नंदिता बिस्तर पे लेटी हुई थी,कमरे मे अंधेरा था.उसके बगल मे उसका पति भी लेटा था,वो जानती थी की वो भी उसी की तरह जगा हुआ था.उसने गर्दन घुमाई,ठीक उसी वक़्त शत्रुजीत भी मुड़ा & दोनो 1 दूसरे की बाहो मे आ गये.थोड़ी ही देर मे दोनो बिल्कुल नंगे हो चुके थे & शत्रुजीत अपनी बीवी के उपर चढ़ उसकी चूचिया चूस रहा था.
मगर आज दोनो की चुदाई मे वो गर्मी नही थी,शत्रुजीत नंदिता के बदन मे कामिनी का अक्स ढूंड रहा था…उसने जैसे ही उसके निपल को जीभ से छेड़ा,उसे अपनी प्रेमिका के गुलाबी रंग के निपल याद आ गये & वो उसे बाहो मे भरने को बेताब हो उठा…कामिनी कैसी मस्त आहे भरते हुए उसका साथ देती थी….नंदिता को भी आज वो मज़ा,वो मस्ती महसूस नही हो रही थी.
उसने शत्रुजीत का सर अपनी छाती से उठाया तो शत्रुजीत उसके उपर से उठ कर बैठ गया.कमरे मे काफ़ी देर तक खामोशी च्छाई रही.फिर शत्रुजीत ने ही चुप्पी तोड़ी,”नंदिता…”
“नंदिता….मुझे लगता है की हमे अब अलग हो जाना चाहिए…”
“नंदिता ने कोई जवाब नही दिया,उसे अपने पति की बात ज़रा भी बुरी नही लगी थी…शायद उसे राहत ही महसूस हुई थी.उनके रिश्ते मे सेक्स को छ्चोड़कर शायद ही कुच्छ अच्छा था & आज तो वो भी ख़त्म ही हो गया था.उसने करवट बदली & चादर से अपने नंगे बदन को ढँका & नींद के आगोश मे चली गयी.शत्रुजीत बैठा अपनी सोती हुई बीवी को देख रहा था.
“सर.”
“हां,टोनी.”,टोनी कार चला रहा था & शत्रुजीत उसके साथ वाली सीट पे बैठा अख़बार पलट रहा था.
“सर,प्लीज़ मुझे 1 हफ्ते की छुट्टी दे सकते हैं?”,शत्रुजीत ने अख़बार से सर उठाकर उसे सवालीयो नज़रो से देखा,”..सर,मैं 1 बार गोआ जाके अपने मा-बाप की कब्रो पे फूल चढ़ाना चाहता हू &..”,टोनी चुप हो कर ड्राइव करने लगा.
“और क्या,टोनी?अपनी बात पूरी करो.”
“..और शायद मेरे बीवी-बच्चे का भी कुच्छ पता चल जाए.”
“ह्म्म…ठीक है,टोनी.कब जाना चाहते हो?”
“हफ्ते के आख़िर मे,सर.”
“ठीक है.चले जाओ.”
“थॅंक यू,सर.”,शत्ृजीत ने सर हिलाया & वापस अख़बार पलटने लगा.
“कल रात तुमने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया था,नंदिता.”,शत्रुजीत बिस्तर पे अपनी बीवी के बगल मे लेटा हुआ था.
“इतने दीनो से तुम्हे ये बात नही सूझी,फिर अचानक अब क्यू तलाक़ की बात कर रहे हो?”नंदिता छत की तरफ देख रही थी.
“इतने दीनो तक पिताजी का लिहाज करके मैं चुप था…मगर अब मैं ऐसे नही रह सकता.”
“तुम कितने मतलबी हो,शत्रु!तुम्हारे पिता अब इस दुनिया मे नही हैं मगर मेरे माता-पिता दोनो अभी हैं & मैं ये रिश्ता तोड़ कर उनका दिल नही दुखाऊँगी.”
“नंदिता!तुम क्यू बात को उलझा रही हो?!!…हम दोनो जानते हैं की हुमारे बीच कैसा रिश्ता है…ये दोनो के लिए 1 मौका है अपनी ज़िंदगी को फिर से नये सिरे से शुरू करने का…”
“तुमको क्या फ़र्क पड़ता है की मैं तुम्हारी बीवी रहू या नही!तुम मेरे होते हुए भी तो अययाशिया कर रहे हो…फिर अचानक ये तलाक़ की बात कहा से तुमहरे दिमाग़ मे आ गयी…मैने तुम्हे आज तक किसी बात से रोका या फिर कभी तुम्हारे साथ झागड़ी?नही ना!फिर अलग होने की क्या ज़रूरत है!…”
“यानी तुम तलाक़ नही दोगि.”
“नही.”
“ठीक है.”,शत्रुजीत कमरे से बाहर जाने लगा तो देखा की नंदिता की नौकरानी दरवाज़े पे खड़ी है.उसे आता देख वो 1 किनारे हो गयी & शत्रुजीत कमरे से बाहर चला गया.
आवंतिपुर-पंचमहल से कोई 150-200 किमी की दूरी पर बसा वैसा ही बड़ा शहर मगर यहा का मौसम पंचमहल से ज़्यादा अच्छा था.इसका कारण था वो पहाड़ जिनके कदमो मे आवंतिपुर बसा हुआ था.इन पहाड़ो मे कयि छ्होटे शहर & कस्बे थे जोकि गर्मियो मे सैलानियो से भरे रहते थे.इन्ही मे से 1 छ्होटी सी जगह थी क्लेवर्त.
क्लेवर्त नाम किसी अँग्रेज़ अफ़सर के नाम पे पड़ा था जिसने उस जगह को बसाया था.क्लेवर्त के आस-पास कोई 7-8 बोरडिंग स्कूल थे & इन्ही स्कूल्स की बदौलत वाहा के लोगो की रोज़ी-रोटी चलती थी.इन्ही मे से 1 स्कूल के मेन गेट से 1 काली फ़ोर्ड एंडेवर निकली.
कार माधो चला रहा था & पीछे की सीट पे 3 लोग बैठे थे-1 लगभग 26 बरस की लड़की,जगबीर ठुकराल & आंतनी डाइयास,”आपका कैसे शुक्रिया अदा करू,समझ मे नही आता सर!”
“टोनी,कैसी बाते कर रहे हो!”,लड़की बीच मे बैठी थी & दोनो मर्द उसके दोनो तरफ बैठे बाते कर रहे थे,”..तुम भी तो मेरे लिए इतना बड़ा ख़तरा मोल ले रहे हो…वैसे अब बात थोड़ी आसान हो गयी है…क्यू?”
“जी!सर,वो तो है..मगर फिर भी कोई किसी के लिए इतना नही करता जितना आपने किया है!”
“टोनी,तुम मुझे शर्मिंदा कर रहे हो..”,उसने खिड़की से बाहर देखा,”..लगता है वो जगह आ गयी,टोनी.”,माधो ने कार रोक दी मगर टोनी बैठा ही रहा.ठुकराल ने उसकी तरफ सवालिया नज़रो से देखा,”..सर,वो ज़रा..”,टोनी ने कुच्छ झेन्प्ते हुए कहा.
“ओ…हां-2.”,ठुकराल दरवाज़ा खोल कर उतरा & माधो को भी बाहर निकलने का इशारा किया.उनके उतरते ही टोनी ने उस लड़की को बाहो मे भर लिया,लड़की भी उस से लिपट गयी & दोनो 1 दूसरे को चूमने लगे.टोनी उसे पागलो की तरह चूम रहा था,”..बस कुच्छ ही दीनो की बात है,शॅरन….फिर हम तीनो साथ रहेंगे-मैं तुम & हमारा बेटा.”,वो शॅरन के चेहरे & गले को चूमे जा रहा था.
“..आअहह…बस टोनी,डार्लिंग.अब जाओ…बाहर दोनो खड़े हैं…अच्छा नही लगता.”
“ओके,डियर.”,टोनी उतरने लगा,”..और हां,शॅरन.हर सनडे को चर्च ज़रूर जाना.”
“ओके.बाइ,टोनी.टेक केर.”,शॅरन उसकी बात सुनके मुस्कुरा दी.उसके उतरते ही माधो & ठुकराल वापस कार मे बैठ गये.कार थोड़ा आगे बढ़ी तो ठुकराल ने शॅरन की ओर देखा,शॅरन भी उसे देख शरारत से मुस्कुरा रही थी.ठुकराल ने उसे सीट पे गिरा दिया & उसके उपर चढ़ कर उसके गुलाबी गाल चूमने लगा.जवाब मे शॅरन ने उसके बालो को खींच कर उसके होंठो को अपने गुलाबी होंठो से सटा लिया.
आंतनी डाइयास ने षत्रुजीत सिंग से कुच्छ भी झूठ नही बोला था.ठुकराल की खुरापाति खोपड़ी जानती थी कि शत्रुजीत कोई दूध पीता बच्चा नही था जोकि ऐसे ही किसिको अपने करीब आने देगा.उसने बहुत सोच-समझ कर ये सारा प्लान बनाया था.नत्थू राम वाली बात,टोनी का शत्रुजीत को गिरती सेमेंट की बोरियो से बचाना-सब नाटक था.
ठुकराल चाहता था की उसका कोई आदमी बस शत्रुजीत के करीब हो जाए ताकि उसे उसकी हर हरकत का पता रहे & उसे उसके खिलाफ साज़िश रचने मे आसानी हो,मगर उसने भी ये नही सोचा था की शत्रुजीत टोनी को सीधे अपना ड्राइवर बना लेगा.इस बात से उसे बहुत खुशी हुई थी,टोनी अब शत्रुजीत की सारी हर्कतो पे नज़र रखे हुए था.
मगर ठुकराल टोनी को यहा लाया कैसे उसकी 1 अलग ही दास्तान है.
शैरोन & आंतनी डाइयास उर्फ टोनी की मुलाकात तब हुई थी जब टोनी गोआ से बॉमबे आक्टर बनाने आया था.उसने शॅरन के बराबर वाले घर मे 1 कमरा किराए पे लिया था.उस वक़्त वो 18 बरस की थी & अपने चाचा-चाची के साथ वाहा रहती थी.उसके मा-बाप काफ़ी पहले गुज़र चुके थे.
शॅरन बाला की खूबसूरत थी,कद छ्होटा था मगर पूरा बदन जैसे साँचे मे ढाला हुआ था.अपनी खूबसूरती का उसे पूरा एहसास था,मोहल्ले के मनचले & खुद उसका चाचा उसे इस बात का एहसास करते रहते थे.चाचा तो अक्सर चाची की नज़र बचा के उसकी गोलाईयो से छेड़-छाड़ कर देता था.ऐसे मे शॅरन को मर्द ज़ात से चिढ़ हो गयी थी,उसे लगता था की उन्हे बस उसके बदन को भोगने से मतलब है.
ऐसे मे टोनी की शराफ़त ने उसके दिल पे गहरी छाप छ्चोड़ी.टोनी की नज़रो मे उसकी खूबसूरती की तारीफ रहती थी मगर हवस कभी नही.कुच्छ ही दीनो मे दोनो ने 1 दूसरे से प्यार का इज़हार कर दिया & उसके चाँद दीनो के बाद ही 1 रोज़ जब चाचा-चाची शहर से बाहर गये हुए थे,उसने टोनी को अपना कुँवारापन सौंप दिया.
टोनी तो ऐसी खूबसूरत महबूबा पके खुशी से पागल हो गया & उसने शॅरन के चाचा-चाची से उसका हाथ माँग लिया.चाचा का दिल तो खुद ही इस हुसनपरी की जवानी का स्वाद चखने को था मगर चाची को उसे अपने घर से भगाने का इस से अच्छा मौका कहा से मिलता & चाची के आगे चाचा की 1 ना चली.दोनो ने शादी कर ली.
शादी के शुरू के 5-6 साल तो काफ़ी खुशी-2 बीते.शादी के 1 साल बाद ही शॅरन 1 बेटे की मा बन गयी थी.टोनी को भी काम मिलता रहता था.मगर इसके बाद ही मुश्किलो ने उनकी ज़िंदगी मे कदम रखा.टोनी को 1-2 लोगो ने बहुत भरोसा दिया था की वो उसे फ़िल्मो मे ज़रूर काम दिलाएँगे मगर ऐसा कुच्छ हुआ नही.टोनी इस से बिल्कुल मायूस हो गया & बस नशे के दलदल मे फँसता चला गया.
धीरे-2 वो विदेशी सैलानियो को भी चरस & बाकी नशीली चीज़े बेचने लगा.इस चक्कर मे उसे हवालात भी जाना पड़ता था.शॅरन को इन्ही हालतो मे घर से बाहर कदम रखना पड़ा.उसने बहुत कोशिश की मगर उसे कोई काम नही मिला.हार कर उसे 1 बार मे बार डॅन्सर का काम करना पड़ा.मगर उसने बार मालिक को पहले ही कह दिया था की वो केवल नाचेगी,जिस्म्फरोशी नही करेगी.
ऐसे ही 1 बार मे नाचते हुए कोई 1 महीने पहले उसपे जगबीर ठुकराल की नज़र पद गयी.उसने फ़ौरन बार मालिक को तलब किया,”वो लड़की नीले लहँगे मे..आज रात के लिए मुझे चाहिए..कीमत कुच्छ भी हो.”
“साहब,बुरा मत मानीएगा,पर..वो..वो लड़की नाचने के अलावा और कुच्छ नही करती…काई ग्राहक उसके बारे मे पुच्छ चुके हैं…मुहमांगी कीमत देने को तैय्यार हैं..मगर वो सबको ठुकरा चुकी है.”
“ह्म्म.”,ठुकराल के होतो पे शैतानी मुस्कान खेल गयी…उसे ऐसे खेल मे बड़ा मज़ा आता था जहा की शिकार आसानी से उसके हाथ नही आता था.उस रात जैसे ही शॅरन का काम ख़त्म हुआ बार मालिक ने उसे ठुकराल के पास भेज दिया,”आप बेकार कोशिश कर रहे हैं.आप जीतने भी पैसे दें,मैं आपके साथ नही सोयूँगी.”
“देखो,ऐसी जगह कोई लड़की अपने शौक से तो नही आती है.कोई मजबूरी ही उसे यहा खींच लाती है.हो सकता है,मैं तुम्हारी वो मजबूरी दूर कर दू.”
“क्या करेंगे आप?आज की रात के बाद आपको मेरी शक्ल भी याद नही रहेगी…& फिर कल…कल फिर किसी और के बिस्तर मे…मैं ऐसी ज़िंदगी नही जी सकती.”
“और अगर मैं कहु की तुम्हे आज के बाद सिर्फ़ मेरे साथ सोना है..तब तुम क्या कहोगी?”
शॅरन उसकी तरफ देख उसकी बात समझने की कोशिश करने लगी.
“देखो,मैं तुम्हे अपनी कार मे तुम्हारे घर छ्चोड़ देता हू.ये बातें हम रास्ते मे कर लेंगे.उसके बाद तुम्हारी मर्ज़ी.”,शॅरन के चेहरे पे झिझक सॉफ दिख रही थी.
“कार के सारे शीशे खुले रहेंगे & दरवाज़े भी लॉक नही रहेंगे,तुम जहा कहोगी वाहा कार रोक दी जाएगी.”,ठुकराल ने उसकी पशोपेश दूर करने की कोशिश की.
“ओके.”
ठुकराल का रवैयय्या अब तक के सभी मर्दो से अलग था,शॅरन ने भी उसे अपनी कहानी बता दी,”..मुझे अपने पति से अब पहले जैसा लगाव नही रह गया है,ठुकराल साहब.अब मेरा जो भी कुच्छ है वो मेरा बेटा है.मैं उसे 1 अच्छा इंसान बनाना चाहती हू.”
“..और बार मे नाचने से ये काम हो काएगा?”
“मगर मैं जिस्म्फरोशी नही करना चाहती.मुझे डर है..कल को अगर कही से उसे भनक लग गयी तो उस बेचारे का क्या होगा.”
“लगता है तुमने मेरी बात ध्यान से नही सुनी.मैने कहा की तुम्हे बस मेरे साथ हुम्बिस्तर होना है.”
“यानी आपकी रखैल बन जाऊं?..और जब आपका मन भर जाएगा..फिर?फिर मैं कहा जाऊंगी अपने बच्चे को लेके?”
ठुकराल समझ गया की भले ही ये लड़की 1 बार डॅन्सर हो मगर वो उसकी रखैल कभी नही बनेगी,”तुमने कहा की तुम्हारा पति 1 आक्टर था.”,उसकी खोपड़ी मे 1 खुरापाति ख़याल जनम ले रहा था,”..शायद वो मेरा 1 काम कर सकता है.”
“देखो,शॅरन.अगर मैं तुम्हारे पति को भी 1 काम दे दू,तुम्हारे बेटे को 1 बोरडिंग स्कूल मे दाखिल करा दू & फिर तुम्हारे पति को तुम्हारी ज़िंदगी से दूर कर तुम्हे अपना लू तो?”
“मगर ये होगा कैसे?”
“वो तुम मुझ पे छ्चोड़ो,पहले ये बताओ की तुम इस बात के लिए तैय्यार हो या नही.”
“हां,मगर क्या गॅरेंटी है की आप इस बात से नही मुकरेंगे?”
“तुम्हारे पति को हुमारी बात का कोई पता नही होगा.मैं उस से ऐसे मिलूँगा जैसे की मैं उसके बारे मे कुच्छ नही जानता.कुच्छ ही दीनो मे तुम्हारे बेटे के दाखिले के काग़ज़ & तुम्हारे बॅंक खाते मे पैसे के डीटेल्स तुम्हारे हाथ मे होंगे.जब मेरा काम पूरा हो जाएगा,मैं तुम्हारे पति को तुम्हारी ज़िंदगी से अलग कर पूरे समाज के सामने तुम्हे अपना लूँगा.मगर तब तक तुम्हे मेरे साथ छुप के रहना होगा.”,ठुकराल झूठ बोल रहा था,उसका ऐसा कोई इरादा नही था.दरअसल,उसे बस टोनी के सहारे अपना काम निकालना था & अगर तब तक उसकी जवान,खूबसूरत बीवी उसके जिस्म की आग को ठंडा करती रहे तो ये तो सोने पे सुहागा था!