You dont have javascript enabled! Please enable it! कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश - Update 17 - KamKatha
कर्ज और फर्ज एक कश्मकश - Erotic Family Sex Story

कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश – Update 17

‘हर तरह से जूली को बहला चुका हूँ…पर आगे दीमाग में कोई तरकीब आ ही नहीं रही है…’ कुछ पल इसी तरह फ्रस्टरेट होते रहने के बाद मेरे लंड ने एक जोरदार हिचकोला खाया. यकायक मेरे चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी, ‘आह ये मैंने पहले क्यूँ नहीं सोचा…दीमाग नहीं…अब लंड की बारी है…’

मै ख़ुशी-ख़ुशी सो गया, आर या पार की लड़ाई का वक्त आ चुका था.

आज सूरज निकल आने के साथ ही मैने अपनी दिनचर्या के काम निपटाए । मैने मुहँ-अँधेरे आँख खुलने पर जो तरकीब सोची थी उसे इस्तेमाल करने की हिम्मत अभी तक नहीं हो रही थी. उस वक्त तो नींद में मैने फैसला कर लिया था लेकिन सुबह उठ जाने के बाद मेरे असमंजस और व्याकुलता बढ़ गए थे. एक मौका आ कर हाथ से निकल भी चुका था.

मैने मोबाइल में देखा सुबह की 6 बजने वाले थे, रिंकू अपने बिस्तर पर नही था। मैने छत से नीचे आंगन में झाँका तो जूली आंगन में खड़ी होकर पानी भर रही थी।

मै नीचे आ गया

गुड मॉर्निंग जूली

गुड मॉर्निंग जीजू

मैने पूछा सब लोग कहा गये है,

जूली— रिंकू अखबार बाटने गया है। मेरे मम्मी पापा रोज की तरह टेहलते हुए मंदिर गये है और आपकी प्यारी wife कुसुम दीदी भी उनके साथ चली गई है।

मैने सेक्सी style में मुस्काते कहा तुम नही गयी।

जूली बोली मै भी जा रही हूँ।

मैने कहा हमें भी अपने ले चलो अपने साथ।

जूली— वो हस्ती हुयी, सच्ची चलेंगे मेरे साथ सोच लो फिर मना मत करना,

मैने कहा तेरी कसम तुम्हारे साथ तो में नर्क में भी चलने के लिए तैयार हू।

जूली— ज्यादा लंबी मत छोड़ो, अभी तो में हगने (लैट्रिन) जा रही हूँ आ जाओ अंदर।

जूली हस्ती हुई बाथरूम में घुस गयी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा

मै— छि छि, हाहाहा हाहाहा हाहाहा।

जूली के बाथरूम में घुसने के बाद

मैने तेल की शीशी निकाली और बैठ गया. फिर मैने अपनी पेंट और अंडरवियर निकाल दिए व हाथों में तेल लेकर अपने काले लंड पर लगाने लगा लंड तो पहले से ही खड़ा था, अब तेल की मालिश से चमकने लगा था. एक दिन पहले ही नहाते वक़्त मैने अपने अंतरंग भाग पर से बाल (झांटे) भी साफ़ कर लिए थे, सो मेरे लंड के नीचे उनके अंडकोष भी साफ नज़र आ रहे थे.

कुछ देर अपने लंड को इसी तरह तेल पिलाने के बाद मैने उठ कर अलमारी में रखे एक्स्ट्रा तौलियों में से एक निकाल कर लपेट लिया . तेल की शीशी को भी यथास्थान रखने के बाद मै आंगन में कुर्सी पर जा बैठा और जूली के बाहर आने का इंतज़ार करने लगा.

जूली जब बाथरूम से बाहर आई तो मुझे (अपने जीजू को) कुर्सी पर बैठ अखबार देखते पाया. मै ऊपर तो शर्ट ही पहने हुए था लेकिन नीचे मैने एक टॉवल लपेट रखा था और पैर पर पैर रख कर बैठा था.
टॉवल बीच से ऊपर उठा हुआ था और मेरी टांगों के बीच मेरा लंड!’ नज़र आ रहा था.

जूली की आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा. जूली ने शायद अपनी सहेलियों के साथ गुपचुप खिखीयाते हुए एक दो पोर्न फ़िल्में देखीं होगी लेकिन असली लंड से उसका सामना पहली बार हुआ था और वह भी उसके जीजू का था. मेरे भीषण काले लंड को देख उसका बदन शरम और घबराहट से तपने लगा ।.

‘बस अभी नहाता हूँ…’ मैने जूली की तरफ एक नज़र देख कर कहा.

मेरा हाल भी जूली से कोई बेहतर नहीं था, दिल की धड़कने रेलगाड़ी सी दौड़ रहीं थी. लेकिन मैने अपनी पूरी इछाश्क्ति से अपने चेहरे के भाव नॉर्मल बनाए रखे थे. जूली के चेहरे का उड़ा रंग देख मैने झूठी आशंका व्यक्त की, ‘क्या हुआ जूली?’

क…क…कुछ…कुछ नहीं..जीजू…’ जूली ने हकलाते हुए कहा और पलट कर किचिन की तरफ चल दी.

मै उसे जाते हुए देखते रहा, उसकी पीठ मेरे तरफ थी । मैं ने अपनी नज़रें अखबार पर गड़ा लीं, उसी वक्त जूली ने एक बार फिर मुझे पलट कर देखा. मै अपनी साली के सामने अपने आप को यूँ एक्सपोस (दिखाना) करने के बाद थोड़ा और बोल्ड हो गया। हालाँकि डर मुझे भी लग रहा था कि कहीं कुछ उल्टा रिएक्शन ना हो जाए ।

जूली!?’ मैने पुकारा.

‘ज…जी जीजू?’ जूली ने थोड़ा सा मुहँ पीछे कर के पूछा. उसकी आवाज़ भर्रा रही थी.

‘ये मेरा फ़ोन चार्ज में लगा दो जरा…’ मैने अपना फ़ोन हाथ में ले उसकी तरफ बढ़ाया.

‘जी…हाँ अभी…अभी लगाती हूँ..जीजू…’ जूली ने मेरी तरफ देखा और एक बार फिर से सिहर उठी.

थोड़ी हिम्मत कर जूली पलटी और बिना मेरी टांगों के बीच नज़र ले जाए मेरे पास आने लगी, मुझको हाथ में फ़ोन उठाए कुछ पल बीत चुके थे, जैसे ही मुझे जूली पास आती दिखी मैने फ़ोन अपने आगे रखे एक छोटे टेबल पर रख दिया था.

जूली की नज़र भी मेरे नीचे जाते हाथ के साथ नीची हो गईं, वह मुझसे चार फुट की दूरी पर खड़ी थी और उसने झुक कर फ़ोन उठाया, ना चाहते हुए भी उसकी नज़र एक बार फिर से मेरे चमकते लंड और आंडों पर जा टिकी. मै उत्तेजित तो था ही, जूली की नज़र कहाँ है इसका आभास मुझे कनखियों से हो गया था.

मैने अपने उत्तेजित हुए लंड की माश्पेशियाँ कसते हुए उसे एक हुलारा दिला दिया, जूली झट से उछल कर सीधी हुई और लघभग भागती हुई किचिन के पास जा कर मेरा फ़ोन चार्जर में लगाने की कोशिश करने लगी, उसके हाथ कांप रहे थे.

फोन चार्ज में लगाने के बाद जूली सीधी किचिन मे घुस गयी. उसे बुखार सा हो आया था,

मै किचिन के दरवाजे के पास छिपकर अंदर का नजारा देख रहा था, जूली किचिन में खड़ी खड़ी बड़बड़ा रहीं थी।

‘ओह शिट ओह शिट ओह शिट!’ जूली ने अपने दोनों हाथों से मुहँ ढंकते हुए , ‘आइ सॉ जीजू …ओह गॉड!’ अपने जीजू के लंड की कल्पना करते ही जूली का बदन कांप उठा था. ‘जीजू को रियलाईज़ भी नहीं हो रहा था कि…टॉवल ऊपर हो गया है…और उनका…हाय…ओह गॉड…हाओ कैन दिस हैपन?’ जूली के दीमाग में भूचाल उठ रहा था. वह सरक कर किचिन में अपनी साइड पर हुई और गैस के लाइटर को बंद चालू कर रहीं थी।

जूली अपने पैर सिकोड़ कर बैठ गई. उसकी आँखे बंद हो गयी थी, शायद बार-बार उसके सामने मेरा लंड और आंड आ-जा रहे थे और उसका जिस्म शरम और ग्लानी (हालाँकि उसकी कोई गलती नहीं थी) की आग में तप रहा था.

जूली को एक और खौफ यह भी सता रहा था कि वह अब मुझसे नज़र कैसे मिला पाएगी?

और जब एक बार फिर से घर के दरवाज़े के खुलने की आहट हुई तो मेरा बेचैन दिल धौंकनी सा धड़कने लगा .

मै तुरंत बाथरूम मे घुस गया।

मुझे कुसुम, और सास ससुर की आवाज आ रही थी।

नहाते हुए मेरा भी मन अपने किए इस दुस्साहसी कृत्य से विचलित रहा था ‘पता नहीं क्या सोच रही होगी…लंड ने तो खून जमा दिया उसका, कैसे उठ कर भागी थी साली…कहीं मैंने ज्यादा बड़ा कदम तो नहीं उठा लिया? अब तो पीछे हटने का भी कोई रास्ता नहीं है…कहीं उसे शक हो गया होगा तो..? की यह मैंने जान-बूझकर किया था…मारे जाएँगे फिर तो…

’अब मै भी अपने दुस्साहस को लेकर असमंजस में फंसते जा रहा था. लेकिन आखिर में मैने सोचा कि ‘अब जब ओखली में सिर दे ही दिया है तो मूसलों का क्या डर…देखा जाएगा जो होगा, जो योजना बनाई थी उसे तो अब पूरा अंजाम देना ही है…’ और नहा कर बाहर आया।

मेरे अंदर अपनी साली जूली के जिस्म को भोगने का भूत जो सवार है।

जारी है।

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