भाग 7
संगीत के उस सवाल से मैं दंग रह गया। मुझे समझ नहीं आया कि उसे क्या जवाब देना है। अंत में मेरे दिल के सच्चे विचार ही मेरे मुंह से निकले,
“दीदी अगर मैं सच कहूँ, तो आपसे खूबसूरत लड़की मैंने कोई भी नहीं देखी | ये आयशा, माधुरी तो आपके सामने कुछ भी नहीं है | अगर तुम्हें पता होता कि तुम कितनी मस्त और सेक्सी लग रही हो, तो शायद तुम्हें किसी भी लड़के के साथ अकेले यात्रा करने में डर लगता … भले ही वह लड़का आपका भाई ही क्यों ना हो … ”
इस बात पर संगीता दीदी जोर से हंसने लगी और मेरे गालों को खींचते हुए बोली, “ओह! क्या सच में भाई! लेकिन भाई, मैं तुम्हारे साथ अकेले यात्रा करने से नहीं डरती, क्योंकि …. तुम मेरे भाई हो …. प्यारे-2 छोटे-2 अच्छे भाई, इतने भी बड़े नहीं हुए हो अभी की तुम्हारे साथ डर लगे!”
कहकर वह मुस्कुराती रही। मुझे भी उसकी हंसी देख हंसी आ गई। फिर हम कुछ देर तक चुपचाप बैठे रहे।
“ओह्ह्ह्हह्हह … कितनी गर्मी है यार | मुझे तो आलस आ रहा है | भाई, क्या मैंने थोड़ी देर के लिए नींद ले लूँ? ” थोड़ी देर बाद संगीताई ने कहा।
“सो तो जाओ पर कहाँ? यहाँ तो केवल एक ही सीट रह गयी है।”
“अरे तो क्या हुआ? तुम थोड़ा सा खिड़की की तरफ खिसको, मैंने तुम्हारी गोदी में सर रख कर सो जाउंगी ।”
वह कह कर उठ गई। मैं उठ कर खिड़की के पास बैठ गया। बिना कुछ कहे तुरंत संगीता दीदी ने अपना सिर मेरी गोद में रख दिया और वह सोने लगी |
मेरी हालत बहुत टाइट हो गयी थी। मेरा लंड पहले से ही खड़ा था और अब तो संगीता दीदी का सर बिलकुल मेरे लंड के ऊपर आ गया था | उसके बदन का मेरे पैरों पे गरम-२ स्पर्श, मेरे हाथों में उसके रेशमी बाल, १० इंच से भी कम दुरी पे पारदर्शी शर्ट से झांकती उसकी लगभग नंगी छातीयां, उसके शरीर से आती परफ्यूम और पसीने की मिलीझुली मदहोश कर देने वाली गंध से मेरा लंड खुली हवा में सांस लेने की लिए तड़पने लगा | लंड की हालत ऐसी थी की अगर बाहर निकल की सिर्फ दो-तीन बार हिला भी लेता तो इतने में ही मेरा माल निकल जाता |
मेरा लंड बहुत दमदार है, तकरीबन १० इंच लम्बा और बहुत मोटा | मेरा लंड संगीता दीदी के सर को मेरी गोदी से उठाने में लगा हुआ था | अचानक से मेरे लंड में एक लहर सी आयी और लंड ने संगीता दी के सर को झटके से हल्का सा उछाल दिया | संगीता दी को कुछ पता नहीं चला, शायद नींद थोड़ी गहरी हो गयी थी | उसको पता ही नहीं चला की उसके जवान भाई का हब्शी लंड उसके सर से साथ खेल रहा है |
अब संगीता दीदी की साँसे गहरी और लयबद्ध चल रही थी, उसी लय के साथ उसके बोबे भी ऊपर-नीचे हो रहे थे | उसकी पारदर्शी शर्ट पसीने से लथपथ हो कर उसके अंगों से चिपक गयी थी | उसका शरीर पूरी तरह से दिखाई दे रहा था । ऐसा लग रहा था जैसे उसने सिर्फ ब्रा पहन रखी हो । उसके बोबे इतने गोर थे के उनमें से उसकी नीली-हरी नसें भी दिखाई दे रही थी | मेरा दिल कर रहा था की अभी उसकी कमीज फाड़ कर उसके बोबों की गहरी घाटी में अपना मुंह घुसा दूँ | लेकिन मुझे हर हाल में अपने अंदर के जानवर को बाहर आने से रोकना था |
उसके पसीने की गंध अब शायद बढ़ गयी थी, अब उससे और ज्यादा पसीना आ रहा था | शायद नींद में सभी को ज़्यादा गर्मी लगती है और पसीना आता है | महिलाओं का पसीना भी किसी परफ्यूम की तरह ही होता है | जो भी हो मेरी सेक्सी दीदी के पसीने की नमकीन गंध बहुत ही मदहोश करने वाली थी | पसीने की बूंदे उसकी गर्दन, कन्धों और बोबों पे चिपकी हुई दिखाई दे रही थी | दिल कर रहा था की कुत्ते की तरह जीभ निकल के उसका सारा पसीना चाट जाऊं |