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अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 24

में–नेहा शादी का फ़ैसला घर वालो पर छोड़ दो वैसे भी सभी चाहते है कि हमारी शादी हो जाए….

नेहा–तुम अपनी उमर से 6 साल बड़ी औरत से शादी कर के खुश रह पाओगे….

मेनी–नेहा मेरी खुशी हमारे परिवार की खुशी से जुड़ी है….अगर मेरा परिवार खुश रहेगा तो मैं भी खुश रहूँगा…..

इतना सुनकर नेहा ने मेरे होंठो को फिर से अपने काबू मे कर लिया हम दोनो के जिस्म एक दूसरे से पूरी तरह से गुथे हुए थे…..हम ऐसे ही एक दूसरे को प्यार करते करते उस पहाड़ी की तरफ पहुँच गये थे….

मैने नेहा को पलट कर पूरी ताक़त के साथ. उसकी चूत मे झटके लगाने लगा..

नेहा–ओह्ह्ह्ह जयईईइ और ज़ोर से…..और्र्रर जोर्र्र सीई….आआहह मर् गाइिईईई….

नेहा की चीखे पूरे जंगल मे फैलने लगी और मेरी घटती बढ़ड़ी साँसे इशारा कर रही थी मेरे लंड से लावा बाहर आने का….

मैने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और भाभी की आवाज़ भी लगातार बढ़ती ही जा रही थी….और फिर वो हुआ जो हर जोड़ा चाहता है….मेरा लंड लगातार नेहा की चूत भरता जा रहा था और नेहा भी दूसरी बार झड गयी अपना शरीर आकड़ाते हुए….

हम दोनो ज़मीन पर नंगे पड़े एक दूसरे की बाहो मे अपनी सांसो पर काबू पाने मे लगे हुए थे….

उधर वॉटरफॉल पर….

वहाँ का नज़ारा तो जैसे जन्नत का नज़ारा हो गया था….

वहाँ सभी बस ब्रा और पैंटी मे ही मस्तिया मार रहे थे बस एक नीरा ही उनके साथ नही थी वो बस एक जगह बैठी बैठी मेरे ख्यालो मे ही खोई हुई थी….तभी अचानक किसी ने एक पत्थर से नीरा के सिर पर वार कर दिया…..नीरा बस हल्की से घुटि घुटि चीख के साथ बेहोश हो गयी…..बेहोश होने से पहले बस वो दो नक़ाब पोशो को अपने परिवार की तरफ बढ़ते हुए देख पाई….

एक साल और 4 दिन बाद…

हमने उदयपुर छोड़ दिया था…और दूर किसी जगह एक छोटा सा आइलॅंड खरीद लिया था..

सवेरे सवेरे….

में अपनी आराम कुर्सी पर बैठा बैठा अपने लॅपटॉप मे कुछ देख रहा था…तभी नीरा मेरे पास आजाती है….

वो धीरे से मेरे कंधे पर अपना एक हाथ रख कर अपने साथ लाया एक खाली ग्लास मेरे सामने टॅबेल पर रख देती है….

नीरा–जान दूध पीने का समय हो गया है….

में उसे अपनी बाहों मे भर के उसके होंठ चूसने लगा और फिर उस से कहा….

में–खाली ग्लास को भरो गी तो दूध पियुंगा ना….

उसके बाद नीरा अपना टॉप निकाल कर केवल ब्रा मे आ जाती है और अपना लेफ्ट साइड का बोबा बाहर निकाल कर उस ग्लास मे अपना बोबा दबा के दूध भरने लग जाती है…..

ग्लास मे दूध अभी अभी ग्लास के तल तक ही था….

में–बस आज इतना ही दूध मिलेगा क्या….

नीरा–अभी और दूध आ रहा है….आपको भला भूका कैसे रहने देंगे हम….

तभी नेहा भी दीक्षा के साथ वहाँ पहुँच जाती है….

नेहा–क्या हुआ….मुँह क्यो लटका रखा है….

दीक्षा–बच्चे को दूध नही मिला है आज….इसीलिए मुँह लटका कर बैठे है….

नेहा–ये तो बड़ी बुरी बात है…..नीरा ला वो ग्लास मुझे दे….

उसके बाद नेहा भी अपना एक बोबा निकाल कर ग्लास मे दूध भरने लग जाती है….लेकिन ग्लास अभी तक आधा भी नही भरा था…..नेहा के हाथ से ग्लास लेकर अब दीक्षा भी उसमे अपना दूध भर देती है….

में–आज क्या मुझे आधे ग्लास से ही काम चलाना होगा….

नीरा–नही जान और दूध आ रहा है थोड़ा तो सबर करो….

उसके बाद वहाँ शमा कोमल और रूही भी आ जाते है….उन तीनो ने बस एक छोटा सा शॉर्ट्स ही पहन रखा था उनके दूध से भरे बूब्स चलते समय जबरदस्त तरीके से उछल रहे थे….

रूही–मेरे राजा को अभी तक भूका रख रखा है…..तुम सब किसी काम के नही हो….

उसके बाद रूही शमा और कोमल तीनो अपने बूब्स निचोड़ कर ग्लास मे दूध भरने लग जाती है….ग्लास पूरा भर चुका था….

रूही–मेरे राजा को अभी तक भूका रख रखा है…..तुम सब किसी काम के नही हो….

उसके बाद रूही शमा और कोमल तीनो अपने बूब्स निचोड़ कर ग्लास मे दूध भरने लग जाती है….ग्लास पूरा भर चुका था….

में–बच्चो को पिलाया या नही….

शमा–इस दूध पर पहला हक आपका है….उसके बाद बच्चो का नंबर आएगा….

कोमल–रूही ये संध्या कहाँ रह गयी….

नीरा–आ जाएगी वो अभी उन सारे शैतानो से घिरी हुई है….सच नाक मे दम कर दिया है सब ने….

दीक्षा–हाँ नीरा सारी लड़किया बस तेरे लड़के के पीछे ही पड़ी रहती है….उसे कहीं ले जाओ तो सब एक साथ रोने लगती है….

तभी संध्या भी वहाँ आ गयी….तुम लोगो ने इसे क्यो घेर रखा है…..दूध नही पिलाया क्या जय को…

शमा–संध्या रानी हमने तो हमारे हिस्से का दूध पिला दिया अब आपकी बारी है..,.

संध्या–नेहा इतने बड़े बड़े बोबे लेकर घूमती है लेकिन जय की भूख शांत नही होती तुझ से…..

नेहा–क्या करूँ….इसके अलावा मुझे और भी बच्चो को दूध पिलाना होता है…..आप शमा को क्यो कुछ नही कहती हो….

में–अगर आप लोगो की बाते ख़तम हो गयी हो तो क्या मुझे और दूध मिलेगा….

मैं अपने हाथ मे खाली हो चुका ग्लास सब को दिखा देता हूँ….

संध्या–ऊओ मेरा छोटा बाबू अभी भी भूका है….हटा इस ग्लास को मैं तुझे वैसे ही अपना दूध पिला देती हूँ….

उसके बाद संध्या ने अपना ब्लाउस उपर किया और एक बोबा निकाल कर मेरे मुँह मे ठूंस दिया….में लगातार उनका दूध पिए जा रहा था और वहाँ सभी लोग मेरे जिस्म पर हाथ घुमाए जा रहे थे….

शमा के एक लड़की हुई थी….रूही के भी एक लड़की….कोमल और दीक्षा के भी एक एक लड़की…नेहा के एक….और संध्या के जुड़वा लड़कियाँ हुई थी….नीरा के एक लड़का हुआ था…सब कहते है वो बिल्कुल मेरे जैसा दिखता है…बाकी सारी लड़किया अपनी अपनी माँ पर गयी थी….

चाची के भी दो जुड़वा लड़के हुए थे लेकिन अब उनसे हमारा कोई कॉन्टेक्ट नही है….

दूध पीते पीते मैं एक बार आज से एक साल और चार दिन पीछे चला जाता हूँ….कभी सोचा नही था इतना प्यार मिलेगा कभी सोचा नही था रिश्ते कुछ इस तरह बदल जाएँगे….कभी सोचा नाही सिर्फ़ एक ही दिन म सब कुछ बदल जाएगा…..

में और नेहा एक दूसरे की बाहो मे लेटे लेटे सुकूनू की साँसे ले रहे थे….तभी किसी जंगली जानवर की दिल को चीर देने वाली रोने की आवाज़ ने मुझे बैचैन कर दिया….

मुझे किसी अनहोनी की चिंता ने घेर लिया था….हम दोनो ने तुरंत अपने अपने कपड़े पहने और चल पड़े वॉटरफॉल की तरफ…..

उस तरफ जाते वक़्त मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई शक्ति मुझे अपनी तरफ खींच रही है…..हम दोनो तेज़ कदम बढ़ते हुए झरने तक पहुँच गये…..

वहाँ हर तरफ खामोशी फैली हुई थी….बस उस खामोशी को तोड़ती झरने की गिरने वाली आवाज़…. झरने की अविरल धारा ही मेरा ध्यान मेरे परिवार पर आई किसी मुसीबत का संदेश दे रही थी…..

मुझे वहीं नीरा भी मिल गयी उसके सिर से अभी भी खून बह रहा था…..उसे इस हालत मे देख कर मेरे पैरो की जैसे सारी ताक़त ख़तम हो गयी….मैं वही अपने घुटनो पर बैठ कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगा…..

नेहा ने जल्दी से अपने बेग मे से फर्स्ट एड का बॉक्स निकाला और नीरा का घाव सॉफ करके उसका बहता खून रोक दिया….

कुछ पानी की छींटे माकर नीरा को नेहा होश मे ले आई

नेहा ने जल्दी से अपने बेग मे से फर्स्ट एड का बॉक्स निकाला और नीरा का घाव सॉफ करके उसका बहता खून रोक दिया….

कुछ पानी की छींटे माकर नीरा को नेहा होश मे ले आई…..

नीरा–दर्द से कराहते हुए…..क्या हुआ सब लोग कहाँ गये…..आप लोग कब आए….

नेहा–नीरा यहाँ क्या हुआ…..तुम्हे चोट कैसे लगी….सब लोग तुझे इस हाल मे छोड़ कर कहाँ चले गये…..

नीरा–पता नही भाभी मैं तो यहाँ बैठी थी तभी किसी ने पीछे से मेरे सिर पर किसी चीज़ से मार कर मुझे बेहोश कर दिया…..हां याद आया बेहोश होने से पहले मैने दो नक़ाबपोशो को देखा था…..

तभी मेरी नज़र नीरा के पास ही खून से सने उस पत्थर पर पड़ी जिसके नीचे रखा कागज हवा से फड्फाडा रहा था…..

मैं तुरंत उस कागज को अपने हाथो मे उठा कर पढ़ने लगा…..उस मे बस ये लिखा था….

अगर अपने परिवार को सलामत देखना चाहते हो तो जल्दी हम तक पहुँचो ।

उस कागज पर लिखे शब्द मेरे दिल पर किसी हथौड़े की तरह वार कर रहे थे….मैने नेहा को भी वो कागज दिखा दिया…..

उसे पढ़कर हम तीनो की आँखे आँसुओ से भर आई थी….जाने किस की नज़र लग गयी मेरे परिवार को अब क्या होगा मैं ये सोच सोच कर पागल होने लग गया था….

नेहा–इस तरह या बैठे रहने से कुछ नही होगा जय हमे कुछ ना कुछ करना ही होगा…..

में–कुछ समझ मे नही आ रहा क्या करूँ मैं कहाँ ढूंधू उन सब को…,

नेहा–नीरा तू यही आराम कर थोड़ी देर तुझे पेन किलर मैने दे दी है जब दर्द कुछ कम हो जाए तो कॅंप की तरफ चली जाना….वहाँ वाइयरलेस से सुहानी को यहाँ जो कुछ भी हुआ वो बता देना….शायद इस समय वही हमारी मदद कर सकती है….हम दोनो जंगल मे सब लोगो को ढूँढने जा रहे है….

नीरा–भाभी इतने बड़े जंगल मे आप कहाँ ढुंढोगे उन सब को….

नेहा–मुझे लगता है हो ना हो जंगल के बीच बनी उस शिकारगाह मे ही हमे हमारा परिवार मिल जाएगा….बस भगवान से प्रार्थना है कि वो सब लोग ठीक हो वहाँ….

जय–नेहा सही कह रही है नीरा….तू थोड़ी देर बाद कॅंप चली जाना और कोई मदद लेकर आ जाना….

नीरा–आप मुझ से वादा करो सब को सही सलामत लेकर आओगे…..किसी को भी नुकसान नही पहुँचने दोगे….वादा करो मुझ से….कसम खाओ मेरी आप….

में–तेरी कसम….में जल्दी ही सब लोगो को ढूँढ लूँगा….भरोसा रख मुझ पर….

उसके बाद मैं नीरा के माथे को चूम कर खड़ा हो जाता हूँ और नेहा को साथ लेकर उस शिकार गाह की तरफ बढ़ जाता हूँ…..

नेहा ने वो मॅप बॅग मे से निकाल कर मेरे हाथो मे दे दिया था और हम उस मॅप के अनुसार चलते हुए उस जगह तक पहुँचने लगे….कुछ 2 घंटे चलने के बाद हमे एक जगह दिखी जो थोड़ी उँची जगह पर बनी हुई थी….लोहे के तीन शेड से बना एक छोटा सा मकान हमे नज़र आ गया….हम लोग बड़ी सावधानी से उस की तरफ बढ़ने लगे….

नेहा ने वो दरवाजा खोला एक अंजाने डर से काँपते अपने हाथो से….अंदर से आती गंदी बदबू हमारे नथुनो मे समा रही थी…..नेहा ने जैसे ही वो दरवाजा खोला अंदर का मंज़र देख कर मेरी रूह तक काँप गयी…..

उन सब को इस हालत मे देखते ही मेरी आँखो मे खून उतर आया….मैने अपना कदम अंदर बढ़ाया ही था कि एक ज़ोर दार वार मेरे सिर पर पीछे से हुआ….मैं वहीं किसी परकटे पक्षी की तरह लुढ़क गया…..

नीरा अभी भी बेसूध झरने के यहाँ पड़ी थी….नेहा की दी हुई दवा ने उसे फिर से सुला दिया था….जाने वो कब तक वही सोती रही….

डे….1

में कब से बेहोश था इसका तो मुझे अंदाज़ा नही था लेकिन खिड़की से आती सूरज की मध्यम किरणें बता रही थी या तो अभी शाम है या फिर सुबह….

मैने धीरे धीरे अपनी आँखे खोली अब भी वहाँ वैसा ही हाल था सभी वहाँ बुरी तरह से बँधे हुए थे….मेरी नज़रें भाभी को ढूँढने लगी वो भी मुझे एक कौने मे नेहा बँधी हुई नज़र आ गयी….

मैने उठने की कोशिश करी लेकिन उठ नही पाया….में इस समय एक कुर्सी पर रस्सी से बँधा हुआ बैठा था….और अपनी पूरी ताक़त लगाकर भी उस से निकल नही पा रहा था….

तभी किसी के हँसने की आवाज़ मेरे रोंगटे खड़े करती चली गयी…..मेरे सामने ही एक साया अंधेरे मे खड़ा था…..

तभी वो साया हँसते हुए अंधेरे से बाहर निकल कर आ गया…..

उसे देखते ही मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी…..अगर कोई मुझ से कहता कि इस शक्श ने मेरे परिवार का ऐसा हाल किया है तो मैं मान ही नही सकता था…..

में–रीएंन्न्ना तूमम्म्म….

रीना–हाँ में स्वीटहार्ट….क्यो झटका लगा मुझे यहाँ देख कर….अब फिर से बेहोश मत हो जाना क्योकि एक झटका और लगने वाला है तुझे….

में–क्यो कर रही हो तुम ऐसा क्या बिगाड़ा है मैने तुम्हारा…..इन लोगो को जाने दो….तुम्हे जितना पैसा चाहिए मैं ला कर दूँगा….

पैसा नही चाहिए….बदला चाहिए हमे….

मेरे पीछे से आई उस सर्द आवाज़ को मैं लाखो की भीड़ मे भी पहचान सकता था….ये आवाज़ तो सुहानी की थी….

सुहानी–क्यो क्या हुआ….सिर घूम गया मुझे देख कर….मेरा रुद्लु बच्चा जो हर समय बस रोता ही रहता था….आज अपनी ख़ास दोस्त के सामने बेबस बैठा है…..कोई सलाह चाहिए…..कुछ काम आ सकती हूँ मैं सर आपके…..ऊऊऊ सर नही सर नही….जय…

में–ये क्या तमाशा है सुहानी….तुम्हे दिल से मैने अपना एक सच्चा दोस्त माना था….लेकिन तुम एक डायन निकलोगी ऐसा मैने कभी सोचा नही था….

सुहानी–हा हा हा….दोस्त तो मैं भी तुन्हे मानने लगी थी और तब तक मनती थी जब तक तेरे बाप के मरने के बाद तेरे घर नही आई थी…..तेरे बाप की वजह से ही तेरा पूरा परिवार तेरे सामने नंगा लटका हुआ है….

सुहानी के मुँह से कहा गया हर एक शब्द मेरे कानो मे बॉम्ब के धमाको से कम नही था…

में–क्या बिगाड़ा है मेरे पापा ने तुम्हारा किस बात का बदला ले रही हो तुम….क्यो ख़तम करना चाहती हो मेरे परिवार को….

सुहानी–तुझे कैसा लगेगा जब तेरी माँ को तेरी ही आँखो के सामने कोई चोदे…..कैसा लगेगा बता मुझे….

में–जान ले लूँगा मैं ऐसा करने वाले की….

सुहानी–बस यही…..बस यही सुनना चाहती थी में तेरे मुँह से….तेरा बाप मेरी आँखो के सामने मेरी माँ को चोदता था….हम दोनो बहने अपनी आँखो से वो नज़ारा हर रोज देखा करती थी….मेरा पापा तेरे बाप की वजह से शराब मे इतना डूब गया कि मेरे छोटे भाई के साथ आक्सिडेंट मे मर गया….भाई मर गया बाप मर गया….माँ किसी रंडी की तरह आज भी पैसो के लिए चुदवा रही है….लेकिन मैं तुझे मारूँगी नही….तुम सब का एक अनोखा इलाज हमने सोच रखा है….

सुहानी–तुझे कैसा लगेगा जब तेरी माँ को तेरी ही आँखो के सामने कोई चोदे…..कैसा लगेगा बता मुझे….

में–जान ले लूँगा मैं ऐसा करने वाले की….

सुहानी–बस यही…..बस यही सुनना चाहती थी में तेरे मुँह से….तेरा बाप मेरी आँखो के सामने मेरी माँ को चोदता था….हम दोनो बहने अपनी आँखो से वो नज़ारा हर रोज देखा करती थी….मेरा पापा तेरे बाप की वजह से शराब मे इतना डूब गया कि मेरे छोटे भाई के साथ आक्सिडेंट मे मर गया….भाई मर गया बाप मर गया….माँ किसी रंडी की तरह आज भी पैसो के लिए चुदवा रही है….लेकिन मैं तुझे मारूँगी नही….तुम सब का एक अनोखा इलाज हमने सोच रखा है….

रीना–वैसे नीरा को भी हम यहाँ लाना चाहते थे….लेकिन अब तक तो वो मर चुकी होगी….दीदी इतनी ज़ोर से पत्थर मारने की क्या ज़रूरत थी बिचारी बच्ची को….

सुहानी–बहन मेरी….इसके घर मे इतनी खूबसूरती भरी पड़ी है कि एक फूल के मुरझाने से कोई फरक नही पड़ेगा….

में–सुहानी मुझे नही पता मेरे पापा ने तुम लोगो के साथ ऐसा क्यो किया….लेकिन हम लोगो ने तुम्हारा कुछ नही बिगाड़ा है….मेरे परिवार को जाने दो….चाहो तो बदले मे मेरी जान ले लो….

सुहानी–चल मैं तुझे एक कहानी सुनाती हूँ…जो मेरे बाबा ने मरने से पहले मुझे सुनाई….तेरा बाप और तेरी रंडी माँ ने ऐसा जाल बिछाया कि मेरे बाबा की इज़्ज़त उतर गयी…उनके तीन दोस्तो ने तो आत्महत्या कर ली लेकिन मेरे बाबा ने हमारी तरफ़ देख कर ऐसा नही किया….प्रधान नाम था मेरे बाबा का….तेरे बाप ने उन्हे पूरी तरह बर्बाद कर दिया….यहाँ तक कि मेरी माँ को भी नही छोड़ा….

में–सुहानी मुझे अफ़सोस है कि मेरे पापा ने ऐसा किया….लेकिन इसकी सज़ा तुम मुझे दे सकती हो मेरे परिवार को जाने दो….

सुहानी–जब में तेरे घर आई थी तेरे बाप के तीसरे पर तेरे बाप की तस्वीर देख कर मैं उस हैवान को पहचान गयी थी….उसे मरना था मेरे हाथो लेकिन मारा गया किसी आतंकवादी के हाथो….मेरा बदला तो अधूरा रह गया….मैने तेरे बाप की तस्वीर के सामने ही कसम खाई थी

तेरी कसम…किशोर गुप्ता में तेरे परिवार का वो हाल करूँगी कि देखने वाले की भी रूह काँप जाएगी…..

में–ठीक है अगर तुम्हे बदला ही लेना है तो मार दो मुझे….

रीना–इतनी आसानी से नही जानेमन….अभी तो खेल खेलना बाकी है….

में–किस खेल की बात कर रही हो तुम….क्या करना चाहती हो….मैं तुम दोनो के सामने हाथ जोड़ता हूँ….जो करना है मेरे साथ करो….लेकिन इन लोगो को छोड़ दो….

सुहानी–अब हम तुझे एक इंजेक्षन देंगे उसकी वजह से तू बेहोश हो जाएगा लेकिन जब होश में आएगा तो किसी वहशी दरिंदे के रूप मे….

रीना–उसके बाद शुरू होगा असली खेल….जो हमने झेला वो तू भी झेलेगा लेकिन अलग तरीके से…..काश हमारा भाई आज ज़िंदा होता….लेकिन अब तुझ से ही काम चलाना पड़ेगा….

में–क्या करने वाली हो तुम दोनो….कौनसा इंजेक्षन लगा रही हो मुझे….

सुहानी–ये एक ऐसा ड्रग है जो दो दिन तक तुझे एक हैवान बना कर रखेगा…..पूरा का पूरा चूत का भूत बन जाएगा…..अगर तू लगातार दो दिन तक चुदाई करता रहेगा तब तो तू बच जाएगा लेकिन ऐसा नही हुआ तो तेरा मरना तैय है…..हो सकता है तेरा परिवार तेरा साथ दे दे और तू बच भी जाए….लेकिन ऐसा होते ही हम तुम सब को मार देंगे…..ये जो रिमोट तू मेरे हाथ मे देख रहा है ना ये इस जगह को उड़ाने के लिए है बॉम्ब के धमाके से….अगर ज़रा भी होशियारी करी तूने तो ये पूरी जगह मैं उड़ा दूँगी….हम तो मरेंगे लेकिन ना तू बचेगा ना तेरा परिवार…..

उसके बाद सुहानी वहाँ पास ही पड़ी टेबल पर कुछ शिशियो मे से एक उठाकर इंजेक्षन मे वो ड्रग भरने लगती है….

सुहानी–वैसे तो इसका ज़्यादा असर 2 दिन तक रहेगा….लेकिन दो दिन तू ज़िंदा रहेगा ही नही तो आगे का जानकर तू क्या करेगा…..

उसके बाद सुहानी मेरी गर्दन मे वो इंजेक्षन गढ़ा देती है….

मेरी आँखो के आगे अंधेरा सा छाने लगता है….ऐसा लग रहा था जैसे किसी रंग बिरंगी किरणों के जाल मे में फँसता जा रहा हूँ…..

2 घंटे मैं बेहोश रहा….लेकिन जब आँखे खुली तो बिल्कुल किसी दरिंदे की तरह सुर्ख लाल…..वहाँ सभी लोग होश मे आचुके थे….

मम्मी–जय तू ठीक तो है ना बेटा….तू हमारी चिंता छोड़ और चला जा यहाँ से….देख तेरे हाथ पैर भी खोल दिए है…..

तभी सुहानी के अट्टहास से वो टीन शेड का कमरा गूँज उठा ये एक खुला शेर है जो अब तुम सब लोगो का शिकार करेगा…..

में–बहन्चोद रंडी….तू मेरे हाथ मत लग जाना वरना तेरा जो हाल करूँगा तू सोच भी नही पाएगी….चीर के रख दूँगा तेरा भोसड़ा….तेरा दिया ज़हर तुझ प ही भारी पड़ेगा देख लेना…..

रीना–दीदी इसको हाइ डोज दिया है फिर भी इसने अपने आप पर काबू कर रखा है…..अपने लंड को खड़ा नही होने दे रहा है ये….अगर ये ऐसे ही रहा तो सारा खेल चोपट हो जाएगा….दिल की धड़कन बंद हो जाएगी इसकी….कुछ सोचो दीदी कुछ सोचो….

सुहानी–तू जा उसके पास और उसका लंड खड़ा कर….एक बार तूने ऐसा कर दिया तो सब कुछ प्लान के हिसाब से ही होगा….

रीना–लेकिन उस जंगली जानवर के पास जाना ठीक होगा क्या…..

सुहानी–जब तक मेरे पास ये रिमोट है वो तुझे कुछ कर नही सकता ….

उसके बाद रीना मेरी तरफ बढ़ जाती है….

सुहानी–जय अगर रीना को हाथ भी लगाया तो मैं इस जगह को उड़ा दूँगी….में जो चाहती हूँ वो तू करेगा तो तुझे और तेरे परिवार को जीने का एक मोका दे सकती हूँ में…..

मैने उसकी बातो का कोई जवाब नही दिया….रीना मेरे पास बाल खाती किस नागिन की तरह चलती हुई आ गयी और नीचे बैठ कर मेरे लंड को सहलाने लगी…..उसे इस तरह सहलाते देख सुहानी ज़ोर से चिल्ला कर बोली….

सुहानी–रीना सहला क्या रही है….मुँह मे लेकर जल्दी खड़ा कर इसको…..एक बार ये जानवर अपने असली रूप मे आजाए बस उसके बाद तू मेरे पास आ जाना…..

में अपनी पूरी ताक़त लगा रहा था खुद पर काबू रखने का लेकिन आख़िरकार एक इंसान ही हूँ मैं….उपर से उस ज़हर का असर…..जल्दी ही मेरे सबर ने मेरा साथ छोड़ दिया और मैं रीना के मुँह मे ही झटके लगाने लगा…..

तभी एक ज़ोर दार चीख के साथ सुहानी ज़मीन पर गिर कर तड़पने लगी….उसके पीछे नीरा डंडा लेकर खड़ी मुझे दिखाई दे गयी…..सुहानी का ऐसा हाल होता देख रीना मुझ से छूट कर भागने की कोशिश करने लगी लेकिन मैने उसके बालो को पकड़ कर एक ज़ोर दार थप्पड़ उसके चेहरे पर मार दिया…..वो वही बेहोश हो गयी…..

नीरा ने वो रिमोट अपने कब्ज़े मे किया और मेरे गले से लग कर रोने लगी…..खुद को काबू करने की आखरी कोशिश करते हुए मैने नीरा से सबको खोलने के लिए कह दिया…..नीरा ने सब को आज़ाद कर दिया था…..

और जब वो लोग मेरी तरफ पलटे तो मैने सुहानी के सारे कपड़े फाड़ दिए थे…..और में उसे किसी जंगली जानवर की तरह चोदे जा रहा था…..उसकी चूत खून से भर गयी थी लेकिन मैने झटके मारने बंद नही किए वो फिर से बेहोश हो गयी…..मेरा ऐसा हाल देखा कर मेरे सभी घर वाले रोने लगे ….

सुहानी के बेहोश होते ही मेने रीना को पकड़ा और उसे चोदने लगा…..तभी मेरे सिर पर फिर से किसी ने मार दिया…..इस बार मेरे सिर पर मारने वाली नीरा थी….मैं फिर से डकराते हुए बेहोश हो गया…….

उसके बाद उन सभी ने मुझे मिलकर उठा लिया और वहाँ से बाहर ले आई….नेहा 2 मिनिट के लिए कुछ ज़रूरी काम बोल कर अंदर गयी और जल्दी ही वापस आ गई…..

वो सब मुझे लेकर कॅंप पहुँच गये थे मेरा लंड बेहोशी की हालत मे भी बिल्कुल सीधा खड़ा था……

मम्मी–हाई भगवान अब क्या करे….अगर ऐसा ही रहेगा तो जय को हम बचा नही पाएँगे….

नेहा–इस ज़हर का कोई इलाज नही है जब तक जय सेक्स करेगा वो ठीक रहेगा….अगर ज़्यादा देर तक उसने सेक्स नही किया तो उसके दिल की धड़कन इतनी बढ़ जाएगी कि हार्ट फैल भी हो सकता है….

मम्मी–फिर तू ही बता हमे क्या करना चाहिए

नेहा–इस ज़हर का कोई इलाज नही है जब तक जय सेक्स करेगा वो ठीक रहेगा….अगर ज़्यादा देर तक उसने सेक्स नही किया तो उसके दिल की धड़कन इतनी बढ़ जाएगी कि हार्ट फैल भी हो सकता है….

मम्मी–फिर तू ही बता हमे क्या करना चाहिए….

नेहा–दो दिन तक लगातार सेक्स करना किसी एक लड़की या औरत के बस की बात नही है….जय का पानी छूटेगा लेकिन वो लगातार फिर भी करता रहेगा….

शमा–मम्मी भैया ने हम सब के लिए क्या क्या नही किया….क्या हम उन्हे बचाने के लिए अपना जिस्म भी नही दे सकते उन्हे….

शमा की इस बात पर सभी ने सहमति जताई और सभी बारी बारी लगातार दो दिन तक मेरा साथ देती रही…..

3र्ड डे

सवेरे सवेरे….

एक खुशनुमा सुबह छाई थी सुबह की ठंडी ठंडी हवा मेरे बदन को ठंडक पहुचा रही थी….में बड़ी मुश्किल से अपनी आँखे खोल पाया….पूरे बदन मे दर्द हो रहा था मैं खुद को हिला भी नही पा रहा था…..और जब मैने अपने चारो तरफ देखा तो वहाँ मेरे साथ साथ सभी नंगे सो रहे थे…..ये देखते ही एक बार फिर से मैं बेहोशी के आलम मे समाने लगा……

डे 4

जय…..जय….आँखे खोलो….जय….

मैने अपनी आँखे खोली मेरे सामने सभी खड़े थे एक प्यारी सी मुस्कान के साथ….इन सब की मेहनत रंग ले आई थी….मैने कुछ पूछना चाहा तो मम्मी ने मेरे मुँह पर उंगली रख दी…..

मम्मी–कुछ मत बोलना जय…..कुछ भी नही जो हुआ वो हम मे से कोई भूल तो नही सकता लेकिन अपना ज़रूर सकते है अपनी लाइफ को आगे बढ़ाने के लिए…..हम सभी एक दूसरे से प्यार करते है एक परिवार के रूप में….और ये पूरा परिवार हमेशा ऐसे ही प्यार करता रहे इसके लिए खामोशी बहुत ज़रूरी है…..

मम्मी की कही ये बात मुझे उस दिन समझ मे नही आई थी लेकिन आज मैं समझता हूँ…..

दुबई से ऑफीसर का फोन आया था उसने बताया कि पापा और भाई की हत्या एक आतंकवादी आक्सिडेंट थी….

पैसे की कोई कमी नही थी फिर भी पापा के और भाई के लाइफ इन्षुरेन्स से अरबो रुपये मम्मी को और भाभी को मिले….हर महीने बिज़्नेस से भी काफ़ी पैसे आजाते है…..

मुझे बॉस की सीट पर बैठने के लिए काफ़ी बोला गया लेकिन मैने ये शहर छोड़ दिया सुना है आज कल नंदू सब काम संभाल रहा है….अच्छा काम कर रहा है वो पूरी ईमानदारी से….

मैने सुहानी और रीना की माँ के पास भी काफ़ी पैसा भिजवा दिया था एक अच्छी लाइफ जी सके ताकि वो…,

सुहानी और रीना को नेहा ने वही ड्रग दे दिया था उस दिन… जब उन्हे सेक्स नही मिला तो उन्होने खुद को उस शिकारगाह के साथ ब्लास्ट में उड़ा दिया….

मुझ में अभी भी वो ड्रग बाकी था और उसका इलाज मुझे अभी भी मेरा परिवार अपना दूध पिलाकर कर रहा है…..

कुछ बाते इंसान के बस में नही रहती सेक्स भी उनमें से एक है….ड्रग्स या दूसरा नशा जीवन को बर्बाद कर देते है….कहने को मुझे मेरा परिवार का प्यार मिला लेकिन उस ड्रग की वजह से मेरी माँ मेरी बहन अब मुझे दुबारा नही मिल सकती….

ये कहानी समाप्त हो गयी है लेकिन समाप्त होने के साथ साथ मेरे मन में काफ़ी सवाल भी छोड़ गयी है…..

क्या इंसानियत का इतना पतन होना वाजिब है…..क्या सिर्फ़ जिस्म की भूख मिटाने के लिए एक बेटा एक भाई एक बाप एक माँ कैसे अपने रिश्तो पर कालिख पोत सकते है….आए दिन अख़भार मे खबर आती है एक बाप ने अपनी मासूम बेटी का रेप किया….पड़ोसी ने एक माऊं बच्ची का रेप किया एक भाई ने अपनी बहन का रेप किया….घृणा आने लगी है ऐसे समाज से मुझे…..लेकिन में भी इसी समाज का हिस्सा हूँ इसलिए आज के बाद में परिवारिक रिश्तो पर ऐसी कोई कहानी नही लिखूंगा जिसमें इंक्स्ट दुर्भावना या पारिवारिक शोषण हो….

आप सभी का शुक्रिया मैने इस कहानी से काफ़ी कुछ सीखा है उम्मीद है आप सब ने भी कुछ सीखा होगा….सही या ग़लत वो आपको ही चुनना है….

दा एंड

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