मै कॉलेज के लिए निकल गया पर आज के इस घटनाक्रम ने रिंकी और मेरे दोनों के दिलों में आग सी लगा दी थी।
अपने पापा के जाने के बाद रिंकी दौड़कर अपने रूम में आ गई, उसकी सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी, उत्तेजना चरम पर थी, उसका मन खुशियों के सागर में हिलोरे मार रहा था, उसने दरवाज़े की कुंडी बन्द की और भागकर अपने पलँग पर पेट के बल आ गिरी,
इधर मेरा भी कमोबेश यही हाल था, रह रहकर मेरी आँखों के सामने रिंकी की उभरी हुई गांड का मंजर आ जाता, मै बार बार कोशिश करता कि दिमाग से ये ख्याल निकल जाए पर जितनी मै आग बुझाने की कोशिश करता उतनी ही आग और भड़क जाती, बड़ी मुश्किल से बाइक चलाते हुए मै अपने कॉलेज में पहुंचा, मैने अपना ध्यान पढाने में लगाने की कोशिश की पर मेरी हर कोशिश बेकार साबित हो रही थी, मै जब जब अपनी पलकें झपकाता, मेरी जवान बेटी के खूबसूरत जिस्म का ख्याल मेरी आँखों के सामने आ कर मेरे होश उड़ा देता,
सुबह के घटनाक्रम के बाद मेरे लंड में ऐसा जोश आ गया था जो कम होने का नाम ही नही ले रहा था ,खास तौर पर रिंकी की उभरी हुई मांसल गांड के बारे में सोचकर को तो मेरा लंड बुरी तरह फनफना उठा था.
मै अपनी कुर्सी पर बैठ बैचैन होने लगा था, मैने जो खुद से वादा किया था कि मै किसी भी लड़की के बारे में सोचकर मुठ नही मारेगा, पर परिस्थितियां काफी बदल चुकी थी, और अब मुझे ये यकीन था कि मेरा वो सपना कभी पूरा नही होने वाला, इसलिए मैने अपनी इस प्रतिज्ञा को भूल जाना ही ठीक समझा, मैने सोचा कि शायद मुठ मारने के बाद मेरे दिल से रिंकी का ख्याल निकल जाए
और यही सोचकर वो अपनी सीट से उठा और सीधा बाथरूम में घुस गया, मेरी वासना मेरे काबू से बाहर होने लगी थी इसलिए हारकर मैने अपने लंड को पैंट की जिप से बाहर निकाल लिया,
मेरा लंड लोहे की रोड की तरह सख़्त हो गया था, मेरी आँखे बंद थीं और मेरी आँखों के सामने रिंकी का सुडौल मांसल बदन घूमने लगा और रिंकी के मोटे मोटे मम्मे और उभरी हुई गान्ड को याद कर के अपने हाथ तेज़ी से लंड पर चलाने लगा
“उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस”
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह रिंकीऽऽऽऽऽऽऽ…आहऽऽऽऽऽऽऽ…कितनी खूबसूरत हो गई है हाय्य…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो क्या सूंदर चौड़ी गांड हो गयी है उसकी……ह्म्म्म”
मेरे हाथ पिस्टन की तरह अपने लन्ड के ऊपर खचाखच चले जा रहे थे, थोड़ी देर बाद ही मूठ मारते मारते अचानक मेरे लंड ने एक जोरदार झटका लिया और फिर दूसरे ही लम्हे रिंकीअअअअअस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स” कहते हुए बुरी तरह झड़ने लगा,
मेरे लंड ने इतना पानी छोड़ा कि मै खुद हैरान हो गया, आज से पहले मेरा लंड कभी इतनी जल्दी ना तो झड़ा था और ना ही लंड से इतना ज़्यादा वीर्य निकला था, आज पहली बार मैने अपना वादा तोड़कर रिंकी के बारे में सोचते हुए मूठ लगाई थी,
मूठ मारने के बाद धीरे धीरे मेरी चेतना वापस लौटने लगी, मुझे वापस अहसास होने लगा था कि मेरी कल्पना सिर्फ कल्पना तक ही सीमित रहे तो अच्छा है वरना इसका बुरा अंजाम भुगतना पड़ सकता है, 12 दिन के बाद आज मेरी अपनी पत्नी कुसुम से दोबारा बातचीत शुरू हुई है, इसे मै अपनी बेवकूफी से गंवाना नही चाहता था, इसलिए मैने फटाफट अपनी सफाई की और वापस आकर क्लास मे ध्यान लगाने लगा।
समय अपनी रफ्तार से चलता रहा और शाम हो गयी, सारे मेरे साथ वाले टीचर अपने घर जा चुके थे, मै कहाँ जाऊ???
” मैं घर जाकर रिंकी से कैसे नज़रें मिला पाऊंगा, ना जाने उसने क्या प्लान किया होगा, अगर मैं उसके प्लान में फँस गया और उसने मेरे साथ कहीं अजीब व्यवहार किया तो कुसुम को पक्का शक हो जाएगा, वो जरूर रिंकी से इसकी वजह पूछेगी, अगर रिंकी ने उसे सब कुछ बता दिया तो, मेरा बसा बसाया घर बर्बाद न हो जाये, कहीं कुसुम रिंकी को लेकर मुझे छोड़ कर चली गयी तो, नहीं नहीं मैं ऐसा नही होने दूंगा,
मैं रिंकी के सामने ही नही जाऊंगा,, लेकिन घर भी तो जाना पड़ेगा ,, अब मैं क्या करूँ ” – मै इसी उधेड़बुन में लगा रहा, पर लाख कोशिशों के बावजूद भी मै किसी निष्कर्ष पर ना पहुंच सका,
अब शाम के 8:00 बजने को आये थे, मेरे घर जाने का समय भी हो गया था, उधर रिंकी पलकें बिछाए अपने पापा का इंतजार कर रही थी और इधर मै घर जाने या ना जाने की ऊहापोह स्तिथि में फंसा हुआ था।
आखिरकार हारकर मै अपनी बाइक पर बैठा और घर की तरफ रवाना होने वाला था कि मेरा फोन बजा,
जब फोन की स्क्रीन पर कुसुम का नम्बर देखा तो मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा
” मैं कुसुम से क्या कहूँ, मुझे घर जाना चाहिए या नहीं, आखिर मैने डरते डरते फ़ोन उठाया
मै – हेलो,
कुसुम – क्या हुआ, इतना टाइम क्यों लगाया फ़ोन उठाने में
मै – वो वो अम्म्म मैं ममम ड्राइव कर रहा था इसलिए जल्दी नही उठा पाया
कुसुम (खुश होते हुए)- अरे वाह, इसका मतलब आज आप टाइम पर घर आ जाओगे , कितना अच्छा लगेगा आज सब लोग साथ मे खाना खाएंगे
मै(घबराते हुए) — अरे नहीं अम्म्म कुसुम , मैं मैं घर नही आ रहा, जरासल मुझे एक कलिंग से मिलने जाना तो अभी उसी के घर जा रहा हूँ, मुझे घर आते आते देर हो जाएगी, तुम लोग खाना खा लो, मैं घर आकर बाद में खा लूंगा,
” अब कुसुम को कैसे समझाऊं की रिंकी की वजह से ही घर नही आ रहा ” मै मन ही मन बोला।
कुसुम (गुस्से से)- ठीक है फिर, खाना भी बाहर ही खा लेना, यहां तो अगर खाना बचा भी तो मैं डस्टबिन में फेंक दूंगी,
मै – कुसुम सुनो तो सही, हेलो, hellllo……
कुसुम ने गुस्से से फ़ोन बीच मे ही काट दिया,
इधर कुसुम का मूड खराब हो चुका था, पर वो कर भी क्या सकती थी,
“रिंकी , मम्मी पापा , आओ सब लोग खाना खाने का टाइम हो गया है ” उसने आवाज़ लगाई
रिंकी अब भी अपने रूम में थी,
रिंकी को लगा कि शायद पापा आ गए है, तभी मम्मी उन्हें खाना खाने बुला रही है, ये सोचकर ही रिंकी के मन मे सिहरन सी उठ गई,
वो जल्दी से उठी और आईने में खुद को निहारने लगी, उसने अपने गुलाबी होंठों पर हल्की सी ग्लास लिपिस्टिक लगाई और बालों को थोड़ा सा संवारा,
और एक हल्की सी मुस्कुराहट उसके चेहरे पर फैल गयी,
रिंकी को जैसे जोर का झटका लगा हो, पापा को वहां ना पाकर तो जैसे उसके पैर वहीं के वहीं जम गए हों, उसने न जाने कैसे कैसे सपने संजोये थे, पर उसके सारे सपने उसे मिट्टी में मिलते नज़र आ रहे थे,
उसकी तो जैसे भूख ही मर गयी थी, वो भारी मन से टेबल पर आकर बैठ गयी।
कुसुम ने उसके लिए एक प्लेट लगाई और फिर उसमें सारी डिशेज़ सर्व कर दी।
दादी और दादा तो खाने का लुत्फ उठा रहे थे, पर रिंकी बिल्कुल धीरे धीरे खा रही थी,
उसको ऐसे खाते देख कुसुम बोली – पहले तो कैसे फटाफट खाना खाती थी, और अब देखो कैसे स्लो मोशन में खाना खा रही है
उसकी बात सुनकर दादा और दादी भी हसने लगे,
रिंकी – ऐसा तो कुछ नही है मम्मी
कुसुम – मुझे लगता है कि तेरा ध्यान कहीं और है, कहीं तू अपने पापा के बारे में तो नहीं सोच रही हो
कुसुम की बात सुनकर तो रिंकी को इस लगा जैसे कुसुम ने उसकी कोई चोरी पकड़ ली हो, वो घबरा सी गई।
रिंकी (घबराते हुए) – नही म्म्म्मम्म मम्मी, ऐसी तो कोई बात नहीं
कुसुम – झूट मत बोल, मैं जानती हूँ कि मुझसे ज्यादा तू तेरे पापा को ही प्यार करती है, और वो अब वो घर नही आये, इसलिये तू परेशान है
प्यार की बात सुनकर एक बार तो रिंकी घबराई फिर उसे लगा कि मम्मी तो बाप बेटी वाले प्यार की बात कर रही है।
रिंकी खाना खाकर वापस अपने रूम में आ चुकी थी, वो अंदर से बहुत दुखी थी।
लेकिन कुछ भी हल ना निकलता देख वो थक हारकर लेट गई, काम की थकान की वजह से वो जल्दी ही नींद के आगोश में चली गई,
रात के लगभग 11:00 बज चुके थे, मुझे लगा की अब तक घर मे सब लोग सो चुके होंगे, मैने अपनी गाड़ी निकली और घर की तरफ चल पड़ा,
जल्दी ही मै घर पहुंच गया, चूंकि मै उस काली रात की वजह से अब लेट ही आता था, इसलिए मेरे पास घर की डुप्लीकेट चाबी रहती थी, मैने हल्के से दरवाज़ा खोला ताकि आवाज़ सुनकर कोई जाग न जाये,
मुझे बड़े जोरों की भूख लग रही थी, मै सीधा किचन में गया और वहीं सिंक में हाथ धोकर अपने लिए प्लेट में खाना डाल लिया, प्लेट लेकर मै डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ ही रह था कि मुझे लगा की इस वक्त हॉल की लाइट जलाना सही नही होगा,
ये सोचकर सीधा अपने रूम की ओर ही बढ़ गया, अपने रूम में जाकर मैने खाना खाना शुरू किया ही था कि कुसुम की नींद खुल गयी, मुझे अपने सामने देखकर उसने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा – ” आ गए आप, थोड़ा और लेट आ जाते, या फिर आते ही नही, घर मे रिंकी बेटी अपने पापा का इंतजार कर रही थी, और इनका कोई अता पता नहीं, बेचारी खाना भी ढंग से ना खा पाई “
” पहले तो तुम धीरे बोलो, इतनी जोर से चिल्लाओगी तो सब जग जाएंगे, और मैने पहले ही कहा था ना कि काम है वरना मैं ज़रूर आ जाता,
मै— हाँ मैने बड़े ही शांत तरीके से बोला
कुसुम– “ठीक है जो मन मे आये करो”
लेकिन कल वैसे भी sunday. है कल आप पूरा दिन घर पर ही रहेंगे, समझे।
कुसुम ने कहा और चुपचाप सो गई।
मैने भी जल्दी से खाना खाया और फिर आकर कुसुम के बगल में लेट गया, और सोचने लगा कल क्या होगा क्योकि कल तो sunday है।
Sunday का दिन था मेरे पापा मम्मी को शक होने लगा था कि मेरे और कुसुम के बीच झगडा हुआ है, मेरे मम्मी पापा दोनों ही नही चाहते है कि उनकी प्रेग्नेट बहू को किसी भी तरह का स्ट्रेस हो।
उनकी ख़ुशी के लिए और रात को कुसुम से किये गए वादे को निभाने के लिए मैंने आज पूरे दिन घर पर रुकने का फैसला किया, क्योकि मैं भी कुसुम को स्ट्रेस नही देना चाहता हूँ।
दोपहर का समय था, लाइट चली गई थी मै अपने घर के बाहर दरवाजे पर कुर्सी डालकर मोबाइल में टाइम पास कर रहा था, और मेरे पापा ca के ऑफिस में टैक्स से संबधी काम से गये थे , कुसुम, रिंकी, और मेरी मम्मी खा पीकर हॉल में बैठे हुए जूली की शादी में पेहनने के लिए साड़ी से मैचिंग वाले ब्लाउस पेटीकोट सिलवाने की तैयारी में लगे थे। और हमारी पड़ोसन सुनीता आंटी का इंतजार कर रही थी, क्योकि सुनीता आंटी वर्क फ्रॉम होम बुटीक स्टोर चलाती है, और वो एक अच्छी फैशन डेजैनर है।
थोड़ी देर बाद मुझे दूर से मेरी साली जूली और मेरी सास मेरे घर की ओर आते दिखे, जैसे जैसे वो नजदीक आती जा रही थी मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी।
मेरी नजरें जूली पर थी।
जूली दिखने में बड़ी आकर्षक है, याने कोई ब्यूटी क्वीन तो नहीं है कुसुम की तरह, पर फिर भी उसको देखते ही मन में और दूसरे अंगों में भी गुदगुदी सी होती है. जूली इस समय सलवार कमीज पहने थी, बिना ओढनी, के जिसमें से उसका सुडौल मांसल बदन खिल कर दिख रहा था. टाइट कमीज में उसके जवान उरोज मचल मचल कर बाहर आने को कर रहे थे.
फिर मेरी नजर सासु पर पड़ी।
सासु ने तो मुझे मंत्रमुग्ध कर डाला. वैसे भी मुझे उमर में बड़ी औरतों से खास लगाव है, ज्यादा पके फ़लों जैसी वे ज्यादा ही मीठी लगती हैं. और मेरी सास तो एकदम माल दिख रही थीं.
कुसुम की मां – मेरी सास के बारे में वैसे मुझे ऐसा सोचना नहीं चाहिये ऐसा मेरे मन में आया पर मन पर काबू करना बड़ा मुश्किल होता है. उनका चेहरा बड़ा खूबसूरत , कुसुम से थोड़ा अलग पर एकदम स्वीट. बदन भरा पूरा , मोटा नहीं , पर कद में छोटी, करीब पांच फुट की होंगी और इस वजह से बदन थोड़ा खाया पिया दिखता है पर उनके बदन में मांसलपन भले हो, सिठानी जैसा मुटापा नहीं है. और एकदम गोरी चिट्टी , उनका पेट और बाहें जो दिख रही थीं, उससे उनकी स्किन कितनी चिकनी है ये दिख रहा था. बाकी तो ज्यादा कुछ दिखा नहीं क्योंकि वे अपना आंचल अपने बदन में लपेटी हुई थीं. मेरे मन में आया कि इनको सिर और पैरों से पकड़कर छह इंच खींच दिया जाये और कमर के नीचे के याने चौड़े भरे हुए भारी भरकम कूल्हों को दो हाथों के बीच रखकर थोड़ा पिचका दिया जाये तो एकदम मॉडल लगेंगी.
कुछ ही पल में हम एक दूसरे के सामने खड़े थे, मैने पैर छूकर सास को प्रणाम किया, जूली और मैने एक दूसरे को बस smile. दी। और घर के अंदर ले गया।
जैसे ही जूली के पैर घर की देहलीज पर पड़े तुरंत लाइट आ गयी, ये देखकर मेरी मम्मी बोली वाह जूली तुम तो बड़ी भाग्य शाली है तेरे पैर रखते ही पूरे घर में रोशनी हो गयी।
मेरी सास और जूली कुसुम की प्रेग्नेसी की खबर सुनकर कुसुम को देखने हमारे यहाँ आई थी।
अंदर जाकर हम बैठे, मेरी मम्मी ने चाय बनाई. मैं नजर बचाकर जितना हो सकता है, जूली को देख रहा था. मेरी मम्मी, सास, कुसुम, रिंकी, जूली, हॉल में बैठकर नास्ता करते हुए उनकी बातें चल रही थी।
एक साड़ी को मेरी सास बार बार बड़े प्यार से देख रही थी, शायद वो साड़ी उन्हें पसंद थी। मेरी मम्मी ये बात समझ गयी और
कुसुम की मम्मी को साड़ीया दिखाते हुए बोली बहनजी ये साड़ी आप ले लो, आप पर खूब जचेगी। तो सास ना नुकर करने लगी। मै भी बीच में बोल पड़ा अरे मम्मीजी ले लो ना। तो सास मान गयी फिर कुसुम बोली इसका मैचिंग का ब्लाउस का पीस भी है अभी सुनीता आंटी आने वाली है आप उनको नाप दे देना वो सिल देगी।
थोड़ी देर बाद door weel बजी।
अरुण बेटा जरा दरवाजे खोल देना सुनीता आंटी आई होगी। मेरी मम्मी ने मुझे आवाज देते हुए कहा।
मै– ठीक है मम्मी,
मैने जैसे ही दरवाजे खोले तो सुनीता आंटी को देखते ही रह गया। मै उनके बारे में थोड़ा बताना चाहता हूँ।
सुनीता शर्मा उम्र 52 साल लंबाई 5 फीट 4 इंच होगी रंग गोरा ओर शरीर की बनावट ऐसी की मेरी गली के छोटे से लेकर बूढ़े तक उसको गिद्ध की तरह भूखी नज़रों से देखते हैं। आंटी अक्सर साड़ी या सूट ही पहनती है साड़ी को नाभि के 2 इंच नीचे बांध कर जब निकलती है तो गाली के सभी लंड सलामी देते हैं। उनका फिगर 38-32-42 के करीब होगा, अब बिल्कुल सही तो नहीं बता सकता, पड़ोसन आंटी है मेरी, कभी नापा नहीं है उसका फिगर।
आंटी की छाती भारी है और वो थोड़े गहरे गले के ब्लाउज पहनती है जिनसे उसके मम्मे उनके ब्लाउज़ और सूट के गले से बाहर झांकते रहते हैं। खास तौर पर वो जो ब्लाउज़ पहनती है न, वो पीछे से बैकलेस होते हैं, जैसे बस थोड़ा कपड़ा या पीछे पीठ पर सिर्फ एक धागा होता है, गोरी खुली हुई मांसल पीठ और पीठ के बीच में बनती गहरी खाई। नाभि के नीचे तक गोरा मखमली पेट और चलते वक़्त उस पेट का थरथराना, वो मांस का हिलना तो बस पूरे मोहल्ला वालों के सभी लंडों को खड़ा कर देता है।
आंटी के पति सऊदी में जॉब करते हैं जिसके कारण उन की चुदाई बहुत कम होती है, ऐसा मुझे लगता है. मेरे मोहल्ले के सभी जवान और बूढ़े उसको हवस भरी नज़रों से देखते हैं; और देखें भी क्यों न… जब मोहल्ले में इतना जबरदस्त कसा हुआ माल हो जिसका जिस्म गदराया हुआ हो। एक ऐसी मदमस्त औरत जो दिखने में ही इतनी छिनाल लगती थी; मानो कितने लंड निगल जाएगी।
सुनीता आंटी मेकअप बहुत करती है घुंघराले काले बाल, आंखों में काजल, पलकों पर लाइनर होठों पर मैक की लाल गाढ़ी लिपस्टिक, हर वक़्त किसी हीरोइन की तरह बन संवर के रहती है। इतना ही नहीं, गहरा ब्लाउज़ नाभि से नीचे बांधी साड़ी ओर हील्स की बजह से उभरी हुई मोटी मस्त गांड जो ऐसे मटकती है कि मेरा खुद का लंड भी खड़ा हो जाता है मै अपनी शादी से पहले सुनीता आंटी को अपना लंड हिला हिला के कितनी बार अपने मन में अपनी फैंटसी बना कर चोद चुका हूँ।
सुनीता आंटी बोली अरूण बेटा अब देखता ही रहेगा या अंदर भी आने देगा। मै तुरंत बीच में से हट गया और गेट बंदकर अपने बेडरूम में चला गया।
शायद जूली का मूड था गप्पों का पर चाय नास्ता खतम होते ही रिंकी ने जूली को जबरदस्ती उठा लिया “चलो मौसी, बाकी गप्पें अब मेरे कमरे में करेंगे और जूली, रिंकी के कमरे में चले गयी। जूली के जाते ही मै भी अपने बेडरूम में चला गया।
अब मेरी मम्मी, सास, और सुनीता आंटी, और कुसुम ही हॉल में बातें कर रहे थे, शुरुआत जरा फ़ॉर्मल बातों से हुई. .
मेरे बेडरूम का दरवाजा open ही था, और इनकी बातें मैं चुपके से सुन रहा था।
मेरी मम्मी बोली – और सुनीता तेरी ढलती जवानी कैसी कट रही है?
सुनीता बोली- उंगली के सहारे! ओर सभी जोर जोर से हंसने लगी.
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
तभी मेरी सास बोली- यार सभी का यही हाल है, 50 के बाद सभी के पति बूढा जाते हैं और हम औरतों की सारी जवानी इस उम्र के बाद रंग देती है जिसे चखने के लिए कोई इन्सान या जानवर ही नहीं है।
सुनीता आंटी बोली- जरूरी है घर का जानवर ही चखे? जंगल में भूखे भेड़ियों की कमी नहीं है, बस इशारा करो, नोच नोच के खाएंगे!
और सभी एक दूसरे की ओर शरारत से देख कर हंसने लगी और बाहर के मर्दों की बातें करने लगी जैसे; यार वो कपूर की क्या परसनेलिटी है, उनकी बीवी तो हाथ जोड़ती होगी.
और फिर हंसने लगी.
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
“” मै आज अपनी मम्मी और सास के मुह से पहली बार इस तरह की अश्लील बातें सुन रहा था और कुसुम जो एक तरफ दोनों के रिश्ते में बहू और बेटी है वो भी उनकी बातें सुनकर खिल खिल कर के हँस रही थी “”
मेरी मम्मी — सुनीता आंटी से बोली तेरी कारीगरी की बड़ी तारीफ सुनी है, तो मैंने सोचा इस बार मैं अपनी समधिन कुसुम की मम्मी के नई साड़ी के लिए तुझसे उनका ब्लाउज़ सिलवा कर देखूँ।
और तुझे वैसा ही ब्लाउज़ सिलना है जैसा तुमने मेरा सिला है।
तो सुनीता आंटी मुस्कुरा कर बोली – अच्छा मैं आपको कुछ नए डिजाइन भी दिखा दूँगी
“” मै उन सब की अश्लील बातों को सुनकर exited था और अब ब्लाउस का सुनते ही मैंने सोचा कुछ intersting होने वाला है कि क्यों न लाइव शो देख जाये।””
तो मैं बेडरूम के दरवाजे पर टंगे पर्दे में से हॉल के अंदर देखने की जगह ढूंढने लगा। मुझे एक छोटी सा छेद दिखा जिससे हॉल साफ साफ दिख रहा था, मैं पर्दे के छेद के पास खड़ा हो कर देखने लगा।
मेरी सास खड़ी थी ओर सुनीता आंटी इंची टेप लेकर उनके पास आयी – हां जी, तो कैसा ब्लाउज़ सिलवाना चाहेंगी आप?
सास ने कहा- आप कुछ डिजाइन नयी दिखाओ?
तो सुनीता आंटी ने सास को एक एल्बम दी जिसमें बहुत से डिजाइन थे, मुझे तो नहीं दिखे पर सास ने एक डिजाइन पसंद करके सुनीता आंटी को दिखाया।
सुनीता आंटी बोली- बिल्कुल बनेगा , आप बस अपना नाप मुझे ले लेने दो।
सुनीता आंटी पहले सास के एक कंधे से दूसरे कंधे तक का नाप लिया और अपनी डायरी में लिख लिया। फिर सास की बाजू ऊपर उठा कर बगल से पेट के ऊपर तक का नाप लिया, फिर पीठ का नाप लिया।
जब पीठ का नाप ले रही थी तो सास बोली- मैं हमेशा बैकलेस ही पहनती हूँ, तो पेट पे कम से कम कपड़ा लगाना, हो सके तो सिर्फ कोई सुनहरी डोरी या ऐसा कुछ ही लगाना।
सुनीता आंटी ने किसी बहुत ही आज्ञाकार बच्चे की तरह हाँ में सर हिलाया,
फिर सुनीता आंटी ने सामने आकर इंची टेप से पहले सास के एक चूचे का और फिर दूसरे चूचे का नाप लिया।
“मैडम जी” सुनीता आंटी बोली- अगर पीछे से बैकलेस रखना है तो सामने पैड लगाने पड़ेंगे, क्योंकि बैकलेस में ब्रा तो आप पहन नहीं सकती।
बेशक सास को भी ये बात पता थी, पर सास उसकी बात सुन कर मुस्कुरा दी, बोली- हाँ, बैकलेस में ब्रा तो पहनी नहीं जाती, आप मेरे इस ब्लाउज़ में ही ब्रा बना देना।
तभी सुनीता आंटी बोली- मैडम जी, अगर अंदरूनी ब्रा बनानी है तो प्लीज़ पल्लू को हटा दो, इसके साथ साइज सही नहीं आ रहा।
तो सास ने बिना कुछ बोले पल्लू हटा दिया.
सास का पल्लू हटते ही मेरी आंखें बड़ी हो गई, मै अपनी सास के चुचों को घूरने लगा और मेरा चेहरा गुलाबी पड़ने लगा, पता नहीं शर्म से या मेरी सास की ओर बढ़ रही कामुकता से।
सासु मा के 75% चुचे खुल चुके थे.
सुनीता आंटी ने सासु मा को पलट दिया, उनकी पीठ को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया और मै अपने लंड को मसलने लगा. सासु माँ का face मै नहीं देख पा रहा था, उनका मुँह दूसरी ओर था।
सुनीता आंटी- मैडम, आपको फिटिंग कैसी चाहिए टाइट या लूज़?
तो सासु मा बोली- टाइट… ऐसा लगे जैसे बॉडी पे पेंट किया हुआ हो।
तो सुनीता आंटी- फिर आपको अपना ब्लाउज़ उतारना होगा.
तो सासु मा ऊपर मन से थोड़ा सा गुस्सा दिखती हुई बोली- पागल हो? नहीं ऐसे ही लो!
तभी मेरी मम्मी सासु से बोली- बहनजी तुम सुनीता से शर्मा रही हो, पहले मै जिस दर्जी से कभी ब्लाउज़ या सूट सिलवाने जाती थी ?
साला बहुत ठर्की था नाप लेने के बहाने चूचे दबाता था।
सुनीता आँटी बोली- अहह काश मेरे कोई दबा जाए।
ओर सब फिर से हंसने लगी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा
फिर सुनीता आँटी मेरी सासु को समझाते हुए बोली– बुरा मत मानिए, दरअसल ब्रा वाला ब्लाउज़ सिलने के लिए आपके बदन के इन हिस्सों का मुझे बिल्कुल सही नाप चाहिए, तभी आपको सही फिटिंग आएगी।
कुसुम हस्ती हुई बोली
अरे मम्मी ब्लाउस उतरने से फिटिंग ठीक आती है मैने भी उतारा था, तभी तो मेरे ब्लाउस फिटिंग हुई, आप चाहो अपनी समधन से पूछ लो।
हाहाहा हाहाहा
और सासु माँ ने अपने ब्लाउज़ की डोरी खोली और उतार दिया। अब क्योंकि सासु माँ पहले ही बैकलेस ब्लाउज़ पहन कर आई थी, तो नीचे से ब्रा तो पहना ही नहीं था, सो ब्लाउज़ उतरते ही सासु माँ टॉपलेस हो गई और सासु माँ के गोरे गोल मम्मे आज़ाद हो गए जिन्हें देख कर सुनीता आँटी बोली माशाअल्लाह क्या जिस्म है… काश आप हमारे होते!
और चुप हो गयी.
तो मेरी मम्मी हस्ती हुई बोली- तो क्या करती ?
सुनीता आँटी बोली- कुछ नहीं!
मम्मी बोली- बता दो?
तो सुनीता आँटी मेरी सासु माँ के मखमली चुचों को अपनी मुलायम हथेलियों में भरते हुए बोली – इन्हें निचोड़ कर इनका सारा रस पी जाती !
सुनीता आँटी के हाथों में मेरी सासु माँ के चुचे आते ही सासु माँ की सिसकारी निकल गयी- अहह महः क्या कर रही हो ?
सुनीता आँटी आँख मारती हुई बोली- जो करवाने आप यहां आयी हो।
सासु बोली- मतलब?
सुनीता आँटी बोली- अब ज्यादा बनो मत, आपकी समधन के जितने ब्लाउज़ सिले हैं उससे ज्यादा उसकी चुसाई की है।
सासु माँ बोली- हम्म… तो आज मेरी भी प्यास बुझा दो, बहुत प्यासी हूँ मेरी रानी !
और सासु माँ ने अपनी बाहों को सुनीता आँटी के गले में डाल दिया।
पूरे हॉल में हँसी के ठहके गूजने लगे,
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
तीनो चारो औरते खूब जोर जोर से हस रही थी, हाहाहा हाहाहा हाहाहा
सुनीता आँटी मेरी सासु मा के हाथ जोड़ते हुए बोली मेरी माँ मुझे माफ करो अब दोबारा से कभी भी ऐसा मजाक नही करूँगी। आपने तो मेरी ले ली होती।
तीनो चारो औरते और जोर जोर से हस रही थी, हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
सुनीता आंटी का चेहरा और डाइलोग सुनकर मेरी भी हँसी निकल गयी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा।
उनकी हँसी की आवाज सुनकर जूली और रिंकी भी हॉल में आ गये।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा।
“” मैं मन ही मन सोच रहा था अगर औरते अश्लील मजाक करना शुरु कर दे तो अच्छे भले आदमी (रसिया मर्द) मजाक करना भूल जाये “”
जारी है…..