You dont have javascript enabled! Please enable it! हवेली – Update 40 | Adultery Story - KamKatha
दिलजले - Adultery Story by FrankanstienTheKount

हवेली – Update 40 | Adultery Story

#40

मेरे हाथो में वो तस्वीरे थी जिन्होंने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया .कुछ तस्वीरों में ठाकुर किसी पग्गड़ धारी के साथ था और मैंने अनुमान लगाया की हो न हो ये मंगल सिंह ही होगा. जाहिर था की तस्वीरे लाल मनदिर की ही थी . देख कर लगता ही नहीं की इन दोनों में कभी कोई रार हुई होगी. उसके बाद वो ढेर जवाहरात का जिसमे मुझे जरा भी दिलचस्पी नही थी मैं जानता था ये वो ही अमानत रही होगी जिसे लाल मंदिर से चुराया गया था . पर मुझे कोतुहल था उस चमड़े के दस्तावेज में जिस पर कुछ किर्या लिखी हुई थी और अजीब से निशाँ बने हुए थे .

यहाँ पर मेरा एक अनुमान बहुत स्ट्रोंग था की ये माल यहाँ पर कोई लेकर आया होगा तो वो पुरुषोत्तम ही रहा होगा क्योंकि चंदा के पति को इस सामान के साथ उसी ने पकड़ा था और अगर ऐसा था तो यक़ीनन पुरुषोत्तम जानता था की पानी के निचे क्या था . और ये राज शायद इन्दर सिंह भी जानता था क्योंकि चाबी उसके पास थी . सोलह साल पहले की घटी घटनाओ का राज वक्त की धुल में ऐसे दब गया था की उस रेत को हटाने में मुझे बहुत जोर पड़ रहा था

.

मैंने चमड़े के दस्तावेज को जेब में रखा और बाकि सामान को वापिस स जमा कर ही रहा था मेरे हाथ से वो तस्वीरे गिर गयी और उनको उठाते हुए मैंने वो तस्वीर देखि जिसे थोड़ी देर पहले नहीं देख पाया और उस तस्वीर ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया ये बड़े घरानों में बहनचोद कौन किसका साथी संगी हो कौन जाने. ये तस्वीर बहुत कुछ कह तो रही थी पर क्या कह रही थी ये समझने के लिए मेहनत बहुत करनी थी .

लाल मंदिर के प्रांगन में बैठा मैं सोच रहा था की अतीत में यहाँ पर क्या ही घटा होगा, इन्सान अपनी आँखों पर भौतिकता के इतने चश्मे चढ़ाये होता है की उसे सच दिखता ही नहीं अपने लालच, अहम् में वो उस सुख से वंचित हो जाता है जिसकी तलाश में जीवन खत्म हो जाता है , मेरे पास वो वजह थी जिसकी वजह से मंगल और ठाकुर में पंगा हुआ पर मेरा मन कह रहा था की बात इतनी ही तो नहीं थी अभी तक मैंने कहानी का वो सिरा थाम रखा था जिसमे रुपाली थी कामिनी थी पर अभी कुछ देर पहले मिली तस्वीर ने कहानी के तमाम धागे ही तोड़ दिए थे लालच और हवस आपस में कहीं न कहीं जरुर मिले हुए थे , कहा मिले थे बस ये मालूम हो जाये तो कहानी खुल जाये.

चमड़े का दस्तावेज मुझे इतना तो बता रहा था की पुरुषोत्तम और इन्दर जब जंगल में जाते थे तो वो शिकार नहीं करते थे वो तलाश करते थे किसी चीज की और संभवत आँखों के धोखे में उस चीज को वो तलाश नहीं कर पाए होंगे या फिर उस चीज की तलाश में इन्दर सिंह को कुछ और ही मिल गया जिसकी वजह से पुरुषोत्तम और उसके बीच दुरिया आ गयी होंगी. पर अब न पुरुषोत्तम था और न ही इन्दर सिंह तो कौन मादरचोद खेल रहा था ये समझ से परे थे.

खेल बड़ा रोचक था दरअसल यहाँ पर कुछ लोगो की दोहरी कहानी चल रही थी एक में लालच था तो दूसरी में हवस लालच के बारे में मैं लगभग जान गया था पर हवस की तलाश अभी बाकी थी, जब मैं लाल मंदिर में पहुच गया तो मैंने देखा की पद्मिनी भी वहीँ पर मोजूद थी

मैं-अच्छा हुआ तू यही मिल गयी मैं तुझसे मिलना चाहता था

पद्मिनी- क्यों

मैंने जेब से चमड़े का दस्तावेज निकाला और उसे दिखाया

मैं- ये ही जड़ है इस सब की

पद्मिनी- असंभव है ये

मैं- तेरे सामने ही है जो भी है पर मुझे लगता है की तेरे बाबा मंगल जानते होंगे इसके बारे में

पद्मिनी – हो सकता है पर

मैं- पर असली बात ये है की सोने का लालच था ही नहीं कभी सोना तो बस एक माध्यम था उस चीज को पाने का जिसके बारे में हम नहीं जानते

पद्मिनी- मंदिर का इतिहास और उसके बारे में कोई गहराई से जानने वाला कोई बचा है तो वो है ठाकुर

मैं- हमें उसे नींद से जगाना होगा

पद्मिनी- कैसे

मैं- कोई है जो चोरी छिपे चंदा से मिलता है अगर हम उसे पकड़ सके तो बहुत कुछ हासिल हो सकता है

पद्मिनी- चंदा का क्या लेना देना इस सब से

मैं- पता नहीं पर कोई तो बात है जो उसे इस सब से जोड़ रही है.

पद्मिनी- मैं आज से ही चंदा की निगरानी शुरू करती हूँ

थोडा समय पद्मिनी के साथ बिताने के बाद मैं हवेली की तरफ चल दिया की तभी मैंने जय सिंह और चांदनी को गाड़ी में कही जाते हुए देखा न जाने क्यों मेरे दिमाग में अजीब सा ख्याल आया और मैं हवेली के बजाय चांदनी के घर पहुँच गया. घर में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था नौकरानी उंह रही थी मैंने अपने कदम ठाकुर के कमरे की तरफ बढ़ाये और दरवाजे को बंद कर लिया. बड़े से बिस्तर पर ठाकुर गहरी नींद में पड़ा था उसका बदन किसी पहलवान जैसा था . मैंने उसके कमरे की तलाशी लेनी शुरू की .

“क्या छिपाया हुआ है तुमने शौर्य सिंह मैं जानता हूँ जो दिख रहा है वो वैसा नहीं है पर मैं तलाश ही लूँगा उस वजह को ” मैंने झल्लाते हुए कहा .

कमरे में कुछ भी तो ऐसा नहीं था जो मेरी मदद कर सके अतीत के निशानों को इतनी शिद्दत से मिटाया गया था की वर्तमान नाक रगड़ रहा था एक सुराग को ,लाशो का ऐसा चक्रव्यूह मेरे आस पास था जिसकी सड़ांध में न जाने क्या छिपा हुआ था . ठाकुर का भतीजा जिसकी गांड पर लात मार कर ठाकुर ने हवेली से बाहर फेंक दिया था उसकी ऐसी क्या मज़बूरी रही होगी की वो कोमा में पड़े ठाकुर की तीमारदारी करेगा जबकि वो खुद गायब हो गया था .

कुछ नही मिला जो मदद कर सके , गला सूख रहा था मैंने पास रखे जग को उठाया और अपना गला तर किया जब मैं वापिस से जग को रख रहा था तो मेरी नजर उस तस्वीर पर पड़ी जो जग के पास रखी थी और उस तस्वीर को जब मैंने गौर से देखा तो मेरे कदमो से जमीं खिसक गयी .

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top