21 नायाब जाम
ऊहहूहहूह !” राज की लम्बी उंगली के गहरे एहसास ने उसे कराहाने पर मजबूर कर दिया था, “राज ! मम्मी की तरह आज मुझे भी चोद! मेरी चूत तेरे लन्ड के लिये तड़प्प रही है! तुझे मेरी कसम, चोद डाल मुझे !” | बहन डॉली उससे चुदने की भीख माँग रही थी।
मम्मी से ज्यादा बेटाबी तो उसे हो रही थी। इस बात ने राज हैवानी इरादों को और पक्का कर दिया था। उसका लन्ड बहन डॉली के नाजुक हाथों मे धड़कने लगा था। एक ही रात के दर्मयान अपनी मम्मी और बहन को चोदने का मौका हम में से भला कितनों को मिलता है। बहरहाल, उसने डॉली से एक बात, मारे शरम के, छिपा ली थी। दरसल, चन्द ही मिनटों पहले वो अपनी मम्मी की चूत में झड़ा था। उसने अपनी मम्मी की कोख को अपने गरम, खौलते वीर्य से लबालब कर दिया था, और चूत से छलक कर उसके गाढ़े पीले रंग के वीर्य की कैई धारें जाँघों पर नीचे बहने लगी थीं। उस वक़्त तो झड़ने पर आये हुए जन्नत जैसे लुफ्त पर बड़ा शर्मिन्दा हुआ था। पर अब उसकी शरम पूरी हवा हो चुकी थी और जुड़वाँ बहन को चोदने की सुलगती प्यास उसके जेहन में घर कर चुकी थी।
राज का लन्ड अभी-अभी मम्मी की कोख में गन्गा-जमुना बहा चुका था। पर फिर भी उसका मर्दाना बदन बहन डॉली को चोदने की पूरी काबिलीयत रखता था। उसके जोरदार टट्टे जल्द ही लबालब भर कर वीर्य उड़ेलने को फिर तैयार हो गये थे। राज ने अपनी एक और उन्गली डॉली की टपकती चूत में डाली थी और उसे पीछे तकियों पर लिटा दिया था। कमसिन डॉली ने अपनी नाजुक टांगें पूरी तरह फैला कर भाई के लिये चूत का रास्ता साफ़ किया था। उसकी चूत गर्मा-गरम रोमांच से फड़कती हुई लगातार अपने भाई की गुदगुदाती उंगलीयों पर बहे जा रही थी। डॉली को अब सिर्फ उसके लन्ड का इन्तजार था।
भाई की टटोलती उंगलियों की हरकत के साथ-साथ डॉली भी कूल्हे उचका-उचका कर अपने चूत को उन पर मसलती थी। उसका तड़पता हुआ चोचला चूत के होंठो के बीच झूल रहा था। उसकी जाँघों के बीच बिजली के अनगिनत करंट से दौड़ रहे थे। डॉली अब बेहद ताव में आ गयी थी और चुदे बिना रह नहीं सकती थी। गिड़गिड़ाती हुई बोली:
“राज भाइ! मैं तुझसे चुदना चाहती हूं! अपना लम्बा, मोटा, काला लन्ड मेरी चूत मे डाल और चोद मुझे ! ऊउहहहह! मम्मी जैसे मुझे भी चोद !”
हाथ कंगन को आरसी क्या, राज ने इस बार फुर्ती से अपनी चड्ढी उतार फेंगी। बहन डॉली की भीगी पैन्टी को अपने दोनों अगूठों से उसकी लम्बी चिकनी टंगों पर से नीचे खींच कर उतार डाला। फिर बहन की जाँघों को चौड़ा फैला कर बीच में जैसा आ गया। अपनी सगी बहन की चूत का नूरानी हुस्न देख कर उसके मुँह से दबी सी सीटी निकल गयी। चूत अन्दर से सुर्ख रन्ग की थी और ग़ज़ब की टाईट! मम्मी की चूत से कहीं ज्यादा टाइट! मम्मी की झांटेदार चूत के होंठों ने खुद-ब-खुद फैल कर चूत के होंठो और अन्दर की टपकती, लल्वाति गहराईयों का नजारा उस पर जाहिर कर दिया था। पर डॉली की चूत के होंठ, उसकी जांघे पूरी तरह से फैली होने के बावजूद, बस जरा से खुल कर जन्नत की झलक भर दिखा रहे थे। बाहर से चूत पर दूब की तरह हल्के सुनहरे रन्ग के झांटे थे।
पहली बार बहन की चूत देखने पर राज के चेहरे की इबारत डॉली को आज भि याद थी। उस रोज़ से जब भी राज ने उसकी चूत चाटी थी, डॉली ने वही इबारत उसके चेहरे पर देखी थी।
“माशाल्लह! तेरा हुस्न तो लाजवाब है डॉली !” राज चूत पर झुकता हुआ बोल उठा था, “एक बार तो चख कर देखें जमजम का पानी !” कह के उसने होंठों को डॉली की खुली चूत पर कस दिया था। उसकी चूत के होंठो को चूसता हुआ अपने प्यासे मुँह में ले लिया था उसने। अपने दोनों हाथों को बहन की गाँड के नीचे रख कर उसकी चूत को अपने मुँह मे लगा-लगा कर चाट रहा था राज । जैसे रसीले तबूजे को खा रहा हो। जैसे ही उसाने जीभ चूत के अन्दर घुसा कर मुलायम चूत के अन्दर फेरी, तो डॉली मारे मस्ती के चीख पड़ी।
“ऊउहुहुह! शरीर! बहनचोद, और चूस! चाट साले बहन की चूत !” भाई की लार टपकाती जीभ की सनसनाती फुदकन उसकी टपकती गरम चूत को बड़ी मस्ती से कुरेद रही थी। बहन की जुबान से ऐसे बेलगाम गन्दे अल्फ़ाज़ सुनकार राज और ताव खाने लगा था। जीभ सुपड़ – सुपड़, सुडुप- सुडुप्प बहन की जायकेदार चूत में और गहरे चला रहा था। उसकी नाक डॉली के चोचले पर दब रही थी। इसके जवाब में डॉली ने अपनी छोटी सी चूत और दबा कर भाई के मुँह पर कस दी थी। राज की जीभ साँप की जीभ जैसी लहरा रही थी, और डॉली की कमर भी नागिन के मदमस्त बदन जैसी हवा में थीरक रही थी।