अध्याय — 3 — जनम कुंडली (मेरी जिंदगी की पहली incest feelings) ——
घर में हम सबसे ज्यादा करीब अपनी मम्मी के होते है क्योकि मम्मी ही हमारी हर गलती को नजर अंदाज कर देती है।
इस अध्याय में आप लोगो को मै अपनी जिंदगी की पहली incest feelings बताना चाहता हू कैसे मै एक 35 साल का mature आदर्श वादी, समझदार लड़का जिसकी उसकी पसंद की लड़की से शादी होने वाली है फिर भी मेरे दिल में incest feelings आ रही है।
“क्या ये मेरा फर्ज है या कर्ज”
मेरे मम्मी पापा बोले हमारी तरफ से रिश्ता पक्का है बस कुंडली की फॉर्मलिटी पूरी कर के शादी की तारीख आप को बता देगे। मै, कुसुम, और हमारे परिवार के लोग सभी खुश थे।
मै मम्मी और पापा घर आ गए, रात के आठ बज गए थे, मेरे पापा मुझसे बोले बेटा एक बार फिर सोच लो कुसुम अच्छी लड़की है पर उसकी सयानी बेटी को घर में साथ में रखने में हमे कोई परेशानी नही है पर जब तुम्हारे बच्चे होंगे तो तुम उस फूल सी बच्ची को उतना प्यार दे पाओगे। इतने में मेरी मम्मी बीच में बोल पड़ी आप टेंसन मत लो आराम करो सो जाओ। सुबह गुरु माता के पास कुंडली लेकर चलना है। पापा बोले तुम दोनो जाना क्योकि मै दो तीन दिन के लिए बाहर जा रहा हू। मम्मी फिर बोली आप को कौन जबरदस्ती ले जा रहा है आप को जहाँ जाना है जाओ। मम्मी के डाइलोग सुनकर पापा चुप हो गए और हॉल में बेड पर जाकर लेट गए और tv देखने लगे। मम्मी मुझसे बोली बेटा तुम भी टेंसन मत लो तुम्हारे पापा तो बुढ़े हो गए है उनसे कुछ होता तो है नहीं बस अपनी सलाह देते रहते है। मैने मम्मी से कहा ठीक है गुड नाइट।
मै अपने रूम में आकर लेट गया, मै अपनी मम्मी पापा के बारे में सोचने लगा क्योकि मै जब 18 साल का था तब से मम्मी पापा को प्यार से बातें करते हुए नही देखा है हमेशा मेरी मम्मी पापा से चिडी सी रहती है। पापा मम्मी की खिट खिट से बचने के लिए 10 सालों से हॉल में अकेले सोने लगे है।
मैने एक बार पापा से पूछा था क्योकि मम्मी से पूछने की मेरी हिम्मत नही थी। तो पापा बोले बेटा जब मेरी शादी हुई थी तब मेरी उम्र 33 थी और तेरी मम्मी की 18 और हमारी उम्र में दोगुने का अंतर है। हम दोनों की उम्र का ये अंतर ही हमारे बीच अनबन की वजह है आज तेरी मम्मी 48 मै 68 का हू और वो मुझे बुढा बोलती है जो की मै हू। तो मुझे बुरा नही लगता है।इसलिए हमेशा शादी में लड़के लड़की उम्र में ज्यादा अंतर नही होना चाइये। बांकी जब तेरी शादी हो जायेगी और तू बुढा हो जायेगा तेरी भी यही हालत होगी। तब समझ जायेगा। मै मम्मी पापा के बारे में सोचता हुआ सो गया।
सुबह 8 बजे के करीब मै और मम्मी तैयार होकर निकलने वाले थे। हमारे यहा ज्यादातर मेरी मम्मी की उम्र की औरते हाफ शर्ट और मेडी (long स्कर्ट) जो की पेटीकोट की तरह होता है और एक शाल जो की रुमाल के साइज से थोड़ी बड़ी होती है, पहनती है। मेरी मम्मी भी सफेद हाफ शर्ट और मेडी और ऊपर से एक छोटी सी शाल लेकर चलने के लिए तैयार थी मेरी मम्मी ने अपने बदन को maintain करके रखा था और थोड़ी फैशन भी करती थी जिससे जब भी मै और मम्मी कही बाहर जाते तो लोग मेरी मम्मी को मैरी बड़ी बहन मुझे छोटा भाई समझते थे। तभी मेरे पापा बेचारे बोल पड़े बेटा गाड़ी धीरे चलाना ये सुनकर मम्मी फिर बोल पड़ी नही रॉकेट की तरह चलायेगा आप तो बूढ़े हो गए है आपका तो मुह चलता है बस शरीर का जरूरी अंग तो हिलता भी नही।
मै बोला अब आप लोगो को शांत करने के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा। पापा हँसे और मुझे जाने का इशारा कर के घर के अंदर चले गए।
मै और मम्मी अपनी discover bike पर बैठकर गुरु माता के घर की ओर चल दिये। मैने रास्ते में मम्मी से पूछा आप पापा पर इतना गुस्सा क्यो हो। तो मम्मी बोली जब तेरी शादी कुसुम हो जायेगी और वो दो महीने अपने मायके में रहेगी और तुझे गरम गरम खाना नही मिलेगा तब तुझे पता चलेगा। मुझे हंसी आ गयी थोड़ी देर बाद हम गुरु माता के घर पहुँच गए। गुरु माता 60 साल की एक महिला है जो की बहुत ही ज्ञानी ज्योतिष है, हम बाहर बैठे रहे थोड़ी देर बाद गुरु माता के कमरे में बैठ गये। हमने दीदी को प्रणाम किया उन्हे सब दीदी बोलते है। फिर मम्मी ने दीदी को मेरी और कुसुम की कुंडली दिखाई, दीदी ने पहले कुसुम की कुंडली देखी। कुछ देर देखने के बाद दीदी ने बोलना शुरू किया।
दीदी बोली कुसुम बहुत ही भाग्यशाली लड़की है, इसको घर और ससुराल में सभी प्यार करते है। इसका बचपन जरूर गरीबी में बीता पर इसकी ससुराल पैसे वाली होगी। मै और मम्मी दोनों बहुत खुश होने लगे। इसके बच्चे बड़े संस्कारी और मम्मी पापा को हमेशा ख़ुशी देंगे। कुसुम कभी भी किसी को दुखी नही देख सकती है। फिर दीदी ने कुसुम कि कुंडली के ग्रहों को देखना शुरु किया और बताने लगी इसकी दो शादी के योग है ये सुनकर मै बोला हा दीदी ये सच है अभी इसकी दूसरी शादी मेरे साथ होने वाली है। दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा क्या ये लड़की तुम्हे पसंद है, तुम्हारे बीच संबंध कैसे है। मैने पूछा मतलब तो दीदी बोली इसकी कुंडली में शुक्र ग्रह बहुत हल्का है और उस पर शनि का साया है। मुझे कुछ समझ नही आ रहा था। मैने कहा दीदी में समझा नही। दीदी बोली एक अच्छे ज्योतिष भी एक अच्छे डॉक्टर की तरह कभी भी कोई बात छिपाता नही है।
दीदी बोली शुक्र ग्रह काम वासना का प्रतीक है मतलब इस लड़की की कुंडली में पति का सुख और प्यार नही है मै सोच में पड़ गया। तो मेरी मम्मी बोली दीदी कोई तरीका तो होगा इस दोष को खतम करने का दीदी बोली हाँ ये लड़की रोज पति व्रत पूजा करे तो इसका शुक्र भारी हो सकता है और शनि की छाया हट सकती है और इसे पति के साथ सहवास के दोरान संभोग सुख की प्राप्ति होने लगी। पर ये पूजा नियमित जीवन भर करनी पड़ेगी। और अगर इसने पूजा को शुरू करने के दिन से एक भी दिन छोड़ना नही है चाहे कितनी तबियत खराब हो, घर के बाहर हो या कोई भी समस्या हो पूजा करनी ही पड़ेगी। पूजा से पति का प्यार बढ़ता ही जायेगा और वैसे भी ये पूजा करने में ज्यादा समय नही लगता है।
फिर मेरी मम्मी ने मेरी कुंडली दे दी। दीदी मेरी कुंडली को बहुत ध्यान से देखने के बाद दीदी बोली इसमें ग्रहों की स्थिति बहुत ही खराब है। ज्यादातर ग्रह एक दूसरे के घर में एक साथ बैठे है और एक दूसरे को कष्ट दे रहे है। मम्मी बोली दीदी आप ठीक से बताइये। तो दीदी ने कहा इसका मंगल और शनि एक साथ सातवे घर में है जिससे ये मंगली है और इसकी शादी का योग नही है अगर होगी भी तो बहुत उम्र में और उस पर भी संकट है। ये सुनकर मेरी मम्मी मेरी तरफ देखने लगी उनकी आँखों में आँसू आ गए और वो उठकर कमरे से बाहर चली गयी। मम्मी को मैने रोकने की कोशिश की तो दीदी ने मुझे टोक दिया और बोली अभी जाने दो मै तुम्हे जो बताने वाली हू वो शायद उनके सामने बोलना ठीक नही रहेगा। मैने कहा आप बताइये दीदी।
दीदी बोली तुम्हारा शुक्र और बुध ग्रह एक साथ बैठा है जिससे तुम्हारी सेक्स लाइफ को effect हो रही है। मैने कहा मतलब। दीदी बोली तुम एक से ज्यादा महिला और लड़कियों के साथ संभोग करोगे और एक दिन ऐसा भी होगा की तुम्हारा पुरुष और किन्नर या हिजडा के साथ भी संभोग होगा। जिससे तुम्हारी कुंडली में तुम्हे गुप्त रोग भी होने की स्थिति दिख रही है।
एक कहावत है पाँव के नीचे से जमीन खिसखना पर मेरी तो गांड के नीचे से जमीन खिसक गयी थी।
ये सुनकर
मै टेंसन में आ गया मैने कहा दीदी मेरी उम्र 35 की हो गयी अभि तक मैने किसी लड़की को ठीक से kiss तो छोड़ो छुआ तक नही है और आप एक से ज्यादा लड़कियों की बोल रही हो मुझे अभी तक एक भी नही मिली। ऊपर से पुरुष के साथ संभोग बता रही है। आप से कोई भूल हो रही है। दीदी बोली बेटा मै अपने मन से कुछ नही बता रही हू ये तुम्हारी कुंडली के ग्रह की स्थिति बता रही है। इसमें मै साफ साफ परस्त्री गमन और समान लिंग आकर्षण दिख रहा है।
दीदी ने दोबारा मुझसे मेरी जनम तारीख और समय पूछकर मुझे कंप्यूटर में मेरी कुंडली दिखाते हुए बोली ध्यान से देखो तुम्हारी कुंडली की 6 घर में बुध, शुक्र, राहु एक साथ है।बुध ग्रह बुद्धि, शुक्र ग्रह सेक्स शक्ति, को दर्शाता है लेकिन राहु इन दोनों के साथ है जो की रति क्रिया के समय तुम्हारी बुद्धि खराब कर देगा और कामोत्तेजना के समय तुम्हारी बुद्धि काम नही करेगी और किसी के साथ संभोग करने के लिए आतुर हो जाओगे चाहे वो पुरुष ही क्यो ना हो। मै तुम्हारे मम्मी पापा को बहुत सालों से जानती हू वो आकर advise लेते रहे है और मेरी बात अगर झूठी निकली तो मै ये ज्योतिष का काम बंद कर दूँगी। तुम्हारी मर्जी मानो या ना मानो।
तभी मेरी मम्मी वापस आ गयी और दीदी के सामने हाथ जोड़कर बैठ गयी और बोली दीदी आप कोई उपाय बताये मेरे एक ही बेटा है इसकी शादी नही हुयी तो हमारा वंश कैसे चलेगा। दीदी बोली तो आप इसकी कोर्ट मैरिज कर दीजिये क्योकि कोर्ट मैरिज शास्तरो के हिसाब से मान्य नही है पर कानून के हिसाब से ठीक है। शादी की रसम् एक पूजा की तरह होती है तो वो कुंडली के हिसाब से होना मुश्किल है कुछ भी अनहोनी हो सकती है। मेरी मम्मी बोली नही दीदी हम रीति रिवाज से शादी करना चाहते है।
दीदी कुछ देर सोचने की बाद बोली मै आपको एक पूजा करने को बताऊंगी जिसे आप और आपको बेटे को एक साथ करना पड़ेगा और उस पूजा को पूरे विश्वास और लगन के साथ बिना किसी विघ्न के संपन करना है। जिससे इसका मंगल दोष तो मिट जायेगा और शादी में कोई संकट नही होगा।
मैने कहा कैसी पूजा दीदी, तो वो बोली नाड़ी पूजा बच्चे का जब जनम होता है तो अपनी मम्मी के पेट की नाड़ी से उसकी नाड़ी जुड़ी होती है जब डॉक्टर मम्मी और बच्चे की नाड़ी काटते है और बच्चे को मम्मी की नाड़ी सी अलग कर देते है नाड़ी कटने के समय ही सौरमंडल में घूम रहे ग्रहों की स्थिति पर बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति बन जाती है। और नाड़ी कटने का समय ही हकीकत में जनम का समय माना जाता है। मै इस पूजा से आपके बेटे की कुंडली में स्थित शनि और मंगल ग्रह को अलग कर दूँगी जिससे दोनों का असर ठीक हो जाएगा और इसकी शादी में होने वाली रुकावट खतम हो जायेगी। मेरी मम्मी बोली बिना मुझसे पूछे बोली हम तैयार है।
दीदी बोली ठीक है फ़िर मै आपको पूजा का सामान लिखा देती हू और आप चतुर्दशी को अपने घर में सुबह दस बजे मेरा इंतजार करे। अभी आप जाए। मैने कहा दीदी आपकी फीस तो मम्मी मुझ पर चिलायी बेटे दीदी किसी से कोई पैसा नही लेती।
और हम अपने घर की ओर चल दिये, मै और मम्मी दोनों ही शांत थे। मेरे दिमाग में बस गुरु माता की पुरुष के साथ संभोग भी वाली बात सोचकर टेंसन की कारण सिर दर्द होने लगा था। मैने मम्मी को गुरु माता के घर के बाहर थोड़ा रुकने को बोला और मै अकेला वापस गुरु माता के पास आ गया।
मैने दीदी से धीरे से कहा इस पूजा के बाद मेरी राहु, बुध और शुक्र ग्रहों की स्थिति भी ठीक हो जायेगी जो आप मेरी संभोग के बारे में बता रही थी। तो दीदी बोली नही बेटा ये पूजा सिर्फ मंगल और शनि की शांति के लिए है जिससे तुम्हारे विवाह में कोई संकट ना हो। मैने कहा तो आप उसकी भी पूजा करवा दीजिये तो वो बोली सब कुछ इंसान के हाथ में नही होता है जो नियति और किस्मत में है वो होकर ही रहेगा।
हम हमेशा अपने भविष्य और आगे जिंदगी में क्या होने वाला है ये जानने के लिए हमेशा किसी ना किसी ज्योतिष और ज्ञानी के पास जाते है। पर ये नही सोचते है कि भविष्य जानने के बाद उसके बारे में सोचकर अपना present या वर्तमान भी खराब करलेते है l और वो ही सब सोचने लगते है जो हमे उस ज्योतिष और ज्ञानी ने बताया था। हमारा दिल, दिमाग, मन, में वो ही सब चलता रहता है।
“ठीक वैही ही जैसे ये हम जानते है की हम सब को एक ना एक दिन मरना है, लेकिन अगर कोई कह दे कि तीन महीने बाद मरना है तो उस दिन से तीन महीने तक हम रोज हर दिन घुट घुट कर मरते है”
ठीक ऐसी ही हालत मेरी होना शुरू हो गयी थी। मुझे रास्ते में हर आने जाने वाले स्त्री और पुरुष को देखकर वासना भरे विचार आने लगे थे। तभी रास्ते में मुझे एक लगभग बीस साल का लड़का पेशाब करते हुए दिखा ना जाने क्यो मेरे अंदर से उसको देखने की ललक होने लगी मेरी मोटरसाइकल जैसे जैसे उसके करीब पहुँच रही थी मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी। मै उससे आगे निकल गया और साइड ग्लास में उसको देखता रहा वो लड़का पेशाब करने के बाद अपना लंड हिलाता हुआ अपनी पेंट में अंदर कर रहा था। मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मै आगे निकल गया और आधे घँटे बाद अपने घर पहुँच गए।
मै अपने रूम में चला गया और मम्मी हाथ धोकर किचन में खाना बनाने लगी। वो भी टेंशन में थी। मै आँख बंद करके अपने भविष्य के बारे में सोचने लगा आखिर क्या होने वाला है मेरी जिंदगी मेरी। तभी मुझे मम्मी की चीख सुनाई दी मै भाग कर किचन में गया तो देखा कुकर की सीटी निकल गयी थी और पूरे किचन में कुकर में से दाल का गर्म पानी का फ़वारा चल रहा था मेरी मम्मी की छतियो के ऊपर और जांघो के कपड़े पर दाल का गर्म पानी था। मै जल्दी से मम्मी को खींचा और कुकर की सीटी के ऊपर ग्लास उल्टा रखने की कोशिश करने लगा जिससे मेरे हाथ के पंजो और कपड़े भी गर्म दाल के पानी से भीग गये आखिरकार मैने फौरन गैस बंद करके मम्मी को हॉल में लेकर आया। और मै अपने कपड़े उतारते हुए उनसे जोर से बोला मम्मी जल्दी से कपड़े उतारो मुझे और मम्मी दोनों को जलन हो रही थी।
उन्होंने फौरन अपनी शर्ट और मेडी लोंगस्कर्ट उतार दी वो मेरे सामने एक ब्रा लपेटे हुई थी और नीचे टाँगो में पैंटी के अलावा कुछ नही। मैने अपनी मम्मी को इस तरह आज अपनी 35 साल की जिंदगी में पहली बार देखा था। मेरी मम्मी शर्माते हुए धीरेधीरे अपने हाथो से ब्रा को नीचे खिसका रही थी। मम्मी मुझसे नजरे नही मिला रही थी वो नीचे देखते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गयी। मै अपनी मम्मी के चेहरें से नीचे देखना शुरु किया, मेरी मम्मी के ब्रा के बीच में से उनके स्तनों के बीच की खाली जगह दिखाई दे रही थी। मेरी मम्मी के स्तन बड़े बड़े, गोलाकार बड़े आम की तरह लटक रहे थे शायद 36D साइज के होंगे मम्मी के दूधों को बिना ब्रा के मैने आज पहली बार देखा था उनके चोकलेटी निप्पल नोकदार उनके बदन में चमक रहे थे बदन गीला होने की वजह से उनके बदन से दाल की महक आ रहा था। मम्मी के पेट में ऑपरेशन के निशान सीधे उनके पेट के नीचे उनकी योनी की तरफ जाते हुए दिख रहे थे। पैंटी छोटा होने की वजह से बीच से खुल रहा था जिससे मम्मी की चूत काले बालों से छिपी हुई दिख रही थी। मम्मी की मोटी मांसल जांघे काँप रही थी। उन्होंने एक हाथ से अपनी चूत को छिपाने की कोशिश कर रही थी। और दूसरा हाथ मोड़कर अपने स्तनों पर रखे हुए थी। मम्मी को इस रूप में देखकर आखिरकार मेरे जिस्म में आग सी लगने लगी मेरी मम्मी मुझे एक खूबसूरत औरत नजर आ रही थी मै भूलने लगा था की मेरे सामने जो शरम से अपने मादक बदन को छिपाने की कोशीश करने वाली मेरी मम्मी है। मेरे भी गीली चड्ढी में ढके हुए मेरे लंड ने इतराना शुरू कर दिया था मेरा लंड मेरे हाथ में समा नही रहा था वो कपड़े को फाड़कर मेरी मम्मी के जिस्म को छूने के लिए बेचैन हो रहा था।
मै और मम्मी एक दूसरे को देखने लगे और मेरी मम्मी बोली बेटा तेरे कपड़े भी दाल के गर्म पानी से गीले हो गए है तेरे को भी जलन हो रही होगी तू भी अपने बदन पर से कपड़े को उतार दे। अब मै और मम्मी एक दूसरे के सामने निर्वस्त्र थे। हमारे जिस्म एक दूसरे से चिपके हुए थे हमारी मुह और नाक से निकलने वाली हवा एक दूसरे के चेहरे पर महसूस हो रही थी। हमारे होंठ आपस में छुअन महसूस कर रहे थे मम्मी की आँखे बंद हो रही थी। मेरा लंड सीधा खड़ा होकर मम्मी के पैंटी में चमक रही चूत के काले बालों के गुच्छे में रास्ता ढूढ़ रहा था। मम्मी बार बार अपनी टाँगे पीछे कर के मुझसे दूरी बनाना चाह रही थी।
तभी मम्मी बोली बेटा जरा किचन में से घी का डिब्बा उठा ला घी लगाने से जलन नही होगी। मै घी का डिब्बा ले आया हमने घी एक दूसरे के बदन पर लगाना शुरु कर दिया। मैने मम्मी के गर्दन से धीरे धीरे अपने हाथ मम्मी के स्तनों पर रखे तो मम्मी ने एक सिसकी लेकर कहा बेटा आह आह। मम्मी की सिसकी सुनकर मेरा लंड जोर जोर से उफान मारने लगा। मैने मम्मी के दूधों पर घी लगाना शुरू किया और उनके निप्पल को अपने अंगूठे से दबाने लगा। मम्मी की सिसकियों की आवाज तेज होने लगी उनका हाथ मेरे बदन पर घी में डूबे हुए चल रहे थे मम्मी ने मेरी छतियो पर घी लगाते हुए मसलना शुरू कर दिया। दस मिनट तक मै मम्मी के दूधों को दबाते हुए सहलाता रहा। फ़िर मै मम्मी के जांघों पर बैठकर घी लगाने लगा मम्मी की चूत घने काले बालों से छिपी हुई थी। मैने जांघो से ऊपर मम्मी की नितंबो पर घी लगाना शुरू किया मम्मी की नितंब बड़े बड़े बाहर की ओर निकले हुए तरबूज की तरह थे। घी से मेरे पूरे चिकने हो गए थे। जिससे फिसल फिसल कर नितंबो की दरारों में घुस रहे थे। मम्मी की चूत पूरी गीली हो चुकी थी और उसमे से रस रिसने लगा था मैने मम्मी के चूत को हल्के से खोला उसमें से पानी की बूंदे मेरे हाथ पर आ गयी। मम्मी धीरे से बोली नही बेटा और मेरे हाथ पकड़ लिए। मै खड़ा हो गया और मम्मी बैठ गयी वो मेरी जांघो से हाथ फेरते हुए मेरे लंड पर आ गयी मेरा लंड मम्मी के सामने सलामी लगा रहा था। मम्मी अपना मुह मेरी लंड के पास ले जाने का मन कर रही थी पर वो अभी भी शायद संकोच कर रही थी। मम्मी ने मेरा लंड पकड़ लिया और बड़े प्यार से देखते हुए उस पर घी मलने लगी। मेरी आँखे बंद होने लगी मम्मी की हाथ की स्पीड बढ़ती जा रही थी करीब पंद्रह मिनट तक मम्मी मेरे लंड, मेरे टट्टो को घी लगाकर मसलते हुए सहलाती रही मुझे ऐसा महसूस होने की वो मेरे लंड को पकड़कर मेरा हस्थमैथुन कर रही हो। मेरे नितंबो में सिकुड़न होने लगी और मेरा लंड का पूरा पानी मम्मी के मुह पर निकल गया। मैने दो मिनट बाद अपनी आँखे खोली मम्मी के चेहरे पर एक ख़ुशी थी और उन्होंने अपने चेहरे पर घी और मेरे वीर्य का लेप लगा लिया था।
तभी दरवाजे की घंटी बजी मेरा मम्मी के मादक जिस्म से ध्यान टूटा और मम्मी ने कहा बाई होगी तुम अपने कमरे में जाओ। बेटा जा नहा लो मै ये सब साफ करती हू।
मैने कहा हाँ। मै अपने कमरे का गेट बंद करने से पहले पीछे देखा मेरी मम्मी नंगी मेरे सामने दरवाजे खोलने जा रही थी। मुझे अंदर से बहुत ही अलग सी खुशी थी। मम्मी ने दरवाजा खोला बाई आ गयी और मम्मी से बोली भाभी क्या हो गया तो मम्मी बोली किचन में दाल निकल गयी कुकर से कपड़े खराब हो गए। बाई ने अपनी झाड़ू उठाई और सफाई करने लगी मम्मी भी नंगी ही बाई के साथ साफ सफाई करने लगी। ये
मेरी जिंदगी की पहली incest सेक्स फीलिंग्स थी।
अगले दिन चतुरदशि को सुबह दस बजे दीदी आ गयी हमने उनका हाथ जोड़कर स्वागत किया और हॉल में सोफे पर बैठा दिया दीदी बोली वो पूजा का सामान ले आओ मेरी मम्मी पूरी थाली में पूजा का सामान ले आई।
दीदी ने थाली में से दो सूती पतले कपड़े के अलग अलग टुकड़े जो की एक एक मीटर के थे एक मुझे और एक मेरी मम्मी को देते हुए बोली तुम दोनों नहा कर इन्हे गीले करके अपने बदन पर लपेट कर आ जाओ। मैने कहा दीदी ये कपड़े के टुकड़े बहुत छोटे है तो वो बोली ये सिर्फ बदन पर लपेटने के लिये है और तुम ज्यादा सवाल मत पूछो बेटा समय निकलने में देर नही लगती सभी ग्रहों की स्थिति अभी सीधी है। मैने कहा sorry।
मै और मम्मी अपने रूम में चले गए। मै नहा कर वापस दीदी के पास हॉल में आ गया।
दीदी ने तब तक हॉल के फर्श पर पूजा का सारा सामान रखकर पूरी तैयारी कर ली थी। और कुछ लाल रंग के धागे पकड़कर आँख बंद कर के मंत्र पढ़ रही थी। दीदी ने मुझे देखा और मुझे लकड़ी के पाटा पर खड़ा होने को कहा।
तभी दीदी बोली अब तुम दोनों मम्मी और बेटे मेरी बात ध्यान से सुनकर एक बार फिर से सोच समझकर अपनी हामी देना। पूजा शुरू होने के बाद बीच में छोड़ना गलत होगा। मम्मी बोली जी आप बताये। दीदी बोली एक औरत पूरी जब होती है तब वो माँ बनती है, और औरत का जिस्म शादी के बाद उसका पति और बच्चे के जनम के बाद उसका बच्चा औरत मर्जी से छुता है। और जब औरत के स्तनों को उसका पति स्पर्श करता है तो वो कमातेजित होती और वो ही स्तनों को जब उसका बच्चा छूता है तो उसमे काम भावना नही होती है। स्तनों की छुअन एक जैसी होती है पर भावना अलग। और बच्चे का जनम होता है तो उस समय माँ और बच्चा दोनो ही निर्वस्त्र होता है।
इसलिए तुम दोनों दीदी ने लाल रंग का धागा देकर हमसे बोली इसे एक दूसरे की पेट की बीच में नाभि से बांध कर एक गाँठ लगा दो। मैने धागा लिया और मम्मी के जिस्म पर हाथ लगाया मेरे हाथ काँप रहे थे मै मम्मी के एकदम करीब चिपक गया। मेरी उंगली मम्मी की पेट के बीच नाभि पर टिक गयी। मै मम्मी की नाभि में उंगली फेरने लगा मम्मी की साँसे बहुत तेज चलने लगी मम्मी भी मेरी नाभि में धागे की गाँठ बाँधने की कोशिश कर रही थी।
मैने दीदी की तरफ देखा वो आँख बंद करके कुछ जाप कर रही थी।
तभी दीदी बोली अब समय आ गया है नाड़ी दोष खतम करने का और उन्होंने कुछ जाप किया और हमारी नाभी से बंधे धागे को काट दिया। और हमसे कहा पूजा संपन हुई शादी में कोई परेशानी नही होगी। और अपना बैग उठाकर जाने लगी मै दीदी के पीछे गया दीदी मुड़ी और मम्मी से बोली बेटा हुआ है उसे आज दूध याद से पिला देना।
मै दीदी के पीछे गया दीदी मुड़ी और मम्मी से बोली बेटा हुआ है उसे आज दूध याद से पिला देना। मै दीदी की ये बात सुनकर मुस्करा दिया, मैंने दरवाजा बंद किया और वापस मम्मी के पास आकर बैठ गया। मम्मी और मै एक दूसरे को देख रहे थे हम दोनों सोच में थे दीदी ने बेटे को दूध पिलाने की बात मजाक में बोली थी या ये पूजा की ही कोई आखिरी विधि थी।
“एक कहावत है अक्सर लोग बोलते है कि जब तक बच्चा रोता नही माँ दूध नही पिलाती”
मै इस उम्र में रो तो सकता नही था, मेरी मम्मी को ही अपने आप मेरे मन की बात जानना थी। मम्मी भी शायद ईसी उलझन भरी सोच में थी उनके हाथ उनके वक्ष स्थल पर तो थे पर मन में कुछ संकोच था।
मम्मी का संकोच का कारण क्या हो सकता है मै इसी उलझन को समझने की कोशिश कर रहा था मेरी मम्मी की लिए तो मै आज भी उनका बेटा हू। जिसे उन्होंने अपने स्तनों से चार साल तक दूध पिलाया है। मेरी उम्र तीन साल की हो या पैंतीस की उम्र कम ज्यादा होने से क्या मेरा और मम्मी का रिश्ता बदल गया है। आज अगर मै मम्मी के स्तनों को अपने होंठो से स्पर्श करूँगा तो उनके स्तनों में से फिर दूध की बारिश होगी या कामोतेजांना होगी। मुझे कुछ समझ नही आ रहा था।
मम्मी मुझसे प्यार से बोली बेटा ऐसे क्या देख रहा मै तेरी मम्मी हू जो भी तेरे मन में है मै सब समझ रही हु जो भी तेरे मन में है उसे अपनी जबान पर ला और तू क्या चाहता है मुझे बता दे। मैंने मम्मी से झिझकते हुए कहा दीदी ने बेटे को दूध पिलाने की बात मजाक में बोली थी या ये पूजा की ही कोई आखिरी विधि थी। ये सुनकर मम्मी थोड़ी हंसी और बोली दीदी ने ये मजाक में बोला या पूजा की विधि है इन सब बातों को मत सोचो तुम क्या चाहते हो। मै मम्मी से शर्माते हुए बोला बेटे को दूध पिलाना तो हर मम्मी का फर्ज होता है।
मम्मी हस्ती हुई ओह अब मेरा बेटा मुझे मम्मी का फर्ज बताएगा। मैंने कहा नही मेरा वो मतलब नही था। तो मम्मी बोली बेटा तुम अपने कॉलेज में stdudent को पढ़ाते हो पर में आज तुम्हे में पढ़ाती हू।
ये सच है दुनिया की हर मम्मी का फर्ज अपने बेटे को दूध पिलाना है। तूने कभी सोचा है की माँ अपने बच्चे को ज्यादातर चार साल तक ही दूध क्यो पिलाती है। क्या माँ के स्तनों में चार साल तक ही दूध आता है। मुझे मम्मी की बातों को सुनकर बड़ा मजा आ रहा था मैंने कहा आप ही बताओ। जब तेरी शादी के बाद बच्चा होगा और जब तेरी पत्नी बच्चे को दूध पिलाये तो ध्यान से देखना बच्चा दो साल तक अपनी मम्मी के स्तनों से मुह लगाता है उसकी आँख बंद हो जाती है। मतलब ज्यादातर बच्चे दूध पीते हुए सो जाते है। लेकिन बच्चा तीन से ज्यादा का होता है तब वो दूध पीते हुए स्तनों को अपनी आँख से देखना शुरू कर देता है और वो चार साल का होने पर मम्मी स्तनों से दूध पीना बहुत कम कर देता है बच्चों को स्तनों को सिर्फ देखने, खेलने, बल्कि स्तनों को दबाना, मस्कना, निप्पल को काटना, ज्यादा अच्छा लगता है। और माँ को बच्चे के हाथों से ऐसा करने पर फीलिंग्स बदलने लगती है। और माँ समझ जाती है कि बच्चा बड़ा हो रहा है और स्तनों से दूध पिलाना बंद कर देती है।
अगर तू अभी छोटे बच्चे की तरह अपनी मम्मी के स्तनों से दूध पीना चाहता है तो तुझे में रोकूगी नहीं। क्योकि इस उम्र में मेरे स्तनों में दूध तो आता नही है, फिर चाहे दीदी ने बेटे को दूध पिलाने की बात मजाक में बोली हो या ये पूजा की ही कोई आखिरी विधि हो।
मैंने कहा नही मम्मी ऐसी बात नही है वो दीदी ने बेटे को दूध पिलाने की बात मजाक में बोली होगी। मम्मी बोली ठीक है बेटा पर एक बात मै तुमसे और बोलना चाहती हू। कल जो किचिन में कुकर की सीटी निकल जाने के कारण जो हुआ उसे हम दोनों को भूल जाना चाहिए क्योकि हमारी जैसी मिडिल क्लास फैमिली की औरत जिसका पति जीवित हो, स्वस्थ हो, वो अपने पति के अलावा किसी और के सामने निर्वस्त्र नही होगी चाहे उसका सगा जवान बेटा ही क्यो ना हो। मेरा सबसे बड़ा फर्ज अपने पति के विश्वास को बनाये रखना है। कल हम दोनों की मजबूरी थी। और हम दोनों का निर्वस्त्र होना जरूरी भी था। मैंने कहा मम्मी आप से अच्छी मम्मी इस दुनिया में किसी की नही होगी और मम्मी को गले लगाकर बोला मै अब कॉलेज जा रहा हू । बच्चे इंतजार कर होंगे।
तभी मम्मी मुझसे बोली अपना फोन देना मुझे कुसुम के घरवालो को शादी की तारीख बतानी है। ये सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्की आ गयी। मम्मी ने कुसुम की मम्मी पापा को शाम को हमारे घर बुला लिया और आठ दिन बाद हमारी शादी फिक्स हो गयी। मेरी कुसुम की दिन में फोन पर बात होने लगी थी मेरा मन तो रात को करने होता पर कुसुम बोलती एक ही कमरा है घर में तो रात को बात करने में सबको डिस्ट्रब होगा।
शादी वाला दिन आ गया हमारे यहाँ एक रिवाज है जब घर से बारात निकलती है तो दुल्हा अपनी मम्मी के स्तनों से दूध पीकर निकलता है ये आशीर्वाद माना जाता है। मै भी दूल्हे की ड्रेस बैठा था। औरतो ने मेरी मम्मी से कहा बेटे को दूध पिलाकर बहू लाने का आशीर्वाद दो। मुझे और मम्मी दोनों को शर्म आ रही थी, क्योकि पिछले कुछ दिनों में मेरे और मम्मी के बीच जो हुआ था उससे एक नया रिश्ता बन गया था। तभी एक औरत मेरी मम्मी से बोली अरे कितना देर लगाओगी अब खोल भी दो ब्लाउस तेरा बेटा है जो इतना शर्मा रही हो। मै मम्मी की शर्म से झुकी आँखों में और उनके चेहरे को देख रहा था।
मम्मी के उभार ब्लाउस में कुछ ज्यादा ही बड़े, कसे, हुए नजर आ रहे थे उनका clevage, ब्लाउस में चमक रहा था।
मम्मी ने अपने ब्लाउस के हुक धीरे धीरे खोल दिये, उनके उरोज हल्की नीली ब्रा में समा नही रहे थे। मेरे तन बदन में आग लगने लगी थी। तभी एक औरत मुझसे बोली तू क्या बैठे बैठे देख रहा है मम्मी के दूधो से मुह लगा कर आशीर्वाद ले। मैंने अपना मुह मम्मी के दुधो के ऊपर लगाने से पहले मेरे हाथ अपने आप मम्मी के ब्रा में कैद स्तनों पर चले गए। और मै मम्मी के दुधो को दबाने लगा। अचानक से एक बूढ़ी औरत ने मेरे सर पर एक चांटा मारा और बोली ये क्या कर रहा है। मेरे मुह से निकल गया मै मम्मी के ब्रा हटाकर स्तनों को बाहर निकालकर ही तो दूध पियूँगा। वो बुढी काकी बोली बेटा ब्रा हटाकर अपनी बीबी का दूध पीना। अभी तो सिर्फ मम्मी के ब्रा के ऊपर से स्तनों में मुह लगाकर आशीर्वाद ले ले।ये सुनकर सभी लेडी हँसने लगी।
बारात नाचती गाती हुई कुसुम के घर पहुँच गयी। मै जाकर स्टेज पर बैठ गया थोड़ी देर बाद दुल्हन के रूप में सजी कुसुम चली आ रही थी उसके साथ साथ मेरी साली और बेटी रिंकी भी थी मेरी नजर रिंकी पर थी जो कुसुम की हुबहु कॉपी थी मेरा मन में ना जाने रिंकी के लिए कुछ अलग सी फीलिंग्स हो रही थी। देखते देखते कुसुम आ गयी। हमने एक दूसरे को माला पहनाई और कुर्सियों पर बैठ गए हालांकि ये सब मेरे और कुसुम दोनों के लिए नया नही था। क्योकि हम दोनों ही पहले भी इसी तरह किसी और के लिए दूल्हा और दुल्हन बन चुके थे। शायद इसलिए हमारे फैमिली के रिश्तेदार भी नही आये थे।
आर्केष्ट्रा का कार्यक्रम शुरू हो गया था। गाने हमारी लोकल भाषा में गाए जा रहे थे। थोड़ी देर बाद मेरी साली और होने वाली बेटी रिंकी ने हिंदी गाना “जब मेहंदी लग लग जावे” पर डांस करने लगी। कुसुम बार बार मुझे डांस करने के लिए इशारा कर रही थी। थोड़ी देर बाद मेरा साला रिंकू और उसका दोस्त “सारे लड़को की कर दो शादी बस एक को कुँवारा रखना” डांस करने लगे। मै अपने साले रिंकू का डांस लड़कियों की तरह देखकर मै कुसुम से बोला ये मेरा साला तो बिल्कुल लड़की जैसा नाच रहा है। तो कुसुम बोली मै आपको बताई थी ना हमारी फैमिली में सब लड़कियों के बीच ये छोटा भाई था तो ज्यादतर ऐसे ही लड़कियों के गाने पर डांस सीख गया।
शादी के फेरे का वक़्त आ गया पंडितजी सात वचन दिलवाये। विदा का समय आ गया। तभी अचानक से कुछ किन्नर हिजडा आ गए। और शगुन के पांच हजार रुपए मांगने लगे मेरे पापा ने उन्हें पैसे दिये उनमे से एक हिजडा जो देखने में किसी सेक्सी लड़की जैसा लग रहा था उसके कुर्ते में से उसके बड़े बडे चुचे बाहर निकल रहे थे। उसके चूचे पर टैटू बना हुआ था। उसके चूतड़ छोटे मगर बाहर की ओर निकले हुए थे जिसमें उसकी सलवार गांड में घुसी हुयी थी। वो मेरे और कुसुम को आशीर्वाद देने लगा मुझे तो उसके जिस्म की खुशबू बेचैन कर रही थी। मेरी नजर उसके जिस्म से हट नही रही थी।
कुसुम ने मेरी तरफ देखा और मुझे नोचते हुए बोली बस करो। मुझे हंसी आ गयी मैंने कहा कुसुम ये तो पूरी सेक्सी लड़की की तरह है। इसके आगे तो हेरोइन फ़ैल है। कुसुम चिढ़ते हुए बोली एक काम करिये आप उसको अपने साथ घर ले जाए। मै बाद में आ जाऊंगी। मै हसने लगा। विदा होने लगी रोना धोना शुरू हो गया।
मै और कुसुम गाड़ी में बैठ कर चल दिये मैंने कुसुम से कहा इतना रोने की जरूरत नही थी। वो बोली मुझे बस पापा का चेहरा नही देखा जा रहा था। मैंने कुसुम का हाथ अपने हाथ में लेकर उसको बोला मै आज से तुम्हारे फैमिली में किसी की आँखों में दुख के आँसू नही आने दूंगा। मै उनकी ख़ुशी के लिए कुछ भी करूँगा। मै अपना दामाद का फर्ज निभाऊँगा।