You dont have javascript enabled! Please enable it! कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश - Update 12 - KamKatha
कर्ज और फर्ज एक कश्मकश - Erotic Family Sex Story

कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश – Update 12

——— जैसी करनी वैसी भरनी —————

कुसुम को चोदने के बाद मै अपनी चादर ओढ़ने लगा। कुसुम भी मेरे सीने से चिपकर सो गयी।

कहते है सेक्स के बाद बड़ी अच्छी नींद आती है और इसीलिए सुबह जब मेरी आंख खुली तो घड़ी की सुई 8 बजा रही थी, मैने अपने आस पास नज़र दौड़ाई तो कुसुम बेडरूम से जा चुकी थी, मै रोज की तरह फ्रेश होने के लिए बाथरूम में गया और लगभग 1 घण्टे में कॉलेज जाने के लिए बिल्कुल रेडी हो गया ,अब सिर्फ नाश्ता करना ही बाकी रह गया था।

मै ब्रेकफास्ट करने के लिए हॉल में गया तो वहां का नज़ारा देख मेरे माथे पर शिकन की लकीरें उभर आई…रिंकी पहले से ही वहाँ पर बैठी नाश्ता कर रही थी …रिंकी ने आज जानबूझकर स्कर्ट पहन रखी थी जो उसके उसके घुटने से थोड़ी सी ही ऊपर थी …उसकी पीठ मेरी तरफ थी…..

” नाश्ता कर लीजिए” कुसुम किचन से निकलती हुई मुझको देख बोली

” चलिए आइए इधर, मैं अभी आपके लिए प्लेट लगाती हूँ…..”

मै टेबल की तरफ बढ़ने लगा……एक बार फिर मेरा दिल धक धक करने लगा….. मेरे हाथ पांव फूलने लगे…… मै धीरे धीरे चलता हुआ टेबल की तरफ आया और जाकर अपनी सीट पर बैठ गया……मेरी नज़र अभी भी नीचे की ओर झुकी हुई थी……

दूसरी तरफ रिंकी ठीक मेरी साइड वाली सीट पर बैठी थी, आज रिंकी ने पहले से ही डिसाइड कर रखा था कि सुबह अपने पापा के सबसे पहले दीदार जरूर करेगी, और इसीलिए वो सुबह 6 बजे ही जग गयी थी ,

मुझको अपने पास बैठा देखकर रिंकी के होठों पर कुटिल मुस्कान उभर आई,

“गुडमार्निंग पापा…” रिंकी बड़ी सी मुस्कान अपने चेहरे पे बिखेरते हुए बोली,

वो अपनी पहली चाल पर आगे बढ़ने लगी थी

“अम्म गुड़….मॉर्निंग…… बेटी….”
मैने बिल्कुल सकपकाते हुए नज़रे झुकाकर ही उत्तर दिया,

पर इधर रिंकी को अपने लिए बेटी शब्द सुनकर जाने क्यों बिल्कुल भी अच्छा नही लग रहा था , उसे तो रिंकी सुनना भी पसंद नही था, रिंकी तो चाहती थी कि उसके पापा उसे दोबारा डार्लिंग कहकर बुलाये, पर अभी उसकी मम्मी कुसुम के रहते ऐसा करना उसे ठीक नही लगा,

मैने सम्भलकर जवाब देते हुए कहा, अब भी रिंकी से नज़रे नही मिलाई थी

कुछ देर हम दोनों के बीच थोडी शांती रही जिसे रिंकी ने अपने सवाल से तोड़ते हुए मुझसे पूछा” पापा…..आप मेरी पढ़ाई के बारे में नही पूछोगे क्या….मम्मी तो हमेशा पूछती रहती है, पर आपने तो एक बार भी नही पूछा…..आप मुझसे नाराज है क्या” रिंकी ने अपनी चाल में हुक्म का इक्का चल दिया था, उसे पता था कि नाराज़गी की बात सुनकर मै तुरंत उसकी बात का जवाब दूंगा और हुआ भी ठीक वैसा ही,

मैने तुरन्त रिंकी की ओर देखते हुए कहा “नाराज़, नहीं तो , मैं भला तुमसे नाराज़ क्यों होने लगा, वो तो बस मुझे थोड़ा टाइम नही मिला इसलिए मैं तुमसे नही पूछ पाया

मैने फिर रिंकी से पूछा पापा मम्मी कहा है। रिंकी बोली दादा दादी मंदिर गये है मंदिर से वापस आने वाले होंगे।

कुसुम भी आकर हमारे साथ बैठ गयी, और मुझसे मुस्करा कर प्यार से बोली सुनिये जी आज आपकी साली साहिबा जूली को लड़के वाले देखने आ रहे है और उसकी सगाई है, इसलिए मैने रिंकी को आज स्कूल जाने से रोक लिया और मैने भी आज आगनबाड़ी केंद्र से छुट्टी ले ली है।

जूली की ये खबर सुनते ही मुझे मन ही मन बहुत बुरा लगा मुझे खुशी नही हुई और पता नही मुझे क्या हुआ और मै एकदम से जोर से बोल पड़ा कुसुम तुम क्या चाहती हो मै भी अपनी कॉलेज से छुट्टी ले लू। कुसुम तुम्हे पता वैसे भी तुमसे शादी के बाद मै मुश्किल से पूरे महीने में दस दिन भी कॉलेज में पढाने नही गया हू। मै एक काम करता हूँ हमेशा के लिए ही छुट्टी ले लेता हूँ।

इतना सुनकर कुसुम मुझसे तम तमाते हुए बोली अरुण तुम आदमी हो कि पजामा ।
मेरी पूरी बात सुने बिना ही ऐसे उछल पड़े जैसे पिछवाडे में आग लग गयी हो।
पहले मेरी पूरी बात तो सुन लिया करो, मै तुम्हे छुट्टी लेने की नही बोल रही हूँ। मै खुद की बात कर रही हूँ कि मै और रिंकी आज अपनी मम्मी पापा के घर जा रहे है। और आप शाम को आ जाना।

“”जैसी करनी वैसी भरनी का first result””

कुसुम की बात सुनकर रिंकी एकदम से कुसुम से बोल पड़ी मम्मी mind your langugage. मम्मी please respect my पापा।

रिंकी की बात सुनकर कुसुम बोली रिंकी shut your mouth and listen to me carefully अपने पापा की परी हो तो परी बनकर रहो पापा की पत्नी मत बनो, समझी। दो दिन से dimapur क्या होकर आई हो, तेरे बहुत पंख निकल आये है। बहुत बदतमीज हो गयी है। बड़े छोटे का लिहाज नहीं रहा तुझे।

मैने कुसुम से कहा जरा धीरे बोलो वो बेटी है हमारी गुस्से में क्या बक रही हो ये भी नही सोच रही हो।

कुसुम अब मुझ पर भड़क गयी अरुण एक बात मुझे समझ नही आ रही है तुमने
पता नही मेरी फैमिली के सभी लोगो पर क्या जादू कर दिया है की मेरी पापा, मम्मी, बहन और अब बेटी सब के चहेते बन गए हो।

तभी मेरे मम्मी पापा आ गये, और हमें झगड़ता देख मेरी मम्मी कुसुम से बोली बहू क्या हुआ क्यो चिल्ला रही हो।

तो रिंकी बीच में बोली मम्मी ने पापा को पजामा कहा और मैने उनसे ऐसा बोलने से रोका तो मुझे सुनाने लगी।

पजामा शब्द सुनकर मेरे पापा जोर जोर से हसने लगे। Hahahaha

और मुझसे बोले अरुण बेटा अगर बहू ने पजामा कह दिया तो तुम बहू से पजामी कह देते, पजामा की पत्नी पजामी।

पापा की बातें सुनकर हम सब की हसी निकल पड़ी और सब हसने लगे, hahahahaha.

मेरी मम्मी ने कुसुम से कहा बहू अब बताओ क्या हुआ था। कुसुम ने सारी बात बता दी।
मेरी मम्मी मुझसे बोली बेटा अरुण तुम्हे बहू की पूरी बात सुनकर ही बोलना चाहिए।

खैर अब मै तुमसे बोल रही हूँ शाम को कुसुम के मायके चले जाना ऐसे शुभ काम में घर के रिश्तेदार को जाना चाहिए। वैसे भी तुम दामाद हो और तुम्हारा भी फर्ज अपने साली के लिए एक अच्छे लड़के को चुनने में उसकी मदद करना।

मै और कुसुम शांत थे पर मेरा मुह गुस्से से फूला था ये देखकर मेरे पापा ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे साथ लेकर घर से बाहर निकल आये। और मुझे समझाते हुए बोले।

अरुण बेटा मै तुम्हे आज अपने तजुर्बे से कुछ बताता हूँ। बेटा कुसुम तेरी पत्नी है उसने अपनी जिंदगी में बहुत गरीबी, दुख देखे हैं, इसलिए उसकी सवेंदना, भावना, मान सम्मान छोटी छोटी सी बातों पर आहत हो जाती है और उसे गुस्सा आ जाता है, गुस्से में वो ये भूल जाती है कि वो क्या कह रही है और किससे कह रही है। और अगले ही पल कुसुम का गुस्सा गायब हो जाता है,

वैसे कुसुम बहुत अच्छी बेटी, बहू, मम्मी और पत्नी है वो दिल की साफ है जो बोलती है सच और मुह पर बोलती है, अपने दिल और पेट में कोई बात नही रखती है। मै दावे के साथ कहता हूँ कि भगवान ना करे अगर तुम पर कभी कोई मुसीबत आ जाये तो कुसुम तेरी साथ हमेशा खड़ी रहेगी।
अरुण बेटा शायद तुम सोचते कुसुम बहू attitude, and ego वाली लड़की है लेकिन सच तो यह है कि वो एक आत्म स्वाभिनि लड़की है बिल्कुल अपने पापा की तरह।

बेटा गरीबी और बेबसी हर किसी को ऐसा बना देती है, मै कुसुम के पापा बहुत सालों से जानता हूँ, वो हमारी बिरादरी के ही थे, मेरे ऑफिस में जो peon था उससे उनकी दोस्ती थी। ऐसे में मै उनकी खबर मुझे मिलती रहती थी।

कुसुम के पापा ने अपने बच्चो को पालने में बहुत कष्ट उठाये है, एक दो बार वो मुझे मिले तो मैने कहा तुम तंबाकू कम खाया करो जिससे कुछ पैसे बच जाया करे तो कुसुम के पापा बोले धामी सर मै तंबाकू कम ही खाता हूँ पर जब जरूरत होती है तब ही मुह में डाल लेता हूँ और पैसे बचाने के लिए ही खाता हूँ, तंबाकू खाने से मुझे बहुत फायदे हैं। क्योकि बाजार में बिकने वाली चीज खाने का मन होते हुए भी मै नही खा सकता हूँ क्योकि मेरे पास उतने पैसे नही है, और कोई मुझे वो चीज अपने पैसे से खिलाना चाहे तो उसके अहसान से बच जाता हूँ क्योकि मै अपने मुह में तंबाकू होने की बात करके मना कर देता हूँ। यहाँ तक मै अपने दोस्तो के साथ जब भी मेला वगेरा जाता हूँ तो तंबाकू मुह में डाल लेता हूँ जिससे अगर दोस्त कुछ खाये पिये तो और तो उन्हे मुझे खिलाना नही पड़े क्योकि मेरे पास पैसे नही सबके खाने के पैसे देने के लिए ।

धामी सर मै अपने बच्चो को कभी जल्दी जगने के लिए नही बोलता क्योकि वो जितना देर तक सोयेंगे उतना कम खायेंगे, और कोई पूछता है तो बोल देता हूँ बच्चे सुनते नहीं है।

अरुण बेटा गरीबी हर किसी को चिड़चिड़ा बना देती है और कुसुम भी ऐसी है, सबसे बड़ी बात ये है कि तुम दोनों की शादी काफी ज्यादा उम्र 35 में हुई है और ये उम्र वैसेही पति पत्नी के झगड़े की उम्र की शुरुआत होती है। तेरी मम्मी और मेरे झगड़े की शुरुआत इसी उम्र में हुई थी।

अरुण हमेशा हर आदमी की गरीब होने का कारण उसके फैमिली के बड़े बुजुर्गो के लिये गये गलत फैसले । ये बुड्ढे अपनी जिद और चूतियापा की वजह से business में, जमीन जायदाद के बटवारे में ऐसे गलत dicision और फैसले लेते है कि उनकी औलाद और उनकी आने वाली पीढी ताउम्र गरीबी और दरिद्रता में जीने के लिए मजबूर हो जाती है।

अरुण तुझे याद है तेरी मम्मी का कुसुम का आये दिन पति व्रत पूजा करने के लिये झगडा होता था, और एक दिन मैने तुम्हारी मम्मी को भी कुसुम बहु के real character के बारे में बताया कि कुसुम मेरी बहू लाखों में एक है और मेरी लाडली प्यारी नातिनि करोड़ो में एक है, उन दोनों के हमारे घर में आने से घर खुशियों से भर गया है।

मुझे अपने पापा की बातें सुनकर अपने आप से गिल्टी फील हो रही थी, मै समझ गया था कुसुम के इस कड़क attitude और चिड़चिड़े nature की वजह उसके मायके के दुख और गरीबी थी जिसे मुझे अब हर हाल में दूर करना है और me अपने आपको proud फील करने लगा मेरी पत्नी कुसुम पर।

मै और पापा वापस घर के अंदर आ गये मै एक नये आशिक की तरह अपनी पत्नी कुसुम के चेहरे की तरफ चोरी चोरी देख रहा था। वो dining tabale पर खड़ी खड़ी प्लेट उठा रही थी, और मेरी मम्मी से हस हस कर बातें कर रही थी, कुसुम के गालो को चूमती उसके बालों की दो लटे जिन्हे कुसुम बार बार अपने हाथो से अपने कान में दबा रही थी। ये scene देखकर मेरे दिल में अजीब सी बेचैनी हो रही थी। मुझे अपने कानों में फिल्मी गाने सुनाई देने लगे

इक अजब सी दिल में हसरत होती है तुमको देखकर,
चाहे इसको चाहत समझो होती है तुमको देखकर,

तभी मेरी मम्मी ने मुझे इस दीवानों वाली नींद से जगाया और बोली अरुण अब क्या कॉलेज नही जाना, देर नही हो रही है।

मै बोला हा बस निकलता हूं, और मै अपना बैग उठाकर बाइक स्टार्ट करने लगा तभी कुसुम ने मुझे पीछे से आवाज दी…. सुनिये जरा

हाय मै उसकी इस मीठी सी आवाज सुनकर वही खड़ा रह गया और उसके चेहरे की तरफ देखने लगा….. कुसुम बोली funtion garden मे है। मै उसके गोरे से मासूम चेहरे की तरफ देख रहा था, कुसुम की छोटी सी नाक की सोने की चमकती nose ring उसके गुलाबी लिपिस्टक लगे होंठो से निकलते शबद मुझे सुनाई नही दे रहे थे।

उसने अपने हाथ मेरे बालों पर फेरेते हुए कहा हो सके तो जल्दी आना मै इंतजार करूँगी, बस इतना ही सुनाई दिया और मै सीधा कॉलेज के लिए निकल गया।

दोपहर के तीन बजने वाले थे, मैं घर जाने के लिए जैसे ही खड़ा होने वाला था कि मेरा मोबाइल बजने लगा, मैने देखा मेरी साली प्रीति (कुसुम की बड़ी बहन जो नर्स थी और जिसकी शादी उसी डॉक्टर से हुयी थी जिसके साथ कुसुम के पापा ने रंगरेलिया मनाते हुए देखा था) का फोन था।

“” पूरी दुनिया में कितना भी धर्मात्मा, पत्नी व्रता, शरीफ जादा, भला मानुस और किसी भी उम्र का आदमी हो पर जब उसकी साली, साली का नाम या साली का फोन आते ही वो अपने सब दर्द, गम, टेंशन भूल जाता है और साली से बातें करते ही उसके अंदर एक नई तरन्गे उम्नगे और ठरक फूटने लगती है। “”

मेरी हालत भी वैसी हो गयी थी, मैने फोन उठाकर हैलो बोला सामने से फोन में प्रीति ने जब मुझे जीजू कहकर पुकारा तो मै भी अपने सारे कांड, गिल्टी भूल गया।

प्रीति – नमस्ते जीजू

“” हमारे यहाँ डॉक्टर की पत्नी को डॉक्टरनी, मास्टर की पत्नी को मास्टरनी और कलेक्टर की पत्नी को कलेक्टरनी बोला जाता है “”

मैं – नमस्ते डॉक्टर साहिबा आज हमें कैसे याद किया

प्रीति – (शरमाते हुए) बस याद आ गयी तो मन किया की चलो अपने प्यारे जीजू से कुछ बाते की जाये वैसे आप तो हमें कभी याद ही नहीं करते अरे हाँ आप का हमसे कोई काम तो नहीं है ना!

मैं – (प्रीति की ऐसी बाते सुन चौंकते हुए) क्यों जी ऐसी क्या बात हुयी जो आप ऐसे कह रही है क्या हमने आप से कहा है या हमारे हाव भावों से ऐसा प्रतीत हुवा की हमें आप से कुछ काम होगा तो ही आप से बात करेंगे नहीं तो नहीं करेंगे

प्रीति – अरे जीजू शायद मेरी बात से आप को बुरा लगा मगर क्या आप को नहीं लगता की आप मुझे सच मैं भूल गए है (और प्रीति हँसाने लगाती है)

मैं – (कुछ परेशान होते हुए) यार मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा की मैं क्या भूल गया हूँ अरे कुछ समझ में आये इस तरह से बात करो ना

प्रीति – क्या जीजू आप को जूली ने कुछ बताया नहीं क्या?

मैं – लेकिन किस बारे मैं?

प्रीति – अरे बाबा क्या उसने नहीं बताया आज के बारे में?

मै एकाएक जूली की सगाई की बात भूल गया ।

मैं – नही तो, मेरी उससे बात नही हुयी है अब पहेलिय बुझाना बंद करो और तुम ही बतावो की आज क्या ख़ास बात है जो आप ने हमें फ़ोन करने की जेहमत उठाई और हमें यूँ परेशान किया इतना उलझी बाते कर के

प्रीति – पहले तो हम आप से माफी मांगते है अगर आप को बुरा लगा हो तो

मैं – नहीं मेरे कहने का ये मतलब नहीं था लेकिन मैं सच कह रहा हूँ की मेरी और जूली की कुछ दिन से बात ही नहीं हुयी शायद वो मुझ से कुछ नाराज है

प्रीति – तभी मैं कहूं की जूली इतनी उदास क्यों है कल से क्या कुछ झगडा हुवा है क्या आप दोनों मैं कहे तो मैं आप की मदद कर सकती हूँ

मैं – हाँ यार वो मैंने कुछ बोल दिया था कुछ दिन पहले, तो वो नाराज हो गयी है पर तुम मेरी मदद क्यों करोगी इस बात में? तुम्हे भी तो गुस्सा होना चाहिए था इस बात पर की मेरा जूली से झगडा हुवा है मुझपे इतनी मेहरबानी करने की वजह क्या मुझसे से कुछ चाहिए क्या?

प्रीति – चाहिए भी और नहीं भी हाँ अगर आप चाहे तो मैं आपकी मदद कर दूँगी

मैं – चलो ठीक है तो कर दो मदद पर ये कैसे संभव है?

प्रीति – वो बात आप मुझपे छोड़ दीजिये बस आप को एक काम करना होगा

मैं – बोलिए क्या करना होगा आप जो कहेंगी वो करने के लिए तैयार हूँ मैं चाहे तो मैं आप से प्रोमिस करता हूँ

प्रीति – ठीक है तो प्रोमिस है आप को घर आना होगा अभी।

मैं – अभी! आज कुछ खास है क्या?

प्रीति – अरे मैं बातो बातों में भूल गयी आपको आज जूली की सगाई है और मैंने आप को यही बताने के लिए फ़ोन किया है

मैं – सबसे पहले जूली को ढेर सारी शुभकामनाये और मैं बिना भूले आज शाम को आ जाऊंगा

प्रीति – शुक्रिया जीजू अब मैं फ़ोन बंद करती हूँ मुझे बहोत सारी तैयारियां करनी है

मैने थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा
मैं – अगर तुम्हे कुछ मदद चाहिए तो मैं अभी आ सकता हूँ

प्रीति – ठीक है तो आ जाईये मैं आप का इन्तजार करती हूँ

इतना बोल प्रीति ने फ़ोन बंद कर दिया और कॉलेज से ही direct में तैयार हो के कुसुम के घर की तरफ चल दिया

जाते जाते मुझे एक ख्याल आया क्यों ना कुछ मिठाई ली जाए तो मैं एक मिठाई की शॉप में चला गया मैंने उस शॉप से रस मलाई ली और कुसुम की घर की और चल दिया।

“” अगर हमें कोई जान से ज्यादा प्यार करता है और वो अपना तन मन हमें सोपने के लिए तैयार हो, और हम उसको ingnore करे। और एक दिन उसकी सगाई या शादी की खबर मिले तो बहुत दुख होता हैं “”

मुझे अपनी प्यारी साली जूली अपनी मुठी में से रेत की तरह फिसलती हुयी लग रही थी।
सच कहु तो मुझे जूली की सगाई की खबर खंजर की तरह चुभ रही थी। मुझे बहुत बुरा लग रहा था और ना जाने मेरे मन में बहुत सारे जूली के लेकर गंदे ख्यालात आ रहे थे।
मै रास्ते भर ये सोच रहा था कि मेरे पास जूली को भोगने का मौका था। और वो मुझे इतना चाहती है, प्यार करती है। उस दिन कैसे मुझे प्यासी नजरो से देख रही थी। मुझे उसकी प्यास बुझा कर अपना जीजा का फर्ज निभाना था।

प्रीति भी फोन पर बता रही थी कि जूली भी दुखी और उदास है, जिस लड़की की सगाई हो रही हो वो उदास नही हो सकती।
क्या जूली ने प्रीति को बता दिया है ,
क्या जूली मेरा इंतजार कर रही है,
क्या जूली और प्रीति ने मिलकर कोई प्लान बनाया है।
क्या जूली और मेरा आज सगाई समारोह से पहले मिलन समारोह हो सकता है।

ऐसे ही सवालों के साथ मै कुसुम के घर पहुँच गया।

घर जाते ही प्रीति ने दरवाज़ा खोला जैसे ही मैंने उसे देखा मेरा मूह खुला का खुला रह गया प्रीति ने जो कपडे पहने थे उसे देख मैं हैरान ही रह गया उसने सिर्फ एक टॉप पहना हुवा था जो उसकी जांघों को भी छुपा नहीं पा रहा था शायद उसने अंदरसे कुछ पहना भी नहीं था क्यों की उसके टॉप के उपरसे ही मुझे उसके उरोजों के तने हुए काले चुचक साफ़ दिख रहे थे और टॉप के आगे कोई बटन भी नहीं था और उसके टॉप से उसके उरोजों के बीच की दरार दिख सकती थी और उसके उरोजों के कुछ कुछ दर्शन भी हो रहे थे।

मुझे ऐसा देखते देख प्रीति कुछ शरमा गयी और अन्दर भाग गई वो जब भाग रही थी तो उसके कुल्हे बहुत ही थिरक रहे थेऔर भागते वक़्त मुझे उसका टॉप कुछ ऊपर सा हो गया तो मुझे उसके नग्न कुल्हे दिख गए और उसके निचे शायद उसने कुछ पहना नहीं था क्या लग रही थी मैं ये सब देख इतना उत्तेजित हो गया की मेरा पप्पू तम्बू बना के पेंट में खड़ा हो गया ये तो अच्छा हुवा की प्रीति ने ये सब नहीं देखा

मैं जब अन्दर गया तो प्रीति की आवाज़ आ गयी

प्रीति – जीजू दरवाज़ा बंद कर लीजिये घर मैं कोई नहीं है सब लोग गार्डन में गए हुए है और जूली की सगाई का प्रोग्राम वही है

उसकी यह बात सून मेरे शरीर में रोंगटे खड़े हो गए जैसे तैसे मैंने दरवाजा बंद कर लिया और उसे कहा-

मैं – प्रीति तुम कहा हो

प्रीति – अन्दर हूँ

मैं – क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ

प्रीति – आइये न आप को किस ने रोका है

मैं – अगर सब लोग गार्डन में गए थे तो मुझे इतनी जल्दी कैसे बुला लिया

मैं ये बोलते बोलते अन्दर दाखिल हुवा वो अभीभी उसी टॉप में बैठी कुछ काम कर रही थी उसे देख मेरे पप्पू ने फिर से हरकत करनी शुरू कर दी इस वक़्त प्रीति मेरे पेंट की तरफ ही देख रही थी मेरी हालत देख वो मन में ही हस रही थी और वो बोल पड़ी

प्रीति – मुझे क्या पता था की आप सच में इतने जल्दी आ जायेंगे मुझे लगा था आप शायद एक घंटे बाद आयेंगे। नहीं तो मैं तैयार हो रही थी इतने में आप आ गए

मैं – लेकिन दरवाज़ेपे अगर कोई और होता और तुम्हे इस हालत में देखता तो उसका क्या होता

प्रीति – वही होता जो अभी आप का हाल है
हस्ती हुयी बोली।

मैं – याने तुमने जान बुझ कर ऐसे कपडे पहने है मुझे उत्तेजित करने के लिए

प्रीति – जैसे आप ठीक समझे मैं तो सच में तैयार हो रही थी मैं अभी नहाने जा रही थी

मैं – तो अब तुम्हे किस ने रोका है जावो नहा के आ जावो मैं रुकता हूँ हाँ जाते वक़्त टीवी शुरू कर देना

मै रास्ते भर जूली के भोगने का प्लान बनाता हुआ आया था लेकिन सब उल्टा हो गया तो मैने सोचा जूली नही तो प्रीति सही पर आज साली भोग लगाकर अपने जीजाजी होने का फर्ज निभाऊँगा। वैसे भी प्रीति भी फूल लाइन दे रही है।

प्रीति – ठीक है मैं अभी आती हूँ नहा के
ऐसे बोल वो उठ गयी और टीवी शुरू करने के लिए रिमोट खोजने लगी रिमोट शायद निचे रखा हुवा था तो उसे उठाने के लिए वो जैसेही झुकी मुझे उसकी खुली गांड के फिरसे दर्शन हो गए इस बार मैं अपने पर काबू ना प् सका और सीधे जाके उसे मैंने पीछे से पकड़ लिया जैसे उसे इस अचानक हमले से कुछ ऐतराज़ नहीं था तो वो कुछ बोली नहीं सिर्फ हँसी

प्रीति – जीजू मैं कुसुम नहीं हूँ किसीने देख लिया तो क्या सोचेगा की कैसा दामाद है जो अपनी साली से ऐसे बेशर्मोकी तरह चिपक गया है

मैं – अब यहाँ कोई नहीं है तो किसीके कुछ कहने का सवाल ही नहीं उठता वैसे जिसके पास ऐसी ख़ास साली हो वो जीजा तो बेशरम ही होगा

मैंने जब उसे पकड़ा था तो मेरा हाथ उसके पेट पे था उसने भी अपना हाथ मेरे हाथ पे रख दिया।

वो हिचकियाँ लेने लगी, मैंने प्रीति को खींचा और उसके बराबर बैठ गया, उसके गले में बाजू डाल अपनी तरफ खींचा-

मेरे हाथ को अपने पेट से हटाते हुए वो चिहुक् कर बोली जीजू अब बहुत हो गया मजाक ये मजाक का मजा हम दोनों के लिए सजा बने इससे पहले अब आप garden में जाओ मै आपको वही मिलती है। हम दोनों ही शादी शुदा और एक एक जवान बेटी के मम्मी पापा है, हमारी इस जीजा साली के मजाक की हद खतम होने से हमारे परिवार भी तबाह हो सकते है।

मुझे प्रीति की आवाज में हल्की सी सख्ती दिखी।

मै समझ गया ज़ैसे को तैसा वाली बात सच हो रही है, क्योकि उस दिन जब मैने जूली को इसी तरह से अपने से दूर किया था, ठीक वैसा ही आज प्रीति ने मेरे साथ सलूक किया।

“” इसे ही कहते है खड़े लंड पर धोखा देना “

“”जैसी करनी वैसी भरनी का second result””

इतने में मेरा फ़ोन बजा- कुसुम का फोन था
अरे आप निकले कि नही, कहा हो, यहाँ garden में आना है प्रोग्राम शुरू होने वाला है।

मैने कहा बस पांच मिनिट में आता हू।

और मै सीधा garden में पहुँच गया।

जारी है…..

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top