You dont have javascript enabled! Please enable it! पापी परिवार की पापी वासना – Update 39 | Incest Story - KamKatha
पापी परिवार की पापी वासना – Dirty Incest Sex Story

पापी परिवार की पापी वासना – Update 39 | Incest Story

39 सवेरे वाली गाड़ी

* शर्त तो तुम हार गयी, मम्मी। कहो, कैसी रही ?”, जय ने अपनी आनन्द में घुलती माँ से पूछा।

मम्म मजा आ गया, मेरे लाल ::: लाइफ़ में ऐसी मस्ती शायद ही पहले कभी की होगी !”, उन्होंने उत्तर में कहा। टीना जी की देह अब भी उनके जबरदस्त ऑरगैस्म के झटकों के तले थरथरा रही ती। उनकी टाँगें दुर्बल होकर ढीली पड़ चुकी थीं, बस उनका धड़ केवल मेज के सहारे लेटा हुआ था।

जय ने अपने सदैव-उत्तिष्ठ लिंग को माँ की गुलाबी कोपलों वाली योनि की लिसलिसी तपन के अन्दर निरन्तर आगे-पीछे चलाना जारी रखा था। इस तरह वह अपनी माता के बदन में काम की धधकती ज्वाला को बरकरार किये हुआ था।

“मम्मी, तेरे बेटे में अब भी बहत दमखम बाकी है! बोल तो और चोदूं ?”, टीना जी के कन्धों को चूमता हुआ और उनकी गर्दन पर गरम साँसें छोड़ता हुआ जय पूछ बैठा।

“मादरचोद ::! बेटा तू आदमी है या साँड! इतनी जल्द फिर चोदने को तैयार ? तेरा बाप तो इतने में कब का पस्त हो गया होता! चल साले, तू साँड है तो मैं वो कुतिया हूँ जिसकी चूत की प्यास कभी नहीं मिटती !”, टीना जी अपनी संज्ञा के पात्र प्राणी की तरह ही बिलबिला रही थीं, “आजा मेरे पहलवान साँड, चोद दे फिर एक बार अपनी कुतिया मम्मी को !” टीना जी का मन जय के विशालकाय लिंग से अभी कहाँ भरा था! युवावस्था में ही सैक्स कला में कैसे कौशल का प्रदर्शन किया था उसने । सम्भोग में ऐसा दिव्य आनन्द उन्होंने बरसों बाद पाया था। अपनी सन्तान को जिस प्रेम और दुलार से उन्होंने पालपोस कर बड़ा किया था, उन्हें आज अपनी ममता का सचा फल मिल गया था। उनकी स्वयं की कोख से जना लाल अपने लिंग को उसी कोख में ठेलता हुआ, टीना जी को अविस्मर्णीय दैहिक सुख की अनुभुतियाँ फलस्वरूप दे रहा था! काश यदि उनके दो पुत्र होते, तो दोनो ही से सम्भोग कर पातीं। वो भी एक ही साथ! हाँ, हाँ जरूर, एक उनकी योनि में लिंग घुसाये होता, दूसरा उनकी गुदा में लिंग डालता। “ऊउहहह, हाँ! ऐसे बड़ा मजा आता!”, सहसा उनके मुख से मन की बात निकल पड़ी।

क्या, मम्मी ? कैसे आता मज़ा ? कह तो सही, मैं करूंगा!”, जय ने पूछा।

“अरे, कुछ नहीं! मैं तो यूँ ही बड़बड़ा रही थी !”, टीना जी ने झूठ बोलकर मन की इच्छा को छिपाया।

तू बस चोदता रह, जय! और इस बार तुझे भी झड़ना है। बोल मेरे लाल, मम्मी की चूत में अपना गाढ़ा और गरम वीर्य डालेगा ना ?”

क्यों नहीं मम्मी, तूने ही तो अपने मम्मों से दूध पिला-पिला कर मेरे टटटों में ये वीर्य बनाया है। अब जिस चूत से पैदा हुआ था, उसमें अपने टट्टों को खाली करना तो मेरा फ़र्ज है ना, मम्मी!”, गर्वयुक्त स्वर में नौजवान जय बोला, “आज तो मम्मी, मेरे टट्टों मे तेरे वास्ते उतना ही ज्यादा दूध उबल रहा है, जितना डैडी ने आपको पिछली गर्मियों में ट्रेन के सफ़र दे दौरान दिया था। याद है, पिछली गर्मियों की छुट्टियों में हम ट्रेन में ननिहाल से घर वापस आ रहे थे, और आप और डैडी ने रात को ट्रेन में ही चुदाई चालू कर दी थी। डैडी ने इतना वीर्य निकाला था, कि आपको जाँघों पर बहने लगा था, और आपको रात को उठकर बर्थ पोंछनी पड़ी थी ?” टीना जी को वो ट्रेन का रात का सफ़र अच्छी तरह से याद था। मिस्टर शर्मा का लिंग तो उस रात खुले नल की तरह बह रहा था, पूरे दस मिनट तक लिंग से वीर्य-स्त्राव होता ही रहा था।

“मम्मी, मैं ऊपर की बर्थ पर लेटा सब देख रहा था। आप तो बिलकुल सैक्सी लग रही थीं। डैडी का काला, मोटा लन्ड कैसे आपकी गोरी चूत को चीर कर घुसा हुआ था, मम्मी! ठीक वैसी ही फ़ोटो मैने एक मैगजीन में देखी थी, जिसमे एक गोरी-चिट्टी चमड़ी की फ़िरंगिन औरत की गुलाबी चूत में एक काले हब्शी ने अपना एक फ़त का मोटा लन्ड घुसाया हुआ था। वही मैगजीन, जो घर आने के बाद आपने मेरे बिस्तर के नीचे से खोज निकाली थी।” | टीना जी को वो पत्रिका ठीक तरह से याद थी। अपने पुत्र के बिस्तर के नीचे ऐसी अश्लील पत्रिका पाकर,
और यह जान कर, की जय बहशः उन चित्रों को देख कर हस्तमैथुन करता होगा, टीना जी के हृदय में एक पाप भरी चुलबुलाहट कौंधी थी। पत्रिका के पन्नों में गोरी औरतों के साथ अति-दीर्घ लिंग के स्वामी काले हब्जियों को,
और अधेड़ उम्र की महिलाओं के संग किशोर बालकों को सैक्स करते हुए चित्रित किया गया था। चित्रों को देख कर वे ऐसी विचलित हो गयी थीं, कि जय डाँट-फटकार कर उन्होंने पत्रिका जब्त कर ली और मिस्टर शर्मा के साथ एक रात उन चित्रों का सूक्ष्म अध्ययन भी किया। उस रात मिस्टर शर्मा ने ऐसे जोश के साथ बढ़-चढ़ कर सैक्स किया था, जो सुबह की पहली किरणों के बाद जाकर थमा था। वो घटना उन्हें बड़ी अच्छी तरह से स्मृत थी!

“मम्मी, मैने ट्रेन में मुठ मारी थी! नीचे डैडी आपको चोद रहे थे, ऊपर में लन्ड हाथ में लिये रगड़ रहा था! सोच रहा था, कि आपको चोदने वाला मैं ही हूँ, मम्मी!”

“मेरे बुद्भू बेटे !”, टीना जी ने मुँह पलट कर आँख मारी, “अगर तभी मुझे बता देता, तो अब तक तो हम मिलकर कितनी ऐश कर चुके होते ! बोल मादरचोद, मम्मी-डैडी की चुदाई का मन्जर देखकर क्या तू भी वहीं ट्रेन में झड़ गया था ?”

“मम्मी, एक बार नहीं, दो बार! एक बार तो डैडी और आपकी चुदाई के टाइम, फिर अगली बार जब डैडी चुदाई के बाद सो गये थे।” टीना जी ने अपनी योनि की माँसपेशियों को जय के लिंग पर कसा।

“मादरचोद, मम्मी को चुदते देख तेरा लन्ड कुलाचे भरने लगा होगा !”, गौरव-युक्त स्वर में टीना जी बोलीं।

“लो कर लो बात! मम्मी, तेरी लिसलिसाती चूत की तस्वीर तो मेरे दिमाग में बस गयी! वो सपने में भी याद आती है तो लन्ड लाल कर देती है !”, माँ से वार्तालाप करते हुए जय अपने चर्चित लिंग को उनकी योनि में निरन्तर आगे और पीछे चला रहा था। लिंग के घर्षण द्वारा टीना जी की धधकती योनि की ज्वाला में ईंधन डाल रहा था।

“जब चुदाई करके आप दोनो सो गये, तो मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैने चादर सर पर ओढ़ ली और टार्च जला कर मुठ मारने लगा। अब मम्मी मुझे अन्धेरे में मुठ मारना पसन्द नहीं। अपनी आँखों से लन्ड को देखना पसन्द करता हूँ ताकि उसे किसी भीगी चूत में ठेलते हुए कल्पना कर सकें।”

“ऊउह, मेरे पूत !”, टीना जी काँप उठीं, “एक सैकन्ड अपना लन्ड बाहर निकाल , बेटा। इस बार तू मुझे आगे से चोद। मैं अपने लाडले बेटे को गले लगा कर चोदूंगी, और झड़ते वक़्त कस के चूमूंगी !”

“ओके, मम्मी!”

 

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