You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार - Update 2 | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 2 | Erotic Incest Family Story

अध्याय २ दूसरा घर: सुनीति और आशीष राणा १

कमरा प्रकाश में नहाया हुआ था. एक सीट के सोफे पर लगभग ४५ साल का पुरुष बैठा हुआ था. उसके हाथ में एक महँगी व्हिस्की का पेग था और वो उसकी चुस्कियां ले रहा था और वो इस समय वो नंगा था. पर कमरे में वो अकेला नहीं था, चार लोग और थे. और वो सब भी इस समय नंगे ही थे. सामने एक तीन सीट के सोफे पर एक अत्यंत सुन्दर महिला जो उस पुरुष की ही आयु की थी. वो भी अपनी व्हिस्की की चुस्कियां ले रही थी. वो पांव फैलाकर बैठी थी. उसकी बगल में एक जवान लड़का उसके सुडौल स्तनों से खेल रहा था. कभी वो उन्हें दबाता और कभी झुक कर उन्हें प्यार से चूसता। उसके बगल में दो पेग रखे थे. एक से वो बीच बीच में गहरे घूँट ले लेता था और फिर अपने मुख्य काम में लग जाता.
उस स्त्री के पांवों के बीच में एक और जवान लड़का अपना चेहरा घुसाए हुए था और उसकी चूत को चाट और चूस रहा था. रह रह कर वो अपना हाथ बढ़ाता, जिसमें पहला लड़का उसे उसकी ड्रिंक दे देता, जिसे पीने के बाद वो अपने काम में लग जाता. सामने बैठा हुआ पुरुष भी इस समय खाली नहीं था. उसके मोटा लम्बा लंड एक जवान लड़की के मुंह में था, जिसे वो पूरी श्रद्धा से निगल निगल कर चूस रही थी. आदमी ने अपना हाथ उसके बालों पर रखा हुआ था और उसे बड़े प्यार से सहला रहा था.
“तू खुश तो है न अपने घर में?” आदमी ने पूछा.
“हाँ मौसाजी, मेरा बहुत ख्याल रखते हैं सब लोग. सूरज तो मुझ पर जान छिड़कते. मौसी के मेरे सास से बात करने के बाद तो वो पूरी तरह ही बदल गई है.”
महिला बोली, “तुझे कितनी बार समझाया है, अपने पति का नाम मत लिया कर.”
“जी मौसी.”
आदमी मुस्कुराया. “बहुत ख़ुशी की बात है कि तू खुश है. सूरज की नौकरी ठीक चल रही है?”
“हाँ, आपके दोस्त की कंपनी में अब सुपरवाइसर हो गए हैं. पर उसे दो दिन रात में अभी भी जाना पड़ता है.”
“जानता हूँ. नहीं तो तुझे यहाँ कैसे आने मिलेगा ? हटवा दूँ उसकी नाईट शिफ्ट?”
“अब आपने सोचा होगा तो ठीक ही होगा.” लड़की ने चतुराई से उत्तर दिया.
सामने बैठी स्त्री खिलखिला पड़ी. “तुम इससे नहीं जीत सकते, आशीष. ये बहुत प्रखर बुद्धि की है. है न भाग्या ?”
“मौसी जी. आपसे क्या इतना भी नहीं सीखूंगी?” भाग्या ने इठला कर कहा.
इस बार हंसने की बारी आशीष की थी. सुनीति ने मुस्कुराकर मुंह बिचकाया.
“लड़की वाकई बहुत चतुर है.”
“सो तो है”, सोफे पर सुनीति के साथ बैठा हुआ लड़का बोला, “हफ्ते में दो दिन यहाँ पापा से चुदवाने आती है और पति को भनक भी नहीं. कभी हमें भी कभी भोग लगाने दे न.” असीम शिकायत भरे लहजे में बोला.
“हाँ दीदी, तुम तो हमारी ओर देखती भी नहीं. कभी हमें भी चखने दो तुम्हारी मलाई.” कुमार अपने चेहरे को सुनीति की चूत से हटाता हुआ बोला।
सच यही था, भाग्या आशीष, बिरजू और सूरज के सिवाय किसी को भी अपने शरीर से खेलने नहीं देती थी.
“भैया, आप दोनों तो जानते हो की मैं आपका कितना सम्मान करती हूँ. आपके बारे में तो मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती.”
“अच्छा, पापा. कुछ समझे? ये आपका सम्मान नहीं करती.”
“अब फंसी!” सुनीति खिलखिला पड़ी. “क्यों भाग्या, क्या कहती है?”
“मौसी, मैं तो इनसे प्यार करती हूँ. अगर ये आपके न होते तो मैं सूरज को कभी न ब्याहती।”
“तभी तो तेरी शादी कर दी कि कहीं तू ही मेरी सौत न बन जाये.” सुनीति ने चुहल करते हुए कहा.
“मौसी, ऐसा कभी सोचना भी मत. अब मुझे इस लंड का स्वाद लेने दो ”
“असीम, मेरे लिए एक और ड्रिंक बना दे.” आशीष ने आज्ञा दी.
“और कोई भी?”
“सबके लिए बना दे.”
असीम उठा और सबके लिए नए ड्रिंक्स बनाने लगा. सुनीति ने अपने पांव जोड़े और बोली, “कुमार बेटा ऊपर आ, मुझे तेरा लंड चूसने दे, असीम भी मेरी चूत पीना चाहता है.”
“ठीक है, मॉम.” कहते हुए कुमार सोफे पर आ गया.
इस समय उसका लंड पूरी तरह से तना हुआ था. वो सुनीति के मम्मों से खेलने लगा. तब तक असीम ड्रिंक्स बना लाया और सबको बाँट दीं। भाग्या ने बस सादा ठंडा पानी ही लिया. असीम अपनी ड्रिंक सिप करता हुआ सुनीति के पांवों के बीच बैठ गया. उसने सुनीति की चूत की पंखुडिओं को फैलाया और अपनी जीभ से उसे कुरेदने लगा. सुनीति की आह निकल गई. उसने अपनी ड्रिंक का एक लम्बा घूँट भरा और ग्लास एक कोने में रखकर कुमार के लौड़े को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी.
“ओह, माँ, तुम से अच्छा लंड चूसने वाला अभी तक नहीं मिला.”
“अच्छा जी, कितनों को आजमा चुके हो?”
“गिनना मुश्किल है.” कुमार ने गर्व से कहा.
“ये सच कह रहा है, असीम?”
“हाँ माँ, आंटियों का काफी अनुभव है इसे, कहता है कि उन्हें जितना अच्छा लंड पीना आता है वो हमारी उम्र की लड़कियों को तो बिलकुल नहीं आता। ”
“मैं इसका समर्थन नहीं करता. भाग्या बेहतरीन लंड चूसती है.” आशीष बोला.
“आप तो न ही बोलें पापा तो ठीक है. आपने भाग्या पर एकाधिकार बनाया हुआ है. आप ही सिफारिश करो न दीदी से हमारी.”
इन सब बातों से दूर सुनीति कुमार के लौड़े सड़प सड़प के चूस रही थी. उससे अब रुका नहीं जा रहा था.
“चलो इस खेल को बिस्तर पर ले चलते हैं.” तीनों ने अपनी ड्रिंक एक ही साँस में ख़त्म की और बिस्तर की ओर बढ़ गए.
कुमार जाकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया, और सुनीति ने उसका लंड दोबारा मुंह में ले लिया. असीम ने पीछे जाकर उसकी चूत की फांकें खोलीं और फिर से जीभ से चोदने लगा. फिर उसने सुनीति के दोनों नितम्बों को फैलाया और उसकी गांड में अपनी जीभ घुसा दी. हलके हलके वो दो उंगलियां चूत में डालकर आगे पीछे करने लगा और गांड को जीभ से चाट चाट कर गीला कर दिया.
उधर आशीष ने भी भाग्या को उठाया और उसे एक गहरा चुम्बन देकर हाथ पकड़कर बिस्तर के दूसरी ओर ले आया. उसने भाग्या को बिस्तर पर लेटाया और उसकी चूत भूखे भेड़िये की तरह चाटने लगा. भाग्या की सिसकारियों से कमरा भर गया. सुनीति ने असीम को हटने का इशारा किया और घुटनों के बल उठकर कुमार के लंड को अपनी चूत से लगाया और एक थाप में अंदर ले लिया.
“ओह माँ” कुमार और सुनीति दोनों के मुंह से एक साथ निकला.
सुनीति झुकी और कुमार के होठों को चूसने लगी. कुमार ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि उसकी माँ का मुंह कुछ पल पहले ही उसका लंड चूस रहा था. धीरे धीरे सुनीति ने अपने कूल्हे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिए. असीम अपने लंड को हलके से सहलाते हुए बिस्तर पर चढ़ा और सुनीति के सामने खड़ा हो गया. सुनीति ने बिना झिझक उसके लंड को अपने मुंह में लिया और गले तक ले जाकर चूसने लगी.
“सच में माँ, आपके जैसे लंड कोई नहीं चूसता, बिलकुल वैक्यूम क्लीनर की तरह.”
सुनीति के मुंह से सिर्फ गौं गौं की आवाज़ ही निकली. उसके नीचे से कुमार उसे बड़े प्यार से चोद रहा था.
“मौसा जी, अब प्लीज़ मुझे चोदो, मेरी प्यास बुझा दो.” भाग्या ने अनुरोध किया.
आशीष ने एक तकिया भाग्या की गांड के नीचे रखा और बहुत प्यार से अपने लंड को उसकी चूत की गहराइयों में उतार दिया. फिर उसने झुककर उसके एक स्तन को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा. नीचे उसने अपने लंड का प्रहार जारी रखा. भाग्या उत्तेजना से कांपने लगी. ऐसा लगा जैसे वो झड़ रही हो. आशीष ने उसके मम्मों को हाथ में भरा और बड़े प्यार से मसलने लगा.
सुनीति ने अब अपनी गति तेज कर दी थी. असीम के लंड पर उसकी पकड़ कमजोर हो रही थी. वो वासना के उन्माद में थरथरा उठी और कांपने लगी. वो झड़ने लगी थी.
“क्यों माँ, मजा आ रहा है.?” नीचे से कुमार धक्के लगता हुआ बोला।
“अब दूसरा चरण शुरू करें, दोनों एक बार झड़ चुकी हैं.” आशीष ने कहा.
सब जानते थे इसका क्या अर्थ है. पर उत्तर सिर्फ भाग्या और सुनीति को ही देना था. ये उनकी ही इच्छा होने पर आगे जाने वाले थे.
“हाँ”, सुनीति ने हामी भरी.
“भाग्या ?”
“मैंने कभी मौसी की बात टाली है?”
इतना सुनके तीनो मर्दों के चेहरे पर एक वहशी मुस्कान आ गई.
कुमार ने नीचे से धक्के तेज करते हुए पूछा, “क्यों मॉम, क्या मन है?”
“आज दोनों को एक साथ लेना चाहती हूँ चूत में. बहुत दिन हो गए तुम लोगों ने मुझे वैसे नहीं चोदा। ”
“ठीक है मॉम. आपकी आज्ञा सर आँखों पर.” कहते हुए असीम नीचे आ गया. “मॉम इस आसन में सही नहीं होता है. बार बार लंड निकल जाता है. ऐसा करो पलट जाओ.”
सुनीति ऊपर उठकर पलट जाती है. कुमार का लंड अभी भी चूत में ही था, पर अब उसकी पीठ कुमार की ओर थी और लंड से भरी चूत सामने. असीम सही अवस्था में आता है. वो सुनीति की छाती पर हाथ रखकर उसे थोड़ा नीचे झुकाता है. कुमार अपनी माँ को अपने हाथों से थाम लेता है, और अपना लंड थोड़ा बाहर निकालता है. असीम अपने लंड को सुनीति के चूत पर कुमार के लंड के समकक्ष लगाता है. सुनीति दोनों एक मुट्ठी में लेकर एक साथ अपनी चूत के मुंह पर रखती है. असीम कुमार को उंगली से इशारा करता है…
एक..,
दो..
तीन..
और दोनों भाई एक संयोजित तरीके से एक ही धक्के में अपने लौडों को सुनीति की चूत में उतार देते है. सुनीति दर्द और आनंद से चीख उठती है.
“आ जा भाई, कर जुगलबंदी.” ये दोनों का एक दूसरे को संकेत था.
बस फिर क्या था, ऐसी लय बंधी की देखने वाले अगर कोई होते तो विस्मित रह जाते. दोनों अपने मोटे तगड़े लंड एक साथ बाहर खींचते, थोड़ा ठहरते और फिर एक ही लय में अंदर पेल देते.
दूसरी ओर भी आशीष अब भाग्या को लम्बे और तगड़े धक्के लगा रहा था. कोई सोच नहीं सकता था कि ५. ५ फुट की इतनी छोटी लड़की ऐसे डील डौल वाले मर्द के भीषण धक्के इतनी आसानी से झेल रही होगी. बल्कि वो और ज्यादा की मांग कर रही थी.
“हाय मौसाजी, आपसे अच्छा मुझे कोई नहीं चोद सकता, और जोर से मारो, फाड़ दो मेरी चूत। हफ्ते भर मुझे इस लंड के बिना रहना है. और जोर से मारो.”
आशीष ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी और भीषण धक्कों से भाग्या को चोदने लगा.
“अरे मेरे लाल, वारी जाऊं तुम पर, मेरी चूत का कीमा बना दोगे तुम. आह , क्या लंड पाए हैं. वाह. और अंदर तक डालो, बहुत मजा आ रहा है. और जोर से. फक मी , फक मी डीपर, फक मी हार्डर.”
असीम और कुमार ने अपने गियर बदले और पांचवे गियर में एक साथ अपनी माँ की चूत एक साथ चोदने लगे. दोनों औरतों की वासना भरी चीखें और सिसकारियां माहौल को बेहद रंगीन बना दे रही थी.
“मौसा जी, मैं गई! मौसा जी ईईई ईईई ईईई ईईई !” चीखते हुए भाग्या थरथरा कर झड़ गई और एकदम से ढीली पड़ गई.
आशीष भी अब रुक नहीं पाया. “मैं भी गया.” उसका शरीर अकड़ गया और उसने अपना पूरा लंड भाग्या की चूत में जड़ तक गाढ़ दिया. उसका पानी भाग्या की चूत को लबालब भर रहा था. वो निढाल सा होकर भाग्या के ऊपर लेट गया. फिर हलके से एक करवट ली और उसके बगल में लेट गया. दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.
वहां सुनीति भी अब झड़ रही थी. पर वो दो दो मुश्टंडों के बीच थी और वो शिथिल हो कर अपनी छाती कुमार के ऊपर लगाकर वासना और संतुष्टि से गहरी साँसे ले रही थी. पर उसके बेटे अभी तक उसे पेल रहे थे.
“टॉप गियर.” असीम ने कहा.
ये सुनकर दोनों ने अपनी लय बदल दी. अब कुमार अंदर पेलता तो असीम बाहर निकालता. और जब असीम अंदर डालता तो कुमार बाहर निकालता. सुनीति की चूत के ऊपरी और निचले हिस्से अब अलग अलग घर्षण महसूस कर रहे थे. सुनीति से अब रहा नहीं गया वो सिसकते हुए फिर से झड़ने लगी. बगल से आशीष और भाग्या ये खेल देखकर स्तंभित थे.
“तरस खाओ अपनी माँ पर हरामखोरों. क्या मार ही दोगे ?” आशीष ने अपनी पत्नी की हालत देखकर बोला।
“अरे पापा, आप टेंशन मत लो. माँ को ऐसे ही मजा आता है. इन्हें कुछ नहीं होगा.”
कहते हुए असीम और कुमार ने अपनी रफ़्तार भयंकर रूप से बढ़ा दी. दस मिनट की दुर्दांत चुदाई के पश्चात असीम और कुमार भी अपने लक्ष्य के निकट पहुंच गए थे.
“कहाँ निकालें माँ?”
“मेरे मुंह में और मेरे चेहरे पर. अंदर नहीं.”
“ओके मॉम.”
कहकर असीम ने धीरे से अपना रस से ओतप्रोत लंड बाहर निकल लिया. सुनीति ने धीरे से अपने आपको कुमार के लंड पर से उठाया. उसकी चूत इस समय ऐसे खुली हुई थी जैसे की बच्चा निकला हो. वो बिस्तर से उठकर घुटनों के बल बैठ गई. कुमार भी उठा और असीम के साथ खड़ा हो गया. सुनीति ने दोनों लंडों को एक बार अपने मुंह में लेकर चूसा और अपने हाथों में लेकर उनकी मुठ मारने लगी.
कुछ ही देर में असीम कराहा, “मैं आया.”
“मैं भी” कुमार बोला।
सुनीति ने अपना मुंह खोल दिया. दोनों भाइयों के लौडों ने पिचकारियां छोड़ना शुरू किया. जितना सुनीत पी पाई, पी गई बाकी का रस उसके चेहरे पर बिखर गया. उसने इस पानी को अपने चेहरे और स्तनों पर मल दिया.
“देख और सीख की अपनी सुंदरता कैसे बनाये रखते हैं अपनी मौसी से.” आशीष ने भाग्या को सलाह दी. भाग्या ऐसे शरमाई मानो बड़ी पतिव्रता हो.
“एक बड़ा पेग बनाकर ला कुमार. मजा आ गया आज तो. है न जान.” सुनीति ने कुमार को आज्ञा देकर आशीष से पूछा.
“तुम्हें कब मजा नहीं आता ? चलो अब अपनी ड्रिंक्स लेते हैं. सोने का भी समय हो रहा है.” आशीष ने कहा.
कुमार से सबको ड्रिंक्स और भाग्या को जूस दिया. फिर सब बैठकर बातें करते रहे.
“दीदी, मौसा मौसी कुछ नहीं कहते आप जो इतने देर गायब रहती हो घर से?” कुमार से भाग्या से पूछा।
इससे पहले की भाग्या कुछ बोल पाती, आशीष और सुनीति ने एक दूसरे को अर्थपूर्ण दृष्टि से देखा. फिर सुनीति ने कुमार को एक हल्का चुम्बन दिया.
“वो दोनों भी तुम्हारे दादाजी के साथ अपने खेल में व्यस्त हैं.”

भाग्या ने कुछ सोचते हुए कहा, “माँ की माँ चोद देंगे दोनों मिलकर आज रात में.”
इस बात पर सब हंस पड़े और अपने पेग पीने लगे.
आशीष के पिता जीवन के कमरे में भाग्या का वचन सत्य सिद्ध हो रहा था. उसकी माँ सलोनी इस समय न चीख ही पा रही थी न ही कराह. अपितु उसके मुंह से जो ध्वनि निकल रही थी उसे किसी भी श्रेणी में रखना लगभग असम्भव था. कुछ मायनों में उन्हें आनंद की किलकारियां भी कहा जा सकता था. उसका पति बिरजू उसकी गांड मार रहा था और उसके धक्कों में शक्ति की कमी न थी. करता भी कैसे उसकी तुलना इस समय जीवन से जो हो रही थी. जीवन आज भी कसरती शरीर रखते थे और उनके लंड का आकार और शक्ति पूर्ण रूप से अद्भुत थे. इस समय वो सलोनी की चूत में अपने लंड को डाले विश्राम कर रहे थे.
सलोनी उन पर चढ़ी हुई थी और बिरजू ही सारा व्यायाम कर रहा था. उसके धक्कों के कारण सलोनी स्वयं ही जीवन के विशाल लौड़े पर ऊपर नीचे हो रही थी.
“बाबूजी, आप भी चोदो न! पूरा आनंद नहीं आ रहा है.”
जीवन ने बिना कुछ बोले अपने लंड को एक जोरदार झटके से सलोनी की चूत में पेल दिया. सलोनी के मुंह से इस बार जो निकली थी वो अवश्य ही चीख थी.
“कितना समझाया है तुझे, बाबूजी को मत छेड़ा कर.” बिरजू ने बिना रुके सलोनी को झिड़का.
“छेड़ती नहीं हूँ तो बाबूजी अच्छे से नहीं चोदते, उई माँ, मरी!” सलोनी ने आनंद से कराह ली.
बिरजू और जीवन हंसने लगे और ताबड़तोड़ धक्के मारने लगे. सलोनी को कस कर पीस रहे थे और सलोनी भी कम न थी वो भी इस चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी. लम्बे समय तक चुदाई के बाद जीवन और बिरजू ने अपना पानी सलोनी के दोनों छेदों में छोड़ दिया. बिरजू हाँफते हुए जाकर सोफे पर बैठ गया. सलोनी जीवन के चौड़े सीने पर सिर रखकर हाँफते हुए ढह गई. कुछ समय यूँ लेते रहने के बाद वो हटी और जीवन का लंड उसकी चूत से बाहर निकल गया और ढेर सारा रस भी. उसकी गांड से भी रस बह रहा था.
“जाकर सफाई कर ले बाथरूम में.” जीवन ने सलोनी से कहा और फिर बिरजू से बोला, “लगा एक एक और पेग प्यास बढ़ गयी इसे चोदकर।” जीवन ने कहा.
“सच है बाबूजी,” ये कहते हुए बिरजू तीनों के लिए पेग बनाने लगा.
कुछ देर में ही सलोनी बाहर आ गई और दो गीले तौलियों से जीवन और बिरजू के लंड साफ कर दिए. बिरजू ने उसे उसका ग्लास दिया.

जीवन राणा इस आयु में भी वही रोब रखते थे जो ४० साल पहले था. इनके लम्बे और बलिष्ठ शरीर को जैसे उम्र ने छुआ तक नहीं था. उनकी पत्नी की मृत्यु को अब कोई दस वर्ष हो चुके थे. आज भी उसकी याद में उनकी ऑंखें भर आती थीं. परन्तु जीवन का यही नियम है कि किसी के जाने के बाद भी ये नहीं रुकता. आज भी वो अपने गांव और खेतों से उतना ही प्यार करते थे जितना पहले. साल में दो बार १० दिनों के लिए वो हरियाणा के अपने गाँव अवश्य जाते थे. अपने पुराने मित्रों के साथ मिलने बैठने का आनंद ही कुछ और था. उस गाँव से जुडी उनकी यादें ताजा करके उनके मन को एक शांति मिलती थी.

“बाबूजी, इस बार आप कितने दिनों के लिए गाँव जा रहे हो?” बिरजू ने पूछा.
“देखता हूँ, इस बार अधिक नहीं रुकूँगा। वैसे तुम्हारे घर पर कुछ भेजना है तो बता दो, मैं भिजवा दूँगा।” जीवन ने कहा.
“नहीं बाबूजी. कुछ नहीं. वो सलोनी कर देगी.”
“ठीक है. कल सुबह निकलना है. तो तुम दोनों भी सो जाओ. सलोनी तुमने अपना सामान ले लिया न?”
“जी बाबूजी.”
पेग समाप्त होते ही बिरजू और सलोनी अपने कमरों में चले गए और जीवन भी कुछ देर तक बैठने के बाद सो गए.

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