You dont have javascript enabled! Please enable it! पापी परिवार की पापी वासना - Update 54 | Incest Story - KamKatha
पापी परिवार की पापी वासना – Dirty Incest Sex Story

पापी परिवार की पापी वासना – Update 54 | Incest Story

54 राज का हरम

राज ने हुंकार निकाली और जोश से अपने लन्ड को उसकी फड़कती बुर में पेलने लगा। उसका भारी-भरकम लन्ड सोनिया की चूत में मूसलों की तरह बरस रहा था। सोनिया की जवान चूत की माड से किसी फ़व्वारे की तरह मवाद बह रहा था, झागदार और दूधिया रंग का मवाद, जो राज के झाँटेदार टट्टों के ऊपर से बहता हुआ उसकी जाँघों को भिगो रहा था।

ऊऊऊहहह, मादरचोद! साले माँ की भोंसड़ी चोद चोद कर तेरा लन्ड कमजोर हो गया है क्या ? हरामी, मजाल है तो मेरी टाइट चूत में वीर्य निकाल , तुझे कसम है तेरे ईमान की, हरामजादे !” वो चीखी।।

राज ने उसकी चूतड़ों को ऊपर उठा दिया, जैसे सिरफ़ उसका सुपाड़ा सोनिया की चूत के झपटते होठों के अंदर कैद रहा, और कुछ देर तक वहीं पर उठाकर पकड़े रखा, और अचानक उसने दाँत पीसे और दे पटका नीचे अपने तने लन्ड के ऊपर।

“ले हरामजादी काफ़िर रन्डी, देख इस मादरचोद लन्ड का जमाल ! बोल साली, है तेरे हिजड़े बाप के लन्ड में ऐसा दम? चोद-चोद के तेरी काफ़िर चूत को भोंसड़ी नहीं बना दिया, तो मेरा माँ बहन को चोदना बंद कर देना !”, राज गुर्राया, “ऊपर वाले! देख मैं भी झड़ रहा हूँ !!”

सोनिया मारे खुशी के चीख पड़ी जब उसे राज को अपनी बुर में वीर्य की पिचकारियाँ मारते महसूस किया। उसकी चूत से भी मवाद बहने लगा, और राज तो अपने टट्टों को बहते नल जैसा खाली कर रहा था। हर दफ़े जब वो जवान सोनिया की कुलुबुलाती चूत को हाथों में पकड़कर अपने लन्ड पर नीचे पटकता, तो राज वीर्य की एक भरपूर बौछार उसकी बुर में भर देता।

सोनिया कराही और हाँफ़ी, फिर दीवानों जैसे अपने सर को आजू-बाजू पटकती हुई उसके पुखता, धड़कते और चूत में वीर्य भरते लन्ड पर ऊपर और नीचे फुदकने लगी। लगता था जैसे चूत को त्यूब-वैल पर बैठा रखा है। राज के लन्ड पर सवार सोनिया अपने चूतड़ों को बेतहाशा झटक रही थी, जैसे उसके अपनी चूत के पुट्ठों से खींच-खिंच कर राज के टट्टों में भड़े वीर्य को चूस रही हो।

राज थक कर बिस्तर पर देर हो गया, उसका मजबूत सीना दम उठ उठ कर साँसें ले रहा था। सोनिया अपनी वीर्य से सराबोर चूत को लौन्डे के अब भी तने लन्ड पर ऊपर और नीचे रगड़ाती रही, राज के लन्ड से वीर्य की आखिरी बून्दों को निचोड़-निचोड़ कर निकाला उसने, और जितना होता था, अपने ऑरगैस्म की मुद्दत को खींचती चली गयी।

फिर वो भी गश खा बिस्तर पर गिर गयी, और उसे मोहब्बत से अपनी बाँहों में भर कर लेट गयी। उसने जब बड़ी अक़ीदत से राज को चूमा, तो उसके अकड़े मम्मे राज के सीने पर रगड़ने लगे। फिर धीमे से उसने अपनी चूत को राज के लन्ड पर से निकाल खींचा। दो पल के लिये राज के लन्ड ने अपनी तनातनी को क़ायम रखा, पर फिर ढीला पड़कर, उसकी जाँघों पर एक कुंडली मारे काले साँप जैसा सो गया। आधा – तना होने पर भी मुआ कैसा रोबदार लगता था ::वीर्य और चूत के मवाद से चुपड़ा हुआ।

इस गैर काबिल-ए-बर्दाश्त मंजर को देख रजनी जी के गले से एक कराह निकली और वे अपने बेटे की चौड़ी फैलायी जाँघों के बीच लपक कर आ पहुँचीं। उन्होंने उसके लिसलिसे लन्ड को अपने गरम मुँह में लिया और ममता से उसे चूसने लगीं। वीर्य और चूत के मवाद की आमेजिश से बने लाजवाब शहद का जायका लेकर वे कराह उठीं, और लिसलिसी जवान चूत में सोखे हुए बेटे के लन्ड के कट्टे-मीठे जायके का लुफ्त लेने लगीं।

बड़ी महारत से चाट-चाट कर उन्होंने अपने बेटे के पीले- सफ़ेद मवाद से सने लन्ड को चमचमाता गहरा बैंगनी कर दिया। बड़ी सफ़ाई से उन्होंने उसके टट्टों से बहे वीर्य को राज के छड़ जैसे लन्ड पर से चाट कर उसे चमका दिया था। और तो और, उन्होंने उसकी जाँघे और पेट भी चाटे, किसी सूअरनी की तरह वे अपनी थोथनी उसकी झाँटों में गाड़े और ‘सर्र- सर्र-सुड़प-सड़ाप्प’ आवाजें निकालती हुई चाटती जा रही थीं।

उधर बिस्तर के दूसरे छोर पर डॉली और सोनिया ने एक दूसरे की चूत चटाई शुरू कर दी थी। सोनिया डॉली की झाँटेदार चूत को अपनी जीभ से चाट जा रही थी, और डॉली अपने भाई का मलाईदार वीर्य

सोनिया की सुर्ख – लाल चूत में से चूस-चूस कर साफ़ किये दे रही थी।

रजनी जी ने पल भर के लिये अपना सर उठा कर दोनों लड़कियों को एक दुसरे को चाटते हुए देखा। दोनों हसीनाओं के बदन एक दूसरे से काफ़ी मुखतलिफ़ बनावट के थे। डॉली के लम्बे बाल, मोटे-मोटे ख़रबूजों जैसे मम्मे थे, पतली कमर, और मोटे चूतड़, क़द कुछ ठिगना, मजबूत काठी। दूसरी ओर सोनिया चुंघराले छोटे बालों वाली, लम्बे क़द की और नारंगी जैसे मम्मों वाली, नाजुक काठी की हसीना थी। अपनी बेटी के शातिर मुंह से अपनी चूत में सैक्स के इंतेहाई सुकून को पाने के बाद उन्होंने दम भी नहीं लिया था, कि उनकी हवस की आग फिर से भभक उठी। उनके खानदानी सैक्स जश्न में हसीन गुलबदन सोनिया कि शिरक़त हो जाने से रजनी जी और उनके बच्चों के बीच के हवसनाक और गुनहगार रिश्ते में एक नया जाविया जुड़ गया था, जिसका वे भरपूर लुफ्त उठाने का मंसूबा रखती थीं। उन्होंने सर उठाकर बेटे की ओर देखा और बाजारू अदा से मुस्कुरायीं।

“नन्हें पहलवान, उतरियेगा एक दफ़े और मैदान में ?”, वे हुंकार कर बोलीं, “बांदी की गाँड आपकी तवज्जो की मुन्तजिर है। आपसे गुजारिश है कि आप अपने मादरचोद लन्ड के जलवों से वालिदा की गाँड को नवाजें !”

“आपका हुक्म सर आँखों पर, पर बंदा अर्ज करना चाहता है कि लन्ड जरा सुस्ता रहा है, आपकी सरगर्मी ही इसकी खोयी बुलन्दगी को बहाल कर सकती है! एक बार खड़ा कर दे हरामजादी, फिर तू जहाँ बोल चोद हूँगा !”, दाँत पीस कर वो बोला।

राज ने हाथ नीचे कर के अपने टट्टों का जायजा लिया, हौले से दबा कर देखा, और जब मालूम हो गया कि ताजा-तराव हो गये हैं, तो अपनी हथेली को ऊपर, अपने लन्ड पर लपेटा और हौले-हौले ऊपर नीचे पम्प करने लगा।

रजनी जी भी उसका हाथ बंटाते हुए किसी बछड़े जैसे उसके सुपाड़े को चूसने लगीं।

“ऊ ऊह, हाँ, मेरे जिगर! मार मुठ मम्मी के मुँह में, वे हाँफ़ीं, मादरचोद, जब तन जाये तो याद से मेरी गाँड में घुसाना, कमबख़त जल रही है लन्ड के इंतजार में !”

बजा फ़र्माया मम्मी !”, राज हँसा, “तू गाँड में तेल लगाये रख बस !” * डॉली बेटा, ले आयीं वैसलीन की डिबिया ?”, उन्होंने अपनी बेटी से पूछा।

आँटी, मैं लगाऊँ ?”, उतावली सोनिया ने बीच में टोका।

हाँ, हाँ बेटी, क्यों नहीं, तू भी तो मेरी बेटी जैसी है, फिर तेरी घर पर भी तो मर्द होंगे जिन्हें कभी तेरी गाँड मारनी होगी !” सोनिया ने दो उंगलियों में वैसलीन भरकर उनकी गाँड के सुराख़ पर लथेड़ दी।

अरे बेटा, सिरफ़ बाहर नहीं, अंदर भी डालो, ये तेरे बाप का हिजड़ा लन्ड नहीं है, मेरे बेटे की तोप है, गाँड चिकनी होगी तभी तो दनादन दारोगी!”, रजनी जी ने हिदायत दी। सोनिया ने दोनो उंगलियों पर और वैसलीन ली और उनकी गाँड में घुसा दी, फिर अंदर मल-मल कर चारों ओर चुपड़ा दी। ऐसे मुस्कुरा मुस्कुरा कर मल रही थी सोनिया, पहली बार गाँड में उंगल करने पर उसे खूब मस्ती आ रही थी। जब ठीक से रजनी जी की गाँड में वैसलीन मल चुकी, तो उनके चूतड़ों पर एक चपत लगा कर बोली, “चल मेरे घोड़े, हो गयी तेरी घोड़ी रैडी !”

। “अब देख जब मैं गाँड मारूंगा, तो बीच में वैसलीन कम पड़ जाती है, जब मैं तुझसे बोलू , तो होशियारी से मेरे लन्ड पर बाहर खींचते समय लथेड़ देना और वैसलीन। और हाँ, हाथ बचा के, जाब गाँड मारता हूँ तो भगवान की कसम, माँ बहन का भी लिहाज़ नहीं करता हूँ !”, राज ने भी सोनिया को कुछ गुर सिखाये।

बक़ौल रजनी जी, बेटे का लन्ड चूसने से ज्यादा कमीनी हरकत तो अपने मुंह में बेटे से मुठ मरवाना था। अपने मुँह में मुठ मारते बेटे के लन्ड दो देख इस वक़्त उनके जेहन में ऐसे कमीनगी भरे खयाल आ रहे थे कि उनकी चूत हवस के मारे फड़कने लगी थी। राज ने एक हाथ अपनी मम्मी जान के सर के पीछे लगाया और अपने लन्ड को उनके मुंह में डाल धुआँदार घिसने लगा। सुपाड़े पर चमड़ी तो कटी हुई थी, सो अपनी मम्मी के होठों ही उसके सुपाड़े को गुदगुदाते हुए सुरूर दे रहे थे। | रजनी जी ने अपने बेटे के लन्ड के पुट्टेदार गोश्त को अपने होठों के दरम्यान ठोस होते पाया तो खुशी की आह उनके मुंह से निकल पड़ी। उन्होंने ऊपर देखकर राज की आँखों से आँखें मिलायीं, फिर उसके लन्ड को देखा और मुँह को नीचे धकेल कर उसकी ऊपर की आधी लम्बाई को मुंह में निगल गयीं। नीचे के हिस्से को राज अब भी मुट्ठी में दबोचे लगाथार रगड़े जा रहा था, जब वो लन्ड को बाहर खींचता तो उसकी मुट्ठी रजनी जी के होठों से टकराती, और जब अंदर को खींचता तो उसके टट्टों पर टकराती।

झटके-दर-झटके, राज का मर्दाना लन्ड अपनी पुरानी बुलंदी को परवान चढ़ने लगा। रजनी जी ने भी अपने होठों को अब सिरफ़ उसके सुपाड़े पर जकड़ा हुआ था। जल्द ही राज का लन्ड ने अपनी मुक़म्मल बुलन्दी को हासिल कर लिया।

“देख सोनिया बेटी, देखा खालिस लन्ड !”, रजनी जी कराहीं, उनके दिमाग पर शैतानी हवस सवार थी। उन्होंने बेटे के लन्ड से अपने होंठ जुदा किये और किसी लावारिस कुतिया जैसी हाथों और खुटनों के बल बिस्तर पर बैठ गयीं। उन्होंने अपनी गाँड को राज की ओर उचका कर अच्छा खासा खोल रखा था।

आजा मादरचोद, ले खोल दी मैने अपनी गाँड, दिखा अपनी मर्दानगी, लन्ड में दम है तो मार मम्मी की गाँड, मैं भी देखें कैसा शेर जना है मैने !”, रजनी जी ने बेटे को ललकारा।

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