You dont have javascript enabled! Please enable it! हवेली – Update 19 | Adultery Story - KamKatha
दिलजले - Adultery Story by FrankanstienTheKount

हवेली – Update 19 | Adultery Story

#१९

निर्मला की बात में दम था पर एक खामोश ईमारत जो वक्त की मार से जूझ रही थी अपनी चारदीवारी में भला ऐसा क्या छिपाए हुए थी जिसने मेरे वर्तमान को ठोकर मार दी थी , जब से मुझे अपने वजूद की तलाश के बारे में मालूम हुआ था मैं बेहद परेशान था एक ऐसी तलाश जिसका न कोई ओर था ना कोई छोर , उन किरदारों की तलाश जिन्हें मरे हुए मुद्दत हो चुकी थी.

पर मैंने भी ठानी थी की इस राज की बात चाहे कितनी भी गहराई में दबी हो उस को खोद निकालूँगा. मैंने एक सूची बनाई तमाम लोगो की जिसमे सबसे पहला नाम सोलह साल से कोमा में पड़े सक्श ठाकुर शौर्य सिंह का था . उसके तीन मर चुके बेटे, गायब बहु और बेटी. और दो नौकर जिसमे से एक अभी हाल ही में मरा और एक गाँव के बाहर तंगहाली में जी रही थी . और सबसे बड़ा सवाल की सरपंच जी का हवेली से क्या रिश्ता था , क्यों पाला उन्होंने मुझे . मैंने अपने प्राथमिक सवाल बना लिए थे बस अब इनके जवाब चाहिए थे मुझे और मैं जानता था की जवाब अगर कहीं है तो बस उसी हवेली में ही है .

एक बार फिर मैं कुवे पर बने उसी कमरे में मोजूद था ,इतना तो मैं जान गया था की यही पर ठाकुर लोग चुदाई करते थे पर किसकी हो सकता था गाँव की बहन-बेटियों की पर यहाँ बिखरे खून के सूख चुके कतरे मुझसे जैसे कह रहे थे की हमारी तरफ भी देख ले जरा. अगर किसी को यहाँ पर मारा गया था तो फिर उसके लिए ये जगह मुरीद नहीं थी , शौर्य सिंह चाहते तो किसी को दिन दिहाड़े मार सकते थे तो फिर ऐसे छुपा कर ये काम क्यों किया गया . टांड पर पड़ी ब्रांडेड ब्रा मेरी गाँव की किसी औरत की चुदाई की थ्योरी को मुह चिढ़ा रही थी , वो सच जिसे मैं मानना नहीं चाहता था वो सच ये था की यहाँ हवेली की ही कोई औरत चुदती थी .

मैं हवेली में घुसने के लिए भूषण की झोपडी के पास पहुंचा ही था की मुझे लगा अन्दर कोई है मैं दबे पाँव उस तरफ पहुंचा तो देखा की चंदा पूरी नंगी अलसाई सी पड़ी है , उसकी आँखे बंद थी, विशाल छतिया साँस लेने की वजह से ऊपर निचे हो रही थी .उसके पैर हलके से खुले और मेरी नजर उसकी गहरे झांटो से भरी चूत पर पड़ी जिस से रिस कर पानी जैसी बूंदे जांघो पर जम गयी थी . मामला साफ़ था थोड़ी देर पहले ही इसने चुदाई करवाई थी . और मैं बड़ी शिद्दत से ये जानना चाहता था की वो कौन था .

“खुले में ऐसे भोसड़ा खोल कर पड़ी रहोगी तो किसी का भी दिल करेगा न तुम्हारे ऊपर चढ़ने का ” मैंने उसकी तरफ निहारते हुए कहा .

चंदा ने झट से अपनी आँखे खोली पर वो मुझे देख कर चौंकी नहीं , उसने आराम से अपनी साडी उठाई , पहनी नहीं बस उस से बदन को ढक लिया और बोली- तुम यहाँ कैसे

मैं- यही बात मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ .

चंदा- तुम क्या मेरे लोग हो जो तुमको बताऊ , अकेली औरत को जीने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है ये सब भी उनमे से एक ही है .

मैं- मानता हूँ बस उत्सुकता है

चंदा- उत्सुकता की बत्ती बनाओ और अपने पिछवाड़े में डाल लो, मेरे घर में मेरे सामान की तलाशी लेकर तुमने अपनी औकात दिखाई है . मुझसे ही पूछ लेते क्या चाह थी तुमको

मैं- गलती थी मेरी , मैं बस जानना चाहता था की कहीं तुम ही तो वो औरत नहीं थी जो खेत वाले कमरे में ठाकुरों संग चुदती थी . तुम्हारे बक्से में रखे सामान ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया .

चंदा- हवेली बर्बाद हुई तो बहुत से लोगो के हिस्से में काफी कुछ आया , किसी के हिस्से में धन आया किसी के जमीन मेरे हिस्से में वो सब सामान आया .

मैं- हवेली में उस रात हुआ क्या था ये बताती क्यों नहीं तुम और तुम किस संग सो रही हो

चंदा- उस रात मौत आई थी हवेली में और मैं जिसके साथ भी सो रही हूँ ये मेरा निजी मामला है , मैं तुमको एक सलाह देती हूँ अपनी जिन्दगी जियो हवेली की दीवारों पर सर पटकने का कोई फायदा नहीं है .

मैं- मेरी जिन्दगी हवेली से ही जुडी है अब , मैं अपने वजूद की तलाश कर रहा हूँ

मेरी बात चुन कर चंदा उठी और थोडा झुक कर उसने मिटटी उठाई अपने हथेली में , जब वो ऐसा कर रही थी तो झुकने की वजह से उसकी गांड का घेराव मेरी आँखों से होते हुए सीने में आग को सुलगा गया . मैंने अपनी पेंट में हलचल मचते हुए महसूस की , पर अगले ही पल उसने अपनी हथेली में उठाई मिटटी को फूंक मार कर उड़ा दिया और बोली- ये है तुम्हारा वजूद . तुमको क्या लगता है की तुम हवेली के वारिस हो सकते हो रुपाली या कामिनी के बेटे . पर तुम ज्यादा से ज्यादा ठाकुरों का पाप हो सकते हो जिसे न जाने किसकी चूत में छोड़ दिया गया था . तुम्हे पालने की वजह तो मैं नहीं जानती पर दुआ करुँगी की ये खुमारी जल्दी ही उतर जाए .

मैं- जिस आदमी से तुम चुदती हो वो हवेली से ही जुड़ा है न , कहीं वो चांदनी के पिता तो नहीं

चंदा- अगली बार जब मुझे उसके साथ देखे तो उसी से पूछ लेना पर तेरी बात में मुझे दम लगता है क्योंकि मैं भी इस बारे में सोचती हूँ क्योंकि अगर सरपंच जी ने तुझे पाला तो बात गहरी रही होगी पर तू समझ नहीं पाया क्योंकि तुझमे वो काबिलियत नहीं है सरपंच जी ठाकुर इन्दर सिंह भाई थे रुपाली ठकुराइन के ………………………

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