You dont have javascript enabled! Please enable it! कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश - Update 9 - KamKatha
कर्ज और फर्ज एक कश्मकश - Erotic Family Sex Story

कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश – Update 9

कुसुम कुसुम ओ कुसुम (मेरी पत्नी और मेरी बेटी रिंकी की मम्मी का नाम) ये देख क्या हो रहा है, कैसे ये एक दूसरे के मुह से मुह लगा कर दीवानों की तरह एक दूसरे को चूम रहे है।

हम पापा बेटी अपनी प्यार भरी वासना की नींद से जाग गये, हमारी बंद आँखे एक झटके से खुल गई।

हमने सामने देखा तो एक अधेड़ उम्र की औरत हमें देखकर बड़बड़ा रही है, और दूसरी अधेड़ औरत को आवाज दे रही थी।

मै और रिंकी एक दूसरे के आलिंगन के आगोश से छूट गए और अपने अपने जिस्म से दूरी बनाते हुए सीट पर बैठ गये। हम दोनों शर्म से पानी पानी हो रहे थे। हमें ऐसा लग रहा था जैसे हमने बहुत बड़ा गुनाह किया है। रिंकी ने अपनी शकल अपने दुपट्टे से ढक ली।

रिंकी को चेहरा दुप्पटे से ढकते हुए देख
वो औरत रिंकी से बोली देखो कैसे सती सावित्री बन रही है। अभी तो कितनी बेशर्मी और बेहायी से चूमा चाटी कर रही थी। अब शक्ल दिखाने में शर्म आ रही है।

यही शिखाया है तेरे माँ बाप ने कपड़ो और हाथ पाँव से एक अच्छे घर की लड़की दिख रही है, और यहा चलती ट्रेन में गुलछरे उड़ा रही है और ये सब हवस मिटानी थी तो किसी होटल में चली जाती है।

तेरी जैसी लड़किया पहले खुद कुकर्म करती है और फिर लड़को पर इल्जाम लगाती है।

तभी सोमा बीच में बोल पड़ी आंटी आप अपना काम करिये और जहा जा रही है वहा जाइये otherwise अपनी सीट पर बैठीये।

वो औरत सोमा से बोली तू बड़ी इन दोनों की अम्मा बन रही है, ये दोनों ऐसे सबके सामने पब्लिक place में चूमा चाटी कर रहे थे तब तो इनको रोकने की वजह मोबाइल में फिल्म बना रही थी और मुझे जाने को बोल रही है।

रोमा बोली आंटी अब हो गया ना बस खतम करे, वो औरत फिर बोली अभी कहा हुआ है वो तो अगर हम ना आते तो ना जाने क्या क्या हो जाता।

वो औरत फिर से रिंकी को देखकर बोली मुझे तो इस लड़की की हरकत पर गुस्सा आ रहा है। इसको अपने माँ बाप की जरा सी भी फिक्र नही है, इसके माँ बाप कितनी मेहनत से पैसे कमाते होंगे और इसे पढ़ने के लिए भेजा है और ये बेटी यहाँ चलती ट्रेन में सबके सामने रंग रेलिया मना रही है।

तभी दूसरी अधेड़ औरत भी आ गयी और मुझे बड़ी गौर से देखने लगी और एकदम से बोली ओह मेरी मैया तुम धामी सर के बेटे अरुण हो।

अब गालिया खाने की मेरी बारी थी।

ये सुनकर मै और रिंकी के साथ साथ सभी लोग दंग रह गये। उसके साथ वाली अधेड़ औरत ने कहा कुसुम ताई तुम इसे जानती हो तो वो बोली हा।

मै इसके पूरे खानदान को जानती हू। इसकी पहली पत्नी सुहागरात के अगले दिन ही इसे छोड़ कर चली गई थी। बड़ी मुश्किल से इसकी एक विधवा लड़की से अभी एक महीने पहले ही इसकी शादी हुयी है, और इसकी पत्नी बहुत सुंदर है और मैने सुना है इसको दहेज में इसको अपनी पत्नी से भी ज्यादा खूबसूरत सुंदर जवान बेटी मिली है। मैने इसकी पत्नी को तो शादी के बाद बाजार में आते जाते देखा है पर इसकी बेटी से नही मिली हू।

मेरा सच से सामना करने की शुरुआत होने का समय शुरु हो चुका था। और ये पहला राउंड था।

मेरी पहचान खुलने के बाद उन औरतो की आवाज थोड़ी कम हो गयी और
तभी पहले वाली अधेड़ औरत मुझसे बोली अरुण तुम बीवी बच्ची वाले होकर ऐसे कांड कर रहे हो अगर धामी सर को पता चला तो वो एक बार अपना एक्लोता बेटा समझकर माफ भी कर देंगे पर तुम्हारी बीवी को पता चला कि तुम अपनी बेटी की उम्र की लड़की के साथ ट्रेन में इस तरह चूमा चाटी कर रहे थे तो वो अपनी सयानी जवान बेटी को कभी भी तुम्हारे साथ घर में नही रखेगी।

मैने उन बुढियो से कहा गलती हो गयी और अब दोबारा नही करूँगा आप लोग जाए और अपनी सीट पर बैठे। वो बुढ़िया अपनी सीट पर ना जाते हुए पहले मूतने गयी और वापस आकर हमारे कंपर्टमेंट में झांकते हुए अपनी सीट पर जाकर सोने लगी।

सुबह के चार बज चुके थे।
मेरे कंपर्टमेंट में एक खामोशी छा गयी थी, कुछ देर पहले जहा मेरे और रिंकी के प्यार भरे चुंबन की बारिश हो रही थी वहा अब ऐसा लग रहा था उन बुढियो ने मेरे और रिंकी के प्यार का कत्ल कर दिया हो।

मैने अपनी नजर उठाकर सामने बैठी लड़कियों की तरफ देखा तो रोमा, सीमा, सोमा और नितिन मुझे खा जाने वाली निगाहों से घूर रहे थे।

मै डर गया,

मैने फिर रिंकी की तरफ देखा तो उसके दुपट्टे से ढके चेहरे पर मुझे बस उसकी बड़ी बड़ी आँखों में छोटे छोटे आँसू नजर आ रहे थे।

मै ये तो समझ गया था कि अब इन लड़कियों की गालियों की बरसात मेरे ऊपर होने वाली है बस इंतजार कर रहा था कि शुरुआत कौन करेगा।
तभी सीमा जो ऊपर सो रही थी वो भी नीचे आकर मुझसे गुस्से में बोली और कितने झूठ छिपा रखे हैं रिंकी से।

सीमा की बात का जबाब देने से पहले सोमा बोली अरुण मुझे तुम बहुत पसंद आये थे और तुम पर पूरा भरोसा करके ही मैने तुम्हारे और रिंकी के बीच ये सब प्लान बनाया था। लेकिन तुम तो धोकेबाज निकले। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी।

तुम शादी शुदा और एक बेटी के बाप होकर भी रिंकी जैसी प्यारी लड़की के साथ इतना बड़ा game खेल रहे हो।

नितिन बोला मुझे एक बात समझ नहीं आई अरुण तुम्हे देखकर तो ऐसा नहीं लगता कि तुम्हारी शादी हो चुकी है और तुम्हारी उम्र तो इतनी नही लगती कि तुम एक जवान बेटी के बाप हो।

नितिन की बात सुनकर सीमा ही बोल पड़ी अरे पागल वो इसकी step dauther है। मुझे तो लगता है इसने उस विधवा लड़की से शादी जानबूजकर की है और ये उसकी जवान लड़की के साथ जरूर आगे कोई हरकत करेगा।

अब रोमा का नम्बर था वो मोटी मुझे मुक्का दिखाते हुए रिंकी से बोली रिंकी क्या तुम अरुण के बारे में पहले से जानती थी या इसने तुम्हे भी धोखे में रखकर ये सब किया है। अगर अरुण ने ऐसा जानबूजकर किया है तो इसकी आज खैर नही। रिंकी हम सब तेरे साथ है, बस एक बार तू सच बता हमें।

ये अरुण दिखने में हैंडसम और जितना cute and sweet है अंदर से लोमड़ी की तरह चतुर चालक है
थोड़ी देर पहले बड़ा ही शरीफ जादा बन कर मजा ले रहा था, और तो और शायरी सुना कर मजे ले रहा था, इसकी तो सारी शायरी आज हम लड़किया मिल कर ठीक से सुनते हैं। वैसे भी मैने मोबाइल में वीडियो बना लिया है, अगर ये रिंकी इसकी ये चाल है और इसने जानबूजकर तुझे फँसाया है तो मै वो वीडियो इसकी पत्नी और बेटी को दिखा दूँगी । इसकी पत्नी अच्छे से इसकी खबर लेगी। रिंकी बस यार एक बार तू सच बोल please.

तभी रिंकी जोर से बोली सब चुप हो जाओ और
रिंकी अपनी रोती हुई आवाज में बोली मुझे किसी से कुछ नही कहना बस।
सब मेरी ही गलती है, मेरा ही कसूर है, मुझे इसकी सजा मिलनी चाहिए, और उठकर जाने लगी।

मै रिंकी की इस बात को सुनकर अंदर से गुस्से से भर गया,
मै उसके पीछे जाने लगा तो रोमा ने मेरा हाथ पकड़ लिया। और बोली तुम कहा जा रहे हो। मैने उसकी तरफ घूर के देखा और थोड़ा गुस्से में कॉलेज के प्रोफेसर की तरह बोला बस अब बहुत सुन चुका मै सबकी और आगे अब किसी की एक बात नही सुनुंगा। तुम सब यही बैठो शांति से कोई पीछे नही आयेगा। और सुन मोटी जो तूने मोबाइल में वीडियो बनाया है उसे अभी कि अभी डिलीट कर नही तो तेरे मोबाइल फोन के साथ साथ तुझे भी में ट्रेन से नीचे फेंक दूंगा। मेरी धमकी सुनकर उन सबकी गांड फट गई और वीडियो डिलीट कर दिये।

और मै रिंकी के पीछे चला गया।

रिंकी एक पल लड़खड़ाई और उसके मुँह से कराह निकली , ‘आह्ह्ह्ह…’ और फिर अगले ही पल वह बाथरूम में जा घुसी और एक सिसकी के साथ दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई.

‘आऽऽऽऽ…हाए मम्मीऽऽऽऽ…’ रिंकी अपने हाथों में मुँह छुपाए रो रही थी. हर एक पल बाद रिंकी का जिस्म भय और शर्म से कंपकंपा रहा था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या सोच कर उसने अपने आप को इस स्थिति तक आने दिया था. जब उसे साफ़ पता था कि उसके पापा,
इसी पापा और बेटी की मर्यादा के रिश्ते के कारण उससे दूरियाँ बना रहे थे। फिर भी उसने उनका प्रतिकार करने के बजाय उनको उकसाया था. अपनी इस लाचार अवस्था पर विचार कर-कर के बार-बार उसकी रूलाई फूट रही थी. रिंकी को अपने आप पर भी बेहद ग़ुस्सा आ रहा था. रिंकी ने अपने पापा बेटी के रिश्ते के धर्म का निर्वाह करने के बजाय उसने इस तरह का कुकर्म करने की कोशिश की थी. आख़िर में ये सब उसी की चालबाज़ी का नतीजा था.

‘बस किसी तरह घर वापस पहुँच जाऊँ, सब बता दूँगी मम्मी को.’ रिंकी बाथरूम बैठी हुई अपनी गलती मान रही थी, ‘ रिंकी के दिमाग़ में एक के बाद एक ख़याल आते जा रहे थे, ‘ मैंने अपने पापा को क्यो बढ़ावा दिया…पता नहीं मेरा भी कैसे माथा ख़राब हो गया था…हाय…अब उनसे कैसे शक्ल दिखाऊ और कैसे बात करूँगी…मेरी जैसी बेटी किसी को न दे भगवान…’

इधर मेरे मन में सवालों के तूफान उठ रहे थे मै सोच रहा था,
मेरी पापा बेटी के रिश्ते के पाप की लंका का दहन हो चुका था, कुछ पल तो मै अपनी वासना के उन्माद से ऊबर ही न सका, लेकिन फिर मुझे अपनी परिस्थिति की नाजुकता का अंदाज़ा होने लगा. मेरा लंड भी अब शांत हो कर सुस्त पड़ गया था. कुछ देर बैठे रहने के बाद मै उठ कर दबे पाँव बाथरूम के दरवाज़े के पास गया. अंदर से रिंकी के सिसकने की आवाज़ आ रही थी, मै कुछ पल सुनते रहा मेरा सिर शर्म के कारण झुका हुआ था और मै हार मान चुका था.

‘पता नहीं क्या होगा, ट्रेन एक पब्लिक place होता है यह मेरे दिमाग़ में ही नहीं आया.’ ‘कहीं उन औरतो ने किसी के सामने मुँह खोल दिया तो मैं तो कहीं का नहीं रहूँगा…हे भगवान मेरी भी मत मारी गयी थी, इतने मौक़े आए जब मैं संभल सकता था लेकिन इस वासना के भूत ने मुझे बर्बाद करके ही छोड़ा…’

अब मुझे अपनी करतूत के सही मायने समझ आने लगे थे. मै अब अपनी बेटी से बात करने लायक भी नहीं रहा था. मै कुछ देर इसी असमंजस में बाथरूम के दरवाजे पर बैठा रहा कि रिंकी को बाथरूम से बाहर आने को कैसे कहें. हमारी ट्रेन सवा- पांच बजे हमारे स्टेशन पर पहुँचने वाली थी. अभी घड़ी में पौने- पांच होने लगे, तो मैने किसी तरह हिम्मत जुटायी और बाथरूम के गेट खटखटाये.

रिंकी बाथरूम का गेट खोलकर बाहर आ गयी। हम दोनों एक दूसरे से दूरी बनाए रहे . अब न तो हमें भूख लग रही थी न ही प्यास — एक तरफ़ रिंकी अपने आप को मन ही मन कोस रही थी और दूसरी तरफ़ मै ख़ुद अपने पाप की आग में जल रहा था.

आख़िरकार सफ़र का अंत आ गया, जब ट्रेन नागालैंड स्टेशन में घुसने लगी, तो लोग उठ-उठ कर अपना सामान दरवाज़ों के पास जमा करने लगे. मैने उठ कर अपना बैग बर्थ के नीचे से निकाला, और फिर रिंकी के सामान की तरफ़ हाथ बढ़ाया.

‘कोई ज़रूरत नहीं है और एक एहसान करने की…’ रिंकी बेरुख़ी से बोली.

रिंकी को शायद ऐसा लग रहा था उन अधेड़ औरतो ने उसको ही बुरा भला कहा और सारी उसकी गलती बताकर रिंकी को ही पूरे कांड का दोषी या गुनेहगार मान लिया है।

मै वही खड़ा रहा
उसने देखा कि पापा अभी तक अपनी जगह से हिले भी नहीं थे. रिंकी ने अपना बैग लिया और दरवाज़े की तरफ़ थोड़ा सा बढ़ी, मेरी इतनी भी हिम्मत नहीं हो रही थी की अपनी बेटी की तरफ़ देख सकू, मै मुड़ कर दरवाज़े से बाहर निकलने को आगे बढा. और फिर से रिंकी के हाथ से बैग लेने की कोशिश करी ।

‘अगर आपने मुझे हाथ भी लगाने की कोशिश की तो ठीक नहीं होगा वो औरते सामने ही खड़ी है! और कुछ सुनवाना चाहते है क्या अभी इतने से मन नही भरा क्या’ रिंकी की तल्ख़ आवाज़ मेरे कानों में पड़ी.

रिंकी एक पल वहीं खड़ी हुयी ग़ुस्से और दर्द से काँपती रही।

मैने एक दफ़ा फिर रिंकी की तरफ़ मिन्नत भरी नज़रों से देखा, पर उससे कुछ कहते न बना. तभी ट्रेन एक झटके के साथ रुक गयी.

हम स्टेशन के बाहर आ गये और अपने घर जाने के लिए एक ऑटो में बैठ गये स्टेशन से घर तक के सफ़र में रिंकी और मेरे बीच एक लफ़्ज़ की भी बातचीत नहीं. हुई। हम दोनों एक दूसरे से दूरी बनाए बैठे रहे .

अंततः हम घर पहुँच गये।

जारी है……..

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top