रूमाल से पोंछ कर वापस पेंट में डालकर ढाबे पर बैठी अपनी पत्नी कुसुम और मम्मी के पास जाकर बैठ गया। मेरे चेहरे पर अजीब सी खुशी थी जिसे मेरी पत्नी कुसुम बर्दाश्त नही कर पायी और व्यंग भरा ताना देकर हस्ती हुयी बोली।
प्रोफेसर साहब आप क्या हगने बैठ गये थे जो इतनी देर लगा दी आने में हमारी दो कप चाय खतम हो गयी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा
कुसुम का ताना सुनकर मेरे मुह से एकाएक निकल गया मैडम हगने नही हिलाने बैठ गया था और अब धोकर आ रहा हूँ। कुसुम का गुस्से से मुह फूल गया उसने उम्मीद नही की थी मुझसे इस तरह जबाब सुनने की। मेरी मम्मी ने मुझे डान्ते हुए कहा अरुण बोलने से पहले बेटा कुछ सोच लिया करो क्या कह रहे हो, किसे कह रहे हो, कहा कह रहे हो, किसके सामने कह रहे हो।
कुसुम तेरी पत्नी है कोई यार दोस्त नही जो तेरे मुह में आयेगा तू बक देगा, वो तो बेचारी मजाक कर रही थी और तू उसे इस तरह जबाब दे रहा है। कुछ तो अपनी मम्मी और पत्नी का लिहाज सीख।
मै . बोला मम्मी आप हमेशा मुझे ही क्यो डान्ति हो अपनी बहू से कुछ क्यो नही बोलती जो तुम्हे अकेले छोड़ कर खुद टॉर्च लेकर हिरनी कि तरह झड्डियो में घुस गयी थी।
कुसुम बीच में बोल पड़ी मै जान बुझ कर नही गयी थी समझे।
मम्मी जो भी हो अरुण बेटा तुम्हे कुछ भी बोलने से पहले सोचना चाहिए।
मैने उन दोनो को sorry बोला।
तभी बस कंडेक्टर ने आवाज दी बस की सवारी वापस बस में बैठ जाये बस जाने वाली है और हम तीनों भी अपनी चाय खतम कर पैसे देकर बस में चढ़ गये। बस चलने लगी। मेरी मम्मी और कुसुम ऊपर कोच में चढ़ गयी और जैसे ही मै चढ़ने वाला था तो मम्मी ने मुझे कहा अरुण बेटा दो मिनिट नीचे खड़ा रह। और कोच की पर्दा लगा दी।
मुझे कुछ समझ नही आया आखिर मम्मी ने मुझे दो मिनिट रुकने को क्यो बोला??
मै खड़ा होकर बस में इधर उधर देखने लगा पूरी बस में अंधेरा था और एक दो सवारी को छोड़ कर सब सो रहे थे।
तभी हमारे कोच की खिड़की खुली होने की वजह से हवा आ रही थी और पर्दा उड़ रहा था और मम्मी अपनी पैंटी में mc pad सेट कर रही थी।
दो मिनिट बाद कुसुम ने पर्दा खोला और बोली आ जाओ मै भी कोच में ऊपर चढ़ गया । और बैग से सिर टिका कर मम्मी और कुसुम के साथ लेट गया।
अब स्लीपर तो इतनी चौड़ी होती नहीं है कि बीच में गैप रहता. मेरी मम्मी जिस्म से मोटी होने के कारण जगह और कम बची थी और लेटे हुए हम तीनों एक दूसरे से चिपके हुए थे। मै कुसुम के बगल में लेटा हुआ था,
कुसुम ऐसे लेटने में असहज महसूस कर रही थी तो उसने अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया. और ऐसा करने से उसके चूतड़ मेरे सामने आ गए थे, उसके बड़े बड़े चूतड़ मेरी टांगों से रगड़ने लगे थे।
15-16 दिन के बाद मेरी पत्नी कुसुम जो
इतनी गर्म माल है मेरे से सटी हुयी लेटी थी। लेकिन अभी भी वो मुझसे गुस्सा और नाराज थी इसलिए मेरा दिल बहुत तेज धड़क रहा था.
मैंने हिम्मत करके अपना चेहरा भी उसी तरफ घुमाया और अपना एक पैर उसके चूतड़ के ऊपर रख दिया. लेकिन उसने अपना पैर हल्का सा हिलाया तो मैंने अपना पैर वापस कर लिया।
मम्मी और कुसुम धीरे धीरे से बातें कर रही थी मेरी मम्मी कुसुम को समझा रही थी कि बहू तुम भी अपना बड़बोला पन कम कर दो ऑफिस में सब बड़े बड़े अधिकारी कर्मचारी होंगे उन्हें बुरा लग गया तो तो तुझे परेशानी होगी। बहु कम बोलना और ज्यादा सुनना सीख। आधे घंटे तक वो दोनो ऐसे ही फॉर्मल बातें करती रही।
मुझे बोरियत हो रही थी, तभी कुसुम बोली मम्मी एक बात पूछूँ आप अभी भी so young and beautful है but पापा एकदम बूढ़े से है, आपकी शादी में इतना इतना age gafe का क्या reason था???
मम्मी हस्ती हुई बोली बहू ये बात हर कोई मुझसे पूछता है, मै तुझे अब क्या बोलू बस अरुण के नाना की गाँव की पुरानी रीति रिवाज और सरकारी नौकरी वाले दमाद के लालच में मेरी शादी अरुण के पापा जो उस समय सेकंड क्लास के अधिकारी थे और उम्र में मुझसे 18-20 साल बड़े थे उनके साथ हो गयी।
कुसुम का ये सवाल सुनकर मेरी आँखे जो नींद से भारी हो रही थी कि अचानक से खुल गयी और मेरी मम्मी कुसुम को जो
अपनी जीवन गाथा बता रही थी वो मुझे काफी दिलचस्प लगी और मै भी आँख बंद कर अपनी मम्मी की शादी की कहानी सुनने लगा।
बहू मेरी शादी बचपन में जब में शादी का मतलब ही नहीं जानती थी मै सिर्फ १२ साल की थी उस वक्त सिर्फ शादी हुई थी जबकि गौना नही हुआ था।
अरुण के पापा तो अपनी नौकरी में एक शहर से दूसरे शहर पोस्टिंग लेकर रहते, मै एक बार जाकर फिर स्कूल पढने जाने लगी मुझे तब तक किसी बात का कोई पता नहीं था । फिर मेने नवी क्लास पास कर ली तो मेरे ससुराल से समाचार आने लग गए की इसको ससुराल भेजो इसका गौना करो जबकि में उस वक्त 15 साल की थी।
ये 1975 की बात हे और में मासूम नादान सी ससुराल चली गई उस वक्त मुझे साड़ी पहनना भी नहीं आता था हम नागालैंड में ओढ़नी और बटन वाली कुर्ती जो शर्ट जैसी होती है और नीचे गागरा (पेटीकोट)पहनते हे में भी ये कपडे पहन के चली गई जो मेरे दुबले पतले सरीर पर काफी ढीले ढाले थे मुझे संभोग की कोई जानकारी नहीं थी
हमारा परिवार ऐसा हे इसमें ऐसी बात ही नहीं करते हे न मेरी बड़ी बहन ने कुछ बताया ना ही मेरी माँ ने बाद में मुझे पता चला की मेरी सास ने जल्दी इसलिए की कि में पढ़ रही थी उसका बेटा (अरुण के पापा) उम्र में ज्यादा था वो सोच रही थी कि इसे जल्दी ससुराल बुला ले नहीं तो ये इसे छोड़ कर किसी दुसरे अपनी उम्र वाले के साथ चली जाएगी।
जबकि हमारे परिवार के संस्कार ऐसे नहीं थे मुझे तो कुछ पता भी नहीं था शादी के कई साल बाद मेने मेरे पति (अरुण के पापा) को देखा जब वो गौना लेने आये मुझे वो देख कर मुस्करा रहा थे मेने भी चोर नजरों से उन्हें देखा मोटा सा काला सा ठिगना दिखा कुछ पेट बहार आया था।
में अपनी सुन्दरता देख इठला उठी जब में मेरे घर में उसके (अरुण के पापा) सामने से निकलती कुछ घुंगट किये हुए तो खीसे निपोर देते मुझे ख़ुशी हुई कि में सुन्दर हु इसका मुझे अभिमान हो गया और में अरुण के पापा साथ गाड़ी में अपनी ससुराल चल दी गाड़ी में उनके साथ और परिवार वाले भी थे हम शाम को गाँव में पहुँच गए !
गाँव पहुँचने के बाद देखा मेरी ससुराल वालों का घर काफी बड़ा था एक तरफ बड़ा कमरा एक तरफ बड़ी सी रसोई और बरामदा मै भारी भरकम कपडे और गहने पहने हुई थी मेरे पति (अरुण के पापा)
इक्लौते लड़के थे जो अपने १ चचेरी बहन और माँ के साथ रहते थे ससुर जी का पहले ही देहांत हो गया था ! वहा जाते ही मेरी सास और ननंद ने मेरा स्वागत किया मुझे खाना खिलाया घर मेहमानों से भरा था मेने पहली बार घूघट निकला था।
में परेशान थी मेरी ननद मुझे कमरे में ले गई जिसमे खटिया पर ही बिस्तर बिछाये हुए थे और उसने मुझे कहा ” भाभी ये भारी साड़ी जेवर आदि उतार ले हलके कपडे पहन ले अब हम सोयेंगे !” मेने अपने कपडे उतार कर माँ का दिया हुआ गागरा कुर्ती ओधनी पहन ली स्तन बहुत छोटे थे इसलिए ब्रा में पहनती नहीं थी गर्मी थी तो चड्डी भी नहीं पहनी और अपनी ननद के साथ सो गई थोड़ी देर में में नींद के आगोश में थी..
आने वाले खतरे से अनजान में सोई हुई थी अचानक आधी रात को असहनीय दर्द से मेरी नींद खुल गई और में चिल्ला पड़ी नाइट बल्ब की मंद रौशनी मेने देखा मेरी ननद गायब हे और मेरे पति (अरुण के पापा)
मेरी छोटी सी चूत में जिसमे मेने कभी एक ऊँगली भी नहीं गुसाई थी अपना मोटा और लम्बा लंड डाल रहे थे और सुपारा उन्होंने मेरी चूत में फंसा दिया था मेरा गागरा मेरी कमर पर था बाकि कपडे पहने हुए थे और अरुण के पापा पढ़े लिखे गंवार की तरह जिसने न तो मुझे जगाया न मुझे सेक्स के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया नींद में मेरा घागरा उठाया सरसो का तेल लगाया और लंड डालने के लिए जबरदस्त धक्का लगा दिया।
मेरी आँखों से आंसू आ रहे थे और में बलि होते बकरे की तरह चिल्ला उठी मेरी चीख उस कमरे से बाहर घर में गूंज गई बाहर से मेरी सास की गरजती आवाज आई वो मेरे पति (अरुण के पापा) को डांट रही थी की छोटी हे इसे परेशान मत कर मान जा मेरे पति (अरुण के पापा) मेरी चीख के साथ ही कूद कर एक तरफ हो गए तब मुझे उनका (अरुण के पापा) मोटे केले जितना लंड दिखा मेने कभी बड़े आदमी का लंड नहीं देखा था छोटे बच्चों की नुनिया ही देखि थी इसलिए मुझे वो डरावना लगा।
उन्होंने अन्दर से माँ को कहा अब कुछ नहीं करूँगा तू सोजा ! फिर उन्होंने मेरे आंसू पोंछे मेरी टांगे सुन्न हो रही थी में घबरा रही थी थोड़ी देर वो चुप सोये फिर मेरे पास सरक गए उन्होंने कहा मेने गाँव बहुत लड़कियों के साथ सेक्स किया वो तो नहीं चिल्लाती थी उन्हें क्या पता एक चालू लड़की में और अनजान मासूम सील्पैक लड़की में क्या अंतर होता हे !
थोड़ी देर में उन्होंने फिर मेरा गागरा उठाना शुरू किया मेने अपने दुबले पतले हाथों से रोकना चाहा उन्होंने अपने मोटे हाथ मेरी दोनों कलाइयाँ पकड़ कर सर के उपर कर दी अपनी भारी टांगो से मेरी टांगे चौडी कर दी फिर से ढेर सारा तेल अपने लिंग के सुपाडे पर लगाया कुछ मेरी चूत पर में कसमसा रही थी उन्हें धक्का देने की कोशिश कर रही थी पर मेरी दुबली पतली काया उनके भेंसे जेसे शरीर के नीचे दबी थी मेने चिल्ला कर अपनी सास को आवज देनी चाही उसी वक्त उन्होंने मेरे हाथ छोड़ कर मेरा मुंह अपनी हथेली से दबा दिया में गूं गूं ही कर सकी मेरे हाथ काफी देर ऊपर रखने से दुःख रहे थे मेने हाथों से उन्हें धकेलने की नाकाम कोशिश की उनके बोझ से में दब रही थी
मेरा वजन उस वक्त ३८-४० किलो था और वे ६५-७० किलो के ! अब उन्होंने आराम से टटोल के मेरी चूत का छेद खोजा जिसे उन्होंने कुछ चौड़ा कर दिया था अपने गीले लिंग का सुपाडा मेरी छोटी सी चूत के छेद पर टिकाया और हाथ के सहारे से अन्दर ठेलने लगे २-३ बार वो नीचे फिसल गया फिर थोडा सा मेरी चूत में अटक गया मुझे बहुत दर्द हो रहा था जेसे को लोहे की राड डाली जा रही हो जिस छेद को मेने आज तक अपनी अंगुली नहीं चुभाई थी उसमे वो भारी भरकम लंड डाल रहा था मेरे आंसुओं से उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था वो पूरी बेदर्दी दिखा रहा था और मुस्कुरा रहे थे की उसे सील बंद माल मिला जिसकी सील वो तोड़ रहा था ! मेरी दोनों टांगो को वो अपने पैर के अंगूठो से दबाये हुए था
मेरे उपर वो चढ़े थे उनका लिंग का सुपाडा मेरी चूत में फंसा हुआ था अब उन्होंने एक हाथ को तो मेरे मुंह पर रहने दिया दुसरे हाथ से मेरे कंधे पकडे और जोर का धक्का लगाया लंड २ इंच और अन्दर सरक गया मेरी सांसे रुकने लगी मेरी आँखे फ़ैल गई फिर उसने थोडा लंड बाहर खिंचा में भी लंड के साथ उठ गई उसने जोर से कंधे को दबाया और जोर से ठाप मारी में दर्द के समुन्दर में डूबती चली गई आधे से ज्यादा लंड मेरी संकरी चूत में फसा हुआ था मेरी चूत से खून आ रहा था पर उन्हें दया नहीं आई वो और में पसीने पसीने थे मुंह से हाथ उन्होंने उठाया नहीं था और फिर उन्होंने आखिरी शोट मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत में गुस चूका था उनका सुपाडा मेरी बच्चेदानी पर ठोकरे मार रहा था में बेहोश हो गई पर दर्द की वजह से वापिस होस आ गया में रो रही थी सिसक रही थी मेरा चेहरा आंसुओं से तर था पर धनाधन धक्के लगा रहे थे।
मेरे चेहरे से हाथ हटा लिया था मेरे कंधे कभी कमर पकड कर बुरी तरह से चोद रहे १५-२० मिनिट तक उन्होंने धक्के लगाये मेरी चूत चरमरा उठी हड्डियाँ कदकदा उठी मुझे बिलकुल आनंद नहीं आया था और वे मेरी चूत में ढेर सारा वीर्य डालते हुए ढेर हो गए और भेंसे की तरह हांफने लगे में रो रही थी सिसकियाँ भर रही थी मेरी चूत से खून और वीर्य मेरी जांघों से नीचे बह रहा था थोड़ी देर में सुबह हो गई मेरे पति (अरुण के पापा) बाहर चले गए मेरी ननद आई उसने मेरी टांगे पूंछी मेरे कपडे सही किये मुझे खड़ा की में लड़खड़ा रही थी वो हाथों का सहारा लेकर पेशाब कराने ले गई मुझे तेज जलन हुई मेने रोते रोते कहा मुझे मेरे गाँव जाना हे अरुण के पापा और मेरी सास ने बहुत मनाया पर में रोती रही चाय नास्ता भी नहीं किया।
आखिर उन्होंने अस.टी.ड़ी. से मेरे घर फ़ोन किया १-१.३० घंटे मुझे मेरे भाई और छोटे वाले चाचा लेने आ गए और में अपनी सूजी हुई चूत लेकर मेरे घर रवाना हो गई वापिस कभी न आने की सोच लेकर पर क्या ऐसा संभव हे तो ये अनुभव रहा मेरी सुहागरात का।
मेरी मम्मी की आवाज भारी हो गयी और कुसुम से बोली बता बहू तुझे जैसा भी लगा हो पर ये १०० फीसदी सच हे।
मै मम्मी की कहानी सुनकर हतप्रभ रह गया, मेरे पापा जो मेरे लिए आज तक एक आदर्श थे उनका ये बहशी और जानवर वाली सुहागरात के बारे में सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा। मुझे अपनी मम्मी पर तरस आ रहा था।
“” मै इतना जरूर समझ गया कि जिसका बाप ऐसा हो उसका बेटा मेरे जैसा ही कामी, वासना भरा हुआ, जो अपनी मम्मी के प्रति गंदी सोच रखते हुए मुठ मारने वाला ठरकी ही होगा “”
कुसुम मम्मी के कंधे पर सिर रख कर बोली फिर क्या हुआ???
मम्मी आगे बताने लगी फिर में दसवी बोर्ड की तय्यारी करने लगी स्कूल जाने लगी ! मेने १०वी की परीक्षा दी और गर्मियों की छुट्टियों में फिर ससुराल जाना पड़ा इस बार मेरे पति अरुण के पापा का स्वाभाव कुछ बदला हुआ था वो इतने बेदर्दी से पेश नहीं आये शायद उन्हें ये पता चल गया की ये मेरी ही पत्नी रहेगी में इस बार ४-५ दिन ससुराल में रुकी थी पर वे जब भी चोदते मेरी हालत ख़राब हो जाती पहली चुदाई में ही चूत में सुजन आ गई बहुत ही ज्यादा दर्द होता मुझे बिलकुल आनंद नहीं आता वो रात ७-८ बार मुझे चोदते पर उनकी चुदाई का टाइम ५-७ मिनट रहता रात भर सोने नहीं देते वो मुझे कहते मेने बहु सारी लड़कियों से सेक्स किया हे उन्हें मज़ा आता हे तुम्हे क्यों नहीं आता में मन ही मन में डर गई की कही मुझे कोई बीमारी तो नहीं हे कही में पूर्ण रूप से ओरत हु या नहीं हु अब में किस से पूछती में सारी सहेलिया तो कुंवारी थी फिर वापिस पीहर आ गई पढने लगी मेरा काम यही था। गर्मी की छुटियों में ससुराल जा कर चुदना और फिर वापिस आ कर पढना ।
फिर मेरे गर्भ ठहर गया सितम्बर १९७६ में मेरे बेटा अरुण हो गया !बेटा होने के बाद कुछ विशेष नहीं हुआ ! में प्राइवेट पढ़ती रही , अरुण के पापा साल में एक बार आते जब में ससुराल चली जाती और अरुण के पापा महीने डेढ़ महीने तक रहते में उनके साथ रहती और जब वे वापिस चेन्नई जाते तो में अपने पीहर आ जाती इसका कारण था कई लोंगो की मेरे उपर पड़ती गन्दी नज़र ! अरुण के पापा की गाँव में खेती थी उसे में दूसरों को बोने के लिए दे देती थी जब फसल आती तो वे मुझे मेरा हिस्सा देने के लिए बुलाते थे ज्यादातर में शाम को मेरे पीहर आ जाती थी।
अरुण के पापा की सबसे अच्छी बात ये थी कि उन्होंने मुझे पढाई करने से नही रोका वो हमेशा मुझे पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए motivate करते ।
जैसे तुझे बहू अरुण के मना करने पर भी नौकरी करने की परमिशन दे दी।
अब में कॉलेज में प्राइवेट पढने लग गई तब मुझे पता चला की मुझे आनंद क्यूँ नहीं आता हे अरुण के पापा मुझे सेक्स के लिए तैयार करते नहीं थे सीधे ही चोदने लग जाते थे और मुझे कुछ आनंद आने लगता जब तक वो ढेर हो जाते रात में सेक्स ५-७ बार करते पर वो ही बात रहती फिर मेने उनको समझाया कुछ मेरा भी ख्याल करो मेरे स्तन दबाओ कुछ हाथ फिराओ अब तक मेने कभी उनके लंड को कभी हाथ भी नहीं लगाया था ।
अब मेने भी उनके लंड को हाथ में पकड़ा तो वो फुफकार उठा उन्होंने मेरे स्तन दबाये पेट और झांघों पर चुम्बन दिए चूत के तो नजदीक भी नहीं गए मेने भी मेरी जिंदगी में कबी लंड के मुंह नहीं लगाया हे मुझे सोच के ही उबकाई आती हे ।
अबकी बार उन्होंने चोदने का आसन बदला अब तो वो सीधे सीधे हे चोदते थे इस बार उन्होंने मेरी टांगे अपने कंधे पर रखी और लंड गुसा दिया और हचक हचक कर चोदने लगे मेरी टांगे मेरे सर के उपर थी में बिलकुल दोहरी हो गई थी पर चमत्कार हो गया आज मुझे आनंद आ रहा था उनका सुपाडा सीधे मेरी बच्चेदानी पर ठोकर लगा रहा था मुझे लग रही थी पर आनंद बहुत आया इस बार जब उन्होंने अपने माल को मेरी चूत में भरा तो में संतुस्ठ थी फिर मेने अपनी टांगे ऊपर करके ही चुदाया मुझे मेरे आनंद का पता चल चूका था।
अचानक मेरी मम्मी शांत हो गयी तो कुसुम ने पूछा क्या हुआ मम्मी आपकी आँखों में आँसू क्यों आ गये, मेरी मम्मी की आँखों में आँसू भर आये थे। हालांकि मैने नही देखे क्योकि मेरी आँखे बंद थी मै सोने का बहाना बना कर लेटा हुआ था।
मैने अपनी वासना की भूख मिटाने के लिए उस दिन जब अरुण के पापा के साथ संभोग किया था तो मै भूल गयी थी कि मै एक महीने पेट से हू और जब अरुण के पापा का लंड मेरी बच्चेदानी में ठोकर मार रहा था तो मेरा mis garage हो गया।
Dr ने बोला बच्चे दानी damage हो गयी है हम एक ही बच्चे से संतोष करना पड़ा। मेरी इच्छा एक बेटी की थी।
कुसुम ने मेरी मम्मी का हाथ थामते हुए कहा मम्मी जरूरी नही कि माँ बनने के लिए बेटी को अपनी कोख से जनम दिया जाये अगर आपके अंदर ममता है तो मेरी जैसी 35 साल की लड़की भी आपकी बेटी बन सकती है, आज से मै आपकी बहू के साथ साथ बेटी भी हू। और दोनों एक दूसरे का हाथ थामे हुए सो गयी।
जारी है…….