You dont have javascript enabled! Please enable it! हवेली – Update 39 | Adultery Story - KamKatha
दिलजले - Adultery Story by FrankanstienTheKount

हवेली – Update 39 | Adultery Story

#39

दुनिया अपने आप में अजीब न जाने क्या क्या छिपाया हुए है ये , आँखों के सामने सब कुछ होकर भी मैं अनजान उस दुनिया से जो यही कही तो थी . तालाब की सीढियों पर खड़े मैं तालाब को ही देख रहा था जिसके अन्दर से मैं कुछ पल पहले ही निकल कर आया था मेरे हाथ में चांदी की एक मूर्त जिसे लेकर मैं वहां पहुंचा जहाँ इसकी जगह थी , मूर्त को मैंने उसकी जगह पर रखा और कटार से अपने बदन का मांस काटने लगा . रक्त और मांस से भोग लगा कर ज्यो ही मैं पीछे हुआ मूर्त में आग लग गयी पर मैं डिगा नहीं मैं बस उसे देखते रहा

“अर्जुन क्या किया ये तूने ” मेरी तरफ आती पद्मिनी के स्वर में घबराहट थी

मैं- जब तू जानती ही है तो पूछती क्यों है

“क्या जरुरत थी इस त्याग की ” उसकी आँखे डबडबाई

मैं- तुझे मरता हुआ भी तो नहीं देख सकता था न

पद्मिनी- जी भी तो नहीं पाउंगी अब

मैं- जियेगी मेरे साथ ही जियेगी

पद्मिनी- मेरे बदले अपनी जान क्यों गिरवी रखी तूने क्या लगता है तू मेरा

मैं- आज तो पता नहीं पर एक दिन तू जरुर जान जाएगी

पद्मिनी- जख्म दिखा तेरा

मैं- वो कभी नहीं भरेगा अब

पद्मिनी- जानती हु मैं तोड़ तलाश कर लाऊँगी

मैं- जानता हूँ तू ले आएगी . और रो मत तेरे चेहरे पर आंसू देखे तो फिर क्या ख़ाक जिए हम

मैंने पद्मिनी का हाथ पकड़ और उसे अपनी तरफ खींचा और उसके होंठो को अपने होंठो से जोड़ दिया. ऐसा लगा की सुलगते दर्द पर किसी ने बरफ रख दी हो . ये बस एक चुम्बन ही नहीं था ये इकरार था आने वाली जिन्दगी का .

अगली सुबह मैंने तय कर लिया था की जल्दी से जल्दी मुझे रुपाली को तलाश करना है एक वो ही थी जो इस हवेली की कहानी को सही मायने में सुना सकती थी . वो ही बता सकती थी की कामिनी कहा है उसके साथ क्या हुआ था . हवेली में घूमते हुए मेरी नजर उस कमरे पर पड़ी जिसके ताले पर मेरा ध्यान कभी गया ही नहीं था वो कमरा औरो से जायदा बड़ा था बड़ी मस्श्क्त करनी पड़ी मुझे ताला तोड़ने में . कमरे की धुल हटा कर देखा कमरे के बीचोबीच एक बड़ा सा पलंग था . एक तरफ अलमारी थी ये ठाकुर शौर्य सिंह का कमरा था .

अलमारी खोली ठाकुर के कपड़ो के आलावा वहां पर कुछ पिस्तौल थी और पैसे बस इसके सिवा कुछ भी नहीं . जाहिर था ताला लगाने वाले ने जमीनों के कागज पार कर ही लिए होंगे.

सोच ही रहा था की बाहर से मजदूरो की आवाजो ने मेरा ध्यान खींचा , पता लगा की बगीचे के पास कंकाल मिला है . जाहिर है मजदुर डरने ही थे. मैंने उनको शांत रहने को कहा और सोचने लगा की ये किसका हो सकता है क्या ये कामिनी थी या फिर भूषण की बीवी चंदा ने कहा ही था की उसे यही कही गाड दिया गया था . पर ये कामिनी थी तो इसे मारा किसने . कंकाल को वापिस से खुर्द बुर्द करने के बाद मैं एक बार फिर से अन्दर आ गया और सोच ने लगा. ठाकुर आखिर किस तबियत का आदमी था .सोलह साल पुराणी इस गुत्थी को कैसे सुलझाई जाये सोचते सोचते मैं पागल ही तो होने लगा था .

दूसरी बात मंगल डाकू को मारा गया मंदिर में और मुझे पूरा यकीन था की एक तीर से दो शिकार किये थे मंगल को सिर्फ इसलिए ही नहीं मारा गया था की उसने सरिता देवी का अपहरण किया था उसे इसलिए मारा गया था की वो भी जानता था की तालाब में क्या है और अगर वो जानता था तो उसे मारने वाला पुरुषोत्तम भी जानता था उस बारे में . काश मैं अतीत में झाँक सकता , अतीत, अतीत. उसी समय मैं चांदनी से मिलने के लिए चल दिया और किस्मत देखो जय सिंह घर पर नहीं था

“तुम्हे यहाँ नहीं आना चाहिए था अर्जुन भैया को मालूम हुआ तो बात और बिगड़ेगी ” उसने कहा

मैं- जरुरी था मैं बस एक बात जानना चाहता हूँ की तुम्हारे पिता को हवेली से क्यों निकाला था ठाकुर ने .

चांदनी- दादा ने मेरे पिता का हिस्सा हड़पने की साजिश की थी इसीलिए

मैं- चांदनी, तेरे पिता का कमरा देखना चाहता हूँ मैं

चांदनी- क्यों किसलिए

मैं- भरोसा रख मुझ पर

चांदनी- ठीक है पर जल्दी करना भैया आ गये तो मुसीबत होनी ही होनी है

चांदनी मुझे अपने पिता के कमरे में ले गयी और मैंने अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया जैसा उसने मुझसे करने को कहा था . कमरे में मुझे कुछ भी नहीं मिला जिस से जरा भी मदद हो सके निराशा भरे कदम लिए मैं वापिस से हवेली आ रहा था की मैं भूषण की झोपडी के पास रुका यहाँ का हर किरदार एक दुसरे से गेम खेल रहा था ,सबके अपने अपने राज थे और सब एक दुसरे से जुड़े थे

चंदा की बेटी को भूषण ने भी चोदा था पर पुरुषोत्तम क्यों दिलाएगा भूषण को जवान लड़की की चूत . और भूषण पुरुषोत्तम से क्या इतना खुला हुआ था . चंदा के पति को पुरुषोत्तम खास पसंद नहीं करता था तो क्या उसी खुन्नस में उसने चंदा की बेटी को चोदा या फिर चूत के बदले चूत वाली बात यहाँ भी लागु हो रही थी . पर बात घूम कर फिर वही अटक गयी की आखिर एक नौकर से इतनी नफरत क्यों थी पुरुषोत्तम को


गहने चुराए तेज ने मारा गया चंदा का पति पर तेजको घायल किसने किया जुर्म के सबूत अक्सर घटनास्थल पर ही रह जाते है पर मेरे लिए दिक्कत ये थी की सोलह साल बीत गए थे इस राज को दो लोग जानते थे ठाकुर या रुपाली . हवेली से अभी अभी एक कंकाल मिला था जो कामिनी का भी हो सकता था , कुवे पर बने कमरे में प्रसव के निशान मिले थे दो चाबिया छोड़ी गयी थी कुछ तो मुझ से छूट रहा था कुछ तो था जो समझ नही आ रहा था कहाँ थी वो कड़ी जो इस कहानी को जोड़ पाए. चाबी इतनी महत्वपूर्ण क्यों थी मैं तुरंत उसी वक्त खेतो पर बने कमरे की तरफ निकला और कमरे को खोदने लगा और कुछ घंटो की मेहनत के बाद मुझे जो मिला मैं समझ गया की मामला इतना सीधा भी नहीं था ………..

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