देती हू…” बसंती का मन तो ललचा ही रहा था. धीरे से सरक कर पास गई. लाजवंती ने मोटा बलिश्त भर का लंड उसके हाथ में थमा दिया और उसके सिर को पकड़ नीचे झुकाती हुई बोली “ले आराम से जीभ निकाल कर सुपरा चाट…फिर सुपरे को मुँह भर कर चूसना….पूरा लंड तेरे मुँह में नही जाएगा अभी….”. बसंती लंड का सुपरा मुँह में ले चूसने लगी. पहले धीरे-धीरे फिर ज़ोर ज़ोर से. भौजी को देख आख़िर इतना तो सीख ही लिया था. मुन्ना के पूरे बदन में आनंद की तरंगे उठ रही थी. शहर से आने के बहुत दीनो बाद ऐसा मज़ा उसे मिल रहा था. लाजवंती उसको अंडकोषो को पकड़ अपने मुँह में भर कर चुँला ते हुए चूस रही थी. xxx-sex-photo-lund-suck-1.jpg
कुच्छ देर तक लंड चुसवाने के बाद मुन्ना ने दोनो को हटा दिया और बोला
“भौजी ज़रा अपनी ननद के लल्मुनिया के दर्शन तो कर्वाओ…”
“हाई मलिक नज़राना लगेगा….एक दम कोरा माल है आज तक किसी ने नही…”
“तुझे तो दिया ही है…अपनी बसंती रानी को भी खुश कर दूँगा…मैं भी तो देखु कोरा माल कैसा….”
” मलिक देखोगे तो बिना चोदे निकाल दोगे…इधर आ बसंती अपनी ननद रानी को तो मैं गोद मैं बैठा कर…” कहते हुए बसंती को खीच कर अपनी गोद मैं बैठा लिया और उसके लहंगे को धीरे-धीरे कर उठाने लगी. शरम और मज़े के कारण बसंती की आँखे आधी बंद थी. मुन्ना उसकी दोनो टांगो के बीच बैठा हुआ उसके लहंगे को उठ ता हुआ देख रहा था. बसंती की गोरी-गोरी जंघे बड़ी कोमल और चिकनी थी. 1.jpg
बसंती ने लहंगे के नीचे एक पॅंटी पहन रखी थी जैसा गाओं की कुँवारी लरकियाँ आम तौर पर पहनती है. लहनगा पूरा उपर उठा पॅंटी के उपर हाथ फेरती लाजवंती बोली “कछि फाड़ कर दिखाउ..”
” जैसे मर्ज़ी वैसे दिखा…..तू कछि फाड़ मैं फिर इसकी चूत फाड़ुँगा”
लाजवंती ने कछि के बीच में हाथ रखा और म्यानी की सिलाई जो थोड़ी उधरी हुई थी में अपने दोनो हाथो की उंगलियों को फसा छर्ररर से कछि फाड़ दी. बसंती की 16 साल की कच्ची चूत मुन्ना की भूखी आँखो के सामने आ गई. हल्के हल्के झांतो वाली एक दम कचोरी के जैसी फूली चूत देख कर मुन्ना के लंड को एक जोरदार झटका लगा. लाजवंती ने बसंती की दोनो टाँगे फैला दी और बसंती की चूत के उपर हाथ फेरती हुई पॅंटी को फाड़ पूरा दो भाग में बाँट दिया और उसकी चूत के गुलाबी होंठो पर उंगली चलाते हुए बोली ” छ्होटे मालिक देखो हमारी ननद रानी की लल्मुनिया…” नंगी चूत पर उंगली चलाने से बसंती के पूरे बदन में सनसनी दौड़ गई. सिसकार कर उसने अपनी आँखे पूरी खोल दी. मुन्ना को अपनी चूत की तरफ भूखे भेड़िए की तरह से घूरते देख उसका पूरा बदन सिहर गया और शरम के मारे अपनी जाँघो को सिकोड़ने की कोशिश की मगर लाजवंती के हाथो ने ऐसा करने नही दिया. वो तो उल्टा बसंती की चूत के गुलाबी होंठो को अपनी उंगलियों से खोल कर मुन्ना को दिखा रही थी “हाई मलिक देख लो कितना खरा माल है…ऐसा माल पूरे गाओं में नही…वो तो बड़े चौधरी के बाबूजी पर इतने अहसान है कि मैं आपको मना नही कर पाई….नही तो ऐसा माल कहा मिलता है…” bc1qre8jdw2azrg6tf49wmp652w00xltddxmpk98xp.jpg
“हा रानी सच कह रही है तू….मार डाला तेरी ननद ने तो…क्या ललगुडिया चूत है..”
“खाओगे मालिक…चख कर देखो”
“ला रानी खिला….कोरी चूत का स्वाद कैसा होता है…” लाजवंती ने दोनो जाँघो को फैला दिया. मुन्ना आगे सरक कर अपने चेहरे को उसकी चूत के पास ले गया और जीभ निकाल कर चूत पर लगा दिया. चूत तो उसने मामी की भी चूसी थी मगर वो चूड़ी चूत थी कच्ची कोरी चूत उपर जीभ फिराते ही उसे अहसास हो गया की अनचुड़ी चूत का स्वाद अनोखा होता है. लाजवंती ने चूत के होंठो को अपनी उंगली फसा कर खोल दिया. चूत के गुलाबी होंठो पर जीभ चलते ही बसंती का पूरा बदन अकड़ कर काँपने लगा.
“उूउउ…….भौजी….सीई मालिक…..”
चूत के गुलाबी होंठो के बीच जीभ घुसाते ही मुन्ना को अनचुड़ी चूत के खारे पानी का स्वाद जब मिला तो उसका लंड अकड़ के उप डाउन होने लगा. मुन्ना ने चूत के दोनो छ्होटे छ्होटे होंठो को अपने मुँह में भर खूब ज़ोर ज़ोर से चूसा और फिर जीभ पेल कर घुमाने लगा. बसंती की अनचुड़ी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. जीभ को चूत के च्छेद में घुमते हुए उसके भज्नसे को अपने होंठो के बीच कस कर चुँलने लगा. लाजवंती उसकी चुचियों को मसल रही थी. बसंती के पूरे तन-बदन में आग लग गई. मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी. लाजवंती ने पुचछा
“बिटो मज़ा आ रहा है…
” मालिक…ऊऊ उउउस्स्स्स्सिईईईई भौजी बहुत…उफफफ्फ़…भौजी बचा लो मुझे कुच्छ हो जाएगा…उफफफफ्फ़ बहुत गुद-गुड़ी…सीई मालिक को बोलो जीभ हटा ले…हीईीई.” लाजवंती समझ गई कि मज़े के कारण सब उल्टा पुल्टा बोल रही है. उसकी चुचियों से खेलती हुई बोली ” मालिक…चाटो…अच्छे से…अनचुड़ी चूत है फिर नही मिलेगी…पूरी जीभ पेल कर घूमाओ..गरम हो जाएगी तब खुद…” 6105964747cbe79e798aaa6ce4f390ab.13.jpg
मुन्ना भी चाहता था कि बसंती को पूरा गरम कर दे फिर उसको भी आसानी होगी अपना लंड उसकी चूत में डालने में यही सोच उसने अपनी एक उंगली को मुँह में डाल थूक से भीगा कर कच से बसंती की चूत में पेल दिया और टीट के उपर अपनी जीभ लफ़र लफ़र करते हुए चलाने लगा. उंगली जाते ही बसंती सिसक उठी. पहली बार कोई चीज़ उसके चूत के अंदर गई थी. हल्का सा दर्द हुआ मगर फिर कच-कच चलती हुई उंगली ने चूत की दीवारों को ऐसा रगड़ा कि उसके अंदर आनंद की एक तेज लहर दौर गई. ऐसा लगा जैसे चूत से कुच्छ निकलेगा मगर तभी मुन्ना ने अपनी उंगली खीच ली और भज्नाशे पर एक ज़ोर दार चुम्मा दे उठ कर बैठ गया. मज़े का सिलसिला जैसे ही टूटा बसंती की आँखे खुल गई. मुन्ना की ओर असहाय भरी नज़रो देखा.
“मज़ा आया बसंती रानी……”
“हाँ मलिक…सीई” करके दोनो जाँघो को भीचती हुई बसंती सरमाई.
“अर्रे शरमाती क्यों है…मज़ा आ रहा है तो खुल के बता…और चाटू..”
“हाई मालिक….मैं नही जानती” कह कर अपने मुँह को दोनो हाथो से ढक कर लाजवंती की गोद में एक अंगड़ाई ली.
“तेरी चूत तो पानी फेंक रही है”
बसंती ने जाँघो को और कस कर भींचा और लाजवंती की छाती में मुँह छुपा लिया.
मुन्ना समझ गया की अब लंड खाने लायक तैय्यार हो गई है. दोनो जाँघो को फिर से खोल कर चूत के फांको को चुटकी में पकड़ कर मसलते हुए चूत के भज्नाशे को अंगूठे से कुरेदा और आगे झुक कर बसंती का एक चुम्मा लिया. लाजवंती दोनो चुचियों को दोनो हाथो में थाम कर दबा रही थी. मुन्ना ने फिर से अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में पेल दी और तेज़ी से चलाने लगा. बसंती सिसकने लगी. “हाई मलिक निकल जाएगा…सीई म्म्म मालिक ”
“क्या निकल जाएगा….पेशाब करेगी क्या…..”
“हा मलिक….सीई पेशाब निकल…..” मुन्ना ने सटाक से उंगली खींच ली…”ठीक है जा पेशाब कर के आ जा…मैं तब तक भौजी को चोद देता हू…”
लाजवंती ने बसंती को झट गोद से उतार दिया और बोली “हा मलिक……बहुत पानी छोड़ रही है…” उंगली के बाहर निकलते ही बसंती आसमान से धरती पर आ गई. पेशाब तो लगा नही था
चूत अपना पानी निकालना चाह रही थी ये बात उसकी समझ में तुरंत आ गई. मगर तब तक तो पाशा पलट चुक्का था. उसने देखा कि लाजवंती अपनी दोनो टांग फैला लेट गई थी और मुन्ना, लाजवंती की दोनो जाँघो के बीच लंड को चूत के छेद पर टिका दोनो चुचि दोनो हाथ में थाम पेलने ही वाला था. बसंती एक दम जल भुन कर कोयला हो गई. उसका जी कर रहा था कि लाजवंती को धकेल कर हटा दे और खुद मुन्ना के सामने लेट जाए और कहे की मालिक मेरी में डाल दो. तभी लाजवंती ने बसंती को अपने पास बुलाया ” बसंती आ इधर आ कर देख कैसे छ्होटे मालिक मेरी में डालते है….तेरी भी ट्रैनिंग….”
बसंती मन मसोस कर सरक कर मन ही मन गाली देते हुए लाजवंती के पास गई तो उसने हाथ उठा उसकी चुचि को पकड़ लिया और बोली “देख कैसे मालिक अपना लंड मेरी चूत में डालते है ऐसे ही तेरी चूत में भी…”
मुन्ना ने अपना फनफनता हुआ लंड उसकी चूत से सटा ज़ोर का धक्का मारा एक ही झटके में कच से पूरा लंड उतार दिया. लाजवंती कराह उठी “हायययययययययययी मालिक एक ही बार में पूरा……सीईए”

“साली इतना नाटक क्यों चोदती है अभी भी तेरे को दर्द होता है…..”
“हायययययी मालिक आपका बहुत बड़ा है….” फिर बसंती की ओर देखते हुए बोली “…तू चिंता मत कर तेरी में धीरे-धीरे खुद हाथ से पकड़ के दल्वाउन्गि… तू ज़रा मेरी चुचि चूस”. मुन्ना अब ढ़ाचा-ढ़च धक्के मार रहा था. कमरे में लाजवंती की सिसकारियाँ और धच-धच फॅक-फॅक की आवाज़ गूँज रही थी.
“हिआआआय्य्य्य्य्य्य्य्य मालिक ज़ोर…. और ज़ोर से चोदो मलिक……ही सीईई”
“हा मेरी छिनाल भौजी तेरी तो आज फाड़ दूँगा….बहुत खुजली है ना तेरी चूत में…ले रंडी…खा मेरा लंड…सीई कितना पानी छोड़ती है……कंजरी”
“हायीईईईई मालिक आज तो आप कुच्छ ज़यादा ही जोश में….हा फाड़ दो मलिक ”
“आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भौजी मज़ा आ गया….तूने ऐसी कचोरी जैसी चूत का दर्शन करवाया है कि बस…लंड लोहा हो गया है…ऐसा ही मज़ा आ रहा है ना भौजी…आज तो तेरी गांद भी मारूँगा….सीईए शियैयीयी”
बसंती देख रही थी की उसकी भाभी अपना गांद हवा में लहरा लहरा कर मुन्ना का लंड अपनी ढीली चूत में खा रही थी और मुन्ना भी गांद उठा-उठा कर उसकी चूत में दे रहा था. मन ही मन सोच रही थी की साला जोश में मेरी चूत को देख कर आया है मगर चोद भाभी को रहा है. पता नही चोदेगा कि नही.
करीब पंद्रह मिनिट की ढकां पेल चोदा चोदि के बाद लाजवंती ने पानी छोड़ दिया और बदन आकड़ा कर मुन्ना की छाती से लिपट गई. मुन्ना भी रुक गया वो अपना पानी आज बसंती की अनचुदी बुर में ही छोड़ना चाहता था. अपनी सांसो को स्थिर करने के बाद. मुन्ना ने उसकी चूत से लंड खींचा. पाक की आवाज़ के साथ लंड बाहर निकल गया. चूत के पानी में लिपटा हुआ लंड अभी भी तमतमाया हुआ था लाल सुपरे पर से चमड़ी खिसक कर नीचे आ गई थी. पास में पड़ी साड़ी से पोच्छने के बाद वही मसनद पर सिर रख कर लेट गया. उसकी साँसे अभी भी तेज चल रही थी. लाजवंती को तो होश ही नही था. आँखे मुन्दे टांग फैलाए बेहोश सी पड़ी थी. बसंती ने जब देखा की मुन्ना अपना खड़ा लंड ले कर ऐसे ही लेट गया तो उस से रहा नही गया. सरक कर उसके पास गई और उसकी जाँघो पर हल्के से हाथ रखा है. मुन्ना ने आँखे खोल कर उसकी तरफ देखा तो बसंती ने मुस्कुराते हुए कहा
“हाययययययययी मालिक मुझे बड़ा डर लग रहा हा आपका बहुत लंबा…”
मुन्ना समझ गया की साली को चुदास लगी हुई है. तभी खुद से उसके पास आ कर बाते बना रही है कि मोटा और लंबा है. मुन्ना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
“अर्रे लंबे और मोटे लंड से ही तो मज़ा आता है एक बार खा लेगी फिर जिंदगी भर याद रखेगी चल ज़रा सा चूस तो….खाली सुपरा मुँह भर कर…जैसे टॉफी खाते है ना वैसे……” कहते हुए बसंती का हाथ पकड़ के खींच कर अपने लंड पर रख दिया. बसंती ने शरमाते सकुचते अपने सिर को झुका दिया मुन्ना ने कहा “अरे शरमाना छोड़ रानी…” और उसके सिर को हाथो से पकड़ झुका कर लंड का सुपरा उसके होंठो पर रख दिया. बसंती ने भी अपने होंठ धीरे खोल कर लंड के लाल सुपरे को अपने मुँह में भर लिया. लाजवंती वही पास पड़ी ये सब देख रही थी. थोड़ी देर में जब उसको होश आया तो उठ कर बैठ गई और अपनी ननद के पास आ कर उसकी चूत अपने हाथ से टटोलती हुई बोली “बहुत हुआ रानी कितना चुसेगी…अब ज़रा मूसल से कुटाई करवा ले” और बसंती के मुँह को मुन्ना के लंड पर से हटा दिया और मुन्ना का लंड पकड़ के हिलाती हुई बोली “हाई मलिक….जल्दी करिए…बुर एकदम पनिया गई है”.
“हा भौजी….क्यों बसंती डाल दू ना…”
“हि मालिक मैं नही जानती..”
“…चोदे ना…”
“हाय्य्य्य्य्य…मुझे नही…जो आपकी मर्ज़ी हो…”
“अर्रे क्या मालिक आप भी….चल आ बसंती यहा मेरी गोद में सिर रख कर लेट” इतना कहते हुए लाजवंती ने बसंती को खींच कर उसका सिर अपनी गोद में ले लिया और उसको लिटा दिया. बसंती ने अपनी आँखे बंद कर अपने दोनो पैर पसारे लेट गई थी. मुन्ना उसके पैरों को फैलाते हुए उनके बीच बैठ गया. फिर उसने बसंती के दोनो पैर के टख़नो को पकड़ कर उठाते हुए उसके पैरो को घुटने के पास से मोड़ दिया. बसंती मोम की गुड़िया बनी हुई ये सब करवा रही थी. तभी लाजवंती बोली “मालिक इसकी गांद के नीचे तकिया लगा दो…आराम से घुस जाएगा”. मुन्ना ने लाजवंती की सलाह मान कर मसनद उठाया और हाथो से ठप थापा कर उसको पतला कर के बसंती के चूतरो के नीचे लगा दिया. बसंती ने भी आराम से गांद उठा कर तकिया लगवाया. दोनो जाँघो के बीच उसकी अनचुदी हल्की झांतो वाली बूर चमचमा रही थी. चूत के दोनो गुलाबी फाँक आपस में सटे हुए थे. मुन्ना ने अपना फंफनता हुआ लंड एक हाथ से पकड़ कर बुर् के फुलते पिचकते छेद पर लगा दिया और रगड़ने लगा. बसंती गणगना गई. गुदगुदी के कारण अपनी जाँघो को सिकोड़ने लगी. लाजवंती उसकी दोनो चुचियों को मसल्ते हुए उनके निपल को चुटकी में पकड़ मसल रही थी.

“मालिक नारियल तेल लगा लो..” लाजवंती बोली
“चूत तो पानी फेंक रही है…इसी से काम चला लूँगा..”
“अर्रे नही मालिक आप नही जानते…आपका सुपरा बहुत मोटा है…नही घुसेगा…लगा लो”
मुन्ना उठ कर गया और टेबल से नारियल तेल का डिब्बा उठा लाया. फिर बसंती की जाँघो के बीच बैठ कर तेल हाथ में ले उसकी चूत उपर मल दिया. फांको को थोड़ा फैला कर उसके अंदर तेल टपका दिया.
“अपने सुपरे और लंड पर भी लगा लो मलिक” लाजवंती ने कहा. मुन्ना ने थोडा तेल अपने लंड पर भी लगा दिया.
“बहुत नाटक हो गया भौजी अब डाल देता हू..”
“हा मालिक डालो” कहते हुए लाजवंती ने बसंती की अनचुड़ी बुर के छेद की दोनो फांको को दोनो हाथो की उंगलियों से चौड़ा दिया. मुन्ना ने चौड़े हुए छेद पर सुपरे को रख कर हल्का सा धक्का दिया. कच से सुपरा कच्ची बुर को चीरता अंदर घुसा. बसंती तड़प कर मछली की तरह उछली पर तब तक लाजवंती ने अपना हाथ चूत पर से हटा उसके कंधो को मजबूती से पकड़ लिया था. मुन्ना ने भी उसकी जाँघो को मजबूती से पकड़ कर फैलाए रखा और अपनी कमर को एक और झटका दिया. लंड सुपरा सहित चार इंच अंदर धस गया. बसंती को लगा बुर में कोई गरम डंडा डाल रहा है मुँह से चीख निकल गई “आआआ मार..माररर्र्ररर गेयीयियीयियी”. आह्ह्ह्ह्ह्ह भाभी बचाऊऊऊलाजवंती उसके उपर झुक कर उसके होंठो और गालो को चूमते हुए चूची दबाते हुए बोली “कुच्छ नही हुआ बित्तो कुच्छ नही…बस दो सेकेंड की बात है”. मुन्ना रुक गया उसको नज़र उठा इशारा किया काम चालू रखो. मुन्ना समझ गया और लंड खींच कर धक्का मारा और आधे से अधिक लंड को धंसा दिया. बसंती का पूरा बदन अकड़ गया था. खुद मुन्ना को लग रहा था जैसे किसी जलती हुए लकड़ी के गोले के अंदर लंड घुसा रहा है लंड की चमड़ी पूरी उलट गई. आज के पहले उसने किसी अनचुड़ी चूत में लंड नही डाला था. जिसे भी चोदा था वो चुदा हुआ भोसड़ा ही था. बसंती के होंठो को लाजवंती ने अपने होंठो के नीचे कस कर दबा रखा था इसलिए वो घुटि घुटे आवाज़ में चीख रही थी और छटपटा रही थी. मुन्ना उसकी इन चीखो को सुन रुका मगर लाजवंती ने तुरंत मुँह हटा कर कहा “मालिक झटके से पूरा डाल दो एक बार में….ऐसे धीरे धीरे हलाल करोगे तो और दर्द होगा साली को…डालो” मुन्ना ने फिर कमर उठा कर गांद तक का ज़ोर लगा कर धक्का मारा. कच से नारियल तेल में डूबा लंड बसंती की अनचुड़ी चूत की दीवारों को कुचालता हुआ अंदर घुसता चला गया. बसंती ने पूरा ज़ोर लगा कर लाजवंती को धकेला और चिल्लाई “ओह…..मार दियाआआअ….आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहरामी ने मार दिया….कुट्टी साली भौजी हरम्जदि……बचा लूऊऊऊ…आआ फाड़ दीयाआआआआअ…खून भीईीईईईईईईई…” अरीईईईई कोइईईईईई तूऊऊऊओ बचाऊऊऊऊलाजवंती ने जल्दी से उसका मुँह बंद करने की कोशिश की मगर उसने हाथ झटक दिया. मुन्ना अभी भी चूत में लंड डाले उसके उपर झुका था.

“लंड बाहर निकालो,आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मुझे नही चुदाआआआआआनाआआआआअ … भौजिइइईईईईईईई को चोदूऊऊओ… मलिक उतर जाओ… तुम्हरीईईईईए पाओ पड़ती हू… मररर्र्र्र्र्ररर जाउन्गीईईईई..” तब लाजवंती बोली “मालिक रूको मत…जल्दी जल्दी धक्का मारो मैं इसकी चुचि दबाती हू ठीक हो जाएगा..” बस मुन्ना ने बसंती की कलाईयों को पकड़ नीचे दबा दिया और कमर उठा-उठा कर आधा लंड खींच-खींच कर धक्के लगाना शुरू कर दिया. कुच्छ देर में सब ठीक हो गया. बसंती गांद उचकाने लगी. चेहरे पर मुस्कान फैल गई. लॉरा आराम से चूत के पानी में फिसलता हुआ सटा-सॅट अंदर बाहर होने लगा…..
उस रात भर खूब रासलीला हुई. बसंती कीदो बार चुदाइ हुई. चूत सूज गई मगर दूसरी बार में उसको खूब मज़ा आया. बुर से निकले खून को देख पहले थोड़ा सहम गई पर बाद में फिर खुल कर चुदवाया. सुबह चार बजे जब अगली रात फिर आने का वादा कर दोनो विदा हुई तो बसंती थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी मगर उसके आँखो में अगली रात के इंतेज़ार का नशा झलक रहा था. मुन्ना भी अपने आप को फिर से तरो ताज़ा कर लेना चाहता था इसलिए घोड़े बेच कर सो गया.
आम के बगीचे में मुन्ना की कारस्तानिया एक हफ्ते तक चलती रही. मुन्ना के लिए जैसे मौज मज़े की बाहर आ गई थी. तरह तरह के कुतेव और करतूतो के साथ उसने लाजवंती और बसंती का खूब जम के भोग लगाया. पर एक ना एक दिन तो कुच्छ गड़बड़ होनी ही थी और वो हो गई. एक रात जब बसंती और लाजवंती अपनी चूतो की कुटाई करवा कर अपने घर में घुस रही थी कि आया की नज़र पर गई. वो उन्दोनो के घर के पास ही रहती थी. उसके शैतानी दिमाग़ को झटका लगा की कहा से आ रही है ये दोनो. लाजवंती के बारे में तो पहले से पता था की गाओं भर की रंडी है. ज़रूर कही से चुदवा कर आ रही होगी. मगर जब उसके साथ बसंती को देखा तो सोचने लगी की ये छ्छोकरी उसके साथ कहाँ गई थी.
दूसरे दिन जब नदी पर नहाने गई तो संयोग से लाजवंती भी आ गई. लाजवंती ने अपनी साड़ी ब्लाउस उतारा और पेटिकोट खींच कर छाती पर बाँध लिया. पेटिकोट उँचा होते ही आया की नज़र लाजवंती के पैरो पर पड़ी. देखा पैरो में नये चमचमाते हुए पायल. और लाजवंती भी ठुमक ठुमक चलती हुई नदी में उतर कर नहाने लगी.

“अर्रे बहुरिया मरद का क्या हाल चाल है…”
“ठीक ठाक है चाची….परसो चिट्ठी आई थी”
“बहुत प्यार करता है…और लगता है खूब पैसे भी कमा रहा है”
“का मतलब चाची …..”
“वाह बड़ी अंजान बन रही हो बहुरिया….अर्रे इतना सुंदर पायल कहा से मिला ये तो…”
“कहा से का क्या मतलब चाची….जब आए थे तब दे गये थे”
“अर्रे तो जो चीज़ दो महीने पहले दे गया उसको अब पहन रही है”
लाजवंती थोड़ा घबरा गई फिर अपने को सम्भालते हुए बोली “ऐसे ही रखा हुआ था….कल पहन ने का मन किया तो…”
आया के चेहरे पर कुटिल मुस्कान फैल गई
“किसको उल्लू बना….सब पता है तू क्या-क्या गुल खिला रही है….हमको भी सिखा दे लोगो से माल एंठाने के गुण”
इतना सुनते ही लाजवंती के तन बदन में आग लग गई.
“चुप साली तू क्या बोलेगी …हराम्जादी कुतिया खाली इधर का बात उधर करती रहती है….”
आया का माथा भी इतना सुनते घूम गया और अपने बाए हाथ से लाजवंती के कंधे को पकड़ धकेलते हुए बोली “हरम्खोर रंडी…चूत को टकसाल बना रखा है…..मरवा के पायल मिला होगा तभी इतना आग लग रहा है”.
“हा हा मरवा के पायल लिया है..और भी बहुत कुच्छ लिया है…तेरी गांद में क्यों दर्द हो रहा है चुगलखोर…” जो चुगली करे उसे चुगलखोर बोल दो तो फिर आग लगना तो स्वाभाभिक है.
“साली भोसर्चोदि मुझे चुगलखोर बोलती है सारे गाओं को बता दूँगी बेटाचोदी तू किस किस से मरवाती फिरती है” इतनी देर में आस पास की नहाने आई बहुत सारी औरते जमा हो गई. ये कोई नई बात तो थी नही रोज तालाब पर नहाते समय किसी ना किसी का पंगा होता ही था और अधनंगी औरते एक दूसरे के साथ भिड़ जाती थी, दोनो एक दूसरे को नोच ही डालती मगर तभी एक बुढ़िया बीच में आ गई. फिर और भी औरते आ गई और बात सम्भाल गई. दोनो को एक दूसरे से दूर हटा दिया गया.
नहाना ख़तम कर दोनो वापस अपने घर को लौट गई मगर आया के दिल में तो काँटा घुस गया था. इश्स गाओं में और कोई इतने बड़ा दिलवाला है नही जो उस रंडी को पायल दे. तभी ध्यान आया की चौधरैयन का बेटा मुन्ना उस दिन खेत में पटक के जब लाजवंती की ले रहा था तब उसने पायल देने की बात कही थी, कही उसी ने तो नही दिया. फिर रात में लाजवंती और बसंती जिस तरफ से आ रही थी उसी तरफ तो चौधरी का आम का बगीचा है. बस फिर क्या था अपने भारी भरकम पिच्छवाड़े को मॅटकाते हुए सीधा चौधरैयन के घर की ओर दौड़ पड़ी.