You dont have javascript enabled! Please enable it! बहन के साथ यादगार यात्रा - Update 2 | Incest Sex Story - KamKatha
बहन के साथ यादगार यात्रा - Incest Sex Story

बहन के साथ यादगार यात्रा – Update 2 | Incest Sex Story

भाग 2

अगले दिन जब मैंने माँ को दिल्ली जाने का प्लान बताया तो माँ बहुत खुश हुई | हमने प्लान किया कि एक महीने भर के लिए संगीता दी को रहने साथ के लिए ले आऊंगा । माँ ने तुरंत संगीता को फोन किया और उसे बताया कि मैं उसे लेने आ रहा हूं। यह सुनकर कि वह भी बहुत खुश हुई । मैं अपनी सेक्सी बहन को देखने के लिए इतना अधीर था कि मैंने अगले दिन दिल्ली के लिए उड़ान भरी और कुछ घंटों में उसके दरवाजे पर खड़े लंड के साथ दस्तक दी। मैं अपनी खूबसूरत और सेक्सी बहन को देखने के लिए पहले से ही बहुत उत्साहित था, और जब मैंने वास्तव में उसे देखा, तो मेरा लंड और टाइट हो गया था। उसके साथ रहने के दौरान, मेरा लंड इतना कड़ा हो गया कि बार-२ उससे नज़र बचा के मुझे लंड एडजस्ट करना पड़ रहा था |

मुझे लगा था कि मैं संगीताई को साथ के साथ ले आऊंगा और तुरंत मुंबई के लिए उड़ान भरूंगा, लेकिन मेरे प्लान कि सारी हवा तब निकल गयी जब मुझे पता चला कि संगीता के ससुराल वाले थोड़े पुराने जमाने के हैं | संगीता दी मेरे साथ तब तक नहीं आ सकती थी जब तक कि परिवार के मुखिया और उसकी सास से अनुमति ना मिल जाए । उसकी सास कहीं बाहर गई हुई थी और हमारे पास उनके लौटने का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था ।

मैंने महसूस किया कि संगीता दी थोड़ी परेशान सी और दुखी थी । वह बहुत-२ सुस्त और किसी दबाव में लग रही थी | उसने एक भारी साड़ी पहनी हुई थी और सिर को अच्छे से ढक रखा था । सेक्सी शरीर तो छोड़ो, उसका चेहरा भी ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था । दीदी को मॉडर्न कपडे पहनने कि आदत थी पर उसकी सास ने उसे कभी भी साड़ी के अलावा कुछ भी पहनने नहीं दिया । ज्यादातर संगीता दी को अपनी सास के साथ घर पर और अपने कमरे में ही समय बिताना पड़ता था ।

इसलिए जब मेरे साथ जाने का प्लान बना तो संगीता दी बहुत खुश थी | उसे तो जैसे जेल से रिहाई मिल रही थी | लेकिन उसकी सास की अनुमति के बिना जाना संभव नहीं था | इंतज़ार करती-२ संगीता दी इतनी परेशान हो गयी कि रोना शुरू कर दिया | उसकी हालत देखकर मुझे बहुत अफ़सोस हो रहा था और उसकी सास पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था । मैं जल्द से जल्द संगीता दी को वहां से आज़ादी दिलवाना चाह रहा था ।

रात को जब उसके सास-ससुर वापिस आए तो मुझे उनसे बात करने का मौका मिला | मैंने उन्हें बताया कि कैसे संगीता दी के जाने से घर सूना-२ हो गया है, घर कि तो जैसे जान ही चली गयी है, हमारा परिवार को पिछले दो सालों से संगीता को मिस कर रहा है | मैंने झूठे मन से उसके सास-ससुर कि भी तारीफ की और उनसे एक महीने के लिए संगीता को ले जाने अनुमति मांगी। मेरी बातों ने उन्हें प्रभावित किया और उन्होंने हमें अनुमति दे दी, लेकिन केवल पंद्रह और बीस दिनों के लिए | हमारे पास उनकी बात मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था । मेरा वापसी का हवाई जहाज का टिकट बर्बाद हो गया था इसलिए हमने अगले सुबह का ट्रेन का टिकट बुक करवाया ।

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