56 चढ़ गया ऊपर रे •••
राज अपनी पूरी ताक़त और हिम्मत से अपने लन्ड को अपनी मम्मी की कस के चूसती गाँड में ठेले जा रहा था, जिसके कारण वे बिलबिलाती हुई आहें भर रही थीं। राज आगे झुका और उनके झूलते मम्मों को अपने हाथों में भर लिया, और उन्हें झूलते हुए महसूस कराता हुआ लन्ड को और फुर्ती से गाँड में मारने लगा।
रजनी जी ने अपने कन्धे झुका कर बिस्तर पर टेक दिये, और अपनी गाँड को उचका कर बेटे के दमदार झटकों को झेलने लगीं। राज के हाथों ने उन्हें दुरुस्ती से दबोचा हुआ था, मानो अपनी मम्मी की तंग और जकड़ती गाँड को अपने लन्ड पर खींच-खींच कर अपनी मोटी चमचमाती काली छड़ को उनकी उचकती गाँड के सुराख में सिलसिलेवार घोंपे जा रहा था।
“शाबाश मम्मी! देख ले सोनिया, ये है खानदानी रन्डी, देख किस अदा से बेटे के सामने सजदा कर के गाँड मरवा रही है! कुछ सीख धन्धे के गुर मेरी मम्मी से ! शाबाश मम्मी, फेंक अपनी गाड मेरे लन्ड पर !”, ऐसे जलील अल्फ़ाज़ बोल कर वो कराहा, “या ऊपर वाले, मेरे लन्ड को तो मम्मी की गाँड में ही सुकून मिलता है !”
राज ने खुद को अपने सर में बैठे शैतान के हवाले कर दिया था, जो उसकी जाँघों के बीच उससे इन्तेहाई गुनाह को अंजाम दे रहा था। हवस की आग की लपटे उसके गहरे घुपे हुए लन्ड की लम्बाई पर ऊपर और नीचे लपक रही थीं, लगता था जैसे टट्टे अलाव पर सेक ले रहे हों। गुनाहगार हवस किसी बहते पिघले लोहे के समान उसके बदन में फूटी और उसके दिमाग में धमाका कर गयी। टट्टों से निकल कर आग का भंवर उसके पूरे बदन पर फैल रहा था। उसकी आँखें चकाचौंध हुईं, पलकों पर अंधेरा छा गया, और मन में भयानक जलजला आ गया।
तभी उसके लन्ड से गरम, उबलते वीर्य का एक सैलाब फूटा और उसकी प्यारी मम्मी की टाइट और उचकती गाँड के सुराख को लीटर-दर-लीटर भरने लगा।
रजनी जी उछलती और फुदकती हुई, अपने चूतड़ों को अपने बेटे के वीर्य उगलते लन्ड पर लपकाने लगीं। राज ने झड़ते हुए, अपने पहलवान लन्ड को उनकी जकड़ती गाँड में पूरा का पूरा अंदर उतार लिया था। रजनी जी हवस के सुरूर में झूलती हुई कराह रही थीं, उन्होंने अपने निचले होंठ को दाँतों तले दबा रखा था।
बौछार-दर-भौछार, उसके उपजाऊ जवाँ टट्टे अपनी माँस की थैली की कैद में झटक-झटक कर उसकी मम्मी की तरसती गाँड के सुराख में वीर्य उडेल रहे थे। रजनी जी को महसूस हुआ जैसे जन्नत में पहुँच कर सैक्स का सुकून ले रही हों, ऐसा सुकून जो कभी न थमे, ऐसी जन्नत जिसका बादशाह उनका बेटा राज हो। उनकी गाँड ने राज के लन्ड को इस कदर कस के जकड़ रखा था, और लन्ड इस क़दर ठूसा हुआ था, कि जल्द ही राज का वीर्य गाँड से छलक कर बाहर रिसने लगा। हर नयी फुहार उनकी कस कर खिंची हुई गाँड के सुराख़ से हलके पीले रंग के वीर्य की धार बहा कर निकाल देती थी।
अपनी गाँड में गहरे गड़े और वीर्य उगलते लन्ड के अहसास से रजनी जी दुनिया जहान भुला बैठी थीं। उन्होंने अपने जब्त को आखिरकार तोड़ दिया। ‘भाड़ में जाये साले पड़ोसी’, रजनी जी ने सोचा, और गला फाड़ कर खूब देर चीखीं। अपने भीतर बैठे वीर्य थूकते लन्ड से उनकी गाँड गुदगुदा रही थी। वे हवस की बेसुधी और जिस्मानी लुफ्त की नशीली शराब में गोते लगा रही थीं।
“आहहह! मादरचोद! माँ के बड़वे! अँहहहह !” रजनी जी बेहद खुश थीं अपने बेटे के मोटे को लन्ड को अपनी गाँड में झड़ा लेने पर। चीख-चीख कर उसे शह दिये जा रही थीं।
“और जोर से! लगा दम मादरचोद पिल्ले ! मार अपनी कुतिया माँ की गाँड !” | राज ने ठीक वैसा ही किया, झड़ते-झड़ते वो अपनी पूरी ताक़त लगा कर अपनी मम्मी की कुलबुलाती गाँड में लन्ड को पीटता चला गया।
“अँहह … अँहह … ऊँहहह! रन्डी ले मेरा वीर्य, तेरी गाँड उधेड़ दूंगा कुतिया! पुच्च पुच्च, निचोड़ मेरे लन्ड से वीर्य, हाँ, ऐसे, और निचोड़, अरे सिकोड़ ना अपनी गाँड, हाँ, चूस ले, अभी और थोड़ा बचा है। टटों में, उसे भी चूस, सिकोड़ कुतिया, पुच्च, ये भी गया तेरी गाँड में !” ।
राज के लन्ड से मम्मी की गाँड में वीर्य का बहाव थम जाने के बाद भी, वो उनकी तंग, जकड़ती, वीर्य से लबालब गाँड को उसी बेरहमी से चोदता रहा। उसने हाथ को नीचे बढ़ाकर अपनी तीन उंगलियों को अपनी मम्मी की भीगी चूत में घुसेड़ दिया। उनकी चूत में घुसायी उंगलियों पर उसे अपने गाँड में गड़े लन्ड के उभार का अहसास हो रहा था।
अपने बेटे के चूत को मसलते हुए हाथ के तले रजनी जी बेबस होकर बेसुधी में ऐंठती और कराहती जा रही थीं। वो अपनी उंगलियाँ उनकी बुर में घोंपता जाता और अपने अंगूठे से चोंचले को मसलता कुचलता जाता, साथ में अपने अब भी तने हुए लन्ड को उनकी गाँड में ठेलता भी जाता। ये सब हरकतें रजनी जी की बर्दाश्त के बाहर थीं, सो वे भी झड़ने लगीं, चीख-चीख कर पूरे मोहल्ले में अपने जिस्मानी सुकून का ऐलान करने लगीं।
अहहहह! ऊँहहहह! ऊपर वालेहह! मा :: दर :: चोद !”
रजनी जी अपनी गाँड में बेटे के खम्बेनुमा लन्ड को गड़ाहे हुए, बावली जैसी ऐंठ रही थी। राज अपनी उंगलियों को उनकी चूत में गहरा अंदर डाले करोद रहा था, और उनके छोटे से फड़कते चोंचले को अपने अंगूठे से मसल रहा था।
राज ने दो-चार मिनट और अपनी मम्मी को चोदा, फिर जब बेहद थक गया, तो थम गया। उसके बदन की सारी अकड़न अब ढीली पड़ चुकी थी, जैसे लन्ड से बह कर निकल गयी हो, बड़ी मुश्किल से खुद को उनपर गिरने से रोक पाया था वो।
जैसे उसका लन्ड धीमे-धीमे ढीला पड़ने लगा, राज आगे को झुका और उनके लम्बे बालों को परे हटाकर गर्दन को चूमने लगा। रजनी जी उसके मलाईदार वीर्य की चिपचिपाहट को अपनी गाँड के अंदर महसूस कर रही थीं। इस वाक़ये का ख़याल कर के वे अक्सर मस्ती के मारे झूम जाती थीं। अर्से से उन्होंने अपने बेटे के साथ हर तरह और तरतीब से सैक्स का तजुर्बा कर लिया था, पर सब से ज्यादा पसन्द था उन्हें राज से गाँड मरवाना। और गाँड मरवाने के बाद अपनी गाँड से उसके वीर्य को जगह-जगह बेहयाई से टपकाना!