You dont have javascript enabled! Please enable it! कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश - Update 19 - KamKatha
कर्ज और फर्ज एक कश्मकश - Erotic Family Sex Story

कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश – Update 19

आप नाराज़ तो नही है ना मुझसे” कुसुम ने मेरी आंखों में झांककर पूछा

“अरे कैसी बात कर रही हो, हमारी बेटी रिंकी से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट और कुछ भी नही ” मेरे लिए कहा

और फिर हम दोनों जन एक दूसरे की बाहों में आराम से सो गए।

इधर रिंकी सोच रही थी।

पहला कि अपने पापा से खुलकर बात करना ताकि उनकी झिझक खत्म हो
दूसरा उन्हें मेरे बदन की झलकियाँ दिखाकर उनके होश उड़ाना
तीसरा की उन्हें पूरी तरह काबू में लाकर वो सब हासिल करना जो पहले वो ट्रेन में चाहते थे पर अब मैं चाहती हूं,

रिंकी जानती थी कि उसे ये सब करने के लिए बड़ी मेहनत करनी होगी और थोड़ा धैर्य रखना होगा वरना बात बिगड़ सकती है, इसी तरह अपनी प्लानिंग करते करते उसे नींद आ गयी थी।

अगले दिन मै सोकर लेट उठा, मेरी रात की खुमारी अभी तक उतरी नही थी, मै बाथरूम में जाकर फ्रेश हुआ और तकरीबन आधे घण्टे बाद नाश्ता करने के लिए हॉल की तरफ चल पड़ा, हॉल में जाकर मैने देखा कि वहां सिर्फ और सिर्फ कुसुम ही बैठी चाय की चुसकियाँ ले रही थी, कुसुम को वहां अकेला देख मुझे थोड़ी हैरानी हुई क्योंकि अभी 8:30 बजने को हुए थे पर रिंकी जो अक्सर स्कूल के लिए अब तक तैयार हो जाया करती थी , उसका कोई नामो निशान ही नज़र नहीं आ रहा था,

“अरे कुसुम, आज हमारी बेटी रिंकी दिखाई नहीं दे रही, तबियत तो ठीक है उसकी, स्कूल नही जाएंगी क्या आज” मैने कुसुम के पास ही टेबल पर बैठता हुआ पूछने लगा।

“आप तो सचमुच पागल होते जा रहे है, आपको तो ये भी ध्यान नहीं कि आज संडे है, इसीलिए रिंकी आराम से सो रही है” कुसुम थोड़ी हंसती हुई हुई बोली

“अरे हां, माफ करना मुझे ध्यान ही नही रहा, कब संडे है और कब मंडे” मै भी अपने कप में पास रखे हुए थर्मस से चाय डालते हुए बोला

“हां तो फिर इतना काम करने की ज़रूरत की क्या है, किसी चीज़ का ध्यान नही रखते, न सेहत का ना खाने पीने का” कुसुम थोड़ी तुनकती हुई बोली

“अरे यार, सेहत तो मेरी चंगी भली है, तुमने तो कल रात ही पूरी परख की है, कहो तो दोबारा दिखा दूँ कि मेरी सेहत कैसी है,ह्म्म्म” मैने कुसुम की हथेलियों पर अपना हाथ रखते हुए बोला

“हे भगवान, आप तो बिल्कुल बेशर्म होते जा रहे है, कल रात से जी नही भर क्या जो सुबह उठते ही दोबारा चालू हो गए” कुसुम भी हल्के हल्के मुस्काते हुए बोली

“क्या करूँ जान, तुम चीज़ ही ऐसी हो कि जितना चखो कभी मन ही नही भरता ” मै अपने होठों पर जीभ फिराता हुआ बोला।

“अच्छा जी, रात की चुदाई बाद अब मैं अच्छी हो गई, दो दिन पहले झगडा करने के बाद तो नज़र उठाकर भी नही देखते और अब बोलते हो कि एक पल भी नही रह जाता, हम्म्म्म” कुसुम भी अब पूरी तरह खेल में शामिल हो चुकी थी

“अरे यार, क्या बताऊँ अब, उस गलती के लिए मैं माफी चाहता हूं, प्लीज़ जान माफ करदो ना” मैने कुसुम के हाथों को मसलते हुए बोला

“ऐसे कैसे माफ कर दूँ, इसकी सज़ा तो आपको मिलेगी ही” कुसुम अपने होठों पर मुस्कान लाते हुए बोली।

“चलो भई, तुम जो सज़ा दोगी हम स्वीकार कर लेंगे” मै बोला

“ऐसे नहीं पहले वादा कीजिये कि जो मैं कहूँगी, वो आप करोगे” कुसुम चहकते हुए बोली

“चलो ठीक है, तुम जो कहोगी, मैं करूँगा,अब खुश” मै हँसते हुए बोला

“तो सुनिए, पिछले दो महीने से आपने एक दिन भी पूरा घर पर नही बिताया है” कुसुम बोली

“अरे पर …..???” मैने थोड़ा परेशान होकर बोला

“वो सब मुझे नही पता, आपने वादा किया है, अब आप मुकर नही सकते वरना मैं आपसे नाराज़ हो जाऊंगी” कुसुम ने नज़रे फेरते हुए कहा

“चलो भई, अब तुमने कह ही दिया है तो ठीक है, वैसे भी तुम्हारी बात टालने की हिम्मत किसमे है, इसी बहाने मैं दिन रात तुम्हारे पास रहूंगा ओर फिर……..” मैने कुसुम को हाथ थोड़ा जोर से दबाते हुए कहा

“ज्यादा खुश मत होइए, मैने इसके लिए आपको नहीं रोका है, मैं तो बस अपनी बच्ची रिंकी की खातिर आपको रुकने के लिए बोल रही हूं ताकि आप उसके साथ अच्छा टाइम स्पेंड कर सके, कुसुम ने हँसते हुए कहा

“चलो ठीक है फिर ये तय रहा, मैं आज कही नही जाऊंगा, अब खुश” मै बोला

“बहुत खुश” कुसुम ने भी खुशि से जवाब दिया

हम दोनों अभी बाते कर ही रहे थे कि रिंकी अपने कमरे से आती हुई दिखाई दी,।

“”रात भर रिंकी अपने पापा के ख्यालो में खोई थी और आखिर में अपने पापा के नाम की उंगली कर आराम से सो गई थी, सुबह उठकर वो थोड़ा फ्रेश हुई और एक पतली सी पजामी और झीनी सी पारदर्शी ड्रेस डालकर सीधा मेरे पास आ गई””

“अरे पापा, आप अभी तक कॉलेज नही गए” रिंकी ने हैरान होकर पूछा

“नही रिंकी , वो आज sunday की छुट्टी है” मैने सामान्य होकर जवाब दिया, अब मेरी झिझक काफी हद तक कम हो चुकी थी

“अरे वाह, ये तो बड़ी अच्छी बात है, इसी बहाने मुझे आपके साथ टाइम स्पेंड करने का समय मिल जाएगा…मेरे मतलब है हमें….” रिंकी के चेहरे पर खुशि साफ झलक रही थी।

“चलो रिंकी, आकर नाश्ता कर लो, कुसुम ने रिंकी से कहा और किचिन की तरफ चल पड़ी

रिंकी सीधी आकर मेरे बाजू में बैठ गयी, रिंकी ने बेहद ही झीनी सी पारदर्शी ड्रेस पहनी थी जिसमे से उसकी घाटी के नजारे साफ देखे जा सकते थे, रिंकी ने इस बात का फायदा उढाने की चाल सोची, वो झुक कर अपने कप में चाय डालने लगी, उसके इस तरह आगे की ओर झुकने से
रिंकी की छाती मेरे काफी करीब आ गई और मेरी नज़रे न चाहते हुए भी उसकी टीशर्ट के अंदर ब्रा में कैद मुलायम मम्मों पर अटक गई,

मुझे ऐसा लग रहा था कि रिंकी के मम्मे बरसों से पिंजरे में क़ैद कबूतर की तरह थे जो आज़ाद होने के लिए फडफडा रहे थे, रिंकी उस रूप में सेक्स की देवी लग रही थी, उसका यौवन उसकी ड्रेस में से ही कहर ढा रहा था,उसकी छतियो के बीच की घाटी जानलेवा थी,दिल थाम देने वाली ‘कातिल घाटी’ , उसका नव यौवन कयामत ढा रहा था ,जाने अंजाने वो मेरी साँसों में उतरती जा रही थी।

जानलेवा नज़ारा देख मेरा रोम रोम रोमांचित हो उठा था, मेरे सारे शरीर मे मीठी मीठी टीस सी उठ रही थी, अब मुझसे और बर्दास्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था, ये खतरनाक मंज़र देख मेरा लंड बगावत पर उतर आया, मैने तुरंत अपने दिमाग को झटक कर अपना ध्यान भटकाने की कोशिश की पर हर बार मेरी आंखें इज़ाज़त मानने से इनकार कर देती और तुरंत उस नज़ारे को खुद में समाने के लिए उसी ओर उठ पड़ती,

“क्या हुआ पापा ,आप क्या देख रहे हो” रिंकी ने जानबूझकर मुझे यानी अपने पापा को छेड़ने के लिए कहा जबकि वो खुद जानबूझकर मुझे अपनी घाटी का दर्शन दे रही थी
“कककककक…..कुछ…भी तो नही……वो ….वो….मैं” अचानक रिंकी के इस तरह पूछने से मै थोड़ा सा घबरा गया पर मैने तुरंत खुद को संभाल लिया।

रिंकी बेटी sorry.

‘पापा डोंट से सॉरी…माफ़ी तो मुझे आपसे माँगनी चाहिए. आप क्यूँ सॉरी बोल रहे हो…आफ्टर ऑल द थिंग्स यू डिड फॉर मी…मैंने आपकी बिना बात पर ही इतना ओवर-रियेक्ट कर दिया. सो आई एम सॉरी पापा…प्लीज़ फोर्गिव मी..?’ रिंकी ने एक ही साँस में बोलते हुए मुझसे मिन्नत की.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैने असमंजस भरी नज़रों से रिंकी की आँखों में देखा और फिर कहने की कोशिश की,

‘आपने ओवर-रियेक्ट नहीं किया. बात ही ऐसी कह दी थी के आप हर्ट हो गए. प्लीज़ लिसेन (सुनो) टू मी फॉर अ सेकंड.’

‘नहीं पापा…मैं नहीं सुनूंगी…आपने मुझे हर्ट नहीं किया ओके? मैं ही आपको नहीं समझ सकी…आप ने मुझे हमेशा एक फ्रेंड की तरह बल्कि उस से भी बढ़कर ट्रीट किया और इतना ख्याल रखते है मेरा ताकि आई कैन एन्जॉय माय लाइफ …और मैंने आपको एक छोटी सी बात के लिए इतना बुरा-बुरा कह दिया…सो आई शुड बी सेयिंग सॉरी…’रिंकी मेरी कोई बात सुनने को राज़ी नहीं थी.

‘छोटी सी बात थी वो…’ मैने फिर कहने का प्रयास किया.

‘पापा नो…डोंट से अ वर्ड……’ रिंकी ने फिर से मेरी बात काट दी. अब मै चुप हो गया और समझ नहीं पा रहा था कि अचानक रिंकी को यह क्या हो गया है और उसके तेवर बदल कैसे गए .

‘पापा?’ रिंकी ने इस बार मुझे दुलार कर कहा.

‘रिंकी..?’ मैने उसकी बदली आवाज़ सुन सधी हुई सवालिया नज़र से उसे देखा.

‘प्लीज़ बिलीव मीं…विश्वास करो मेरा, आई एम रियली सॉरी ना…आपकी कोई गलती नहीं थी.’ रिंकी मेरे करीब आ खड़ी हो गई थी. बैठे हुए मैने अपनी नज़र उठा उसकी आँखों में देखा और एक पल बाद धीमे से हाँ में हिला दिया.

‘ओके रिंकी.’ मैने हौले से कहा.

रिंकी ने मेरी बात सुन मेरी ओर अपना हाथ बढ़ाया और मुस्का दी, मैने भी धीमे से मुस्कुरा कर थोड़े संकोच के साथ उसका हाथ थाम लिया जिसपर रिंकी आगे बढ़ मेरी गोद में बैठ गई.

आई मिस्ड टॉकिंग टू यू पापा…एंड आई एम रियली सॉरी.’ रिंकी ने प्यार से मुहँ बना कर उनसे अपनी माफ़ी का इज़हार एक बार फिर कर दिया ‘प्लीज़ फोर्गिव मी?’

‘आई मिस्ड टॉकिंग टू यू टू डार्लिंग.’ मैने कहा, पर रिंकी ने मेरे संबोधन पर कोई आपत्ति नहीं जताई ‘प्रॉमिस करो कि फिर मुझसे कभी नाराज़ नहीं होओगी.’ मै रिंकी का बर्ताव देख अपने से सटाते हुए आगे बोला.

‘आई प्रॉमिस पापा…’ रिंकी ने मुस्कुरा कर हाँ भर दी थी और मेरा लंड खुश हो एक बार फिर उछल कर खड़ा हो गया.

ओह थैंक यू पापा” रिंकी मेरी गोद मे ही बैठे हुए अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन के दोनों ओर लपेट लिया

इस तरह अचानक और बेपरवाह होकर मुझसे भूरपूर तरीके से चिपटने से रिंकी के मम्मे मेरी छाती से जा टकराये, रिंकी के इस तरह गोद मे बैठने की वजह से मै थोड़ा असहज हो गया ।

पर मेरे जिस्म में सर से ले कर पैर तक एक अजीब सी मस्ती की लहर दौड़ गई, ऊपर से रिंकी के जवान जिस्म से आती मादक गंध ने तो मेरे होश ही उड़ा दिए, आज मैने पहली बार रिंकी के जवान होते बदन पर नज़र डाली थी, रिंकी लगभग इसी साल 18 की हुई थी, दिखने में वो कुसुम की तरह ही खूबसूरत थी, वही तीखे नैन नक्श, दमकता गोरा चिट्टा चेहरा और गुलाबी रसीले होंठ, छोटे छोटे अमरूद जैसी सुंदर सुंदर चुचियाँ, पतली गोरी कमर, उभरी हुई गांड, भरी मांसल जाँघे और उसके कच्चे यौवन की मादक खुशबू मुझे धीरे धीरे उत्तेजित करने लगी थी,

मेरा फनफनाता लंड मेरी पैंट में सर उठाने लगा था, रिंकी की छोटी सी कैपरी से झांकती उसकी खूबसूरत पिंडलियों ने तो मेरे दिमाग का फ्यूज़ ही उड़ा कर रख दिया था, मै अपनी भावनाओं पर काबू करने की नाकाम सी कोशिश कर रहा था, पर मेरा लंड तो बस जवान जिस्म का सामीप्य पाकर उसके आपे से बाहर होने लगा था,

“अच्छा तुम्हे क्या चाहिए रिंकी” मैने ध्यान बटाने के लिए उसकी ओर देखकर पूछा

“मुझे तो नया फोन चाहिए पापा” रिंकी खुश होती हुई बोली

“ज़रूर तुम्हे भी तुम्हारा गिफ्ट मिलेगा, पर पास होने के बाद” मै बोला

मै लगातार अपना ध्यान बटाने की कोशिश कर रहा था पर मेरा लंड तो आज मनमानी पर उतर आया था, रिंकी भी नासमझी में अपनी गांड को हिला हिलाकर मुझसे बाते किये जा रही थी,

इसका नतीजा ये हुआ कि अचानक रिंकी की छोटी सी चुत सीधा मेरे उठे हुए लंड से थोड़ा सा रगड़ गई, अपनी चुत पर लंड के इस अहसास से रिंकी की हल्की सी आह निकल गई पर इसने उसे मुझ पर ज़ाहिर नही होने दिया, ।

आज पहली बार किसी लंड को अपनी अनछुई छोटी सी चुत के इतने नज़दीक पाकर रिंकी के बदन में एक मीठी सी टीस उठ पड़ी,

रिंकी के इस तरह हिलने से बार बार मेरा लंड रिंकी की चुत से कैपरी के ऊपर से ही रगड़ खा रहा था, मै बार बार अपने लंड को एडजस्ट करने की कोशिश करता ताकि रिंकी को मेरे खड़े लंड का आभास ना हो पर बार बार मेरा लंड होले से उसकी चुत पर रगड़ जाता,

रिंकी तो अब मजे के मारे हल्की हल्की आहें भर रही थी, अचानक उसने अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही झटका दिया जिसकी वजह से मेरा लंड सीधा जाकर उसकी चुत के मुहाने पर कैपरी के ऊपर से ही अटक गया, अगर आज हम दोनों के कपड़े न होते तो मेरा लंड सीधा रिंकी की चुत में घुस चुका होता, रिंकी इस मजे को सह नही पायी और उसकी चुत से कामरस की बूंदे निकलकर उसकी पैंटी को भिगोने लगी।

थोड़ी देर बाद मुझे किचिन से बाहर निकलकर हॉल की तरफ आती हुई कुसुम दिखने लगी,

जब कुसुम की नज़र हॉल में बैठे हुए मेरी तरफ गयी और रिंकी को मेरी गोद मे देखकर तो जैसे कुसुम के तन बदन में आग सी लग गयी,

” उफ़्फ़ ये रिंकी की बच्ची कैसे अपने पापा की गोद मे जमकर बैठी है, हाय कितना मज़ा आ रहा होगा इसको अपने पापा को छूने पर, काश इसकी जगह मैं होती, हाय्य मैं तो अपनी गांड की गोलाइयों को अरुण के लन्ड से सटा देती , उन्हें अपने शरीर की खुशबू से पागल ही बना देती, उफ़्फ़ क्या मादक नज़ारा होता वो, मैं अपने प्यारे पति की गोद मे बैठकर उनके तने हुए लंड पर अपनी गांड मटकाती और वो अपने हाथों से मेरे इन प्यारे मम्मों को जी भरकर मसलते, इससस्स मैं तो मजे से पागल ही हो जाती, पर अब तो ये रिंकी की बच्ची ने मेरी जगह हथिया ली है, नहीं नहीं वो सिर्फ मेरी जगह है, वहां बैठने का हक़ सिर्फ मुझे ही है”

कुसुम अपने मन ही मन में सोचती हुई नास्ते की टेबल की ओर बढ़ती आ रही थी।

“ए रिंकी की बच्ची, पापा की गोद में क्यों बैठी है तू, बेअक्ल सीधा उनकी गोद मे जाकर उन्हें और परेशान कर रही है, चल नीचे उतर जल्दी से” कुसुम ने थोड़े गुस्से में आकर रिंकी को कहा,

कुसुम को अपनी सगी बेटी रिंकी जिसे उसने अपनी कोख से पैदा किया है उससे जलन सी महसूस होने लगी,

जारी है……

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