#45
ठाकुर के चेहरे पर अजीब से भाव थे .
मैं- कुछ जान चूका हूँ कुछ जानना बाकी है ठाकुर साहब , हमाम में हम सब नंगे है आप चाह कर भी हवेली के उस राज को छिपा नहीं सकते मैं सरिता देवी वाली बात भी जानता हूँ और सोने वाली बात भी
ठाकुर- तुम कुछ भी नहीं जानते अर्जुन
मैं- तो बता क्यों नहीं देते .
“खामोशिया अपने निचे शोर को दबाये होती है अर्जुन , ” ठाकुर ने कहा
मैं- उस शोर को दबाये रखने से आपके ही कानो के परदे फटेंगे . मैं जान तो चूका हूँ की सरिता देवी की वेवाफाई ने इस हवेली की नींव हिला दी पर इस राज को अब दिल में दबा कर रखने का कोई भी फायदा नहीं है कम से कम सोलह साल से जो दर्द दबाये बैठे हो वो हल्का कर दीजिये
“मैं बताती हूँ अर्जुन ” रुपाली ने कहा
रुपाली- हवेली की शानो शोकत सबको बाहर से तो खूब दिखती थी पर इसके अन्दर की कहानी कोई नहीं जानता था मेरी सास सरिता देवी परम पूजनीय जिसके सर से कभी आँचल नहीं सरका , कोई नहीं जानता था की जब वो कपडे उतारती है तो क्या कहर ढाती होगी . बात उस समय की है जब किसी बात को लेकर डाकू मंगल सिंह और पिताजी में ठनी हुई थी .
मैं- पर ये दोनों तो दोस्त थे न
ठाकुर- लालच के आगे कोई सम्बन्ध मायने नहीं रखते
मैं- सोने का लालच
ठाकुर- हाँ . पर मैं ये नहीं जानता था की मंगल हमारी इज्जत पर हाथ डालेगा उसे सरिता का अपहरण नहीं करना चाहिए था
मैं- सरिता देवी का कभी अपहरण हुआ ही नहीं था ठाकुर साहब
मेरी बात सुन कर ठाकुर और रुपाली हैरान रह गए मेरा मुह ताकने लगे.
मैं-सरिता देवी के सम्बन्ध सबसे पहले भूषण से हुए , चूँकि मंगल सिंह हवेली में आता था सरिता की नजरो में था वो और भूषण भी मंगल संग दोस्ती बढ़ाने लगा था . उस दोपहर सरिता देवी उन दोनों संग चुदने ही गयी थी पर वो नहीं जानती थी की उसे आपके भतीजे ने देख लिया था .
ठाकुर ने आह भरी, भतीजे ने अपनी चाची को जैसे तैसे चोद दिया . और ये बात जब आपको मालूम हुई तो आपने उसे हवेली से बाहर निकाल दिया .
ठाकुर- मैंने उन दोनों को आम के बाग़ में देख लिया था और उसी दिन से मुझे नफरत हो गयी थी उस नीच से
मैं- पर सरिता देवी को कोई और भी पेल रहा था
ठाकुर -कौन
मैं- चंदा का पति . उसने सरिता देवी को खेतो पर बने कमरे में चुदते हुए देखा था .
रुपाली- यहाँ पर तुम गलत हो अर्जुन .कमरे में सरिता देवी नहीं बल्कि कामिनी जाती थी
ये मेरे लिए एक और नयी बात थी .
रुपाली- हाँ अर्जुन कमरा ही वो जगह था जहाँ पर इंद्र से मिलने जाती थी कामिनी . वहीँ पर चंदा के पति ने उसे देखा . चूँकि वो तेज की वजह से हवेली के अन्दर तक अत था वो कामिनी पर दबाव बनाने लगा था की वो उसके साथ भी सम्बन्ध बनाये . कामिनी ने ये बात पुरुषोत्तम को बताई तो वो आग बबूला हो गया उसने मार पिट कर दी नौकर से साथ पर कहते है न विनाश काले विपरीत बुद्धि , पुरुषोतम ने चंदा की लड़की को चोद दिया .कमजोर आदमी की नीच हरकत . चंदा के पति ने मेरी सास को भूषण के साथ चुदाई करते पकड लिया , उसने भी वही मांग की सरिता देवी को तो लंड चाहिए था औरत वैसे भी एक बार गिर जाये तो उठ नहीं सकती . घर में चुदाई का खेल जारी था दोनों माँ बेटी अपनी चूत की आग बुझाये ले रही थी बिना सोचे समझे की , की जब बात खुलेगी तो क्या होगा . इसी बीच कुलदीप लौट आया . उसने घर में चल रहे तमाशे को पकड़ लिया और सारी शर्म लिहाज भूल कर उसने अपनी ही माँ को साथ सोने के लिए मजबूर किया .
रुपाली की कही इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया की जिस्मो की आग में इन्सान इतना गिर जाता है की उसे इतना भी होश नहीं रहता की जिस जिस्म को वो भोगना चाहता है खुद उस ही वो अंश है .
“गलती तो ठाकुर साहब आपकी भी है , झूठी शान के चक्कर में परिवार पर ध्यान नहीं दिया . अगर परिवार में सबको साथ लेकर चलते तो क्या मालूम ये नोबत आती ही नहीं ” मैंने कहा
ठाकुर- सबकी अपनी मजबुरिया होती है
मैं- और कामिनी उसका क्या
रुपाली- कामिनी इन्दर को चाहने लगी थी . ये समाज रिश्तो के उस झूठे बंधंनो में पड़ा है की अक्सर चाहते दम तोड़ जाती है , चूँकि इन्दर की बहन यानि मैं इस घर की बहु थी तो कामिनी का ब्याह कभी नहीं हो सकता था इन्दर से . पर मैंने जीवन में एक बात बहुत गहराई से महसुसू की है अर्जुन, की इश्क मोहब्बत से भी कोई चीज बहुत ऊपर है तो वो है हवस . इंद्र भी उसी हवस में डूबा था ये जानते हुए भी की कामिनी की माँ है उसने जरा भी नहीं सोचा सरिता देवी को पेलने में .
मैं- हवस का ही तो सब खेल है तुम देखो , तुम भी तो अपने ससुर के साथ आज तक सो रही हो.
रुपाली- उस आग में मैंने प्रेम तलाश कर लिया . उस घर में हम दोनों ही तो थे जो तनहा थे , अकेले थे अपने आप से जूझ रहे थे . कहने को तो बाते है पर अपने को दुसरो की बाँहों में देखना बहुत कष्टदायक होता है
मैं रुपाली की इस बात से सहमत था .
मैं- क्या कामिनी के इंद्र के आलावा किसी और से भी सम्बन्ध थे .
रुपाली- अब तुमने सही सवाल किया
मैंने देखा ठाकुर की आँखों में अजीब से भाव थे .
रुपाली- अपने तीनो भाइयो के साथ सो रही थी वो .
रुपाली की इस बात ने जैसे धमाका ही कर दिया