने लिए बियर लाया तब तक सुरेखा ने वो नाइटी दोबारा ओढ़ ली थी. उसने अपनी ड्रिंक के दो घूंट लिए.
सुरेखा: “मैं तम्हारे पापा को तलाक दे रही हूँ.”
सजल भौचक्का रह गया. आज उसके लिए दिन कुछ अलग ही भूचाल ला रहा था. सुरेखा ने कुछ न बोलकर उसके हाथ में एक लिफाफा दे दिया.
“देख अपने बाप की गतिविधियाँ.” सुरेखा के शब्दों में घृणा का पुट था.
सजल ने लिफाफे के अंदर के देखा और कुछ ही चित्र देखकर उसके हाथों से लिफाफा छूटकर नीचे जा गिरा. अब पीने की बारी सजल की थी, सो उसने एक बार में ही बियर के चार पांच घूंट लिए. उसका सिर घूम रहा था.
“ये देखकर तो संजना पागल हो जाएगी, वो तो पापा को जैसे पूजती है.”
“मैं जानती हूँ, और इसीलिए मुझे इसमें तुम्हारी सहायता चाहिए. अच्छा होगा कि संजना को तुम इस बात को धीरे से बताओ. मैं नहीं चाहती कि इस कारण हम दोनों के बीच कोई मन मुटाव हो.”
सजल ने समझते हुए कहा, “ओके, मॉम. आई विल हैंडल इट। “
“अपने कपड़े उतारो “ सुरेखा ने कहा.
सजल ने अपने कपड़े उतार दिए पर अंडरवियर पहने रखा.
“ये भी निकालो. मुझे देखना है कि तुम कितने बड़े हो गए हो.”
सजल ने थोड़ा हिचकते हुए उसे भी उतार दिया और नंगा अपनी माँ के सामने खड़ा हो गया.
“बहुत अच्छा है, बहुत बड़ा और सुन्दर है, न जाने तुम्हारा ये लंड कैसे इतना बड़ा है, तुम्हारे पापा का तो इतना बड़ा था नहीं.” फिर कुछ सोचकर, “लगता है मेरे परिवार पर पड़ा है.”
सजल फिर चौंक गया.
“आपको कैसे पता?”
“मुझे और भी बहुत कुछ पता है, पर वो इस समय की चर्चा का विषय नहीं है. इधर आओ, आगे.”
सजल सुरेखा के आगे जाकर खड़ा ही गया. सुरेखा ने उसके लंड को अपने हाथ में लेकर तौला और धीरे धीरे सहलाने लगी. अब सजल उत्तेजित तो पहले ही था, आनन फानन में उसके लंड ने अपना पूरा रूप धारण कर लिया.
“हम्म, बहुत सुन्दर है.” ये कहकर सुरेखा ने अपना चेहरा आगे किया और अपनी नाक लगा कर सूंघा. “और बहुत सुगन्धित भी. स्वाद कैसा होगा?”
फिर कुछ देर यूँ ही उसे सहलाते हुए बोली, “ये जानने का तो केवल एक ही उपाय है.”
ये कहकर उसने सजल का लंड अपने मुंह में भर लिया. और फिर उसने चूसना शुरू किया. सजल तो मानो स्वर्ग में पहुँच गया. उसने कई बार इस प्रकार के सपने देखे थे, पर आज वो पूरे हो रहे थे.
सुरेखा पूरी तन्मयता से सजल के बढ़ते हुए लंड को चूस रही थी. वो उसको चाटती , फिर कुछ देर चूसती और फिर चाट लेती. साथ ही साथ उसने एक हाथ से सजल के अंडकोष भी सहला रही थी. सजल के पाँव काँप रहे थे. उसके लंड ने झटके लेने शुरू किये तो सुरेखा समझ गई कि अब सजल का पानी छूटने वाला है. पर उसने रुकने का नाम नहीं लिया. और फिर वही हुआ — सजल ने उसके मुंह में ही अपना पानी छोड़ दिया. आज उसने पहली बार अपने हाथ के अलावा किसी दूसरे माध्यम से अपना पानी निकाला था. और वो भी अपनी ही माँ के मुंह में.
सुरेखा ने सजल के लंड का पानी पीकर उसके लंड को चाटकर साफ किया. और सोफे पर पीछे टिक कर बैठ गई. उसकी आँखों में एक संतुष्टि की चमक थी. उधर सजल भी खड़ा न रह सका और वहीँ सुरेखा के पास ही बैठ गया.
“थैंक यू, मॉम.”
“माई प्लेज़र.”
दोनों माँ बेटे बैठकर उनके सम्बन्ध के नए समीकरण के बारे में चिंतन करते हुए अपने ड्रिंक्स की चुस्कियाँ ले रहे थे.
सुरेखा: “तुम्हें नहीं लगता कि जो मैंने अभी किया उसका आभार तुम्हे भी प्रकट करना चाहिए.”
सजल: “मैं अपनी बियर पी लूँ उसके बाद. पर एक बात बताऊँ. ये मेरा वर्षों का सपना था, जो आज आपने पूरा किया है. मैं इसे कभी भी भूलूंगा नहीं.”
सुरेखा: “ऐसे प्रकरण भूलने के लिए नहीं होते. मैं भी तुम्हारा पहला स्वाद जीवन भर नहीं भूलूंगी.”
सजल की बियर जैसे ही ख़त्म हुई उसने सुरेखा के पांवों के बीच में अपना स्थान ग्रहण कर लिया.
************
शीला का घर:
अगले दिन सुबह:
सुबह समर्थ की नींद देर से खुली थी. देखा तो शीला उठ चुकी थी. बाथरूम से नित्य कर्म के बाद वो बाहर निकले तो देखा कि शीला रसोई में भी नहीं है. तभी उन्होंने निखिल को नितिन के कमरे में जाते हुए देखा. वो भी सधे क़दमों से पीछे हो लिए. घर में कमरे बंद करने का स्वभाव किसी का था नहीं, तो वो बाहर जाकर अंदर का दृश्य देखने लगे. शीला इस समय नितिन के ऊपर नंगी ही उछलकूद कर रही थी. नितिन भी नंगा ही था. नितिन ने निखिल को अंदर आते देख लिया था पर उसने चुप्पी साधी हुई थी और अपने कमर उछाल कर अपनी नानी की चूत में अपने लंड को पेल रहा था.
निखिल ने भी अपना अंडरवियर उतारा और अपने लंड को थोड़ा हाथ से मसला. नितिन ने उसे आंख से संकेत किया तो उसने साथ पड़ी टेबल पर से वेसलीन उठाई और अपने लौड़े पर प्रचुर मात्रा में लगा ली. उसने फिर नितिन की ओर देखा. नितिन ने शीला की कमर को पकड़कर उसे अपने ऊपर झुका लिया और नीचे से लम्बे धक्के मरने लगा. इसके कारण शीला को अपने पीठ पीछे होती गतिविधि पर ध्यान नहीं गया. निखिल ने अपने लौड़े को शीला की गांड के छेद पर रखा और एक करारा धक्का मारा।
“गुड मॉर्निंग, नानी.”
उसका लंड शीला की मुलायम गांड को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया. शीला के साथ ये इतना अकस्मात हुआ था कि उसे सोचने समझने का समय ही नहीं मिला. और जब होश आया तो बहुत देर हो चुकी थी. अब उसकी चूत और गांड दोनों में ही मोटे लम्बे लौड़े पिले हुए थे. पर शीला जैसी चुड़क्कड़ बहुत जल्दी ही संभल गई.
“ऐसे भी कोई गुड मॉर्निंग करता है? पर अच्छा लगा तेरा ये ढंग गुड मॉर्निंग का. अब दोनों अच्छे से चोदो मुझे, कल रात तुम्हारा कुछ हुआ नहीं तो लग जाओ काम पर.”
नितिन और निखिल ने अपनी लय से नानी की लेनी शुरू कर दी. नितिन ने नाना की ओर देखा जो इस पूरे वृत्तांत को देख रहे थे. नितिन ने नानी की ओर संकेत करके अपने मुंह से चूसने का इशारा किया. देखकर समर्थ ने भी अपना पजामा उतारा और अपने लंड को सहलाते हुए शीला के सामने खड़े हो गए.
“सुना है आज तुम सबको गुड मॉर्निंग कर रही हो.”
“अब आपने सुना है तो सही ही होगा. आइये, आपकी भी सेवा कर दूँ.” ये कहकर शीला ने समर्थ के लंड में लेकर उस पर धावा बोल दिया.
कुछ ही देर में तीनों ने अपने पानी को निर्धारित छेदों में छोड़ दिया, और फिर अलग हो गए. शीला बिस्तर पर लेट कर अपने छेदों से रस निकाल कर चेहरे पर मल रही थी.
“दिन प्रारम्भ करने का इससे अच्छा ढंग कोई हो नहीं सकता.” शीला ने कहा. “चलो अब नाश्ते की तैयारी भी करनी है.”
“नानी आप खाना बनाने के लिए किसी को क्यों नहीं रख लेतीं?”
“और अपनी स्वंत्रता खो दूँ? झाड़ू पोंछे बर्तन वाली ही बहुत हैं ताक झांक के लिए.” ये कहकर शीला बाथरूम में घुसी और सफाई करने के बाद किचन में चली गई.
************
सुप्रिया का घर:
अगले दिन सुबह:
संजना जब सुबह उठी तो उसे एक सुखद अनुभूति का आभास हुआ. उसकी चूत में कुछ मीठा मीठा सा स्पंदन हो रहा था. उसने अपना हाथ नीचे किया तो वो किसी के बालों में उलझ गया.
“गुड मॉर्निंग, प्रेटी गर्ल.”
“मौसी! सुबह सुबह! वहां गन्दा होगा!”
“गन्दा तो हमेशा ही रहता है मेरी लाड़ो, इसीलिए तो साफ कर रही हूँ.”
ये कहकर सुप्रिया ने संजना के पांव फैलाये और अपने नाश्ते के पहले के बुर के मधु का रसास्वादन करने में जुट गई. संजना ने भी इसमें मौसी का साथ दिया और उनका सिर जोर से अपनी बुर पर दबा लिया. अब इतनी सुबह तो वैसे भी दबाव रहता है, तो संजना की बुर से एक तीव्र धारा छूटकर सुप्रिया के मुंह में समा गई. संजना जो इस खेल की नयी खिलाडी थी, उसे ये पता नहीं चला कि ये उसका पानी था या मूत्र. पर उसने सुप्रिया मौसी को देखा जो अब अपना चेहरा उठाकर उसे प्यार भरी दृष्टि से देख रही थीं तो उसने यही समझा कि वो अवश्य ही झड़ी है. पर सुप्रिया के अगले व्यक्तव्य ने उसके होश उड़ा दिए.
“तेरा हर रस बहुत मीठा है. मुझे अगर सुबह ये मिल जाता है तो जैसे एक अलग ही शक्ति आ जाती है.”
“मौसी, ये क्या था? मेरी सूसू तो नहीं पी ली आपने?”
“नहीं तो सुबह सवेरे तेरी चूत पीने का फायदा ही क्या होता?”
“आप… सूसू भी पीती हो?”
“सबकी नहीं. बस तेरी मम्मी की पीती थी और एक और स्त्री है उसकी जब तब अभी भी पी लेती हूँ. और कभी भी किसी की भी नहीं.”
संजना ये सुनकर सन्न रह गई. सुप्रिया उठकर बाथरूम में चली गई और संजना भी उठी और कपड़े पहनने लगी. वो रात रुकने के लिए कुछ भी नहीं लायी थी, अपना टूथ ब्रश भी नहीं. जब सुप्रिया बाहर निकली तो उसने घर जाने की अनुमति मांगी और अपनी कार से घर की ओर चल पड़ी.
************
सुरेखा का घर:
पिछली रात
सजल अब अपने आत्मविश्वास को वापिस पा चुका था. अब उसे विश्वास था कि सुरेखा उससे खिन्न नहीं है. सुरेखा के पांवों के बीच बैठकर सजल ने उसके दोनों पांव फैला दिए. नाइटी को ऊपर करते हुए उसने सामने खुली बहुमूल्य निधि की ओर देख रहा था. पिछली बार के व्यवधान को याद करते हुए उसने अपने हाथ को हल्की ओस की बूंदों से भीगी चूत की पंखुड़ियों को छुआ. सुरेखा सिहर उठी. अपनी उँगलियों से उन्हें सहलाते हुए सजल अपने घुटनों के बल बैठ गया. फिर उसने अपनी ऊँगली हटाई और अपनी जीभ से उस सतह को चाटने लगा. सुरेखा आनंद से विभूत हो गई. उसने सजल के सिर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत में दबा दिया. पर इस बार सजल चौकन्ना था. उसने अपने हाथ से सुरेखा के हाथ को हटा दिया.
“मम्मी, दम घुटता है.”
“ओह! सॉरी बेटा।”
अब सजल को इसके आगे क्या करना है इसका कोई प्रत्यक्ष अनुभव तो था नहीं. वही था जो उसने ब्लू फिल्मों में देखा था. और उनकी ही सीख को मानते हुए उसने सुरेखा की चूत को ऊपर से नीचे तक पूरी तन्मयता से चाटना शुरू किया. अपने मन में उन फिल्मों को रिवाइंड करते हुए उसने अपनी एक ऊँगली अंदर डाली और आगे पीछे करने लगा. सुरेखा की चूत पानी बहाने लगी और ऊँगली की यात्रा सरल हो गई. कुछ ही पलों में सजल की दो उँगलियाँ सुरेखा की थाह नाप रही थीं.
और इस सबके साथ सजल ने अपनी जीभ का अभियान चालू ही रखा था. सुरेखा की सिसकियों और कराहों से सजल को ये तो समझ आ ही चुका था कि वो सही राह पर है. उसने अपने परिश्रम को और तेज कर दिया. और अचानक सुरेखा का बांध टूट गया और उसकी चूत ने एक लम्बी धार में अपना पानी छोड़ दिया. सजल का चेहरा पूरा भीग गया. पर उसने हटने का प्रयास भी नहीं किया, बल्कि अपने काम में एकजुट होकर लगा रहा. पूरा झड़ जाने के बाद सुरेखा सोफे पर ही लम्बी साँसें लेते हुए ढेर हो गई. उसने प्यार से सजल के सिर पर हाथ फेर दिया. सजल उठा और सोफे पर ही उसके साथ बैठ गया.
थोड़ी देर दोनों माँ बेटे शांत ही बैठे रहे. सजल कुछ सोच रहा था.
सजल: “मैं ये नहीं सोच पा रहा कि संजना को पापा के बारे में बताएँगे कैसे?”
सुरेखा: “इसी कारण मैं चाहती हूँ कि तुम ये करो. सोचकर देखो. कल ही बताने की जल्दी मत करो. पर थोड़ी पृष्ठभूमि बना लो, फिर बताना.”
सजल: “ये भी सही है. पर पापा ऐसा कर सकते हैं विश्वास नहीं होता.”
सुरेखा: “मुझे नहीं लगता कि ये अधिक पुरानी बात है. और दूसरे क्या तुम ये विश्वास कर सकते थे कि हम दोनों यहाँ इस स्थिति में होंगे?”
सजल ने कुछ उत्तर नहीं दिया. उसे समझ आ गया था कि माँ क्या कहना चाह रही थी. उसने उठकर अपने लिए एक बियर लाई और सुरेखा का भी एक और पेग बना दिया. धीरे पीने के कारण वो नशे में नहीं थे बल्कि एक हल्की सी खुमारी थी.
सजल: “अब आगे क्या करना है, क्या चुदाई करें?”
सजल का आत्मविश्वास अब लौट चुका था.
“मैं भी यही सोच रही थी.”
ये कहकर सुरेखा ने अपनी ड्रिंक ख़त्म की और गाउन उतारते हुए बिस्तर की और बढ़ गई. सजल को कुछ समय लगा अपनी बियर पीने में, फिर वो भी बिस्तर पर पहुँच गया. सुरेखा ने रिमोट उठाया और USB की फिल्म चालू कर दी. इस बार सजल ने कुछ नहीं कहा, बस जाकर सुरेखा के बगल में बैठ गया.
“कब से देख रहे हो ऐसी फ़िल्में?”
“अभी एक दो ही देखी है.”
“हम्म्म”
तभी वहां परस्पर मौखिक सहवास का दृश्य आ जाता है. सुरेखा सजल की और देखकर, “ये करते हैं थोड़ा”
ये कहकर वो सजल को लिटा देती है और अपनी चूत को सजल के मुंह पर रखते हुए सजल का लंड अपने मुंह में ले लेती है. दोनों इस स्थिति में कोई ४-५ मिनट रहते है. जब सुरेखा को लगता है कि उसकी चूत और सजल का लंड पर्याप्त मात्रा में गीले हो चुके हैं तो ऊपर से हट जाती है, और लेटते हुए अपने पैर चौड़े कर देती है. सजल ने उनके बीच में अब अपना स्थान और अपने लंड को चूत पर रखते एक प्यार भरा धक्का दिया. लंड गप्प की ध्वनि के साथ सुरेखा की चूत में प्रवेश कर गया.
“अब धक्के मार, डरना नहीं और न ही रुकना जब तक तेरा हो न जाये.”
हालाँकि सजल का किसी चूत में ये पहला प्रवेश था, पर जैसे खाना मुंह में ही जाता है, उसी प्रकार सजल ने भी एक स्वाभाविक और प्राकृतिक लय में अपने लंड को अंदर से बाहर चलाना शुरू कर दिया. सुरेखा भी ये देख रही थी कि सजल की अपनी बुद्धि और क्षमता कितनी है. वो उसे पूरा सहयोग और प्रोत्साहन तो दे रही थी पर किसी भी प्रकार का सञ्चालन या निर्देशन नहीं कर रही थी. उसे ये भी भांपना था कि सजल को आगे कितनी और किस प्रकार की ट्रेनिंग आवश्यक होगी.
अब जैसा कि किसी के भी साथ पहली बार होता ही, सजल को रुकने में असमर्थता हुई. और वो अचानक ही सुरेखा की चूत में ही झड़ गया. इस हादसे से वो बहुत ही व्याकुल हो गया. उसका चेहरा झुक गया और उसे लगा कि वो अपनी माँ को संतुष्ट करने में असफल रहा था. सुरेखा ने उसकी इस भावना को ताड़ लिया और वो सजल को अपनी बाँहों में लेकर चूमने लगी.
सुरेखा: “अगर तुम्हें लग रहा है कि शीघ्र झड़ने के कारण तुम असफल हो गए और मैं संतुष्ट नहीं हुई, तो तुम्हारी ये सोच गलत है. पहली बात तो ये, कि आरम्भ में कई बार ऐसा होना संभव होता है. वो इसीलिए कि तुम्हें अपने शरीर की लय और क्षमता का अंदाजा नहीं है. ये सब ताल बनने में समय लगता है. अपने साथी के ऊपर कुछ निर्भर होता है. अपने झड़ने को कैसे रोकना और खींचना संभव है ये भी तुम्हें नहीं पता. जानते हो मैंने तुम्हे इस बार कुछ भी क्यों नहीं कहा?”
सजल ने नकारात्मक भाव में सिर हिलाया.
“इसीलिए, कि ये तुम्हारी पहली चुदाई थी, जो तुम्हें अपने ही तरीके से करनी थी. अब मान लो मेरे स्थान पर तुम्हारी नई पत्नी होती तो क्या तुम्हें तब भी ऐसा ही लगता?”
“नहीं, पर मॉम मूवी में तो वो….”
“बेटा, वो फिल्म है, उसमें दस बार में एक सीन होता है. उनके और अपने बीच में अंतर समझो. अब तुम चिंता करना छोड़ो. मैं तुम्हे सिखाऊंगी और संभव हुआ तो एक और शिक्षिका भी है मेरी पहचान की, जो तुम्हें इस कला में महारथी बना देगी. अब हंसो.”
सजल हंसने लगा और उसके मन से एक बोझ उतर गया.
“चलो अब तुम्हारी पहली चुदाई के लिए चियर्स करते हैं.”
सुरेखा ने अपनी नयी ड्रिंक बनाई और सजल ने एक और बियर ली. कुछ देर सामान्य बातें करने के बाद दोनों एक दूसरे की बाँहों में ही सो गए.