You dont have javascript enabled! Please enable it! कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश - Intro - KamKatha
कर्ज और फर्ज एक कश्मकश - Erotic Family Sex Story

कर्ज और फर्ज | एक कश्मकश – Intro

सभी लोगों को नमस्कार आज से में एक नया अध्याय लिखने जा रहा हू, ये कहानी मुझे एक यूजर ने ईमेल के जरिये अंग्रेजी में भेजी है और मुझसे निवेदन किया है कि जिस तरह मैने अपनी कहानी प्यार भरा परिवार जितनी सच्चाई से लिखी है। मै इस कहानी को उनकी वास्तिवक पहचान के साथ ही लिखूँ। उनका कहना है कि कहानी में जहाँ चित्रों की जरूरत होगी वो अपने चित्र भी भेजेंगे। फिर शुरुआत करते है एक नये अध्याय की ——-

सभी परिवार के अंदर रहकर किशोरावस्था में जवानी आने पर लड़के लड़कियों में एक दूसरे के तरफ कामवासना जागृत होना लाजमी है, ये कामवासना incest सेक्स में कैसे बदल जाती है आप सभी जानते है, लेकिन चालीस की उम्र में पत्नी के होने पर भी incest सेक्स को महसूस करना कोई मजबूरी या जरूरत कैसे बन जाती है ये कहानी इसी पर आधारित है।

कहते है कि बेटा अपने पापा से ज्यादा अपनी मम्मी से प्यार करता है, और बेटी मम्मी सी ज्यादा पापा की लाडली होती है। हर बाप अपनी बेटी को बड़े लाड़ प्यार से परवरिश करता है उसे हर वो चीज देने की कोशिश करता है जिसके लिए उसकी कभी कभी पत्नी भी मना करती है, अपनी बेटी को दुनिया की गंदी नजर से बचाते हुए उसके कोमार्य की सुरक्षित रखने की कोशिश करता है, और एक दिन जब पापा को लगता है कि अब वो अपनी बेटी के कोमार्य की सुरक्षा नही कर सकता तो उसकी शादी करके उसकी विदा कर देता है। आज के समय में परिवार में हर रिश्ता एक दूसरे से किसी ना किसी उम्मीद, आशा, फायदा, या स्वार्थ से बँधा होता है। जैसे पति पत्नी एक दूसरे से मान, सम्मान, पैसा, सेक्स, से बंधे है और बाप अपने बेटे से बड़ा बिजनिस या नौकरी और अपने परिवार के वंश को आगे बढ़ाने के लिए नाती पोतों की उम्मीद से बंधा है। अगर इनमें से कुछ भी कम होता है तो रिश्ते में अनबन शुरु हो जाती है।

लेकिन बेटी को अपनी किसी भी उम्मीद से नही बाँधा है बेटी को अपना फर्ज मानते है। और बेटे को कर्ज ओर वापसी की उम्मीद से रखते है। ये कहानी
पति पत्नी

और

बाप और बेटी के फर्ज और कर्ज के रिश्तों में उलझी हुयी है।

परिचय —- मेरा नाम अरुण थापा है, मेरी उम्र 40 साल है, मैं पूर्वी भारत के नागालैंड राज्य में एक छोटे से जिले में अपने परिवार के साथ रहता हू। मै सरकारी कॉलेज में हिंदी का प्रोफेसर हू। मेरे परिवार में अभी मेरे साथ मेरी पत्नी कुसुम थापा उम्र 39 साल, बेटी रिंकी थापा उम्र 21 साल, मेरी सास प्रेमा धामी उम्र 59 साल, मेरा साला रिंकू धामी उम्र 24 साल रहते है।

कहते है किस्मत जब खराब हो तो आदमी को राजा से रंक बनने में देर नही लगती, मेरे साथ भी यही हुआ मुझे अपने परिवार को साथ लेकर दिल्ली आना पड़ा। हम सब पूर्वी भारत के रहने वाले है और हमारे चेहरे बहुत बार हमारे दुश्मन बन जाते है।

हमें दिल्ली में आये हुए एक साल हो गया है लेकिन और हम सबकी तरह हिंदी और अंग्रेजी ही बोलते है पर कुछ लोग हमें चीनी, जापानी, नेपाली बोलकर मजाक करते है।

आगे कहानी शुरू करने से पहले मुझे आप लोगों के कॉमेंट, और रेटिंग का इंतजार रहेगा क्योंकि आपके कॉमेंट ही मुझे आगे लिखने के लिए उत्साहित करेंगे।

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