You dont have javascript enabled! Please enable it! कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश - Update 21 - KamKatha
कर्ज और फर्ज एक कश्मकश - Erotic Family Sex Story

कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश – Update 21

उसने मेरी बीवी का सोनोग्राफि टेस्ट कमरा नंबर 306 में करवाने के लिए कहा फिर रिपोर्ट देखने के बाद दवाई लिखेगी।

मैं अपनी बीवी को कमरा नंबर 306 में ले जाने लगा. जाते समय मैं अपनी बीवी कुसुम को छेड़ रहा था कि तुम्हारी चुत तो रस निकालने लगी थी.
हाहाहा हाहाहा हाहाहा

वो शर्माने लगी और हस्ती हुयी बोली- साली कादरी की बच्ची ने उंगली से ही मेरा रेप कर दिया है.
हाहाहा हाहाहा हाहाहा

हम दोनों हस रहे थे हाहाहा हाहाहा हाहाहा

जब सोनोग्राफी वाले डॉक्टर के कमरे में पर गये. तब डॉक्टर के जाने का टाईम हो गया था. फिर भी हमने बाहर बैठे लड़के से रिक्वेस्ट की तो उसने डॉक्टर से बात की, तो डॉक्टर राज़ी हो गये, हालाँकि वो घर जाने के लिए अपने कपड़े चेंज कर चुके थे. फिर हम अंदर गये तो मैंने देखा कि डॉक्टर 56-57 साल का बुजुर्ग था

फिर उसने कुसुम को लेटने के लिए बोला और उस लड़के को बोला कि तू एक काम कर बाहर क्लिनिक की लाईट वगैराह बंद करके चला जा और में इनकी सोनोग्राफी करके बंद कर दूंगा, तो वो लड़का चला गया, और तभी कुसुम वहाँ लेट गयी.

फिर डॉक्टर ने उसकी साड़ी खोलने को कहा, तो उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट का नाड़ा खोल लिया. फिर डॉक्टर ने बिना देखे वहाँ एक कपड़ा डाल दिया और वो एक लोशन कुसुम के पेट पर लगाने लगा. फिर थोड़ी देर के बाद वो मशीन से चैक करने लगा, तो मैंने कहा कि सर बराबर हो रही है. तो उन्होंने कहा कि हाँ और बोला कि थोड़ा साड़ी पेटीकोट नीचे कर लो.

फिर कुसुम ने थोड़ी साड़ी पेटीकोट नीचे की तो उसकी पेट के ऊपरी और नाभि के नीचे आखिरी हिस्से के बाल थोड़े- थोड़े दिखाई देने लगे. फिर डॉक्टर ने लोशन लिया और वहाँ उसकी पेट के ऊपरी और नाभि के नीचे के आखिरी हिस्से वाली जगह पर लगाने लगा. तो मैंने देखा कि वो जानबूझ कर धीरे-धीरे अपना नीचे की ओर हाथ फैर रहा था. और कुसुम मेरी ओर देख कर इशारा कर रही थी.

मेरी झांटे सुलग रही थी, मैने कहा डॉक्टर साहब अपना हाथ पेट पर ही फेरिये ना।

तभी डॉक्टर ने कहा कि आपको एतराज़ है क्या? मै हट जाता हूँ आप खुद ही कर लीजिये……. तो में बोला कि नहीं सर आप करो, नो प्रोब्लम. फिर उसने धीरे-धीरे फिर लोशन लगाना स्टार्ट किया और उसका हाथ धीरे-धीरे कुसुम की नाभी के नीचे यौनानागो तक पहुँचने लगा, तो मैंने देखा कि बुड्ढे डॉक्टर की पैंट आगे से फूल गयी थी. फिर उसने अपने एक हाथ से अपने खड़े लंड को टाईट किया और मुझे सामने से देखा.

में क्या करता बस शांत होकर देखने के अलावा, तो उसकी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गयी. फिर उसने धीरे-धीरे कुसुम की यौनानागो के उपरी भाग को टच करना चालू कर दिया, तो कुसुम ने कहा कि अरुण इनको बोलो कि नीचे हाथ ना ले जाए. फिर मैंने कहा कि कुसुम वो ज़रूरी है नहीं तो लोशन ठीक से नहीं लगेगा तो बराबर नहीं होगा.

फिर तभी कुसुम ने एक धीमी सिसकारी भरी श करके. शायद उसने अपनी मर्दानी उंगलियों को कुसुम की चूत पर फैरना शुरू कर दिया था, कुसुम के बदन पर कपड़ा पड़ा होने की वजह से मुझे ठीक से दिख नही रहा था।

अब वो कमीना डॉक्टर मुझे सामने से देखे जा रहा था. अब मेरा भी लंड खड़ा हो गया था तो मैंने भी उसके सामने अपने लंड को एड्जस्ट किया, तो वो भी मुस्कुरा दिया. फिर मैंने कहा कि कितना टाइम लग रहा है, तो वो बोला कि बस दो मिनिट, और हंस दिया. अब उसका हाथ और नीचे तक चला गया था, कपड़े के अंदर जो उसने बदन को ढकने लिए डाला था.

तभी कुसुम ने 2-3 सिसकारी और भरी और उसका हाथ पकड़ लिया . डॉक्टर ये क्या कर रहे है? तो उसने कहा कि आपको तकलीफ़ जो हो रही है तो कोई बात नहीं. फिर कुसुम ने कहा कि आप रहने दीजिए, आहह

अब तो वो समझ चुका था. उसका भांडा फूटने वाला है तो उसने कुसुम को वापस साड़ी पेटीकोट पहनने को बोला और कंप्यूटर में रिपोर्ट बनाने लगा।

मैं कुसुम के चेहरे को देखकर समझ गया उसके साथ कमीने बुड्ढे डॉक्टर ने अश्लील हरकत की है, पर मै मौन रहकर नज़रांदाज कर गया।

हम रिपोर्ट लेकर वापस dr जुबेदा कादरी के पास आ गये। सारी रिपोर्ट देखने के बाद डॉ कादरी. कुसुम से बोली बांकी सब नॉर्मल है लेकिन एक good news है और एक bad news है। Good news is कुसुम तुम pregnet हो। और bad news है की आप दोनों ने unsafe और wild तरीके से संभोग किया है जिससे योनी के internal part में बहुत ही गहन इन्फेक्शन है, केवल खाने वाले एंटीबायोटिक्स से काम नहीं चलेगा, इंजेक्शन लगेंगे सुबह शाम तीन दिन, तब आराम आएगा। आप दोनों को फिल्हाल परहेज करना है।

मै परहेज शब्द का मतलब ठीक से नही समझ पाया….. और उत्सुक होकर बोला… मैडम किस चीज का परहेज…???
डॉक्टर कादरी मेरी तरफ देखकर हस कर बोली संभोग नही करना है महाशय..!

मेरी बीवी कुसुम को इंजेक्शन के नाम से ही डर लगता है, वो घबरा गई।

डॉक्टर कादरी- घबराओ नहीं ! कुछ नहीं होगा, तुम एक काम करो आज एक और एक शाम वाला इंजेक्शन लगवा लो। जिससे infection जल्दी recover हो जायेगा,और मैं कुछ और मेडिसिन लिख देती हूँ वो खाती रहना।

बाहर कंपोंडर है उससे एक इंजेक्शन अभी लगवा लेना और अपना adress उसको बता देना तो वो शाम को घर पर लगा देगा।

मै और कुसुम अभी अभी सोनोग्राफि वाले डॉक्टर के साथ हुए सदमे से बाहर नही निकले थे।

तो मैने dr जुबेदा से कहा आप इंजेक्शन की टेशन मत लो मेरा एक दोस्त है जो कंपोंडर है उससे लगवा लूँगा।

कुसुम ने भी कहा ये ठीक रहेगा।

डॉक्टर जुबेदा कादरी कुसुम से बोली चल कुसुम मै भी निकल रही हूँ, हम इतने दिनों बाद मिले कम से कम एक काफी तो साथ पी सकते है। कुसुम ने मेरी ओर देखा तो मैने भी मौन सहमती दे दी….. हम तीनो एक रेस्ट्रों में चले गए।

कुसुम और डॉ कादरी इधर उधर की बातें करने लगे थोड़ी देर बाद कुसुम ने डॉ कादरी से पूछा…… कादरी तूने शादी की..?
डॉ कादरी– हा।

कुसुम — गुड… कब… किससे.. मुझे कब मिलवा रही है…??
डॉ कादरी — कुसुम तू जानती है उनको.

कुसुम — ओह ऐसा क्या, कौन है वो खुश नसीब… क्या वो भी तेरी तरह डॉक्टर है..?
डॉ कादरी — नही यार

कुसुम — फिर कौन है भला जिसे मैं भी जानती हू।
डॉक्टर कादरी — जाहिद

जाहिद का नाम सुनकर कुसुम के तो होश उड़ गये, उसका मुह खुला रह गया, आँखे डॉक्टर कादरी के चेहरे को घूर रही थी। आँखों में सवालों की बारिश नजर आ रही थी।

कुसुम का ये रूप देखकर मुझसे रहा नही गया और मै कुसुम को झकझोर कर बोला…. क्या हुआ मैडम तुम्हे डॉक्टर कादरी के पति जाहिद का नाम सुनकर झटका क्यो लग गया….???

आप अगर जाहिद के बारे सुनेंगे तो आपको भी झटका लगेगा… कुसुम मुझसे मुस्कुरा कर बोली….!

भला जाहिद मै ऐसी क्या खासियत जो मुझसे तुम इस तरह बोल रही हो… क्या तुम उसे जानती हो…??? मै भी कुसुम की तरफ मुस्कुरा कर बोला।

मुझे और कुसुम को आपस में बहस करते हुए देख डॉक्टर कादरी बीच में बोली…. अरे तुम दोनों बहस करना बंद करो मै बताती हूँ जाहिद के बारे में….?

डॉक्टर कादरी — जाहिद मेरे कजिन भाई थे… कजिन भाई है… मतलब अभी भी कजिन भाई थे… ओह्ह ओ बड़ा ही कंफ्यूजन….. हाहा हाहा हाहा

मै बोला मैडम आप कहना क्या चाहती हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है… कजिन भाई थे……, है….. ठीक से बताओ।

डॉक्टर जुबेदा कादरी एक लंबी सांस लेते हुए जाहिद भाई मेरे चाचा के लड़के है, रिश्ते में मेरे कजिन भाई थे, अभी भी भाई है लेकिन शौहर भी है।

ये सुनकर मेरी हँसी छूट पड़ी….. हाहा हाहा हाहा… मतलब जाहिद आपका भाई भी है और शौहर भी है…… हाहा हाहा

डॉक्टर जुबेदा कादरी मुस्कुराते हुए बोली

“” यही तो खूबसूरती है इस्लाम की “””

भाई को शौहर बनाने का ख्वाब दुनिया में बहुत सी लड़किया देखती है, भाई-बहन के बीच रोमांटिक रिश्ते होने की कल्पना करती है। लेकिन ख्वाब को हकीकत में बदलने की इजाजत सिर्फ हमारे मजहब में है…

“” यही तो खूबसूरती है इस्लाम की “””

ईश्क, मोहब्बत, वफा हमारी कौम की लड़कियों ने संभाल कर रखी है, घर के हर शख्स को पुकारने में “जान” लगाते है, “जान” का मतलब जान से प्यारा होता है। जैसे भाई जान, अब्बा जान, अम्मी जान, और भी बहुत है।

बचपन मे जिस भाई से हमने सारे राज, सुख दुख, खुशी, तकलीफ, दर्द बांटे और जवानी आने पर उसको भूल कर किसी और को अपना जिस्म सौंप दे, दिल्लगी, मोहब्बत, निकाह करे और अपने भाई को जवानी की आग मे जलता छोड़ दे। ये तो सरासर नाइंसाफी है भाई बहन के रिश्ते की….. भाई के लिए एक बहन का भी फर्ज होता है और वो फर्ज सिर्फ हमारा मजहब ही शिखाता है हमें……!!

डॉक्टर जुबेदा कादरी मुझसे थोड़ा गंभीर होते हुए बोली अरुण जी मै आपसे एक बात पूछती हूँ……. आप तो प्रोफेसर है, स्टूडेंट को कॉलेज में पढ़ाते है, अच्छा खासा कमाते भी है फिर भी आपकी शादी 35+ की उम्र में क्यो हुयी….?? आप ही क्यो आप जैसे आपके मजहब के बहुत सारे घरों में 35-40, 45 साल के लड़के कुवारे बैठे हुए हैं, जबकि उनकी छोटी, बड़ी बहनो की शादियां हो चुकी हैं और तो और उनके बहनो के बच्चे भी शादी लायक हो गये है।

क्या उन बहनो का फर्ज नही बनता था कि हमारे भाईयो की शादी नही हो रही हैं तो हम भी शादी ना करे और अगर हो सके तो अपने भाई से शादी कर के एक दूसरे को जिस्मानी, मानसिक, पारिवारिक खुशी दे। लेकिन आप की बहने ऐसा नहीं करती है….. गैर मर्दो के साथ जिस्मानी तालुक बनाती है, निकाह कर परिवार बढाती हैं लेकिन अपने भाईयो की परवाह नही करती है।

हमारे यहाँ आपने कभी नहीं सुना, देखा होगा कि हमारे बड़े भाई कुँवारे बैठे हैं और छोटी बहनो की शादिया हो गयी हैं और तो और कोई हमारे यहाँ 30 की उम्र तक कुँवारा रहता ही नही है।

(डॉक्टर जुबेदा कादरी के सवाल कड़वे जरूर थे लेकिन वो सच कह रही थी… क्योकि ये आज के समय का हमारी समाज का कड़वा सच है लड़को की उमर 40-45 तक होती जा रही है लेकिन शादी नही हो रही है जबकि जुबेदा कादरी की समाज में ऐसा नही है, वहा कजिन भाई बहन आपस मे शादी कर खुशी खुशी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।)

शायद जुबेदा कादरी सच बोल रही हैं
“” यही तो खूबसूरती है इस्लाम की “””

डॉक्टर जुबेदा कदारी भाई बहन के बीच शादी के फायदे गिनाने लगी जो वाकई बहुत गौरतलब थे:

मैने करीबी रिश्तेदारी में शादी इसलिए जाइज़ ठहराई है क्योंकि हमारे मे चचेरी, ममेरी और फुफेरी बहन को “सगी बहन” माना ही नहीं जाता है और इस विषय पर सारी बहस ही चाचा, मामा, और फूफा के बेटे बेटियों को सगे भाई बहन मानने और ना मानने पर है। जो लोग चाचा- मामा के बच्चों को सगे भाई बहन मानते हैं वही लोग इस तरह की शादी पर सवाल उठाते हैं और भद्दी टिप्पणियां करते हैं यहां तक कि ये लोग अपनी मान्यता दूसरों पर थोपने की पूरी कोशिश करते हैं । और यही समस्या की जड़ है जहाँ एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग पर अपनी मान्यता थोपी जाती है और न मानने वाले को अपराधी समझा जाता है ।

दूसरा फायदा यह है कि जिसे हम बचपन से जानते है उसी के साथ शादी होती है जिससे उसकी आदतें और स्वभाव का बेहतर अंदाजा रहता है।

तीसरा फायदा यह है कि यदि कोई समस्या होती है तो परिवार के सदस्य आपके काम आते हैं और आपके हर सुख दुख में भागीदार होते हैं। इसी का नतीजा देखने को मिलता है कि रिश्तों में आपसी जुड़ाव और तालमेल पहले से बेहतर हो जाता है।

इसके अलावा भी भाई बहन के शादी करने के सामाजिक,आर्थिक और मनोवैज्ञानिक फायदे हैं।

डॉक्टर जुबेदा कादरी की बातें मै और कुसुम मूकदर्शक बनकर सुन रहे थे…….
उन्होंने टेबल पर से पानी का ग्लास उठा कर एक सांस में पूरा पीने के बाद बोली…..

हा कुसुम तू तो मेरी खास सहेली है तुम मुझे बताओ क्या जाहिद भाई के साथ शादी कर के मैने कोई गलती की है….????

कुसुम डॉक्टर जुबेदा कदारी का हाथ थामते हुए बोली मुझे नही लगता इसमें कुछ गलत है। मैं मुस्लिम नहीं हूं, लेकिन मैं एक महिला हूं। मुझे लगता है कि लड़कियों के परिवार में भाई बहनो का शादी करने का मुख्य कारण सुरक्षा है। इसलिए अगर उनकी शादी अजनबी परिवारों से होती है तो उन्हें कभी पता नहीं चलता कि उनकी बेटियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है या नहीं। कजिन भाई से शादी करने पर कम से कम आप जानते हैं कि आपकी बेटी किस हाल में जी रही है।

डॉक्टर जुबेदा कदारी मुझसे बोली हाँ प्रोफेसर अरुण महाशय आपकी क्या राय है…..?????

मै—- मुझे भी नही लगता इसमें कुछ गलत है। जन्म के बाद माता पिता ही बच्चे को बताते हैं कि ये तुम्हारा भाई है,बहन है, काका,मौसी,नानी,दादा हैं। किनसे क्या व्यवहार होना चाहिए, रिश्ते की क्या सीमा होनी चाहिए ये भी हम माता-पिता और समाज से ही सीखते हैं।

मुझे बचपन से बताया गया कि चाचा,मामा, मौसी,बुआ की बेटियाँ मेरी बहन है और उनसे राखी बंधवाई तो मैं उनको अपनी बहन ही मानता हूँ । जब मेरी पहली जॉब लगी तो ट्रेनिंग में कुछ तमिलनाडु के कुछ हिन्दू लोग मिले उन्होंने बताया कि वो लोग अपनी बुआ की लड़की से शादी कर सकते हैं , मेरा तो दिमाग ही घूम गया क्योंकि मैं तो ऐसा सोच भी नही सकता था ।

फिर धीरे धीरे समझ बढ़ी तब पता चला कि वो लोग बुआ की बेटी को बहन मानते ही नही इसलिए उनके लिए अजीब नही है।
संस्कृति की बात है, हमारी मातृभाषा निमाड़ी में अपनी माँ को “तू” बोला जाता है जो कि बाकी लोगों को असभ्य लग सकता है।

आखिर हम दोनों के मत सुनने के बाद डॉक्टर जुबेदा कादरी ने राहत की सांस ली…. और उनके चेहरे पर जंग जीतने वाली खुशी थी।

तभी मेरा फोन बज उठा और मै बात करने के लिए कुर्सी से उठ कर बाहर आ गया। कुसुम और डॉक्टर जुबेदा कादरी आपस में खुसुर फुसुर बातें कर रहे थे।

कुसुम डॉक्टर जुबेदा कादरी से पूछ रही थी कि कादरी की बच्ची आखिर तूने जाहिद भाई में ऐसा क्या देखा कि निकाह के लिए राजी हो गयी….??

डॉक्टर जुबेदा कादरी —- ये कोई खास कहानी है लेकिन मै तुझे शॉर्ट में बताती हूँ। हमारा निकाह तो अभी कुछ साल पहले हुआ है, बाकी सब कुछ (समागम भी) पहले ही हो गया था मेरी उम्र ………. साल की थी, तब एक दिन रात को जाहिद ट्यूशन क्लास से बाइक पर मुझे वापिस ला रहा था, अचानक बाइक फिसली और हम दोनों सुनसान सी सड़क पर गिरे । उसे खास चोट नहीं लगी लेकिन मै ज़ोर से गिरी थी, इसलिए दर्द से कराहती हुई रोने लगी । मै तो उठ भी नहीं पा रही थी । जैसे तैसे मुझे बाहों में उठा कर हम दोनों रोड के किनारे पर पेड़ के नीचे बैठ गए । मैं बोली ।”मुझे मेरे कपड़े उतार कर देखना है, मुझे कितनी चोटें आई हैं ।”

जाहिद भाई मुंह फेर कर खड़ा हो गया । मै कपड़े उतार कर खुदका जिस्म देखने लगी । मेरी जांघों पर खरोंच थी । मै रोने लगी । वो घबरा कर मुझे शांत कराने लगा । मुझे उस पर प्यार आने लगा।

मैने अचानक उससे कहा भाई ” मुझे अभी प्यार करना है तेरे साथ।” उसे बहुत ताज्जुब हुआ मुझे घूरने लगा । मै उसके कपड़े उतारने लगी । उसका गोरा भरा हुआ खूबसूरत कुंवारा जिस्म देख कर मुझे प्यार आ गया । हम दोनों ने बहुत देर तक प्यार समागम किया, मैं दर्द से कराहती हुई प्यार से उसका पहला जिस्मानी रिश्ते का अनुभव करती हुई , पूरे उत्साह से समागम करवाती रही, हम दोनों बार बार झड चुके थे । कपड़े पहने और बाइक पर सवार होकर वापिस घर आ गए । हमारे दोनों के बीच जिस्मानी हवस पूरी करने का रिश्ता बन गया था जो की कई बरसों तक चलता रहा । कुछ साल पहले हमने निकाह कर लिया।

कुसुम डॉक्टर जुबेदा कादरी सुनकर हँस पड़ी हाहा हाहा हाहा और हस्ती हुयी बोली
जुबेदा तू जाहिद को भाई बोलती है या शौहर…..??

जुबेदा हस्ती हुई बोली शुरु शुरु में हमेशा भाई जान ही निकलता था, लेकिन अम्मी और चाची ने टोक टोक कर (ये लड़की तो बेड़ा गर्क करके मानेगी शौहर को भाई बोलती हैं,कब अकल आयेगी) शौहर बोलना सिखला दिया…. लेकिन उस समय लगता बहुत फन्नी था… जब भी कोई काम होता तो मुह से जाहिद भाई पहले निकलता और वो भी सुनकर हँस पड़ते… हाहा हाहा हाहा हाहा

मै फोन पर बात करके वापस आ गया, फिर हम रेस्ट्रो से निकलकर जुबेदा को अलविदा कह के अपने दोस्त कंपोंडर के पास दवाई लेकर चले गए।

मैने दोस्त को पूरी बात बताई तो वो बोला भाभीजी आप किसी नर्स से लगवा लो।

कुसुम बोली- नहीं, मैं तुम्हारे अलावा किसी से नहीं लगवाऊँगी।

मैंने भी कहा तो वो मान गया।

अगले पल वो इंजेक्शन भर के आ गया, उसके आते ही मेरी पत्नी कुसुम घबरा गई।

तो दोस्त ने उसे प्यार से दुलारते हुए कहा- प्यारी भाभी जी, डरते नहीं ! मैं हूँ ना ! कुछ नहीं होगा, अब चुपचाप उल्टी लेट जाओ।

कुसुम डरते डरते लेट गई,

अब मेरा कंपोंडर दोस्त बिल्कुल प्रोफेशनल अंदाज में आ गया था, उसने मेरी बीवी की साड़ी कमर से हटा दी फिर बोला- नाड़ा ढीला करके पेटीकोट नीची करो, यह कूल्हे पर ही लगेगा।

कुसुम थोड़ी सी पेटीकोट नीचे खिसका दी।

वो बोला- मैडम, इतने से काम नहीं चलेगा, यह टीका मोटी मांसल जगह पर ही लगता है।

पर कुसुम ने यह बात अनसुनी कर दी।

दोस्त बोला- ओफ़ हो ! अब कंपोंडर से क्या शर्माना?

मैंने भी कहा पर कुसुम संकोच में थी तो उसने पेटीकोट थोड़ी सी और सरका ली।

मेरा दोस्त झुंझला कर बोला- यार तुम करो ! यह तो नहीं मान रही है।

मुझे लिखते हुए शर्म आ रही है कि मेरी अंदर की वासना की आग सुलगने लगी और मैंने कुसुम का पेटीकोट का नाड़ा पकड़े हुए उसके दोनों नितम्बो के नीचे कर दिया, फिर उसके नितंब या कूल्हे पूरे नंगे हो गये थे।

वो कसमसाई, दोस्त भी बोला- यार, इतने की जरूरत नहीं है !

क्योंकि कूल्हे पूरे नंगे हो गये थे।

मैंने कहा- यार जल्दी लगा दो ! मैं तो चाहता हूँ कि मेरी जान को तकलीफ ना हो !

उसने बहुत सफाई से इंजेक्शन लगाया तब भी वो जोर से चिल्लाई। फिर स्प्रिट का फाहा लगा कर मसलने लगा इससे कुसुम हिलते हुए नग्न कूल्हे बहुत उत्तेजक लग रहे थे।

इस तरह इंजेक्शन लग गया, मेरी बीवी की भी शर्म भी कम हो गयी और मैं दोस्त की मौजूदगी में बीवी को अर्धनग्न अवस्था में देख रोमांचित होता रहा।

मै और कुसुम इंजेक्शन लगने के थोड़ी देर बाद अपने घर की ओर चल दिये। और जाते समय अपने दोस्त को बोला आज शाम को घर आ कर अपनी भाभीजी के इंजेक्शन लगाने आ जाना।

जारी है…..

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