You dont have javascript enabled! Please enable it! कामिनी - गहरी चाल | Update 14 | Erotic Adult Sex Story - KamKatha
कामिनी – गहरी चाल Suspense Thrill Story with Erotic Sex Tadka

कामिनी – गहरी चाल | Update 14 | Erotic Adult Sex Story

कामिनी सोच मे डूबी पब से बाहर आ अपनी कार का दरवाज़ा खोल ही रही थी की तभी उसे आँखो के कोने से बड़ी तेज़ी से 1 टाटा सफ़ारी आती दिखी.कामिनी ने फ़ौरन गर्दन घुमाई तो देखा की कार सीधा उसी की तरफ बढ़ी चली आ रही है.कामिनी ने अपनी कार का दरवाज़ा बंद किया & उच्छल कर अपनी कार की बॉनेट पे कूदी,पर संतुलन बिगड़ने से बॉनेट के उपर से फिसलते हुए अपनी कार के सामने गिरी.सफ़ारी के ब्रेक्स ने बहुत तेज़ आवाज़ की & वो थोड़ा आगे जा के रुकी.

कामिनी अपनी पॅंट & कमीज़ से धूल झाड़ती उठ रही थी की उसने देखा की सफ़ारी का ड्राइवर उसे रिवर्स करके बड़ी तेज़ी से उसे फिर से उसकी तरफ ला रहा था.कामिनी कार के दूसरे तरफ सड़क के किनारे बने पार्क की बाउंड्री वॉल की तरफ बिजली की तेज़ी से कूदी & 1 छलान्ग मे ही दीवार फाँद कर पार्क मे दाखिल हो गयी.

उसने धड़कते दिल से सफ़ारी को देखा,लग रहा था जैसे उसका ड्राइवर सोच रहा हो की उतर कर उसके पीछे आए या नही.थोड़ी देर तक वो कार वैसे ही खड़ी रही फिर तेज़ी के साथ वाहा से निकल गयी.कामिनी ने कार का नंबर देखने की कोशिश की मगर नंबर प्लेट पे कीचड़ जमा था…यानी की ये उसे कुचलने की सोची-समझी साज़िश थी मगर किसकी?

इस वक़्त इस इलाक़े मे भी चहल-पहल नही रहती थी.बस 1 माली था पार्क मे जिसने सब देखा था वोही भाग कर उसके पास आ गया था.कामिनी ने उस से पीने का पानी माँगा..इतने दीनो के करियर मे पहली बार उसपे जानलेवेआ हमला हुआ था..उसने काँपते हाथो से फोन निकाल कर शत्रुजीत को मिलाया,”हे-..हेलो..जीत..”

“हां,कामिनी?”

“ज-जीत..”

“बोलो कामिनी क्या हुआ?”

“त-तुम..बस..यहा..आ जाओ.”

रात को कामिनी बाथटब मे बैठी दोनो केसस के बारे मे सोच रही थी.दिन मे हुए हमले से जो घबराहट उसके दिलो-दिमाग़ पे च्छा गयी थी वो अब हट गयी थी..आख़िर कौन हो सकता है उस हमले के पीछे?..कोई था जो नही चाहता था की वो बॉर्नीयो मे पुचहताच्छ करे?…तो क्या इसका मतलब ये है की करण वाला केस इतना सीधा नही जितना दिखता है?….या फिर कोई है जो चाहता है कि वो करण को ना बचाए..मगर कौन?

षत्रुजीत सिंग तो नही?….सब जानते हैं की जयंत पुराणिक उसका कितना अज़ीज़ था…मगर जीत & ऐसी हरकत?..नही..वो तो सच्चाई & साफ़गोई की मिसाल है…ख़यालो का सिलसिला नंदिता के क़त्ल की ओर मूड गया…फिर नंदिता का क़त्ल किसने किया वो भी इस किले जैसे महफूज़ बंगल मे?

सवेरे हमले के कोई 10 मिनिट के अंदर ही टोनी & पाशा उसके पास पहुँच गये थे & उसे षत्रुजीत के घर ले आए थे जहा सबने ये फ़ैसला किया की उसकी हिफ़ाज़त के लिए वो अभी कुच्छ दिन अगर षत्रुजीत के घर मे ही रहे तो ठीक होगा.कामिनी को भला इस से क्या ऐतराज़ हो सकता था..1 तो अपने प्रेमी का साथ दूसरे उसे उम्मीद थी की नंदिता के केस के लिए भी उसे कोई सुराग यहा से शायद मिल जाए.

…मगर क्या शत्रुजीत केवल इसलिए उसे डराने के लिए हमला करवा सकता था क्यूकी वो पुराणिक के क़ातिल को बचा रही थी?..उसका दिल इस बात को मानने से इनकार कर रहा था मगर उसका वकील का दिमाग़ कुच्छ और ही कह रहा था…ज़रूरी नही की गुनाह की वजह बहुत ठोस हो..ठोस तो सिर्फ़ सबूत होते हैं..उसने अपने करियर मे कितने ही ऐसे केस देखे थे जिसमे मामूली सी बात के लिए क़त्ल हुए थे…जो भी हो वो पीछे नही हटेगी & दोनो केसस की गुत्थी सुलझा के रहेगी…मगर करण के केस मे क्या गुत्थी हो सकती है?…ये तो 1 सीधा-सादा नशे की झोंक मे हुए झगड़े मे हुआ हादसे का केस था….लेकिन फिर करण को याद क्यू नही था की उसने गन अपनी जेब मे रखी थी…चाहे कुच्छ भी हो कल करण से इस बारे मे बहुत तफ़सील से बात करनी ही होगी.

तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला,”..ओह्ह!आइ’एम सॉरी!”,शत्रुजीत बाहर जाने लगा तो कामिनी बातटब से निकल आई,”जीत,रूको.”,वो उसके करीब आ गयी,”क्यू जा रहे हो?”,शत्रुजीत ने उसे देखा तो उसकी निगाहे कामिनी के बदन को सर से पैर तक निहारने लगी & निहारती भी क्यू ना..उसका मदमस्त बदन पानी मे भीगा हुआ & भी हसीन & मदहोशी भरा लग रहा था.

बीवी की मौत के बाद से शत्रुजीत काफ़ी परेशान था & उसका हमेशा मुस्कुराता चेहरा अब बहुत तनाव भरा लगता था.कामिनी जानती थी की अभी भी उसकी बेरूख़ी इसी वजह से थी.10 दिन से उपर हो गये थे नंदिता की मौत को,अब वक़्त आ गया था कि शत्रुजीत वापस पहले की तरह हो जाए.

“सॉरी तो मुझे कहना चाहिए,बिना तुम्हारी इजाज़त के तुम्हारा बाथरूम इस्तेमाल कर रही थी.”,उसने बेदिंग गाउन पहने शत्रुजीत की बाँह सहलाई,”..नहाने आए थे?”,& बिना उसके जवाब का इंतेज़ार किए उसका बेदिंग गाउन खोल दिया,”चलो..आओ.”,शत्रुजीत ने गाउन के नीचे कुच्छ नही पहना था.

कामिनी का दिल तो करा रहा था की उसके सोए लंड को पकड़ के अपने मुँह मे भर ले मगर उसने अपनी हसरत पे काबू रखा & शत्रुजीत को बाथटब मे बिठा दिया,”मैं जानती हू,शत्रु तुम कितना परेशान हो..उपर से मैं भी करण का केस लड़ के तुम्हे कोई सुकून तो पहुँचा नही रही.”,कामिनी टब मे उसके पीछे बैठ गयी & उसकी पीठ हल्के-2 रगड़ने लगी.उसने जान बूझ कर ऐसी बात कही थी,उसे अपने दिल का शक़ जो दूर करना था.

“कैसी बाते करती हो?”,शत्रु ने थोड़ी देर के लिए उसका 1 हाथ पकड़ा,”..मैं समझता हू तुम्हारी स्थिति…क्या करे?उपरवाला कभी-2 हमारा ऐसे ही इम्तहान लेता है.”,कामिनी के गुलाबी निपल्स ठंडे पानी की वजह से बिल्कुल कड़े हो चुके थे & शत्रुजीत की पीठ मे भले जैसे चुभ रहे थे.बीवी के क़त्ल के बाद आज पहली बार उसे थोडा सुकून महसूस हो रहा था & उसके बदन मे फिर से पुरानी उमंगे जाग रही थी.

कामिनी अपने घुटने उसकी दोनो जंघे के बगल मे सताए उसकी मज़बूत बाहो पे पानी डाल के उन्हे रगड़ रही थी,उसकी चूत से हल्के-2 पानी रिसने लगा था.पिच्छले 10 दीनो से उसकी चूत को भी कोई लंड नही नसीब हुआ था & आज की रात उसे इसकी पूरी भरपाई करनी थी.उसने शत्रुजीत का सर चूम लिया,”दट’स सो नाइस ऑफ यू,जीत.”,उसके पीछे से उसके बदन से चिपके हुए दोनो हाथ आगे लाके वो उसकी बालो भारी छाती सहलाने लगी.

ऐसा करने से उसकी चूचिया शत्रुजीत की पीठ से बिल्कुल पिस गयी & उनके कोमल एहसास से उसका लंड अब बिल्कुल तन गया.कामिनी ने पानी मे से सर निकाल कर उस 1 आँख वाले रक्षःस को झाँकते देखा तो मन ही मन मुस्कुराइ,”मैं तुम्हे ज़्यादा परेशान तो नही करना चाहती,डार्लिंग..मगर पुच्छना तो पड़ेगा ही.”,

“पुछो ना.”,शत्रुजीत पीछे हो उसके बदन से टेक लगाके बैठ गया था.कामिनी उसके दाए कंधे के उपर से उसे देखते हुए उसका सीना सहला रही थी.

“तुम्हे क्या लगता है नंदिता का क़त्ल किसने किया होगा या फिर किसका हाथ है इसमे?”

“पता नही…ये सोच-2 के मेरा दिमाग़ खराब हो गया मगर मुझे कोई नाम नही सूझा…ना ही कोई वजह…ना मेरी किसी से दुश्मनी है ना नंदिता की थी…”

“फिर ऐसे बंद कमरे मे कोई कैसे घुस के ये काम कर सकता है?”,कामिनी का हाथ उसके सीने के बालो से खेलते हुआ नीचे की तरफ जाने लगा था,”तुम्हे घर के किसी नौकर पे भी कोई शक़ नही?”

“नही.”,शत्रुजीत का सर अब उसकी चूचियो पे रखा हुआ था & वो उसके घुटने सहला रहा था,कामिनी की चूत अब कसमसने लगी थी,”टोनी पर भी नही?”

“नही.”,उसने कामिनी को टोनी से मुलाकात की पूरी कहानी सुनाई जिसके दौरान कामिनी का हाथ उसके लंड तक पहुँच गया,इधर शत्रु ने अपनी झांते सॉफ नही की थी & कामिनी उनके पीछे च्छूपे उसके आंडो को दबाने लगी,”..जो शख्स 2 दिन से भूखा होने के बावजूद हज़ारो रुपयो से भरा पर्स वापस कर दे वो ऐसा ज़लील काम कभी भी नही कर सकता.”,उसने कामिनी का सर पकड़ उसे सामने की ओर खींचा तो कामिनी फ़ौरन सामने आ उसकी गोद मे बैठने लगी.

शत्रुजीत ने उसकी कमर पकड़ी & उसकी चूत को अपने लंड पे बिठाने लगा.जैसे ही लंड ने चूत को छुआ कामिनी की आँखे बंद हो गयी & उसे मानो नशा चढ़ने लगा,”..उउम्म्म्म….मगर खून तो किसी ऐसे ही इंसान ने किया है जोकि घर के अंदर से अच्छी तरह वाकिफ़ था..आआआआआअहह..!”,अरसे बाद उसकी चूत इस लंबे,मोटे लंड का स्वाद चख रही थी.

वो शत्रुजीत के कंधो पे हाथ रखे आहे भरती हुई उच्छलते हुए उसके लंड को खुद ही चोदने लगी,शत्रुजीत ने उसकी पतली कमर को अपनी बाहो मे जाकड़ कर उसके बदन को खुद से चिप्टा लिया & अपना चेहरा उसकी मोटी चूचियो के बीच च्छूपा लिया,”..जो भी हो,1 बार उसका नाम पता चल जाए…उसके बाद उसे मैं खुद अपने हाथो से सज़ा दूँगा.” ,उसने कामिनी की गंद की फांको को दबोचते हुए उसकी चूचियो को मुँह मे भर लिया & उसके साथ-2 नीचे से पानी कमर उचका कर चुदाई करने लगा.

बाथरूम मे कामिनी की गरम आहे,शत्रुजीत की ज़बान की लपलपहट & दोनो बदनो के मिलन से च्चपच्छपते पानी की आवाज़ो का मस्त शोर भर गया.

शॅरन की गुलाबी चूत से उसका रस टपक रहा था,वो जल बिन मच्चली की तरह फूलो भरे गोल बिस्तरा पे तड़प्ते हुए कराह रही थी,”..आअननह…उउउन्न्ह…ऊऊुुइईईईईई…..ऊऊहह….जाग…बीइररर….अब….ना..ही…हाईईईईईईईईईई…!,मगर जगबीर ठुकराल उसकी बात अनसुनी करते हुए अपनी 2 उंगलियो से लगातार उसकी चूत मारे जा रहा था.बेचैन हो शॅरन ने उसका हाथ पकड़ कर खींचने की कोशिश की मगर ठुकराल ने उसके दोनो हाथो को अपने बाए हाथ मे जाकड़ लिया & दाए से उसकी चूत वैसे ही मारता रहा.शॅरन का हाल बुरा था,ना जाने अब तक वो कितनी बार झाड़ चुकी थी,”..जगबीर..प्ले..असे…मत करो ना..!”

इस बार ठुकराल ने उसकी बात मानते हुए अपनी उंगलिया खींच ली मगर अगले ही पल उसके उपर झुक कर उसने अपना मोटा लंड उसकी चूत मे दाखिल करा दिया,”..हाइईईईईई….!”,शॅरन के चेहरे पे अजीब से भाव थे-खुशी के भी,दर्द के भी,तकलीफ़ के भी & मज़े के भी.ठुकराल ने लंड जड़ तक उसकी चिकनी चूत मे धंसा दिया & फिर उसके हसीन चेहरे को अपने हाथो मे भर बड़े प्यार से चूमने लगा.वो जानता था की शॅरन काफ़ी थक चुकी है & ऐसे मे अगर उसने चोदना शुरू किया तो वो उसका ढंग से साथ नही दे पाएगी.अगर अभी वो लंड नही डालता तो वो ज़रूर सो जाती मगर वो अभी तक झाड़ा नही था & उसके झाडे बिना शॅरन को सोने का कोई हक़ नही था.

इस तरह लंड चूत मे पड़े होने से ना उसे नींद आएगी & वो धक्के नही लगाएगा तो वो ज़्यादा परेशान भी नही होगी.बिस्तर के बगल मे रखा इंटरकम बजा तो उसने रिसीवर उठाया,”बोलो माधो.”

“हुज़ूर,वकील कामिनी शत्रुजीत के घर रह रही है.”

“ये तो अच्छी बात है,अब हमारा प्यादा बड़ी आसानी से दुश्मन की सारी चालो की खबर हमे दे सकता है.”,दोनो ने थोड़ी देर & बात की.ठुकराल ने महसूस किया की शॅरन उसकी पीठ सहला रही है & उसने अपने घुटने भी मोड़ लिए थे.वो समझ गया की वो चुदाई के लिए तैय्यार है,उसने रेसिवेर फेंका & उसके घुटनो को मोड़ कर उन्हे पकड़ कर अपने होंठ उसके नर्म होंठो पे कस दिए & गहरे धक्के लगाने लगा & 1 बार फिर से कमरे मे शॅरन की आहे गूंजने लगी.

“..मुझे बिल्कुल भी याद नही की पिस्टल मेरी जेब मे कैसे आई!..प्लीज़ कामिनी बार-2 1 ही सवाल करके मुझे परेशान मत करो!..मुझे मेरे हाल पे छ्चोड़ दो..”,करण ने अपना चेहरा अपने हाथो मे च्छूपा लिया & रोने लगा.कामिनी फ़ौरन उसके पास पहुँची,”..नही करण!ऐसे हौसला मत खोयो प्लीज़!”,उसने उसके हाथ उसके चेहरे से हटाए & उसे अपने सीने से लगा लिया & उसकी पीठ सहलाने लगी.कुच्छ पॅलो बाद करण शांत हुआ,”आइ’एम सॉरी.”

“कोई बात नही…अच्छा चलो शीना के बारे मे बताओ.”,उसने करण का मूड बेहतर करने की गरज से कहा,”तुम दोनो पहली बार कब मिले?”

“लंडन मे.”,करण ने अपना चेरा पोंच्छा,”..1 पार्टी मे .”

“वो भी लंडन मे ही रहती है?”

“हां,लेकिन उस वक़्त वो वाहा नयी-2 आई थी.”

“अच्छा.”

“हां,वो तो यही आवंतिपुर की है.उसकी फॅमिली तो अभी भी वही रहती है.”

“तो शीना लंडन कैसे पहुँच गयी?”

“पढ़ाई के लिए.उसकी बुआ वही रहती है ना.वो मेरी चाची की दोस्त हैं.उन्ही की पार्टी मे तो हम पहली बार मिले थे.”

“ओह.”

“हाई!करण.”,दोनो मुड़े तो देखा की शीना 1 बुज़ुर्ग से इंसान के साथ खड़ी है.उन्हे देखते ही करण की नज़रे झुक गयी.कामिनी ने शीना को सर झुका के उसकी हाई का जवाब दिया.वो बुस्ज़ुर्ग करण के करीब आए & उसके कंधे पे हाथ रखा तो 1 बार फिर से उसके आँसू निकल पाए.वो उसे समझाने लगे तो कामिनी शीना से मुखातिब हुई,”शीना.करण ने बताया की तुम आवंतिपुर से हो.”

“हां.”

“वाहा कहा घर है तुम्हारा?”

“कमाल कुंज मे.”

“अच्छा & यहा पंचमहल मे कहा रहते हो तुमलोग?”

“यहा तो हमारा कोई घर नही है.”

“तो फिर तुम यहा कैसे आई?”

“मैं तो आवंतिपुर से यहा आती हू.”

“2 घंटे का सफ़र तय करके?”

“हां.”

“देखो,अगर चाहो तो मेरा घर खाली है या फिर मैं कोई & इंतेज़ाम करा सकती हू.”

“नही..वो डॅडी को ये जगह पसंद नही…”

“अच्छा..क्यू?”,कामिनी समझ गयी कि यही शख्स शीना का बाप है.करण अब संभाल गया था & वो शख्स कामिनी को देख रहा था,”हां,शीना जगह की-..”

“पहले डॅडी से मिलिए?”,शीना ने दोनो का परिचय कराया,”शीना कह रही थी की आपको पंचमहल पसंद नही.बुरा ना माने तो वजह जान सकती हू?”,मित्तल साहब 1 पल के लिए संजीदा हो गये & अपनी बेटी को घूरा,लेकिन फ़ौरन संभाल गये & मुस्कुराए,”..यहा का पानी रास नही आता मुझे.”

“ओह.”

बाप-बेटी को करण के पास छ्चोड़ कामिनी वाहा से निकल आई,आज उसका ड्राइवर कार चला रहा था.कामिनी के ज़हन मे कुच्छ खटक रहा था….रोज़ 2 घंटे का सफ़र करके आना मंज़ूर है मगर यहा रहना नही..आख़िर ऐसी क्या वजह थी पंचमहल मे?..जोकि बताई भी नही जा सकती….& शीना ही थी जोकि करण के साथ हादसे के वक़्त थी & 1 वही थी जिसने गन को देखा था….कही शीना ने ही तो गन?कामिनी का दिमाग़ तेज़ी से घूमने लगा..इस शीना का भी इतिहास पढ़ना पड़ेगा..मगर कैसे?

सुबह कामिनी की नींद खुली तो उसने पाया की वो षत्रुजीत सिंग के बिस्तर मे नंगी पड़ी है मगर उसका प्रेमी नदारद है.कल रात शत्रुजीत ने उसे 3 बार चोदा था & आख़िरी बार तो हद ही हो गयी थी.2 बार झड़ने के कारण तीसरी बार शत्रुजीत को झड़ने मे समय लग रहा था & वो करीब 25 मिनिट तक लगातार बिना रुके उसकी नाज़ुक चूत मे अपना दानवी लंड अंदर-बाहर करता रहा . इस दौरान कामिनी को होश नही वो कितनी बार झड़ी बस इतना याद था की जैसे ही उसकी चूत मे उसे शत्रुजीत के पानी का गीला एहसास हुआ उसकी चूत ने भी साथ मे 1 आख़िरी बार पानी छ्चोड़ & फिर उसके थके हुए बदन ने उसे सोने पे मजबूर कर दिया.रात की मस्त यादो ने कामिनी के होंठो पे मुस्कान खिला दी.

“..मैने कहा ना मुझे तीनो का रवैयय्या शुरू से ही नापसंद था…अंकल जे भी उनके चलते परेशान थे….वही सब टॉहने तो वो उन्हे अपने साथ बॉर्नीयो ले गये थे उस रात…इनका तो जाना तय है,अब्दुल…अच्छा चलो..ऑफीस मे बात करेंगे.”

शत्रुजीत पाशा से बात कर रहा था,कामिनी को पाशा के जवाब नही सुनाई दिए मगर वो समझ गयी की वो दोनो जयंत पुराणिक के क़त्ल के वक़्त मौजूद त्रिवेणी के उन तीनो एंप्लायीस के बारे मे ही बाते कर रहे थे.वो झट से बिस्तर से उठी & अपना नाइट्गाउन पहन लिया.

“गुड मॉर्निंग.”,शत्रुजीत कमरे मे आया.कामिनी ने देखा की वो दफ़्तर जाने के लिए तैय्यार था.

“गुड मॉर्निंग..सॉरी,मुझे उठने मे थोड़ी देर हो गयी.”,शत्रुजीत उसके पास आ गया था & दोनो 1 दूसरे की बाहे थामे आमने-सामने खड़े थे,”कोई बात नही!मुझे भी आज थोड़ा जल्दी जाना था इसीलिए मैने तो नाश्ता भी कर लिया है.”,शत्रुजीत ने उसके होंठ चूमे & अपना कोट कुर्सी से उठा लिया,”कामिनी,तुम्हे कुच्छ चाहिए तो नही?”

“नही,कपड़े & बाकी ज़रूरी समान तो मैं परसो ही ले आई थी..हां!..मगर जाने दो..”

“क्या हुआ?बोलो तो.”

“वो मेक-अप का समान लाना भूल गयी थी….आज शाम को लौटते वक़्त घर से ले लूँगी.”

शत्रुजीत हंसा फिर खामोश हो गया,”कामिनी..अगर चाहो तो नंदिता के ड्रेसिंग टेबल से तुम जो चाहो ले सकती हो…”

“नही..कोई परेशानी की बात नही है जीत..”,मगर तभी उसके ज़हन मे 1 ख़याल कौंधा….उसने शत्रुजीत & नंदिता का कमरा जहा नंदिता का खून हुआ था पहले भी देखा था मगर 1 बार और देखने मे क्या हर्ज था,”..ठीक है..मैं देख लूँगी..”

“ओके.”,शत्रुजीत ने कमरे मे बने वॉर्डरोब को खोला & 1 दराज मे से 1 चाभी निकाल कर कामिनी को थमायी,”..ये लो उस कमरे की चाभी.”,वो दफ़्तर के लिए निकल गया.

कामिनी तैय्यार हो शत्रुजीत की दी हुई चाभी से दरवाज़ा खोल कमरे मे दाखिल हुई.उसे 1 लिपस्टिक की ज़रूरत थी.ड्रेसिंग टेबल के सामने स्टूल पे बैठ के उसने उसकी दराज खोल लिपस्टिक ढूंदनी शुरू की.1 दराज मे उसे कोई 10-12 लिपस्टिक्स मिली तो कामिनी उन्हे खोल कर अपनी ज़रूरत के रंग की लिपस्टिक खोजने लगी.थोड़ी ही देर मे उसे वो रंग मिल गया.होतो पे उसे लगा जब उसने लिपस्टिक को वापस रख दराज बंद करनी चाही तो वो अटक गयी.कामिनी ने देखा की 1 लिप्स्तसिक दराज & ड्रेसिंग टेबल के बीच फँसी हुई है,उसने उसे खींच कर निकाला.

ऐसी लिपस्टिक उसने पहले कभी नही देखी थी.हल्के ग्रे कलर की बॉडी पे कही कोई नाम या लोगो नही था.उसका ढक्कन भी आम लिपस्टिक से छ्होटा था.उसने ढक्कन खोला तो पाया की अंदर भूरे रंग की लिपस्टिक भी काफ़ी छ्होटे साइज़ की है.उसने ये सोच कर लिपस्टिक घुमाई की शायद थोड़ी और स्टिक बाहर आई मगर ये क्या!..घूमने से लिपस्टिक तो बाहर नही आई बल्कि उसका नीचे का हिस्सा खुल गया & कामिनी की आँखो के सामने यूएसबी ड्राइव आ गयी….वाउ!

और क्या था इस कमरे मे.पोलीस ने सुराग के लिए पूरा कमरा छाना था मगर उनके हाथ कुच्छ खास नही लगा था & यहा कामिनी को बैठे-2 1 पेन ड्राइव मिल गयी थी!थोड़ी देर मे उसने पूरा ड्रेसिंग टेबल छान मारा मगर उसे कुच्छ और नही मिला.वो स्टूल से उठी & उसे पैर से धकेल कर ड्रेसिंग टेबल के शीशे के नीचे घुसाने लगी.ड्रेसिंग टेबल की बनावट ऐसी थी की शीशे के नीचे दोनो तरफ दराज बनी थी & उनके बीच मे स्टूल घुस जाता था.

तभी कामिनी का ध्यान स्टूल पे गया,उसने उसपे रखा कुशन उठाया तो उसके नीचे 1 ढक्कन दिखा.कामिनी ने उसे उठाया तो अंदर उसे सिंगार के समान के अलावा कुच्छ बिल्स मिले.वो उन्हे देखने लगी & 1 बिल पे उसकी निगाह अटक के रह गयी.बिल हाथो मे लिए हुए उसने कमरे की चाभी को देखा.शत्रुजीत के पूरे घर मे कस्टम मेड ताले लगे हुए थे यानी की 1 कंपनी ने उसके घर के लिए खास ताले लगाए थे & ऐसे ताले किसी और के लिए नही बनाए गये थे.कामिनी ने चाभी को गौर से देखा,करीब 3 इंच लंबी स्टील की चाभी का हेड चंदे से मढ़ा हुआ था जिसपे 1 तरफ स & दूसरी तरफ 1 लिखा हुआ था.

बिल पे उस अमेरिकन कंपनी का नाम & पता लिखा हुआ था.बिल 1 ड्यूप्लिकेट चाभी की बनवाई की फीस का था.कंपनी ने घर मे ताले इनस्टॉल करते वक़्त 2 चाभीया मुहैय्या की थी….यानी की 1 चाभी गुम हो गयी थी & उसकी जगह 1 ड्यूप्लिकेट चाभी बनवाई गयी थी.कामिनी ने कमरे के सभी शेल्फ & वॉर्डरोब छान मारा & उसके हाथ जो लगा उस से उसे नंदिता के क़त्ल की गुत्थी का 1 सिरा सुलझता नज़र आया.वॉर्डरोब मे 1 चाभियो के गुच्छे मे उसे वो चाभी मिल गयी जिसके चंदे के हेड पे 1 तरफ स & दूसरी तरफ 2 लिखा था….जब दोनो चाभीया मौजूद थी तो फिर आख़िर ड्यूप्लिकेट चाभी क्यू बनवाई गयी.कामिनी ने दोनो चाभीया,पेनड्राइव & बिल अपने पर्स मे डाला & कमरे से निकल गयी.

थोड़ी ही देर बाद कामिनी अपनी कार की पिच्छली सीट पे बैठी करण से मिलने जा रही थी.उसने अपना लॅपटॉप ऑन कर नंदिता की पेन ड्राइव लगाई.ड्राइव के आइकान पे क्लिक करते ही उसने उस से पससवाओर्ड माँगा….अब पासवर्ड कहा से लाए वो?उसने शत्रुजीत टाइप किया.मेसेज आया: इनकरेक्ट पासवर्ड.यू हॅव 4 मोरे चान्सस लेफ्ट.इफ़ यू डॉन’ट एंटर दा करेक्ट पासवर्ड थे ड्राइव विल ऑटोमॅटिकली फॉर्मॅट इटसेल्फ.

यानी की अगर ग़लत पासवर्ड डाला गया तो उसका सारा डाटा गायब हो सकता था.इस नयी उलझन से निपटने की तरकीब सोचती कामिनी की कार पोलीस थाने के अहाते मे पहुँच गयी.

उसने लॉक-अप मे कारण के पास जाने से पहले मुकुल को फोन मिलाया,”हेलो,मुकुल?”

“जी,मॅ’म.”

“मैं 1 घंटे मे ऑफीस पहुचूंगी.तुम ऐसा करो की मोहसिन को बुला लो.”

“ओके,मॅ’म.”

कामिनी करण के पास पहुँची & थोड़ी देर तक उसका हाल पुच्छने के बाद शीना के मुद्दे पे आ गयी,”शीना ने एमबीए के पहले की पढ़ाई वही आवंतिपुर से ही की थी?”

“हां,ए.पी.कॉलेज से..एकनॉमिक्स मे ग्रॅजुयेशन कर रही थी..मगर फाइनल एअर का एग्ज़ॅम उसने थोड़ा देर से दिया था.”

“क्यू?”

“वो बीमार पड़ गयी थी.”

“ओह.क्या हुआ था?”

“पता नही.इस बारे मे कभी उसने तफ़सील से बताया नही.”

“तुम दोनो का रिश्ता कैसे शुरू हुआ?”

“उसकी बुआ & मेरी चाची की कोशिशो की बदौलत.दोनो चाहते थे की हम 1 हो जाएँ इसीलिए हमे हुमेशा किसी ना किसी बहाने से मिलाते रहते थे.”

“करण,तुम्हारे & शीना के बीच सब ठीक तो चल रहा था ना?”

“हा,क्यू?”

“नही,वो अचानक इस तरह लंडन से यहा आ गयी-..”

“-वो तो मुझे सर्प्राइज़ देने के लिए उसने ऐसा किया था.”

“अच्छा,तुम यहा थे & वो वाहा लंडन मे,फिर तो दोनो को 1 दूसरे के लिए बड़ी बेताबी होती होगी?”

“हां,रोज़ाना ही हम फोन पे बाते करते थे.”

“अच्छा,कैसी बाते करते थे तुमलोग..आइ मीन कभी फोन पे झगड़ा वग़ैरह तो नही हुआ?”

“नही!नही!..बल्कि हम तो-..”,कुछ कहते हुए करण रुक गया & ज़मीन की ओर देखने लगा.

“बोलो,करण.”,कामिनी ने उसके हाथ पे अपना हाथ रखा.

“हम फोन पे हर तरह की बाते करते थे..”,थोड़ी देर बाद उसने अपनी चुप्पी तोड़ी,”..यहा तक की…यहा तक की….फोन सेक्स भी.”

“ओह!”,यानी इनका रिश्ता तो अच्छा जा रहा था मगर..तभी 1 और इंसान की आहट ने कामिनी के ख़यालो का सिलसिला तोड़ दिया.कामिनी ने सर घुमाया तो 1 बुज़ुर्ग इंसान खड़े थे,”हेलो,मैं करण का चाचा संजीव मेहरा हू & आप शायद आड्वोकेट कामिनी शरण हैं?”

“जी,हां.नाइस टू मीट यू.”,कामिनी उठ खड़ी हुई,”ओके.करण मैं चलती हू.”

“करण,मैं ज़रा वकील साहिबा को छ्चोड़ कर आता हू,फिर हम बाते करेंगे.”

“ठीक है,चाचजी.”

संजीव मेहरा कामिनी के साथ बाहर आने लगे,”मैं कल ही लंडन से यहा आया.करण के पिता को हमने कुच्छ नही बताया है..दरअसल उनकी तबीयत कुच्छ ठीक नही रहती..कामिनी जी,आपको क्या लगता है..क्या होगा मेरे भतीजे का?”

“देखिए,सर.मैं आपको झूठी तसल्ली तो नही दूँगी!करण के खिलाफ सारे सबूत बड़े पुख़्ता हैं मगर मैं भी आख़िर तक कोशिश करूँगी & इसमे शायद मुझे आपकी मदद लेनी पड़ सकती है.”,करण की बातो से कामिनी के दिमाग़ मे 1 नया ख़याल कुलबुलाने लगा था.

“ज़रूर,कामिनी जी!अपने भतीजे के लिए मैं कुच्छ भी करूँगा.”

“ठीक है,सर..तब शायद हम करण को यहा से निकाल ही लेंगे.”,कामिनी कार मे बैठ गयी तो ड्राइवर ने कार उसके दफ़्तर की दिशा मे बढ़ा दी.

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