—————– भूत सवार ———————–
रिंकी एक तंज सा ताना या कॉमेंट करते हुए बोली
“” जोरू का गुलाम “””
मै रिंकी का बोलने की style देखकर समझ गया कि ये गुस्से से भरी हुई है,
तभी उसकी दादी बोली रिंकी बेटी वो फिल्म तो मैने नही देखी पर उसी जैसी एक और फिल्म थी वो मैने देखी है उसका नाम मेरी जीभ पर है पर निकल नही रहा है।
रिंकी तपाक से बोली दादी मुझे याद आ गया, और मेरी तरफ देखकर चिढ़ा कर बोली
“” बेशर्म “”
मै समझ गया अब यहाँ बैठना ठीक नही रहेगा नही तो ये रिंकी और ना जाने क्या बोलना शुरू कर दे।
मै सब को गुड नाइट बोलकर अपने बेडरूम में जाने लगा, बेड रूम के अंदर जाने ही वाला था कि एक बार फिर बड़ी जोर से रिंकी की आवाज आई।
रिंकी के चेहरे पर एक शैतानी, शरारती (चिढ़ाने वाली) हंसी थी
दादी. …….ओ दादी
वो फिल्म देखी है
कोनसी
“” नौकर बीवी का “”
मैं रिंकी के से ताने को सुनकर गुस्से से भर गया, मेरे मुह से अचानक से निकल पड़ा, इसकी माँ की………..
और वापस घर से जाने लगा, मेरी मम्मी ने पूछा अरुण बेटा अब कहा जा रहा है।
मैने रिंकी की तरफ गुस्से से देखते हुए कहा नौकर अपनी मालकिन (बीवी) के पास जा रहा है।
रिंकी के चेहरे पर अपनी मम्मी ( कुसुम) की एक सौतन बनने वाली जैसी झलक साफ दिखाई देने लगी थी।
और मै सीधा बाइक स्टार्ट कर फूली स्पीड में ससुराल के दरवाजे पर खड़ा हो गया।
” एक ही शहर में ससुराल होने का फ़ायदा लड़की के साथ साथ लड़के को भी होता है, उसको भी दो घर का सुख मिलता है””,
अगर जरा सा भी झगडा हो जाये तो मेरी तरह अपनी ससुराल पहुँच जाता है।
मैने डोर बेल बजाई, और खड़े खड़े सोच रहा था, अंदर जाकर क्या बोलूँगा।
मेरे ससुर ने गेट खोला मुझे खड़ा देख मुस्कुरा कर बोले आओ बेटा अंदर आ जाओ। मै अंदर आ गया।
आप सभी को पता ही है, मेरे ससुर का घर बहुत छोटा है और मेरी ससुराल में एक ही रूम है जिसमें सभी एक साथ सोते है।
मै रूम के अंदर गया तो कुसुम ढीली सी मैक्सी पहने मेरी सास से बातें कर रही थी, कुसुम ने शायद ब्रा नही पहनी थी, क्योकि उसके बड़े बड़े स्तन मैक्सी में पपीते की तरह लटकते हुए साफ नजर आ रहे थे।
रिंकू कोने में लेटा हुआ था। और मेरी जान जूली मुझे नही दिखाई दे रही थी।
मुझे सामने खड़ा देख कुसुम शॉकड होते हुए हस्ती हुई बोली
आप कैसे टपक पड़े। हाहाहा हाहाहा हाहाहा।
मेरी सास कुसुम की पीठ पर एक थपकी मारते हुए बोली चुप कर तेरा पति है, एक सयानी जवान बेटी की अम्मा बन गयी पर लड़कपन नही गया।
मेरी सास मुझे बैठने का इशारा करते हुए बोली कुसुम ये तेरे अकेला का घर नही है, मेरे दामाद अरुण का भी है, और वो जब चाहे तब आ जा सकता है।
मै बोला कुसुम सुन लिया,
कुसुम बोली हा, पर ये बताओ वापस कैसे आ गये, मेरे साड़ी के पल्लू से बंधे हो जो एक रात भी अकेले नही रह पाये।
मै मन ही मन सोच रहा था जैसी माँ वैसी बेटी वहा रिंकी ने ताने मार कर चैन से रहने दिया और अब यहाँ उसकी मम्मी कुसुम ताने मार कर चैन से नही रहने देगी।
मै थोड़ा अकड़ दिखाते हुए बोला एक काम करता हूँ मै वापस चला जाता हूँ।
तो मेरे ससुर ने कहा कुसुम चुप अब कोई शैतानी नही।
मै बोला नही पापा बोलने दो उसको मेरी गलती है क्योकि मेरी बाइक पंचर हो गयी थी इसलिए मै अपना घर समझकर आ गया।
सास— अरुण बेटा ये भी तेरा ही घर है, चल अब खाना खा ले।
मै– नही वो मै खा चुका हू।
ससुर— कुछ पी लो।
कुसुम– और कितना पियेंगे पूरी बोतल तो आपके लाडले दामाद अपनी साली प्रीति के साथ डकार चुके है।
मै— पापा एक बात बताओ आपने कुसुम को क्या खा कर पैदा किया था।
कुसुम— धतूरा,
हाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
इसलिए तो मै पागल पैदा हुई हू।
ससुर— कुसुम अब बस बहुत हो गया। रिंकू बेटा चल छत पर जाकर सो, यहाँ तेरे जीजाजी लेटेंगे।
मै— नही पापा मै छत पर सो जाता हू, रिंकू को लेटे रहने दो।
कुसुम— हा पापा आपका दामाद सही कह रहा है, वो छत पर ही comfortable रहेगा, और वैसे भी हमारा घर ट्रेन के जरनल डिब्बे जैसा है, जो पहले आ कर सीट पर लेटे या बैठे सीट उसकी होती है।
“” पहले आओ पहले पाओ “”
हाहाहा हाहाहा हाहाहा।
सास कुसुम को आँखे दिखाते हुए चुप कर घोड़ी।
मै— मम्मी आप मुझे बिस्तर दे दीजिये मै छत पर ही लेटुंगा।
सास खड़ी होकर मुझे बिस्तर देने लगी,
ससुर— रिंकू जा जीजाजी के साथ तू भी छत पर ही सो।
मै— मम्मी जूली नही दिख रही है, वो कहा गयी है,
सास — बेटा जूली का पेट खराब हो गया है, वो लैट्रिन मे है तीन चार बार जा चुकी है।
मै और रिंकू छत पर आ गये और अलग अलग बिस्तर बिछाकर सोने लगे।
पांच मिनिट बाद कुसुम दूध का ग्लास लेकर आ गयी और मुझसे बोली लो मम्मी के लला दूध पीलो।
मैने कहा इस दूध की मुझे जरूरत नही है, और कुसुम की मैक्सी में लटक रहे दूधों को दबाते हुए बोला मुझे ये पीना है।
कुसुम ने मेरे गालो पर प्यार से चांटा मारते हुए धीरे से बोली चुप ये दूध पियो और सो जाओ। और हस्ती हुयी चली गई।
हाहाहा हाहाहा।
मैने रिंकू की तरफ देखा वो करवट बदले हुए लेटा हुआ सो रहा था।
कुसुम से शादी के बाद आज पहली रात थी कि मै अपने बिस्तर पर अकेला लेटा था, बिस्तर का खालीपन मुझे अंदर से काट रहा था।
एक कहावत है
“” जब बीबी नही हो पास तो बिस्तर लगे उदास “” मुझे याद गयी,
मै करवट बदलते रहा पर नींद नही आ रही थी। मेरा सेक्स करने का मन कर रहा था तो मै कुसुम को याद करके अपनी आँख बंद कर के चादर ओढ़ कर चड्डी के अंदर हाथ डालकर लंड सहलाने लगा पर जैसे आँखे बंद करता तो मुझे जूली का चेहरा सामने आ जाता। मै जूली के बारे में जितना सोचता उतना ही मेरा लंड हुन्कार भरता।
मै जूली का नाम लेकर अपना लंड सेहलाता हुआ मन ही मन गाना गुनगुनाने लगा–
“” जूली जूली जूली तू लड़की नही मामूली “
मै जूली के साथ सेक्स कैसे किया जाये उसके बारे में सोचने लगा, मेरे दिमाग में जूली के बारे बहुत गंदे गंदे विचार आ रहे थे। मेरा मन कह रहा था की मेरे पास एक महिना है अगर मैने जूली की शादी के पहले उसकी ले ली तो शादी के बाद भी जूली मुझे बड़े प्यार से उछल उछल कर देगी।
जूली को उसके होने वाले पति से पहले मुझे अपना लंड का स्वाद देना है, क्योकि अगर उसके पति का लंड का स्वाद उसे मिल गया तो जूली भी प्रीति की तराह मुझे klpd कर देगी।
पर जूली को पटाया कैसे जाये कोई सही idea नही आ रहा था, मुझ पर जूली का ऐसा भूत सवार हो गया है की जूली जूली जूली सोचते हुए मेरी आँख लग गयी।
मै अपने कॉलेज की क्लास में बैठा था, और एक टॉपिक पर लेक्चर दे रहा था . मुझे आभास हो रहा था जैसे क्लास में सब स्टूडेंट अपने नोटस लेकर बैठे हुए हैं और काफी गहमा-गहमी का माहौल है।
लेकिन मुझे किसी का भी चेहरा साफ-साफ़ नहीं दिख रहा था. कुछ देर बाद इसी तरह जब आखिर सामने बैठी एक लड़की खड़ी हुई और उसने उठते हुए मुझसे हाथ मिलाया. मैने भी उठ कर हाथ आगे बढाया था लेकिन अब मेरे सामने स्टूडेंट की जगह मेरी बेटी रिंकी खड़ी थी और मुस्का रही थी, ‘आई अग्री (मान जाना) पापा..!’
रिंकी ने कहा,
उसने एक छोटी सी काली ड्रेस पहन रखी थी. मैने नीचे देखा और पाया कि मै खुद नंगा खड़ा था और मेरा लंड खड़ा हो कर हिलोरे ले रहा था, तभी रिंकी ने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड पकड़ लिया;
मेरी आँख खुल गई, मेरा हाथ पजामे के अन्दर लंड को थामे हुए था और मेरे दिल की धड़कनें बढ़ी हुईं थी. मै सपना देख रहा था,
मैने चारो तरफ तरफ देखा और पाया कि अभी भी अँधेरा था, मैने सिरहाने रखे फ़ोन में वक्त देखा. सुबह के ४ बजने वाले थे. मेरा लंड अभी भी मेरे हाथ में था।
मैने अपने साले रिंकू की तरफ देखा, वह पेट के बल लेटा सो रहा था.
मै अपनी लाचारगी पर तरस खाते हुए अपने साले रिंकू की उभरी हुई गांड देख रहा था .
मै लेटे-लेटे सोचने लगा।
‘उफ़…अब तो मुझे मेरी बेटी रिंकी के सपने भी आने लगे हैं.
हे भगवान मुझ सदबुधि दो जिससे मेरे और मेरी बेटी के बीच बाप बेटी के रिश्तों की मर्यादा बनी रहे और कोई भी अनहोनी ना हो पाये।
मै बहुत ही असमंजस में था कि मै जब सोया तो अपनी साली जूली के बारे में सोच रहा था पर बेटी रिंकी सपने में कैसे आ गयी खैर सपना ही था और मै रिंकी को भूलकर जूली के बारे में सोचने लगा।
हाय जूली मेरी साली बड़ी जालिम है इसकी जवानी…पर कुछ होता दिखाई नहीं देता, इसके सिर पर तो शादी का भूत सवार है और मेरे लंड पर इसकी ठुकाई का. दोनों के बीच मेरे लंड की बैंड बजी रहती है. क्या करूँ समझ नहीं आता…आज से तीस दिन है, जूली की शादी के.’
‘हर तरह से जूली को बहला चुका हूँ…पर आगे दीमाग में कोई तरकीब आ ही नहीं रही है…’ कुछ पल इसी तरह फ्रस्टरेट होते रहने के बाद मेरे लंड ने एक जोरदार हिचकोला खाया. यकायक मेरे चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी, ‘आह ये मैंने पहले क्यूँ नहीं सोचा…दीमाग नहीं…अब लंड की बारी है…’
मै ख़ुशी-ख़ुशी सो गया, आर या पार की लड़ाई का वक्त आ चुका था.
जारी है….