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अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 23

मेरी जाँघो को चूमते चाटते वो मेरे लंड की तरफ बढ़ जाती है….नीरा मेरे लंड को किसी आइस्क्रीम की तरह चूसने लग जाती है..

में ज़्यादा देर तक सह नही पाता और उसे अपने उपर खीच के फिर से उसके होंठो पे अपने होंठ रख देता हूँ…..

मुझे मेरी जाँघो पर नीरा की चूत का रस बहता हुआ सा लगता है…..में नीरा को अपने नीचे लेता हूँ और उसे पूरा पलट कर उसकी चूत का रस पीने लग जाता हूँ…

नीरा इतनी ज़्यादा गरम हो रही थी कि मेरे होंठो को अपनी चूत पर महसूस करते ही बुरी तरह मेरे मुँह मे ही झड़ने लगी….

उसकी चूत को अच्छे से चाट लेने के बाद मैने उसे अपनी गोद मे बिठा दिया…..और उसके कंधे पर किस करते हुए उसके बोबे दबाने लगा…

थोड़ी देर बाद नीरा फिर से रेडी हो चुकी थी….और वो भी मेरा साथ देने लगी….

नीरा पलट कर मेरी गोद मे बैठ गयी और अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर गीली हो चुकी अपनी चूत की गहराईयो मे पहुचा दिया….वो लगातार मेरी गोद मे बैठी हुई अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी…

हम दोनो एक दूसरे की बाहो मे एक अलग ही दुनिया मे गोते लगा रहे थे….ना ही नीरा पीछे हट रही थी….और ना ही में…..

नीरा को मैने पलट कर अपने नीचे ले लिया और एक धक्के से पूरा लंड उसकी चूत मे उतार दिया….में लगातार उसकी चूत को अपने लंड से रगडे जा रहा था….

नीरा की चूत एक बार फिर से अपना रस छोड़ने लगी…..लेकिन मैने उसे चोदना बंद नही किया….

मैने उसे उल्टा लिटाया और नीरा की चूत मे बेरहमी के साथ धक्के देने लगा….नीरा की मदमस्त करती आवाज़ो से ट्री हाउस का वो कॉटेज….जैसे हमारे मिलन का गवाह बन बैठा था….बाहर से आ रही पक्षियों की कलरव ध्वनि भी थम सी गयी थी….वो भी शायड कॉटेज से आती नीरा की मदमस्त आवाज़ो मे खो से गये थे….

में लगातार नीरा को चोदे जा रहा था….उसके चेहरे पर सुकून के भाव एक बार मुझे फिर से सामने रखे आईने मे से दिख रहे थे….

उसे इस तरह से आनंद मे गोते लगता देख मैं भी खुद को ज़्यादा देर रोक नही पाया….और एक बाद एक कयि झटके खाता हुआ मेरा लंड अपने अंदर भरे लावे को नीरा की चूत मे भरने लगा….अपनी चूत मे मेरे लावे की गर्मी पाते ही नीरा फिर से झड़ने लगी….वो बुरी तरह से काँपती हुई मेरे साथ ही झड गयी….

उसे इस तरह से आनंद मे गोते लगता देख मैं भी खुद को ज़्यादा देर रोक नही पाया….और एक बाद एक कयि झटके खाता हुआ मेरा लंड अपने अंदर भरे लावे को नीरा की चूत मे भरने लगा….अपनी चूत मे मेरे लावे की गर्मी पाते ही नीरा फिर से झड़ने लगी….वो बुरी तरह से काँपती हुई मेरे साथ ही झड गयी….

हम दोनो बेड पर लेटे लेटे आराम कर रहे थे….

में–नीरा दर्द तो नही हो रहा है ना जान…

नीरा–नही जान दर्द तो आपसे दूर होकर होता है….आपके छुते ही सारा दर्द ख़तम हो गया है….

में–तो एक बार फिर से हो जाए….

नीरा–जान वहाँ सब भूख से बहाल हो रहे होंगे….फिर आपको भी तो भूक लगी है ना….

में–मेरी भूख तो तूने मिटा दी नीरा….

नीरा–मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ….

में–बोलो नीरा…क्या बात है…

नीरा–अगर कभी आपको भाभी शादी करने के लिए कह दे खुद से तब आप क्या करोगे….

में–नीरा ये कैसा सवाल है….में मना कर दूँगा उनको….मैं तुझ से प्यार करता हूँ बस और कुछ नही चाहिए मुझे….

नीरा–लेकिन मैं ऐसा नही चाहती….मैं चाहती हूँ…इस परिवार का कोई भी सदस्य आपसे प्यार माँगे तो आप उसे कभी मना नही करोगे….अगर भाभी से शादी भी करनी पड़े तो कर लोगे….मैं अपना प्यार अपने परिवार के साथ तो बाँट ही सकती हूँ….

में–नीरा क्या हो गया है तुझे कैसी बहकी बहकी बाते कर रही है….

नीरा–आपको पता नही है जान रूही दीदी भी आपसे बेइंतहा प्यार करती है….शायद मुझ से भी ज़्यादा….

में–क्या बकवास कर रही है नीरा….अब जल्दी से कपड़े पहन और नीचे चल….

नीरा–पहले मेरी कसम खाओ अगर आपसे अपने परिवार में कोई प्यार माँगे तो उसे मना नही करोगे….

में–नीरा फिर वही बात….ये कसम वसम मुझे खिला कर फसाया मत कर….

नीरा–जान क्या मेरी खातिर आप एक कसम नही खा सकते…..

में–ठीक है…तेरी कसम….

नीरा–तेरी कसम….क्या…?

में–तेरी कसम….अगर मुझ से कोई प्यार माँगेगा तो में उसे मना नही करूँगा…तेरी कसम…अब खुश….

नीरा–बहुत खुश…..आइ लव यू जान

में आपको खुद से बाँध कर रखना नही चाहती….बस ये चाहती हूँ…आप कभी भी मेरी वजह से ये ना समझे की आपने मेरे कारण अपने परिवार को वो प्यार नही दिया जिसके वो हक़दार थे….

में–अब चुप चाप कपड़े पहन….और चल नीचे….

उसके बाद हम दोनो ने अपने अपने कपड़े पहने और नीचे उतरने लगे……

में सीढ़ियो से नीचे उतरते वक़्त बस नीरा की दी हुई कसम मे ही उलझा हुआ था….ना चाहते हुए भी मेरा दिमाग़ इधर उधर दौड़ने लगा….

में सीढ़ियो से नीचे उतर गया था….मेरे बाद नीरा सीढ़ियो से उतरने लगी….अभी कुछ चार सीढ़िया ही नीचे उतरी थी कि अचानक नीरा के पैर के नीचे से सीढ़ी टूट गयी….

नीरा मुझे आवाज़ लगाती हुई तकरीबन 20 फीट उँचाई से नीचे गिरने लगी….उसे अपनी आँखो के सामने इस तरह गिरता देख मेरे हाथ पाव फूल गये थे…..किसी तरह खुद को उस डर से बाहर लाते हुए मैने नीरा को अपनी बाहो मे लपक लिया…..

में–नीरा…..नीरा…तू ठीक तो है ना जान…..

नीरा मेरी बाहो मे खुद की साँसे संभालती हुई बोली….

नीरा–में ठीक हूँ पर लगता है पैर में मोच आ गयी है….काफ़ी दर्द हो रहा है….सीढ़ी से गिरते वक़्त मेरा पैर कहीं फस गया था….शायद उसी वजह से ये मोच आ गयी है….

मैने उसे वही पेड़ के सहारे बैठा दिया और अपने बेग मे से पानी की बोतल निकाल कर उसे पिलाने लगा….

में–अगर तुझे कुछ हो जाता तो सारी ज़िंदगी में खुद को माफ़ नही कर पाता….

नीरा–अब परेशान होना बंद भी करो….मोच है बस हल्की सी कल तक ठीक हो जाएगी….

मैने उसे अपने सीने से लगा लिया उस पल की कल्पना करते ही जब वो मेरी आँखो के सामने इतनी उँचाई से मुझे पुकारती हुई गिर रही थी….

नीरा–अब ऐसे बैठे ही रहोगे या मुझे लेकर नदी पर चलोगे….इसी बहाने आपकी गोद मे सवारी करने का मोका भी मुझे मिल जाएगा….

में उसके गालो पर एक हल्की सी चपत लगाते हुए नीरा को अपनी पीठ पर लाद लेता हूँ…और एक हाथ से खाने का बेग पकड़ कर नदी की तरफ चल पड़ता हूँ…..

नीरा–अगर आज आप नही होते तो शायद मैं कभी उठ नही पाती उस जगह से….

में–तुझे संभालने के लिए मैं हूँ जान….अब तू इस बात को छोड़ दे….क्योकि ये बात करते ही मेरा मन घबराने लगता है….

नीरा–वैसे आपको तो मज़ा आरहा होगा ना मुझे उठाने मैं….बड़ा सॉफ्ट सॉफ्ट फील हो रहा होगा आपको आपकी पीठ पे….

में–चुप कर….यहाँ मेरी जान गले मे आ गई और तुझे अभी भी मज़ाक सूझ रहा है….

ऐसे ही बाते करते हुए हम नदी तक पहुँच गये….नीरा को इस तरह मेरी पीठ पर देख कर सभी लोग पानी से बाहर आगये….

मम्मी–क्या हुआ नीरा….तू जय की पीठ पर क्यो लटकी है….

में–कुछ नही मम्मी नीरा के पैर मे मोच आ गई है और आप लोगो तक खाना भी पहुँचाना था इसलिए में इसे अपनी पीठ पर लाद कर ले आया….

मैने नीरा को एक चट्टान पर आराम से बैठा दिया सभी लोग नीरा के पैर को देखने मे लगे थे….

मम्मी–पर ये हुआ कैसे…..कैसे लगी नीरा के पैर मे…

नीरा–वो क्या मैं ट्री हाउस से नीचे उतर रही थी….अचानक वहाँ की सीढ़ी टूट गयी और उसी मे उलझ कर ये हाल हो गया है…..ये नीचे ही खड़े थे और इन्होने मुझे पकड़ लिया….

भाभी–देखा जय….मैने कहा था ना….तुम अभी उस सुहानी को बुलाओ और घर चलने की तैयारी करो….

नीरा–घर…??घर क्यो भाभी….हल्की सी मोच ही आई है भाभी….ज़्यादा नही लगी है….और इतनी सी चोट के पीछे सबकी छुट्टियाँ खराब में नही कर सकती….

मम्मी–जय तू सुहानी को बोलकर नीचे ही कॅंप लगवा दे…..नेहा ने सही कहा था कल रात को इतनी उँचाई पर कोई भी हादसा हो सकता है….

में–पहले कुछ खा पी लेते है उसके बाद वहाँ जाकर सुहानी को वाइयरलेस से मेसेज भेज दूँगा….

उसके बाद सभी मेरी बात मान कर पेट पूजा मे जुट जाते है…….

वापस ट्री हाउस पर पहुँचने के बाद में उपर चढ़ के सारा समान और वो वाइयरलेस नीचे ले आता हूँ….नीचे आने के बाद मैं सुहानी को वाइयरलेस कर के यहाँ की सारी स्थिति बता देता हूँ….सुहानी हमारे पास ही आरहि थी इसलिए उसे पहुँचने मे ज़्यादा वक़्त नही लगा….

सुहानी–जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं तहे दिल से माफी मांगती हूँ आप सब से…..ज़रूर कोई चूक हुई है वरना ऐसा कभी नही हुआ…..

भाभी–सुहानी जो हुआ उसको भूल जाओ हमारे लिए ज़मीन पर ही कुछ बंदोबस्त करवा दो…..वैसे भी जंगल मे रहने का मज़ा तो जंगल के बीच मे रह कर ही आता है…..बंदरों की तरह पेड़ो पर नही…..

सुहानी अपने साथ आए दो आदमियो को बढ़िया जगह देख कर कॅंप लगाने की कह देती है और…..खुद उस टूटी हुई सीढ़ी का जायजा लेने लग जाती है…..

में–अब छोड़ो भी सुहानी उस सीढ़ी को…..हमारा कॅंप नदी के थोड़ा पास ही लगवाना…..

सुहानी–ठीक है जय जैसा आप चाहे…..फिर सुहानी दोनो आदमियो को निर्देश देती हुई उन्ही के साथ आगे बढ़ जाती है…..

और हम भी उनके पीछे पीछे चलते हुए कॅंप लगाने की जगह पर पहुँच जाते है….

रात को तकरीबन 11.30-12 बजे जंगल मे ही कही….एक नक़ाब पोश के सामने 4 आदमीीयो की घिघी बँधी हुई थी…

एक–मेरी इस में कोई ग़लती नही है…..जैसा आपने उस सीढ़ी को काटने की बोला मैने वैसा ही किया था….

नक़ाबपोश–जैसा मैने कहा अगर वैसा करते तो 70 किलो के आदमी की जगह 40 किलो की लड़की नही गिरती वहाँ से…..तुम लोग आलसी हो गये हो एक काम भी ढंग से नही होता तुम लोगो से…,

दूसरा आदमी–हमे लगा था पहले लड़की उतरेगी इस लिए. थोड़ा कम काटा सीढ़ी को हमने…अगली बार बच नही पाएगा वो लड़का हम से…..

नक़ाबपोश–अगली बार का मोका अब तुम लोगो को नही मिलेगा……धाय…..धाय….एक के बाद एक 4 फाइयर उस नक़ाब पॉश की रिवॉलव ने कर दिए….और वो चारो जहाँ खड़े थे वही लुढ़क गये….

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कॅंप मे…

हम सभी अपना खाना पीना कर के अपने अपने कॅंप मे लेटे हुए थे….तभी अचानक भाभी मेरे कॅंप मे आ गई….

भाभी–जय रूही काफ़ी देर से सोने नही आई तो मुझे लगा वो तुम्हारे साथ है……

में–नही भाभी वो तो यहाँ आई ही नही…..कब से गायब है वो….और क्या किसी को पता नही कि कहाँ गयी है वो….

भाभी–जय मुझे डर लग रहा है तुम देखो कहाँ गयी है वो…..ऐसे बिना बताए इस जंगल मे जाने कहाँ घूम रही है वो….

में–आप चिंता मत करो मैं अभी देख कर आता हूँ कहाँ गयी है वो….

उसके बाद में तुरंत उठ कर कॅंप से बाहर निकल जाता हूँ…..बाहर ही नीरा भी मुझे मेरे कॅंप की तरफ धीरे धीरे लंगड़ा कर चलती हुई नज़र आ जाती है….

नीरा–क्या हुआ इस समय कहाँ जा रहे हो….

तभी कॅंप के अंदर से भाभी भी बाहर आजाती है….

भाभी–नीरा इसे मैं रूही को ढूँढने बाहर भेज रही हूँ….पता नही रूही कहाँ चली गयी है……

नीरा–में भी चलूंगी आपके साथ….ऐसे जंगल मे अकेले कहाँ कहाँ जाएँगे आप….

में–तुझे मैने आराम करने के लिए कहा है तू वो कर….रूही को मैं ढूँढ कर ले आउन्गा….

नीरा–आप मुझे ना सही भाभी को अपने साथ ले जाओ …..

भाभी–हाँ जय में चल रही हूँ तेरे साथ….नीरा हम वापस आए तब तक तू जय के कॅंप मे ही हमारा इंतजार कर…..

उसके बाद हम दोनो निकल गये नदी की तरफ…..

हम लोगो को ज़्यादा दूर नही जाना पड़ा सामने से रूही तेज कदमो से चलती हुई हमारी ही तरफ आरहि थी….

में–रूही इतनी रात को जंगल मे कहाँ घूम रही है तू….

रूही हम दोनो को वहाँ पाकर थोड़ा सा घबरा गयी और कहने लगी….

रूही–यहाँ हम लोग घूमने आए है या सोने….मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं बाहर निकल गयी थी….

भाभी–लेकिन कम से कम बता के तो जाना चाहिए ना…..तेरे इस तरह गायब होने से हम कितना परेशान हो गये तुझे आइडिया भी है….

रूही–सॉरी भाभी….मैं किसी को परेशान नही करना चाहती थी….इसीलिए अकेले निकल गयी….

में रूही का अब बचाव करने लग गया था…

में–चल अब अगर घूमना हो गया हो तो वापस कॅंप चले….अभी तो कॅंप के बाहर नीरा भी हमे मिलने वाली है….उसको भी जवाब देना पड़ेगा….

उसके बाद हम वापस कॅंप की तरफ वापस आगये….कॅंप के अंदर नीरा सो चुकी थी…..नीरा को सोता देख भाभी ने मुझ से कहा..

भाभी–जय तू नीरा को अपने साथ ही सुला ले….मैं रूही को अपने कॅंप मे ले जा रही हूँ….

में–ठीक है भाभी अब आप लोगो को भी आराम करना चाहिए….गुड नाइट .

उसके बाद मैं अपने बिस्तर पर लेट जाता हूँ और मेरा ऐसा करते ही नीरा मुझे अपनी बाहो में भर लेती है…

में–तू जाग रही थी…??ओह्ह्ह अब समझा तुझे यहाँ सोने का बहाना चाहिए था….

नीरा–जान क्या करूँ आपके बिना एक पल भी काटना मुश्किल हो जाता है….और पूरी रात गुज़रना आपके बगेर नामुमकिन लगता है….

उसकी ये बात सुन कर मैं नीरा के होंठो पर अपने होंठ रख देता हूँ….और कुछ ही देर बाद कॅंप के अंदर हमारे जिस्मो के बीच जैसे एक जंग छिड़ जाती है एक दूसरे मे समाने की…..और जब ये जंग ख़तम होती है एक दूसरे को प्यार से सहलाते सहलाते सो चुके थे….जिस्म तो अलग ही थे लेकिन आत्मा हमेशा के लिए एक हो चुकी थी हमारी….

अगले दिन सवेरे सवेरे….

नीरा बड़े प्यार से मुझे उठा रही थी….और मैं अभी तक उसकी बाहों में बेसूध पड़ा सो रहा था….

नीरा–जान उठ जाओ कोई आपको इस हालत में देखेगा तो क्या सोचेगा….प्लीज़ अब जल्दी से उठकर कपड़े पहनो….मैं बाहर जा रही हूँ…..

में–क्या हुआ जान क्यो शौर मचा रही है सुबह सुबह….सोने दे ना.

नीरा–पहले कपड़े पहन लो फिर सो जाओ वापस….

में–ठीक है…पहनता हूँ लेकिन उसके बाद मुझे एक घंटे तक कोई मत छेड़ना….

नीरा–नही छेड़ेगा कोई भी….क्योकि आपका ये डंडा आपको ज़्यादा देर सोने नही देगा….अब मैं जा रही हूँ बाहर….याद आजाए तो जल्दी आ जाना…

उसके बाद नीरा बाहर चली गयी और सुबह की ठंडक की वजह से चादर के अंदर मेरे लिंग ने तंबू बना रखा था….मैने उसे ज़ोर के मसल कर अपने कपड़े पहन लिए और एक पिल्लो अपनी दोनो टाँगो के बीच मे रख कर फिर से सो गया….

बाहर सभी लोग चाय की चुस्कियो के साथ सुबह की ताज़गी का मज़ा ले रहे थे….

मम्मी–वाह सुबह सुबह ऐसे प्रकृति के बीच खुद को पाकर दिलो दिमाग़ सुकून से भर जाते है…

भाभी–सही कहा मम्मी….जंगल की ताज़ी हवा सुबह सुबह पक्षियों की चाहचाहट सारी थकावट मिटा देती है….

कोमल–आज कहाँ चलेंगे हम….कल वैसे नदी पर खूब मस्ती करी सभी लोगो ने…

मम्मी–ये तो जय ही बताएगा कि कहाँ चलना है….वो अभी तक उठा नही क्या….

नीरा–मैने उठा दिया है मम्मी….वो बस थोड़ी ही देर मे आजाएँगे….

शमा–वैसे और क्या क्या देखने लायक जगह है इस जंगल मे….

मम्मी–नीरा तू जय के पास से वो मॅप लेकर आ….हम भी कुछ नया ढूँढने की कोशिश करते हैं उस मॅप मे….शायद आज कोई जगह हमे मिल जाए….

नीरा–रूही दीदी आप ऐसे चुप चाप क्यो खड़ी हो….वैसे कल रात को अकेले अकेले कहाँ घूमने चली गयी थी….

रूही–अच्छा वो….रात को खाना ज़्यादा हो गया था तो सोचा थोड़ी वॉक कर लूँ….बस इसीलिए निकल गयी थी….

मम्मी–रूही बेटा…ऐसे जंगल मे अकेले नही जाना चाहिए तुझे….पता नही कब कौनसी मुसीबत आजाए….

नीरा तब तक जाकर कॅंप मे से वो मॅप ले आई थी जंगल का….

मम्मी–रूही बेटा…ऐसे जंगल मे अकेले नही जाना चाहिए तुझे….पता नही कब कौनसी मुसीबत आजाए….

नीरा तब तक जाकर कॅंप मे से वो मॅप ले आई थी जंगल का….

उस मॅप को वही टॅबेल पर फैला दिया था उन सभी ने….

मम्मी–ये जंगल तो काफ़ी बड़ा लगता है….इस मॅप के अंदर अभी हम इस पॉइंट पर हैं….कल हम नदी की तरफ गये थे जो की इस तरफ है….इस मॅप मे एक वॉटरफॉल भी है जो यहाँ से लगभग नदी जितना ही दूर है….

शमा–मम्मी ये वॉटरफॉल के कुछ दूर उपर की तरफ सफेद सफेद बिल्डिंग जेसी चीज़ क्या बनी हुई है….

भाभी–ये शायद कोई. शिकार गाह है पुराने समय की जब राजा महराजा शिकार खेलने यहाँ आते थे तब शायद वो सब यही रुका करते होंगे….

दीक्षा–बड़ी मम्मी लेकिन आज हम सभी वॉटरफॉल पर ही चलेंगे….मैने कभी नही देखा अपनी आँखो के सामने इतना पानी गिरते हुए….

तभी मैं भी एक अंगड़ाई लेकर अपने कॅंप से बाहर आजाता हूँ….नीरा मेरे लिए एक मग मे कॉफी भर के मुझे दे देती है….

में–क्या बाते हो रही है मम्मी…

मम्मी–हम सब मॅप देख रहे थे किसी अच्छी जगह जाने के लिए….हमारी तो कुछ समझ मे आया नही तू ही बता कहाँ चलना है आज….

में–मैने आज राक क्लाइंबिंग करने का सोचा है….बोलो कौन कौन चलेगा….

भाभी के अलावा बस नीरा ने ही अपना हाथ उपर कर दिया लेकिन बाकी सब के चेहरे लटक गये….

में–क्या हुआ….मुँह क्यो लटक गये आप सभी के….

मम्मी–हमे नही करनी कोई राक क्लाइंबिंग वलिंबींग….हम सब झरने पर जाएँगे….तुम तीनो को अगर वहाँ जाना हो तो चले जाओ….

में–ये नीरा तो ढंग से चल भी नही पा रही अभी ये हमारे साथ क्या करेगी….

नीरा–मैं भी पहाड़ चढ़ूंगी इस में करना क्या है…..

में–पहाड़ ना तो तू चढ़ेगी और ना ही हमे चढ़ने देगी….इस लिए तू भी आज झरने के पानी से ही मस्ती मार….हम वापस आएँगे तब तुम सब को जाय्न कर लेंगे….

मम्मी–फिर ठीक है….हम सब वॉटरफॉल पर जा रहे है….और तुम दोनो वहाँ पत्थरो से अपना सिर फोड़ो

उसके बाद हम सभी खाने पीने मे जुट जाते है….और खाने पीने के बाद मैं भाभी को कुछ ज़रूरी सामान साथ ले चलने के लिए कह देता हूँ…जैसे पानी फर्स्ट एड कुछ बिस्किट्स स्नकस एट्सेटरा…..

हम सभी एक ही दिशा मे आगे बढ़ने लग जाते है मस्ती करते हुए…..काफ़ी आगे चलने के बाद एक दौराहा आजाता है जिसका एक रास्ता झरने की तरफ जा रहा था और दूसरा रास्ता पहाड़ की तरफ….

हम सभी एक दूसरे से विदा लेते है लेकिन नीरा का मन मेरे साथ ही जाने का था लेकिन उसे मैं इशारा करके मना कर देता हूँ और हम बढ़ जाते है पहाड़ चढ़ने के लिए…..

में भाभी के साथ उस चट्टान तक पहुँच गया था….वो ज़्यादा बड़ी नही थी और ना ही ज़्यादा ख्टरनाक थी लेकिन राक क्लाइंबिंग के बारे मे सोचना ही अपने आप मे एक अड्वेंचर से कम नही है….

भाभी ने एक शॉर्ट्स फ्रोक पहना था जो काफ़ी ढीला था और मैने अपनी टी शर्ट उतार कर अपने बॅग मे डाल दी….

भाभी–इस पर चढ़ना तो काफ़ी आसान है जय….इसके लिए तो किसी रोप की भी ज़रूरत नही है….अग्र नीचे भी गीरेंगे तो ज़्यादा चोट नही लगेगी….

में–सही कहा आपने भाभी…. लेकिन बिना ट्रनिंग के ऐसी चट्टान पर चढ़ना भी मुश्किल होता है….चलो ट्राइ करते है….

उसके बाद हम दोनो उपेर चढ़ने लगे….भाभी मेरे उपर की तरफ थी और अचानक एक छोटा सा पत्थर मेरे कंधे पर आकर लगा तो मेरा ध्यान उपर की तरफ हुआ…..

भाभी की पैंटी दिखाई दे रही थी….उनकी मोटी मोटी जांघे जैसे दूध से धूलि हो….बिल्कुल चिकनी….

तभी भाभी ने नीचे देखते हुए कहा…..

भाभी–जय सुधर जा…..अपना ध्यान चढ़ने मे लगा इधर उधर नज़रें मत घुमा….

में उनकी बात सुनकर सकपका गया और अपना ध्यान फिर से चट्टान चढ़ने मे लगाने लगा….हम लोग काफ़ी उपर तक पहुँच गये थे….लेकिन आगे. बढ़ने का कोई रास्ता दिखाई नही दे रहा था….

भाभी–जय अब यहाँ से उपर कैसे जाए….मेरा तो हाथ नही पहुँचेगा वहाँ तक….तेरा पहुँच सकता है लेकिन क्या पता वो जगह हम दोनो का बोझ एक साथ उठा भी सकेगी या नही….

में–भाभी आप एक काम करो मेरे कंधे पर बैठ जाओ में आपको उसके बाद धीरे धीरे उपेर की तरफ पुल कर दूँगा….इस से आपके हाथ म वो चट्टान भी आज़एगी जो आप से दूर है….

भाभी–बात तो तेरी ठीक है….चल ऐसा करके देखते है….वरना मुझे यहाँ से नीचे ही उतरना पड़ेगा….

में–लेकिन मेरी एक शर्त है….जब तक आप उपर ना चढ़ जाओ मुझ से कुछ नही कहोगी….क्योकि आप छोटी छोटी बातो का भी ग़लत मतलब निकाल कर डाटने लग जाती हो….

भाभी–ओके बाबा नही डान्टुन्गी….अब जल्दी उपर आ ताकि मैं चढ़ सकूँ….

उसके बाद भाभी मेरे कंधे पर सवार हो गयी….

भाभी–अब मुझे थोड़ा सा उपर की तरफ पुश कर ताकि वो जगह मैं पकड़ सकूँ….

में–भाभी पुश करने के लिए मुझे आपकी बॅक पे हाथ लगाना होगा….

भाभी–ऊओहूओ जय बी प्रोफेशनल ऐसी जगह फँसने के बाद ये नही देखते कि हाथ लगाए या नही….अब जो करना है जल्दी कर…..

उसके बाद में अपना एक हाथ भाभी के हिप्स पर रख के उन्हे उपर करने लगता हूँ….मेरा हाथ सीधा उनकी पैंटी पर पहुँच गया था….मेरे हाथ का अंगूठा भाभी की चूत की दरार मे फस गया और मेरी चारो उंगलिया उनकी गान्ड की दरार मे…

मेरा हाथ लगते ही भाभी के मुँह से एक सिसकी निकल गयी….

मैने उन्हे उस जगह तक पुल कर दिया लेकिन उनकी चूत से हाथ हटते समय अंजाने मे ही उनकी चूत को रगड़ भी दिया था मैने…..

भाभी अब उपर पहुँच गई थी और मैं भी थोड़ी सी कोशिश करने के बाद उपर पहुँच गया…..उपर भी हरा भरा जंगल फैला हुआ था हर जगह…..लेकिन मुझे भाभी कही दिखाई नही दे रही थी…..अचानक एक पेड़ के पीछे छुपि हुई भाभी निकल कर बाहर आ गई और मेरे होंठो पर टूट पड़ी जैसे जनम जन्म की प्यासी हो…..

और अचानक ही मुझ से अलग होकर दूर खड़ी होगयि….उन्होने अपनी फ्रोक उतार कर वही पास मे पटक दी…

भाभी की आँखे जैसे एक मदहोशी मे डूबी हुई थी….वो मुझे अपने पास आने का इशारा करने लगी…..

में उनके हुस्न से सम्मोहित सा उनकी तरफ बढ़ने लगता हूँ…..लेकिन वो मेरी तरफ ना बढ़ कर और पीछे की तरफ सरकने लग जाती है….एक कदम मे आगे बढ़ाता तो वो भी एक कदम पीछे बढ़ा देती…..

उन्होने अपनी ब्रा और पैंटी भी मेरी आँखो के सामने ही उतार दी….में जैसे ही उनकी तरफ़ तेज़ी से बढ़ा वो हड़बड़ा कर पीछे पानी से भरे एक गड्ढे मे गिर गयी

भाभी पानी और जंगली घास से सन चुकी थी मैने आगे बढ़ कर उनके बदन से वो घास हटाई और उन्हे अपनी बाहों मे भर लिया….

भाभी–तुम्हे पता है जय….जिस दिन से तुम्हारे भैया मुझे छोड़ के गये है किस तरह खुद को कंट्रोल किया है मैने ये बता भी नही सकती तुम्हे….जीना दूभर हो गया था मेरा….लेकिन जब आज तुमने मुझे पुल किया तो वो सोए हुए तार फिर से बजने लगे….मैं खुद को बेशर्म होने से नही रोक पाई….

में–भाभी मैं समझ सकता हूँ आपका दर्द….में अपने परिवार की खुशी के लिए कुछ भी करूँगा….

भाभी–पहले मुझ से एक वादा करो….कि आज के बाद मुझे तुम सिर्फ़ नेहा कह के बुलाओगे….और मुझ से शादी भी करोगे….

में–नेहा शादी का फ़ैसला घर वालो पर छोड़ दो वैसे भी सभी चाहते है कि हमारी शादी हो जाए….

नेहा–तुम अपनी उमर से 6 साल बड़ी औरत से शादी कर के खुश रह पाओगे….

मेनी–नेहा मेरी खुशी हमारे परिवार की खुशी से जुड़ी है….अगर मेरा परिवार खुश रहेगा तो मैं भी खुश रहूँगा

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