You dont have javascript enabled! Please enable it! कामिनी - गहरी चाल | Update 7 | Erotic Adult Sex Story - KamKatha
कामिनी – गहरी चाल Suspense Thrill Story with Erotic Sex Tadka

कामिनी – गहरी चाल | Update 7 | Erotic Adult Sex Story

नंदिता ने दीवार पे तंगी घड़ी पे नज़र डाली,1 बज रहे थे & षत्रुजीत अभी तक घर नही आया था.तभी उसके कानो मे किसी कार के बंगल के अंदर दाखिल होने की आवाज़ आई.उसमे इंटरकम उठा के नंबर दया,”साहब आ गये क्या?”

“नही,मेमसाहब.साहब नही आए केवल अब्दुल भाई आए हैं.”,नंदिता ने इंटरकम रखा & बत्ती बुझा कर अपने बिस्तर पे लेट गयी,फिर अपना मोबाइल ऑन किया & 1 नंबर मिला के अपने कानो से लगा लिया.

कामिनी की नींद खुली तो उसने देखा की चंद्रा साहब अभी भी उसके आगोश मे वैसे ही करवट से लेते हुए उसकी चूची के निपल को चूस रहे हैं.उसने सर उठा के घड़ी को देखा,अभी सवेरा होने मे बहुत वक़्त था.तभी चंद्रा साहब ने उसके निपल पे हल्के से काट लिया,”..आहह..”

उसने अपनी बाई टांग उनकी कमर पे चढ़ा दी & उनका चेहरा अपने सीने से उठाया.चंद्रा साहब ने बाई बाँह उसकी गर्दन के नीचे लगाई & दूसरी से उसकी कमर को जकड़ते हुए उसकी भारी गंद दबाने लगे.कामिनी उन्हे बाहो मे भरे उनके होंठ चूमे जा रही थी की चंद्रा साहब ने 1 बार फिर 1 झटके मे ही अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.

दोनो 1 दूसरे को कस के बाहो मे जकड़े हुए थे & इस कारण की कामिनी की बड़ी चूचिया उनके बालो भरे सीने से बिल्कुल पीस गयी थी & उसे वाहा गुदगुदी का एहसास हो रहा था.चंद्रा साहब जिस जोश के साथ उसे चोद रहे थे उस से कामिनी को समझ मे आ गया की जब तक उनकी बीवी वापस नही आती तब तक वो उसे यहा से जाने नही देंगे.इस ख़याल ने उसे थोड़ा और मस्त कर दिया,उसने अपनी टांग से अपने गुरु की कमर को कस लिया & उनसे चुड़ाने लगी.

जगबीर ठुकराल अपनी ऐषगाह के फूलो से सजे बिस्तर के हेडबोर्ड से टेक लगाए टाँगे फैलाए नंगा बैठा था.1 लड़की उसकी टाँगो के बीच झुकी उसकी आँखो मे आँखे डाले उसका लंड चूस रही थी.ये बिल्कुल नयी लड़की थी,उसने कल ही 1 लड़की को चलता किया था-उस से उसका जी भर गया था & उसकी जगह इस नयी लड़की को लाया था.बाकियो की तरह ये लड़की भी बला की खूबसूरत & सेक्सी थी.

लंड मुँह से निकाल उसने उसे अपनी बड़ी छातियो के बीच दबा दिया.ठुकराल के जिस्म मे मज़े की लहर दौड़ गयी,ठीक उसी वक़्त उसका मोबाइल बजा.उसने उसे उठाके नंबर देखा & उसे अपने कान से लगा लिया,”बोलो माधो…क्या?!…मगर क्यू?”

“मालिक,उसकी बेटी की ससुराल मे कुच्छ अज़रूरी काम आ गया है इसलिए वो अभी नही आ पा रही है..इसी चलते प्लान 5 दीनो के लिए टालना पड़ेगा.”

“और कोई रास्ता नही है,माधो?”,वो लड़की के चेहरे को सहला रहा था & लड़की मस्त हो रही थी.

“नही,मलिक, और फिर मुझे लगता है कि हमे अभी ज़्यादा जल्दबाज़ी भी नही करनी चाहिए.अगर उसकी बेटी यहा नही आती थी तो फिर पोलीस को कौन खबर करेगा.”

“ह्म्म..ठीक है.चलो,5 दिन और सही.”,ठुकराल ने मोबाइल किनारे रख दिया.उसका मूड खराब हो गया था & उसे ठीक करने के लिए उस लड़की को आज काफ़ी मेहनत करनी थी.लड़की लंड को हाथो मे भर उसके सूपदे पे जीभ फेर रही थी.ठुकराल ने उसे उठाया & अपनी गोद मे अपने लंड पे बैठने का इशारा किया.लड़की की आँखो मे मस्ती भरी हुई थी.वो तेज़ी से ठुकराल के कंधो पे हाथ रख उसके लंड पे बैठने लगी.उस बेचारी को पता नही था की कल देर सुबह तक उसे यू ही अलग-2 तरीक़ो से इस राक्षसी लंड को अपनी फूल सी कोमल चूत मे लेना था.

करण अपने होटेल के कमरे मे लेटा कामिनी का नंबर ट्राइ कर रहा था मगर शायद उसने अपना मोबाइल ऑफ कर रखा था.वो कुच्छ सोचते हुए अपने शॉर्ट्स मे हाथ डाल अपने लंड को सहला रहा था कि तभी उसका मोबाइल बजा.नंबर देख उसके होंठो पे मुस्कान फैल गयी.उसने अपनी शॉर्ट्स उतार दी & मोबाइल ऑन कर अपने कान से लगा लिया,”हेलो..जान..”

सवेर चंद्रा साहब नाश्ता कर रहे थे & कामिनी अपने घर जाने की तैय्यरी,”अच्छा,सर मैं चलती हू.” चंद्रा साहब नाश्ता छ्चोड़ मेज़ से उठ गये,”कब तक आओगी?”उन्होने उसे बाहो मे भर लिया.

“सर,कोर्ट के बाद थोड़ी देर के लिए ऑफीस जाना है,उसके बाद तो आप ही के पास आओंगी.”,सवेरे उठाते ही चंद्रा साहब ने उस से कह दिया था की जब तक उनकी बीवी अपने भाई के घर से वापस नही आती,उसे यही रहना होगा.कामिनी को भला इस से क्या ऐतराज़ हो सकता था,करण भी उस से पहले टूर से वापस नही लौटने वाला था,तब तक के लिए चंद्रा साहब ही उसका अकेलापन दूर करने का सहारा थे.

“श..सर..अभी नही…शाम को..”,उन्होने उसे चूमते हुए उसकी स्कर्ट मे हाथ घुसाना चाहा तो वो हंसते हुए उन्हे परे धकेल कर लगा हुई & दरवाज़े की ओर बढ़ गयी.

“बाइ!शाम को जल्दी आ जाऊंगी.”,उसने दरवाज़े पे मूड मुस्कुराते हुए कहा & फिर अपनी कार की ओर बढ़ गयी.

कोर्ट जाने के पहले कामिनी को ख़याल आया की उसे 1 बार करण को फोन कर लेना चाहिया.रात उसने क्लब से निकलते वक़्त मोबाइल ऑफ कर दिया था,वो नही चाहती थी की जब वो & चंद्रा साहब करीब आ रहे हो,तब कोई भी खलल पड़े.सवेरे मोबाइल ऑन करते ही उसके मेसेजस & मिस्ड कॉल डीटेल्स दिखे थे.

उसने नंबर मिलाया,”हेलो..मिल गयी फ़ुरसत आपको.रात भर मोबाइल ट्राइ करता रहा.बंद क्यू कर दिया था?”

“कुच्छ काम कर रही थी.नही चाहती थी की कोई डिस्टर्ब करे.”,कामिनी शरारत से बोली.

“रात को काम!अकेली कर रही थी या फिर किसी के साथ?”,करण ने भी उसे छेड़ा.

“किसी के साथ थी.”

“हॅयियी…और मैं यहा इस नीरस शहर मे अकेला पड़ा हू.”

“तो ढूंड लो वाहा किसी को.”

“ढूंड तो लू पर उपरवाले ने तुम्हारे जैसी दूसरी बनाई ही नही है.”

“अच्छा जी!अब बाते बनाना छ्चोड़ो.”,थोड़ी देर तक इसी तरह की बाते करने के बाद उसने फोन रख दिया & कोर्ट चली गयी. देर शाम कामिनी जैसे ही काली टी-शर्ट & टेन्निस खिलाड़ियो जैसी काली मिनी स्कर्ट मे चंद्रा साहब के घर मे दाखिल हुई उन्होने उसे बाहो मे जाकड़ लिया,”कितनी देर कर दी तुमने!”,उन्होने उसके रसीले होंठ चूम लिए.

“क्या कर रहे हैं,सर!छ्चोड़िए ना…इतना वक़्त तो है हमारे पास..ऊओव….”,उन्होने अपना बाया हाथ उसकी शर्ट मे घुसा उसकी पीठ से लगा दिया & दाए को नीचे से उसकी स्कर्ट मे घुसा उसकी गंद पे चिकोटी काट ली थी.वो कामिनी की गर्दन पे चूम रहे थे & अब हाथ उसकी गंद से नीचे उसकी जाँघ पे ले आए थे.उन्होने ड्रेसिंग गाउन पहना हुआ था & उसके भीतर से उनका खड़ा लंड कामिनी की चूत पे दस्तक दे रहा था.उन्होने उसकी दाई जाँघ के नीचे हाथ लगा उसकी टांग को उठा लिया & हल्के-2 अपनी कमर हिलाने लगे,”..प्लीज़…सर..छ्च..ओडीए ना..पहले कुच्छ खा..ने के लिए बन..लू..फिर का..रें..गे..”

चंद्रा साहब ने उसकी उठाई हुई जाँघ को कस के मसला,”..कुच्छ बाहर से मंगवा लेंगे..”,तभी उनका मोबाइल बजा तो उन्होने चौंक के अपना सर उसकी गर्दन से उठा लिया,कामिनी को मौका मिल गया & उसने उन्हे परे धकेल दिया,”..नही,वैसे भी कल से आप बाहर का कुच्छ ज़्यादा ही खा रहे हैं.”,उसने उनकी तरफ शोखी से मुस्कुराते हुए देखा.

उसके इस दोहरे मतलब वाली बात से चंद्रा साहब थोड़े और जोश मे आ गये पर मोबाइल उठना भी ज़रूरी था.वो मोबाइल की तरफ बढ़े & कामिनी किचन मे घुस गयी.कोई 15 मिनिट तक चंद्रा साहब फोने पे बात करते रहे,इस बीच कामिनी ने चूल्‍हे पे खाना चढ़ा दिया था.

“हन्न्न..!”,कामिनी चौंक गयी,चंद्रा साहब ने उसे अचानक पीछे से बाहो मे भर लिया था,उन्होने हाथ का मोबाइल वही चूल्‍हे के बगल मे किचन के काउंटर पे रख दिया & अपना बाया हाथ उसकी शर्ट मे घुसा उसके पेट को सहलाने लगे,कामिनी आँखे बंद कर पीछे हो उनके बदन के सहारे खड़ी हो गयी.

उसने अपनी बाई बाँह पीछे ले जा उनके गले मे डाल दी & उनके बॉल सहलाने लगी.उसकी गर्दन चूमते हुए चंद्रा साहब ने अपना हाथ थोड़ा उपर ले जाके उसकी चूचियो को ब्रा मे से निकाल लिया & उन्हे दबाने लगे,उनका दाया हाथ कामिनी की स्कर्ट मे उपर से घुस चुका था & अब उसकी पॅंटी मे दाखिल हो उसकी चूत की तरफ बढ़ रहा था,”..आआहह…”,उनकी उंगलिया जैसे ही उसकी चूत मे घुसी कामिनी मज़े से कराही.

चंद्रा साहब की उंगलिया उसकी चूत मे अंदर-बाहर हो रही थी & उसकी मस्ती बढ़ती जा रही थी.उसने अपना दाया हाथ पीछे ले जा गाउन के उपर से ही उनके लंड को दबोच लिया & मसल्ने लगी.चंद्रा साहब उसके बाए गाल को चूमते हुए उसकी चूचियो को मसल रहे थे,तभी उनकी उंगली कामिनी की चूत के दाने से टकराई & उन्होने उसे ज़ोर से रगड़ दिया,”..ऊहह..!”

कामिनी जैसे ये सह ही ना पाई & घूम के अब अपने गुरु के सामने आ गयी.उन्होने उसकी कमर पकड़ उसे चूल्‍हे के बगल मे काउंटर पे बिठा दिया & 1 झटके मे उसकी टी-शर्ट निकल दी.सामने उसकी गोरी,बड़ी चूचिया कड़े,गुलाबी निपल्स के साथ छलक पड़ी.उनके नीचे उसका काला ब्रा फँसा हुआ था.कामिनी ने 1 नज़र चूल्‍हे पे चढ़े खाने पे डाली,उसे डर था कही उनके इस मस्ताने खेल मे कही वो जल ना जाए.

चंद्रा साहब उसकी टाँगो के बीच खड़े हो गये & उसे अपनी बाँहो के घेरे मे ले लिया,फिर उसे चूमते हुए अपने हाथो से उसके ब्रा हुक्स खोल कर उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया.वो झुके & उसकी नंगी चुचियो को अपने मुँह मे भर लिया,”…उउउम्म्म्मम..”,उसने अपना दाए हाथ से उनके सर को पकड़ लिया.उनका गाउन से ढका लंड उसकी चूत पे दबा हुआ था.कामिनी मस्ती मे उड़ती हुई अपना हाथ नीचे ले जाके गाउन की डोरी को खींचा & हाथ अंदर घुसा दिया.

कामिनी का हाथ सीधे चंद्रा साहब के नंगे बालो भरे सीने से टकराया,उन्होने गाउन के नीचे कुच्छ पहना ही नही था.कामिनी उनके सर को चूमते हुए उनकी छाती को सहलाने लगी.चंद्रा साहब उसकी बाई चुचि के निपल को अंगूठे & 1 उंगली के बीच मसलते हुए उसकी दाई चूची को चूस रहे थे.

कामिनी ने हाथ नीचे ले जा उनके लंड को पकड़ लिया & हिलाने लगी.चंद्रा साहब मस्ती मे भर गये & उसके सीने से सर उठा के उसके होंठो को पागलो की तरह चूमने लगे.कामिनी ने पानी जीभ उनकी जीभ से लड़ानी शुरू कर दी.वो उनके बालो भरे आंडो को अपने हाथो मे भर उन्हे दबा रही थी.

उसने आँखो के कोने से देखा की खाना जलने वाला था,उसने उन्हे परे धकेला & काउंटर से उतार के खाने को देखने लगी,”सत्यानाश हो जाता इसका आपके चक्कर मे!”,चंद्रा साहब ने अपना गाउन उतार दिया & उसके सामने बिल्कुल नंगे खड़े हो गये & अपना लंड हिलाते हुए फिर से उसके पीछे आ गये,”..ना अभी नही!पहले इसे बनाने दीजिए.”

चंद्रा साहब घूमे तो उसे लगा उन्होने उसकी सुन ली,”..हन्न्न्न्न्न्न्न्न..”,वो हैरत से चीखी.अपने घुटनो पे बैठ चंद्रा साहब ने 1 झटके मे ही उसकी स्कर्ट & पॅंटी खींच के फेंक दिया था & उसकी कमर थाम अपना मुँह उसकी गंद की फांको के बीच घुसा दिया था.

कामिनी ने चूल्हा बंद किया & किसी तरह उनके चंगुल से छूटने की कोशिश करने लगी.किसी तारह वो चूल्‍हे के सामने से हटी पर चंद्रा साहब ने उसे बड़ी मज़बूती से कमर से पकड़ा हुआ था & अपनी जीभ को उसकी चूत के लगातार अंदर-बाहर कर रहे थे.वो बस बेबस सी मच्चली की तरह तड़प रही थी.वो किचन काउंटर पे झुक सी गयी & उनकी जीभ से मस्त होने लगी.

चंद्रा साहब खड़े हुए & उसकी दाई टांग को घुटने से मोड़ काउंटर पे चढ़ा दिया.ऐसा करने से उसकी चूत उनकी नज़रो के सामने और उभर आई थी.वो उसे निहारने लगे,कामिनी की गुलाबी उसी के रस से भीगी कसी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी.कामिनी ने गर्दन घुमा के कंधे से उन्हे नशीली आँखो से ऐसे देखा मानो कह रही हो की देखते ही रहेंगे क्या.

चंद्रा साहब आगे बढ़े & 1 ही झटके मे अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया,”..उउम्म्म्मम..”,चंद्रा साहब की झांते उसकी चूत के आस पास के हिस्से पे गुदगुदी सी कर रही थी & उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

चंद्रा ने दाए हाथ से उसकी कमर को थामा & बाए हाथ से उसके बूब्स को पकड़ उसे चोदने लगे.कामिनी ने अपना बदन काउंटर से उपर उठा लिया & आहे भरते हुए उनसे चूड़ने लगी.चंद्रा साहब ने हाथ उसकी चूचियो से खींच कर उसकी कमर पे रख लिए & उसकी पीठ & गंद को सहलाते हुए ज़ोर के धक्के लगाने लगे.

“..ऊऊव्व्व..!”,कामिनी चिहुनक गयी,चंद्रा साहब ने अपनी 1 उंगली उसकी गंद के छेद मे डाल दी थी.कल से जिस तरह से वो उसकी गंद पे ध्यान दे रहे थे,उसे इस बात का थोडा तो अंदाज़ा हो गया था.उसने गर्दन घुमा के उन्हे थोड़ी नाराज़गी से देखा पर वो तो बस उसे चोद्ते हुए सूकी गंद मे उंगली किए जा रहे थे,”..कामिनी..”

“ह्म्म..”

“यहा भी करू?”

“क्या सर?”,कामिनी ने अंजान बनने का नाटक किया.

“तुम्हारी गंद मे भी डालु अपना लंड?”.चंद्रा साहब झुक के उस से बिल्कुल सॅट गये & उसके कान मे फुसफुसाए.कामिनी की गंद आज तक कुँवारी थी,विकास ने बहुत कोशिश की थी पर उसने उसे भी कभी नही करने दिया था.

“..उम्म..नही..बहुत दर्द होगा..”

“कोई दर्द नही होगा,देखो..कितनी आसानी से उंगली अंदर बाहर हो रही है..”

“पर वो तो उंगली से इतना ज़्यादा बड़ा है!”

“क्या बड़ा है?..ज़रा नाम तो लो..”

“आपका लंड..”,कामिनी ने धीरे से कहा तो चंद्रा साहब जोश से भर गये & गहरे धक्के लगाने लगे.

“प्लीज़..कामिनी…कोई तकलीफ़ नही होगी..मैं बहुत आराम से करूँगा..प्लीज़..”,वो किसी बच्चे की तरह ज़िद कर रहे थे.

“ठीक..है..पर ज़रा भी तकलीफ़ होगी तो आपको निकलना होगा..”

“हां-2..”,उन्होने इधर-उधर देखा तो उन्हे अपने काम की 1 चीज़ नज़र आई,मक्खन का पॅकेट.उन्होने उसे उठाया & थोड़ा मक्खन ले के कामिनी की गंद मे भर दिया.फिर उसे अपनी उंगली से अंदर मलने लगा.उंगली & कामिनी के जिस्म की गर्मी से पिघल कर मक्खन उसकी गंद की दीवारो से चिपक गया.चंद्रा साहब ने लंड चूत से बाहर खींचा.

लंड पूरी तरह से कामिनी के रस से गीला था,फिर भी उन्होने उसपे भी मक्खन लगे & फिर उसकी गंद के छेद पे लंड को रख धक्का दिया,”..ऊऊऊऊ….”,थोड़ी ही देर मे उनका चौड़ा सूपड़ा उसकी गंद मे था,वो बड़ी मज़बूती से उसकी कमर को थामे बड़े ही हल्के धक्के लगाने लगे..कोई 5-7 मिनिट बाद लंड कोई 5 इंच तक गंद मे घुस गया.

“आआहह…और नही ..दर्द होता है..”,कामिनी कराही तो उन्होने उतने ही लंड से उसकी गंद मारना शुरू कर दिया.बाए से उन्होने उसकी कमर थामी हुई थी & दाए से वो उसकी चुचिया दबा रहे थे.थोड़ी देर बाद कामिनी को भी मज़ा आने लगा तो वो अपने दाए हाथ से अपनी चूत मारने लगी.तभी चंद्रा साहब का पास रखा मोबाइल बजा. उन्होने उसे कान से लगाया,”हेलो..हां..कहो कैसी हो?..हां कल तो क्लब मे ही खाया था…आज..आज कामिनी आ गयी थी..पता चला की तुम नही हो तो किचन मे घुस गयी है…वही कुच्छ बना रही है..हां..अभी बात कराता हू…”,उन्होने उसे फोन थमाया,”..तुम्हारी आंटी है.”

कामिनी अब काउंटर पे पूरा झुकी हुई थी.उसकी चूचिया काउंटर के मार्बल से बिल्कुल पीसी हुई थी & वो उसपे कोहनी रखे पड़ी थी.उसने फोन लिया,”हेलो..नमस्ते आंटी..!”

चंद्रा साहब ने 1 हाथ आगे ले जाके उसका हाथ हटा उसकी चूत पे लगा दिया,”..हम्म..नही..आंटी तकलीफ़ कैसी..पर सर को समझाइये..बाहर का खाना इन्हे बहुत पसंद है & मुझ से कह रहे थे..की ..थोड़ा मक्खन भी डाल दो..”,उसने गर्दन घुमा के उनकी तरफ नशीली आँखो से देखा & होंठो को गोल कर उन्हे चूमने का इशारा किया,”…जी …आंटी..मैने तो बिल्कुल सादा खाना बनाया है…& आप फ़िक्र मत करे ..जब तक..आप नही आती मैं इन्हे यहा देख जाया करूँगी..& रोज़ अपनी निगरानी मे खाना खिलवंगी..ओक…नमस्ते आंटी..!”,उसने मोबाइल किनारे रखा.अपने गुरु का लंड अपनी गंद मे लिए उनकी पत्नी से बाते कर वो और गरम हो गयी & अपनी कमर हिलाने लगी.

चंद्रा उसकी चूत ज़ोरो से रगड़ते हुए उसकी गंद मे तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगे…..कामिनी काउंटर पे पूरा झुक गयी & अचानक बहुत ज़ोर से आहे भरने लगी…उसकी चूत चंद्रा साहब की उंगलियो पे कसने-ढीली होने लगी & वो झाड़ गयी.उसी वक़्त चंद्रा साहब के लंड से भी 1 तेज़ धार निकली & कामिनी की गंद उनके विर्य से भर गयी. लंड ढीला हुआ तो चंद्रा साहब ने उसे गंद से बाहर खींचा & उसे अपनी बाहो मे उठा के अपने बेडरूम मे ले गये,उनकी भूख शायद अभी शांत नही हुई थी. उस दिन कोर्ट मे बहुत भीड़ थी,कामिनी किसी केस की सुनवाई के बाद अपने चेंबर की ओर जा रही थी की तभी किसी ने उसे पीछे से आवाज़ दी,”कामिनी जी.”

कामिनी मूडी,आते-जाते लोग उस से टकरा रहे थे की तभी उसके सामने कोई 50-55 बरस का लंबा चौड़ा शख्स आया & उसकी बाँह पकड़ उसे 1 किनारे ले गया,”यहा बहुत भीड़ आप इधर आ जाइए,कामिनी जी.”उस आदमी की पकड़ मे केवल उसे खाली जगह पे ले जाने का इरादा नही बल्कि उसे च्छुने का इरादा ज़्यादा नज़र आ रहा था.

“मेरा नाम जगबीर ठुकराल है..”

“नमस्ते ठुकराल साहब,मैं जानती हू आपको.कहिए मैं आपकी क्या मदद कर सकती हू?”

“1 केस है,कामिनी जी..”,लोगो का 1 और रेला आया तो ठुकराल ने उसे फिर उसकी बाज़ू पकड़ थोड़ा किनारे कर दिया.कामिनी को उसका ये बार-2 छुना कुच्छ अच्छा तो नही लगा पर कुच्छ था उसके छुने मे जिसने उसका दिल धड़का दिया,”..हम मेरे चेंबर मे चल के बात करे?”

“हाँ,ज़रूर.”,कामिनी आगे चलने लगी तो 1 बार फिर उसे भीड़ से बचाने के बहाने ठुकराल ने उसकी पीठ पे ठीक ब्लाउस के नीचे हाथ रख दिया.

“हां,अब बोलिए,ठुकराल साहब.”

“1 अर्जेंट केस है कामिनी जी जिसकी सुनवाई बस 2 दिन बाद है.”

ठुकराल साहब,फिर तो मैं ये केस नही ले सकती…मेरे पास बिल्कुल भी समय नही है..”

“कुच्छ तो करिए,कामिनी जी!”,कामिनी ने देखा की उसकी नज़रे उसकी झीनी सफेद सारी से झँकते उसके ब्लाउस पे जा रही है.

“देखिए,मैं आपका केस ले लू & फिर उसपे ठीक से ध्यान ना दू & सुनवाई पे अपने असिस्टेंट को भेज दू..ये तो ठीक नही होगा ना..ठुकराल साहब आप बहुत उम्मीद लेके मेरे पास आए हैं मैं जानती हू,मगर इसीलिए मना कर रही हू,क्यूकी बाद मे केस पे ध्यान ना देके मैं आपको निराश नही करना चाहती.”

“कोई बात नही..मगर आपकी ईमानदारी & साफ़गोई ने मेरा दिल जीत लिया,कामिनी जी…1 वादा चाहता हू आपसे..”,उसने 1 बार फिर उसके बड़े सीने को देखा.

“हां,कहिए..”,कामिनी को पूरा यकीन हो गया की ये आदमी औरतो का रसिया है मगर उसने ऐसा कुच्छ सुना नही था उसके बारे मे.

“आगे जब भी कभी मैं आपके पास आऊ,आप ज़रूर मेरा केस लेंगी.”,उसने कुर्सी से उठते हुए अपना हाथ बढ़ाया.

“वादा तो नही करती..हां..आपको इतना भरोसा दिलाती हू की आगे आपको निराश नही करूँगी.”,उसने उस से हाथ मिलाया तो ठुकराल ने उसका हाथ हल्के से दबा दिया & फिर कॅबिन से बाहर निकल गया.

तभी उसका मोबाइल बजा,देखा तो षत्रुजीत का नंबर था,”हेलो,मिस्टर.सिंग.”

“हेलो,कामिनी.कैसी हैं?”

“बढ़िया.आप कैसे हैं?”

“मज़े मे..अच्छा कामिनी इस फ्राइडे मैं होटेल ऑर्किड मे 1 पार्टी दे रहा हू & आपको वाहा ज़रूर आना है क्यूकी पार्टी आपके हमारे लीगल आड्वाइज़र बनाने की खुशी मे ही है.”

“इसकी क्या ज़रूरत है,मिस्टर.सिंग..”

“ज़रूरत है..तो आप आ रही हैं ना फ्राइडे रात को?”

1 पल को कामिनी ने सोचा,”हां,मिस्टर.सिंग.”

अगली रात कामिनी फिर अपने गुरु के बिस्तर पे नंगी पड़ी हुई थी.वो पेट के बल लेटी थी & चंद्रा साहब उसकी गंद चूम रहे थे,”..उउंम्म..आप भी ना बस उसी से चिपके रहते हैं!”

वो पलटी & उनका हाथ पकड़ के उन्हे पाने उपर खींच लिया,”ये देखिए मेरी छातिया कैसी सुखी पड़ी हैं…!”,चंद्रा साहब मुस्कुराए & झुक के उसकी चूचिया पीने लगे,”..हन्न्न..ऐसे ही…दबाइए भी तो सर…ऊओवव्वव..इतनी ज़ोर से नही…हा..अनन्न..ऐसे ही…उम्म..”

“सर,ये जगबीर ठुकराल कैसा आदमी है…ऊफ़फ्फ़…?”,चंद्रा साहब केवल निपल को चूस रहे थे,बाकी पूरी छाती उनके मुँह से बाहर थी.

“..बड़ा करप्ट राजनेता है..”,कामिनी ने उन्हे पलट दिया & उनके उपर चढ़ गयी & उनकी छाती चूमने लगी.वो अपने हाथो से उनके निपल्स को छेड़ रही थी,”..उसके बारे मे क्यू पुच्छ रही हो?”,वो उसके सर & पीठ पे हाथ फेरने लगे.

“आज मुझसे मिलने आया था,चाहता था,मैं उसका कोई केस लेलू पर मेरे पास वक़्त ही नही था सो मैने मना कर दिया.”,वो नीचे झुक के उनके खड़े लंड को चूम रही थी.

“ठीक किया.भरोसे के लायक नही है वो.”,चंद्रा साहब ने उसका सर पकड़ कर उसे उपर आने का इशारा किया.कामिनी अपनी दोनो टांगे उनके बदन के दोनो तरफ रख 1 हाथ से उनका लंड पकड़े उसपे बैठने लगी,”..क्या उसे औरतो का भी शौक है,सर?”

“ह..”,कामिनी ने उनका पूरा लंड अपने अंदर ले लिया था.चंद्र साहब ने उसकी गंद थाम ली,”..बहुत साल पहले जब ठुकराल कोई 30-35 साल का होगा..1 लड़की ने उसपे बलात्कार का इल्ज़ाम लगाया था,मगर फिर कुच्छ सुना नही..वैसे उसने शादी नही की कभी & अकेला ही रहता है 1 खास नौकर के साथ.क्यू पुच्छ रही हो?”

“ऐसे ही.”,कामिनी ने झुक कर अपनी बाई चूची उनके मुँह मे दी & दाई को उनके बाए हाथ मे,फिर उनका दाया हाथ अपनी गंद से लगाया & उच्छल-2 कर उनके साथ चुदाई करने लगी.

कामिनी करण के फ्लॅट के ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठी थी & वो उसकी पॅंटी उतर रहा था,दोनो अब पूरे नंगे थे.करण आज सवेर ही टूर से लौटा था & अभी कुच्छ देर पहले ही दोनो बाहर से साथ खाना खा कर लौटे थे.

दोनो सोफे पे 1 दूसरे के बगल मे बैठे थोड़ा घूम के 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे,करण ने उसकी कमर को अपने बाए हाथ से थामा & बाए से उसकी ठुड्डी पकड़ के उसके होंठ चूमने लगा,”..उउंम…. मत कैसे बिताए मैने ये दिन..!”,उसने

उसके होंठ छ्चोड़ उसे अपने से सटा लिया,कामिनी ने अपने दाए हाथ मे उसका लंड ले लिया.

करण का दिल मज़े से भर उठा ,वो उसके चेहरे को चूमते हुए उसकी जाँघ सहलाने लगा.कामिनी को भी मज़ा आ रहा था.पिच्छले 4 दीनो तक वो चंद्रा साहब से चुद्ति रही थी,इसके बावजूद उसके जोश मे कोई कमी नही आई थी.लंड पे उसके हाथ की गिरफ़्त और कस गयी.

करण ने उसकी जाँघ से हाथ उपर ले जाते हुए उसकी गंद पे रख दिया & थोड़ी देर बाद उसकी गंद से होते हुए हाथ पीछे से उसकी चूत पे आ गया & वो 1उंगली से उसकी चूत कुरेदने लगा.कामिनी की आहे नही सुनाई पड़ रही थी क्यूकी उसके मुँह मे करण की जीभ घुसी हुई थी.

कामिनी के हाथो ने उसके लंड को भी बेचैन कर दिया था,अब वक़्त आ गया था की वो अपनी प्रेमिका की चूत मे उसे घुसा दे.उसने अपना बाई बाँह कामिनी की पीठ पे लगाई & दाई से उसकी दोनो टांगो को घुटने के थोड़ा उपर से पकड़ के उठा लिया & अपने कमरे मे ले गया.

कामिनी को बिस्तर पे लिटा वो उसकी चुचियो पे झुक गया,उसका 1 हाथ उसकी चूत से चिपका उसके दाने को रगड़ रहा था.कामिनी बेचैनी से अपनी कमर हिलाते हुए आहे भरने लगी की तभी को दोनो को ड्रॉयिंग रूम से मोबाइल के रिंग टोन की आवाज़ आती सुनाई दी-ये करण का मोबाइल था.कामिनी को पूरी उम्मीद थी की करण उसे छ्चोड़ फोने के पास नही जाएगा,पर करण ने ऐसा नही किया.मोबाइल का बजना सुन वो कामिनी को छ्चोड़ फ़ौरन ड्रॉयिंग रूम मे चला गया. कामिनी को ये बहुत बुरा लगा…. कौन था जिसके फोन के लिए वो उसका चमकता बदन छ्चोड़ कर चला गया?5 मिनिट बाद कारण कमरे मे वापस आया तो कामिनी ने उसे देख गुस्से से करवट बदलते हुए मुँह फेर लिया.

“आइ’एम सॉरी.”,करण पीछे से उस से सॅट गया & उसके दाए कंधे के उपर से देखते हुए उसका चेहरा अपनी ओर घुमाया,कामिनी ने उसका हाथ झटका दिया,”..इतना गुस्सा!”

“पहले सुन तो लो किसका फोन था..”,उसने फिर से उसका चेहरा अपनी तरफ किया,उसका लंड कामिनी की गंद को च्छू रहा था,”..मेरे डॅड थे फोन पे..उन्होने कहा था की इस वक़्त फोन करेंगे.”,कामिनी ने उसकी ओर सवालिया नज़रो से देखा,”..इतनी रात को..?”

करण ने उसके गाल पे चूमा,फिर उसे उसकी बाई करवट पे बाई कोहनी के बल लेटने को कहा.वो भी वैसे ही उसके पीछे लेट गया & अपने दाये हाथ से उसके पेट को पकड़ लिया,”..हां,क्यूकी वो जहा हैअभी वाहा शाम के 7 बजे हैं.”

कामिनी ने उसका अपना दाया हाथ पीछे ले जाके उसके सर को थाम अपने चेहरे पे झुका लिया,”अच्छा!”,करण ने थोड़ी देर उसे चूमा,”..हां,मेरे डॅड लंडन मे रहते हैं.कामिनी,परिवार के नाम पे बस वोही हैं मेरे लिए..”,करण का हाथ उसके पेट से उसकी चूत पे चला गया था & वो उसके दाने को सहला रहा था,”..मा तो काफ़ी पहले गुज़र गयी.मेरे चाचा रहते थे लंडन मे,उन्होने पापा को भी वही बुला लिया & वो भी वोही सेटल हो गये..”,उसने देखा की कामिनी अब मस्ती मे कमर हिलाने लगी है.

“..मैं काम के सिलसिले मे यहा रहता हू.कभी-2 उनसे मिलने जाता हू.अब समझ मे आया क्यू भागा था फोन के लिए?”,करण ने उसकी दाई टांग को हवा मे उठा दिया & पीछे से अपना खड़ा लंड उसकी चूत मे घुसा दिया,”हां.”,कामिनी ने मस्त हो उसके सर को खींचते हुए उसके होंठ चूम लिए. करण वैसे ही घुटने से थोड़ा उपर उसकी जाँघ को हवा मे उठाए,उसे चूमते हुए उसे चोदने लगा.

आज शाम को कामिनी को षत्रुजीत सिंग की पार्टी मे जाना था & उसकी समझ मे नही आ रहा था की वो क्या पहने.वो अपने कपबोर्ड के कपड़े उलट-पलट रही थी की उसकी नज़र 1 झीनी लाल सारी पे पड़ी & उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल आया…क्यू ना आज शत्रुजीत को थोड़ा तडपया जाए!वो हुमेशा उसकी हाकतो से -उसके च्छुने से…उसकी और लड़कियो के साथ की गयी कामुक हर्कतो से तड़प उठती थी,तो आज इस बात का बदला चुकाने का अच्छा मौका था.पार्टी की भीड़-भाड़ मे वो उसके बहुत ज़्यादा करीब भी नही आ सकता था ना ही उसके बदन को ज़्यादा च्छू सकता था बस देख कर आहे भर सकता था!

सारी के ब्लाउस को ब्लाउस कहना ठीक नही होगा,वो 1 स्ट्रिंग बिकिनी का ब्रा था.सामने 2 तिकोने छ्होटे कप्स थे जो छातियो को ढँकते & उनको 1 साथ जोड़े हुए डोरिया.1 डोरी जो दोनो कप्स से जुड़ी थी,उसे माला की तरह गले मे डालने के बाद दोनो कप्स के बाहर से निकलती 2 डोरियो को पीछे पीठ पे बाँध उस ब्रा को पहना जाता था….इस लिबास मे उसके बदन को देख कर शत्रुजीत पे क्या बीतेगी..ये ख़याल आते ही कामिनी के होंठो पे मुस्कान खींच गयी.उसने तय कर लिया की आज रात वो यही सारी पहनेगी.उसने सारी को वापस कपबोर्ड मे रख उसे बंद किया & कोर्ट के लिए तैय्यार होने लगी.

शाम को कामिनी पार्टी के लिए तैय्यार हो खुद को 1 आख़िरी बार शीशे मे देख रही थी.बँधे बॉल & उसके ब्लाउस की वजह से उसकी पीठ & कमर लगभग नंगे ही थे.झीनी सारी के पार से उसका क्लीवेज भी झलक रहा था.उसने सारी को थोड़ा ठीक किया & फिर पार्टी के लिए निकल पड़ी.

ऑर्किड होटेल बस कुच्छ महीने पहले ही खुला था.उसकी 21 मंज़िला इमारत बड़ी शानदार थी.कामिनी जैसे ही होटेल मे दाखिल हुई 1 स्ट्वर्डेस उसकी तरफ आई,”मिस.शरण?”

“एस.”

“आप प्लीज़ इधर आइए.”,वो उसे 1 लिफ्ट की ओर ले गयी.उसने कुच्छ बटन्स दबाए,”..ये लिफ्ट आपको सीधा मिस्टर.सिंग की पार्टी वाले फ्लोर पे ही छ्चोड़ेगी,मॅ’म.”

“थॅंक्स.”,लिफ्ट के दरवाज़े बंद हो गये.

“वेलकम कामिनी!”,लिफ्ट खुलते ही कामिनी 1 आलीशान से सूयीट के ड्रॉयिंग एरिया मे दाखिल हुई…मगर उसे हैरत हो रही थी…पूरा कमरा खाली था.

“हैरानी हो रही है ना?..आप सोच रही हैं कि बाकी लोग कहा हैं..?”,कामिनी बस सर हिला दी.

“कामिनी,आप मेरे लिए मुक़दमे लड़ती हैं & उनमे जीतने पे खुशी या तो आपको होगी या मुझे…तो मैने सोचा की इस खुशी का जश्न भी केवल हम दोनो ही मनाए.”,उसने वाइन का ग्लास कामिनी की ओर बढ़ाया जिसे कामिनी ने मुस्कुराते हुए थाम लिया..ये तो पासा ही पलट गया था….आज तो शत्रुजीत ने पूरी तैय्यारि की हुई थी उसे सिड्यूस करने की…ठीक है…अगर वो खेल खेलना चाहता है तो वो भी..कोई कम तो नही थी…,”अच्छा!लेकिन मुझे आपके इरादे कुच्छ ठीक नही लगते,मिस्टर.सिंग!”,उसने 1 घूँट भरा.

“मेरे इरादे तो हुमेशा नेक रहते हैं,कामिनी & ये आप मुझे हमेशा मिस्टर.सिंग कह के क्यू बुलाती हैं…शत्रु कहिए.मेरे सारे दोस्त मुझे शत्रु ही बुलाते हैं.”

“कैसे दोस्त हैं जो आपको दुश्मन कहते हैं!”,कामिनी ने 1 और घूँट भरते हुए उसकी तरफ शोखी से देखा & फिर ग्लास मेज़ पे रख दिया & फिर खिड़की के पास जाकर उसके बाहर देखने लगी.नीचे पंचमहल की बत्तियाँ जगमगा रही थी & उपर आसमान मे तारे-बड़ा ही दिलकश नज़ारा था.

“तो फिर आप क्या कह के बुलाएँगी?”

“मैं आपकी दोस्त कहा हू!”,कामिनी ने उसी शोख मुस्कान के साथ उसे पलट के देखा.शत्रुजीत की नज़रे उसकी मखमली पीठ का मुआयना कर रही थी,”..तो दुश्मन भी तो नही हैं!”

उसने रिमोट से म्यूज़िक ऑन किया,”शल वी डॅन्स?”

उसने आगे बढ़ कामिनी का दाया हाथ अपने बाए हाथ मे थामा & उसे कमरे के बीच मे ले आया & फिर अपना दाया हाथ उसकी पतली,नंगी कमर मे डाल उसके साथ डॅन्स करने लगा.कामिनी के जिस्म मे सनसनाहट सी दौड़ गयी.शत्रु का बड़ा सा हाथ उसकी कमर से चिपका हुआ था & उसकी उंगलिया बहुत हल्के से बीच-2 मे उसे सहला रही थी.

“आप सभी लड़कियो को ऐसे ही इंप्रेस करने की कोशिश करते हैं?”,कामिनी का बाया हाथ उसके दाए कंधे पे था.

“सभी को नही,सिर्फ़ आपको.”,शत्रुजीत ने उसके हाथ & कमर को 1 साथ बड़े हल्के से सहलाया तो कामिनी सिहर उठी & उसकी चूत मे कसक सी उठने लगी.

“मुझपे इतनी मेहेरबानी की कोई खास वजह?”,उसने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला हुआ था..उसका जी तो कर रहा था की अभी,इसी वक़्त इस आदमी के चौड़े सीने मे अपना चेहरा च्छूपा ले & वो उसे बस अपनी बाहो मे कस ले.

“आप तो है ही खास!अब इस से खास कोई वजह हो सकती है भला?”

“आपने मुझे अपना वकील भी इसी लिए बनाया था ना की मेरे करीब आ सकें?”,शत्रुजीत के माथे पे शिकन पड़ गयी.

“कामिनी,मुझे पता है कि मेरे बारे मे तुम क्या सोचती हो..”,उसकी आवाज़ संजीदा हो गयी थी,”..लेकिन मैं अपने काम के साथ कभी भी खिलवाड़ नही करता.तुम्हे अपना वकील बनाने के पीछे बस 1 ही कारण था-तुम्हारी काबिलियत.”,दोनो ने डॅन्स करना बंद कर दिया था मगर कामिनी का 1 हाथ अभी भी उसके कंधे पे & दूसरा उसके हाथ मे था.

“..हां,मैं चाहता हू तुम्हारे करीब आना..तुम्हे वैसे प्यार करना जैसे केवल 1 मर्द 1 औरत को कर सकता है..मगर इसके लिए मैं तुम्हारी झूठी तारीफ कर तुम्हारी तौहीन नही करूँगा.आज तक मैने तुम्हारी जितनी भी तारीफ की है तुम उसकी हक़दार हो.तुम जानती हो मुझे तुम मे सबसे ज़्यादा क्या अच्छा लगता है?”,कामिनी ने बस आँखो से इशारा किया मानो पुच्छ रही हो की क्या.

“..तुम्हारा खुद पे विश्वास.तुम बहुत खूबसूरत हो & तुम्हारे इस बदन ने तो मुझे पहले दिन से ही दीवाना किया हुआ है मगर जो बात कामिनी शरण को कामिनी शरण बनाती है & मुझे तुम्हारी ओर खींचती है वो यही है-तुम्हारा अपने उपर भरोसा..तुम अगर अभी मुझे ना कह दो तो मैं इसी वक़्त तुम्हारे जिस्म से अपने हाथ खींच लूँगा..”,दोनो बड़ी गहरी नज़रो से 1 दूसरे को देख रहे थे,”..मैं पूरी ज़िंदगी तुम्हारा इंतेज़ार कर सकता हू,कामिनी..पूरी ज़िंदगी.”

“तुम्हारी इतनी अच्छी बीवी है,फिर भी तुम दूसरी औरतो के पीछे क्यू भागते हो?”,कामिनी आज शत्रुजीत नाम की इस पहेली को सुलझा ही लेना चाहती थी.

“नंदिता बहुत अच्छी है पर शायद हम दोनो 1 दूसरे के लिए नही बने हैं.”

“अगर वो और मर्दो के साथ सोए तो?”

“उसकी मर्ज़ी..मगर वो ऐसा करेगी नही.ऐसा करेगी तो उसमे & मुझमे कोई फ़र्क नही रहेगा & मेरे जैसा बनना उसे कभी भी मंज़ूर नही होगा.”,उसने कामिनी के हाथ को छ्चोड़ा तो कामिनी ने अपना दूसरा हाथ भी उसके दूसरे कंधे पे रख दिया,अब शत्रुजीत दोनो हाथो से उसकी कमर थामे हुए था.

“..वैसे भी किसी को बाँधने से क्या मिलता है!पता है,कामिनी मैं क्या सोचता हू?..अगर कोई औरत & मर्द 1 दूसरे को चाहते हैं तो उन्हे कभी भी शादी नही करनी चाहिए.”

“क्यू?”

“चाहत का मतलब 1 दूसरे को बाँधना नही,आज़ाद छ्चोड़ना है.”

“तो आज रात के बाद भी तुम मेरी ज़ाति ज़िंदगी से जुड़ा मुझसे कोई सवाल नही करोगे?”

“नही.अगर तुम खुद बोलो तो अलग बात है…मैं तुम्हारा पूरा ख़याल रखूँगा,दिल से चाहूँगा की तुम्हे कोई तकलीफ़ ना हो,मगर तुमपे कभी हक़ जता के तुम्हारी मर्ज़ी से नही रोकुंगा..देखो अगर हम दोनो 1 दूसरे के साथ खुश रहेंगे तो अपने आप ही हम 1 दूसरे की पसंद-नापसंद का ख़याल रखेंगे..अब ज़बरदस्ती तो कोई किसी को नही चाह सकता ना..तो अगर मैं तुम्हे किसी बात से तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ रोकू तो फिर रिश्ते मे कड़वाहट आ जाएगी!”

“मेरा तो मानना है,कामिनी की जितने भी दिन हम साथ रहे हैं..बस हंसते-खेलते गुज़ारदे…1 पल के लिए भी कड़वाहट हो ही क्यू ज़िंदगी मे!”,कामिनी को लगा जैसे वो खुद को बोलते हुए सुन रही हो.वो अपने पंजो पे उचकी & शत्रुजीत की गर्दन को अपनी बाहो मे क़ैद करते हुए अपने रसीले होंठ उसके होंठो से सटा दिए.

षत्रुजीत की बाहे भी उसकी कमर पे पूरी कस गयी & दोनो 1 दूसरे को बड़ी शिद्दत से चूमने लगे.कामिनी तो शत्रुजीत के छुने भर से ही बेताब हो जाती थी,आज तो उसका बदन मस्ती से थरथरा रहा था.शत्रुजीत के फौलादी सीने से उसकी नर्म च्चातिया बिल्कुल पिस गयी थी.

बेचैनी बढ़ी तो कामिनी के हाथ उसके दिल का हाल बयान करते हुए पागलो की तरह शत्रु की पीठ & छाती पे घूमने लगे.कामिनी ने हाथ आगे लेक बिना उसके से अपने लब जुड़ा किए उसकी शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया.शत्रुजीत का हाथ उसकी कमर से नीचे सरक के उसकी मस्त गंद पे आ गया था,”..उउंम्म…!”,गंद पे उसके हाथो का दबाव महसूस करते ही कामिनी करही,उसने किस तोड़ी & शत्रुजीत की शर्ट निकाल कर उसके सीने को नंगा कर दिया.

अब तक उसने शत्रुजीत के बदन को दूर से ही निहारा था,आज पहला मौका था जब वो उसे करीब से च्छू पा रही थी.उसके मन मे भरी मस्ती की शिद्दत उसके छुने से शत्रुजीत के दिल तक पहुँच रही थी.ऐसी जवान,खूबसूरत लड़की की ऐसी कामुक हर्कतो से कौन मर्द बेक़ाबू हुए बिना रह सकता है,फिर शत्रुजीत तो इस खेल का माना हुआ खिलाड़ी था!

कामिनी उसके सीने के बालो मे उंगलिया फिरस्ते हुए उसके सीने को चूम रही थी & शत्रुजीत उसकी गंद को मसल्ने के बाद हाथो को वापस उसकी कमर पे ला रहा था.कामिनी झुकी & उसके निपल को चूमने लगी,”..आअहह..!”,शत्रुजीत के बदन मे सनसनी दौड़ गयी.उसने 1 हाथ कामिनी के बालो मे घुसा दिया & दूसरे को सामने ला उसके चिकने पेट पे फिरने लगा.

कामिनी उसके सीने को लगातार चूम रही थी की तभी शत्रुजीत ने उसकी कमर मे हाथ घुसा कर उसकी सारी खोल दी.बहुत देर से उसके सीने से ढालका आँचल उसके पैरो मे फँस उसे परेशान कर रहा था.कामिनी ने भी उसे झट से अपने बदन से अलग कर दिया & फिर शत्रुजीत से चिपक गयी.

शत्रुजीत ने उसके चेहरे को चूमा& फिर उसके बड़े से क्लीवेज पे झुक गया,”..ऊऊंन्न..ह..!”,कामिनी ने उसे अपने सीने पे दबा दिया & उसकी पीठ पे अपने नाख़ून चलाने लगी.शत्रुजीत ने उसकी कमर थाम उसे खुद से पूरा सटा लिया & उसके क्लीवेज से उपर आ उसकी गर्दन चूमने लगा.कामिनी भी उसकी कमर थामे उस से सटी हवा मे उड़ रही थी.शत्रुजीत का लंड उसकी चूत से बिल्कुल सटा हुआ था & चूत का गीलेपान से बुरा हाल था.

कामिनी को ये अंदाज़ा हो गया था की शत्रुजीत का लंड काफ़ी बड़ा है,इस वक़्त उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई पाइप का टुकड़ा उसकी चूत से दबा हो.उसके दिल मे उस लंड को नंगा देखने,उस से खेलने की तमन्ना जाग उठी.उसने हाथ नीचे ला शत्रुजीत की बेल्ट खोल दी तो शत्रुजीत भी उसके पेटिकोट को खोलने की कोशिश करने लगा.

दोनो की बेचैनी इस कदर बढ़ गयी थी की दोनो 1 दूसरे से लगे हुए & जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगे.शत्रुजीत ने पॅंट उतार कर सामने देखा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया,कामिनी अब केवल स्ट्रिंग बिकिनी मे थी.डोरियो से बँधे लाल ब्रा & पॅंटी मे वो इस वक़्त साक्षात रति लग रही थी.कामिनी की निगाहे भी शत्रुजीत के अंडरवेर से चिपकी हुई थी.अंडरवेर बहुत ज़्यादा फूला हुआ था.

शत्रुजीत आगे बढ़ा तो वो भी फ़ौरन उसकी बाहो मे समा गयी.दोनो के लगभग नंगे जिस्म 1 दूसरे से ऐसे चिपके थे की अगर दूर से देखते तो लगता की 1 ही हैं.शत्रुजीत बस कामिनी के बदन को अपने हाथो से मसले जा रहा था & कामिनी भी उसके कसरती जिस्म के 1-1 हिस्से को जैसे च्छू लेना चाहती थी.

थोड़ी देर चूमने के बाद शत्रुजीत ने अपनी बाहे वैसे ही उसके बदन के गिर्द रखे हुए नीचे कर उसकी गंद के नीचे लगाई & उसे उठा लिया & सूयीट के बेडरूम की तरफ बढ़ चला.कामिनी सर झुका कर उसे चूमने लगी.उसके हाथ उसके कंधे पे टीके हुए थे.

कमरे मे घुस दोनो बिस्तर पे घुटनो के बल खड़े 1 दूसरे को चूमने लगे तो कामिनी का हाथ शत्रुजीत की पीठ पे घूमने के बाद नीचे आया & उसका अंडरवेर खोलने लगा.शत्रुजीत खड़ा हुआ & कामिनी ने 1 झटके मे अंडरवेर को उसके जिस्म से अलग कर दिया.

“..हाअ..!”,कामिनी का 1 हाथ अपने हैरत मे खुले मुँह पे चला गया,उसके सामने शत्रुजीत का 9 इंच लंबा & मोटा लंड खड़ा था.लंड का रंग बिल्कुल काला था & शत्रुजीत ने चुकी अपनी झांते बिल्कुल सॉफ की हुई थी,वो और ज़्यादा बड़ा लग रहा था.नीचे 2 बड़े से अंडे लटक रहे थे,जोकि इस वक़्त बिल्कुल कसे हुए थे.

“..उउफ़फ्फ़…जीत..कितना बड़ा है ये!”,कामिनी ने घुटनो पे बैठ उसके लंड को च्छुआ तो शत्रुजीत के बदन मे सनसनाहट दौड़ गयी & उसने कामिनी के सर को पकड़ लिया.कामिनी के दिल मे भी जोश भर गया,उसने लंड को अपनी मुट्ठी मे कसा तो पाया की उसकी मुट्ठी उसपे पूरी नही कस पा रही थी….उसकी नाज़ुक सी चूत का क्या हाल करेगा ये!1 पल को उसे थोड़ी गबराहट हुई पर अगले ही पल उसके दिलो-दिमाग़ पे च्छाई खुमारी ने उसे ये सोचने पे मजबूर कर दिया की आज उसकी चूत पूरी की पूरी भरेगी बल्कि ये लंड तो शायद उसकी कोख को भी च्छू ले. उसने लंड को हिलाया & उसकी जड़ के उपर शत्रुजीत को चूम लिया तो उसके मुँह से आह निकल पड़ी.शत्रुजीत ने उसके सर को और कस के पकड़ लिया.कामिनी ने अपना मुँह खोला & लंड को अपने मुँह मे घुसाने लगी.लंड इतना मोटा था की उसके होंठ पूरे फैल गये & उसके मुँह मे थोड़ा दर्द होने लगा. जितना लंड उसके मुँह मे आसानी से घुसा उसे घुसने के बाद उसने बाहर के हिस्से पे हाथ & अंदर के हिस्से पे ज़ुबान चलाना शुरू कर दिया.शत्रुजीत तो बस मस्ती मे पागल हो गया.वो कामिनी के सर को पकड़े हल्के-2 कमर हिलाने लगा जैसे की वो उसके मुँह को चोद रहा हो.कामिनी भी उसके लंड से बस खेले ही जा रही थी.

लंड को मुँह से निकाल उसने पूरे लंड को उपर से नीचे तक चटा & फिर उसके अंदो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया.शत्रुजीत को लगा की उसके अंदर उबाल रहा लावा अभी कामिनी के हाथो मे ही छूट जाएगा.उसने बड़ी मुश्किल से खुद पे काबू रखा.कामिनी तो जैसे दूसरी ही दुनिया मे थी,लंड के आस-पास 1 भी बाल ना होने के कारण वो उसके आस पास भी जम के चूम-चाट रही थी.

शत्रुजीत अभी नही झड़ना चाहता था,उसने उसका सर अपने लंड से खींचा & झुक कर अपने घुटनो पे बैठ गया & उसे बाहो मे भर चूमने लगा.चूमते हुए उसने उसकी ब्रा की डोरिया खोली तो कामिनी ने अलग हो उसकी ब्रा को गर्दन से निकालने मे मदद की.

“वाउ..!कितनी मस्त चुचिया हैं तुम्हारी कामिनी!”,उसने उन्हे हाथो मे भर लिया,”..इतनी कसी हुई & ये निपल कितने प्यारे लग रहे हैं..!”,अपने प्रेमी के मुँह से अपनी तारीफ सुन कामिनी के दिल मे खुशी की लहर दौड़ गयी,”..तुम्हारी ही हैं जीत..पी जाओ इन्हे…& मेरी भी प्यास बुझाओ.”

“ऊव्वववव..!”,शत्रुजीत ने उसकी चूचियो को हाथो मे भर अपनी ओर खींचा & मुँह मे भर लिया.कामिनी ने उसके बालो मे बैचेनी से उंगलिया फिराने लगी.उसकी आँखे बंद हो गयी & वो जैसे नशे मे चली गयी.शत्रुजीत के बड़े-2 हाथ उसकी कसी छातियो को पूरा दबोच कर मसलते तो उसके बदन मे जैसे बिजली दौड़ जाती,उसकी चूत मे जैसे कोई बड़ी बेचैनी का एहसास होता & वो अपना बदन मोड़ बेसब्री से पानी कमर हिलाने लगती.

उसकी चूत का बुरा हाल था & उसने इतना पानी छ्चोड़ा था की उसकी पॅंटी पे 1 बड़ा गोल सा धब्बा पड़ गया था.शत्रुजीत ने जी भर कर उसकी चुचियो से खेला,अब दोनो के दिलो मे भड़क रही आग कुच्छ ज़्यादा ही तेज़ हो गयी थी & दोनो बस इसमे जल जाना चाहते थे.शत्रुजीत ने उसकी कमर की दोनो तरफ बँधी पॅंटी की डोरियो को खींचा तो पॅंटी उसकी कमर से तो ढालाक गयी पर उसके रस से भीगी होने के कारण उसकी चूत से चिपकी रही.

शत्रुजीत ने धीरे से पॅंटी को खींच उसे कामिनी के बदन से जुदा किया,”..ओह माइ गॉड..!”,उसने कामिनी को लिटा दिया & बिजली सी तेज़ी से घूम कर उसकी टाँगो के बीच झुक उसकी गंद के नीचे अपने बड़े-2 हाथ लगा के उसकी कमर को हवा मे उठा दिया & उसकी गीली,गुलाबी चूत निहारने लगा.वो बस उसकी गंद थामे उसकी चूत देखे जा रहा था,कामिनी ने नज़रे नीची की & बड़े प्यार से उसके सर पे हाथ फिराया,”क्या देख रहे हो जीत?…कुच्छ करो ना..!तब से ये तुम्हारे इंतेज़ार मे ही तो पागल हो रही है..”

शत्रुजीत ने मुस्कुरा के उसकी ओर देखा,फिर 1 तकिया खींच कर उसकी गंद के नीचे लगा दिया.उसने अपनी 1 उंगली उसकी चूत मे डाली तो कामिनी कराह उठी,”..आहह..”.इसके बाद तो शत्रुजीत जैसे पागल हो गया.उसने अपना मुँह उसकी चूत से  लगा उसे चाटना शुरू किया तो कामिनी आहे भरने लगी & फ़ौरन झाड़ गयी,मगर शत्रुजीत ने अपना मुँह उसपे से नही हटाया.वो उसे बदस्तूर चूमे चाते जा रहा था.कामिनी उसकी इस हरकत से मज़े मे छटपटाने लगी & उसकी आहे इतनी तेज़ हो गयी की वो आहे थी या चीखे,ये बताना मुश्किल हो गया.

पता नही कितनी देर तक शत्रुजीत उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटता रहा.कामिनी बस उसका सर अपनी जाँघो मे भींचे उसके बालो को खींचती झाडे जा रही.तभी शत्रुजीत ने अपना मुँह उठाया & अपनी उंगली उसकी चूत मे घुसा दी.चूत की दीवारो को रगड़ता हुआ जैसे वो उनपे कुच्छ ढूंड रहा था ,”…आआहह…!”,कामिनी ने अपनी कमर उच्छलते हुए ज़ोर की आह भरी,शत्रुजीत ने उसका जी-स्पॉट ढूंड कर उसे छेड़ दिया था.कामिनी को आज तक झड़ने के वक़्त ऐसा एहसास नही हुआ था,इतना मज़ा…की बर्दाश्त ही ना हो!उसने शत्रुजीत के हाथ को अलग कर करवट बदल ली & सुबकने लगी.

शत्रुजीत उसके पीछे जा उसके बाल सहलाते हुए उसकी मखमली पीठ चूमने लगा.थोड़ी देर बाद जब उसे लगा की कामिनी संभाल गयी है तो उसने उसकी पीठ चूमते हुए नीचे जाना शुरू किया.उसकी कमर के बाल पे उसने चूमा तो कामिनी फिर से मस्त हो उठी.शत्रुजीत ने उसे उल्टा कर उसकी गंद पे अपने होंठ सटा दिए.कामिनी अब फिर से हवा मे उड़ने लगी.

शत्रुजीत उसकी गंद से नीचे उसकी जाँघो के पिच्छले हिस्से को चूमते उसके नाज़ुक पैरो तक पहुँचा & उन्हे पकड़ कर कामिनी को घुमा कर सीधा कर दिया.फिर उसके पैरो के पास अपने घुटनो पे बैठ उसके पैर हवा मे उठा उन्हे बारी-2 से चूमने लगा.कामिनी ने देखा की उसका लंड उसके सामने खड़ा है,अब वो उसे अपने अंदर लेने के लिए बेचैन हो उठी थी,”..जीत अब डालो ना इसे अंदर..”,उसने हाथ बढ़ा के उसे पकड़ने की कोशिश की.”ह्म्म..”,शत्रुजीत ने उसकी बात शायद नही सुनी,”..अपने लंड को अब अंदर डालो ना..”,उसने हाथ बढ़ा के लंड को च्छू लिया.शत्रुजीत ने उसकी टाँगे फैलाई & उसकी दोनो टांगो को झुक के अपने कंधो पे रख लिया.ऐसा करने से उसकी गंद बिस्तर से उठ गयी & चूत पूरी उभर कर उसके सामने आ गयी.

उसने आगे झुकते हुए लंड को उसकी चूत पे रखा तो कामिनी उचक कर तकिये से सर उठा नीचे देखने लगी,वो इस पल को देख अपने ज़हन मे क़ैद कर लेना चाहती थी.उसकी गोरी,गुलाबी चूत के गीलेपान के चलते शत्रुजीत का लंबा,मोटा,काला लंड बड़ी आसानी से उसके अंदर जाने लगा,”..आहह….आन्ं..ह..!”

1 बार फिर कमरे मे कामिनी की मस्ती भरी आवाज़े गुउंजने लगी.शत्रुजीत बड़े हौले-2 लंड को अंदर घुसा रहा था.कामिनी ने अब तक जो सबसे बड़ा लंड अपने अंदर लिया था,वो था कारण का-7 1/2 इंच.शत्रुजीत का लंड उस से 1 1/2 इंच बड़ा था.तो जैसे ही आख़िरी 1 1/2 इंच चूत मे घुसने लगा उसे थोड़ा दर्द महसूस हुआ,”..आईइय्य्यीए..” पूरा लंड अंदर घुसने के बाद शत्रुजीत थोड़ी देर रुका &फिर वैसे ही उसकी टाँगे कंधे पे चढ़ाए बहुत हल्के-धक्के लगाने लगा.थोड़ी देर मे ही कामिनी की तकलीफ़ ख़त्म हो गयी & वो लंड को चूत मे आता-जाता देखते हुए,अपने हाथ बढ़ा शत्रुजीत के बदन को सहलाने लगी.

शत्रुजीत ने अपने कंधो से उसकी टाँगे उतारी & फिर उसके उपर लेट गया & चूमने लगा.कामिनी ने भी फ़ौरन उसे अपनी बाहो मे भर लिया,”..ओह्ह्ह..जीत…”थोड़ी देर चूमने के बाद शत्रुजीत उसके सीने से उठा & अपनी कमर उचका के लंड लगभग पूरा बाहर निकाल लिया. बस 1/2 इंच लंड कामिनी की चूत के अंदर था & वो अपने हाथो से उसके सीने के बालो से खल्ती हुई उसकी अगली चल का इंतेज़ार कर रही थी.तभी शत्रुजीत ने 1 ज़ोर के धक्के के साथ पूरा लंड वापस उसकी चूत मे धंसा दिया,”..एयीयैआइयैयीईयेयीईयी… !”,कामिनी चिल्लाई पर उसे बहुत मज़ा आया था.उसने अपने नाख़ून शत्रुजीत की पीठ मे गढ़ा दिए तो वो वैसे ही तेज़ी से गहरे धक्के लगाने लगा. शत्रुजीत अब अपनी कोहनी के बल लेटा उसकी चुचियो & चेहरे को चूमता हुआ तेज़ी से उसे चोद रहा था & कामिनी पागलो की तरह चिल्ला रही थी,”..हां…हा…अन्न..आई..से..शी….चू..दद्दूऊ…मुझ..ईयीई..हाईईईई…रा….अम्म्म्म….जी..ईत्त्त…!”

कामिनी का जोश के मारे बुरा हाल था .उसने शत्रुजीत के कंधे पकड़े & अपनी टाँगे उसकी कमर पे कस दी & 1 झटके मे पलट के उसके उपर हो गयी.फिर उसके सीने पे हाथ रख पागलो की तरह कमर हिला के उसे चोदने लगी.कामिनी ने बेचैनी से अपने दोनो हाथ अपने सर पे रख लिए.उसके दिल मे इस काले लंड को उसकी गुलाबी चूत को चोद्ते हुए देखने की हसरत जागी.

वो पीछे हो झुकी & अपने हाथ उसकी टाँगो पे रख दिए & फिर कमर हिलाके चोद्ते हुए लंड को अपनी चूत मे आते-जाते देखने लगी.जब लंड जड़ तक उसकी चूत मे धंसता तो दोनो के नाज़ुक अंगो के पास की जगह सॅट जाती,दोनो ने वाहा पर के 1-1 बाल सॉफ कर दिए थे & इस सेसतने का एहसास और नशीला हो गया था.कामिनी की चूत अब बस और बर्दाश्त नही कर सकती थी & वो बस झड़ने ही वाली थी. शत्रुजीत उसकी जंघे थामे उसकी चुदाई का लुत्फ़ उठा रहा था,उसने भाँप लिया की उसकी प्रेमिका झड़ने वाली है तो उसने अपना दाया हाथ उसकी बाई जाँघ से हटाया & उसकी चूत के दाने पे लगा दिया,”.ऊहह…!”,कामिनी की चूत मे इतनी देर से बन रहा तनाव जैसे 1 झटके मे ही बाँध तोड़ता हुआ बाहर निकल गया & वो आहे भरते हुए झाड़ गयी.

वो निढाल हो पीछे ही गिरने वाली थी की शत्रुजीत फ़ौरन उठा & उसे अपनी बाहो मे भर लिया.अब कामिनी उसकी गोद मे बैठी उसके गले से लगी लंबी साँसे भर रही थी.शत्रुजीत बड़े प्यार से उसके जिस्म को सहलाते हुए उसके सर को हल्के-2 चूम रहा था. शत्रुजीत ने कैसे खुद पे काबू रखा था ये वोही जानता था.कामिनी के अंदर उसका लंड बिल्कुल कड़ा बस झड़ने को तैय्यार था मगर उसकी हसरत थी इस हसीन लड़की के साथ-2 झड़ना.उसने हल्के से कमर हिलाई तो लंड चूत के अंदर सुगबुगया.कामिनी के दिल मे भी फिर से मस्ती हिलोरे मारने लगी.उसने शत्रुजीत की गर्दन को बाहो मे कसा & उसके चेहरे को चूमते हुए हल्के-2 कमर हिलाने लगी.

शत्रुजीत समझ गया कि वो फिर से तैय्यार हो चुकी है.उसने फ़ौरन उसे पलट कर अपने नीचे किया & उसके उपर झुक बड़े गहरे धक्के लगाने लगा.कामिनी ने फिर से उसे अपनी बाहो & टाँगो मे कस लिया.उसकी उंगलियो के नाख़ून शत्रुजीत की पीठ पे अपने निशान छ्चोड़ने लगे तो शत्रुजीत के धक्को मे और तेज़ी आ गयी.

“हा..आन..हान्न..अहहनन्न…बस जे..ईत्त..तोड़.ईई..देर..आ..उर…मैं..बस..झा..दने…वा..ली…हू…”,उसने अपने हाथ पीठ से हटा उसकी गंद पे लगा दिए & उसमे अपने नाख़ून धंसा दिए.इस हरकत से शत्रुजीत बिल्कुल पागल हो गया,वो झुका & उसकी 1 चुचि अपने मुँह मे भर चूस्ते हुए बहुत ज़्यादा तेज़ धक्के लगाने लगा.

कामिनी की चूत पे इस बार उसके लंड की सीधी मार पड़ रही थी & वो शत्रुजीत के जिस्म से पूरी तरह चिपकी हुई उसकी गंद पे हाथ कसे जोश मे उसका नाम पुकारे जा रही थी.शत्रुजीत ने 1 कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर का धक्का मारा,लंड उसकी कोख से टकराया & वो इसे बर्दाश्त नही कर पाई-वो सुबक्ते हुए झाड़ गयी & उसकी चूत किसी नदी की तरह बहने लगी.ठीक उसी वक़्त शत्रुजीत ने भी अपने उबलते लावा पे से रोक हटा दी & मानो कामिनी की चूत मे बस बाढ़ आ गयी.

षत्रुजीत उसके सीने पे गिर गया & उसकी नर्म,गद्देदार चूचियो को तकिया बना उनपे सर रख लंबी-2 साँसे भरने लगा.कामिनी भी हाँफ रही थी.उसने शत्रुजीत के सर को अपने हाथो मे ले लिए & उसके सर को चूमने लगी.

“तो जीत बुलाओगी तुम मुझे?”,शत्रुजीत ने सर उठा कर उसकी आँखो मे झाँका.

“हां,इतनी प्यारी चीज़ का मलिक मेरा शत्रु तो हो ही नही सकता!”,कामिनी का इशारा उसके लंड को ओर था जो सिकुड़ने के बावजूद उसकी चूत के अंदर था.दोनो हंस पड़े.शत्रुजीत ने उसके उपर से हटना चाहा तो कामिनी ने उसे रोक दिया,”थोड़ी देर ऐसे ही रहो ना,अच्छा लगता था.”

शत्रुजीत ने झुक कर उसके गाल को चूम लिया.कामिनी उसके सीने के बालो मे हाथ फिरने लगी.माहौल फिर मस्त हो रहा था.थोड़ी ही देर बाद,शत्रुजीत का लंड खड़ा हो चुका था & वो 1 बार फिर कामिनी की चुदाई मे जुट गया.

जगबीर ठुकराल अपनी ऐषगाह मे अकेला बेचैनी से चहलकदमी कर रहा था,उसने दीवार घड़ी को देखा-11 बज रहे थे,अभी तक माधो ने फोन क्यू नही किया था?!बेचैनी बढ़ी तो वो ऐषगाह से बाहर निकल लड़कियो के रहने के कमरो की ओर बढ़ा & उनमे से 1 मे दाखिल हो गया. लड़की शायद नहा रही थी,बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी.उसने हाथ मे पकड़ा मोबाइल मेज़ पे रखा & अपना ड्रेसिंग गाउन उतार मुस्कुराता हुआ बाथरूम मे घुस गया.

“हान्न्ह…!”,शवर के नीचे खड़ी लड़की चौंक पड़ी क्यूकी ठुकराल ने उसे पीछे से अपनी बाहो मे जाकड़ लिया था,”..ओह्ह..आप हैं…ऊओवव…!”,ठुकराल ने उसके कान पे हौले से काट लिया.उसने उसकी च्चाटिया मसली तो लड़की ने हाथ पीच्चे ले जाके उसके सोए लंड को पकड़ लिया.ठुकराल उसकी नाभि कुरेदते हुए,उसकी जीभ से अपनी जीभ लड़ते हुए उसकी चूचिया मसल रहा था की तभी उसके कानो मे उसके मोबाइल बजने की आवाज़ आई. वो भागता हुआ बाथरूम से निकला,”हेलो.”,लड़की आके उसके पीछे से उस से चिपक गयी & अपने हाथो मे उसके लंड को थाम उसकी पीठ चूमने लगी.

“..बहुत अच्छे माधो!”,उसने मोबाइल बंद किया & घूम कर लड़की को उठा कर उसके बिस्तर पे लिटा दिया & उसकी टांगे फैला उसकी चूत मे अपना लंड घुसाने लगा.

कामिनी की नींद खुली तो उसने देखा की दिन बहुत चढ़ आया था.वो उठी तो उसने पाया की शत्रुजीत वाहा नही था.वो बिस्तर से उतर कर बाथरूम मे चली गयी.जब बाहर आई तो देखा की शत्रुजीत 1 कुर्सी पे बैठा अख़बार पढ़ रहा था.उसने 1 बाथिंग गाउन पहना हुआ था,शायद थोड़ी देर पहले ही वो नाहया था.

उसे देख शत्रुजीत ने अख़बार किनारे रखा दिया & उसके नंगे जिस्म को निहारने लगा.कामिनी उसके पास आई & उसके गले मे बाहे डाल उसे चूमने लगी.शत्रुजीत उसकी जंघे & पीठ सहलाते हुए उसकी किस का जवाब देने लगा कि उसका मोबाइल बजा.उसने किस तोड़ मेज़ से फोन उठाया,”हां,बेटा?…क्या?!..मैं अभी ऑफीस आ रहा हू.”

“क्या हुआ?”

“तुम्हारी ज़रूरत पड़ी है,कामिनी.चलो,रास्ते मे सब बताता हू.”

“..तो ये है उस नत्थू राम का परिचय जिसके बारे मे उसकी बेटी ने आज पोलीस मे रपट लिखाई है कि वो गायब हो गया है .”,दोनो पहले कामिनी के घर गये थे जहा उसने कपड़े बदले & अब शत्रुजीत की कार मे बैठे त्रिवेणी ग्रूप के दफ़्तर को जा रहे थे,”..चूँकि वो मुझे अपना घर बेच नही रहा था तो पोलीस को कुच्छ तो शक़ होगा ही,बस इसी सिलसिले मे वो मुझसे कुच्छ पुछ्ताछ करना चाहती है.जब अब्दुल को पता चला तो उसने उन्हे ऑफीस बुला लिया.”,थोड़ी ही देर बाद कार ऑफीस के बाहर खड़ी थी.

“नत्थू राम कल दोपहर को बाज़ार के लिए निकला & फिर उसके बाद घर नही लौटा.उसकी बेटी दूसरे शहर से यहा चुट्टियो मे अपने बच्चो के साथ उसके पास आई थी.उसी ने पोलीस मे रिपोर्ट दर्ज कराई & साथ ही ये भी कहा कि वो आजकल  परेशान था क्यूकी..”,इनस्पेक्टर 1 पल के लिए रुका,”..क्यूकी आपलोग उसपे घर बेचने के लिए बहुत दबाव डाल रहे थे.”

“इनस्पेक्टर,मेरी कंपनी के लोग..ये मेरा भाई अब्दुल & मैं खुद भी उस से मिल चुके थे & हर बार उसने मकान बेचने से इनकार ही किया था.इस से ज़्यादा ना हमने उस से कुच्छ कहा ना उसने हमसे.मेरी समझ मे ये नही आता की आप मुझसे उसके बारे मे क्यू पुच्छ रहे हैं.”,षत्रुजीत सिंग ने इनस्पेक्टर की तरफ देख.उसके अलावा कमरे मे अब्दुल पाशा,जयंत पुराणिक & कामिनी मौजूद थे.

“इनस्पेक्टर,मैं कामिनी शरण,मिस्टर.सिंग की वकील हू.आप मेरे क्लाइंट से आगे कुच्छ पुच्छें,उसके पहले मैं आपको 1 बात बता देना चाहती हू.नत्थू राम सुभाष नगर मे अकेला आदमी था जिसे अपना मकान बेचने से ऐतराज़ था.बाकी सभी लोगो ने खुशी-2 अपने मकान बेच दिए सिवाय उसके.हम उसके खिलाफ कोर्ट मे केस करने वाले थे & हमे पूरा यकीन था की फ़ैसला हमारे ही हक़ मे होता.अब ऐसी सूरत मे मेरे क्लाइंट का उसके साथ कुच्छ गैर क़ानूनी करने की वजह मेरी समझ मे तो नही आती.”

“देखिए वकील साहिबा,मैं रिपोर्ट दर्ज होते ही सीधे यहा नही आ गया हू.हमने पूरी तहकीकात कर ली है-ना ही उसका आक्सिडेंट हुआ है, और ना किसी हॉस्पिटल मे उसके भरती होने की खबर है.वो शराबी था,मगर आज तक उसने पी कर कोई बखेड़ा नही किया.दुनिया मे बेटी के सिवा उसका कोई रिश्तेदार नही,उस से & उसके ससुराल वालो से भी उसकी अच्छी बनती है.अगर किसी बात का उसे तनाव था तो वो यही मकान वाली बात हो सकती है.अब इस मे तो हमे यहा पुचहताच्छ करने आना ही था ना.” इनस्पेक्टर ने शत्रुजीत & पशा से उनकी नत्थू राम से की गयी मुलाक़ातो के बारे मे कुच्छ और सवाल किए & फिर चला गया.

“शत्रुजीत,मुझे ये मामला कुच्छ ठीक नही लग रहा.”

“क्यू,अंकल जे?”

“पता नही.मुझे लगता है कि इसके पीछे किसी दुश्मन का हाथ है?”

“दुश्मन!कौन?!”

जवाब मे पुराणिक खामोश रहे मगर ऐसा लगता था जैसे उन्हे अंदाज़ा था कि वो दुश्मन कौन था. कामिनी अपनी सारी उठाए करण के ऑफीस के डेस्क पे झुकी हुई थी & वो नीचे बैठा उसके पीछे से उसकी चूत चाट रहा था,”..ऊवन्न्नह…करण,डर लग रहा है.कही कोई आ ना जाए.”

दोनो ने साथ लंच किया था,उसके बाद करण ने उसे कार मे ऐसे गर्मजोशी से चूमा & उसके नाज़ुक अंग दबाए की दोनो बहुत गरम हो गये & उसके ऑफीस चले आए अपनी प्यास बुझाने के लिए,वैसे भी कामिनी आज रात उस से मिल नही सकती थी क्यूकी आज की रात वो 1 बार फिर शत्रुजीत की बाहो मे गुज़रने वाली थी,”घबराव मत,मेरी जान!कोई नही आएगा.”,करण खड़ा हुआ & अपनी पॅंट खोल कर पीछे से लंड उसकी गीली चूत मे घुसाने लगा.लंड पूरा अंदर जाते ही वो झुक कर उसकी पीठ से सॅट गया,उसने हाथ आगे ले जाके ब्लाउस के उपर से ही उसकी चूचिया दबानी शुरू कर दी & धक्के लगाने लगा.उसके ऐसा करते ही कामिनी गर्दन घूमकर उसे चूमने लगी & उसकी चुदाई का मज़ा उठाने लगी.

“माधो,तुम्हे उसे सबकी नज़रो से छुप के वाहा पहुचना है.मैं जानता हू तुम्हारे लिए ये बाए हाथ का खेल है मगर फिर भी सावधान रहना.”,जगबीर ठुकराल फूलो से सजे बिस्तर पे अपनी रखैलो से घिरा बैठा था.1 उसके लंड को चूस रही थी & 2 उसके पीछे बैठी उसके सर & बदन को सहला रही थी.ठुकराल उनकी बड़ी,गोरी छातियो से टेक लगाके बैठा था.1 उसके पहलू मे बैठी अपने हाथो से उसे शराब पीला रही थी & 1 वाहा हाथो मे नोटो की गॅडी लिए खड़ी थी.सभी लड़कियो के बदन पे 1पॅंटी के अलावा कोई कपड़ा नही था.

“आप फ़िक्र मत करे,हुज़ूर.”,माधो पे जैसे इस गरम नज़ारे का कोई असर ही नही था.

“ये पैसे रख लो & उन दोनो को आगे का प्लान 1 बार फिर समझा देना.अब जाओ.”,माधो ने पैसे लिए & अपने मालिक को हाथ जोड़ कर चला गया.ठुकराल ने उस खड़ी हुई लड़की को इशारा किया तो उस लड़की ने अपनी पॅंटी उतारी & उसके खड़े लंड को अपनी चूत मे घुसाते हुए उसकी गोद मे बैठने लगी.

रात कामिनी फिर शत्रुजीत के साथ उसके बिस्तर मे नंगी पड़ी हुई थी.वो उसकी चूचिया दबा & चूस रहा था & वो अपना हाथ नीचे ले जाके उसके अंडे दबा रही थी,”जीत….उउउम्म्म्मम..!” “ह्म्‍म्म..बोलो.”,शत्रुजीत उसके निपल को अपने अंगूठे & उंगली के बीच पकड़ के मसल रहा था. “..आननह..तुम्हे क्या लग..ता है..कोई तुम्हे फॅन..सा..ना च..आह रहा… है..?”

“पता नही.अंकल जे ऐसा सोचते हैं.अब्दुल को भी लगता है मगर मुझे अभी तक ऐसा कुच्छ नही लगता.”,वो अब उसकी बड़ी-2 आँखो मे झाँकते हुए अपनी उंगली से उसकी चूत मार रहा था. कामिनी ने उसका हाथ अपनी चूत से अलग किया & उसे पलट के उसपे सवार हो उसके चेहरे को चूमने लगी,शत्रुजीत के हाथ उसकी पीठ से ले उसकी गंद तक फिसलने लगे,”1 बात पुच्छू?”,वो उसके सीने पे बेचैनी से हाथ फिराते हुए उसके गाल चूम रही थी,”..पुछो?”

“अब्दुल & तुम्हारा क्या रिश्ता है?”,वो नीचे आ उसके सीने को चूम रही थी,”..पता है..”,उसने सर उठा कर शत्रुजीत की आँखो मे देखा,”..मुझे उस से बहुत डर लगता है..”

“क्या?!हा..हा..हा..!”,शत्रुजीत हंस पड़ा,”..अब्दुल से डर!…”,कामिनी और नीचे जा उसके लंड को हाथो मे ले उसके आस-पास शत्रुजीत के पेट को चूम रही थी,”..वैसे मैं समझ सकता हू.केयी लोगो पे अब्दुल का ऐसा असर होता है,मगर वो बहुत अच्छा इंसान है,कामिनी.उस बेचारे की कहानी बहुत दर्द भारी है.”,कामिनी उसके लंड को चूसने लगी थी.शत्ृजीत ने हाथ बढ़ा के उसकी बाई जाँघ को पकड़ के अपनी तरफ खींच के उसे अपने उपर 69 पोज़िशन मे ले लिया.अब कामिनी उसके उपर,उसके मुँह पे अपनी चूत दबाए उसके लंड को चूस रही थी.

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