“फिलहाल तो आज तुम होटल मेरे साथ चलो तुम्हारी पूरी मस्ती निकलता हु “वो खिलखिलाई और “आप ठरकी हो ये तो पता था लेकिन इतने हो ये नही पता था,इन पोर्न वेबसाइट्स और कहानियों ने अपका दिमाग खराब कर रखा है..”वो गुस्से में थी लेकिन होठो में मुस्कान लेकर ..
पूरे रास्ते कुसुम बेहद ही उत्तेजित लग रही थी वही हाल मेरा भी था,मेरे सामने बार बार कुसुम और उसके चाहने वाले राज का चहरा घूम रहा था,जब राज ने कुसुम के कमर में हाथ डाला था वो सीन ही मुझे गुस्से के साथ साथ उत्तेजित कर दे रहा था….
रास्ते में हमने कुछ खाना भी पैक करवा लिया क्योकि साहब की पार्टी में हमने खाया कम और पिया ज्यादा था।
आधे घंटे बाद हम दोनों होटल पहुँच गए, गाड़ी से उतरते ही कुसुम मुझसे एक नशीली कातिल मुस्कान के साथ कान में बोली मेडिकल पर जाइये और एक स्ट्रॉबेरी ले आइये, मै कुसुम की बात समझ नही पाया और कुसुम से दोबारा पूछा क्या??
कुसुम कुछ ज्यादा ही नशे में थी वो मेरे करीब आई और मेरे लंड को छेड़ते हुए बोली इसका स्वाद बदलने की दवाई समझे। हाहाहा हाहाहा हाहाहा
मै तुरंत ख़ुशी से oh अभी आया कुसुम ऊपर होटल के कमरे में चली गई।
हल्के मध्यम रोशनी से पूरा कमरा जगमगा रहा था,हवा में उड़ाती हुई खुशबू ने मेरे नथुनों को भर दिया,मैं आश्चर्य से भर गया जब मैं कमरे में घुसा,अभी कुसुम कही दिखाई तो नही दी लेकिन मोहोल को देखकर जरूर लग रहा था की आज कुसुम रोमांस के फूल मुड़ में है ,मैं धीरे से जब अपने कमरे में पहुचा तो पाया की वो बाथरूम में है और साथ ही बेड में पड़े उसके उत्तेजक अंतः वस्त्रो ने ये बात कन्फर्म कर दी थी की आज वो जलवे बिखेरने वाली थी ,मैंने उन अंतः वस्त्रो को देखा वो बिल्कुल ही नए थे जैसे पहली बार आज ही उनका इस्तेमाल होने वाला हो,वो बहुत ही मुलायम थे इनके मुलायम की उन्हें छूते ही मेरा लिंग अकड़न खाने लगा, मैं जल्दी से बाथरूम के दरवाजे के पास पहुचा दरवाजा खुला हुआ था मैं अंदर दाखिल हो गया,कुसुम अंदर बिना किसी कपड़े के शावर के नीचे खड़ी हुई थी ,मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े फेके और पीछे से उसे जाकर अपनी बांहो में भर लिया..वो मुस्कुराई ले आये दवाई ..
“हा मेरी जान बड़ी मूड में लग रही हो ..”वो हल्के से हँसी
“और आप हमेशा की तरह जल्दबाजी में ..”वो खिलखिलाई
“कभी तो थोड़ा सब्र करो ,भाग थोड़ी ना रही हु, इतना इंतजाम किया है और आप यही शुरू हो जाओगे,”उसका गीला हाथ मेरे लिंग पर था, सच में मैं यही सोच रहा था की कभी अकड़े हुए लिंग को उसकी गीली योनि में घुसा ही दु ,लेकिन उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा खुद पर कंट्रोल पाने की सोची..
“ऐसे भी मेरे पास कुछ ऐसी खबर है की आप आज रात धमाल मचा दोंगे,पानी गिर गया तो फिर खबर का मजा नही आएगा ..”वो फिर से अपनी चिर परिचित अंदाज में खिलखिलाई और झट से टॉवेल उठाकर बाहर निकल गई ..
उसकी बात सुनकर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गई थी ,मेरा दिमाग ही ऐसा था की मैं एक साथ कई पॉसिबिलिटी के बारे में सोचता हू।
उसके साथ ही मैं अपने लंड को सहलाता हुआ बाहर निकला और जल्दी से एक शार्ट पहन लिया ,मेरी उत्तेजना की शिखर ये था की लिंग शार्ट को मानो फाड़कर बाहर आना चाहता था,एक तंबू साफ साफ दिख रहा था,
उसने एक झीनी सी नाइटी पहनी और उसके ताजे अंतःवस्त्र उसमे से झांकने लगे …
मैंने उसे फिर से जकड़ लिया था मेरा लिंग उसके कूल्हे में गड़ा जा रहा था ,साला सोने का नाम ही नही ले रहा था…
“ओहो चलो खाना तो खा लो “
“मुझे तो बस तुम्हे खाना है ,”मैं उसके गर्दन को चूमने गला वो मचली और तेजी से मुझसे अलग हो गई उसके होठो में शरारत भरी मुस्कान थी ,
“अगर ऐसा किये ना, तो कोई बात नही बतलाऊंगी “वो हसंते हुए बाहर निकल गई और खाना टेबल में सजाने लगी,मैंने अपने लिंग को सहलाया ..
“थोड़ी देर सब्र करले बेटा नही तो कुछ भी नही मिलेगा “
खाना बड़ी मुश्किल से अंदर जा रहा था,आज मैं उसकी चुदाई को इतना बेताब था जिसे मैं दो ढाई महीने से चोद रहा था,
हवसी तो मैं पहले से था लेकिन लग रहा था की अपनी फेंटेसी की वजह से मेरी पुरानी हवस फिर के जाग गई है और बड़ी जोर से जागी है …
पूरे खाने के दौरान कुसुम ने मुझे अपने से दूर ही रखा और मैं उसे देखकर अपना लिंग मसलता रहा,मुझे लगा की साला आज तो ये अंदर जाए बिना ही झड़ जाएगा …
मैं अपनी हवस को काबू पाने के लिए थोड़ा इधर उधर चल रहा था,जब ये कम नही हुई तो मैं अपने तकिये को मारने लगा,कुसुम मुझे देखकर हँसने लगी..
“पूरी ताकत यही निकाल दोगे क्या ..”उसे पता था की जब मैं ज्यादा जोश में आता था और मुझे उसका साथ नही मिलता था तब मैं अपनी उत्तेजना को कम करने के लिए पंच तकिये को मारा करता हू,खासकर उसके पीरियड वाले टाइम में मैं कई घण्टे तक उसे मरता थक जाता था ।
लेकिन फिर कुसुम की टांगो को देखकर उत्तेजित हो जाता,आखिर उस बेचारी को अधिकतर मेरा लिंग अपने मुह और हाथो से मसल कर झडना पड़ता था,कुल मिलाकर मैं हवसी था जिसे कुसुम जैसी समझदार लड़की ही अपने प्यार से मैनेज कर पाती थी …
मैं तुरंत ही उसके ऊपर कूद गया ,उसकी आंखों को देखकर थोड़ा शांत हुआ,और उसके होठो को अपने होठो में भर लिया..
जब सांसे फूलने लगी तो हम अलग हुए ..
“क्या बताना चाहती थी “
मैं थोड़ा शांत हो चुका था ,
जब मेरी बीवी ने मुझसे कहा की तुम अपनी एक सेक्सुअल फैंटसी(इच्छा) बताओ और बदले मे तुम मेरी सेक्सुअल फैंटसी पूरी करना !
तो मैंने उसे बताया की मुझे आज की ये होटल की रात अपनी हनीमून वाली रात बनानी है तो वो मुस्कुराने लगी और कहनी लगी डिमांड तो बड़ी करी हैं आपने बदले में मैं भी बड़ी डिमांड करुँगी!
मेरी आंखे बड़ी हो गई और लिंग ने फिर से फुंकार जोरो से मार दी ,मैंने अपने लिंग को इतने जोरो से सहलाया की वो हँस पड़ी ..
“क्या तुम भी बस इतनी सी बात पर ऐसा खड़ा कर रहे हो पहले पूरा तो सुन लो “
मैं अधीरता से उसे देखने लगा ..
वो मुस्कुराते हुए मेरे सीने से लग गई ..
उसने आखिरी लाइन को थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा था लेकिन मेरे लिए इतना भी काफी था मैंने उसे झट से नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर टूट पड़ा ,पहले तो हंसती रही लेकिन फिर वो सिसकियां लेने लगी ,मैं उसके पूरे बदन को अपने थूक से गीला कर रहा था,
उसे भी पता था की मेरी इस उत्तेजना का कारण क्या है लेकिन हवस थोड़ी ही देर में प्यार की शक्ल लेने लगा,जिस चहरे को तीन महीनों से देख रहा था वो रोज मुझे कुछ नया ही लगता था,हर नजरिये के साथ साथ नजर भी बदलते जाती है ,
वो इतनी मासूम लग रही थी की मुझे खुद पर भी थोड़ा गुस्सा आने लगा की मैने अपनी इतनी खूबसूरत बीवी को खुद से दूर रहकर अकेले रहकर नौकरी करने की सहमति क्यो दे दी। और अपनी प्यारी कुसुम को दूसरे मर्दो के बीच अकेला छोड़ दिया। जहा हर मर्द उसे फसाना चाह रहा है।
“”आज तो कुसुम सिर्फ बातें ही कर रही थी अगर असल जिंदगी में वो किसी के साथ पट गयी तो उसका सामना करना मेरे लिए बेहद ही मुश्किल होगा…””
उसने मेरी आंखों में झांका मैं अभी भी उसके आंखों में डूबा हुआ था,उसकी आंखे थोड़ी पनियाई जैसे पहले पहले प्यार में अक्सर होता है,शायद ये थोड़ी थोड़ी शरारतें हमारे प्यार को कभी बूढ़ा होने नही देंगी,हम आज भी उसी नए जोड़े की तरह एक दूसरे के साथ व्यव्हार कर रहे थे जैसा की शादी के समय किया करते थे,वो आज भी मेरी आंखों में प्यार देखकर इमोशनल हो जाती और आज भी मैं उसकी आंखों में पानी देखकर उसके प्यार में और उतर गया,
मैंने अपने होठो को उसके आंखों पर लगा दिया,उसका पानी मेरे होठो से मेरे मुह में चला गया था,उसके होठो पर हल्की मुस्कान खिली और हमारे होठ फिर से मिल गए,मन शांत होने लगा और हवस ने हारकर प्यार का रूप ले लिया,कपड़े खुलते गए और हम एक दूजे में सामने लगे,मन और भी शांत हो रहा था,उत्तेजना बढ़ रही थी लेकिन शरीर के तल पर ही वो मन को नही जला पा रही थी,शरीर के तल पर दोनो ही मिल चुके थे ,सांसे भी एक दूसरे में घुलने लगी थी और मन भी ,……….
अब हम दोनों एक दूसरे के सामने आ गए. उसके दोनों मम्में मेरे सीने से चिपक गए थे, आंचल थोड़ा सा हट गया, था तो उसकी खूबसूरत मखमली वक्षरेखा नज़र आई।
गोरे मम्मों के बीच में मंगल सूत्र!
मैंने नीचे को देखकर कहा- ये मंगल सूत्र भी बड़ा किस्मत वाला है।
वो बोली- नहीं, ये नहीं … आप किस्मत वाले हो।
मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके माथे को चूम लिया तो उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया और मैंने भी कस कर उसे अपनी आगोश में ले लिया।
15-17 दिनों बाद अपनी बीवी को बांहों में भरा था. मुझे अपनेपन की फीलिंग आई तो मैंने अपनी टांग भी उसके ऊपर रख ली।
अब सब्र सा नहीं हो रहा था तो मैंने उसकी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर को उठाई और उसके होंठों पर एक चुम्बन अंकित कर दिया।
बेशक उसने चुम्बन में मेरा साथ दिया, मगर एक कंपकंपी एक हरारत सी मैंने महसूस की।
मैंने पूछा- क्या हुआ कुसुम?
वो बोली- बड़ा अजीब सा लग रहा है।
मैंने कहा- तुम खूबसूरत हो जवान हो, आज पार्टी में बहुत से लोगों ने तुम पर ट्राई किया था।
वो बोली- हाँ किया था, मगर मुझे हमेशा इस बात का डर लगा रहा कि अगर मैंने एक बार गलती कर ली तो हो सकता है, कल वही गलती मेरे साथ साथ मेरी बेटी के भविष्य में उसको नुकसान न पहुंचाए।
मैंने कहा- अरे वाह, बड़ी दूर की सोची, और अगर मुझ से शादी ही न होती तो?
वो बोली- “”सोचना पड़ता है, मर्द और औरत की सोच में बहुत फर्क पड़ता है, आप अगर कोई गलती कर भी लेते तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता, इस समाज में मर्द के लिए सब गुनाह माफ है, मगर मेरे किसी एक गुनाह की सज़ा मेरी बेटी भी भुगते, ये मुझे मंजूर नहीं है।””
मुझे इस बात की बड़ी तसल्ली हुई कि चलो जिदी, और गुस्से वाली बीवी मिली, मगर इधर उधर मुंह मारने वाली भी नहीं मिली।
मैंने प्यार में आ कर फिर उसके होंठों को चूमा, मगर इस बार थोड़ा ज़्यादा देर!
और होंठ चूमते वक्त अपनी जीभ से उसके नीचे के होंठ को चाटा भी!
उसने भी अपनी जीभ से मेरी जीभ को हल्के सी छूआ।
अब मैं थोड़ा ज़्यादा फ्री महसूस कर रहा था, तो मैंने उसके आँचल को हटा कर बड़े अच्छे से उसकी वक्षरेखा को देखा और उसको छूकर कहा- ये मेरी सबसे पसंदीदा चीज़ है. मुझे औरतों के बड़े
और गोल मम्में बहुत पसंद है. और बड़ा क्लीवेज तो मेरी कमजोरी है.
मैंने खुश होकर उसके दो गोल और दूध से सफ़ेद मम्में मेरा मन ललचा गए.
मैंने एक को पकड़ कर दबाया- अरे यार, क्या मस्त चूची है तुम्हारी!
वो कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुरा दी।
मैंने दोनों मम्में बारी बारी से दबा कर देखे।
बनियान मैंने पहनी ही नहीं थी, तो मैं अब सिर्फ एक छोटी सी चड्डी में था।
कुसुम मेरी चड्डी को देखा, अब लंड तो मेरा पहले ही खड़ा हो चुका था, तो अब मेरी चड्डी काफी फूली हुई लग रही थी।
वो बोली- ठीक है, तो ये बताओ, बातें ही करोगे या चोदोगे भी मुझे?
मैंने कहा- चोदूँगा ज़रूर चोदूँगा, मगर तुम्हें चोदने से पहले तुमसे बहुत से बातें भी करूंगा।
वो मुझसे लिपट कर बोली- बातें और सेक्स दोनों साथ भी तो हो सकते हैं।
मैंने कहा- क्यों चूत में बहुत खुजली हो रही है।
वो बोली- 15-17 दिन बाद आज लंड मेरे हाथ में आया है. कहते हुये उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया- अब इसलिए सब्र का पैमाना छलकने को है।
मैंने चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाया तो उसने हल्की सी सिसकी भरी- सी … आह…
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- 15-16 दिन के बाद लंड को अपने हाथ में पकड़ा है, बहुत तड़पती थी मैं!
मैंने पूछा- तो जब दिल मचलता था, तो कैसे समझाती थी अपने दिल को?
वो बोली- अरे उसके लिए तो रसोई में बहुत कुछ मिल जाता है.
कह कर वो हंस दी।
मैं समझ गया कि खीरा बैंगन गाजर ने इसके सुख दुख में साथ दिया है।
मैंने अपनी चड्डी उतार दी और उस से बोला- लो मिलो अपने पति से … प्यार करो इसे!
वो उठ कर बैठ गई, और तकिये के पास रखे कंडोम के पैकेट से कंडोम निकालकर मेरी जांघ पर सर रख दिया, फिर मेरे लंड की चमड़ी पीछे को हटा कर मेरा टोपा बाहर निकाला और मेरे सुर्ख लाल टोपे के बिल्कुल शिखर पर चूमा और उस पर कंडोम चढ़ा कर फिर उसे मुंह में लेकर चूस ने लगी।
मैं मन ही मन बड़ा खुश हुआ, क्योंकि कुसुम को कुछ कहने या सिखाने की ज़रूरत नहीं थी, उसे पता था, कैसे क्या करना है। पति को क्या पसंद होता है, इसी लिए उसने बिना कहे ही मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया।
मैंने पूछा- लंड चूसना अच्छा लगता है?
वो बोली- अरे बहुत, इसे चूसे बिना तो सेक्स का मज़ा ही नहीं आता।
आप भी दिखाइए अपनी जीभ का कमाल।
और उसने घोड़ी बन कर अपनी भरी हुई गाँड मेरी तरफ घुमा दी। उसकी दोनों टाँगों के बीच में अपना सर सेट किया. तो उसने अपनी भोंसड़ी मेरे मुंह पर रख दी।
मैंने पहले उसकी चूत की दरार को चूमा और फिर अपनी जीभ की नोक से उसकी चूत की दरार के अंदर डाल कर फेरा.
तो उसने अपनी कमर थोड़ी ऊपर को उठाई। चूत तो उसकी … भर भर के पानी छोड़ रही थी।
एकदम से गीली चिकनी चूत, हल्का नमकीन खट्टा सा पानी का स्वाद मुंह में आया, तो मैंने उसकी सारी चूत को अपने मुंह में भर लिया, और फिर अपनी पूरी जीभ से उसकी चूत के अंदर और उसके चूत के छोले को चाटने लगा।
मैंने कहा- तुम्हें लंड चूसना पसंद नहीं?
वो बोली- पहले नहीं था. मगर आज तो मैं इतनी बेताब हो गई कि मुझे नहीं लगता आगे से मैं इसे बिना चूसे रह पाऊँगी.
और फिर वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा.
क्योंकि मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है. और जो मैं मज़े ले ले कर उसकी चूत चाट रहा था कि अचानक वो तड़प उठी, और अकड़ गई. उसने मेरे सर को अपनी जांघों में भींच लिया और मेरे लंड को अपने दाँतों से काट दिया.
उसके मुंह से सिर्फ ‘उम्म … उम …’ की आवाज़ें ही निकली क्योंकि उसके मुंह में तो मेरा लंड घुसा था। मैं समझ गया कि ये तो स्खलित हो गई। मगर मैं फिर भी उसकी चूत में अपनी जीभ घुमाता रहा।
उसका बहुत सारा पानी मेरे मुंह पे लगा गया, बहुत सारा मैंने निगल लिया।
उसके बाद जब उसने अपनी जांघों की पकड़ ढीली करी तो एकदम से उठ कर मेरे ऊपर चढ़ गई।
“मार डाला ज़ालिम तुमने तो! यार, बस अब एक बार इससे भी स्खलित कर दो मुझे! फिर चाहे जान से मार दो!”
मैं कुछ कहता या करता, उससे पहले ही उसने खुद ही मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया और ऊपर बैठ गई. गीली चूत में मेरा लंड फिसलता हुआ अंदर तक घुस गया।
पूरा लंड अपने अंदर ले कर वो मेरी कमर पर ही बैठ गई।
एक भरा हुआ दूध सा गोरा, नंगा बदन मेरा लंड लेकर मेरी कमर पर बैठा था। मैंने कोई हरकत नहीं करी। एक बार उसने जैसे अपनी पूरी सतुष्टि करी हो कि हाँ एक मजबूत लंड उसकी चूत में अंदर तक घुस चुका है।
उसके बाद उसने आँखें खोली और मेरी तरफ देखा।
मैंने पूछा- क्या?
वो बोली- आपको मेरी ये बेताबी बुरी तो नहीं लगी? कहीं आप सोचें कि कितनी कामुकता भरी है इसमें?
मैंने कहा- नहीं, बल्कि मुझे जैसी पत्नी चाहिए थी, तुम बिल्कुल वैसी हो. बल्कि मेरी सोच से भी बढ़कर। अब अगर ऊपर चढ़ी हो तो रुको मत, चोद डालो मुझे। मैं हमेशा से चाहता हू कि एक भरी पूरी तगड़ी औरत मुझे हराकर मेरे ऊपर चढ़ कर खुद सेक्स करे, मैं उसे नहीं बल्कि वो मुझे चोदे। और देखो तुम मुझे मिल गई। अब शुरू हो जाओ और अपने दिल में छुपी उस रांड को बाहर निकालो, और मुझे एक ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा दो।
वो बोली- जो हुकुम मेरे सरकार!
और उसके बाद उसने धीरे धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू करी। पहले सीधी बैठ कर फिर, आगे झुक कर फिर मेरे ऊपर लेट कर, मगर उसने अपनी कमर नहीं रोकी, और मेरा लंड बार बार उसकी चूत में अंदर बाहर जाता रहा। पहली उसकी गीली चूत सूखी. और उसके बाद धीरे फिर से वो पानी छोड़ने लगी।
उसकी कमर चलती रही, उसको सांस चढ़ने लगी।
मैंने पूछा- मैं ऊपर आऊँ”?
वो बोली- नहीं, अब तो मर कर ही नीचे उतरूँगी।
वो मुझे पेलती रही.
धीरे धीरे उसके बदन पसीने से भीगने लगा, कुसुम एक शानदार औरत ही नहीं , एक जानदार औरत भी है।
उसके बड़े बड़े मम्में मेरे चेहरे पर झूल रहे थे जिन्हें मैंने खूब चूसा, और बहुत बार ज़ोर ज़ोर से काटा. इतनी ज़ोर से कि कुसुम की चीख निकाल दी.
मगर वो सिर्फ कामुकता के सैलाब में बहती चली गई, एक बार भी नहीं कहा लो मत काटो दर्द होता है।
उसके मम्मों पर मेरे दांतों के बहुत से निशान बन गए।
वो मुझे चोदती रही, चोदती रही, जब तक के मेरे लंड ने उसकी चूत में वीर्य की उल्टी नहीं कर दी।
जब मेरा माल गिरा तो वो बोली- अरे ये क्या किया, अंदर ही गिरा दिया?
मैंने पूछा- क्यों, क्या हुआ,
वो बोली- अरे नहीं, वो बात नहीं, मेरे जिस्म पर गिराते, मेरे स्तनों पर, मेरे मुंह में … मुझे अच्छा लगता है मर्दाना वीर्य में भीगना, उसे टेस्ट करना।
मैंने उसकी चूत से लंड निकाला, जो अभी भी मेरे वीर्य से भीगा हुआ था, और मैंने अपने लंड को उसके मुंह में डाल दिया।
वो बड़े शौक से मेरे लंड को चाट गई। जितना भी वीर्य लगा था, सब चाट गई।
उसके बाद हम दोनों वैसे ही कुछ देर लेटे रहे।
हम कुछ कुछ बातें करते रहे।
ओह जान तुम तो किसी भी मर्द को अपना गुलाम ही बना दोगी..”
मेरे मुह से यही निकला …
मैं थका हुआ उसके ऊपर पड़ा हुआ था वही वो मेरे सर को सहलाती हुई शांत पड़ी थी,जब मैंने उसकी आंखों में देखा तो वो उसकी आंखों में एक अजीब सी हलचल थी और होठो पर एक कातिल मुस्कान…
“सच में मैं किसी भी मर्द को अपना गुलाम बना सकती हु..”
कुसुम की बात से मेरे भी होठो पर एक मुस्कान खिल गई ..
“मुझे तो बना ही चुकी हो …”
वो हल्के से हँसी ..
“अच्छा,लेकिन मुझे तो लगता है की मैं आपकी गुलाम बन चुकी हु ,आपके प्यार के आगे मेरी हुस्न की क्या मजाल है,जब से हमारी शादी हुई है आपके प्यार की कसीस ने मुझे अपना गुलाम ही बना दिया है…”
उसकी आंखों से छलकती हुई सच्चाई की बूंदों को मैंने अपने होठो में भर लिया …
“तुम्हारे हुस्न और सच्चाई ,तुम्हारी ये प्यारी सी आंखे और भरे हुए होठो से छलकते हुए रस के प्याले ,किसी भी मर्द को पागल बना देंगे….तुम जब हंसती हो तो लगता है की चांद खिल गया है,तुम्हारा रूठा हुआ चहरा भी इतना प्यारा है की दिल करता है अपना सब कुछ तुम्हारे कदमो में रख दु …”
मेरी आवाज में कुसुम के लिए बस प्यार ही प्यार था..
और उसके आंखों में आंसू ,जिसे मैं अपने होठो से हल्के हल्के से चूम रहा था,
“इतना ही प्यार करते हो तो हमेशा शक क्यो करते रहते हो ….” आज मम्मी के सामने मुझे कहाँ मुह काला कर के आई हो क्यो बोला था?????
उसकी बात से मैं सकपका गया था,ना जाने क्यो लेकिन उसकी हर बात मुझे अच्छी लगती है उसे मेरे सिवा किसी और की फिक्र ही नही है …
मेरे होठो में हल्की मुस्कान तैरने लगी …
“जलन तो होती है लेकिन फिर भी अच्छा लगता है जब देखता हु की तुम्हारा प्यार बस मेरे लिए है,और उन बेचारों के चहरे में मायूसी देखता हु…मेरे जीवन में सिर्फ तुम ही एक लड़की हो ,मैंने तो कभी कोई लड़की पटाई भी नही लेकिन तुम जिससे बात कर दो वो तुम्हारा दीवाना हो जाता है ,ऐसी बीवी है मेरी तो थोड़ा शक तो बनता है..”
उसने झूठे गुस्से से मुझे मारा ..
“आप भी ना ……..”
लेकिन वो तुरंत ही गंभीर हो गई
“लेकिन अगर किसी से मुझे भी प्यार हो गया तो …”
उसकी बात सुनकर मैं भी गंभीर हो चुका था..
“तो मैं समझूंगा की मेरा प्यार कमजोर था..”
वो थोड़ी देर मुझे देखने लगी ..
“और अगर मैं बहक गई तो ….”
उसकी बातो का इशारा मैं समझ सकता था,
मैं भी गहरे सोच में डूब चुका था..
“मुझे नही पता ….”
मैं बस इतना ही बोल पाया …
उसने प्यार से निहारते हुए मेरे होठो पर अपने होठो को रख दिया ..
जारी है।