You dont have javascript enabled! Please enable it! बहन के साथ यादगार यात्रा - Update 18 | Incest Sex Story - KamKatha
बहन के साथ यादगार यात्रा - Incest Sex Story

बहन के साथ यादगार यात्रा – Update 18 | Incest Sex Story

भाग 18

ना जाने मैंने कितनी देर तक दीदी की चूत को मंत्र्मुघ्द हो कर देखता रहा | मुझे पता ही नहीं लगा की दीदी ने कब ऑंखें खोली | अचानक से उसने चुटकी बजायी तो मैं उसकी चूत की दुनिया से बाहर आया | मैंने उसकी तरफ देखा और वो शरारत से मुस्कुरा दी ।

दीदी: ये अच्छा है तुम जैसे कम उम्र के लड़कों का, तुरंत दूसरे राउंड के लिए त्यार हो जाते हो |

यह कहते हुए दीदी उठ कर मेरे सामने खड़ी हो गई । मुझे धक्का देते हुए सीट धकेल दिया | मेरे कंधे का सहारा लेते हुए दीदी मेरे ऊपर बैठने लगी | अभी दीदी अपने घुटनो पे खड़ी थी | उसके बोबे बिलकुल मेरे मुंह से सामने आ गए थे | मैंने अपने हाथ उसके कूल्हों पर मजबूती से टिका दिए | दीदी ने एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ कर तीन से चार बार हिलाया और फिर अपनी चूत के मुहाने पे टिका दिया ।

मैं जैसे स्वर्ग पहुँच गया था | मेरी प्यारी बहन की चुत के स्पर्श से मेरा लंड धन्य हो गया था । मैं ज़िन्दगी में कभी भी उस पल को कभी नहीं भूल पाऊंगा । फिर दीदी ने मेरे लंड को दो से तीन बार अपनी चूत पर रगड़ा । फिर उसने मेरा लंड अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी । जैसे ही वह नीचे बैठने लगी, मेरा लंड उसकी चूत में गायब होता जा रहा था | कुछ समय बाद जब मुझे अपने लंड पे दीदी की झांटे महसूस हुई तो पता चला की मेरा पूरा लंड मेरी बहन की चूत में घुस गया था । मेरी बहन की चूत मेरे लंड से पूरी तरह भर गयी थी | दीदी की चूत इतनी टाइट थी की मेरा लंड बुरी तरह से खिंच गया था | उसकी चूत भट्टी की तरह गरम थी | अब मुझ से रुका नहीं गया | मैंने उसके कूल्हों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए । मैंने अपनी बहन के रसीले होंठो को पीना शुरू कर दिया | दीदी भी पूरे जोश से मेरा साथ दे रही थी | मुझे नहीं पता था कि कब हम होंठ छोड़ के एक दूसरे की जीभ चूसने लगे ।

मेरे हाथ अब दीदी के कूल्हों पर और कस गए थे और मैं उसके भारी नितंबों को पागलों की तरह सहलाने लगा था । धीरे धीरे वो मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी | मैंने भी उसके नितंबों को पकड़ कर उसे अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगा । उसके बोबे मेरे मुंह से बार-२ टकरा रहे थे | दीदी ने एक हाथ से मेरा सर पकड़ा और उस अपनी छाती पे दबा दिया ।

मैंने भी उसका इशारा समझते हुए देर नहीं की और तुरंत उसके बोबे को मुंह में भर कर बेसब्री से चूसने लगा | बीच बीच में मैं उत्तेजित को कर उसके निप्पल को काट लेता | धीरे धीरे हमारे धक्कों को स्पीड बढ़ती जा रही थी | मेरा लंड पिस्टन की तरह घर्षण करता हुआ उसकी चूत को दीवारों को पूरा फैला रहा था | अब उसके चुचों को चूसते रहना मुश्किल हो रहा था | मैंने अपने हाथ उसके नितम्बों से हटा के उसके बोबों को कस के पकड़ लिया और उसके बोबों को गूंथने लगा |

दीदी की स्पीड और भी बढ़ गई थी । अब वो बिना रुके ऊपर-नीचे हो रही थी । मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था । उसने मेरे सिर को पकड़ा और मुझे कस कर गले लगा लिया । उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी | अचानक से दीदी ने तेज चीख मारी और अपने चरम पर पहुंच कर धीरे-धीरे शांत होने लगी | दीदी एक बार फिर से झड़ गयी थी | मैं अभी नहीं झडा था | मैंने उसके दोनों नितंबों को अपने दोनों हाथों से उठा लिया और नीचे से ज़ोर-२ से अपने चूतड़ हिला के ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा |

दीदी: “ए … आ .. आईई … सी … भाई ….. धीरे … धीरे ….. करो … ओह ….

मैं: दीदी ….. बस थोड़ा सा …. मेरा भी होने वाला है …..

दीदी: ओह … ह ….. इ …. रुक जा ….. सांस …… सांस तो लेने दे ….. कुत्ते ….

मैं: “दीदी …… दीदी …… मैं ….. मेरा …… फिनिश … .. हा … हह … हह … आह … आह …

फिर कुछ और ताबड़तोड़ धक्के लगा कर मेरा पानी भी दीदी की चूत में छूटने लगा । धीरे-धीरे मैं भी शांत हो गया और दीदी को गले लगा लिया | कुछ देर तक हम भाई बहन एक दूसरे को गले लगा कर शांत बैठे रहे और उस खुमार का आँखें मूँद कर मज़ा उठाते रहे |

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