You dont have javascript enabled! Please enable it! हवेली – Update 35 | Adultery Story - KamKatha
दिलजले - Adultery Story by FrankanstienTheKount

हवेली – Update 35 | Adultery Story

#35

ये कहानी उलझी हुई तो थी पर वैसे नहीं जैसे मैं सोच रहा था यहाँ पर दो कहानिया समान्तर चल रही थी एक कहानी घर के अन्दर और एक कहानी घर के बाहर . और जो चीज इन दोनों कहानियो को जोडती थी वो थी प्यास, एक प्यास घर की और एक बाहर की. और मुझे अब इन दोनों प्यास को बुझाना था . एक बार फिर मैं लाल मंदिर की सीढियों से होते हुए तालाब के पास जा रहा था , ये पानी इतना शांत था की मैं सोचता था इसके निचे कितनी हलचल होगी.

टखनो तक पैर डुबोये मैं रुपाली के बारे में ही सोच रहा की तभी पानी में हलचल होने लगी, जल में लहरे बढ़ने लगी जबकि हवा में कोई तेजी नहीं थी इस से पहले की मैं कुछ और सोच पाता पानी में से पद्मिनी के बेजान शरीर बाहर आकर सीढियों पर गिरा जो बुरी तरह से लहू लुहान था .

“पद्मिनी , पद्मिनी ” ठीक हो क्या तुम

मैंने उसके गाल थपथापते हुए कहा . उसने हलकी सी आँखे खोली और मेरी बाँहों में झूल गयी .मैंने उसके बदन पर मिटटी रगड़ी और उसे होश में लाने का प्रयत्न करने लगा. पर उसे होश नहीं आया. जब कुछ नहीं सूझा तो मैं अपने गाँव के दवाखाने ले आया . वहां जाकर उसकी मरहम पट्टी करवाई पर उसे होश नहीं आ रहा था . डॉक्टर भी हैरान था की चोट इतनी गहरी भी नहीं थी की होश ही न आये . खैर , इसी बीच शायद थकान की वजह से मेरी आँख लग गयी.

नींद टूटी तो रात हुई पड़ी थी. मैं उठ कर पद्मिनी के पास गया पर बिस्तर पर वो नहीं थी . मैंने तुरंत बाहर उंह रहे कम्पाउण्डर को जगाया और पद्मिनी के बारे में पुछा पर वो कुछ नहीं बता पाया. मुझे बड़ी चिंता होने लगी थी . मैंने इधर उधर तलाश की पर पद्मिनी नहीं मिली . पानी में मोजूद वो चीज साधारण तो बिलकुल नहीं थी और मैं जान गया था की पद्मिनी ने उसी को पाने की कोशिश की होगी .

एक बात और मंगल सिंह का सम्बन्ध डेरे से था और ठाकुर ने लाल मंदिर में उसके कुल को मार डाला था इस से मेरा अनुमान और गहरा हो रहा था की हो न हो ठाकुर और मंगल सिंह में इसी चीज के लिए दुश्मनी हुई हो. पर ये चमकती आभा क्या थी ये समझना जरुरी था . थकी हुई आँखे लिए मैं घर आया , पूरा घर अंधेरे में डूबा हुआ था मैंने बत्ती जलाई तो पाया की घर पर मेरे सिवा और कोई नहीं था .

एक बार फिर मैं ठाकुर इन्दर सिंह के कमरे में खड़ा ख्यालो गुम था , मेरे हाथ में वो कागज था जिस पर तस्वीर चिपकी थी . और तभी मुझे अपनी मुर्खता पर हंसी आ गयी, ये कागज का टुकड़ा ये ऐसे ही थोड़ी न तस्वीर पर चिपकाया गया था ये तो बड़ा दिलचस्प मामला था , ये खबर महज एक खबर नहीं थी बल्कि शायद वो घटना रही हो जिसकी वजह से ये कहानी बनी. चोरी की खबर , ये कोई मामूली चोरी नहीं थी . लाल मंदिर में हुई चोरी की खबर में बापू की भला क्या दिलचस्पी रही होगी. जबकि चोरी कोई करता तो डाकू मंगल सिंह करता. इन्दर सिंह और पुरुषोतम साथ रहते थे, मंगल और पुरुषोत्तम की बिलकुल नहीं बनती थी , चंदा का पति जिस से पुरुषोत्तम नफरत करता था उसे फांसी पर लटका दिया पुरुषोत्तम ने . ये सारे लोग एक दुसरे से जुड़े हुए थे चाहे लालच चूत का हो या फिर माया का .

अगर किसी तरह से ये मालूम हो जाता की कैसेट में कौन किसको चोद रहा था तो बाते आसान हो जाती, पर अगर तेज को ये सब मालूम था तो हो सकता था की चंदा के पति को भी मालूम हो . जिस तरह से रुपाली अपने पति से असंतुष्ट थी कही नौकर और तेज ने तो नहीं पेल दिया था उसे. या फिर छोटे देवर कुलदीप का बिस्तर गर्म करने लगी थी वो क्योंकि उसके कमरे से मुझे ब्रा मिली थी . कहीं ऐसा तो नहीं था की तीनो भाई ही रुपाली को रगड़ रहे हो और उसके चक्कर में ही निपट गए हो .होने को तो कुछ भी हो सकता था पर पुष्टि कैसे हो.

रात को ही मैं चंदा से मिलने के लिए चल दिया और जब मैं वहां पर पहुंचा तो अलग ही नजारा देखने को मिला चंदा की झोपडी से कोई निकल रहा था उसने अपने मुह को तौलिये से ढक रखा था मैं उसके सामने आ गया

“तौलिया हटा और अपनी पहचान बता ” मैंने उसे कहा

वो चुप खड़ा रहा .

मैं- सुना नहीं तूने क्या

आगे बढ़ कर मैंने उसके तौलिये को छुआ ही था की बला की फुर्ती दिखाते हुए उसने मुझे धक्का दिया और जब तक मैं संभला अँधेरे में वो गायब हो चूका था . कपडे झाड़ते हुए मैं झोपडी के अन्दर गया तो बिस्तर पर चंदा पूरी नंगी पड़ी थी . कोई और समय होता तो ऐसी मादकता देख कर मैं बहक जाता पर मैंने उसकी बाह पकड़ कर उसे जगाया .

“तुम यहाँ इस समय ” उसने पुछा

मैं- लाल मंदिर में किस चीज की चोरी हुई थी

चंदा- इतनी रात को ये पूछने आये हो तुम

मैं- तुम समझ नहीं रही हो चंदा

चंदा- मंदिर में बहुत से गहने और सोना था

मैं- कितना सोना होगा

चंदा- इतना की कोई सोच भी नहीं सकता

मैं- तेरे आदमी का क्या लेना देना था उस चोरी से

चंदा- कुछ भी नहीं उसको तो पता भी नहीं था वो तो बस चूत के चक्कर में ही गया

मैं- किसकी चूत

चंदा- कामिनी की चूत

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