—————– पश्छताप —————–
अरुण अभी चुप चाप सो जाओ तुम अभी शराब के नशे में हो और मै गुस्से में हू, अभी हम बात करेंगे तो मेरे हाथो से अभी तुम्हारी हत्या हो जायेगी।
इस घटना के बाद मै, मेरी बीवी कुसुम और दोस्त दोनों से ही बहुत झेंप और शर्मिन्दा हो रहा था।
लाइट बंद होने के बाद मै कुसुम के पैरो के बगल में लेट गया, मै गिल्टी फील कर रहा था। मैने डिसाइड कर लिया कि कल से कुसुम के उठने से पहले ही घर से चला जाऊंगा, वैसे भी मुझे सेमिनार के लिए दो दिन के लिए दूसरे शहर में जाने के लिए कॉलेज वाले बोल रहे थे।
इसलिए मैने मोबाइल में 5 बजे की अलार्म लगाई और फिर सोने की कोशिश करने लगा।
सुबह अलार्म की पहली घण्टी के साथ ही मेरी आँखे खुल गयी, मैने बगल में देखा तो कुसुम अभी तक सो रही थी, अक्सर वो 6 बजे ही उठा करती थी ,
कुसुम अभी भी पिछली रात वाली अधनंगी हालत में थी. तकिये में मुह दबाकर रोने की वजह से उसका मेक-अप उसके चेहरे को बदरंग कर चुका था.
फिर मैने कुसुम की नाइटी को नीचे करने का व्यर्थ प्रयास किया – मैने देखा कि उसके एक कूल्हे पर लाल निशान पड़ गया था, मेरे दोस्त के ज़ोरदार थप्पड़ को याद कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए थे.
मुझे रात की अपनी करतूत के सही मायने समझ आने लगे थे. मै अब अपनी कुसुम से बात करने लायक भी नहीं रहा था. मै कुछ देर इसी असमंजस में बैठे रहा कि कुसुम को sorry कैसे कहें.
मेरे आँखों में भी आँसू भर आये, थोड़ी देर इसी तरह मै बैठे हुए अपने आँसू रोकने की कोशिश करता रहा, पर कब तक मै बैठा रहता आख़िर घर से बाहर तो निकलना ही था.
मै फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया, लगभग 45 मिनट में नहा धोकर बिल्कुल तैयार हो गया, कुसुम अभी भी सो रही थी, मैने खुद ही किचन में अपने लिए चाय बनाने चल पड़ा,
किचन में खटपट की आवाज़ से कुसुम की नींद टूट गई, उसने साइड में देखा तो मै वहां नज़र नही आया, वो समझ गई कि शायद मै चाय बनाने किचन में गया हू,
कुसुम तुरन्त उठी और किचन की तरफ चल दी, मैने चाय बना ली थी
कुसुम – अरे आपने चाय क्यों बनाई, मुझे उठा दिया होता मैं बना देती
मै – कोई बात नही कुसुम, वैसे भी तुम्हे 6 बजे जगने की आदत है, इसलिए सोचा कि थोड़ी देर और सोने देता हूँ, वैसे भी मैं ठीक ठाक चाय बना लेता हूँ,
{मै (मन मे) – अब तुमको क्या बताऊँ कि तुमसे से सामना न हो इसीलिए तो सुबह सुबह भागदौड़ करनी पड़ रही है}
कुसुम (थोड़े गुस्से से) – मुझे आज के बाद तुम्हारे दोस्त और तुम्हारे बीच कोई भी दोस्ती यारी अब नही होनी चाहिये, वरना इस बार सच्ची में मै उसका और तुम्हारा सिर फोड़ दूंगी।
अरुण तुमसे तो ज्यादा समझदार मेरी वो नासमझ बेटी रिंकी है जो अपनी दादी के कहने पर मेरी care. करना शुरू कर दी है।
मै – गुस्सा क्यों होती हो, सुबह सुबह मूड खराब नही करना चाहिए किसी का
कुसुम – आपको मै final warning दे रही हूँ ……….
मै – अच्छा ठीक है बाय
(मैने कुसुम को बीच मे ही टोका, और इससे पहले की खिटपिट और बढ़े अपना bag लेकर घर से रवाना हो गया)
कुसुम अभी भी गुस्से में थी उसने मुझसे नही पूछा कि इतने सुबह कहाँ जा रहे हो।
मै पूरे दो दिन सफर में बस एक ही गाना सुनता, गुनगुनाता रहा कि वो पूरा गाना मुझे याद हो गया और मै जिसे पूरा लिख रहा हूँ।
इससे पहले के याद तू आये
मेरी आँखों में फिर लहू आये
तुझसे रिश्ता मैं तोड़ जाऊँगा
मैं तेरा शहर छोड़ जाऊंगा
मुझको ग़म हैं तेरी जुदाई का
रंज हैं अपनी बेवफाई का
अपने वादे से फिर गया हूँ मैं
अपनी नज़रों से गिर गया हूँ मैं
इससे पहले कि तू मुझे छोड़े
मुझको ठुकराये मेरा दिल तोड़े
अपना दिल खुद मैं तोड़ जाऊँगा
मैं तेरा शहर छोड़ जाऊंगा
तेरा मुजरिम मैं तेरा हरजाई
साथ ले जाऊँगा ये रुसवाई
दाग दामन से ये मिटा दूंगा
खुद को इतनी बड़ी सज़ा दूंगा
इससे पहले की लोग ताने दे
तेरे आंसू न मुझको जाने दे
ये ताल्लुक मैं तोड़ जाऊँगा
मैं तेरा शहर छोड़ जाऊंगा
हाँ मेरा इंतज़ार तो होगा
अब भी कुछ ऐतबार तो होगा
तू खुला छोड़ देगी दरवाज़ा
पर गलत है ये तेरा अंदाज़ा
इससे पहले की आह दिल भर दे
सब गुनाहों को माफ़ तू कर दे
ये भरम भी मैं तोड़ जाऊँगा
मैं तेरा शहर छोड़ जाऊंगा।
मै दो दिन बाद वापस आ गया।
मुझे यह डर था कि कुसुम उस रात को जो हुआ वो मेरे मम्मी पापा को बताकर मेरी सारी पोल खोल देगी,
पर ये ग़लत साबित हुआ.
हालाँकि शुरू के चार-पाँच दिन तो मै धड़कते दिल से रोज़ घर से अपने कॉलेज जाया करता, लेकिन फिर धीरे-धीरे मै थोड़ा आश्वस्त हो गया कि अगर कुसुम से आगे छेड़-छाड़ और बदजुबानी न की तो शायद वह किसी से कुछ ना बोले.
उधर कुसुम ने भी अपना इरादा बदल लिया था, उसने सोचा तो था कि वह अपनी सास ससुर से सब सच-सच बोल देगी, लेकिन जब उसने घर पर इतनी ख़ुशी का माहौल देखा तो उस से कुछ कहते न बना. और बात टलते-टलते टल गयी.
मेरा अंदाज़ा सही था, कुसुम ने सोच लिया था कि अगर घर में मैंने शराब पी या पीकर आया तो वह सबकुछ उगलने में एक पल की भी देरी नहीं करेगी.
कुसुम को अब मै फूटी आँख नहीं सुहाता था – क्योकि उसे लगता, ग़लती मैने ही की थी .
जो एक पूरी तरह से सच नही था।
अब मै घर मे किसी से ज्यादा बात भी नही करता ।मैने अपने आपको पूरा पश्चाताप की आग में झोंक दिया था। मेरी पीड़ा और ग्लानि मुझे मन ही मन खाये जा रही थी।
ऐसे ही लगभग एक हफ्ता हो गया था यहां तक कि मैने कुसुम से बात भी नही की थी। मै कुसुम के गुस्से को जानता था। मुझे पता था कि शायद कुसुम मुझे कभी माफ न करे। इस बात का दुख हमेशा मेरे मन मे रहता ।
पर होनी को कौन टाल सकता था। जो हुआ सो हुआ।
बस जब कभी उसे पैसो की जरूरत होती, तो उसके तकिये के नीचे रख देता।
मै अब घर पर कम ही रुकता । मैने अपने कॉलेज के स्टूडेंट को एक्स्ट्रा क्लास देना शुरू कर दिया था। रात रात भर वही रुकता. इसका एक फायदा तो ये हुआ कि मेरी income तो बढ़ रही थी। पर नुकसान ये कि अब मै पहले जैसा हसमुंख इंसान नही रहा था।
उस रात वाली घटना के बाद से ही मैने कुसुम के साथ कभी भी शारीरिक संम्बंध नहीं बनाए थे। हालांकि हम लोग पहले भी हफ्ते में तीन या चार बार ही सेक्स करते थे पर अब तो वो भी बिल्कुल बन्द हो चुका था।
उधर लाख कोशिशों के बाद भी रिंकी के मन मे मेरे प्रति प्रेम दिनोदिन बढ़ता ही गया। उसकी वासना ने उसके दिमाग को पूरी तरह से वश में कर लिया था।
परन्तु उसके मन मे डर था कि
“” कहीं पापा ने मुझे ठुकरा दिया तो, मैं बर्दास्त नही कर पाऊंगी…..मैं किसी भी हाल में अपने पापा को पाकर रहूंगी” रिंकी यही सब सोचती रहती।
दिनों दिन रिंकी की वासना बढ़ती जा रही थी।
“”मै दोस्तों, शराब, और अपनी बेटी रिंकी, साली जूली को पूरी तरह से भूल गया””
जूली को भूलने की वजह थी कि उसका घर बस रहा था और मेरा घर उजड़ने की कगार पर था। और मै अब अपनी वजह से किसी का भी घर, जिंदगी, बरबाद नही करना चाहता।
रिंकी को ingnor करने की वजह ये थी वो मेरी सौतेली बेटी सही पर मेरी पत्नी कुसुम की तो सगी बेटी है अगर गलती से उसे भनक भी लग गयी तो मेरा मरना निशिचित् है।
“” मैने अपने आप से एक भीष्म प्रतिज्ञा कर ली की अपनी पत्नी कुसुम के अलावा किसी भी लड़की, औरत के साथ संभोग नही करूँगा और ना ही कामुक, वासना विचार सोचकर मुठ मारूंगा। “”
ऐसे ही 10-12 दिन बीत गए और एक सुबह —-
मेरे मम्मी पापा दोनों मंदिर जा चुके थे,
शाम के खाना बनाने की ड्यूटी रिंकी की ही लग गयी थी जिससे थकान की वजह से रिंकी अभी भी सोई हुई थी, और अपने पापा के मधुर सपनों में खोई थी,
कुसुम अब रिंकी को उठाने के लिए उसके रूम की तरफ जाने लगी,
“रिंकी, बेटा उठ जा, देख सूरज भी सर पर चढ़ आया है, चल जल्दी खड़ी हो और हाथ मुंह धोकर नाश्ता कर ले” कुसुम ने रिंकी की चादर को हटाते हुए कहा
“बस 5 मिनट और मम्मी” रिंकी नींद में कसमसाते हुए बोली
“क्या 5 मिनट, देख दादी और दादा तो मंदिर भी जा चुके और तेरे पापा कॉलेज के लिए निकलने वाले है, और तू है कि अब तक मजे से सो रही है” कुसुम ने थोड़ा डांटते हुए कहा
मेरे जाने की बात सुनकर जैसे रिंकी आसमान से जमीन पर आ गई हो, वो तुरंत चौंककर बोली – पर पापा इतनी जल्दी क्यो जाने लगे है, मेरा… मतलब है कि पहले तो वो 10 बजे जाते थे न तो फिर इतनी जल्दी क्यो??
” उनकी छोड़ तू जल्दी से फ्रेश हो जा और नीचे आकर नाश्ता कर ले” कुसुम उसके कमरे से निकलती हुई बोली
“पापा शायद मेरी वजह से ही इतनी सुबह जाने लगे है ताकि उन्हें मुझे फेस न करना पड़े, अब मुझे पक्का यकीन हो गया है कि पापा मुझसे दूर दूर रहने की कोशिश कर रहे है, पर पापा आप चाहे जितनी कोशिश कर लो, मैं आपको पाकर ही रहूंगी, जो काम आपने अधूरा छोड़ा था वो मैं पूरा करूंगी, जितना दुख मैंने आपको दिया हैं उससे कई गुना मज़ा मैं आपको दूंगी मेरे प्यारे पापा” रिंकी मन ही मन फैसला करने लगी
अब वो खड़ी हुई और फ्रेश होने के बाद नीचे नाश्ता करने चली गई, उसके दिमाग ने अब अपने पापा को वापस अपने करीब लाने की योजना बनाना शुरू कर दिया था।
वो अभी नाश्ता करते हुए सोच ही रही थी।
और अचानक से बोल उठी।
“मम्मी मेरी वो पुरानी 11th की बुक्स कहाँ है, मुझे उनमे से एक बुक चाहये थी, मेरी स्टडी के लिए” रिंकी ने तिरछी नज़रो से मेरे चेहरे को देखते हुए कुसुम से पूछा
“रिंकी…. वो तो स्टोर रूम में ऊपर टांड पर रखी है, तेरे 12 में आने के बाद मैंने उन्हें एक बॉक्स में रखकर वहां रखवा दिया था, पर वो तो बहुत ऊपर हैं तेरे हाथ कैसे आएगी, मैं एक काम करती हूं , शाम तक किसी से उतरवा दूंगी, ” कुसुम ने चाय पीते हुए ही कहा
“पर मम्मी मुझे तो अभी ही चाहिए , मुझे उनमे से कुछ जरूरी नोट्स बनाने है” रिंकी ने बड़ा ही मासूम से चेहरा बनाते हुए कहा
“चल तो फिर तेरे पापा ही तेरी हेल्प कर देंगे उन्हें उतरवाने में” कुसुम ने बड़े ही सामान्य तरीके से जवाब दिया
“पर….कुसुम…..मुझे तो अभी जाना है…..लेट हो रहा है….” मैने कहा
“क्या जाना है ….. थोड़ा लेट चले जाओगे तो पहाड़ नही टूट जाएगा….बच्ची यहां पढ़ने के लिए बुक्स मांग रही है और आप हो कि 5 मिनट लेट नही जा सकते….”
कुसुम ने तल्खी से जवाब देते हुए कहा
“पर कुसुम मेरी बात तो सुनो” मैने एक बार और कोशिश करते हुए कुसुम से कहा
“पर वर कुछ नहीं, आप बुक्स उतारोगे तो उतारोगे, मुझे ओर कुछ नहीं सुनना” कुसुम ने आर्डर करते हुए मुझसे कहा
“चलो ठीक है, उतारता हूँ मैं बुक्स” मैने निराश होते हुए कहा, मुझे यह भी पता था कि कुसुम की ज़िद के आगे मेरी नहीं चलने वाली है
मैने फटाफट बाकी नाश्ता किया और हाथ धोकर स्टोर रूम की तरफ जाने लगा,
“रुकिए पापा, मैं भी आती हूँ” रिंकी ने मुझको रोकते हुए कहा
“तुम्म्म्म्म….. क्या करोगी….रिंकी…. मम्मम मैं…उतारता हूँ ना” मै घबराते हुए बोला
“पर मुझे जो बुक चाहिए वो मैं निकाल लूँगी, बाकी बुक्स आप दोबारा रख देना” रिंकी बड़े ही आराम से बोली
“ठीक है जैसा तुम बोलो” मैने भी बेमन से जवाब दे दिया
अब रिंकी ने तुरंत हाथ धो लिए और मेरे साथ स्टोररूम की तरफ चल पड़ी जो फर्स्ट फ्लोर पर था।
रिंकी सीढ़ियों पर चलते वक्त जान बूझकर मेरे बिल्कुल पास पास चल रही थी, सो अचानक बिना सोचे-समझे इस तरह करीब आ जाने पर मै कुछ पल के लिए थोडा असहज हो गया, और उससे कुछ कहते नहीं बन रहा था. रिंकी के परफ्यूम की भीनी-भीनी खुशबू ने मुझे और अधिक परेशान कर दिया था, जल्दी ही हम दोनों स्टोररूम के सामने खड़े थे
स्टोररूम काफी दिनों से बंद पड़ा था,
जब मैने स्टोर रूम खोला तो देखा की वहां पर काफी दिनों से सफाई नहीं हुई थी, बुक्स जिस जगह पडी थी वो काफी ऊपर थी , मैने आसपास देखा तो उसे एक लकड़ी की सीढ़ी दिखाई दी, पर उस पर काफी धूल मिट्टी जमा थी।
“पापा यहां पर तो काफी गंदगी है, आपके कपड़े ना खराब हो जाए” रिंकी ने कहा
“कोई बात नहीं मैं दूसरे कपड़े पहन लूंगा ” मैने बिना रिंकी की तरफ देखे ही कहा और सीढी को लेकर उस जगह के पास लगाने लगा जहां बुक्स पड़ी थी
जैसे ही मैने ऊपर चढ़ने के लिए अपना पांव आगे बढ़ाया सीढ़ी में से चरमराने की आवाज़ आयी, चूंकि सीढ़ी काफी पुरानी थी इसलिए ज्यादा वजन झेल नही सकती थी
“पापा आप मत चढ़िए, वरना सीढ़ी टूट जाएगी, आपका वजन थोड़ा ज्यादा है इस सीढ़ी के लिए” रिंकी ने कहा
“पर सीढ़ी के बिना इतनी ऊपर कैसे पहुँच पाऊंगा” मैने थोड़ा परेशान होकर कहा
“एक तरीका है” रिंकी के चेहरे पर एक शातिर मुस्कुराहट आ चुकी थी
“कोनसा तरीका” मैने बस उसकी तरफ देखकर पूछा
” आप एक काम कीजिये , सीधी को नीचे से पकड़ लीजिये, मैं इस पर चढ़कर बुक्स उतार लेती हूं” रिंकी बोली
“चलो ठीक है, तुम चढ़ जाओ पर जरा ध्यान से” मैने कहा
“पापा, मैं चढ़ तो जाऊंगी पर आप मुझे सम्भाल तो लोगे ना” रिंकी ने बेहद ही मादक अंदाज़ में द्विअर्थी शब्दों में कहा
“तुम चिंता मत करो बेटी, मैं अच्छे से पकड़ कर रखूंगा,बिल्कुल गिरने नही दूंगा” मैने सामान्य तरीके से जवाब दिया
“ठीक है तो पापा मैं चढ़ रही हूं, आप सम्भालना” ये कहते हुए रिंकी ने अपना पांव सीधी के पहले कदम पर रखा और फिर धीरे धीरे ऊपर चढ़ने लगी।
रिंकी ने ये सब कुछ पहले से ही सोच रखा था इसीलिए आज उसने जानबूझकर स्कर्ट पहनी थी, रिंकी धीरे धीरे ऊपर चढ़ी जा रही थी , मैने सीढ़ी को मजबूती से पकड़ा हुआ था, रिंकी को अपने इतने पास पाकर मेरा ध्यान विचलित होता जा रहा था,
जैसे ही रिंकी सीढ़ी पर थोड़ी ऊपर पहुंची , मैने अपनी नज़रे उठाकर ऊपर की ओर देखा, उस पर जैसे बिजली गिर गयी हो, मेरा चेहरा बिल्कुल गर्म हो गया, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे बहुत तेज़ बुखार हो, मुझे अपनी सांसे रुकती हुई सी महसूस होने लगी और मेरा दिल जोरों से धड़कने लगालगा।
ट्यूबलाइट की तेज़ रौशनी में रिंकी की स्कर्ट में से झलकती पूरी तरह नंगी दूध सी सफ़ेद जांघें चमक रहीं थी, उसकी स्कर्ट में से उसकी छोटी सी पैंटी उसकी बड़ी सी गांड की दरारों में फंसी साफ दिखाई पड़ रही थी,उसकी भींची हुई टांगों के बीच योनि की ‘V’ आकृति उसे बिल्कुल साफ साफ नज़र आ रही थी.
मेरा लंड खड़ा होकर अब मुझे तकलीफ देने लगा था, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि अगर मैने जल्दी से अपने लंड को आज़ाद नही किया तो कहीं उसकी नसे ना फट जाए, इस नज़ारे को देखकर मेरे बदन में हज़ारों ज्वालामुखी फूटने लगे,
मैने अब तक जो प्रतिज्ञा की थी कि मै अपनी बेटी से दूर रहूँगा वो सब मुझे एक पल में ही मिट्टी में मिलती हुई नजर आने लगी, मेरा दिमाग मुझे नज़रे नीचे करने को कह रहा था पर मेरा दिल इस नज़ारे को अपनी आंखों में कैद करने की बात कह रहा था,
” रिंकी…मेरी बेटी है…हाय्य अब भी कितनी छोटी-छोटी चड्डिया पहनती है…उफ़ पर वो मेरी बेटी… इस का जिस्म ओह्ह.. कितनी मस्त हो गयी है बिल्कुल आहहहहहह, नहीं नहीं वो मेरी बेटी है” मेरा दिमाग अब बुरी तरह फंस चुका था,
इधर रिंकी भी जानबूझकर ज्यादा टाइम लगा रही थी, बीच बीच मे वो अपनी सुंदर गांड को मटका देती जिससे मेरे दिल पर हज़ारों घाव हो जाते,
“पापाआआआ…. आपने ठीक से तो पकड़ा है ना, अगर आपने गिरा दिया तो मैं दोबारा कभी नहिं चढूंगी” रिंकी ने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए कहा
“तुम चिंता मत करो बेटी, मैं बहुत अच्छे से पकडटा हूँ, जिसे चढ़ाता हूँ उसे कभी नही छोड़ता” मै भी अब धीरे धीरे इस खेल में बढ़ रहा था हालांकि मेरे दिल मे अभी भी काफी डर था पर फिलहाल तो रिंकी की चड्डी ने मेरे दिमाग का फ्यूज़ उड़ा रखा था,
” ह्म्म्म , मुझे बुक मिल गयी है पापा, अब मैं नीचे उतर रही हूं” रिंकी ने कनखियों से मेरी ओर देखा तो मै अभी भी अपनी नज़रे उसकी स्कर्ट के अंदर गड़ाए हुए था
“अरे इतनी जल्दी मिल गयी, अगर कोई और बुक हो तो वो भी निकल लो वरना बार बार चढ़ना पड़ेगा” मेरी आंखों में वासना के दौरे तैरने लगे, और मेरा लंड तो बस मेरी पैंट को फाड़कर बाहर आने को तैयार था
“नहीं पापा अभी मुझे यही बुक चाहिए, अगर जरूरत पड़ेगी तो दोबारा चढ़ जाऊंगी, वैसे भी आप काफी अच्छे से चढ़ाते है” रिंकी ने अपने चेहरे पर शरारती मुस्कान लाते हुए कहा
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी” मै बड़े बेमन से बोला,
धीरे धीरे रिंकी अपनी गांड को मटकती हुई नीचे उतरने लगी, जैसे ही वो लास्ट कदम उतरने वाली थी उसने जानबूझकर गिरने का बहाना बनाया और गिरते हुए मेरी बाहों में समा गई
मैने आज 12 दिन बाद रिंकी के कोमल शरीर को छुआ था, मै तो उसकी मादक गन्ध से मदहोश ही हो गया मुझे ये एहसास बहुत अच्छा लग रहा था, इधर रिंकी को भी मेरी बाहों में उतेजना सी महसूस हो रही थी, जिसकी गवाही उसकी चुत से निकली पानी की कुछ बूंदे थी जो उसकी पैंटी से होते हुए जांघो से स्पर्श करके उसे ठंडक का एहसास करवा रही थी,
पर मेरे मन मे ये डर भी था कि अगर रिंकी की मम्मी मतलब कुसुम को ये आभास या पता हो गया कि उसकी बेटी की वजह से मैं उत्तेजित हो रहा हूँ तो इस बार तो वो मुझे मार ही डालेगी, इसलिए मै तुरंत होश में आया और बोला
“अरे आराम से बेटी, अभी गिर जाती तो”
रिंकी भी अब थोड़ी सम्भली और मेरी बाहों की कैद से खुद को न चाहते हुए भी आज़ाद किया,
“चलो बेटी, अब नीचे चलते है, मुझे कॉलेज भी जाना है” मैने अपनी बिखरी सांसे समेटते हुए कहा
“ठीक है पापा” कहते हुए रिंकी मेरे साथ नीचे आ गयी, मैने रिंकी से नज़र बचाकर अपने लन्ड को पैंट में एडजस्ट किया
मै अब कॉलेज जाने के लिए दरवाज़े की ओर जाने लगा कि रिंकी ने पीछे से मुझसे कहा – ” पापा जल्दी घर आना , मैं आपका वेट करूंगी”
“यस ऑफकोर्स मैं कोशिश करूंगा जल्दी आने की” मैने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
ये बोलकर मै कॉलेज के लिए अपनी बाइक में रवाना हो गया,
मै तो सीधा कॉलेज के लिए निकल गया पर आज के इस घटनाक्रम ने रिंकी और मेरे दोनों के दिलों में आग सी लगा दी थी।
जारी है…..