You dont have javascript enabled! Please enable it! कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश - Update 26 - KamKatha
कर्ज और फर्ज एक कश्मकश - Erotic Family Sex Story

कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश – Update 26

और उन दोनों को उनके घर छोड़ कर फिर मै वापस अपने घर आ गया ।

रात के आठ बज चुके थे हम सभी लोग एक साथ बैठकर खाना खा रहे थे।

रिंकी मेरे बगल में बैठी हुई थी, खाते खाते वो मुझसे बोली पापा अगर जूली मौसी और नानी आज नही आती तो आप मुझसे बातें नही करते, हमेशा कटे कटे से रहते हैं, मम्मी भी आपकी शिकायत कर रही थी कि आप घर पर कम टाइम स्पेंड करने लगे है” Thank god मौसी और नानी के आने से पापा आप थोड़े से कूल तो हुए पिछले 15 दिन से तो आप बिल्कुल change. हो गये थे।

” नहीं बेटी, ऐसी तो कोई बात नही, वो तो बस थोड़ा काम ज्यादा होने की वजह से कभी कभी घर लेट आना होता है वरना तो…… ” मैने अपना बचाव करते हुए कहा

“वरना तो क्या, मम्मी ने मुझे सब बताया है कि आप कभी कभी नही बल्कि हमेशा ही लेट आते है, खाना भी बाहर ही कहते हो,बोलो मैं सही बोल रही हूं या नहीं” रिंकी ने चहकते हुए कहा

” नहीं तो , मैं तो ज्यादातर घर ही खाता हूं खाना” मै अब कुसुम से अपनी उस रात की घटना को भूलकर अपना बचाव करने में लगा था।

“आप ऐसे नही मानोगे मैं अभी मम्मी को बुलाकर पूछती हूँ……..मम्मी……ओ…मम्मी…..जरा इधर तो आना” रिंकी अब जोर जोर अपनी मम्मी मम्मी को आवाज़ लगाने लगी

“आ रही हु, ऐसे क्यों चिल्ला रही है, ये लड़की भी न बस” कुसुम जल्दी ही रोटिया लेते हुए आयी और खुद भी वहीं बैठ गयी

“क्या है ,क्यों जोर जोर से चिल्ला रही थी ” कुसुम ने हल्का सा गुस्सा करते हुए पूछा और साथ ही मेरी प्लेट में रोटी सर्व करने लगी

“मम्मी, पापा बोल रहे हैं कि वो रोज़ाना घर पर टाइम से आते है और हमेशा घर पर ही खाना खाते है, आप बोलो की ये सच है या झुठ” रिंकी ने कुसुम की ओर देखकर कहा।

“अरे वाह, आप तो अब झूठ भी बोलने लगे हो, रिंकी ये 15 दिन से लेट ही आते है, कितनी बार समझाया कि घर जल्दी आया करो पर इनके कानो पर तो जूं तक नही रेंगती, अब तू ही इन्हें समझा” कुसुम ने लगभग शिकायत के अंदाज़ में मेरी तरफ देखकर कहा।

मुझे कुसुम से एक बार फिर से डर लगने लगा।

मेरे इस तरह डरने से कुसुम और रिंकी को भी हंसी आने लगी , और उनको इस तरह हसता देख मै भी थोड़ा मुस्कुरा दिया
,
“आज कितने दिनों बाद आपको हसता देखा है, वरना तो 10-15 दिन से तो जैसे आपकी हंसी भी चली गयी थी” कुसुम ने मुझे मुस्काता देख कहा

“आप चिंता मत कीजिये मम्मी, अब मैं पापा को बिल्कुल पहले जैसा बना दूंगी” रिंकी ने ‘पहले’ शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया था

धीरे धीरे मै भी कुसुम से थोड़ा खुलता जा रहा था और धीरे धीरे मेरी झिझक कम होती जा रही थी, मुझे यकीन होता जा रहा था कि कुसुम शायद उस रात वाली घटना को भुलाकर मुझे एक ओर मौका देना चाहती है, शायद कुसुम ने मुझे माफ कर दिया है, इसलिए मुझ को भी अब उससे बातें करने में कम झिझक हो रही थी

हम सब अभी बाते कर रहे थे कि रिंकी ने अपनी अपनी चाल का अगला हिस्सा चला

“अच्छा पापा, वो मुझे एक और पुरानी बुक चाहिए थी स्टोररूम से , तो उस दिन की तरह कल भी आप मुझे चढ़ा लोगे क्या” रिंकी ने थोड़ी मादक आवाज़ में कहा

“हाँ हाँ क्यों नही , मैं तुम्हे जरूर चढ़ा लूंगा बेटी…..मेरा मतलब चढ़ा दूंगा बेटी” मैने कहा

“देख लो पापा, मुझे चढ़ाना इतना आसान नही है, कहीं आप दब न जाये” रिंकी ने अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए कहा

“चिंता मत कर बेटी, तू देखना मैं तुझे कितनी अच्छी तरीके से चढ़ाता हूँ” मुझे भी धीरे धीरे इस खेल का मज़ा लेने लगा था, मै सोच रहा था कि मेरी बेटी बड़ी भोली है वो मेरे सब्दो का मतलब नही समझ रही पर मुझे क्या पता था कि खेल तो मेरी बेटी ने ही शुरू किया है

“हम्म्म्म, वो तो पता लग जायेगा कि आप कैसे चढ़ाते है” रिंकी ने कहा

हम दोनों अभी बातें कर ही रहे थे कि अचानक कुसुम का मोबाइल बजने लगा और वो तेज़ तेज़ कदमो से हमारे बेडरूम में चली गई।

8-10 मिनिट बाद कुसुम बेडरूम से निकलती हुई हमारे पास आ खड़ी हुई, वो बहुत खुश सी लग रही थी

“अरे अब तुम्हे क्या हुआ, इतनी खुश क्यों हो? ” मैने उसे इस हालत में देखकर पूछा।

अभी SDM साहब का फोन आया और उन्होंने कहा आप दिमापुर आ जाओ में यहाँ उपनिदेसक लगा हुआ हु यहाँ तेहसिल की तरफ से सविंदा पर लगा देता हु ३०००० महिना हे । वे बार बार कह रहे है एक बार आकर देख लो तुम्हे कुछ नहीं करना हे कभी कभी ऑफिस में आना हे कल कलेक्टर के पास इंटरव्यू हे उन्होंने कहा तुम्हारा नाम फ़ाइनल हो गया हे किसी को लेकर आ जाओ।

कुसुम की ये बात सुनकर मेरे मम्मी पापा खुशी से उछल पड़े, और बोले thats good news. Congralutaion मेरी बहू।

मै— एक मिनिट wait. कुसुम कोनसी जॉब, कौन sdm ये सब क्या है मुझे कुछ समझ नही आ रहा है। आखिर तुम क्या कह रही हो, क्या हुआ है, क्या चल रहा है इस घर में कोई मुझे बताएगा???

कुसुम बोली मै आपको शुरु से सब बताती हूँ। आप मेरे साथ बेडरूम में चलिए।

ये बात हमारी शादी के पहले की है,
मै ऍम ऐ कर रही थी और हमारे वार्ड में मेरे जितनी पढ़ी लिखी कोई और नहीं थी और हमारी आर्थिक हालत भी ठीक नहीं थी तो हमारे वार्ड पार्षद जी ने मुझे आँगन बाड़ी में लगा दिया साथ ही अस्पताल में आशा सहयोगिनी का काम भी दे दिया।

फिर एक बार तहसील मुख्यालय पर हमारे प्रक्शिष्ण में एक अधिकारी आये उन्होंने मुझे शाम को मंदिर में देखा था और मुझ पर फ़िदा हो गए मेने उनको नहीं देखा फिर उनका एक दिन फोन आया मेने पूछा कोन हो तुम उन्होंने कहा में उपखंड अधिकारी हु आपके प्रक्षिशन में आया था मेने कहा मेरा नंबर कहा से मिला उन्होंने कहा रजिस्टर में नाम और नंबर दोनों मिल गए मेने पूछा काम बोलो उन्होंने कहा ऐसे ही याद आ गई मेने सोचा केसा बेव्फूक हे खेर फिर कभी कभी उनका फोन आता रहता।

इधर मेरा बी.एड. में नंबर आ गया था फिर उनका तबादला भी हो गया कभी कभी फोन आता लेकिन कभी गलत बात उन्होंने नहीं की एक बार बी.एड. करते मै कोलेज की तरफ से घुमने नागालैंड गयी तब उनका फोन आया मेने कहा नागालैंड घुमने आये हे तो वो बड़े खुश हुए उन्होंने कहा में अभी नागालैंड में ही एस डी एम् लगा हुआ हु में अभी तुमसे मिलने आ सकता हु क्या मेने मन कर दिया मेरे साथ काफी लडकिया और टीचर थी में किसी को बातें बनाने का अवसर नहीं देना चाहती थी और वो मन मसोस कर रह गए !

फिर ऐसे ही दो तीन साल निकल गए, और हमारी शादी हो गयी। अभी दस दिन पहले
उनका फोन आया और उन्होंने कहा आप दिमापुर आ जाओ में यहाँ उपनिदेसक लगा हुआ हु यहाँ तेहसिल की तरफ से सविंदा पर लगा देता हु ३०००० महिना हे।

मेने मना कर दिया वे बार बार कहते एक बार आकर देख लो तुम्हे कुछ नहीं करना हे कभी कभी ऑफिस में आना हे मेने कहा सोचूंगी फिर बार बार कहने पर मेने अपने फोटो स्टेट डिग्रिया ईमेल से भेज दी।

आज फिर उनका फोन आया कल कलेक्टर के पास इंटरव्यू हे तुम्हारा नाम फ़ाइनल हो गया हे किसी को लेकर आ जाओ।

मैने कुसुम से कहा कोई जरुरत नही है कही जाने की, हो गयी जॉब मै 30000 कमाता हू, तुम 10000 कमाती हो पापा की पेंशन आ रही है। No need any other job.

कुसुम– तुम्हे जरूरत नही होगी पर मुझे है और मुझे जॉब करना पसंद है मैने तुम्हे शादी के पहले ही बोला था। आपको तो मेरा support करना चाहिए कि उम्र के आखिरी पड़ाव में मुझे gov. जॉब मिल रही है।

लेकिन तुम अब अपना male ego क्यो बीच में ला रहे हो।
मै बोला इसमें male ego की बात कहाँ से आ गयी।
तो कुसुम बोली और नही तो क्या आपको लग रहा है कि मै भी gov. Job करके आपके बराबर पैसे कमाउंगी इसलिए आपके ego पर चोट पहुँची है।

मै– कुसुम तुम गलत सोच रही हो मै तुम्हे जॉब करने से नही रोक रहा हूँ। तुम अभी प्रेग्नेट हो, और ऐसी हालत में अकेले रहना ठीक नहीं होगा।

कुसुम– गुस्से मे वाह वाह इसमें भी आपकी गलती है मैने कितनी बार बोला मै अभी माँ नही बनना चाहती हूँ, हमें कंडोम use करना चाहिए पर आपको कंडोम लगाकर संभोग करने में मजा नही आता है। जबकि सच्चाई ये है कि आप जैसे हर husband जानबूजकर् संभोग में कंडोम इसलिए नही लगाता है कि उसे जल्द से जल्द अपनी पत्नी को प्रेग्नेट कर उसकी आजादी खतम करनी होती है और सबसे बड़ी सोच ये होती है कि शादी के दो महीने में पत्नी को पेट से करके सबको अपनी मार्दांगी दिखाते फिरते है कि मै बाप बनने वाला हू।

मै— तुम्हारा दिमाग खराब है मै ऐसा नहीं सोचता मै।
कुसुम– एक लंबी सांस लेते हुए ठीक है मान लेती हूँ मै, पर आज मै प्रेग्नेट हु, कल बोलोगे बच्चा छोटा है, बच्चा थोड़ा बड़ा होगा तो फिर प्रेग्नेट कर दोगे। मै इस प्रेग्नेट और बच्चे के चकरव्युह में फँसकर अपनी अभी मिल रही ऑप्पोर्चनिटी नही खोना चाहती हूँ।
Its my last decision i am going.

मै— गुस्से में एक बात बता तू तेरा sdm बोल रहा है कोई काम नही है तो क्या वो तुझे रात में साथ सोने की salary देगा।

कुसुम– शी कितनी घटिया सोच है अरुण तुम्हारी अपनी पत्नी से ऐसे बात कहते हुए शर्म नही आ रही है।

मेरे और कुसुम के बीच कहासुनी बढ़ गयी और कुसुम बेडरूम से निकलकर हॉल में अपने सास ससुर के पास जाकर बैठ गयी।

मै भी कुसुम के पीछे हॉल में आ गया।
मेरे पापा — अरुण बेटा क्या प्रॉब्लम है तुम्हे??
मै– बहुत प्रॉब्लम है, मै कमा रहा हूँ कुसुम को कमाने की no need. कुसुम अभी प्रेग्नेट है, मै उसके साथ दिमापुर नही रह सकता, मेरी जॉब यहाँ है, ये वहा अकेली कैसे रहेगी, अभी संविदा पर रख रहा है, कोई परमानेंट थोड़े ही है। हमारी रिंकी बेटी भी छोटी है उसकी पढाई, घर के काम खाना, पीना,कौन करेगा। इसकी बहन जूली की शादी के भी आठ दिन बचे अपने मायके नही जायेगी क्या??

कुसुम बीच में बोल पड़ी — पापा मेरी जैसी कितनी शादी शुदा लड़किया है जो अकेली रहती है, प्रेग्नेट होकर भी जॉब करती है।मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। और मै ये मौका नही हाथ से छोड़ने वाली।

मेरे पापा– अरुण बेटा तेरे सारे सवाल बेकार है, मुझे बस इतना कहना है कि बहू को अभी जोइनिंग लेकर बस 2-3 महीने नौकरी करना है उसके बाद उसकी metrnity leave हो जायेगी फिर वापस अपने घर में रहेगी रही बात बहू के अकेले रेहने और प्रेग्नेसी में देखरेख का इसलिए मेरी बहु कुसुम के साथ तेरी मम्मी भी चली जायेगी।

इधर रिंकी जो इतनी देर से सारी बातचीत सुन रही थी, उसके दिमाग मे एक खुराफाती तरकीब बन चुकी थी

“नहीं मम्मी, आप सही बोल रही हो आपको जाना जरूरी है” पापा का ख्याल रखने के लिये मै हू। रिंकी ने सबको चोंकाते हुए कहा।

“बेटी तुम्हारी मम्मी गलत फैसला कर रही है, यहां पर तुम अकेले परेशान हो जाओगी” मैने रिंकी को अपना पक्ष लेते हुए कहा

“नहीं, मैन एक बार बोल दिया तो बोल दिया और वैसे भी मैं अकेली कहाँ हूँ, आप हैं ना मेरे साथ” रिंकी ने कनखियों से मेरी ओर देखकर कहा, उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कुराहट थी जिसे मै समझ नही पा रहा था

मेरी मम्मी — ओह मेरी रिंकी गुडिया कितनी समझदार हो गयी है “चल ठीक है, मेरी रिंकी इसी बहाने अपने पापा के लिए खाना वगरैह बना देना ,ताकि इन्हें बाहर का खाना ना खाना पड़े”

मेरे पापा — बहू कुसुम कल सुबह दस बजे कलेक्टर से मिलना होगा, इसलिए तू और अरुण जाकर तैयार होजा, अभी 1 घण्टे में ही निकलो, सुबहः तक वहां तुम लोग पहुंच जाएंगे” मेरे पापा ने मुझे लगभग आदेश देते हुए कहा।

इधर मेरी मम्मी जो इतनी देर से सारी बातचीत सुन रही थी, वो भी बोल पड़ी कुसुम अरुण के साथ मै भी चल रही हू। दिमापुर मे रिश्तेदार भी है जिससे मै बहु की रहने की ठीक से व्यवस्था करवा दूँगी मै तो उसके साथ रहूँगी। वैसे भी वो पेट से है।

“जैसा आप ठीक समझे , आप भी तैयार हो जाये।

मै, कुसुम और मम्मी तीनों बस स्टैंड पहुँच गए और अच्छे से सामान रखकर बस में बैठ गये, स्लीपर कोच बस थी और हमने चार सवारी वाला कोच बुक किया था, कुसुम और मेरी मम्मी एक साथ बैठी हुई थी और बातें कर रही थी, मै भी सामने बैठकर मोबाइल में हेडफोन लगाकर फिल्म देख रहा था और बस अपनी रफ़्तर से चल रही थी। दो घंटे बाद मेरी फिल्म खतम हो गयी और मै सोने की कोशिश कर ने लगा ।

मेरी मम्मी और कुसुम अभी भी बातें कर रही थी तो मैने अपने कानों में मम्मी के मुह से ऐसे शब्द सुने कि मेरी आँखों की पूरी नींद उड़ गयी। मेरी मम्मी कुसुम से कह रही थी कि बहू अभी तक तुम आगणबादी में औरतो और लड़कियों के साथ काम करती थी पर अब सरकारी ऑफिस में आदमियों के साथ काम करोगी। बहू तुझे तो पता है जमाना खराब है हर आदमी की नजर और नियत अच्छी नही होती है तो तुझे बड़ी ही सावधानी से काम करना होगा।

कुसुम– मम्मीजी आप जो कह रही है वो सच है लेकिन आदमी की नजर और नियत खराब की बात है वो तो क्या ऑफिस और क्या घर हर जगह हमारे साथ के लोगो की भी खराब हो सकती है। मुझे अपनी मर्यादा, इज्जत और रिश्ते की रक्षा करनी आती है। क्योकि मुझे अपनी लाइन और लिमिट हमेशा याद रहती है।

मम्मी मेरी थोड़ी इठती हुई बोली क्या कह रही हो बहू भला घर के मर्द अपनी बहन बेटी पर बुरी नजर थोड़े ही डालेंगे।

कुसुम– मम्मीजी मै ऐसे ही थोड़े बोल रही हूँ मेरे साथ ऐसा हुआ है इसलिए बोल रही हूँ। कम उम्र में विधवा होना मेरे लिए एक श्राप से कम नही था, घर हो या बाहर, रिश्तेदार हो या अजनबी हर कोई मेरे जिस्म को भोगने की नियत से ही देखता था।

“कुसुम के मुह से ये बात सुनकर मेरे कान एकदम खड़े हो गये और मै पूरे ध्यान से कुसुम की बात सुनने के लिए बेताब होने लगा और सोने का बहाना करके कुसुम की बातें सुनने लगा “

मेरी मम्मी चोंकते हुए बोली क्या हुआ था बहू तो कुसुम बताने लगी।

मुझे विधवा होकर डेढ़ साल हो गया था और रिंकी छे महीने की थी एक दिन मेरे पूरे फैमिली के लोग एक रिश्तेदार के यहाँ तेरहवीं पर फेरे के लिये गये थे, रिंकी छोटी होने की वजह से मै नही गयी तो मै घर में अकेली रह गयी।

मेरे पापा और ताऊ के रिश्ते में सुधार हो गया था और मेरे ताऊ का लड़का अपनी फैमिली के साथ हमारे पड़ोस में रहने लगा था। मेरे ताऊ के लड़के का घर आस पास होने की वजह से मेरी भाभी ने कहा तू अकेली केसे सोएगी डर जाएगी तू मेरे बेटे को अपने घर लेजा !

मेरा भतीजा करीब 15-16 साल का था मै भी 19-20 की थी मेने सोचा बच्छा हे इसको साथ ले जाती हु ! खाना खाकर हम लेट गए बिस्टर नीचे की पास पास किये हुए थे थोड़ी देर बातें करने के बाद रिंकी को दूध पिला कर मुझे नींद आ गई ! आधी रत को अचानक मेरी नींद खुल गई मेरा भतीजा मेरे पास सरक आया और एक हाथ से मेरा एक वक्ष भींच रहा था और दुसरे वक्ष को अपने मुह में ले रहा था।

हालाँकि ब्लाउज मेनें पहना हुआ था मेरे गुस्से का पार नहीं रहा में एक झटके में खड़ी हो गई लाइट जलाई और उसे झंजोड़ के उठा दिया !मेरे गुस्से की वजह से मुंह से गाली निकल रहे थे वो आँखे मलता हुआ पूछने लगा :- “क्या हुआ बुआ ?” मुझे और गुस्सा आया मेने कहा :-“अभी तू क्या कर रहा था ?” पठ्ठा बिलकुल मुकर गया और कहा में तो कुछ नहीं कर रहा था
मेने उसको कहा अपने घर जा वो बोला इतनी रात को मेने कहा हा उसका घर सामने ही था वो तमक कर चला गया और में दरवाजा बंद कर के सो गई ।

सुबह मेने अपनी भाभी उसकी मम्मी को कहा तो वो हंस कर बात को टालने लगी कहा इसकी आदत हे मेरे साथ सोता हे तो भी नींद में मेरे स्तन पीता हे मेने कहा अपने पिलाओ आइन्दा मेरे घर सोने की जरुरत नहीं हे मुझे उसके कुटिल इरादों की कुछ जानकारी मिल गई थी। मेरी भाभी भी चालू थी पड़ोसियों ने उसे मुझे पटाने के लिए लालच दिया था इसलिए वो अपने बेटे के लिए मेरी टोह ले रही थी उसे पता था मुझे कम उम्र में विधवा हुए डेढ़ साल हो गए थे शायद ये पिघल जाये पर मैं बहुत मजबूत थी अपनी इज्जत के मामले में,

इससे पहले भी कईयों ने मुझ पर डोरे डाले थे। मेरे घर के पास मंदिर है उसमे आने का बहाना लेकर मुझे ताकते रहते थे
उनमे एक शहर के धन्ना सेठ का लड़का भी था जिसने कही से मेरे मोबिल नंबर प्राप्त कर लिए और मुझे बार बार फोन करता पहले मिस कॉल करता फिर फोन लगा कर बोलता नहीं।

मै इधर से गलियां निकलती रहती फिर एक दिन हिम्मत कर उसने अपना परिचय दे दिया और कहा में तुमको बहुत चाहता हु इसलिए बार बार मंदिर आता हु मेने कहा तुम्हारे बीबी बच्चे हे शर्म नहीं आती फिर भी नहीं माना। तो मेने उसको कहा शाम को मंदिर में आरती के समय लाउड स्पीकर पर ये बात कह दो तो सोचूंगी।

तो उस समय तो हा कर दी फिर शाम को उसकी फट गई फिर उसने कहा की मुझे आपकी आवाज बहुत पसंद आप सिर्फ फोने पर बात कर लिया करे में कुछ गलत नहीं बोलूँगा मेने कहा ठीक हे जिस दिन गलत बोला बात चीत कट और मेरा मूड होगा या समय होगा तो बात करुँगी ये सुनते ही वो मुझे धन्यवाद् देने लगा और रोने लगा और कहने लगा चलो मेरे लिए इतना ही बहुत हे कम से कम आपकी आवाज तो सुनने को मिलेगी में बोर होने लगी और फोन काट दिया।

उसके बाद वो दो चार दिनों के बाद फोन करता मेरा मूड होता तो बात करती वर्ना नहीं वो भी कोई गलत बात नहीं करता मेरी तारीफ करता इस से मुझे कोई परेशानी नहीं थी मेरे बी.ऐ. हो चूका था मेने private स्कूल ज्वाइन कर लिया पेरा टीचर बन गई वहा भी और टीचर मुझ पर ट्राई करते पर मेने किसी को घास नहीं डाली.

साल निकलती गयी और मेरे पापा का प्रीति दीदी और dr. जीजा पर गुस्सा खतम हो गया और वो हमारे घर आने जाने लगे।

आपको तो पता ही हम ३ बहने हे सबसे बड़ी प्रीति, फिर मै, सबसे छोटी जूली है । मेरी पहली शादी 16 की उम्र में ही हो गयी थी और शादी के एक महीने बाद ही माँ के साथ विधवा भी बन गयी थी। मै मायके में ही रहने लगी थी। हमारी आर्थिक हालत अब भी थोड़े खराब थे तो प्रीति दीदी और जीजाजी जब भी घर आते तो पैसे और जरूरत के सामान देकर मदद कर देते थे।

मेरे सबसे बड़े Dr. जीजाजी जब भी घर आते तो मुझसे हंसी मजाक करते थे मै मासूम थी सोचती थी में साली हु इसलिए मेरा लाड रखते हे इसलिए वे कबी यहाँ वहा हाथ भी रख देते थे तो मै ध्यान नहीं देती थी

जीजा जी जीजी के साथ आते हम बहुत खुश होते हंसी मजाक करते मेरी मम्मी कभी कभी चिढती और कहती अब तुम बड़ी हो कोई बच्ची नहीं हो जो अपने जीजा जी से इतनी मजाक करो पर में ध्यान नहीं देती थी

कभी वो मुझे अपनी बाँहों में उठा कर कर मुझे कहते थे अब तुम्हारा वजन बढ़ गया हे वेसे में बहुत दुबली पतली थी। मेरे जीजाजी उस वक्त करीब ४६-४७ साल के थे ५.१० फुट उनकी लम्बाई हे अच्छी बॉडी हे बाल उनके कुछ उड़ गए हे पर फिर भी अच्छे लगते थे पर मेने कभी उनको उस नजर से नहीं देखा था मेने उनको सिर्फ दोस्त और बड़ा बुजुर्ग ही समझा था।

इस बीच में कई बार में अपनी दीदी के ससुराल गई वहा जीजा जी मुझसे मजाक करते रहते दीदी बड़ा ध्यान रखती मुझे कोई गलत नही लगता ।

दीदी जीजू की शादी को अभी 3 साल ही हुए थे और उनकी 1 बेटी भी थी श्रेया 1 साल की उनका घर ज्यादा बड़ा नहीं था 2 रूम किचन फ्लैट था मेरा सामान 2ण्ड रूम मे रखवा दिया था मैंने अपने कपडे चेंज किये और गर्मियों के दिन थे इसलिए 1 पतली सी कैपरी और पतला सा टॉप पेहेन लिया फिर दीदी से थोड़ी बातें की रिंकी भी दो साल की हो चुकी थी। रिंकी को दूध पिला कर फिर थोड़ी देर बाद सो गयी।

शाम को उठी तो दीदी खाना बना रही थी मैंने सोचा उनकी हेल्प कर दू थोड़ी तो किचन मे उनके पास जाके खड़ी हो गयी और उनकी हेल्प करने लगी इतने मैं जीजू भी आ गये और बातें करने लगे 1 दम से लाइट चली गयी और मुझे अपने हिप्स पर 1 हाथ महसूस हुआ वो हाथ मेरे पूरे हिप्स पर घूम रहा था सारी उंगलिया मेरे हिप्स को सहला रही थी वो हाथ मेरे हिप्स पर घूमते हुए मेरे हिप्स को सहला रहा था और जोर 2 से दबा रहा था।

मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करू क्या नहीं करू ये किसका हाथ है मेरे पास दो ही तो लोग थे जीजू और दीदी मैं ये सब सोच रही थी तभी 1 ऊँगली मेरे दोनों हिप्स के बीचे की दरार में घुस गयी और अंदर घुमने लगी मेरे अंदर 1 अजीब सी फीलिंग आ रही थी मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मैंने नोटिस किया की मेरी पेंटी भी गीली हो गई थो थोड़ी सी इतने मे लाइट आ गयी और वो हाथ गायब हो गया लाइट आयी तो मैंने देखा मेरे पास दीदी खड़ी थी और उनके पास जीजू मैंने सोचा ये सब किसने किया होगा मैंने अंदाजा लगाया की शायद अँधेरे मे जीजू को पता नहीं होगा की वो किस के हिप्स पे हाथ फेर रहे है तो गलती से हो गया होगा।

कुछ दिन बाद मै वापस अपने घर आ गयी कुछ महीनों के बाद जीजा जी मेरे घर में आये दीदी नहीं आई थी वे रत को कमरे में लेटे थे टीवी देख रहे थे। मेरे पापा मम्मी छत पर सोने चले गए मेरी मम्मी ने मुझे आवाज दी आजा सो जा। मेरा मनपसंद प्रोग्राम आ रहा था मेने कहा आप सोवो में आती हु में जहा जीजा जी बेड पर सो रहे थे उसी बेड पर बेठ कर टीवी देखने लगी तोड़ी देर में जीजाजी बोले बेठे बेठे थक जाओगी सो कर देख लो मेने कहा नहीं फिर उन्होंने कहा मेने कहा मुझे देखने दोगे या नहीं, नहीं तो में चली जाउंगी थोड़ी देर तो वो सोये रहे।

फिर उन्होंने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे अपने साथ सुलाने की कोशिश करने लगे मेने उनके हाथ झटके और खड़ी हो गई वो डर गए मेने टीवी बंद की और मम्मी के पास जाकर सो गई सुबह चाय देने गई तो वो नज़रे चुरा रहे थे मेने भी मजाक समझा और इस बात को भूल गई फिर जिंदगी पहले जेसी हो गई ।

अपनी अंतर्मन की बातें बताते हुए कुसुम चुप हो गयी और उसने अपना सिर मेरी मम्मी यानी अपनी सास के कंधे पर रख दिया। हमारे स्लीपर कोच में अजीब सी शांति हो गयी, सिर्फ बस के पहिए की रुकने की आवाज आ रही थी। मैने अपनी खुली आँखे मलते हुए खिड़की में से देखा तो बस एक ढाबे पर खड़ी थी।

मै, मम्मी और कुसुम बस में से उतरकर नीचे आ गये।

मेरे मन में कुसुम की बातें सुनकर बहुत से सवाल उठ रहे थे।

“” क्या कुसुम के साथ जो उसके जीजा ने किया वो गलत था, या मै भी जूली का जीजा हू और जो उसके साथ कर रहा हूँ, और करने की सोच रहा हूँ वो गलत है “”

आखिर जीजा साली का रिश्ता असल रूप में क्या है???

जारी है……

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