You dont have javascript enabled! Please enable it! हवेली – Update 30 | Adultery Story - KamKatha
दिलजले - Adultery Story by FrankanstienTheKount

हवेली – Update 30 | Adultery Story

#30

“अर्जुन भैया , आपके खेतो में बाजरे पर ट्रेक्टर चला दिया अजित सिंह ने मैंने कलेश को टालने की बहुत कोशिश की पर अजित के सर पर खून सवार है उसने मुझे भी बहुत मारा, मैं कुछ नहीं कर पाया भैया कुछ नहीं कर पाया ” लखन ने सुबकते हुए कहा

मैंने उसे अन्दर लिटाया और पानी पिला कर उसकी सांसो को संयत किया

“तू फ़िक्र मत कर लखन भाई, अर्जुन अभी जिन्दा है खेतो को मैने अपने पसीने से सींचा है आज अजित के खून से सींच दूंगा. फसल पर ट्रेक्टर चला कर उसने अपनी मौत को पुकारा है उसकी यही इच्छा है तो ये ही सही ” मैं दौड़ पड़ा खेतो की तरफ

जब मैं वहां पहुंचा तो देखा की कुछ फसल पर ट्रेक्टर चलाया हुआ था और कुछ धू धू कर जल रही थी .

“कहाँ छिपा है मादरचोद , तूने ये फसल बर्बाद नहीं की तूने अपनी मौत को आह्वान दिया है सामने आ मेरे अजित सिंह ” मैंने आवेश में पुकारा उसे .

“तेरा ही इंतज़ार कर रहा था मैं सरपंच के पिल्लै जो जख्म तूने मुझे दिए है सूद समेत चुकाने का समय आ गया है ” अजित ने कहा

मैं- हाँ तो साले आज तेरा पूरा हिसाब चुकता कर दूंगा

अजित – यही तो तेरी भूल है अर्जुन ,तू भावनाओ में बह जाता है देख फसल का तो बहाना था मेरा मकसद तो तुझे यहाँ बुलाना था तू जाल में फंस गया मैंने पूरी तयारी कर रखी है,

मैं- तयारी तो मेरी भी थी उस दिन चांदनी तुझे न बचाती तो उसी दिन तेरी लाश लाल मंदिर में चढ़ा देता मैं

अजित- चांदनी तो बस मेरी है अर्जुन , तू चिंता मतकर उसके साथ जब सुहागरात मनाऊंगा तो तेरे सर का तोहफा दूंगा उसे मुह दिखाई में

मैं- जुबान को लगाम दे बहन के लोडे . कहीं ऐसा न हो की जब मैं चांदनी संग फेरे लू तो उसकी मांग में तेरा लहू भर दू .

अजित मेरी तरफ लपका सीढ़ी लात मेरी छाती पर मारी. दो कदम मैं पीछे हुआ तुरंत ही उसके वार का पर्तिकार किया. मैंने अजित के हाथो को पकड़ लिया वो छुड़ाने को जोर लगाने लगा पर मेरी पकड़ मजबूत थी .

मैं- सलीके से रहता तो सब कुछ छोड़ दिया था न तेरे लिए, ये गाँव, गाँव की चोधर अपनी जमीन छोटा भाई समझ कर तेरी गुस्ताखियों पर पर्दा डाल दिया था न , दुश्मनी की आग को बुझाने के लिए मैंने हर संभव कोशिश की पर तेरी गांड में न जाने कौन से कीड़े बुलबुला रहे थे जो तेरा गुरुर टूटता ही नहीं .

“गुरुर टूटने के लिए नहीं होता अर्जुन, बरसो से ठाकुर इन्दर सिंह ने हमें दबाया जो भी हमारा था सब छीन लिया उसने ,और आज देख तुझे मार कर मैं सब कुछ वापिस ले लूँगा ” अजित ने मेरे घुटने पर अपना पैर मारा

मैं- काश तेरी ये इच्छा पूरी हो पाती

मैंने जोर का मुक्का अजित के सर पर मारा और मुझे पूरा विश्वास था की मेरे अगले मुक्के ने उसके दांतों को हिला दिया था.

“इसी जलते बाजरे में तू भी जलेगा आज. ” मैंने उसका गिरेबान पकड़ा उअर उसे जलती फसल की तरफ लेकर चल दिया, जैसे ही ट्रेक्टर के पास पहुंचे उसने मुझे धक्का दिया और लोहे की राड उठा कर मेरी पीठ पर दे मारी. मैं जमीन पर गिरा और अगले वार से पहले ही मैंने उसके वार को पकड़ लिया और उसे ट्रेक्टर के अगले हिस्से पर दे मारा. मैंने लोहे की राड उठाई और कुछ दिन पहले घायल किये उसके घुटने पर दे मारी.

मैं- उस दिन तेरा इलाज ठीक नहीं हुआ पर आज की ये रात तू कभी नहीं भूलेगा.

“अर्जुन, मत कर ऐसा अर्जुन छोड़ दे मेरे बेटे को ” मैंने देखा सरपंच और उसके घर वाले दौड़ते हुए खेत में ही आ रहे थे .

मैं- समझाया था न तुझे काका की लगाम कस कर रख अपनी औलाद की तेरे घर आया था न समझाने पर तुमने भी सोच लिया की इन्दर सिंह मर गया तो सब खत्म हो गया पर कैसे भूल गए तुम की अर्जुन आज भी है. पर जो काम बापू नहीं कर पाया वो मैं करूँगा , उस दिन मैं रोया था तुम हँसे थे आज रोने की बारी तुम्हारी है .

“मेरे बेटे को छोड़ दे अर्जुन, वो जैसा भी है जो भी है मेरा बेटा है मेरे खानदान का वारिस है वो ” सरपंच ने गुहार की

मैं- तो समझ ले की आज तेरे खानदान का चिराग बुझ गया

सरपंच- देख क्या रहे हो कुत्तो, ये मेरे बेटे को मार रहा है और तुम तमाशा देख रहे हो मारो इसको और अजित को बचाओ

सरपंच के साथी मेरी तरफ लपके और एक बार फिर से मारपीट शुरू हो गयी इन धूर्तो की फितरत जानता था मैं की ये धोखा करेंगे पर मैं आज कोई मौका नहीं देना चाहता था . जो जहाँ जैसे मिला पेलना शुरू किया रक्त की प्यासी ये रात आज रक्त से जवान हो रही थी . की तभी “धान्य ” एक आवाज गूंजी और मेरे बदन में आग सी लग गयी . इतना जोर का झटका लगा मुझे की मैं कुछ फीट पीछे जाकर गिरा . सरपंच ने गोली चलाई थी मुझ पर .

“हरामजादे , देख तू आज क्या अंजाम होगा तेरा ” सरपंच मेरे पास आया और मुझे एक लात मारी.

“अजित मेरे बेटे उठ, देख तेरा दुश्मन कदमो में पड़ा है ले ये पिस्तौल और बुझा ले अपने सीने में धडकती हुई आग को . ”

कांपते हुए हाथो से अजित ने पिस्तौल मेरी तरफ तान दी वो गोली चलाने ही वाला था की तभी एक पत्थर उड़ता हुआ आया और अजित के हाथ से पिस्तौल निचे गिर गई.

“इन हाथो को यही रोक ले सरपंच कहीं ऐसा न हो की ये हाथ तो रहे पर धड कर सर न रहे. ” निर्मला ने चीखते हुए कहा

“ओह तो तू भी आ गयी साली ,इन्दर सिंह के संरक्षण में तेरे भी बहुत पर निकल आये है एक बार इस अर्जुन का काम तमाम कर दू फिर तेरे पर काटूँगा ” सरपंच ने निर्मला से कहा

निर्मला- तो फिर देर किस बात की तू भी यही है और मैं भी तेरे लैंड में जोर है तो खोल के दिखा न मेरे घाघरे का नाडा

“”

“हरामजादी , अर्जुन की लाश पर ही पटक कर चोदुंगा तुझे “ सरपंच ने कहा और निर्मला की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगा पर मैंने उसका पैर पकड़ लिया

“नहीं सरपंच नहीं ” अपने आप को सँभालते हुए मैंने उठने की कोशिश की

“अर्जुन की अंतिम साँस तक वो अन्याय नहीं होने देगा. ” मैंने सरपंच के अंडकोष पकड़ लिया वो जोर से चीखा अजित ने मेरी तरफ लपका वार करने को पर मैंने एक थप्पड़ मारा वो गिरा और गिरते ही उसने पिस्तौल उठा ली

“अब कहाँ जायेगा साले ” अजित ने कहा

मैं- इन गोलियों में इतना दम नहीं की अर्जुन की छाती को पार कर सके.

निर्मला अब तक हमारे नजदीक आ चुकी थी .

“पिस्तौल गिरा दे अजित ” निर्मला ने कहा

अजित- तू तो बोल ही मत साली तेरा हिसाब बाद में होगा.

अजित ने ट्रिगर दबा दिया और मैंने सरपंच के बदन को आगे करते हुए आड़ ले ली, गोलिया सरपंच के बदन में घुसती चली गयी .

“नहीं ”अजित और सरपंच दोनों की चीख एक साथ निकली .

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