You dont have javascript enabled! Please enable it! बहन के साथ यादगार यात्रा - Update 10 | Incest Sex Story - KamKatha
बहन के साथ यादगार यात्रा - Incest Sex Story

बहन के साथ यादगार यात्रा – Update 10 | Incest Sex Story

भाग 10

“कम से कम इस मुई नायलॉन की ब्रा को तो उतार देती हूँ, ये मेरे बदन को काट रही है।”, वो बोली |

“ब्रा ही क्यों, पूरी नंगी हो जा ना दीदी”, मैंने मन में सोचा |

“ब्रा उतारने के लिए अब कोन जायेगा टॉयलेट में, ऐसा कर भाई, थोड़ी देर के लिए तू प्लीज अपनी आँखें बंद कर ले | ज़्यादा समय नहीं लगेगा । जब मैं बोलूं तभी खोलना … पक्का |”

मैंने ईमानदारी से अपनी आँखें बंद कर लीं ! मन में सोच रहा था की संगीता दीदी नंगी होकर कैसी दिखाई देंगी |

“ठीक है भाई | खोल ले आँखें |” उसने संक्षेप में कहा और मैंने अपनी आँखें खोलीं और उसकी तरफ देखा।

ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह, क्या नज़ारा था | संगीता दीदी के सीने से ब्रा गायब हो गई थी | उसके गोरे-२, बड़े-२ विशाल मुम्मे उसकी पारदर्शी, थोड़ी गीली शिफॉन शर्ट से साफ़-२ दिखाई दे रहे थे | ब्रा के बिना उसके मुम्मे और भी बड़े लग रहे थे | गोरे गोरे मुम्मे के बीच में डार्क चॉकलेट रंग का निप्पल साफ दिखाई दे रहा था । उसके निप्पल बिलकुल कड़क लग रहे थे और उनकी शेप ऊपर से साफ़-२ दिखाई दे रही थी ।

मैं अपनी जवान बहन को लगभग ऊपर से नंगा देख कर बुरी तरह से मदहोश हो गया | ऐसा लग रहा था जैसे मेरा कड़क लंड किसी भी पल में झड़ जाएगा । ये नज़ारा देख के मेरा पूरा शरीर गरम हो गया और मुझे पहले से भी ज़्यादा पसीना आने लगा | मेरा दिल कर रहा था की अभी लंड बाहर निकाल के उसके मुम्मे पे मुठ गिरा दूँ | लेकिन, क्या कर सकता था, आखिर बहन-भाई का रिश्ता था | मैं मन को समझा के बैठ गया |

संगीता दीदी मेरी हालत से बेखबर दिख रही थी, उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, बस हल्का सा मुस्कुरा रही थी|

कुछ समय बाद दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा, “तुझे कितना पसीना आ रहा है भाई | देख कैसे पसीने से भीग गया है |”

मैं: तो कर भी क्या सकता हूँ दीदी?

दीदी: उतार दे तू भी

मैं: क्या उतार दूँ? मैंने तो ब्रा पहन भी नहीं रखी |

दीदी: हा हा … very funny … क्यों इतनी मोटी कमीज पहन रखी है? उतार दे कमीज को |

सच पूछो तो मैं भी यही सोच रहा था और अब तो दीदी ने भी कह दिया | बढ़िया था, दीदी सही लाइन पे जा रही थी | मैंने जल्दी से शर्ट निकाल दी। मुझे खेल-कूद का बहुत शोक है | मैं अपने कॉलेज में कबाड़ी की टीम का कप्तान भी था | थोड़ा बहुत जिम भी कर लेता था |

मेरे हष्ट-पुष्ट शरीर देखकर संगीता दीदी की आँखें चमक उठीं। उसने कहा, “क्या बात है भाई, बॉडी तो मस्त बना रखी है | एकदम मरदाना, वाह”

मैं: चलो अच्छा है, आपको मेरी बॉडी पसंद आयी | कुछ तो फायदा हुआ जिम जाने का |

दीदी: मुझे फिट लोग ही पसंद हैं | एक तेरे जीजा जी हैं, तोंद फुलाए पूरे दिन गद्दी पे बैठे रहते हैं |

मैं: तो आप बोला करो ने उन्हें जिम जाने के लिए

दीदी (धीमी आवाज़ में): हाँ, वो और जिम, कुछ होता-हवाता तो है नहीं उनसे ….

दीदी: चल अब बातें छोड़, सोने दे मुझे

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