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अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 5

में तुरंत उसे अपने सीने से लगा लेता हूँ तब जाकर वो रोना थोड़ा कम करती है.

नीरा–भैया अब में कभी आपको तंग नही करूँगी ….में आपसे बहुत प्यार करती हूँ आप मुझ से नाराज़ मत होना कभी भी.

में–नीरा में कभी तुझ से नाराज़ नही हो सकता लेकिन जिस तरह से आज तूने खुद को चोट पहुँचाई है.वो चोट सीधे मेरे दिल पर लगी है.

नीरा–सॉरी भैया आगे से में ऐसा कभी कुछ नही करूँगी. और मुझे कस कर गले से लगा लेती है .तभी मम्मी भी अंदर आजाती है.

मम्मी–में इसीलिए बाहर गयी थी ताकि तुम दोनो अपना मसला आपस में सुलझा लो फिर नीरा उठ कर मम्मी के गले से लग जाती है और हम तीनो वहाँ एक साथ सो जाते है.

उधर भाभी और रूही कॅंप में लेटे हुए थे तभी भाभी रूही से एक सवाल पूछ लेती है.

भाभी–रूही तुम लोगो ने कौनसा राज दबा रखा है अपने अंदर.

रूही ये बात सुनकर तुरंत चोंक जाती है और उठ के बैठ जाती है.

भाभी–क्या तुम लोग मुझे अपना नही समझते जो मुझे बता भी नही सकते.

रूही बस एक टक भाभी की तरफ़ देखे जा रही थी …उसे उसके कानों पर भरोसा नही हो रहा था.

भाभी–रूही मैने मम्मी और तेरी बातें सुन ली थी….ऐसा कौनसा राज है जिस से इतना बड़ा तूफान आज़ाएगा.

रूही अब संभल चुकी थी.

रूही–भाभी आप अपने परिवार से कितना प्यार करती हो.

भाभी–में अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती हूँ.

रूही –तो आपको उसी परिवार की कसम आप आज के बाद दुबारा ये सवाल नही पुछोगि…कुछ राज हमेशा राज ही रहने चाहिए जिस दिन वो बाहर आजाते है सब कुछ खाक हो जाता है. क्या आप अपने परिवार को बिखरता देख सकोगी..क्योकि अगर वो राज खुल गया तो ये परिवार पूरी तरह से बिखर जाएगा.

भाभी भी अब उठ कर बैठ चुकी थी ….उसके बाद उन्होने कोई सवाल नही किया और रूही को. रोता देख उसे गले से लगा लिया.

भाभी–मुझे पता नही था रूही के इस मुस्कुराते नन्हे से दिल पर एक राज का इतना भारी बोझ पड़ा है…तेरी कसम….में ये सवाल किसी से नही पुछुन्गि.तेरी कसम….रूही तेरी कसम…,,.

रूही और भाभी अपने आँसू पोछ कर सोने लगते है…इधर मम्मी की नींद उड़ी हुई थी.

वो लगातार पुरानी यादो में खोती चली जा रही थी ….

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20 साल पहले…. आगे की कहानी राज की ज़ुबानी

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उस समय संध्या(मम्मी) के दो बच्चे थे.

एक राज और एक रूही राज अभी राज ** साल का हो गया था और रूही ** साल की थी …

संध्या के पति किशोर गुप्ता अपने बिज़्नेस को फैलने में दिन रात मेहनत कर रहे थे जबकि संध्या अपने द्वारा बनाए गये एक एनजीओ जो कि बेसहारा बच्चो को घर और अच्छी पढ़ाई और खाने का इंतज़ाम करवाता था.

उस दिन संध्या बहुत ज़्यादा थक गयी थी घर आते ही वो नहाना चाहती थी…

घर आकर संध्या ने अपने कपड़े उतारे और बाथरूम में घुस गयी , नहाने के बाद वो किचन में घुस गयी और खाना बनाने लग गयी …तभी राज और रूही दोनो स्कूल से आगये…और आते ही मम्मी मम्मी करते हुए संध्या से लिपट गये.

राज–मम्मी आज क्या बना रही हो बहुत अच्छी खुश्बू आरहि है..

मम्मी–में तुम लोगो के लिए पालक के पकौड़े और आलू टमाटर की सब्जी बना रही हूँ…तुम लोगो को ये पसंद है ना..

रूही–हाँ मम्मी काफ़ी दिन हो गये पकोडे खाए हुए.

मम्मी–चलो अब जा कर चेंज कर लो और मुँह हाथ धो कर डाइनिंग टॅबेल पर आ जाओ..में तब तक खाना लगाती हूँ.

उसके बाद हम सभी डाइनिंग टॅबेल पर रेडी हो कर आ जाते है और मम्मी हम लोगो को खाना खिलाने लगती है…

राज–मम्मी आप खाना नही खा रही हो..

मम्मी–बेटा तुझे पता है ना में वो दवाई पीने के बाद ही खाना खाती हूँ.

फिर दोनो अच्छे से खाना खा कर मम्मी के बेडरूम में जाकर टीवी देखने लग जाते है…उधर मम्मी ने बाथरूम में जाकर एक सिल्क की नाइटी पहन ली थी जो कि एक शर्ट और एक पाजामे जैसी थी…

फिर मम्मी ने अपनी अलमारी में से एक बोतल निकाली जिसपर शिवास लिखा हुआ था.

वो आकर हमारे पास बैठ जाती है और एक गिलास में उस दवाई को डालकर पानी मिलाने लगती है…

फिर उसकी एक सीप लेने के बाद वो एक पकोड़ा अपने मुँह में डाल लेती है…और इस तरह करते करते वो 5 ग्लास दवाई के पी जाती है ..में कब से ये देखे जा रहा था… तभी मम्मी ने कहा ऐसे क्या देखे जा रहा है.

में(राज)–मम्मी आप तो हमे अगर दवाई देनी होती है तो एक चम्मच में भरकर एक छ्होटी सी बोतटेल में से देती हो …ये आप कौनसी दवाई पीटी हो जो इतनी बड़ी बोतटेल लानी पदती है…और वो भी 5 ग्लास आप पी जाती हो.

मम्मी–ये बडो की दवाई है तू नही समझेगा चल अब थोड़ी देर मेरे पेर दबा दे काफ़ी दर्द कर रहे है.

फिर उसके बाद में मम्मी के पैर दबाने लगता हूँ और रूही मुझे देख कर उनके हाथ दबाने लगती है मम्मी अब पेट के बल लेट जाती है और में उनके पैर का पंजा अपनी गोद में रख कर दबाने लगता हूँ मम्मी का पंजा मेरे लिंग पर रगड़ खा रहा था जिस से मेरा लिंग अकड़ गया.

मम्मी को भी मेरे लिंग का कड़क होना महसूस हो गया और वो अपने पैर का अंगूठा मेरे लिंग पर रगड़ने लग जाती है.

मम्मी अंगूठा रगड़ रगड़ कर काफ़ी गरम हो जाती है और मुझे कहती है..

मम्मी– थोड़ा उपर दबा यहाँ ज़्यादा दर्द हो रहा है ..

में मम्मी की जाँघो को दबाने लगता हूँ…लेकिन मम्मी मुझे और उपर दबाने के लिए कहती है…में अब उनके कूल्हे दबा रहा था…वो दबाते हुए मुझे काफ़ी मज़ा भी आ रहा था मेरे हाथ बार बार फिसल के उस दरार में जाने लगते है…

और मेरा लिंग अब पहले से भी ज़्यादा कड़क हो जाता है फिर मम्मी मुझे रुकने को कहती है और सीधी लेट जाती है अब मुझे वो अपने कंधे दबाने को कहती है.

में अब उनकी जाँघो पर बैठा था और उनके कंधे दबाए जा रहा था मम्मी के बूब्स की निपल मुझे नाइटी में से मुझे बिल्कुल कड़ी हुई नज़र आ रही थी रूही अभी भी मम्मी के हाथ दबाए जा रही थी.

में कंधे दबाने के लिए जैसे ज़ोर लगाता मम्मी की चूत और मेरा लिंग रगड़ जाता और हाथो पर उनके बूब्स.

फिर मम्मी ने मुझे खड़ा होने को कहा और ये बोला कि मेरे पेट पर क्या चुभ रहा है…

में–मम्मी मेरे पास तो चुभने जेसा कुछ भी नही है ..

मम्मी–तेरा निक्कर उतार ज़रूर कुछ ना कुछ तो है जो मुझे चुभ रहा है…

मेने अपना निक्कर तुरंत उतार दिया मेरा लिंग जो इस समय कड़क हो गया था जो कि लगभग 4 इंच से ज़्यादा का था….

मम्मी मेरे लिंग को हाथ में लेकर…

मम्मी–तेरा ये इतना बड़ा कैसे हो गया.

में –पता नही मम्मी मुझे भी समझ नही आया.

मम्मी–मेरे शरीर से रगड़ खाने की वजह से ये बड़ा हो गया है चल में इसे ठीक कर देती हूँ .

और फिर वो मुझे पूरा नंगा कर देती है और खुद अपनी शर्ट उतारकर रूही को बोबे से दूध पीने को बोलकर मेरा लिंग अपने मुँह में लेकर चूसने लग जाती है.

रूही मम्मी का बोबा चूस्ते चूस्ते बोलती है मम्मी इन में से दूध तो आ ही नही रहा..

मम्मी मेरा लिंग अपने मुँह से निकाल कर .

मम्मी–इनमें ऐसे दूध नही आएगा तू एक काम कर एक बोबा ज़ोर ज़ोर से चूस और दूसरा बोबा पूरी ताकत लगा कर दबा जितनी ज़्यादा ज़ोर से तू चुसेगी और दबाएगी उतनी ही जल्दी इन में से दूध निकलने लगेगा.उसके बाद रूही अपनी पूरी ताकत लगा कर उस काम में जुट जाती है..

और इधर मम्मी मेरे लिंग को फिर से मुँह में लेकर चूसने लग जाती है …मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था तभी मेरा शरीर अकड़ने लगता है और में अपना पानी मम्मी के मुँह में ही छोड़ देता हूँ और मम्मी के चेहरे की तरफ़ देखने लगता हूँ…मम्मी का चेहरा इस समय पूरा लाल हो तखा था मेरा सारा पानी उनके मुँह मे छूट गया था लेकिन कुछ बूंदे उनके होंठो पर आ गयी थी उन्होने अच्छे से मेरे लिंग को अपनी जीभ से सॉफ किया और होंठो पर लगा मेरा पानी भी जीभ फेर कर सॉफ कर दिया..

में–मम्मी सॉरी पता नही ये सुसु आपके मुँह में कैसे निकल गया मुझे तो बड़ा मज़ा आरहा था.

मम्मी–कोई बात नही बेटा तू एक काम कर अब तू मेरे बोबो में से दूध निकाल ये रूही से ढंग से ताक़त नही लग रही.

फिर रूही को वो अपने बोबे से हटा देती है और अपने सारे कपड़े खोल कर मुझ अपनी टाँगो के बीच में ले लेती है और मेरा लिंग अपनी चूत में डालकर कहती है..अब तू यहाँ अपना लिंग ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर और दोनो हाथो से मेरे बोबे दबाता जा और बीच में रुकना मत…

उसके बाद में लगातार ज़ोर ज़ोर से अपना लिंग मम्मी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था और अपने हाथो से उनके बोबे दबाए जा रहा था….और मम्मी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी और ज़ोर लगा बेटा और ज़ोर लगा…

मम्मी तीन बार झड चुकी थी लेकिन मेरा पानी छूट ही नही रहा था लेकिन में लगातार धक्के लगाए जा रहा था तभी मेरे शरीर में सिहरन आने लगी और मेरे लिंग से खूब सारा पानी मम्मी की चूत की गहराइयो में जाता चला गया……

हम ये खेल काफ़ी दिनो तक खेलते रहे…और उसके बाद एक दिन ऐसा हुआ जो किसी तूफान से कम नही था….संध्या के पीरियड्स आने बंद हो गये थे…

एक दिन…..

राज–रूही मम्मी जब तक बाहर से आती है तब तक हम दोनो वो खेल खेलते है बड़ा मज़ा आएगा..

रूही–हाँ भैया कल मम्मी आप पर कैसे उच्छल रही थी..

राज–चल तू अपने कपड़े उतार और वहाँ सोफे पर बैठ जा ..

राज भी अपने सारे कपड़े उतार के अपनी बहन के नंगे जिस्म पर हाथ घुमाए जा रहा था….

तभी अचानक घर का दरवाजा खुल जाता है…मम्मी बस हम दोनो को लगातार घुरे ही जेया रही थी…

राज–मम्मी जल्दी आओ हम दोनो वो खेल शुरू करने ही वाले थे..

लेकिन संध्या को होश नही रहा वो वही फर्श पर बैठ कर रोने लगी…

संध्या को रोता हुआ देख कर राज और रूही अपने कपड़े पहन कर संध्या के पास आ जाते है.

राज –क्या हुआ मम्मी आप रो क्यो रही हो….

संध्या–रोते हुए …राज मेरी एक बात मानेगा.

राज–हाँ मम्मी बोलो.

संध्या–हमने जो कुछ भी किया वो अब दुबारा इस घर में नही होगा..में तुझे कुछ सालो के लिए हॉस्टिल में डाल रही हूँ…क्योकि तू अब कुछ टाइम हम लोगो से दूर रहेगा.

जो ये खेल हम खेल रहे थे ये सब ग़लत है ये सब एक परिवार में नही होना चाहिए…आज के बाद तुम दोनो इस बारे में किसी से कोई भी बात नही करोगे.

राज–मम्मी हम अब दुबारा ऐसा कुछ नही करेंगे प्लीज़ मुझे हॉस्टिल मत भेजो..

और राज रोने लग जाता है.

संध्या राज को अपनी छाती से लगा लेती है और कहती है तुम्हे हॉस्टिल जाना ही होगा.इसी में तुम सब की भलाई है…उसके बाद वो अपने रूम में चली जाती है.

सिटी हॉस्पिटल…..

संध्या यहाँ अपना चेकप करवाने आई थी.

डॉक्टर.आएशा संध्या का चेकप करती है और संध्या को सोनोग्राफी करवाने को कहती है…सोनोग्राफी में पता चलता है संध्या गर्भ से है…

डॉक्टर–कंग्रॅजुलेशन्स मिसेज़.गुप्ता आप प्रेग्नेंट है.

संध्या–लेकिन में अभी बच्चा नही चाहती.

डॉक्टर–इम सॉरी मिसेज़ गुप्ता अब अबोर्शन नही किया जा सकता आपका गर्भाशय काफ़ी कमजोर है और अबोर्शन की वजह से आप दुबारा कभी माँ नही बन पाओगि.

संध्या–कोई तो रास्ता होगा जिस से ऐसा हो सके.

डॉक्टर–नही मिसेज़ गुप्ता कोई रास्ता नही है ….सिर्फ़ यही एक रास्ता है या तो आप इस बच्चे को जन्म दे या फिर दुबारा कभी माँ बनने के बारे में भूल जाए.

उसके बाद संध्या वहाँ से चली जाती है..घर पर किशोर भी आ चुका था संध्या उसे सारी बात बता देती है..किशोर पहले तो बहुत नाराज़ होता है लेकिन बाद में वो समझ जाता है कि अकेलेपन की वजह से संध्या से ये ग़लती हो गयी है…राज को बोर्डिंग में डाल दिया जाता है और कुछ सालो के लिए. और रूही को स्कूल से निकलवा दिया जाता है.

जय के बाद संध्या को एक बेटी होती है जिसका नाम वो नीरा रखते है और वो लड़की किशोर की संतान थी……

भाइयो में इस फ्लॅशबॅक को ज़्यादा खिचना नही चाहता इस लिए मैने इसको यही ख्तम करने का निश्चय किया है.

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आगे की कहानी मेरे यानी जय की ज़ुबानी

प्रेज़ेंट डे.

यही बाते सोचते सोचते मम्मी को नींद आजाती है.

अगले दिन सुबह हम लोग फ्रेश हो जाते है और नाश्ता करने लगते है….रिजोर्ट की गाड़ी सुबह नाश्ता लेकर आई थी.

भाभी–जय आज कहाँ जाने का मूड है.

में–भाभी आज हम इस तरफ़ जंगल में चलेंगे देखते है वहाँ क्या है….

वहाँ थोड़ी दूर एक कॅंप और लगा हुआ था शायद वो कल शाम को ही आए थे वो बस तीन लोग थे एक लड़की जो तकरीबन 10 साल की थी और एक लड़का जो 6 साल के लगभग था उनके साथ में उनकी मम्मी भी आई थी.

मुझे उन तीनो को देख कर काफ़ी आश्चर्य हुआ क्योकि उनके साथ कोई आदमी नही था…

जब हम उनलोगो के कॅंप के सामने से निकल रहे थे तो वहाँ एक 32 साल की खूबसूरत लड़की खड़ी थी ..उसने हम लोगो को देख कर आवाज़ लगाई…और दौड़ कर हमारे पास आने लगी उसके इस तरह से दौड़ने से उसकी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से उछल रही थी…

वो हमारे पास आकर अपना नाम रिया बताती है.

रिया–आप लोग क्या जंगल में घूमने जा रहे है…??

मम्मी–हाँ आज जंगल में घूमने का प्लान बनाया है…आप यहाँ कब आए.

रिया–हम लोग कल रात को ही यहाँ आए है …मेरे साथ मेरे दो बच्चे भी है….अगर आप बुरा ना माने तो क्या हम भी आप लोगो के साथ जंगल में घूमने आ सकते है.??

मम्मी–हाँ क्यो नही वैसे भी आपके साथ बच्चे है और बच्चो की चहलपहल से तो माहॉल वैसे भी खुशनुमा हो जाता है..आप चलिए हमारे साथ .

फिर रिया आवाज़ लगाती है और अपने बच्चो को बुला लेती है.

रिया–ये है मेरे दो बदमाश एक का नाम शीना है और ये निक्कू.

फिर वो हमारे साथ जंगल के अंदर चलने लग जाती है ..जंगल काफ़ी खूबसूरत था वहाँ काफ़ी बड़े बड़े पेड़ थे हम लोगो को वहाँ एक दो जगह हिरण भी दिख गये जो हम लोगो को देखते ही भाग गये….काफ़ी आगे जाने के बाद हम लोग एक झरने के पास पहुँच गये वो झरना ज़्यादा बड़ा तो नही था लेकिन उसमें से काफ़ी पानी आ रहा था झरने के आस पास काफ़ी सुंदर फूल भी खिले हुए थे झरना जहाँ गिर रहा था उसके नीचे एक चट्टान थी जो काफ़ी बड़ी और समतल थी झरने का पानी उस चट्टान से गिरकर एक कुंड में जमा हो रहा था और उस खुंद से पानी एक छोटी नदी के रूप में दूसरी तरफ़ बढ़ रहा था ये वो ही नदी थी जिसमें कल हम कल नहा रहे थे..

मम्मी–वाह मज़ा आ गया क्या जगह है…

रूही–हाँ मम्मी कितनी खूबसूरती फैली हुई है यहाँ

रिया के दोनो बच्चे भाग कर झरने के नीचे नाचने लगते है…

रिया–ये लो शुरू हो गयी इनकी बदमाशियाँ लेकिन हम साथ में कपड़े तो लाए ही नही…यहाँ से वापस पहनकर क्या जाएँगे.

में एक काम करती हूँ आप इन दोनो को संभाल लो और में इनके कपड़े लेकर आती हूँ…

इतना कह कर रिया वहाँ से जाने लगती है तभी मम्मी उनको रोकते हुए कहती है इतनी दूर अकेले कैसे जाओगी…आप साथ में जय को ले जाओ.

में वापस जाना तो नही चाहता था लेकिन मम्मी की बात तो माननी ही पड़ेगी….इसलिए में रिया को मन में कोस्ता हुआ वापस कॅंप में जाने लग जाता हूँ…

हम लोगो को कॅंप से झरने तक आने में ही 1 घंटा लग गया था मतल्ब अब दो घंटे लगातार चलने से में काफ़ी दुखी हो रहा था….

रिया–जय सॉरी मेरी वजह से तुम को इतनी दूर वापस आना पड़ रहा है.

में–कोई बात नही…आप लोग अकेले आए हो आपके साथ आपके हज़्बेंड नही आए..

रिया–उनको अपने बिज़्नेस से फ़ुर्सत नही है….पिच्छले 6 महीने से वो इंग्लेंड गये हुए है.

में–ओह्ह ये तो काफ़ी बुरी बात है आप लोग उनके साथ क्यो नही गये.

रिया–एक तो बच्चो की पढ़ाई खराब हो जाती है और दूसरा…वो इंग्लेंड में भी एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते है इसलिए उनके पीछे पीछे घूमने से बढ़िया हम अपने घर में ही रहें.

में–आप लोग कहाँ से है.

रिया–हमारा घर देल्ही में है आप लोग कहाँ से हो.

में–उदयपुर राजस्थान.

रिया–थ्ट्स नाइस काफ़ी पीस्फुल जगह है में एक बार वहाँ आई थी और वहाँ के महलो जंगलों और फ़ौर्ट्स को देखने के बाद जब सिटी में आए तो वो तो और भी खूबसूरत थी…कहीं पर भी गंदगी और पोल्यूशन नही था…काफ़ी मज़ा आया था हम सब को वहाँ .

ये बाते करते करते हम लोग कॅंप तक पहुँच गये और कपड़े लेकर वापस चलने लगे…हम झरने तक वापस पहुँचने ही वाले थे के सामने से सब लोग आते हुए दिखाई दे रहे थे..

मम्मी–इतनी देर से नहाते नहाते बोर हो गये थे और फिर बच्चो को भूख भी लगने लगी थी इसलिए हम सब ने वापस जाने का फ़ैसला किया.

रिया चलिए में भी चलती हूँ आप लोगो के साथ…

भाभी–अरे नही….नही…आप यहाँ थोड़ी देर झरने का मज़ा लेकर देखो बड़ा मज़ा आएगा हम लोग भी रुकते आप लोगो के साथ मगर बच्चो के साथ साथ हमारे भी पेट में चूहे कूदने लग गये थे…

उसके बाद रिया भाभी को बच्चो के कपड़े दे देती है फिर मम्मी और बाकी लोग कॅंप की तरफ़ चल देते है और हम लोग झरने की तरफ़ बढ़ जाते है…..

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दुबई

एक ऐसी जगह जहाँ नामुमकिन कुछ भी नही जो जाना जाता है बेशुमार दोलत के लिए…

राज–पापा मीटिंग काफ़ी बढ़िया रही हमारी एक ब्रांच और यहाँ खुल गयी है…और यहाँ बार बार आने से भी पीछा च्छुटा अब भारत से ही हम इस ब्रांच को चला पाएँगे.

पापा–बेटा मैने इसी तरह ही अपनी सारी ब्रांचो को सही हाथो में दे दिया है..अब हर महीने बॅलेन्स शीट उदयपूर ही आ जाएगी और पैसा बॅंक में. अब काफ़ी मेहनत कर ली….अब में घर बैठना चाहता हूँ…हर महीने इतना पैसा आज़ाएगा कि चाहो तो हर हफ्ते एक नयी कार ले सकते है हम..

राज–हाँ पापा आपने सही किया ….में भी अब सुकून से घर पर रह सकता हूँ…

पापा–देख हम यहाँ भटक रहे और वहाँ वो सब ऋषिकेश में मस्ती मार रहे होंगे.

चल होटेल चलते है. और उनको भी फोन करके यहाँ की खुश खबरी दे देते है और फिर भारत जा कर सीधा ऋषिकेश में ही चलते है…

होटेल में पहुँच कर पापा हमारे रिजोर्ट में फोन लगाते है.

उधर से आवाज़ आती है …हेलो सर में लक्ष्मी निवास रिजोर्ट से सुहानी बात कर रही हूँ…. में आपके लिए क्या कर सकती हूँ.

पापा–हेलो में किशोर गुप्ता बात कर रहा हूँ मेरी फॅमिली आपके रिजोर्ट में रुकी हुई है, क्या में उन से बात कर सकता हूँ.,

सुहानी–सर क्या में आपके फॅमिली मेंबर्ज़ के नाम जान सकती हूँ…..

पापा–संध्या गुप्ता जय नीरा रूही और नेहा गुप्ता.

सुहानी–वेट आ मोमेंट सर….सर आपकी फॅमिली इस समय कॅंप में है और वहाँ हमने कोई फोन नही लगवा रखा क्योकि टूरिस्ट वहाँ पीस के लिए आते है और वहाँ मोबाइल नेटवर्क भी नही आता.

पापा–ठीक है आप उनको मेरा मेसेज दे दीजिए और कहिए कि वो वहाँ से ना जाए हम भी वही आ रहे है….

सुहानी–जी सर में आपका मेसेज जल्दी से जल्दी उन तक पहुँचा दूँगी और तकरीबन घंटे भर बाद उनसे आपकी बात भी करवा दूँगी…लक्ष्मी निवास रिजोर्ट में फोन करने का शुक्रिया.

इसके बाद फोन कट जाता है.

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