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अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 6

पापा– राज चल बाहर घूमने चलते है कही…

राज–हाँ पापा वैसे भी हमको कहीं भी जाने का टाइम नही मिलता आज टाइम मिला है तो थोड़ी तफ़री मार ही लेते है….

होटेल से बाहर निकलते ही एक कार उनके सामने रुकती है और दो नक़ाबपोश उसमें से गन निकाल कर अँधा धुन्ध फाइरिंग करने लग जाते है…थोड़ी ही देर में वहाँ 8 लाषे पड़ी होती है जिनमें किशोर और राज भी होते है…….

……………………………

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उधर जय और रिया झरने के पास पहुँच जाते है और झरने को देखने लगते है..तभी रिया कहती है..

रिया –जय में चेज कर के आती हूँ तब तक तुम भी चेंज कर लो.

उसके बाद वो वहाँ से अपना बेग लेकर झाड़ियो के पीछे चली जाती है..

उधर रास्ते में..

नेहा–मम्मी अगर आप इजाज़त दो तो में झरने की तरफ़ वापस जाना चाहती हूँ.

मम्मी–क्यो तेरा मन नही भरा क्या झरने में नहाने से…और तुझे तो भूक भी लग रही थी उसका क्या हुआ….

नेहा–वो क्या है ना मुझे भूक तो लग रही थी लेकिन बहता हुआ झरना मेरी आँखो के सामने घूम रहा है…में एक बार फिर से उसमें नहाना चाहती हूँ …पता नही दुबारा कब ये मोका मिलेगा और फिर वहाँ रिया और जय भी है तो मुझे कोई डर भी नही है किसी का.

मम्मी–ठीक है अगर तेरा इतना ही मान कर रहा है तो जा ….लेकिन जल्दी आ जाना.

उधर झरने के पास.

रिया चेंज कर के आ गयी थी ….जब मैने उसे देखा तो मेरी सारी बत्तिया गुल हो गयी.

उसने एक रेड कलर की लेस वाली ब्रा और एक पैंटी पहन रखी थी ….उसकी ब्रा उसके बूब्स का बोझ नही संभाल पा रही थी और जब वो चलते हुए मेरे करीब आ रही थी तब उसके बूब्स की थिरकन मेरे होश उड़ा रही थी इतनी सुंदर इतनी सेक्सी लग ही नही रहा था कि ये दो बच्चो की माँ है.

वो मेरे पास आकर बोलती है…

रिया–क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो कभी बिकिनी में किसी को देखा नही है क्या…चलो अब जल्दी तुम भी चेंज कर के आ जाओ.

मुझे चेज क्या करना था मैने फट से अपनी जीन्स और टी शर्ट खोल दी और उसके सामने अपनी वी शैयप अंडरवेर में आ गया..ये देख कर वो हँसने लगी..

में–क्या हुआ हंस क्यो रही हो क्या कभी अंडरवेर में किसी को देखा नही …झरने में क्या में जीन्स पहन कर नहाऊ…

रिया–नही जय वो बात नही है दरअसल शायद मुझे देख कर तुम्हारी हालत खराब हो गयी है…जो कि तुम्हारी अंडरवेर तुम्हारी हालत को बयान कर रही है…

में तुरंत अपने लिंग की तरफ़ देखता हूँ वहाँ पूर टॅंट बना हुआ था..

में–झेप्ते हुए….दरअसल यहाँ का मोसम ही ऐसा है चलो अब नहाते है…

उसके बाद हम झरने के नीचे जाने लगे सब से पहले झरने के नीचे जा कर में खड़ा हो गया और पानी की ताक़त को महसूस करने लग गया…उसके बाद रिया भी झरने के नीचे आ गयी रिया बार बार नहाते हुए अपनी ब्रा संभाल रही थी उसके निप्पल एक दम कड़क होकर ब्रा में से दिखाई दे रहे थे फिर वो दूसरी तरफ घूम के अपनी ब्रा सही करने लगी…उसकी पैंटी भी पानी के प्रेशर से नीचे हो गयी थी उसकी गान्ड की लकीर मुझे दिखाई देने लगी

उधर हम लोगो को इस तरह नहाता देख नेहा झाड़ियो के पिछे छुप गयी और हम दोनो को देखने लगी

रिया अपनी ब्रा को ठीक कर के अपनी गर्दन पीछे घुमाती है और मुझे इस तरह उसकी गान्ड को घूरते हुए देख कर वो अपनी गान्ड की तरफ़ देखती है और अपने एक हाथ से फट से अपनी पैंटी उपर कर लेती है…

रिया–क्या देख रहे थे अभी…

में–घबराते हुए….कुछ नही में क्या देखा रहा था ….मैने कुछ नही देखा…

रिया–हँसते हुए चलो अब नहाने पर ध्यान दो इधर उधर द्देखना बंद करो..

तभी अचानक वो हो जाता है जो ना रिया ने सोचा था और ना जय ने और ना ही शायद झाड़ियो के पिछे छुपि नेहा ने….

मेरी आँखे वो मंज़र देख कर फट सी गयी थी…रिया की ब्रा की लेस तेज पानी की वजह से टूट गयी थी और उसके मांसल बूब्स मेरी आँखों के सामने उछल कर आगये ….

रिया को पता ही नही चला कि वो उपर से पूरी नंगी है जब उसने मेरी तरफ़ देखा तो में बस उसकी चुचियों को ही देखे जा रहा था.

रिया–क्या हुआ तुम बार बार ऐसे क्यो देख रहे हो जो चाहते हो खुल कर बोलो…

में–अपनी उंगली का इशारा उसकी चुचियों की तरफ़ करता हूँ तो वो एक दम से नीचे देखती है…और घबराकर अपने दोनो हाथ अपनी चुचियों के सामने ले आती है.. और मेरी तरफ़ देखने लगती है

में–अब मुझे तुम ऐसे क्यों देख रही हो.,,,

रिया–आप मेरे बूब्स को कब से देख रहे थे.

में –जब आपकी ब्रा की डोरी टूटी थी तब से.

रिया–आपको पसंद आए?

में–बेहद…

अब रिया मेरे टेंट को देखने लग गयी थी.

रिया–आपका ये शैतान फिर से मुझे देख कर बेचैन हो गया है.

में–जब सामने इतनी खूबसूरत लड़की नज़ाकत के साथ खड़ी होगी तब तो ये शैतानी करेगा ही.

रिया–क्या में इतनी खूबसूरत हूँ…जो ये शैतान आपके काबू में नही रह पाता.

में–ये बात तो आप इस से खुद ही पूछ लो…

रिया–क्या ये मुझे जवाब देगा.

में–ये सिर्फ़ खूबसूरती को ही जवाब देता है.

रिया–कहीं ये मुझे रुसवा तो नही कर देगा अपना जवाब ना देकर.

में–इसको रुसवा करना नही आता….

रिया–तो फिर क्या आता है इस शैतान को….

में–ये जवाब तो आप इसी से पूछ लो कि क्या करना आता है….

रिया अपने घुटनो के बल वहाँ बैठ जाती है और मेरे लिंग के पास अपना मुँह लेकर जाती है वो मेरे लिंग को अंडर वेर के उपर से सूंघने लग जाती है लेकिन लिंग पर अपना चेहरा टच नही होने देती…

रिया ने अपने दोनो हाथ अभी भी अपने बूब्स पर रख रखे थे…

फिर वो अपना सिर उठती है और मुझ से कहती है,,,

रिया–ये शैतान नाराज़ हो रखा है…

में–तो इसे मनाओ.

रिया–लेकिन ये बोल रहा है तुम्हारी गंदी अंडरवेर में इसका दम घुट रहा है.,

में–तो फिर आज़ाद कर दो ना इसे….

फिर रिया मेरे अंडरवेर. की इलास्टिक्क मेरी कमर के यहाँ से पकड़ती है और एक झटके से उसे खेच के मेरे पैरों में पटक देती है..

मेरा साढ़े सात इंच लंबा लिंग उसकी आँखो के सामने लहराने लगता है…रिया ने अपने हाथ अपने बूब्स पर से हटा लिए थे…और वो बस मेरे झटके मारते लिंग को देखती ही जा रही थी…

में–क्या हुआ रिया इसने कुछ बोला नही क्या अभी तक…

रिया–मेरे लिंग को देख कर कहती है…ये अभी भी बहुत ज़्यादा गुस्सा है…ये कह रहा है तू मुझे हाथ तो लगा कर दिखा में तेरी जान निकाल दूँगा.

में–तो फिर हाथ मत लगाओ अपने होंठो से मनाओ.,

उसके बाद रिया थोड़ा सा और जय की टाँगो के पास चली जाती है और नीचे लटक रही गोलियो पर से अपना नाक रगड़ते हुए लिंग को अपने चेहरे पर रगड़ने लगती है.

रिया के ऐसा करते ही मेरे मूँह से सिसकारी निकल जाती है.. रिया ने मेरी गोलियों को अपने मुँह में भर लिया और उसको बड़े प्यार से चूसने लगती है …उसके दोनो हाथ मेरी कमर पर थे और उसकी सांसो की गर्मी मेरे लिंग को और भड़काए जा रही थी……

उधर नेहा भाभी जय और रिया का खेल देखते देखते काफ़ी गरम हो गयी थी…

उसके हाथ अपने आप खुद के बूब्स पर पहुँच गये, वो एक हाथ से अपने बूब्स दबा रही थी और एक हाथ से खुद के पेट पर हाथ फेर रही थी..

नेहा ने एक एक करके सारे कपड़े खोल दिए और पूरी नंगी होकर उन दोनो का खेल देखते देखते अपनी एक निप्पल पर ज़ोर लगा दिया और एक सिसकी उसके मुँह से निकलते निकलते बची.

रिया ने अब जय का लिंग मुँह में ले लिया था और पर्फेक्षन के साथ वो उसको अंदर बाहर कर रही थी …

जय को इतना मज़ा आरहा था क़ी वो रिया के मुँह में झड गया और ज़ोर ज़ोर से साँसे लेने लगा…रिया ने उठ कर झरने के पानी से खुद का मुँह सॉफ किया और जय से कहती है…

रिया–जय मैने तुम्हारे शैतान को मना लिया है अब मुझ से रहा नही जा रहा प्ल्ज़ मुझे ठंडा कर दो….

जय रिया को अपनी बाहो में भर कर वहाँ चट्टान पर बैठा देता है और सख्ती के साथ रिया के बूब्स मसल्ने लगता है..रिया दर्द और मज़े के बीच झूला झूल रही थी…उसकी सिसकियाँ झरने के शोर को भी दबा रही थी…रिया के बदन की गर्मी ने मेरे लिंग में फिर से तनाव ला दिया…

रिया–जय प्ल्ज़ फक मी …..फक मी हार्ड जय ….प्ल्ज़ फक मी….

तुम इतना तरसाओगे तो में मर ही जाउन्गि प्ल्ज़ अब समा जाओ मुझ में तुनहरा ये मोटा शैतान डाल दो मुझ में….

में चट्टान पर बैठ जाता हूँ और रिया को अपनी गोद में बैठने के लिए कहता हूँ..

रिया मेरे लिंग को पकड़ कर उसे उसकी चूत का रास्ता दिखाते हुए लिंग पर बैठने लगती है …साढ़े साथ इंच लंबा लिंग उसकी चूत में बिल्कुल गायब हो जाता है…और फिर वो अपनी चूत लिंग पर रगड़ने लगती है …ऐसा लग रहा था हम दोनो के बीच में कोई जंग छिड़ गयी है और किसी भी तरह से कोई हारना नही चाहता था…

लेकिन ये खेल ऐसा है यहाँ जीतने वाले को भी सुकून मिलता है और हारने वाले को भी दोनो अपने चरम पर आगये थे और एक साथ झड़ने लगे कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहो में पड़े रहे फिर उसके बाद एक दूसरे को किस करने लग गये तभी एक हाथ मेरे कंधे पर थाप करता है…

में जैसे ही पलट कर देखता हूँ वहाँ भाभी खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी….भाभी को देखते ही हम दोनो हड़बड़ा जाते है….रिया तो जैसे शर्म से गड़ ही गयी थी ज़मीन के अंदर…

में जैसे ही खड़ा होता हूँ..भाभी मुझे धक्का दे कर नीचे पानी के कुंड में गिरा देती है ….और ज़ोर ज़ोर से हँसने लगती है….

भाभी—ये उस दिन का बदला है जब तुमने बॅक व्यू मिर्रर में से मुझे देखा था…

में–भाभी ऐसे कोई करता है क्या…थोड़ी तो शरम करो.

भाभी–तूने शरम की थी जो में करूँ अब पड़ा रह इस पानी में तेरे कपड़े भी में ले जा रही हूँ…..रिया तुझे भी नंगी ही चलना है क्या कॅंप में..

रिया–नही भाभी में चेंज कर के आती हूँ…

और उसके बाद अपने कपड़े लेकर झाड़ियो के पीछे जाकर बदलने लगी..

( भाभी ने जब देखा कि हम लोग झड चुके है तब तक उनका भी पानी निकल चुका था …फिर वो जल्दी से कपड़े पहन कर हम लोगो को चोकाने वहाँ आई थी.)

रिया अब कपड़े पहन कर आचुकी थी….और में पानी के अंदर अभी तक नंगा ही पड़ा था.

फिर भाभी और रिया दोनो जाने लगी…

में–भाभी मेरे कपड़े दे जाओ अब कभी वेसी ग़लती दुबारा नही करूँगा…

भाभी–रिया कपड़े दे दूं इसे ??तू बोलेगी तो ही दूँगी.

रिया–शरमाते हुए भाभी आपकी मर्ज़ी है में कौन होती हूँ आपके बीच में बोलने वाली ये तो बिना कपड़ो के भी अच्छे लग रहे है…

भाभी–बड़ा अच्छा लगने लगा है तुझे ये.

फिर भाभी मेरे कपड़े वहाँ एक चट्टान पर रख देती है और कहती है..

भाभी–अब जल्दी से आजा…हम आगे ही चल रहे है ज़्यादा देर लगाई ना तो देख लेना.

उसके बाद भाभी और रिया वहाँ से आगे निकल जाते है और में उस कुंड में से बाहर निकल कर कपड़े पहन कर उन लोगो के साथ कॅंप की तरफ़ बढ़ जाता हूँ…

कॅंप मे मम्मी हम सभी लोगो का इंतजार कर रही थी…

मम्मी–कितनी देर लगा दी तुम लोगो ने समय की कोई चिंता है या नही…?

में–मम्मी समय का पता ही नही लगा मज़े करते करते…

भाभी–हाँ मम्मी आज इसने कुछ ज़्यादा ही मज़े कर लिए.

ये बात सुन कर रिया शर्म से अपना सिर झुका लेती है…और दोनो बच्चो को लेकर हम सब से फिर मिलने का बोलकर अपने कॅंप में चली जाती है.

मम्मी–तेरे पापा का फोन आया था दुबई से…वो कह रहे थे कि हम लोग यहाँ से जाए नही वो लोग भी यही आरहे है.

में–वाह क्या बात कही है अब तो और मज़ा आएगा…क्यो भाभी मज़ा आएगा ना भैया भी साथ होंगे आपके.

भाभी–तू फिर शुरू हो गया ….मार खानी है क्या.

मम्मी–तुम दोनो एक दूसरे की टाँग खिचना बंद करो और कुछ खा पी लो भूक लग गयी होगी.

तभी वहाँ रिजोर्ट की गाड़ी आजाती है और उसमें से एक आदमी आकर कहता है….

आदमी–माफ़ कीजिएगा सर इस समय आपको डिस्टर्ब किया …आप को कुछ देर के लिए मेरे साथ रिजोर्ट चलना पड़ेगा कुछ ज़रूरी काम आन पड़ा है..

में–मम्मी से…मम्मी में जा कर आता हूँ आप जब तक भाभी को खाना खिला दो वरना ये मुझे खा जाएँगी.

मम्मी–ठीक है तू जाकर जल्दी आजा…पता नही इन होटल वालो को इस समय कौनसा काम आ गया .

में–कोई फ़ौरमलिटी बाकी रह गयी होगी शायद इसी वजह से बुलाया होगा…में अभी जा कर आता हूँ.

फिर में उस आदमी के साथ गाड़ी में बैठकर रिजोर्ट के लिए निकल गया……

रिजोर्ट पर पहुँच कर में सीधा रिसेप्षन पर पहुँच गया वहाँ एक लड़का बैठा हुआ था जिसकी शर्ट पर उसके नेम प्लाट पर उसका नाम अमित लिखा हुआ था… वहाँ पहुँचते ही मैं बोला..

में–कोई फ़ौरमलिटी अगर बाकी रह गयी थी तो कल सुबह भेज दिया होता इनको इस समय मुझे बुलाने का क्या मतलब है….

अमित–सर नाराज़ मत होइए आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी थी इसीलिए आप को बुलाया गया है.

में–किस बारे में बात….कौनसी बात??

तभी वहाँ एक और रिसेप्षनिस्ट आजाती है जिसका नाम सुहानी होता है…

तभी वहाँ एक और रिसेप्षनिस्ट आजाती है जिसका नाम सुहानी होता है…

सुहानी–सर क्या आप मुझे थोड़ा सा वक़्त दे सकते है अपना… मुझे आप से बहुत ज़रूरी बात करनी है…

में–हाँ बोलो क्या बात करनी है.

सुहानी–सर यहाँ नही अंदर रूम में.

बहनचोद मेरा दिमाग़ खराब होगया था इस सस्पेंस से आख़िर बात क्या करनी थी ये कहीं मुझ से चुदना तो नही चाहती….??यही सोचते सोचते में एक रूम में पहुँच जाता हूँ…वो मुझे पीने के लिए एक ग्लास में भरकर पानी देती है…और में सोचता हूँ ….ये क्या ये तो पानी पिला रही है….इसको तो वाइन का पेग बनाना चाहिए था…

में वो पानी बेमन से पी लेता हूँ.

उसके बाद ….

सुहानी–सर मिस्टर किशोर गुप्ता के बारे में आपसे बात करना चाहती हूँ क्या आप उन्हे जानते है…

में–ये कैसा सवाल है….वो मेरे पिता है…आप आख़िर बोलना क्या चाहती हो सॉफ सॉफ बोलो.

सुहानी–सर आज दिन में आपके पापा का फोन आया था उन से उस वक़्त बात करने वाली में ही थी…उनसे क्या बात हुई थी वो मसेज तो मैने आप तक पहुँचा दिया था लेकीन्न्णणन्…..

में–अब लेकिन क्या….

सुहानी–आपके पापा के फोन रखने के बाद उसी नंबर से वापस फोन आया था..और जो उसने कहा मुझे समझ नही आ रहा में कैसे आपसे वो बात कहूँ.

में–वापस फोन किस का आया था उसी नंबर से..

सुहानी–ये बात बोलते हुए वो रुआंसी सी हो गयी थी….उसी होटेल से जहाँ आपके पापा रुके हुए थे…

में–तो क्या कहा उन्होने??

मेरा दिमाग़ फटने लगा था और ये मेडम पहेलियो पर पहेलिया बुझाए जा रही थी…

में–तुम चुप क्यो हो….?? बताओ क्या बोला उस होटेल वालो ने.

सुहानी की आँखो में शायद आँसू भर आए थे ये बात बोलते हुए उसके होंठ काँपने लगे थे और वो लगातार अपने हथेलियो को मसले जा रही थी..

मैने उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी आँखो में देखते हुए बोला….

में–क्या हुआ सुहानी तुम इतनी परेशान क्यो हो रही हो…क्या बोला मुझे बताओ…

सुहानी–जब आपके पापा होटेल से बाहर….बाहरर..निक्कले तो….एक गाड़ी में से कुछ आदमियो ने गोलियाँ चला दी….ये कहते कहते वो फफक फफक के रोने लगी….

और में बिल्कुल शांत होगया मुझे मेरी आँखो के आगे अंधेरा सा महसूस हो रहा था…मेरे दिल की धड़कन की आवाज़ मेरे कानों पर चोट पहुचाती हुई सी महसूस हो रही थी…सुहानी रोते रोते लगातार मुझे हिलाए जा रही थी लेकिन में अपनी सुध बुध खो चुका था मुझे कोई आवाज़ अब सुनाई नही दे रही थी बस पापा का चेहरा ही मेरी आँखो के सामने बार बार आरहा था…पता नही कब मेरी आँखो में से आँसुओ की धारा बहने लगी ….एक हाथ मेरे आँसू पोछ रहा था लेकिन मेरी आँखो में इतनी ताकत नही बची थी कि में नज़र उठा के उस शॅक्स को देख लूँ….सर ….सर….सर….हिम्मत….रखिए. आप ऐसे अपनी हिम्मत तोड़ोगे तो आपकी मम्मी और भाभी को कौन संभालेगा ….

मम्मी और भाभी का नाम सुनते ही मुझे झटका लगा मैने रोते हुए…

में–क्या भैया भी….

सुहानी–राज गुप्ता….भी नही रहे सर …आप खुद को संभालिए क्योकि अब आपको ही आपके परिवार को संभालना होगा…जैसे एक माँ अपने रोते हुए बच्चे को बहला कर चुप करती है वैसे ही आपको भी एक माँ की तरह उन सभी को शांत करना होगा…,,संभालिए सर खुद को संभालिए.

ये लीजिए थोड़ा पानी और पी लीजिए थोड़ी ठंडक मिलेगी आपके दिल को.

में–सब कुछ लूट गया….मेरे पापा…मेरा भाई….सब लूट गया मेरा कैसे मेरे दिल को ठंडक पहुँचेगी…

कैसे ठंडक मिलेगी मेरी माँ के दिल को….कैसे ठंदक दे पाउन्गा में मेरी भाभी को बताओ सुहानी मुझे बताओ….कैसे बता पाउन्गा उनसब को में ये बात…

अब कौन मेरी हर ग़लती को माफ़ करके मुस्कुराएगा अब कौन मेरी हर मुराद पूरी करेगा….काश उन लोगो की जगह में मर जाता कम से कम ये दिन तो नही देखना पड़ता…. कैसे सामना करूँ में मेरे परिवार का. बताओ सुहानी बताओ मुझे….

सुहानी–सर आपको संभालना होगा…क्योकि में भी ये दिन देख चुकी हूँ मैने भी खुद को सभाला है तभी मेरा परिवार सम्भल पाया है…आप तो फिर भी एक मर्द हो.

लेकिन में तो तब एक छोटी बच्ची हे थी जब मेरे पिता मेरी आँखो के सामने आक्सिडेंट में चल बसे…सोचो कैसे उस बच्ची ने अपनी माँ को संभाला होगा…कैसे उसने अपने छोटे भाई को संभाला होगा….

आपको संभालना होगा सर…. यहाँ कोई भी आपका सामना करने को तैयार नही था सब ने मुझे ही आपको संभालने को कहा, क्योकि में पहले भी ऐसा कर चुकी हूँ…सर खुद को इस दुविधा से बाहर निकालिए और उस रास्ते पर चलना शुरू कीजिए जिस पर आपके पापा और आपके भाई चलते थे..

फिर सुहानी वहाँ के लॅंडलाइन से रिसेप्षन पर फोन करती है और एक ब्लॅक डॉग की बोतटेल और दो ग्लास मँगवाती है…

जब वेटर ड्रिंक दे जाता है तो सुहानी दो पेग उसमें से बनाती है और मुझे उसमें सिर्फ़ आइस डालकर पीने के लिए देती है …..में एक ही साँस में वो पूरा पेग पी जाता हूँ और बोतल हाथ में उठा लेता हूँ…सुहानी मेरे हाथ से वो बोतल छीन लेती है और कहती है .

सुहानी–सर ये शराब मैने आपको सोचने समझने की ताक़त देने के लिए मँगवाई है ताकि आप इस दर्द से लड़ सके….नाकी इस वजह से ताकि आप इसे पी कर सब भूल कर बेहोश हो जाओ…ये एक ज़हर है…लेकिन कभी कभी दर्द के ज़हर को मारने के लिए इस ज़हर को पी लेना चाहिए …

उसके बाद सुहानी ने मेरे लिए एक ग्लास में और शराब भरी और मेरे हाथो में पकड़ा दी.

मेरा रोना बंद होगया था लेकिन आँसू अभी भी बहे जा रहे थे. मेरा दिमाग़ काम करने लग गया था लेकिन दिल अभी भी साथ नही दे रहा था…

में–मुझे एक काग़ज़ और कलम चाहिए…..

सुहानी ने लॅंडलाइन से फोन कर के एक पेन और नोटपेड लाने की कहा..और थोड़ी ही देर बाद नोटपेड और पेन रूम में आ गया था…

सुहानी ने वो दोनो चीज़े मेरे सामने रख दी और मेरे ग्लास में शराब और भरकर बोतल को अपने साथ ले जाते हुए कहने लगी…

इस ग्लास को धीरे धीरे पीना क्योकि इसके बाद आपको शराब नही मिलेगी…अब में बाहर जा रही हूँ थोड़ी देर में तुम्हे अकेला छोड़ना चाहती हूँ…में एक घंटे बाद वापस आउन्गि…

कैसे बताऊ में मम्मी को ….कैसे बताओ में भाभी को…..कैसे समझाऊ कि उन दोनो की दुनिया उजाड़ गयी है.

में तो अपने दिल पर पत्थर रख भी लूँगा लेकिन नीरा और रूही का तो कलेजा ही बाहर आज़ाएगा उनके सीने से…

ये बाते सोचते सोचते ना जाने मैने कितने ही कागज उस नोट बुक में से फाड़ कर फेक दिए….

मैने अपना शराब का ग्लास उठया और उसके दो घूंठ भरने के बाद वापस रख दिया

मैने रिसेप्षन पर फोन कर के सुहानी को यहाँ भेजने के लिए कहा….उसे गये हुए अभी ज़्यादा वक़्त नही हुआ था लेकिन में कुछ समझ नही पा रहा था कि उन लोगो को कैसे बताऊ.

तभी सुहानी वापस रूम में आ गयी…

सुहानी–सर आपने बुलाया ?

में–हाँ सुहानी…में कुछ लिखना तो चाहता हूँ लेकिन लिख नही पा रहा हू मुझे समझ नही आ रहा इस वक़्त में क्या करूँ.

सुहानी–सब से पहले तो आप अपने परिवार को घर लेजाओ और दूसरा…..

तभी रूम के लॅंड लाइन पर कॉल आने लग जाता है.

जिसे सुहानी उठाती है वो किसी से लाइन कनेक्ट करने को बोलती है, और मुझे रिसीवर पकड़ा कर कहती है दुबई से फोन है पोलीस ऑफीसर अब्दुलह का.

में सुहानी से फोन ले लेता हूँ..

में–हेलो…

उधर से आवाज़ आती है.

अब्दुलह– में दुबई से अब्दुलहा बात कर रहा हूँ , और यहाँ जो हत्याए हुई है उस केस को इन्वेस्टिगेट में ही कर रहा हूँ…

मैने आपको फोन इस लिए किया है ताकि आप अपने रिश्तेदारो की बॉडी यहाँ से ले जाए.

में–में कब आसाकता हूँ बॉडी क्लॅम करने.

अब्दुलह–आप कल सुबह ही यहाँ आजाए .

में–ठीक है अब्दुलहा साहब में कल सुबह पहुँच जाउन्गा.

उसके बाद अब्दुलहा अपना नंबर मुझे देता है में मेरा नंबर उसे. इसके बाद फोन कट जाता है.

में–सुहानी से….बॉडी क्लॅम करने के लिए मुझे दुबई बुलाया है.

सुहानी–आप एक काम करो एक लेटर लिखो जिसमें आपके परिवार को वापस घर जाने की बात बोल दो और उनसे ये कह दो के कोई अमरजेंसी आ गयी है इसलिए आप वहाँ जा रहे हो …वैसे तो में ये बात यहाँ से वाइयर लेस भिजवा कर आपकी बात डाइरेक्ट करवा देती लेकिन आपका अभी उन लोगो से सामना यहाँ इस हाल में करना ठीक नही है..

उसके बाद में वो लेटर लिख देता हूँ…और तभी मुझे सुहानी एक लेटर और लिखने को कहती है जो सारा सच बयान करता हो….जिसमें सच्चाई लिखी होती है वो लेटर सुहानी अपने पास रख लेती है और जो झूठा लेटर था वो सुहानी किसी को बुलवा कर उसे दे देती है मेरे परिवार तक पहुचाने के लिए…

में–तुम इस लेटर का क्या करोगी.

सुहानी–में ये लेटर उस ड्राइवर को दूँगी जो तुम्हारी फॅमिली को घर छोड़ेगा…घर छोड़ने के बाद वो तुम्हारे घर वालो को वो लेटर दे देगा….इस से ये होगा तुम्हे सच बताने के लिए उनका सामना नही करना पड़ेगा.

में–लेकिन जब उन्हे सच पता चलेगा तब वो कितना टूट जाएँगे और उस समय एक में ही उन लोगो को संभाल सकता हूँ.

सुहानी–जब तुम वहाँ से बॉडी क्लॅम कर के घर पहुँचने वाले होगे तभी वो ड्राइवर तुम्हारे घर वालो को ये लेटर देगा. और वैसे भी. उनके घर पहुँचने से पहले तुम वापस आज़ाओगे तब तक ड्राइवर तुम्हारे घर के आस पास ही रहेगा.

में– हाँ ये सही रहेगा इस से में उन लोगो के पास में भी रहूँगा.

सुहानी–अब आप जाओ क्योकि आपको एयिरपोर्ट पहुचने में भी टाइम लगेगा में कल सुबह आपकी फॅमिली को घर के लिए रवाना कर दूँगी और में फोन पर आपके साथ टच में रहूंगी.

में–सुहानी तुम ने मुझे पर बहुत बड़ा उपकार किया है वक़्त आने पर कभी भी मेरी ज़रूरत पड़े बस एक बार याद कर लेना तुम्हे इस बार परेशानी से निकालने की ज़िम्मेदारी मेरी होगी.

फिर में अपना ग्लास खाली करता हूँ और थोड़ी ही देर में वो ड्राइवर भी वापस आ जाता है वो अपने साथ मेरा पासपोर्ट और कुछ ज़रूरी सामान लेकर आ गया था……

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मम्मी और वो सब लोग अपना सामान पॅक कर के रिजोर्ट में ले आए थे …होटेल मॅनेज्मेंट ने उन्हे कुछ भी नही बताया था ..

उनलोगो को जो सूयीट दिया था वो काफ़ी बड़ा था उसमें दो बेडरूम थे और दोनो बेडरूम हॉल में खुलते थे…उन सब ने खाना खा कर थोड़ी देर टीवी देखा और फिर नीरा और नेहा भाभी एक कमरे में और मम्मी और रूही दूसरे कमरे में सोने चले गये .

रात को तकरीबन 1 बजे नीरा की आँख खुल गयी…वो सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन सो नही पा रही थी वो अंदर से बाहर हॉल में आ गई और टीवी ऑन करने ही वाली थी कि उसके कानो में मम्मी की हँसी की आवाज़ सुनाई दे जाती है…

वो रिमोट छोड़कर मम्मी के रूम की तरफ़ बढ़ जाती है…दरवाजा पूरी तरह से बंद नही था..दरवाजे को नीरा खोलने ही वाली थी कि एक बार फिर से उसके कानो में मम्मी की आवाज़ आ जाती है.

मम्मी–रूही ज़रा आराम से चूस ..लगता है तू इन में से दूध निकाल कर ही रहेगी.

रूही–क्या करूँ मम्मी बचपन से में आपके बूब्स के पीछे पागल हूँ…कितने सॉफ्ट बूब्स है आपके.

ये बात सुनते ही नीरा दरवाजे पर ही रुक जाती है और दरवाजे की झिर्री में से अंदर का हाल देखने लग जाती है.

अंदर बेड पर मम्मी पूरी नंगी अपने घुटनो के बल बिल्कुल सीधी बैठी हुई थी…और रूही अपने दोनो हाथो में उनका एक बूब पकड़कर बेदर्दी से चूसे जा रही थी…रूही अभी तक अपनी नाइटी में थी.

ये सीन देख कर नीरा की आँखे एक दम से नशीली होगयि उसने धीरे धीरे कपड़ो के उपर से ही अपने टाइट हो चुके बूब्स को सहलाने लगी…

रूही मम्मी के बूब्स चूसे जा रही थी और मम्मी उसके सिर पर धीरे धीरे हाथ फेरते हुए सिसक रही थी…

फिर मम्मी ने रूही की नाइटी उतार दी…और अपने हाथो की उंगलियो से रूही की पिंक निप्पल मसल्ने लगी…

रूही–मम्मी में आप से एक बात कहना चाहती हूँ अगर आप बुरा ना मानो तो..

मम्मी अभी भी अपने एक हाथ से रूही के बूब्स दबाती जा रही थी और उसकी चूत को अपनो मुट्ठी में भरकर कहने लगी …

मम्मी–बोल रूही क्या बात है तेरी ऐसी कौनसी बात है जिसका बुरा मुझे लग सकता है…

रूही–मम्मी में जय भैया से शादी करना चाहती हूँ ….में उनसे हद से ज़्यादा प्यार करने लगी हूँ.

मम्मी–गुस्से से….रूही….ये फिर से इस घर में दोहराया नही जाएगा तू समझती क्यो नही है बेटा जय तेरा भाई है…

रूही–मम्मी समझो आप…मैने कह दिया मुझे जय चाहिए नही तो में सब को वो बात बता दूँगी…कि कैसे जय पैदा हुआ कैसे आपकी हवस ने मेरी और राज भैया की लाइफ लगभग खराब ही कर दी थी. में बता दूँगी आप राज भैया से चुदाती थी और उस पाप में आपने भी मुझे भागीदार बना लिया.. बता दूँगी जय आपके और राज भैया के मिलन की निशानी है…

मम्मी–रूही चुप कर दीवारो के भी कान होते है कहीं किसी ने सुन लिया तो सब कुछ तबाह हो जाएगा.

रूही–कोई सुनता है तो सुन ले ….अगर जय मेरा ना हो सका तो में उसे आप लोगो के साथ भी रहने नही दूँगी.

मम्मी–रूही तू पागल हो गयी है…जय कभी भी ऐसा कोई काम नही करेगा..

रूही–आप बस मेरा साथ दो मम्मी …में जानती हूँ पापा ने सिर्फ़ आपको बच्चे दिए है लेकिन कभी आपकी खुशियो के बारे में नही सोचा..मेरा साथ देने में आपका भी भला है मम्मी.

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