You dont have javascript enabled! Please enable it! पापी परिवार की पापी वासना - Update 75 | Incest Story - KamKatha
पापी परिवार की पापी वासना – Dirty Incest Sex Story

पापी परिवार की पापी वासना – Update 75 | Incest Story

75 दो परिवारों का मिलन

राज के शीथील पड़े लिंग को अपने मुँह में पुनर्जीवित कर के उसके विकराल आकार की पुनस्र्थापना कर लेने के उपरांत किशोरी सोनिया अब उस नौजवान के दानवी लिंग पर चढ़कर घोड़े की तरह उसकी सवारी कर रही थी।

“और दम लगा! और कस के चोद मुझे !” वो बिलबिलायी। “ऊ ऊ ऊहहहह ! रन्डी की औलाद, क्या मस्त है तेरा मोटा लन्ड !”

उसके आकर्षक नग्न नितम्ब उत्कृष्टता से सिहर रहे थे, और उसकी तप्त जकड़ती योनि बड़े उत्साह से राज के घोंपते हुए काले लिंग की लम्बाई पर चढ़-चढ़ कर नीचे फटकती जाती थी। उस कामुक किशोरी को तो स्मरण भी नहीं था कि पहले कब उसे ऐसे विलक्षण उन्माद का अनुभव हुआ जिसका अनुभव वो उस समय कर रही थी।

“ऊ ऊ ऊ ऊह, बड़वे की औलाद !” वो बिलबिलायी, अपनी योनि को राज के घोंपते लिंग पर चारों ओर से सिकुड़ते ढिलते हुए अनुभव कर रही थी। “ले मैं झड़ी! झड़ गयी साले! ऊ ऊ ऊ ऊ ऊह! झड़ी ये झड़ी !” | रन्डी कहीं की !” जय खिलखिलाया, वो अपनी माँ के पीछे घुटने टेककर अपने लम्बे तने हुए लिंग को उनकी मोटी-मोटी कोपलों वाली योनि के भीतर घुसेड़ रहा था। “देखो मम्मी, अपनी सोनिया कैसी मद-मस्त होकर राज से चुद रही है।”

“उम्म! उहहह! हाँ जय बेटा, आखिर उपज है खानदानी रन्डियों की, इसको तो रोज नये मर्द चाहियें।” टीना जी ने गुर्रा कर जवाब दिया, और अपने नितम्बों को पीछे धकेल कर अपने पुत्र के सशक्त लिंग – प्रहारों झेलने लगीं। “पर बेटा तू’ :: उहहह मादरचोद ! ::: तू ब : ‘बस मुझे चोदने में अपना ध्यान लगा, समझा मेरे लाल ! बाद में तसल्ली से अपनी बहन को भी चोद लेना! उहहह ऊँहहह! ईश्वर! आहहह! चोद अपनी माँ को मादरचोद रन्डी की औलाद !”

जय ने अपना पूरा सामर्थ लगा कर अपने लिंग को माँ की योनि में पीटना प्रारम्भ कर दिया। साथ-साथ वो अपने अंगूठे द्वारा अपनी माँ के तंग और कसैल गुदा-छिद्र को भी टटोल रहा था।

“घुसा अपनी उंगली माँ की गाँड के अंदर, मेरे लाल। जानता नहीं तेरी मम्मी को गाँड में उंगल करवाने से कैसी मस्ती चढ़ती है !”, टीना जी ने हाँफ़ते हुए कहा, और हाथों को पीछे बढ़ा कर अपने नितम्बों को जय के लिये फैला कर गुदा-द्वार को खोल दिया।

जय ने अपने अंगूठे को उनकी योनि पर रगड़ा ताकि वो उनके द्रवों से चुपड़ कर चिकनाहट से सन जाये, फिर अपने अंगूठे को अपनी माँ की गर्मायी हुई कसैल गुदा में दे घुसाया।

ऊ ऊ ऊ ऊह, शाबाश !” टीना जी चीखीं। “हिचकता क्यों है मादरचोद, घुसा और अंदर, टटोल अपनी रन्डी माँ की गाँड ।” ।

वो अपने लिंग को तो उनकी योनि के भीतर फुर्ती से ठेल ही रहा था, साथ में जय ने अपने अंगूठे की समूची लम्बाई को भी अपनी माँ की गुदा में दे घोंपा। फिर जब उसने अपने अंगूठे को घुमा- घुमा कर उनकी संकरी और मक्खन सी चिकनी गुदा के भीतर कुरेदना शुरू किया, तो कुछ ही पलों में उसकी माँ प्रसन्नता के मारे बिलबिलाने लगी।

“ओहहहह, जय,” उन्होंने उत्तेजित स्वर में पूछा। “बड़ी मस्ती आ रही है! जानता है मेरा दिल तुझसे क्या करवाने को चाहता है ?”

“क्या ?”

* मादरचोद, मैं चाहती हूँ तू मेरी गाँड मारे !” उन्होंने आह भरी, और उत्कट कामुकता से पलट कर अपने कन्धों के ऊपर से अपने हृष्ट-पुष्ट पुत्र को स्वागतपूर्ण निगाहों से देखने लगीं। “चोद मम्मी की गाँड अपने काले मोटे लन्ड से, मेरे लाल !”

“जरूर !!!”, जय हँसता हुआ बोला, और के लिसलिसी ‘स्लप्प’ की बेहूदी आवाज के साथ अपने लिंग को माता की योनि से खींच निकाला।

उसने एक हाथ उनके नीचे बढ़ाया और अपनी उंगलियों को उनके रिसते योनि स्थल पर फेरा, वो अपनी माता के चिपचिपे योनि-द्रवों को उनके तंग गुदा-छिद्र और अपने सुपाड़े पर चुपड़-चुपड़ कर मलता जा रहा था, ताकि सहजता से गुदा को भेद सके और गुदा-मैथुन का पर्याप्त आनन्द भी उठा सके।

“मम्मी, आपको थोड़ा दर्द तो होगा” अपने लिंग के सुपाड़े को उनके तंग गुदा-छिद्र पर सटाता हुआ जय बोला।

* कोई बात नहीं, मेरे पहलवान पट्ठे,” उन्होंने जवाब दिया। “जो हरामजादी तुझ जैसे मोटे लन्ड वाले पहलवान को जनम दे सकती है, वो अपनी गाँड में उस लन्ड को झेलने का दम भी रखती है! तुझे कोई शक़ हो तो घुसेड़ अपना लौड़ा और आजमा ले अपनी माँ को! साले मेरी गाँड में ऐसी गर्मी है, कि अच्छे अच्छे झड़ जाते हैं! बड़ा आया भोंसड़ी वाला दर्द करने ! घुसा अपना लौड़ा, मादरचोद !”

अपने पंजों में टीना जी के सुडौल कूल्हों को दबोच कर जय ने अपने चिकनाहट से सने हुए लिंग को आगे की ओर धकेला। उसने अपने फूले हुए सुपाड़े को अचानक अपनी माता की बेहद – कसी हुई गुदा-द्वार की माँसपेशियों को भेदते हुए अनुभव किया। उसका लिंग माँ के गुदा- छिद्र को भेद कर गुदा की आग्नेय गहरायी में उतर गया।

कुछ देर जय बिना हिले-डुले ज्यों का त्यों जमा रहा जब तक कि उसकी माँ की गुदा उसके मोटे लिंग द्वारा अचानक हुए अतिक्रमण की आदी नहीं हो जाती। फिर आखिरकार जय ने अपने लिंग को धीरे-धीरे टीना जी की चिकनी जकड़ती संकराहट में से वापस पीछे खींचना आरम्भ किया, जब तक केवल उसका सुपाड़ा मात्र अंदर धंसा रह गया। फिर उसने आगे की ओर ठेल दिया, जैसे ही उसका लिंग उनकी ज्वालामुखी जैसी सुलगती गुदा के भीतर घुसा, तुरंत उसे अपने लिंग की सम्पूर्ण लम्बाई पर एक गुदगुदाती रोमांचक अनुभूति का अनुभव हुआ।

“दर्द तो नहीं हो रहा, मम्मी ?” वो हाँफ़ता हुआ बोला, और अपने लिंग को और जोर से टीना जी की तंग गुदा में और गहरा घोंपने लगा।

“मादरचोद, तूने अपना साँड जैसे लौड़ा मेरी बेचारी गाँड में घुसेड़ रखा है और पूछता है दर्द तो नहीं होता !” टीना जी चीख पड़ीं। “अपने पहलवान बेटे से गाँड मरवाने से जो दर्द होता है, बड़ा मीठा होता है! तू लगे रह, एक सैकन्ड भी नहीं रुकना! देखो दीपक हमारा बेटा कैसे माँ की गाँड मार रहा है !”

“चक दे पट्ठे, मार माँ की गाँड ऐसी गरम गाँड तुझे इस शहर के किसी रन्डी खाने में नहीं मिलने की! तेरे बाप ने हर घाट का पानी पिया है, पर तेरी माँ जैसी टाइट गाँड नसीब से मिलती है !” मिस्टर शर्मा ने पुत्र का उत्साहवर्धन किया।

अपनी माँ की सिकोड़ती गुदा की मक्खन सी कोमलता के भीतर लयबद्ध रीती से ठेलते-ठेलते जय के नवयुवा स्नायुओं में शीघ्र ही लैंगिक आनन्द की लहरियाँ उमड़ने लगीं। अपने लिंग पर मातृ – गुदा की तप्त चिकनाहट द्वारा मालिश करवाता हुआ जय कामोत्साह से अपने कठोर लिंग को टीना जी की तंग गुदा के भीतर – बाहर रौन्दता चला जा रहा था। वो अपने क्रुद्ध लिंग पर टीना जी की गुदा के कोमल पुचकारते माँस की नमी को जकड़ता हुआ अनुभव कर रहा था। अपनी माँ की तप्त गुदा में हर झटके के साथ जय के पुरुष स्तम्भ पर ऊपर और नीचे दौड़ते हुए तीव्र लैंगिक आनन्द की तीक्षणता में वृद्धि हो रही थी।

 

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top