You dont have javascript enabled! Please enable it! कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश - Update 29 - KamKatha
कर्ज और फर्ज एक कश्मकश - Erotic Family Sex Story

कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश – Update 29

बस अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी, सुबह के साढ़े चार बज चुके थे, मौसम में ठंडक घुल गयी थी, मै अपनी पत्नी के गरम जिस्म से चिपका हुआ गरमहाट महसूस करता हुआ गहरी नींद में जा चुका था।

और एक नयी सुबह की शुरुआत हुई बस की खिड़की में निकलता हुआ सूरज दिखाई दे रहा था। मेरी पत्नी कुसुम की हल्की हल्की आवाज मेरे कानों में आ रही थी। मेरी निद्रा टूटी और मैने आँखे खोली तो मम्मी और कुसुम बैठी हुयी चाय की चुस्की ले रही थी। मेरे बदन मम्मी का दुपट्टा से ढका हुआ था और बस पेट्रोल पंप पर खड़ी थी।

मै भी उठ कर बैठ गया और मम्मी और कुसुम की तरफ देखते हुए बस की खिड़की में से बाहर का नजारा देखने लगा। मम्मी बोली मेरा प्यारा बेटा मुझे पता है आज आराम से नही सो पाया मेरे वजह से बेचारा एक करवट लेटा रहा।

“” मुझे अपनी मम्मी के शब्दो में एक बेटे के लिए ममता नजर आ रही थी “” मै अपने आप से शर्मिंदा था ।

तभी कुसुम बोली मम्मी इस बस की सीट कुछ ज्यादा ही छोटी है वरना चार सवारी वाले में हम तीनों आराम से सो सकते थे। मम्मी हस्ती हुई बोली शायद मै कुछ ज्यादा ही मोटी हो गयी हू। दो लोगो की जगह तो मै ही घेरे थी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा आवाज

अंतः हमारे सफर का अंत हुआ और हम अपने एक रिश्तेदार के यहाँ चले गए। रिश्तेदार के यहाँ हम फ्रेश वगेरा होकर मै कुसुम को लेकर collectrate ऑफिस चला गया, ऑफिस में कुसुम के वो sdm साहब मिल गये जिन्होंने कुसुम को नौकरी के लिए बुलाया था।

Sdm साहब मुझे और कुसुम को ऑफिस में देखकर बहुत खुस हुए । और बोले interviw के बाद वापस मुझसे मिलना आप दोनों, फिर कुसुम interviw देने चली गई और खुश होती हुई बाहर आ गयी कुसुम के चेहरे की खुशी बता रही थी उसको नौकरी मिल गयी। फिर भी मैने कुसुम से पूछा क्या हुआ तो वो बोली सब ठीक रहा बस एक प्रॉब्लम थी इस वक्त मेरे ३५ साल में २ महीने बढ़ रहे थे पर साहब ने चला लिया उस नोकरी में ३५ साल का होना जरुरी था।

फिर हम sdm sir के cabin मे चले गए,
साहब ने कहा अपने खाने पिने का सामान, गैस, बिस्तर वगेरह ले आना तब तक में तुम्हारे लिए किराये का कमरे का इंतजाम कर लूँगा और अभी मै तुम लोगो का रहने का इंतजाम एक होटल में किये देता हूँ।

और sdm साहब ने होटल का visting कार्ड मुझे दे दिया। मै और कुसुम होटल की तरफ चल दिये। होटल मैनेजर ने हमको होटल दिखाया और कहा रात को आप यहाँ आराम से रह जाना अभी कमरा देख लो । साहब ने उस होटल वाले को कमरा खली रखने का कह दिया था। जहा मै, कुसुम और मम्मी साहब के कहने पर रुकने वाले थे वो साहब का खाश था उन्होंने हमसे किराया भी नहीं लिया और कहा आप साहब के खास लोगो से भी कोई किराया नहीं लूँगा।

बेड पर बिस्तर किये हुए थे दोपहर का समय था होटल मैनेजर ने हम को चाय पिलाई खाने का पूछा मैने कहा अभी भूख नहीं हे ।

फिर हम भी वापस अपने रिश्ते दार के घर चल दिये।

वहाँ पहुँचकर हमने मम्मी को सारी बात बताई इधर मम्मी ने भी रिश्तेदार के पड़ोसी एक रिटायर आदमी का घर था जिसमे वो उसके दो बेटे बहुए पोते पोतियों के साथ रहता था मकान दो मंजिला था, जिसमें ऊपर का एक कमरा खाली था वो कमरा मेरी मम्मी ने किराये पर ले लिया, कमरा के बगल से छत पर जाने की सीढ़ी थी।

मेने कहा ठीक हे यूंकि कमरा छोटा था, latrine कमरे से बाहर थी। पर छोटा सा किचिन और बाथरूम कमरे में ही था। मेने सोचा कुसुम और मम्मी को ही रहना है यहाँ आराम से रहेंगे । किराया भी तीन हजार बिजली पानी सहित था, मेने मम्मी कुसुम से कहा थोड़ी देर रेस्ट कर लेते हे मम्मी मकान मालिक से दरी और तकिया मांग लाई।

हमें नींद आ गई शाम को ५ बजे में कुसुम और मम्मी जगी हमने कहा चलो गृहशथी क सामान ले आते है मम्मी बोली तुम दोनों होकर आओ मेरी बैक पैन है आराम करूँगी।

कुसुम बोली ठीक है, अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई, तैयार होकर हम घुमने निकल गए।

हम घुमने के लिए निकले मेने कुसुम से मजाक में कहा साहब के पहचान वाले के होटल चलते हे घुमने के लिए बाइक ले लेते हे। वैसे भी उसके लिए तो तुम ही साहब हो।

कुसुम ने कुछ सोचा उसको फोन कर कहा मुझे आपकी बाइक चाहिए उसने कहा आप बही रुके नोकर से कह कर चाय नास्ता करे मुझे इतना रुकना नहीं था। तभी वो होटल वाला अपनी बाइक लेकर आया वो भी मुझे जानता था उसने कुसुम से पूछा क्या हुआ मैडम जी । कुसुम ने उसे बाइक का कहा उसने कहा आप मेरी ले जाओ! कोई परेशानी नही है बस पेट्रोल डलवा लीजिये।

कुसुम पीछे बेठी अब हम शहर में इधर उधर गाड़ी घुमा रहे थे ।

सामने एक पानी पूरी का ठेला देखकर कुसुम ने गाड़ी रुकवा दी और पानी पूरी खाने लगी। हमने गृहस्थी का सब सामान बर्तन, गैस, बिस्तर, राशन, और जो भी जरूरी सामान था सब खरीद लिया।

शाम को जब मै और कुसुम वापस आये तो मम्मी मुझे अवॉयड करती है ।
हलकी फुलकी बात होती है ।

मम्मी बोली रिस्तेदार बुला रहे खाने के लिए चलो चलते हैं। शाम का खाना हमने रिश्तेदार के साथ खाया मैने वापस आते हुए रास्ते में कुसुम से कहा तुम ये नोकरी करलो । मैने कुसुम को नोकरी करने की सहमती दे दी।

खाना खाने के बाद हम वापस अपने कमरे में आ गए कुसुम अपने बेड पर लेट जाती है
और मम्मी किचन में चली जाती है।

चूंकि कमरे में एक ही चटाई पर दो बिस्तर लगा था और sdm sir ने होटल में भी रूम बुक करवा दिया था और होटल वाले की बाइक भी वापस करनी थी तो उस रात मै अकेला सोने के लिए होटल में चला गया।

आज कुसुम का जॉब का पहला दिन था, सुबह के 9:30 बजे मै कुसुम को ऑफिस छोड़ कर वापस मम्मी के पास कमरे पर आ गया।

सुबह की साढ़े दस बज चुके थे मम्मी छत पर कपड़े सूखने के लिए रस्सी पर डालने गयी थी, मैने आवाज लगाई तो मम्मी बोली अभि आई।

मै बिस्तर पर लेट गया और छोटे से कमरे में क्या क्या सामान और लाना है उसके बारे में सोचने लगा। मम्मी कमरे में आ गयी मुझसे बोली बेटा बहू को टाइम से पहुँचा दिया आज उसका पहला दिन था नौकरी का देर तो नही हुई।

मै — हूं हु कर बताया।

भाग्य ने एक बार फिर करवट ली. लगभग 11 बजे मम्मी नहाने चली गईं और मैं मोबाइल में फिल्म देख रहा था.

तभी मम्मी के फोन की घंटी बजी. मैं फोन उठाता, उससे पहले ही घंटी बंद हो गई.
मैंने देखा, सुनीता आंटी का फोन था.

सुनीता आंटी मम्मी की अच्छी दोस्त है सुनीता आंटी की मिस्ड कॉल के साथ व्हाट्सएप पर उनके मैसेज भी दिखाई दिये तो मैंने सोचा सुनीता आंटी इतनी सेक्सी है क्यो ना देखा जाये वो मेरी मम्मी को बिगाड़ तो नही रही है और मैने व्हाट्सएप खोल दिया. व्हाट्सएप मम्मी के फिंगर प्रिंट से ही खुलता तो मोबाइल फोन वही रख कर नीचे चला गया और जाते जाते मम्मी से बोला सुनीता आंटी का फोन और मैसेज आये है। मै नीचे जा रहा हूँ और कमरे के दरवाजे बाहर से बंद कर चला गया।

मैने सोचा मै अपनी मम्मी और पत्नी को इस मोहल्ले में अकेला रहने के लिए छोड़ रहा हूँ तो मोहल्ले के बारे में थोड़ा पता लगाया जाये यहाँ कैसे लोग है, क्या माहौल है, औरत के अकेले रहने लायक है या नही।

मोहल्ले की पान की दुकान, चाय की दुकान, नाई की दुकान पर इसकी सारी जानकारी मिल सकती है ये तीनो दुकान वाले हर मोहल्ले के तीसरे आँख और कान होते है और मै भी एक चाय वाले की दुकान पर बैठ कर बातें करने लगा। एक डेढ़ घंटे गप्पे लगाते हुए मुझे हो गया था मेरा उठने का मन नही कर रहा था।

कहते है न जब उपर वाला किसी को किसी से मिलाने पे आता है तो क़ायनात भी मदद करति है वही मम्मी और मेरे साथ हुआ।।।।।।

बरसात का सीजन तो था ही अचानक से मौसम खराब होने लगा और तेज हवा चलने लगी काली घटा आ गयी और लाइट चली गई। मै तुरंत ही अपने घर की ओर चल दिया मै बहुत जल्दी जल्दी कदम बढा रहा था क्योकि मै कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर के आया था और मेरी मम्मी अकेली थी ना जाने वो अंधेरे में क्या कर रही होगी और मुझे गालिया दे रही होगी।

लेकिन मुझे नही पता था मेरे घर की ओर जाने वाले हर कदम मुझे दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते को कलनकित करने के लिए बढ़ रहे है।

मै सीढ़ियों से चढ़ कर सीधा कमरे की तरफ गया दरवाजे वैसे ही बंद थे जैसे मै करके गया था और खिड़की खुली हुई थी जो मेरे जाने से पहले बंद थी, शायद अभी लाइट जाने पर मम्मी ने खोली होगी। ये देखकर मुझे कुछ तसल्ली हुयी कि मम्मी अंदर अंधेरे में नही है और मैने जैसे ही खिड़की के अंदर झाँका तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गयी और मेरी आँखे फटी रह गयी।

मेरी मम्मी अपने मोबाइल में एक पॉर्न क्लिप देख रही थी और वो भी बिना हेडफोन के जिससे पोर्न फिल्म में निकल रही चुदाई की आवाज से पूरा कमरा गूँज रहा है।ये दृश्य देखकर मेरे पैर खिड़की पर ही रुक गये और मेरी आँखे मम्मी के मोबाइल स्क्रीन पर टिक गयी।
पोर्न क्लिप में एक milf bbw लेडी एक young लड़के के साथ बहुत ही मस्ती में घोड़ी या डॉगी style में उछल उछल कर चुदवा रही थी।

मै ये तो समझ गया कि ये पोर्न क्लिप सुनीता आंटी ने ही मम्मी को whatsup पर भेजी थी वो ही, क्योकि सुनीता आंटी मम्मी को न्यूड सेक्स क्लिप्स भेज सकती थीं और चुदाई के क्लिप्स देखकर मेरा दिमाग टनटनाने लगा.

मै कोई teenager boy नही हू जो ये क्लिप देखकर अपनी मम्मी के नाम की मुठ मारना शुरु कर दू। या झूठी कहानियों और पोर्न फिल्म की तरह दरवाजा खोलकर मम्मी के साथ sex करना शुरु कर दू।

मै एक mature 35 साल का शादी शुदा लड़का हू मै ये जानता हूँ मम्मी की भी पर्सनल लाइफ है, उन्हे क्या पसंद है ना पसंद, अपने एंजॉय के लिए चुदाई की क्लिप देखना उनकी खुद की choice है।

वो मेरी है मम्मी जो खुद एक mature औरत है उनको भी अपनी लाइफ जीने की आजादी है। और चुदाई की फिल्म देखना कोई पाप तो नही है। हर कोई देखता है।

पर आज जब मैने अपनी मम्मी को पोर्न फिल्म देखते हुए देखा तो मेरे अंदर एक बार फिर से अपना अतीत याद आ गया।

मैं थोड़ा सब्र से काम लेना चाहता था आखिर मम्मी इन गंदी क्लिप को देखकर क्या करती है, और वो कोई ऐसा काम तो नही करती है जो उन्हें नही करना चाहिए और अगर करती है तो मुझे अपने पापा और पत्नी कुसुम से इस बारे में बात करनी पड़ेगी। इसलिए मैंने मम्मी को बातों के जरिये जानने की कोशिश करने लगा। और मैने अपने पैर वापस दरवाजे की तरफ खींच लिए और एक आवाज देते हुए मम्मी की पोर्न फिल्म देखने वाली घटना को ingnore करते हुए उनसे कहा मम्मी मौसम खराब होने वाला है लगता है तूफान आने वाला है। तभी जोरदार बारिश शुरु हो गयी।

मम्मी: अरुन बेटा बारिश सुरु हो गई।

मै: है तो।

मम्मी: छत पे कपडे डाले है सुखने के लिये
भिग जायँगे बेटा।

मैने तुरंत दौड दी छत पर जाने के लिए

मम्मी पीछे पीछे थी
आज मम्मी ने अपने mc मे पहने वाले छूत वाले सारे कपड़े धोये थे तो कपडे ज्यादा थे।

हम दोनों छत पे पहुचे बारिश सुरु हो गई थी अचानक वाली।

हम ने जल्दी २ कपडे समेटे जिसके हाथ जो लगा उठा लिये
और निचे आ गये।

तभी मम्मी को याद आया की उसने अपने
अन्डरगारर्मेन्ट्स अलग से सुखाए थे जिस से किसी पडोसी की नज़र न पड़ेगी और मम्मी के पास टोटल २ सेट थे जो उसने आज वाश किये थे
कल के लिए उनके पास पहहने के लिए और सेट नहीं थे ।

मम्मी: छत की और जाते हुए।

मै: क्या हुआ मम्मी क्या रह गया।

मम्मी: कुछ नहीं अभी आती हू।

मै: क्या हुआ मम्मी कहाँ जा रहे हो दोवारा बारिश काफी अचानक तेज हो गई है।

मम्मी: कुछ कपडे रह गये है

मै: बाद में ले आना।

मम्मी: नहीं जरुरी है गीले हो जायँगे और दूसरे मेरे पास नहीं है।

मै: ओके तो मैं ले आता हू।

मम्मी: नहीं नही मैं ले आती हूं।

जब तक मम्मी कुछ बोलति मै छत पर दौड़ लगा कर पहुँच गया।

मम्मी मुझे रोकती रह जाती है तब तक मै छत पर पहुँच चुका था।

मम्मी भी पीछे पीछे आ जाती है तब तक मै कपडे ढूंड ने लगा।

मम्मी: भीगते हुए तू रुक मैं लेके आती हु।

मै : मना किया था आप को देखो कुछ भी नहीं है

मम्मी: है नहीं है तू रुक मैं आती हु।

मै: नहीं साथ चलो भीग जायंगे।

मम्मी क्या बोले समझ नहीं आ रहा था।
उन्हे पता था मै ऐसे नहीं जाऊंगा
तो वो खुद उस तरफ चल देती है जहा उन्होंने अन्डरगारर्मेन्ट्स सुखाये थे।

मै मम्मी के पीछे पीछे चल दिया और देखा
सामने साइड में छुपा के मेरी मम्मी ने अपने ब्रा और पेंटी सुखने को डाला है पर वो गीले हो चुकी थी।

मम्मी अपनी ब्रा पेंटी उतारते हुए।

मै वहां से चल दिया,

मम्मी: अब क्या हुआ बोला था न रहने दे
मै ले आउंगी नहीं माना अब क्या हुआ
ले जा।

और मेरी तरफ अपने अंदरगारर्मेन्ट्स बढ़ा देति है

मै कुछ नहीं बोला और मम्मी के ब्रा पैंटी हाथ में ले लिए ।

मम्मी मेरे हाथ मैं अपने अन्डरगारर्गर्मेन्ट्स दे कर निचे आ जाती है।

मै अपने हाथ में अपनी मम्मी की पेंटी और ब्रा को पकड़ कर खड़ा रहकर देखने लगा।

मम्मी: आवाज़ देते हुए देखता रहेगा या निचे भी लायेगा वैसे भी २ ही जोड़ी है और दोनों ही गीले हो गये और अगर नहीं सुखी तो कल क्या पेहनुगी।

जलदी आ।

मै नीचे आ गया।

बारिश की वजह से मै और मम्मी आधे अधूरे भींग गये थे।. अब मम्मी मुझे मम्मी नहीं बल्कि एक गठीले बदन की भारी मांसल जिस्म वाली औरत के रूप में दिखने लगीं.

मैंने मम्मी को वासना भरी हुई कामुक नजर से देखा तो पाया कि 5 फुट 5 इंच कद, गोरा चिट्टा रंग, भरा बदन, मस्त चूचियां, मोटे मोटे चूतड़. संभोग के लिए और क्या चाहिए?

मम्मी पेटीकोट, ब्लाउज पहने हुए ड्रेसिंग टेबल के सामने अपने बाल संवार रही थीं. और मैं मन ही मन काम वासना का ताना बाना बुनने लगा. शीशे में दिख रही मम्मी की चूचियां और साक्षात दिख रहे पारदर्शी कपड़े के पेटीकोट में चूतड़ों ने मेरा दिमाग खराब कर दिया. मन में आया कि यहीं बेड पर गिरा कर मम्मी के चूतड़ दबा दूं लेकिन हिम्मत नहीं पड़ी.

मम्मी: जा बाथरूम में जा कर मेरी ब्रा पैंटी निचोड के सुखा दे।

ये पिछले दो दिनों का खेलापन था हम दोनों मम्मी बेटे का।

एक मम्मी अपने बेटे से अपनी पैंटी और ब्रा खुद अपने हाथ से देकर सुखाने के लिए बोल रही है।

मम्मी तो समझ चुकी थी वो मुझे अपना मान चुकी है।

अब बस मेरे समझने की देर है।।

थोड़ी देर बाद

मम्मी: सॉरी बेटा।

मै: क्यों मम्मी

मम्मी: वो मैंने तुम्हे अपने अन्डरगारर्मेन्ट्स सूखाने के लिए बोला।

मै: तो क्या हुआ मम्मी आप भी तो मेरे छोटे कपडे धो के सुखाती थी और अब भी कई बार मैं जल्दी में अपना अंडरवियर छोड़ जाता हु तो आप धोकर सुखा देते हो।

मै तो सॉरी नहीं बोलता।

मम्मी: वो आदमी की बात कुछ और होती है
हम लेडीज की कुछ और
हम तो दिखा भी नहीं सकते ।

मै: मम्मी पता नहीं इंडियन इतने बैकवर्ड क्यों है
फ़ोरेन में हस्बैंड और वाइफ दोनों एक दूसरे के कपडे धो लेते है पर इंडिया में नहीं।

मम्मी: अच्छा तो तू अपनी पत्नी कुसुम के कपडे धोएगा।

मै: मुझे मम्मी की बात सुनकर शर्म आ गयी और शरमाते हुआ क्या मम्मी कुछ भी

मम्मी: हस्ते हुए ओके सॉरी

चल छोड़ चाय पियेगा

मै: हां पर आप बैठो मैं बनाता हु।

मम्मी: ठीक
चलो किचन में।

मै किचन में चाय बनाने लगा और
मम्मी पास खड़ी हो गयी

मम्मी: बताया नही।

मै : क्या

मम्मी: तू भी धोयेंगा।

मै; खिसियाते हुए हां धोऊंगा आप के भी धो दुँगा।

मम्मी; मैं तेरी बीवी थोड़े ही हूँ ।

मै: मम्मी तो हो मेरी प्यारी मम्मी जिसे मैं बहुत प्यार करता हूं।
मम्मी: कितना अपनी बीवी से ज्यादा।

मै: उससे भी ज्यादा।। प्यार करता हु आप को

मम्मी: झुठ।

मै: सच मम्मी ।

मम्मी: तो ठीक है मेरे अन्डरगारर्मेन्ट्स धो के सुखा देना मैं समझ जाउंगी।
और हस्ने लगती है।

मै: ओके डन ।

मम्मी; ओके नहीं मज़ाक़ कर रही थी मुझे पता है मेरा बेटा मुझे प्यार करता है।

चाय बन गई।

अलमोस्ट

और हम दोनों चाय पीते है,

और पूरा दिन यु ही बारिश के कारण गुजर जाता है।

शाम के 4 बज चुके थे और बारिश बंद हो गयी मै कुसुम को ऑफिस से लाने के लिए घर से निकल गया।

हमारे छोटे शहर की सड़क जरा सी बारिश हो जाने पर नदी बन जाती है और मै इसी नदी मै बाइक लेकर फँस गया वैसे भी होटल वाले की बाइक पुरानी थी और बाइक बंद पड़ गयी।

इधर मम्मी बाथरूम में जाती है तो शॉकड हो जाती है वो देखती है उनकी ब्रा और पेंटी बाथरूम रूम में सुख रही है।
जब उसके पास जाती है तो उसमे से खुशबु आ रही होती है

मम्मी सोचती है मैं धोती हु तो खुशबु नही
आती।

तभी मम्मी मुझे whatsup पर मैसेज करती है और पूछती है मेरी ब्रा पैंटी में इतनी अच्छी खुशबू कैसे आ रही है।

तभी मम्मी के मोबाइल पे मेरा reply मेसेज आता है खुशबु आ रही है न पियर्स साबुन से धोइ है।

मम्मी मेसेज पढ़ कर मुस्करा देति है।

तभी मेरा दूसरा मैसेज आता है।

मैं प्रूफ दे दिया है की मैं आप को अपनी वाइफ से ज्यादा प्यार करता हुँ।

आई लव यु मम्मी सो मच मैं आप की पेंटी और ब्रा दोनों डेली धो सकता हु ।

मम्मी: मैं भी तुम्हारा अंडरवियर रोज़ धो सकती हु
अगर तुम भी मुझे मेरे हस्बैंड यानि अपने पापा से ज्यादा प्यार करोगे।

मै मम्मी का मैसेज पढ़ कर कन्फ्यूज्ड था की क्या जवाब दू। प्यार तो मैं भी मम्मी से करता हूँ पर मम्मी कौन से प्यार की बात कर रही है।

फिर मैने मैसेज किया
What।

मम्मी: आई लव यु बेटा।
मै:आई लव यु मम्मी

मम्मी से whatsup chat करते हुए साढ़े पांच कब बज गये मुझे पता ही नही चला, मुझे अपनी पत्नी कुसुम को ऑफिस से लाने की बात याद भूल गयी, ऊपर से मेरी बाइक बंद पड़ी थी, मै सड़क पर बन चुकी बरसाती नदी में मम्मी के साथ हो रही chat पढ़ते हुए मुस्कुराता हुआ खड़ा था।

अचानक से सामने एक gov officer की गाड़ी siren देते हुए मेरे पास खड़ी हो गयी। गाड़ी में से बड़ी फुर्ती से गन मेन पीछे से गेट खोल कर उतरा।

मैने देखा मेरी पत्नी कुसुम उसमें बीच वाली सीट पर अकेली हाथ में मोबाइल फोन पकड़े बैठी हुयी थी जो दिखने में किसी बड़ी ऑफिसर की तरह लग रही थी और sdm साहब आगे driver के साथ बैठे हुए थे। कुसुम मुझसे बड़े ही attitude के साथ रुआब दिखाते हुए बोलि यहाँ क्यो खड़े हो?? जल्दी घर पहुँचो??

मै कुसुम का डाइलोग सुनकर मन ही मन बोला तेरी माँ की………..

ये दृश्य देखकर मेरी मुस्की गायब हो गयी, मेरा रोम रोम भरे पानी में जल उठा।

तभी Sdm sir बोले क्या हुआ अरुण???
मै— sir बाइक बंद पड़ गयी।
Sdm sir — आ जाये आपको भी घर छोड़ देता हूँ।
मै– sir कोई बात नही मै आ जाऊंगा।

कुसुम sdm साहब के साथ चली गई।

तभी फिर से तेज बारिश शुरु हो गयी और मेरे आँख के आँसू भी।

मै जिंदगी के उस दोराहे पर खड़ा हो गया कि एक तरफ मुझे जनम और जीवन देने वाली मेरी मम्मी मेरे करीब आ रही थी।

और

दूसरी ओर मेरी जीवनसंगिनी, मेरी पत्नी कुसुम जिसके साथ मुझे पूरी जिंदगी साथ निभाना है वो मुझसे दूर जा रही थी।

मुझे ये जानना है कि टूटती मर्यादा बिखरते रिश्तें की सबसे बड़ी वजह क्या मेरी पत्नी कुसुम की सरकारी नौकरी करने की
“”जिद “” है।

जारी है…..

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top