You dont have javascript enabled! Please enable it! कामिनी - गहरी चाल | Update 16 | Erotic Adult Sex Story - KamKatha
कामिनी – गहरी चाल Suspense Thrill Story with Erotic Sex Tadka

कामिनी – गहरी चाल | Update 16 | Erotic Adult Sex Story

होटेल से निकलते ही टोनी & शॅरन टॅक्सी खोजने लगे,”सुखी..इस बार तू कौव्वे के पीछे जाना & मैं मोती के पीछे जाऊँगा.”

“आप बॉस हो,आपका हुक्म सर आँखो पे!..आप ही ऐश करो.”,उसकी बात सुन मोहसिन जमाल ने उसकी पीठ पे 1 धौल जमाया & हंसते हुए अपनी टॅक्सी की ओर बढ़ गया.मोहसिन शॅरन की टॅक्सी के पीछे चला जा रहा था,कोई 20 मिनिट बाद उसने देखा की सेंट्रल मार्केट के पास उसने टॅक्सी छ्चोड़ दी.

मोहसिन कार मे बैठा-2 उसकी हरकते देख रहा था.शॅरन टॅक्सी से उतर के मार्केट के अंदर दाखिल हो गयी,मोहसिन ने टॅक्सी पार्क की & उसके पीछे हो लिया.शॅरन मार्केट के बीच से होते हुए चली जा रही थी,मोहसिन समझ गया था की वो यहा शॉपिंग के लिए नही आई है,फिर उसका मक़सद क्या था?

थोड़ी ही देर मे मोहसिन को अपने सवाल का जवाब मिल गया,शॅरन तेज़ी से मार्केट के दूसरी ओर बनी पार्किंग मे जा रही थी.मोहसिन रुक गया & गौर से उसे जाते देखने लगा.उसने देखा की शॅरन 1 सफेद रंग की मारुति सुज़ुकी डज़ीरे के पास जाके रुक गयी.1 लंबे,घनी मूच्छो वाले ड्राइवर ने पिच्छली सीट का दरवाज़ा उसके लिए खोला.ये देखते ही मोहसिन घुमा & बिजली की तेज़ी से अपनी टॅक्सी की ओर भागा.2 मिनिट के अंदर-2 वो अपनी टॅक्सी लिए पार्किंग के बाहर खड़ा था.

मोहसिन कार का पीछा करते-2 सेक्टर-52,विकास खंड पहुँच गया.उसने देखा की डज़ीरे 1 घर के गेट के अंदर चली गयी,उसने उस मकान का पता नोट किया & वाहा से निकल ने ही वाला था की देखा की वोही कार वापस आई मगर इस बार उसकी पिच्छळी सीट पे कोई नही बैठा था.कार उस मकान की दीवार के साथ-2 चलते हुए बाए मूडी & उस मकान से सटे बने हुए बंगल के मैं गेट मे दाखिल हो गयी.मोहसिन ने टॅक्सी उस बंगल के सामने से ले जाते हुए नेम प्लेट का नाम पढ़ा & फिर वाहा से निकल गया.उसके तेज़ दिमाग़ ने ये अंदाज़ा लगा ही लिया था की बगल का मकान भी बुंगले के मालिक जगबीर ठुकारल का ही होगा..बस इस बात को साबित करने के लिए उसे थोड़ा काम करना होगा & फिर वो कामिनी को अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है.

“…आअहह…हाइईईई…..!”,कामिनी होटेल के बिस्तर पे अपनी बाई कोहनी पे करवट लिए लेटी थी & उसके पीछे चंद्रा साहब उसकी दाई जाँघ को हवा मे उठाए पीछे से उस से सटे हुए उसकी चूत मे अपना लंड घुसेडे उसे चोद रहे थे,चंद्रा साहब का बाए हाथ उसकी उठी कोहनी & बदन के बीच से घुस कर उसकी चूचियो को मसल रहा था & दाया उसकी जाँघ उठाए उसे सहला रहा था.कामिनी की मस्ती का कोई ठिकाना ही नही था,जो काम उसने खिड़की के बगल की कुर्सी पे अपने होंठो से शुरू किया था,चंद्रा सहब उसे अब बिस्तर पे अपने लंड से अंजाम तक पहुँचा रहे थे.

सामने टीवी पे कोई लोकल न्यूज़ चॅनेल आ रहा था मगर दोनो को उसपे आ रही खबरो से कोई मतलब नही था..वो तो बस 1 दूसरे के बदनो मे खोए हुए थे.कामिनी ने दाया हाथ पीछे ले जाके अपने गुरु का सर अपनी ओर खींच कर उन्हे चूमा तो चंद्रा साहब ने भी उसकी जाँघ छ्चोड़ दी & उसके पेट को थाम उसकी किस का जवाब देने लगे.कामिनी की ज़ुबान के जादू ने उनके धक्को मे और तेज़ी ला दी.उनके धक्के कुच्छ ज़्यादा ही तेज़ हो गये.कामिनी हवा मे उड़ी जा रही थी की तभी चंद्रा सहब ने अपना लंड बाहर खींच लिया.

कामिनी ने किस तोड़ के उन्हे देखा तो चंद्रा साहब ने उसके गाल को चूमते हुए फिर से उसकी जाँघ को हवा मे उठा लिया & 1 ही धक्के मे अपने लंड का सूपड़ा घुसा दिया-उसकी चूत मे नही बल्कि गंद मे,”…ऊऊव्व्वव…..!”,कामिनी ने तड़प के बिस्तर की चादर को कस के पकड़ लिया मगर तभी उसका ध्यान टीवी पे चल रही खबर पे चला गया,”..पंचमहल मे कल त्रिवेणी ग्रूप के पूर्व वाइस-प्रेसीडेंट श्री जयंत पुराणिक के घर चोरी हो गयी.अभी कुच्छ ही दिन पहले 1 सनसनीखेज़ हादसे मे बॉर्नीयो नाम के पब मे हुए 1 झगड़े मे श्री पुराणिक की गोली लगने से मौत हो गयी थी..”

गंद के कसे छेद के चलते चंद्रा साहब बहुत ज़ोर से धक्के तो नही लगा पा रहे थे मगर इस से उनके मज़े मे कोई कमी नही आई थी.जब लंड गंद की गहराइयो मे उतरता तो छेद सिकुड कर मानो उन्हे किसी मुट्ठी मे जाकड़ लेता & उनके लंड मे 1 मस्ती की लहर उठती जोकि उनके रोम-2 को नशे से भर देती.उन्होने अपना दाया हाथ उसकी जाँघ से हटाया & उसे आगे ले जाके उसकी चूत को अपनी उंगलियो से मारने लगे.

“..चोरो ने घर मे रखे सारी नकदी & ज़वरात पे हाथ सॉफ किया..वारदात के वक़्त श्रीमती.पुराणिक & उनके बच्चे घर से बाहर मिसेज़.पुराणिक के भाई के घर पे थे..”,चंद्रा साहब की मस्तानी हर्कतो ने कामिनी को मस्ती की ऊँचाइयो पे पहुँचा दिया था.वो करवट पे पड़ी हुई बस अपने जिस्म के मज़े पे ध्यान दे रही थी मगर इस खबर को भी उसने दिमाग़ के किसी कोने मे महफूज़ रख लिया था..अब उसे यकीन होने लगा था की पुराणिक की मौत 1 हादसा नही हादसे की शक्ल मे क़त्ल था.

चंद्रा साहब का बाया हाथ उसकी चूचिया मसल रहा था & दाया उसकी चूत.वो पागल हो आहे भरती हुई अपनी कमर हिलाते हुए झाड़ ने लगी.अपनी शिष्या को झाड़ते देख चंद्रा साहब ने भी अपने लंड पे लगी रोक को खोल दिया & उसकी गंद को अपने पानी से भर दिया.

कुच्छ पॅलो बाद लंड जब पूरा सिकुड गया तो उन्होने लंड को गंद से धीरे से बाहर खींचा & बिस्तर पे लेट गये.कामिनी ने करवट बदली & उनके सीने पे सर रख के लेट गयी.चंद्रा साहब उसके बॉल सहलाने लगे तो उसने बगल मे पड़ा अपना मोबाइल उठाया & 1 नंबर मिलाया,”हेलो,मोहसिन?”

“हाई,कामिनी जी,आपका काम हो गया है मगर मैं उसके बारे मे आपको कल आपके दफ़्तर मे बताउन्गा.”

“ठीक है,मोहसिन..मैने तुम्हे 1 और काम देने के लिए फोन किया था.”,वो चंद्रा साहब के सीने के बालो मे उंगलिया फिरा रही थी.

“हां-2,कहिए.”

“तुम बॉर्नीयो के मालिक के बारे मे पता कर सकते हो?”,उसने चंद्रा साहब के 1 निपल को चूम लिया.

“ज़रूर,कल आपको सारी इन्फर्मेशन मिल जाएगी.”

“थॅंक्स,मोहसिन.”,कामिनी ने फोन किनारे किया & अपने गुरु के बालो भरे सीने मे मुँह च्छूपा लिया.

“षत्रुजीत सिंग के घर मे,उसी के बेडरूम मे उसकी बीवी का क़त्ल हो जाना कोई खेल तो है नही,कामिनी!”,चंद्रा साहब पलंग के हेडबोर्ड से टेक लगाके बैठे थे & उनकी फैली टाँगो के बीच उनकी छाती से अपनी पीठ लगाए,उनके लंड पे अपनी भारी गंद का दबाव डाले हुए कामिनी बैठी थी.चंद्रा साहब कभी उसके बालो को चूमते तो कभी चेहरे को,उनके हाथ बदस्तूर उसकी चूचियो से खेले जा रहे थे.

“..तुम्हारा सोचना बिल्कुल सही है की इसमे किसी अंदर के आदमी का हाथ है..”,उन्होने उसके निपल्स को उंगलियो के बीच मसल्ते हुए उसके दाए गाल को चूम लिया.

“मुझे तो पूरा यकीन है की ये काम टोनी ने ही किया है.”,कामिनी ने दाया हाथ पीछे ले जाके उनके सर को अपनी गर्दन से लगा दिया.

“ह्म्म….उसपे तो किसी का भी शक़ जा सकता है मगर तुमने कभी इस तरह सोचा है की पोलीस भी सही हो सकती है..”,उनके होंठ उसकी गर्दन से होते हुए उसके दाए कंधे तक आ गये थे.

“उउंम्म….आप कहना चाह रहे हैं कि शत्रुजीत भी अभी शक़ के दायरे से बाहर नही हुआ है?”

“बिल्कुल ठीक..”,उन्होने अपना सर उठाया & उसकी काली,नशीली आँखो मे झाँकते हुए उसकी चूचियो को बहुत ज़ोर से दबाया,”..हो सकता है,बेकसूर होने का नाटक कर वो तुम्हारे ज़रिए इसमे से सॉफ निकलना चाहता हो.”

“..ऊऊहह…..!”,कामिनी ने उनकी कलाई पकड़ ली,”..मगर आप ही ने तो कहा था की वो हमेशा सच बोलता है..& अगर वो बचना चाहता है तो अपने वकील से सच बोलना तो सबसे सीधा तरीका है.”

“..लेकिन तब वकील तो उसका राज़ जान जाएगा.”,उन्होने उसके रोकने के बावजूद उसकी चूचियो को मसलना नही छ्चोड़ा जिसके कारण कामिनी की चूत गीली होने लगी थी & वो बहुत हल्के-2 अपनी कमर हिला के अपनी गंद से उनके लंड को दबाने लगी थी.

“तो क्या हुआ?वकील & क्लाइंट का तो रिश्ता ही ऐसा होता है & क़ानून भी मानता है की वकील & क्लाइंट के बीच की बाते प्रिविलेज्ड इन्फर्मेशन होती हैं जिन्हे वकील को अदालत या दुनिया के सामने खोलने की बंदिश नही होती.”

“..फिर भी अगर आदमी शत्रुजीत सिंग जैसा इज़्ज़तदार शख्स हो तो वो तो ऐसा नही चाहेगा ना.”

“आपने तो मुझे & उलझा दिया.”,कामिनी घूम के उनके सामने हुई & उनके सीने पे प्यार से मुक्का मारा.उसकी इस अदा ने चंद्रा साहब को भी मस्त कर दिया,वैसे भी रात के 11 बज रहे थे & कल सुबह दोनो को वापस पंचमहल जाना था & बस आज की ही रात थी जब वो इस हुस्न की मल्लिका के नशीले बदन का पूरा लुत्फ़ उठा सकते थे.

उन्होने कामिनी को बाहो मे भरा & उसके होंठो को अपने होंठो की गिरफ़्त मे कस लिया & उसे लिए-दिए बिस्तर पे लेट गये & 1 बार फिर से वही मस्ताना खेल शुरू हो गया.

“मॅ’म..ये मिस्टर.शर्मा हैं,काफ़ी देर से आपका इंतेज़ार कर रहे हैं.”,कामिनी के ऑफीस मे कदम रखते ही रश्मि ने उस से कहा.कामिनी ने देखा की रश्मि की डेस्क के सामने लगे सोफॉ पे मोहसिन जमाल & मुकुल के अलावा 1 छ्होटा लड़का & वो मिस्टर.शर्मा बैठे थे.उसे देखते ही मिस्टर.शर्मा उठ खड़े हुए,”हेलो,कामिनी जी.मेरा नाम आर.के.शर्मा है & मैं भी 1 वकील हू.मुझे आपको मिस्टर.जयंत पुराणिक का कुच्छ समान सौंपना है.”

पुराणिक का नाम सुनते ही कामिनी का माथा ठनका,”हेलो,मोहसिन..अगर बुरा ना मानो तो आप थोड़ी देर वेट करेंगे तब तक मैं मिस्टर.शर्मा से बात कर लेती हू.”

“हां,ज़रूर,कामिनी जी.मैं यहा वेट करता हू.”

“कहिए,मिस्टर.शर्मा क्या चीज़ है पुराणिक जी की जो आप मुझे देना चाहते हैं.”

“कामिनी जी,अपनी मौत से कोई 20-25 दिन पहले मिस्टर.पुराणिक ने मुझ से अपनी 1 विल बनवाई थी & अपने कुच्छ काग़ज़ात मेरे पास रखवाए थे.उन्होने जैसी मुझे इन्स्ट्रक्षन्स दी थी उनके मुताबिक कल उनके विल पढ़े जाने की तारीख थी..”,मिस्टर.शर्मा चुप हो गये क्यूकी तभी चपरासी आके 2 चाइ के कप रख गया था.

“आपने शायद सुना हो की परसो रात को उनके घर चोरी हो गयी जिसकी वजह से कल विल पढ़ने मे देर हुई & कल शाम करीब 8 बजे ही ये काम पूरा हो पाया.उसी विल के मुताबिक ये पॅकेट मुझे आपके सुपुर्द करना है.”,उन्होने 1 छ्होटा सा कारटन कामिनी के डेस्क पे रख दिया.

“आप उनकी विल की ये कॉपी पढ़ कर फिर इन काग़ज़ो पे दस्तख़त कर दीजिए की आपने ये पॅकेट रिसीव कर लिया है.”

थोड़ी देर बाद मिस्टर.शर्मा वाहा से जा चुके थे & कामिनी सोच मे डूबी हुई थी..आख़िर ऐसी क्या चीज़ थी जो पुराणिक ने उसके लिए रखी थी..उन्होने उस से कभी इस बारे मे या इस से जुड़ी किसी बात का कभी ज़िक्र भी नही किया था..इंटरकम के बजने से कामिनी की सोच का सिलसिला टूटा,”हां,रश्मि.”

“मॅ’म,मोहसिन जी को भेजू?”

“हां,भेज दो,साथ मे मुकुल को भी.”

“सॉरी,मोहसिन.आपको वेट करना पड़ा.”

“कोई बात नही,कामिनी जी.”,वो उसके सामने की कुर्सी पे बैठ गया & 1 फाइल उसके सामने रख दी,”ये रही आपके दिए हुए काम की डीटेल्ड रिपोर्ट….कामिनी जी,टोनी ने शुरू मे तो कोई भी ऐसा काम नही किया जोकि बताने लायक था मगर कल रविवार को सवेरे चर्च के बहाने 1 औरत से मिला & उसके साथ होटेल के कमरे मे कोई 3 घंटे तक भी रहा.”

“..मेरे पास उसके होटेल के कमरे की वीडियो रेकॉर्डिंग है जोकि इसमे है..”,उसने 1 पेन ड्राइव अपनी जेब से निकाल कर कामिनी को दिया,”..उसकी & उस औरत की बातो से 1 बात तो सॉफ है कामिनी जी की ये किसी के लिए कुच्छ ऐसा काम कर रहा है जिसके लिए उसे 1 मोटी रकम मिलने वाली है.”

“वही तो पता करना है,मोहसिन कि वो आदमी आख़िर है कौन!”

“शायद मुझे उसका पता चल गया है.”

“क्या?!”,कामिनी & मुकुल ने 1 साथ कहा.

“मैने उस औरत का पीछा किया था.पता है वो कहा गयी?”

“कहा?”

“सेक्टर-52,विकास खंड के 1 मकान मे..”

“तो..?”,मुकुल ने बात समझने की नाकाम कोशिश की.

“जिस कार ने उसे उस मकान मे छ्चोड़ा वो वाहा से निकली & बगल वाले बंगल मे घुस गयी.कार & बंगले का मालिक 1 ही है-जगबीर ठुकराल.”

“क्या?!”,1 बार फिर कामिनी & मुकुल 1 साथ चौंक पड़े.

“इसका मतलब टोनी ठुकराल का आदमी है.”

“अब ये साबित करना आपका काम है,वकील तो आप हैं.”,मोहसिन उठ खड़ा हुआ.

“थॅंक्स,मोहसिन.तुम्हे पता नही मेरा कितना बड़ा काम किया है तुमने!”,कामिनी ने अपने बॅग से निकाल के 1 लिफ़ाफ़ा उसे थमाया जिसमे उसकी बाकी की फीस थी.

“थॅंक्स,कामिनी जी.ज़रूरत पड़े तो फिर याद कीजिएगा.बाइ!”

“ज़रूर,मोहसिन.बाइ!”

कामिनी मोहसिन की रिपोर्ट पड़ने ही वाली थी की मुकुल ने उसे टोका,”मॅ’म.”

“हां.”

“आपने 1 कंप्यूटर एक्सपर्ट की बात की थी ना?”

“हां.”

“वो बाहर बैठा है उसे बुला लू?”

“बुलाओ.”,कामिनी ने रिपोर्ट किनारे की & अपने बाग से वो लिपस्टिक कम पेंद्रीवे निकली.मुकुल 1 15-16 साल के लड़के के साथ वापस आया,उसके पीच्चे थोड़ी सहमी रश्मि भी खड़ी थी.कामिनी ने तीनो को सवालिया नज़रो से देखा.

“मॅ’म यही है वो एक्सपर्ट,रजत.”

“ये?!”,कामिनी अपनी हैरत को छुपा नही पाई.लड़के ने उसे ऐसे देखा जैसे उसे बुरा लगा हो,”..आइ मीन..ये तो स्कूल मे पढ़ रहा होगा..”

“जी,मॅ’म.ये स्कूल मे ही पढ़ता है,मेरा छ्होटा भाई है..”,रश्मि ने कहा,”..मैने तो कहा था मगर मुकुल ने ही ज़िद की..”,उसने सकुचाते हुए कहा.कामिनी मुकुल को ऐसे देख रही थी मानो कह रही हो की उसे यही वक़्त मिला था मज़ाक करने को!

“मॅ’म,आप सबको लग रहा होगा की मैं पागल हो गया हू..मगर प्लीज़ 1 बार रजत को कोशिश करने दीजिए.”

“कामिनी को इसमे कुच्छ ग़लत नही लगा,”ओके.”,उसने पेन ड्राइव रजत को थमायी.

“विटानो 8.”,रजत ने पेन ड्राइव को लिया,”..उपर लिपस्टिक नीचे 8 जीबी की ड्राइव.”,कामिनी उसे हैरत से देख रही थी.उसने लिपस्टिक को कई बार उलट-पलट के देखा था मगर उसे कही भी उसका नाम नही दिखाई पड़ा था,”रजत,इस्पे तो कही इसका नाम नही लिखा.”

“मॅ’म-..”

“मॅ’म,नही दीदी कहो.”

“ओके,दीदी.ये बहुत महँगी चीज़ है..आम दुकानो मे नही मिलती..आप कंपनी को रेक़ू7एस्ट कीजिए तो आपको दी जाती है.इसका प्राइस भी बहुत ज़्यादा होता है..”,रजत ने अपनी पीठ से अपना बॅग निकाल के खोला & अपना लॅपटॉप निकाल के ऑन किया,”..ये ज़रूर किसी विदेशी शाहर से खरीदी गयी है.”,उसने पेन ड्राइव को लॅपटॉप मे लगाया.

रजत अपने काम मे जुट गया तो कामिनी ने रश्मि की तरफ देख के उसकी तरफ सर से इशारा किया.रश्मि उसके सामने की कुर्सी पे बैठ गयी,”मॅ’म,ये कंप्यूटर्स,गॅडजेट्स & गेम्स के पीछे पागल है.हर वक़्त इन्ही चीज़ो मे घुसा रहता है..-“

“..& मोबाइल फोन्स को भूल गयी,दीदी.”,रजत ने लॅपटॉप से सर उठाए बिना उन्हे जता दिया की वो उनकी बाते भी सुन रहा है.दोनो हँसने लगी,”अच्छा,रजत इस काम की क्या फीस लोगे?”,कामिनी ने उस से पुचछा.

“कोई फीस नही लेगा,मॅ’म..& वैसे भी पहले काम कर पाएगा तब ना!”,रश्मि ने भाई को आँखो से मना करने का इशारा किया मगर रजत ने जैसे बहन को देखा ही ना हो,”जो माँगूंगा देंगी?”

“रजत!”

“रश्मि,बोलने दो उसे..”,कामिनी ने उसे रोका,”..बोलो रजत मैं भी तुम्हारी दीदी ही हू.”

“दीदी,1 नयी गेम आई है.”

“समझो मिल गयी.”

“थॅंक्स,दीदी.”

“मॅ’म,आप क्यू..-“,कामिनी ने हाथ उठा के रश्मि को खामोश रहने का इशारा किया.

कोई 45 मिनिट की मशक्कत के बाद रजत ने अपना लॅपटॉप कामिनी की ओर घुमाया,”लीजिए,दीदी.”

“खुल गयी?”

“हाँ.”

कामिनी ने फ़ौरन स्क्रीन को देखा,उसपे कयि सारी वीडियो फाइल्स के आइकॉन्स दिख रहे थे.कामिनी ने स्क्रीन को पूरा अपनी ओर कर लिया,”रश्मि,रजत को कुच्छ खिलाओ,भाई.मुझे तो लगता है इंफ़िलेस को चेक करने मे थोडा समय लगेगा.”

“तब तो दीदी,मेरा लॅपटॉप मुझे दे दीजिए..”,रजत ने पेन ड्राइव निकाली,”..अब इसे किसी भी कंप्यूटर पे चलाइए,कोई प्राब्लम नही होगी.”

रजत रश्मि के साथ बाहर जाने लगा,”रश्मि,अभी इसे घर मत जाने देना.शायद ये हमारा 1 और काम भी कर दे.”

“जी,मॅ’म.”,कामिनी के दिमाग़ मे रजत के लिए 1 और काम भी आ गया था.उसने अपने लॅपटॉप मे लगाके पेन ड्राइव मे स्टोर्ड 1 वीडियो फाइल खोली & फिर जो उसने देखा,उस से उसका मुँह हैरत मे खुल गया & आँखे भी आश्चर्य से फैल गयी..अब उसकी समझ मे बहुत कुच्छ आ गया था.उसने धीरे-2 करके सारी वीडियो फाइल्स देख डाली,फिर मुकुल को इंटरकम के ज़रिए अपने कॅबिन मे बुलाया,”मुकुल हमे बॉर्नीयो जाना होगा,रजत भी हमारे साथ चलेगा.”

कामिनी ने बॉर्नीयो जाने से पहले जयंत पुराणिक वाले पॅकेट को देखना बेहतर समझा.पॅकेट खोलते ही ए4 शीट्स के 2 बंडल्स के अलावा 1 लिफ़ाफ़ा भी था.कामिनी ने उसे खोला तो उसमे उसके नाम का खत निकला:

कामिनी जी

आपके हाथो मे जो काग़ज़ात मैने सौंपे हैं वो त्रिवेणी ग्रूप के भीतर चल रहे 1 गैर क़ानूनी काम के सिलसिले मे हैं.अगर वक़्त रहते इस काम को ना रोका गया तो त्रिवेणी ग्रूप की साख मिट्टी मे मिल सकती है & साथ ही षत्रुजीत सिंग की इज़्ज़त भी.

मैं तो चाहता था कि ये सब मैं खुद शत्रुजीत के सामने पेश करू मगर वो आदमी जोकि इस काम का मुखिया है,उसके बारे मे मुझे पुख़्ता सबूत अभी तक नही मिले हैं.

हालाकी मुझे अभी तक ना कोई धमकी मिली है ना कोई ऐसी बात हुई है जिस से मुझे लगे की मेरी जान को ख़तरा है मगर मैं फिर भी इन सबूतो के साथ कोई कोताही नही बरत सकता,इसलिए इस तरह से आपके पास भिजवा रहा हू.

कामिनी जी,इन काग़ज़ात का आपके पास होने से मुझे उम्मीद है कि आप उस इंसान का पर्दाफाश करेंगी & त्रिवेणी ग्रूप को बचा लेंगी.

कामिनी जी,हमारे ग्रूप के बॉम्बे ऑफीस की निगरानी मे माहरॉशट्रे के 1 समुद्र के किनारे गाँव मे 1 इनफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट चल रहा है.उसी प्रॉजेक्ट की आड़ मे ये गैर क़ानूनी काम हो रहा है.ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानिया में पढ़ रहे हैं

आगे का खत & काग़ज़ात को देखने के बाद कामिनी की समझ मे दोनो केसस की गुत्थी आ गयी थी.तभी उसका मोबाइल बजा,मोहसिन का फोन था,”हेलो.”

“कामिनी जी,आपने मुझे बॉर्नीयो के बारे मे पता करने को कहा था ना?”

“हां,मोहसिन.”

“कोई 1 महीना पहले जगबीर ठुकराल ने बॉर्नीयो के पुराने मालिक से पब मे उसके हिस्से को खरीद लिया & साथ ही उस से ये गुज़ारिश भी की थी कि इस बात के बारे मे वो बाहर ना बताए क्यूकी 1 राजनेता का 1 शराबखाने से जुड़ने पे हो सकता है उसके करियर पे कुच्छ बुरा असर पड़े.”

“अच्छा!”,कामिनी को पूरा यकीन हो गया था कि इस पूरे खेल के पीछे ठुकराल ही है,”थॅंक्स वन्स अगेन,मोहसिन.”

“माइ प्लेषर,कामिनी जी.”

मगर 1 सवाल अभी भी वैसे ही अनसुलझा खड़ा था..अगर सब कुच्छ ठुकराल की चाल थी तो फिर करण के हाथो पुराणिक का खून कैसे हुआ?..वो तो हर नज़रिए से 1 हादसा ही लग रहा था ना की साज़िश.उसके दिल मे उस दूसरे सीक्ट्व केमरे के बारे मे जानने का ख़याल मज़बूत होने लगा.वो अपनी कुर्सी से उठी & बॉर्नीयो के लिए निकल पड़ी.

“रजत,तुम्हे सीक्ट्व कॅमरास & उनकी फुटेज की स्टोरेज के बारे मे कुच्छ पता है?”,कामिनी रजत के साथ कार की पिच्छली सीट पे बैठी थी & मुकुल आगे ड्राइवर के साथ.

“हां,थोड़ा बहुत.”

“अच्छा,मान लो.मैं अगर कोई फुटेज डेलीट कर दू तो क्या उसे रिट्रीव किया जा सकता है?”

“इसके लिए तो मुझे स्टोरेज सिस्टम को देखना पड़ेगा.”

“ओके,हाँ जहा जा रहे हैं,वाहा के सिस्टम से मुझे कुच्छ ऐसी ही फुटेज निकलवानी है.मैं तुम्हे सिस्टम तक पहुँचा दूँगी,आयेज का काम तुम्हारा है.”

“ओके,दीदी.”

“मगर मेडम,हमने तो पहले ही पोलीस को सारी फुटेज दे दी थी फिर आप क्यू दोबारा हमसे उसे माँग रही हैं?”,बॉर्नीयो के मॅनेजर के चेहरे पे झल्लाहट आ गयी थी.

“देखिए मिसटर,वो फुटेज मैं देख चुकी हू,मुझे 1 बार आपके सेक्यूरिटी रूम मे ये देखना है की आपके मॉनिटर्स पे पब का कौन-2 सा हिस्सा दिखता है?”

“लेकिन.._”

“ये रहे कोर्ट के ऑर्डर्स.”,मुकुल ने 1 पेपर मॅनेजर के आगे कर दिया.

“ओके.”,मॅनेजर ने इंटरकम उठाया,”..आपलोग बाहर वेट कीजिए,मैं अभी आपका काम करवाता हू.”

कामिनी के बाहर निकलते ही उसने अपने सेक्यूरिटी इंचार्ज को तलब किया,”देखो,इन्पे कड़ी निगाह रखना,ओके.”

“ओके,सर.”

“ये देखिए,ये 4 मॉनिटर्स हैं चारो कॅमरास के.”,सेक्यूरिटी रूम मे बैठे तीनो इंचार्ज की बात सुन रहे थे.

“और वो पाँचवा मॉनिटर कैसा है?”,कामिनी ने बंद पड़े मॉनिटर की ओर इशारा किया.

“ये कॅमरा किसी काम का नही तो उसका मॉनिटर भी बंद है.”

“इस कमेरे की लोकेशन क्या थी?”

“बार के पीछे.”

“यानी की बारटेंडर के पीछे उसके सर के उपर कही पे.”

“जी.”,इंचार्ज ने उसके बगल मे बैठी कामिनी से कहते हुए उसके पीछे खड़े रजत & मुकुल की ओर देखा तो मुकुल ने ऐसी शक्ल बनाई जैसे उसे बहुत बोरियत हो रही हो & अपनी उंगली अपने सर पे लेजा कामिनी की ओर इशारा किया मानो कह रहा हो कि वो पागल है.इंचार्ज मुस्कुराया & फिर से मॉनिटर्स को देखने लगा,”आपके लिए सभी कॅमरास ऑन कर दिए हैं.ये देखिए.”

कामिनी ने कहा चारो कॅमरा पूरा पब कवर कर रहे थे,”अब मुझे क़त्ल वाली रात की फुटेज दिखाइए.”

“इधर आइए..”,उसने दूसरी तरफ रखे 1 कंप्यूटर को ऑन किया.रजत उसकी 1-1 हरकत बड़े गौर से देख रहा था,”..ये लीजिए..ये है उस रात की फुटेज.”,कामिनी उसे ईयसे देखने लगी मानो उस फुटेज से ही निकल के सारे राज़ बाहर आ जाएँगे.मुकुल अभी भी वैसे ही खड़ा था जैसे उकता रहा हो,उसने जेब से 1 सिगरेट का पॅकेट निकाला.

“इसे रीवाइंड कीजिए..”,कामिनी ने 3 बार उस से वीडियो रीवाइंड करवाइए,इंचार्ज भी झल्लाने लगा था.मुकुल ने उसे सिगरेट का पॅकेट दिखाया,”भाई साहब थोड़ा पानी पीना था.”,उसका इशारा सॉफ था की सिगरेट के बहाने बाहर चलो.इंचार्ज थोड़ा पशोपेश मे पड़ गया,उसके बॉस ने उसे ताकीद की थी की इन्पे नज़र रखे मगर ये वकील तो उसे पागल बना रही थी.कामिनी की पीठ मुकुल की तरफ थी,मुकुल ने फिर उसे इशारा किया की वाहा से बाहर निकले,”मेडम,ये देखिए ऐसे रीवाइंड होता है & इस से प्ले.मैं ज़रा अभी आया.”,वो मुकुल के साथ बाहर निकल आया.ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानिया में पढ़ रहे हैं

“क्या भाई!कब से आपको इशारा कर रहा हू..”,मुकुल ने 1 सिगरेट उसकी ओर बढ़ाई,”.ये औरत पागल है..”,उसने लाइटर से पहले उसकी सिगरेट जलाई फिर अपनी,”..अरे केस मे कुच्छ दम है ही नही..साले ने 1 बंदे को दारू पी के उड़ा दिया..अब ये सोचती है की उसे बचा लेगी.लगता है कि बार-2 देखने से फुटेज बदल जाएगी & वो मरा हुआ बुद्धा इस बार बंदूक लेके गोली चलाने लगेगा!”,उसकी बात सुन के इंचार्ज हंस पड़ा.

उधर इंचार्ज के निकलते ही रजत अपने काम मे जुट गया,”ये देखिए दीदी,आप जेडी डेट की वीडियो देख रही थी उस दिन तक वो कॅम नो.5 काम कर रहा था..”,रजत ने उस बंद पड़े पाँचवे मॉनिटर की ओर इशारा किया,”..ये रहा उसका रेकॉर्ड…ह्म्‍म्म…उस दिन का रेकॉर्ड डेलीट किया हुआ है..1 मिनिट..”,रजत खुद से बोलता हुआ अपने काम मे लग गया.कामिनी ने मुकुल को हिदायत दे रखी थी कि अगर इंचार्ज अंदर आने लगे तो वो उसके मोबाइल पे मिस्ड कॉल देके उसे सावधान कर दे.

उधर मुकुल उपर से तो हल्की-फुल्की बाते कर रहा था मगर अंदर से उसका दिल भी यही कर रहा था कि कामिनी & रजत जल्दी से बाहर आ जाएँ,उसने सिगरेट की तरफ देखा,वो अब बस बुझने ही वाली थी.इंचार्ज अपनी सिगरेट फेंकने के लिए थोड़ा दूसरी तरफ हुआ तो मुकुल ने अंदर झाँका,कामिनी ने उसे इशारा किया की अभी काम नही हुआ है.मुकुल ने फ़ौरन दूसरी सिगरेट निकाली & इंचार्ज की ओर बढ़ाई,नही भाई थॅंक्स.”

“अरे,सर!ले लीजिए,मेडम अभी भी वही फुटेज एख रही हैं..कहती हैं की 2-3 बार और देखेंगी.”,उसने ज़बरदस्ती सिगरेट उसे थमा दी.

“अरे यार तुम्हारी मेडम तो सचमुच पागल है!”,उसने भी सिगरेट ले ली.

“मिल गया,दीदी!”,रजत के कहने पे कामिनी और ध्यान से कंप्यूटर को देखने लगी,”..ये यहा पड़ी है वो फाइल..”,रजत ने अपने बॅग से पेनड्राइव निकाली & उसे जल्दी से सिस्टम मे लगाया & फाइल उसमे कॉपी कर ली.

“1 बार इस फाइल को खोलना,रजत.”

“ओके,दीदी.”,रजत ने पेन ड्राइव वापस बॅग मे डाली.

कामिनी ने अबकी जो वीडियो देखा उसने करण के केस की पूरी गुत्थी सुलझा दी,”..ओके,अब वापस वही वाला वीडियो लगा दो..फिर चलते हैं यहा से.”

ऑफीस लौटते समय कामिनी के दिल मे गुत्थी सुलझने की खुशी थी मगर साथ ही 1 नया सवाल उसके मन मे उठ गया था..वो ठुकराल & टोनी के संबंध का सबूत कैसे लाए..ऑफीस पहुँचने तक उसके दिमाग़ मे 1 आइडिया आ चुका था मगर इसके लिए उसे कुच्छ झूठ बोलना था,कुच्छ नाटक करना था & सब कुच्छ बहुत सावधानी के साथ करना था.ऑफीस आते ही वो अपने कॅबिन मे बैठ गयी,सारे सबूतो को हिफ़ाज़त से अपनी सेफ मे रखने के बाद वो आगे के बारे मे सोचने लगी.कोई 2 घंटे बाद जब वो लंच के लिए निकली तो उसका आगे का प्लान पूरी तरह से तैय्यार हो चुका था.

लंच के बाद कामिनी करण से मिलने लॉक-अप पहुँची.उसने देखा की वाहा संजीव मेहरा भी मौजूद हैं,थोड़ी देर करण के साथ बाते करने के बाद वो उसके चाहचहा को 1 तरफ ले गयी,”मिस्टर.मेहरा,मुझे आपसे 1 काम है?”

“हां,कामिनी जी,बोलिए.”

“देखिए,मेहरा साहब,इस काम से करण को बचाने मे हमे काफ़ी मदद मिल सकती है,इसलिए मैं चाहती हू कि आप जल्द से जल्द इस काम को पूरा करें.”

“आप काम बताइए तो कामिनी जी,अपने भतीजे को यहा से निकालने के लिए मैं कुच्छ भी करूँगा.”

“मिस्टर.मेहरा,मुझे शीना के लंडन के उसके फोने की कॉल डीटेल्स चाहिए.”

संजीव मेहरा थोड़ी सोच मे पड़ गये,”क्या हुआ,मेहरा साहब?”

“जी..”,वो अपने ख़यालो से बाहर आए,उनके चेहरे पे थोड़ी झिझक दिख रही थी,लेकिन फिर जैसे उन्होने पक्का इरादा कर लिया,”..इस से करण को निकालने मे हमे मदद मिलेगी ना?’

“आप मुझपे भरोसा रखिए,मिस्टर.मेहरा.अब कारण को मैं यहा से निकाल के ही रहूंगी.”

“ठीक है,मैं अभी ही लंडन बात करता हू.”

“1 बात का ख़याल रखिएगा,मेहरा साहब..इस बात का आप चाहे जैसे भी पता लगाएँ,शीना & उसके परिवार वालो को इसकी भनक भी नही लगनी चाहिए.”

“आओ बेफ़िक्र रहें,कामिनी जी.”

कामिनी वाहा से निकल कर वापस अपने ऑफीस पहुँची,आज शाम उसके प्लान का पहला हिस्सा शुरू होने वाला था,मगर उसके पहले उसे फिर से मोहसिन जमाल से 1 काम करवाना था,”हेलो,मोहसिन?”

“हां,कामिनी जी,बोलिए.”

“1 और काम है.”

“बताइए.”

“मोहसिन,तुम्हे जगबीर ठुकराल का पीछा कर के ये पता लगाना है कि वो कहा-2 जाता है..खास तौर से कोई रेस्टोरेंट,होटेल..वग़ैरह.”

“ओके,कामिनी जी,समझिए काम शुरू हो गया.”

“थॅंक्स,मोहसिन.”,कामिनी ने फोन बंद कर दिया.

“आउच…!”,षत्रुजीत सिंग के कमरे की ओर जाती कामिनी वाहा से निकल रहे किसी आदमी से टकरा गयी थी.कुच्छ सिक्के खनखनाने की आवाज़ आई तो उसने देखा की वो अपना बटुआ ठीक करते हुए निकल रहे अब्दुल पाशा से टकरा गयी थी,”सॉरी!”,उसने ज़मीन पे पड़े 1-2 सिक्के उठाके उसके हवाले किए & अंदर चली गयी.शत्रुजीत शायद बाथरूम मे था,कामिनी ने अपना सूटकेस खोला & अपना समान उसमे डालने लगी.

“अब कहा जा रही हो?”,शत्रुजीत बाथरूम से बाहर आया.

“अपने घर.”,कामिनी कपड़े तह लगाके बक्से मे डाल रही थी.

“मगर क्यू?..तुम जानती हो तुम्हारी जान को ख़तरा है..ऐसे मे तुम वाहा अकेले कैसे रहोगी?!”

“तुम्हे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नही शत्रुजीत,तुम बस अपनी फ़िक्र करो.”

“कामिनी..”,शत्रुजीत की थयोरियाँ चढ़ गयी,”..ये क्या तरीका है बात करने का!”

“जो भी है,बिल्कुल सही है..”,कामिनी ने सूटकेस बंद किया,”..तुम 1 झूठे & 1 खूनी हो शत्रुजीत सिंग..& मैं तुमसे नफ़रत करती हू.”

“क्या झूठ बोला है मैने?”,शत्रुजीत बाहे अपने सीने पे बँधे उसे घूर रहा था.

“नंदिता का खून तुम ही ने किया है..अब तक तुम मुझसे झूठ बोलते आ रहे हो कि तुम बेकसूर हो..तुम मुझसे शादी करना चाहते थे मगर नंदिता के रहते ऐसा नही कर सकते थे,इसलिए तुमने उस बेचारी को मार दिया.”

“क्या सबूत है तुम्हरे पास?”

“वो तो मैं अदालत मे पेश करूँगी!”,कामिनी ने सूटकेस उठाया & निकल गयी.शत्रुजीत बस उसे जाते देखता रहा.

इस सबके 2 दिन बाद मोहसिन ने दोपहर को कामिनी को फोन किया,”कामिनी जी,ठुकराल वैसे तो अपने घर से अपने दफ़्तर & पार्टी ऑफीस के अलावा दिन मे कही नही जाता मगर हर शाम को बरटन होटेल के लावा लाउंज बार मे ज़रूर जाता है..वाहा उसका अपना 1 प्राइवेट लाउंज है.”

“ओके,मोहसिन,ऐसा करो की आज शाम भी वी जैसे ही वाहा पहुँचे मुझे खबर करना,बस तुम्हारा काम पूरा हो गया समझो.”

“ओके,कामिनी जी.”

कामिनी बरटन होटेल की बेसमेंट पार्किंग मे अपनी कार मे बैठी मोहसिन के फोन का इंतेज़ार कर रही थी,तभी घंटी बजी,”बोलो,मोहसिन!”

“उसकी कार होटेल के गेट पे है,कामिनी जी.”

“थॅंक्स,मोहसिन.अब उसका पीचछा करने की कोई ज़रूरत नही.तुम कल आके अपनी फीस ले लेना.”

“ओके,कामिनी जी,थॅंक्स.”

कामिनी तेज़ी से अपनी कार से उतरी & लिफ्ट से थोड़ी ही देर मे लावा मे पहुँच गयी.वाहा पहुँच के बार पे उसने 1 कॉकटेल का ऑर्डर दिया & फिर 1 बरस्तूल पे काफ़ी परेशान सी सूरत बनाके बैठ गयी.बारटेंडर ने कॉकटेल उसके सामने रख दिया तो वो उसे बेमन से पीने का नाटक करने लगी.

ठुकराल ने तो घुसते ही उसे देख लिया था,कोई थोड़ी देर बाद वो उसके पास आया & चौंकने का नाटक किया”अरे,कामिनी जी!आप यहाँ.”

“ओह!हेलो,ठुकराल साहब,कैसे हैं?”,कामिनी ने भी वैसे ही हैरान होने का नाटक करते हुए अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाया जिसे ठुकराल ने खुशी-2 थाम लिया.हाथ मिलाते हुए कामिनी को 1 बार फिर पक्का यकीन हो गया की इस आदमी को औरतो का शौक है & जो काम वो करने जा रही थी उसे उसमे ज़रूरा कामयाबी मिलेगी.

“कुच्छ परेशान नज़र आती हैं?”,ठुकराल ने उसका हाथ छ्चोड़ा.

“जी..”,कामिनी के चेहरे पे फिर से परेशानी के भाव आ गये.

“कही इस परेशानी की वजह शत्रुजीत सिंग तो नही?”

“आपने बिल्कुल ठीक समझा,ठुकराल साहब.”,कामिनी ने अपने कॉकटेल का 1 सीप लिया,”..मुझे तो लगता है कि उस इंसान का केस लेके मैने बहुत बड़ी ग़लती की..अरे आप कुच्छ लेंगे,सॉरी!मैने आपसे पहले नही पुचछा.”,कामिनी ने आज 1 स्लीव्ले,हॉल्टर नेक का टॉप & टाइट जीन्स पहनी थी & पैरो मे ऊँची हील वाले जूते.कसे लिबास मे उसके बदन का 1-1 कटाव उभर के ठुकराल की नज़रो के सामने आ रहा था.उस हवस के पुजारी के दिल मे इस हुस्न की मल्लिका की जवानी को भोगने का ख़याल सिर उठाने लगा.

“अरे,नही.थॅंक्स..अगर आप बुरा ना माने तो थोड़ी शांत जगह जाके बात करें,यहा बहुत भीड़ है.”

कामिनी थोड़ा पशोपेश मे दिखी,”यही..इसी तरफ मेरा प्राइवेट लाउंज है,आपको वाहा कोई तकलीफ़ नही होगी.”

“ओके,चलिए.”

दोनो लाउंज मे आ पहुँचे जहा 1 मेज़ के गिर्द 3 सोफे लगे थे,हर सोफा था तो 2 लोगो के लिए लेकिन उसपे बिना सटे 2 जान नही बैठ सकते थे.लाउंज के 1 कोने मे 1 बार था जिसके पीछे खड़े बारटेंडर ने ठुकराल के घुसते ही उसे सलाम किया.कामिनी 1 सोफे पे बैठ गयी तो ठुकराल ने बारटेंडर को 2 कॉकटेल्स का ऑर्डर दिया.जब बारटेंडर ने दोनो ड्रिंक्स मेज़ पे रखी तो ठुकराल ने उसे बाहर जाने का इशारा किया & फिर खुद कामिनी के बगल मे बैठ गया.

“आच्छा किया जो यहा आ गये,ठुकराल साहब वरना बाहर कोई देख लेता तो बेवजह बाते बनाता.”,कामिनी ने 1 सीप लिया,”..अब आपको तो पता ही है कि लोग आपको शत्रुजीत सिंग का दुश्मन समझते हैं.”

ठुकराल हंसा,”क्या करें,कामिनी जी!दुनिया तो मुझे हमेशा ही ग़लत समझती आई है”,वो कामिनी के बाए तरफ बैठा था & उसने अपनी दाई टांग उसकी बाई टांग से सटा दी थी.कामिनी सब कुच्छ देख रही थी मगर जानबूझ कर अंजान बन रही थी,”अब आप खुद को ही लीजिए..आपने भी तो हमारा ऑफर ठुकरा दिया & शत्रुजीत सिंग से हाथ मिला लिया.”

“ठुकराल साहब,आप ग़लत कह रहे हैं.शत्रुजीत मेरे पास आपसे पहले आया था..”,फिर उसने सर झुका लिया जैसे बहुत परेशान हो,”..आज तो मुझे भी लगता है कि उसका ऑफर मान कर मुझे नुकसान ही हुआ है..अगर आपका ऑफर मान लेती तो..”,उसने जान बुझ कर बात को अधूरा छ्चोड़ दिया.

“शत्रुजीत से आपकी अनबन के बारे मे मुझे पता चला है तो क्या आप उसका केस छ्चोड़ देंगी?”,कामिनी के कान खड़े हो गये..इसे पता चल गया यानी टोनी अपना काम मुस्तैदी से कर रहा था..मगर उसने उस बात की ओर कोई ध्यान नही दिया.

“चाहती तो हू पर ऐसा कर नही सकती.”,वो सोफे की पीठ से टेक लगाके ठुकराल की ओर घूमती हुई बाई कोहनी सोफे की पीठ पे टीका के उस हाथ को माथे पे रख लिया.

“कामिनी जी..”,ठुकराल ने अपना ग्लास नीचे रख दिया & दाए हाथ से उसके बाए कंधे & उपरी नंगी बाँह को सहलाने लगा,”..मुझे अपना दोस्त ही समझिए..अगर ठीक समझे तो अपनी परेशानी कहिए..शायद मैं कुच्छ मदद कर सकु.”

कामिनी थोड़ी देर तक वैसे ही रही फिर अपना हाथ अपने माथे से नीचे लिया,ठुकराल वैसे ही उसका कंधा सहला रहा था,”ठुकराल साहब..ये 2 केस..1 शत्रुजीत सिंग वाला & दूसरा वो ज्ययंत पुराणिक के मर्डर वाला..ये केसस तो मेरा करियर चौपट कर के रहेंगे!”,वो सीधी हो गयी & बाई टांग को दाई पे चढ़ा लिया & हाथो को सीने पे बाँध लिया.ऐसा करते ही उसकी कसी जीन्स मे क़ैद भारी जाँघो का आकार ठुकराल के सामने आ गया & उसकी बँधी बाहो की वजह से उसकी मोटी चूचिया ऐसे लगने लगी मानो टॉप को फाड़ के बाहर आ जाएँगी.ठुकराल ने अब पूरा मन बना लिया था की चाहे जो भी हो इस हसीना की जवानी का वो मज़ा उठा के रहेगा!

“1 ने शराब पी के 1 बेकसूर,इज़्ज़तदार शहरी का खून कर दिया तो दूसरे ने अपनी बीवी का!”,ठुकराल 1 बार फिर उसके कंधे को सहलाने लगा,”..पता नही किस मनहूस घड़ी मे मैने इन 2 बेवकूफो का वकील बनना मंज़ूर किया था!”

“..अब तो बस किसी तरह इन दोनो को मौत की सज़ा से बचा के उम्र क़ैद तक ले आऊँ ये बहुत होगा!”

“परेशान क्यू होती हैं,कामिनी जी..”,ठुकराल थोड़ा और करीब हो आया,अब उसकी जंघे फिर से कामिनी की जाँघो से लग गयी थी,”..आप तो मानी हुई वकील हैं,आपके लिए तो ये छ्होटी-मोटी हार है..”,उसने ललचाई निगाहो से उसकी चूचियो को देखा.

“बात सिर्फ़ वो नही है..”,कामिनी परेशान हो बाहे खोल अपने हाथो की उंगलियो को बेसब्री से मसल्ने लगी.ठुकराल का दिल किया की इन कोमल उंगलियो मे अभी अपने लंड को फँसा दे & फिर झाड़ के उन गुलाबी हथेलियो को अपने पानी से भीगा दे.

“तो क्या बात है,कामिनी जी?”,ठुकराल का हाथ अब उसकी पीठ पे पहुँच गया था.

“थोड़ी देर की खामोशी के बाद कामिनी वैसे ही सर झुकाए हुए बोली,”ठुकराल साहब,मैं 1 वकील हू मगर जो पेशा मुझे हमेशा से अपनी ओर खींचता आया है वो है पॉलिटोक्स.आप लोगो के पास होती है असली ताक़त..कुच्छ भी करने की..शत्रुजीत के साथ जुड़ के मुझे लगा था की वो जब एंपी बनेगा तो मुझे भी कम से कम एमएलए तो बनवा ही देगा..मगर उस बेवकूफ़ ने तो अपनी ज़िंदगी चौपट की ही साथ ही मेरी भी!”

“कामिनी जी,अब अगर आप मेरे साथ होती तो शायद आपका ये सपना अभी तक पूरा भी हो चुका होता..मगर होनी को कुच्छ और मंज़ूर था.”

“ह्म्म.”,कामिनी वैसे ही सर झुकाए रही.

“अब आप शत्रुजीत के इतना करीब थी फिर भी देखिए..”

“आपको कैसे पता की मैं शत्रुजीत के कितना करीब थी?”,कामिनी ने सर उठाया & उसकी ओर गहरी निगाहो से देखा.

“वो कहते हैं ना कामिनी जी..की इंसान को अपने दोस्तो को करीब रखना चाहिए & दुश्मनो को उस से भी ज़्यादाद करीब.”

“तो बात सच है की आप शत्रुजीत के दुश्मन हैं?”

ठुकराल हंसा,”वैसा नही जैसा आप सोचती हैं..मुझे बस लगता है की उसे अपने बाप के बल पे सब मिल रहा है.”

“ये तो सच है.”,कामिनी ने फिर सर झुका लिया.

“कामिनी जी आपको उदास होने की ज़रूरत नही..”,ठुकराल अब उसकी पूरी पीठ सहला रहा था,”..आप चाहे तो अभी भी आपका सपना सच हो सकता है.”

“क्या?!”,कामिनी ने झटके सर उठाया,”..मगर कैसे?”

“केस के बाद आप मुझे जाय्न कर लीजिए.”

“ओह्ह!थॅंक्स,ठुकराल साहब..थॅंक यू सो मच!”,कामिनी ने उसका बाया हाथ अपने कोमल हाथो मे पकड़ लिया.उन नाज़ुक उंगलियो को देखते ही ठुकराल को ख़याल आया की इसी तरह अगर वो उसके लंड को थाम के रगडे तो उसे उन गुलाबी हथेलियो को अपने पानी से भिगोने मे कोई देर नही लगेगी.

“वैसे आपको क्या लगता है..शत्रुजीत सिंग को कितनी सज़ा होगी?”

“उसे तो पक्का फाँसी लगेगी मगर मैं किसी ना किसी तरह उसे कम करके उम्र क़ैद तक ले आऊँगी.”

“अच्छा.मगर आपको क्या लगता है,उसकी बीवी का खून उसी ने लिया है?”

“बिल्कुल.इसमे कोई शुभा नही है मुझे.अब आप ही बताइए,ठुकराल साहब..”,कामिनी अभी उसका हाथ थामे थी,”..उसके बंगल मे उसी के कमरे मे घुस के और कौन क़त्ल कर सकता है..और कर भी देतो बच के कैसे जाएगा!ये तो शत्रुजीत का ही काम है..& बेवकूफ़ मुझसे भी झूठ बोल रहा है.”

“ओह्ह,तो क्या इसलिए आप उसके घर से चली आई?..आप तो उसके काफ़ी करीब थी?”

“आपको काफ़ी पता है,ठुकराल साहब!”,कामिनी उसका हाथ हल्के से सहलाते हुए शोखी से मुस्कुराइ,”वैसे आपकी भी मेहेरबानी की वजह पुच्छ सकती हू?”

ठुकराल थोडा सोच मे पड़ गया,उसने पहले कभी नही सोचा था की कामिनी के दिल मे ऐसे पॉलिटीशियन बनने के अरमान होंगे & वो भी उसी की तरह अपने मतलब को अपना ईमान मानने वाली इंसान होगी.उसने अभी तक उसके हाथो की हर्कतो पे भी कोई ऐतराज़ नही जताया था मगर क्या वो उस से खुल के अपने दिल की बात कह सकता था?

“मेहेरबानी तो आपने मुझपे की है मेरा ऑफर कबुक करके.”

“अच्छा.”

“जी,हां!बंदा तो सिर्फ़ आपकी दोस्ती चाहता है.”

“सिर्फ़ दोस्ती?”,कामिनी वैसे ही शोख निगाहो से उसे देख रही थी.

“जी हां..”,ठुकराल उसके तोड़ा और करीब आ गया & उसकी गहरी निगाहो मे झाँकने लगा & उसका हाथ वापस सहलाया,”..बस अपना खाली वक़्त मेरे साथ गुज़र लिया करें.”

कामिनी बस मुस्कुराती रही,”बोलिए,गुज़रेंगी?”

“हां,ठुकराल साहब.आपके जैसे दिलवाले दोस्त के साथ कौन वक़्त नही गुज़ारना चाहेगा.”

“तो यहा से कही और चलें?”

“ना-ना,आज नही.”

“मगर क्यू?”,ठुकराल ने अपना दाया हाथ उसकी पीठ से उसके दाए कंधे पे लगाके उसे पूरा ही अपनी ओर घुमा लिया.

“अरे!आप तो बेसबरे होने लगे.”,कामिनी ने अपने दोनो हाथ उसके बाए हाथ से अलग किए & उसके सीने पे रख के उसे और करीब आने से रोका..1 बात तो तय थी ठुकराल काफ़ी कामुक आदमी था.

“प्लीज़!”,ठुकराल ने उसके कंधे को दबाया.

“नही,ठुकराल साहब.जब तक केस चलता है,हम नही मिल सकते.आप मीडीया वालो को तो जानते ही हैं..कही किसी को भनक लग गयी..तो मेरे केसस तो चौपट होंगे ही,मेरी प्रॅक्टीस पे भी बुरा असर पड़ेगा..& फिर आप भी शायद मुझसे पल्ला झाड़ लेंगे.”,कामिनी ने उसे छेड़ा.

“ऐसा कभी नही होगा..& फिर हमारे मुल्क मे तो आदमी की उम्र गुज़र जाती है मगर क़ानूनी केस नही ख़त्म होते..मैं इतना लंबा इंतेज़ार नही कर सकता!”,उसने 1 बार फिर कामिनी को अपनी ओर खींचना चाहा.

“ओह्ह….प्लीज़ ठुकराल साहब बात को समझिए.आज मैं आपके साथ नही जा सकती….& फिर अगर आप मुझ से मिलना चाहते हैं तो किसी महफूज़ जगह का इंतेज़ाम कीजिए.”

“मेरे घर से महफूज़ कौन सी जगह हो सकती है!”

“और मुझे किसी ने वाहा आते देख लिया तो?”

“वो सब मुझ पे छ्चोड़ दीजिए.”

“तो ठीक है,आज तो नही पर आगे आप जब कहेंगे मैं हाज़िर हो जाऊंगी.”

“ठीक है,मैं आपको फोन करूँगा.”

“ओके.तो अब मैं चलती हू.”,कामिनी धीरे से उसकी बाहो से निकल के खड़ी हो गयी.

“कामिनी जी,दोस्ती की शुरुआत मे अपने इस दोस्त को कोई निशानी तो देते जाइए.”,ठुकराल ने इस बार उसे सीधा अपनी बाहो मे जाकड़ लिया.

“ऑफ….ओह्ह..!”,कामिनी हंसते हुए उसे परे धकेलने लगी,”..आप बड़े बेसबरे हैं!..अच्छा रुकिये..ये लीजिए..!”,ठुकराल उसके होंठो पे झुकता इस से पहले ही उसने उसके गाल को चूमा & उसे परे धकेल खिलखिलाती हुई वाहा से निकल ली.लाउंज के दरवाज़े पे रुक के 1 बार पलट के उसने ठुकराल की ओर 1 शोख मुस्कान फेंकी & वाहा से चली गयी.ठुकराल की खुशी का ठिकाना नही था,इतनी खूबसूरत लड़की उसके जाल मे फँस गयी थी..उसका दिमाग़ जल्द से जल्द उस से खुल के मिलने & उसके जिस्म का जम के लुत्फ़ उठाने का रास्ता ढूँदने लगा.

“हेलो,कामिनी जी.क्या हाल है?”

“मैं ठीक हू,ठुकराल साहब.आप सुनाए.”,कामिनी ने मोबाइल कान से लगाए हुए खिड़की से बाहर देखा.

“हमारा हाल तो बिल्कुल भी ठीक नही.अब आप मिलिए तो कुच्छ चैन पड़े.”

“आप तो बहुत बीमार लगते हैं,ठुकराल साहब.”,कामिनी को उसके साथ ये खेल खेलने मे मज़ा आ रहा था.

“आपने बिल्कुल ठीक समझा & मेरी बीमारी की दवा तो आप ही के पास है.तो कहिए कब आ रही हैं मुझे दुरुस्त करने?”

“ठुकराल साहब,मिलना तो मैं भी चाहती हू मगर आप तो जाने हैं ना मेरी मुश्किल के बारे मे.”

“उसका हल मैने ढूंड लिया है.”

“अच्छा!क्या?”

“आप इस शनिवार को सेंट्रल मार्केट की पार्किंग मे पहुँच जाइए,वाहा से मेरा ड्राइवर आपको मेरे घर ले आएगा,फिर ये वीकेंड हमारे ही साथ गुज़ारिए.”,ठुकराल अब सीधे-2 उसे उसके साथ सोने को कह रहा था.

“मगर किसी ने देख लिया तो?”

“आप 1 बुर्क़ा पहन लीजिए,उसके बाद किसी ने देखा भी तो यही देखेगा की 1 बुर्क़ा नॅशिन मेरे घर आई थी ना कि कामिनी शरण.”

कामिनी थोड़ी देर तक इस बारे मे सोचती रही,ठुकराल के खिलाफ सबूत जुटाने का इस से अच्छा मौका उसे नही मिल सकता था & अपने जिस्म का इस्तेमाल करने के बारे मे तो वो पहले ही तय कर चुकी थी,”ओके,ठुकराल साहब.कितने बजे सेंट्रल मार्केट पहुचना है?”

“थॅंक यू,कामिनी जी!मेरा ड्राइवर 11 बजे पार्किंग मे आपका इंतेज़ार करेगा.”

“ओके,ठुकराल साहब,बाइ!”

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top