You dont have javascript enabled! Please enable it! कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश - Update 18 - KamKatha
कर्ज और फर्ज एक कश्मकश - Erotic Family Sex Story

कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश – Update 18

’अब मै भी अपने दुस्साहस को लेकर असमंजस में फंसते जा रहा था. लेकिन आखिर में मैने सोचा कि ‘अब जब ओखली में सिर दे ही दिया है तो मूसलों का क्या डर…देखा जाएगा जो होगा, जो योजना बनाई थी उसे तो अब पूरा अंजाम देना ही है…’ और नहा कर बाहर आया।

मेरे अंदर अपनी साली जूली के जिस्म को भोगने का भूत जो सवार है।

मै नहाकर तैयार होकर आंगन में रखी कुर्सी पर बैठ गया कुसुम भी मेरे पास बैठी थी, मेरे लंड दर्शन करने के बाद से जूली किचिन में से बाहर ही नही आ रहा थी। तभी कुसुम ने आवाज लगाई।

जूली नास्ता रेड्डी हो तो ले आ, बेटा तेरे जीजू और मुझे घर निकलना है,

मेरी सास बोली पता नही इस जूली को क्या हो गया है किचिन के कोने मे गुमसुम
बैठे हुए है। कुसुम बोली शादी से पहले यही हाल होता है अपने होने वाले की याद कर रही होगी। हाहाहा हाहाहा

मै मन ही मन बोला
मै अभी जो जूली को अपना लंड दर्शन दिया था ये उसका कमाल है।

मेरी सास चाय नास्ता लेकर आई और हम खा पीकर अपने घर की ओर चल दिये। मेरी और जूली की कोई मुलाकात नही हुयी। कुसुम के रहते मैने ज्यादा कोशिश भी नही की।

मै कुसुम को बैठा कर बाइक से अपने घर की ओर निकल पड़ा। थोड़ी देर बाद कुसुम बोली अरुण तुम तो कह रहे थे बाइक पंचर हो गयी थी पर ये तो ठीक है।

मै समझ गया अब झुठ बोलने से कोई फायदा नही है और सच बताने में ही भलाई है।

मै बोला कुसुम हमारी रिंकी बेटी हम दोनों से गुस्सा है और मैने कुसुम को रात की पूरी बात बता दी।

कुसुम—- हाहाहा हाहाहा ओह अब मुझे यकीन हुआ रिंकी मुझसे भी एक कदम आगे है, आप टेंशन ना लो मै घर पहुँचकर सब ठीक कर दूँगी।

मै— Thank God ये सुनकर मुझे अब तसल्ली हुई।

कुसुम– अरुण गाड़ी जरा सब्जी वाले ठेले पर रोकना मुझे कुछ सब्जिया लेनी है।

मैने सब्जी के ठेले पर गाड़ी खड़ी कर दी।
कुसुम उतरकर सब्जी लेने लगी। मै गाड़ी को थोड़ा साइड में लगाने लगा।

मैने थोड़ी दूर से देखा तो कुसुम के नितंब पर से साड़ी काफी नीचे खिसक गयी थी जिससे उसकी पैंटी की हरी रंग की इलास्टिक दिख रही थी। कुसुम के बड़े बड़े नितंब को देखकर हर कोई आने जाने वाला देखते हुए मजे लेते हुए जा रहा था।

दूसरी साइड पर लगे ठेले वाले कुसुम उठी हुई गांड और पैंटी की हरे रंग की इलास्टिक को देखकर चिला रहे थे।

“” हरी हरी मिर्ची ले लो, एकदम हरी “”

मै ये सब नजारा देखकर मै कुसुम के पीछे खड़ा हो गया जिससे कुसुम की बड़ी सी गांड ढक गयी।

सब्जी के ठेले पर खड़ी होकर उससे बहस कर रही थी। कुसुम ने हाथ में एक लंबा और मोटा सा बेगन पकड़ा हुआ था। कुसुम के बेगन पकड़ने की style मै शॉकड हो गया।

जैसे कुसुम कोई लंबा और मोटा लंड अपने नरम और मुलायम हाथो में थामे हो, उसके हाथ का अंगूठा बेगन के मुह पर दबा हुआ था, ऐसा लग रहा था जैसे कुसुम लंड के सुपाडे को अंगूठे से दबाये हो।

ठेला वाला— भाभी जी आपके हाथ में जो है उससे बड़ा और लंबा भी मेरे पास आप कहो तो मै दिखाऊ,

कुसुम– हा भैया दिखाओ ना जितना मोटा और लंबा होगा उतना ही ज्यादा उसमे गूदा भरा होगा, और खाने में स्वाद भी आयेगा।

मै ठेले वाले की बातें सुनकर समझ गया ये भोसड़ी का मेरी बीवी का भाभी जी बोलकर मजे ले रहा है।

मै— कुसुम ये तुम इतने लंबे और मोटे बेगन क्यो ले रही हो, मुझे बेगन बिल्कुल पसंद नही है।

मेरी बात खतम ही नही हुई थी कि ठेले वाला बीच में बोल पड़ा।

भैयाजी ये इतने लंबे और मोटे बेगन आपको पसंद नही है लेकिन भाभीजी को कुछ ज्यादा ही पसंद है, देख नही रहे आप कितने अच्छे इतने लंबे और मोटे बेगन पसंद किये है।

कुसुम— अरे अरुण आज मसाला बेगन बनाउगी हमारी रिंकी बेटी को इतने लंबे और मोटे बेगन मसाले भरे हुए सब्जी बहुत पसंद है और वो खूब प्यार से खाती है।

मै चुप हो गया और कुसुम से कहा ठीक ठीक है पर जो लेना हो जल्दी ले लो, देर हो रही है।

हमारी बातें सुनकर ठेले वाला बोला– भाभीजी ये खीरा भी ले लो। मेरे ये छोटे और मीठे खीरे आपकी बिटिया को ख़ाने मे जरूर पसंद आयेंगे।
तभी मै कुसुम से बोला लेना है क्या,
कुसुम– हा, दे दो भैया।

फिर हम सब्जी खरीद कर गाड़ी की तरफ चल दिये।

तभी पीछे से एक ठेला वाला बोला भाभीजी मूली भी ले लो, मेरी मूली पतली और लंबी जरूर है पर खाने में बहुत अच्छी है मुह में लेते ही मजा आ जायेगा।

कुसुम— अरुण रुको जरा इसकी मूली भी देख लेती हूँ, और उस ठेले वाले के पास जाकर मूली छटने लगी।

भैया तुम्हारी मूली पतली और लंबी जरूर पर है बिल्कुल फ्रेश।

ठेले वाला— भाभीजी वो क्या है ना अभी मेरी मूली बड़ी और मोटी हो रही थी पर मैने उसे होने नही दिया। क्योकि मूली ज्यादा मोटी और लंबी हो जाये तो उसमे मजा नही रहता और मुह में वो स्वाद भी नही आता है।

मै– ठीक है बहुत हो गया अब जल्दी से पैक करो।

हम दोनों बातें करते हुए घर पहुँच गए, कुसुम बोली अंदर चलिए, मैने कहा तुम जाओ वैसे भी मेरा ड्यूटी टाइम हो गया है, और वो रिंकी से मुझे डर लग रहा है, उसने मुझे तुम्हारे साथ देख लिया तो मेरे ऊपर फिर से भड़क जायेगी।

कुसुम— हाहाहा हाहाहा आप भी ना कुछ भी बोलते हो। ठीक है तो फिर शाम को मिलते है। मै सीधा कॉलेज की ओर निकल गया। कॉलेज में मैने जूली को दस बारह बार फोन लगाया पर जूली ने कोई कोल recived नही किया और मेरी उससे कोई बात नही हो सकी। मेरा जूली की चुदाई का भूत उतरने लगा।

मुझे समझ आ गया मेरा सुबह का लंड दर्शन कर जूली डर गयी या उसे मेरा लंड पसंद नही आया। इसी उधेड़ बुन में शाम हो गयी और मै कॉलेज से घर की ओर चल दिया।

समय अपनी रफ्तार से चलता रहा, देखते ही रात हो गयी मुझे घर जाने में बड़ी उलझन सी लग रही थी। जैसे जैसे घर नजदीक आता जा रहा था, मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी,

मुझे अपनी बेटी रिंकी का सामना करने की हिम्मत नही हो पा रही थी।

शायद उसकी वजह मेरा रात का वो भयानक खाबाव था जिसमे मेरी बेटी रिंकी मेरे काले मोटे मूसल जैसे लंबे लंड को अपने नरम मुलायम हाथो से थामे मुझसे कह रही थी।

“” I agree पापा मान जाना “”

मै अपनी बेटी के साथ होने वाली अनहोनी से बचने के लिए घर देर से जाने की सोच रहा था। मैने सोचा आज दोस्तो के पास जाया जाये और थोड़ा मूड फ्रेश कर एंजॉय किया जाये।

रात के 9 बजे कुसुम ने फोन किया।

कुसुम– कहा हो आप, इतनी देर क्यो हो रही है।

मै– दोस्तो के साथ बैठा हूँ, उसकी birth day पार्टी थी। बस आधे घंटे में आता हू, तुम खाना खा लो, मै खा लिया हू।

कुसुम— ठीक है।

मै कुसुम से झूठ बोलकर होटल में खाना खा कर रात दस बजे घर पहुँच गया। हॉल में पापा tv देख रहे थे, रिंकी अपनी दादी के साथ कमरे में थी और कुसुम किचिन में बचा हुआ काम खतम कर रही थी।

“” हर मिडिल क्लास फैमिली के घर ज्यादा बड़े नही होते है, और आपस में अनबन होने पर भी घर के लोगो को एक दूसरे की शक्ल
देखना मजबूरी होती है। “”

मेरी और मेरी बेटी जूली की भी यही मजबूरी थी, मै अपनी बेटी से छिपने की कोशिश कर जरूर रहा था पर ये सब बेकार था।

मुझे देखकर मेरे पापा ने मुझे हॉल में बैठकर बात करने को कहा।

मैने हाथ मुह धोकर हॉल में आकर बैठ गया, और पापा से बात करने लगा।

पापा– अरुण बेटा अब तेरी साली जूली की शादी अगले महीने है तो तेरा भी फर्ज बनता है तुम भी अपनी साली जूली की शादी में कुछ मदद करके अपने सास ससुर की थोड़ी मदद करो। और अपने दमाद् होने का फर्ज निभाओ।

मै— हा पापा sure. मै तो जूली को शादी से पहले बहुत कुछ देना चाहता हूं, बस उसी बारे में plan बना रहा था।

मै पापा से बात करते हुए मेरी नजर रिंकी के कमरे में बार बार जा रही थी, मुझे पता नही क्यो रिंकी को देखने की ललक हो रही थी। मैं सोफे से उठकर हॉल में टेहलने लगा, और दबे पाँव रिंकी के कमरे के बाहर खड़े होकर अंदर झाँकने लगा।

अंदर का नजारा देख मेरे होश उड़ गये, रिंकी चश्मा पहनकर एक ढीली सी बनियान पहने कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही थी। जिसमें रिंकी के साइड से गोरे गोरे छोटे छोटे, सुडॉल् भरे हुए स्तन साफ दिख रहे थे। एक स्तन की छोटी सी गुलाबी निप्पल जो उसके स्तनों में से अभी उग रही थी। साफ नजर आ रही थी, ब्रा नही पहने थी।

मै ये दृश्य देखकर शोकड हो गया। मै समझ गया ये मेरी बेटी जूली पूरी तरह से अपनी मम्मी और पत्नी कुसुम पर ही गयी है। ये भी अपनी मम्मी कुसुम की तरह रात को सोने से पहले ब्रा नही पेहनति है।

दरवाजे पर मेरे पैरो की आहट सुनकर रिंकी ने गेट की ओर देखा जैसे ही हमारी निगाहें मिली।

मेरा लंड अकड़ने लगा और मै तुरंत अपने बेडरूम में चला गया।

कुसुम ने बर्तन साफ किये और बाकी छोटा मोटा काम खत्म करके रूम में आ गयी,

कुसुम ने कमरे के अंदर आकर अपनी साड़ी उतारी और उसने अपनी ब्रा भी निकाल दी और टीशर्ट पहन ली।

वैसे तो कुसुम लगभग 35 साल की है पर उसने अपने आपको बिल्कुल मेंटेन किया हुआ है दिखने में लगभग 25-26 साल की महिला ही लगती है, कसा हुआ बदन, तीखे नैन नक्श, कजरारी आंखे, सांचे में ढली हुई कमर, भारी नितम्ब और सुडौल जाँघे , जिन्हें देखकर कोई भी दीवाना हो जाये।

“आज बहुत खूबसूरत लग रही हो तुम” मैने उसकी ओर देखकर कहा

“मैं तो हमेशा जैसी लगती हूं वैसी ही हूँ” कुसुम ने जवाब दिया

“पर आज तुम कुछ अलग सी लग रही हो” मैने मादक आवाज़ में कहा

“हम्म्म्म, चलो कभी तो आपने ध्यान दिया, वैसे आज क्या अलग रह है आपको मुझमे” कुसुम ने इठलाते हुए कहा और आकर मेरे साथ बेड पर लेट गयी

“पता नहीं पर आज तुम्हें देखकर मन में अजीब से ख्याल आ रहे है” मैने ट्यूबलाइट के स्विच बन्द करते हुए कहा…अब सिर्फ टेबल लैंप की हल्की हल्की रोशनी हो रही थी

“और वो अजीब से ख्याल क्या हैं भला” कुसुम भी अब मेरी मंशा समझ चुकी थी और सच पूछो तो वो तो तीन चार दिनों से इसके लिए तड़फ रही थी पर आज मेरी बदले मूड को देखकर उसके शरीर मे चींटिया सी रेंगने लगी

मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम्हे कच्चा ही खा जाऊं, क्योंकि आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो” मैने कुसुम की tshirt के अंदर हाथ डालते हुए कहा

“अच्छा अगर हिम्मत है तो खाकर दिखाइए ” कुसुम ने इतराकर जवाब दिया

अब मैने टीशर्ट के अंदर से ही उसकी खरबूजे जैसी चुंचियो को अपने हाथों में भर लिया और तुरंत उसके ऊपर आकर उसके होठों को चूमने लगा, तीन दिनों के बाद अपने पति के स्पर्श से कुसुम एकदम से उत्तेजित हो गयी, उसके निप्पल हार्ड होकर तन गए मै बीच बीच में अपनी अंगुलियों से उसके निप्पलों को कुरेद देता जिससे कुसुम के शरीर मे आनन्द की एक लहर सी दौड़ जाती, अब हम दोनों पागलो की तरह एक दूसरे को चूम रहे थे, मैने अपने मुंह से कुसुम की जीभ को पकड़कर चूसता ओर कुसुम भी ठीक वैसा ही करती,

मेरा लन्ड अब तनकर बिल्कुल खड़ा हो गया था जो कुसुम की जांघो के बीच आ रहा था
मुझे अब बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था ,,
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मैने पलक झपकते ही कुसुम की टीशर्ट और नाइटी को उसके शरीर की गिरफ्त से आज़ाद कर दिया , अब कुसुम एक छोटी सी पैंटी में थी जिसमे उसके भारी भरकम नितम्ब बड़ी मुश्किल से समय हुए थे, मैने उसकी पैंटी की इलास्टिक में अपनी अंगुलिया फ़साई और एक झटके में उसे निकालकर फेंक दिया, आज तीन दिन के बाद मैने उसकी चुत के दीदार किये थे

कुसुम हमेशा अपने शरीर की साफ सफाई करती थी, हालांकि उसे चुदाई किये हुए तीन दिन ही बीते थे पर फिर भी वो रेगुलरली अपनी चुत के बालों की सफाई करती रहती थी।

मैने जब उसकी गुलाबी चुत को देखा तो सब्र का बांध टूट गया, मै कुसुम की प्यारी सी चुत पर पागलो की तरह टूट पड़ा और उसे अपने मुंह मे भरकर चूसने लगा, कुसुम की चुत से निकलती मादक खुसबू मेरे नथुनों में भर गई,

तीन दिनों बाद अपनी चुत पर मेरे होठों का स्पर्श पाते ही कुसुम के शरीर मे सिहरन सी दौड़ गयी, मैने अपना मुंह कुसुम की चुत में घुसा रखा था और अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चुचियों को मसल रहा था, इस दोतफ हमले के सामने कुसुम ज्यादा देर न टिक पायी और एक जोरदार अँगड़ाई के साथ उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया,

मै सारे पानी को अपनी जीभ से चाट गया, अब मैने अपनी जीभ को गोल करके मधु की चुत की गहराइयों में घुसाना शुरू किया, कुसुम तो जैसे जन्नत की सैर कर रही थी, उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ा और उसे अपनी चुत की तरफ धकेलने लगी, लगभग 10 मिनट के अंदर ही वो दोबारा झड़ गई,

अब मैने उसकी चुत पर से अपना मुंह उठाया और अपना पाजामे और टीशर्ट उतारना लगा, पाजामे उतरते ही मेरा लम्बे लन्ड स्पंज की भांति उछलकर कुसुम के चेहरे के सामने आ गया, कुसुम ने जब लंड को इस तरह ठुमकते हुए देखा तो उससे बर्दास्त न हुआ और उसने लपककर लंड को अपने मुंह मे भर लिया और अंदर ही अंदर उसके सुपाडे पर अपनी जीभ फेरने लगी, मुझको अपने लन्ड के इर्द गिर्द इतनी गर्माहट पाकर असीम आनन्द की अनुभूति होने लगी, मै कुसुम का सर पकड़कर अपने लंड को और अंदर घुसाने लगा, अब कुसुम का मुंह पूरी तरीके से मेरे लन्ड से भरा हुआ था,

थोड़ी देर इसी तरह लंड चुसवाने के बाद मैने अपना लन्ड बाहर निकाला और कुसुम की चुत के मुहाने पर सेट करके एक जोरदार धक्का दिया जिससे मेरा आधा लन्ड चुत के अंदर घुस चुका था, तीन दिनों से अनचुदी चुत में जब लन्ड का प्रवेश हुआ तो कुसुम के बदन में एक टिश सी उठी पर उसने अपने होंठों को बंद करके अपनी आवाज़ बाहर नही निकलने दी

मैने दोबारा अपने लड को थोड़ा बाहर निकाला और इस बार पूरी ताकत के साथ दोबारा चुत में घुसा दिया, मेरा पूरा का पूरा लंड चुत में घुस चुका था, इस बार कुसुम सम्भाल न सकी और उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गयी,

मैने अब ताबड़तोड़ धक्के लगाना शुरू कर दिया था, हर धक्के में मेरा लन्ड कुसुम की बच्चेदानी से टकरा रहा था,

कुसुम तो मजे के मारे दोहरी हो गयी, उसके मुंह से हल्की हल्की आवाज़े निकलनी शुरू हो गई,
उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस”
ओह्हहहहहह कितना तड़पाया है आपने……..ओह्हहहहहह ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़

इधर मेरी भी आवाजे शुरु हो गयी।
उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस”
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह कुसुम ऽऽऽऽऽऽऽ…आहऽऽऽऽऽऽऽ…कितनी खूबसूरत हो गई है हाय्य…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो क्या सूंदर चौड़ी गांड हो गयी है तेरी……ह्म्म्म”

ओह्ह ……आपको आज क्या हो गया है…..उन्ह्ह्ह्ह…कितना मज़ा आ रहा है…..हमेशा ऐसे ही चोदिये मुझे, आपसे चुद कर मैं तो मज़े से पागल हुई जा रही हूं, फाड़ दीजिये इस निगोड़ी चुत को, बुझा दीजिये इसकी प्यास ” अब कुसुम भी धीरे धीरे औकात में आती जा रही थी,।

मै लगातार ताबड़तोड़ धक्के लगाए जा रहा था, 20 मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद मै और कुसुम दोनों बुरी तरीके से झाड़ गए और कसकर गले लिपट गए, मैने अब हल्के हल्के कुसुम के होंठों को चूसना शुरू कर दिया था, थोड़ी देर बाद जब दोनों की वासना ठंडी हुई तो मै बोला।

“तुमने रिंकी बेटी का गुस्सा शांत किया की नही क्या वो अब भी हमसे नाराज है” मैने कुसुम से पूछा

“सच पूछिए तो वो आपसे गुस्सा नही है और ना ही नाराज है वो बहुत जिद्दी हो गयी है और मुझसे शायद रूठी है, i hope कल तक ठीक हो जायेगी” कुसुम थोड़ा दुखी होती हुई बोली

“पर क्यों वो तुमसे रूठी है तुमने पूछा नही” मैने हैरानी से पूछा

“आप भूल गए क्या, परसो जो सुबह सुबह ड्रामा हुआ था उसकी वजह से, पर आज मेरे हाथ की बनी मसाले वाले बेगन की सब्जी रिंकी खुशी से खा रही थी, so i tihnk रिंकी अब सुबह तक फिर से मेरी अच्छी बेटी बन जायेगी।

और कल वैसे भी sunday है आप भी घर पर रहेंगे तो कुछ आप भी रिंकी को प्यार से समझा देना ” कुसुम ने कहा

इधर रात में रिंकी अपने पापा को अपने करीब लाने कि योजना सोच रही थी, उसे एक बात तो बिल्कुल साफ हो गयी थी कि उसके पापा जानबूझकर उसके सामने आने में और उससे बाते करने से झिझक रहे हैं, ओर इसलिए रिंकी ने इरादा बना लिया था कि सबसे पहले उसे अपने पापा की झिझक खत्म करनी होगी, उन्हें यकीन दिलाना होगा कि वो उनसे नाराज़ नहीं है और ये करने के लिए उसे अपने पापा के साथ थोड़ा खुलना होगा, उनसे प्यार से आराम से बात करनी होगी,रिंकी रात भर इसी उधेड़बुन में लगी रही और फाइनली अपनी योजना को सफल बनाने के लिए उसने तीन पॉइंट डिसाइड किये।

पहला कि अपने पापा से खुलकर बात करना ताकि उनकी झिझक खत्म हो
दूसरा उन्हें मेरे बदन की झलकियाँ दिखाकर उनके होश उड़ाना
तीसरा की उन्हें पूरी तरह काबू में लाकर वो सब हासिल करना जो पहले वो ट्रेन में चाहते थे पर अब मैं चाहती हूं,

रिंकी जानती थी कि उसे ये सब करने के लिए बड़ी मेहनत करनी होगी और थोड़ा धैर्य रखना होगा वरना बात बिगड़ सकती है, इसी तरह अपनी प्लानिंग करते करते उसे नींद आ गयी थी।

जारी है…..

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