दीनू–ये सब मेरी वजह से ही हुआ है साहब ना में ऐसा करता और ना उस बच्ची की बद्दुआ मुझे लगती….मेरा जीवन जहन्नुम बन गया….बस हमेशा अफ़सोस करता रहा क्यो मैने इतनी बड़ी ग़लती कर दी….
में–अब वो सुरक्षित है….इसलिए अब पछतावा करना बंद करो….ये कुछ पैसे रखो और अपना कोई काम शुरू करके मेहनत से पैसे कमाओ… क्या तुम मुझे उस हॉस्पिटल का नाम बता सकते हो जहाँ से तुमने उस बच्ची को उठाया था….
दीनू–हाँ साहब….गीतांजलि हॉस्पिटल था वो….उदयपुर मे..
में–आपका बहुत बहुत शुक्रिया….अब में चलता हूँ….और ध्यान रहे ना तुम अब उस लड़की को जानते हो और ना मेरे बारे मे…
दीनू–वो लड़की अब खुश है….ये जानकार मेरे दिल को बहुत बड़ी तस्सली मिली है….मैं किसी से कुछ नही कहूँगा साहब…
उसके बाद में वहाँ से निकल कर फिर से फ्लाइट पकड़कर उदयपुर आ जाता हूँ….
नीरा को फोन करके शमा के साथ घर आने का बोल देता हूँ….और खुद एरपोर्ट से घर की तरफ निकल पड़ता हूँ
में जब घर पहुँचा वहाँ बाहर ही नीरा और शमा भी ऑटो से उतरती हुई मिल गई….मैने अपनी कार की चाभी चौकीदार को दे दी पार्क करने के लिए और उन्दोनो के साथ पैदल ही घर की तरफ बढ़ गया….
शमा अपने चारो तरफ घूम घूम कर बस आँखे फाडे घर को ही देखे जा रही थी….
में–क्या हुआ शमा पसंद आया घर….
शमा–भैया पसंद की बात कर रहे हो….ऐसा घर तो मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था….आपका ये घर बड़ा खूबसूरत है….
में–आपका नही….अपना बोलो अब से ये घर जितना हम सब का है उतना ही तुम्हारा भी है….तुम इस घर की छोटी बेटी हो….यहाँ पूरे अधिकार से रहो….
नीरा–जान मुझे माफ़ करना मैं नही चाहती कि अभी किसी को भी हमारी शादी के बारे में पता चले….आप वैसे ही इन दिनो परेशानी से घिरे हुए हो में आपको लोगो के सवालो से और परेशान होता नही देख सकती….
में–माफी माँगने की ज़रूरत नही है नीरा….मैं भी नही चाहता था कि अभी किसी को ऐसा कुछ पता चले….जल्दी ही हम सबके सामने ये खुलासा भी कर देंगे…
में–क्या हुआ शमा पसंद आया घर….
शमा–भैया पसंद की बात कर रहे हो….ऐसा घर तो मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था….आपका ये घर बड़ा खूबसूरत है….
में–आपका नही….अपना बोलो अब से ये घर जितना हम सब का है उतना ही तुम्हारा भी है….तुम इस घर की छोटी बेटी हो….यहाँ पूरे अधिकार से रहो….
नीरा–जान मुझे माफ़ करना मैं नही चाहती कि अभी किसी को भी हमारी शादी के बारे में पता चले….आप वैसे ही इन दिनो परेशानी से घिरे हुए हो में आपको लोगो के सवालो से और परेशान होता नही देख सकती….
में–माफी माँगने की ज़रूरत नही है नीरा….मैं भी नही चाहता था कि अभी किसी को ऐसा कुछ पता चले….जल्दी ही हम सबके सामने ये खुलासा भी कर देंगे….
हम घर के दरवाजे के बाहर पहुँच गये थे…मैने शमा को दरवाजे पर दस्तक देने के लिए कहा और नीरा और में अपना एक कदम पीछे करके खड़े होगये….
दरवाजा भाभी ने खोला…..वो शमा को पहचान ने की कोशिश कर रही थी लेकिन हम दोनो को मुस्कुराता हुआ देख कर ज़ोर से मम्मी को आवाज़ लगाने लगी..,,,
भाभी–ये लड़की कौन है जय….और तुम दोनो मुस्कुरा क्यो रहे हो…..अब बाहर ही खड़े रहोगे या अंदर भी आओगे….
में–पहले मम्मी को तो आने दो उसके बाद मैं आपको सारी बाते बता देता हूँ….
इतने में मम्मी भी आ जाती है और हमे देखने लग जाती है…..
मम्मी–क्या हुआ तुम लोग बाहर क्यो खड़े हो….और ये प्यारी सी बच्ची कौन है…
में–मम्मी पहले अपने घर के नये सदस्य का स्वागत करो….उसके बाद में बताता हूँ कि ये कौन है….
मम्मी–मैं तेरे कहने का मतलब नही समझी….कौन है ये लड़की….और इस घर की सदस्य कैसे हुई…
में–पहले आप पूजा की थाली लेकर आओ इसे प्यार से अंदर बुलाओ उसके बाद में आपको सब कुछ बताता हूँ….भरोसा रखो मुझ पर….
मेरे चेहरे पर दृढ़ता के भाव देखकर उन्होने भाभी से पूजा की थाली लाने को कहा और पूरे मान सम्मान के साथ शमा की आरती उतार कर उसका घर में स्वागत किया गया….
घर के अंदर आने के बाद नीरा शमा को अपने रूम मे ले गयी और में बाहर हॉल मे बैठ गया….मम्मी और भाभी मुझे बस घुरे ही जा रही थी….शायद उन्हे लग रहा था….मैने इस लड़की से शादी कर ली है और अब उसे घर ले आया हूँ….
मम्मी–अब बोलेगा भी….इतना सस्पेनस क्यो बना रहा है….
इतने में नीरा और शमा भी चेंज करके बाहर हॉल में आगये और मेरी बगल मे ही आकर बैठ गये….
में अपनी बात की शुरूवात ढूँढते हुए कह ही देता हूँ….
में–मम्मी शमा आपकी वो बेटी है जिसके बारे में आपने कभी कुछ नही बताया था….
मम्मी–मेरी बेटी…?? ये क्या बेवकूफी भरी बाते कर रहा है तू….मेरी कोई बेटी और भी है ये मुझे ही पता नही तो में तुम्हे क्या बताउन्गी….अब पहेलिया बुझाना बंद कर और जल्दी से बता कि आख़िर बात क्या है और ये मेरी बेटी कैसे हुई…
में–पहेली तो अभी भी सुलझी नही है….लेकिन एक तरीका और बचा हुआ है….जिस से में साबित कर सकूँ कि शमा ही आपकी बेटी है….
मम्मी–जब में कह रही हूँ कि अगर ये मेरी बेटी होती तो मुझे तो पता होता ना….लेकिन फिर भी ना जाने क्यो ये लड़की मुझे अपनी तरफ़ खींच रही है….ऐसा लग रहा है जैसे कोई अपना ही हो….
में–मम्मी आपने गीतांजलि हॉस्पिटल मे जन्म दिया था शमा को….अब इस बारे में आप बताओ मुझे कि जो में कह रहा हूँ वो सही है या ग़लत….
मम्मी–उस हॉस्पिटल मे तो नीरा का जन्म हुआ था….अभी थोड़े दिन पहले ही तो नीरा का बर्त दे मनाया है हम लोगो ने 19वा…
मेरी समझ में कुछ कुछ आ तो रहा था लेकिन कुछ कड़िया अभी जोड़नी और बाकी रह गयी थी….
में–मम्मी नीरा के समय जिस डॉक्टर और नर्स नीरा का बर्त करवाया था क्या आप उनका नाम जानती हो…
मम्मी–हाँ नर्स का नाम ज्योति था नीरा के समय उसी ने मेरी देखबाल करी थी और डॉक्टर के नाम मुझे याद नही है
में–क्या आपके पास हॉस्पिटल का कोई कागज पड़ा है जिस से ये पता चल सके कि वहाँ उस समय डॉक्टर कौन था….
मम्मी–रुक में अभी लाई….नेहा तू इन लोगो के लिए कॉफी और कुछ खाने के लिए बना दे देख तीनो के चेहरे कैसे भूख के मारे उतरे हुए है…….
उसके बाद मम्मी अपने रूम में चली जाती है और भाभी किचन मे….कुछ हे देर बाद दोनो बाहर आजाती है…और मम्मी मुझे वो फाइल देते हुए कहती है….
मम्मी–ज़रूर तुझे कोई ग़लतफहमी हुई है….
में–ग़लतफहमी की कोई गुंजाइश नही है शमा का डीयेने टेस्ट पूरी तरह से हमारे साथ मॅच हुआ है….
तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगती है….भाभी उठ कर दरवाजा खोलती है….और दीक्षा कोमल और रूही भागते हुए मुझ पर कूद पड़ती है मुझे दबोचते हुए रूही कहती है….
रूही–आपकी गाड़ी देखते ही हम समझ गये थे कि आप आ चुके हो….अब जल्दी से ये बताओ इतने दिन कहाँ मस्ती हो रही थी….
में–अरे पहले तू थोड़ा साँस तो खा ले….अच्छा हुआ तुम सब भी यहाँ आ गये वरना फिर से तुम्हे एक्सप्लेन करना पड़ता सब कुछ….
हमारा ऐसा प्यार देख कर शमा की आँखो से मोटे मोटे आँसू निकल गये….मैने उसे अपनी बाहो में खिचते हुए अपने सीने से लगा लिया….
शमा–सच में भैया आज में अपने आप को दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की समझ रही हूँ जिसे इतना अच्छा प्यार और खुशियो से भरा परिवार मिला….
में–खुशनसीब तो ये घर है जिसे अपनी खोई हुई अमानंत फिर से मिल गयी है…अब थोड़ी देर आप सभी अपने सवालो पर विराम लगाओ…और मुझे हॉस्पिटल में बात करने दो….रूही तू जाकर वो रिपोर्ट्स ले आ जो मैने डॉक्टर आलोक से लाने के लिए कही थी तुझे….
में मम्मी से वो फाइल लेकर पढ़ने लग जाता हूँ….किसी डॉक्टर सुभाष ने वो फाइल रेडी करी थी जिसमें नीरा की बर्त डीटेल और हॉस्पिटल बिल्स के साथ कुछ प्रिस्क्रिप्षन भी थे….मैने हॉस्पिटल के लॅंड लाइन नंबर जो उसमें लिखा हुआ था उस पर कॉल लगा दिया लेकिन वो बंद आ रहा था….
में–ये नंबर बंद क्यो आ रहा है…
भाभी–बेवकूफ़ 19 साल पुराना नंबर आज तुझे कैसे चालू मिलेगा….ऑनलाइन हॉस्पिटल का नंबर सर्च कर ले पता चल जाएगा….
आख़िरकार गूगल की मदद मुझे लेनी ही पड़ी…और मैने वो नंबर लगा दिया….
लड़की–गीतांजलि हॉस्पिटल से नूरी बात कर रही हूँ….में आपकी कैसे मदद कर सकती हूँ….
में–हेलो नूरी में जय गुप्ता बात कर रहा हूँ….मुझे कुछ इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए थी….
नूउरी–बताइए सर क्या इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए आपको….
में–दरअसल नूरी मुझे मेरी मम्मी की डेलिवरी के समय जो डॉक्टर था उसका कॉंटॅक्ट नंबर चाहिए….
नूरी–क्या में आपकी मम्मी का नाम या उनको उस वक़्त दी गयी फाइल नंबर जान सकती हूँ….
मैने उसे पूरी डीटेल बता दी….
नूरी–सर जैसा कि में देख पार रही हूँ….उस वक़्त डॉक्टर सुभाष और डॉक्टर रोहित ने आपकी मम्मी की डेलिवरी करवाई थी….लेकिन में आपको उनका नंबर नही दे सकती क्योकि वो अब इस दुनिया में नही है…..
में–ओह्ह्ह ये काफ़ी बुरा हुआ….एक मिनट याद आया वहाँ कोई नर्स थी जिसका नाम ज्योति था….क्या मुझे उसके बारे मे कुछ पता चल सकता है….या वो भी अब इस दुनिया मे नही है….
नूरी–नही सर वो अब हेड नर्स है में उनसे आपकी बात करवाती हूँ आप लाइन पर रहे….
कुछ देर बाद फोन पर हॉस्पिटल का घटिया सा गाना सुनते रहने के बाद ज्योति के साथ लाइन कनेक्ट हो जाती है….
ज्योति–हेलो ज्योति सक्षेना बात कर रही हूँ….
में–ज्योति मेडम आपके पापो का घड़ा भर चुका है….19 साल पहले आपका किया हुआ पाप फिर से सामने आ गया है…..
ज्योति–कौन बोल रहे हो आप….कौन्से पाप की बात कर रहे हो क्या किया है मैने….अपनी मज़ाक अपने पास रखो और मुझे काम करने दो…
में–मेडम में जय गुप्ता बोल रहा हूँ….संध्या गुप्ता याद है आपको या भूल गयी….
ज्योति–कौन संध्या गुप्ता मुझे कुछ याद नही अब दुबारा मुझे फोन मत करना….
और ये कहकर ज्योति ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया…..और हम सभी एक दूसरे की शकलें देख रहे थे.
में–बोलो भाभी कैसी पार्टी चाहती हो आप…..
तभी मम्मी ने रोते हुए मुझ से कहा…..
मम्मी–जो मेरी बेटी बोलेगी बस वही होगा….इसकी हर ख्वाहिश पूरी होनी चाहिए….19 साल दूर रही है मेरी बच्ची….माँ के होते हुए भी अनाथो की ज़िंदगी जी है मेरी बच्ची ने….
में–मम्मी आप खुद को सम्भालो….जैसा आप बोलोगि वैसा हो जाएगा…..
मम्मी शमा से…
मम्मी–बोल मेरी बच्ची तुझे क्या चाहिए….मुझे बता दे बस एक बार कि कैसे मैं इतने सालो का क़र्ज़ उतार सकती हूँ…..एक बार तो अपने मुँह से मुझे मम्मी बोल दे….देख तेरी माँ का कलेजा कब से तेरे मुँह से सिर्फ़ माँ सुनने के लिए तरस रहा है…..अब कभी तुझे खुद से दूर नही जाने दूँगी मैं….
शमा–मम्मी मैं भी तर्सि हो अपने परिवार के लिए…..हर पल बस भगवान से हाथ जोड़ कर अपने परिवार से मुझे मिला देने का ही आशीरवााद मांगती थी…
मम्मी–शमा मेरी बच्ची अब मुझे बता क्या चाहती है तू….किस तरह की पार्टी चाहती है तू……ऐसी आलीशान पार्टी जो इस शहर ने कभी नही देखी होगी….बोल क्या चाहिए तुझे…..
शमा–मुझे आप सब मिल गये….और मुझे क्या चाहिए…..किसी पार्टी की ज़रूरत नही है मुझे….मेरी माँ मुझे अपने हाथो से प्यार से दो नीवाले खिला देगी तो वही मेरे लिए सब से बड़ी खुशी होगी….
में–शमा तुमने बहुत बुरा वक़्त देखा है अपनी ज़िंदगी में….लेकिन अब तुम्हे वो सब कुछ भूल कर आगे कदम बढ़ाना होगा….ये घर तुम्हारा है….इसलिए कुछ भी कहने से हिचकिचाओ मत….बोलो क्या करना है….
शमा–भैया सच में मुझे नही पता कैसे क्या होता है…..
में–चल ठीक है तेरी जुड़वा से ही पूछ लेता हूँ…..नीरा बोल तू कैसे खुश करना चाहेगी शमा को….
नीरा– मेरे हिस्सब से तो हमे कहीं चलना चाहिए…..और वहाँ शमा के साथ खूब मस्ती भी करनी चाहिए…..
में–रूही दीदी अब आप भी कुछ बोल दो….
रूही–नीरा बिल्कुल सही कह रही है….और दीक्षा और कोमल भी कहीं घूमने जाना चाहती है….मेरे हिसाब से तो यही बेस्ट रहेगा…..
में–दीक्षा….कोमल कहाँ चलने का मन है….
कोमल–भैया कहीं भी ले चलो हम दोनो तो कब से रेडी न…..
में–भाभी…..?
भाभी–फिर से वही चले…..?
मम्मी–हाँ यही ठीक होगा….हमे फिर से वही चलना चाहिए सब कुछ भुला कर….
में–ठीक है 2 दिन बाद हम वहाँ वापस जाएँगे….मुझे आज एक जगह जाना है….नीरा तू शमा को अपने साथ रूम मे ले जा….
शमा के जाते ही मैने सभी घरवालो को शमा के बारे में सारी सच्चाई बता दी बस नीरा और मेरी शादी की बात नही बताई…..और एक प्रधान के बारे में….
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ज्योति अपने कॅबिन मे बैठी हुई अतीत की गहराइयो मे उतरती चली गयी…..
19 साल पहले….
ज्योति उस रूम मे बेहोश पड़ी थी….तभी डॉक्टर सुभाष और राहुल वहाँ पहुँच गये….उन्होने ज्योति की ऐसी हालत देख कर उस पर पानी के छींटे डाले और उसे होश मे ले आए…..
सुभाष–ज्योति ये सब क्या हो रहा है यहाँ…..तुम बेहोश कैसे हो गयी और वो बच्ची कहाँ है…..
ज्योति–सर आपके जाने के बाद एक आदमी मुझे बेहोश कर के उस बच्ची को ले गया….
राहुल–ओह्ह्ह माइ गॉड….अब हम इनके परिवार वालो को क्या जवाब देंगे वो तो शुक्र है हमने अभी तक किसी को कुछ बताया नही है….
तभी अचानक संध्या के कराहने की आवाज़ सुन कर वो तीनो संध्या के पास पहुँच जाते है….
सुभाष–हे भगवान आज ये हो क्या रहा है…..हम इतने लापरवाह कैसे हो सकते है….
राहुल–सही कह रहे हो आप संध्या के ट्विन्स होने वाले थे और हमने बस एक का ही सोच कर अपना काम छोड़ दिया….ये देखो एक बच्चे का सिर दिखने लगा है…..
सुभाष–नर्स जल्दी से इसे इंजेक्षन दो….ये अभी भी बेहोशी की हालत में….हमे ऐसे ही इसकी डेलिवरी करनी होगी…..
ज्योति–लेकिन अगर ये ज़ोर नही लगाएगी तो बच्चा बाहर कैसे निकलेगा….ऐसे तो इन दोनो की जान को खतरा हो जाएगा…..
राहुल–एक काम करो तुम इसका पेट पुश करो जब तक हम इस बच्चे को बाहर खिचने की कोशिश करते है…..
कुछ देर कोशिश करने के बाद एक स्वस्थ बच्ची डॉक्टर सुभाष के हाथो मे थी….
राहुल–भगवान ने हमे बचा लिया सुभाष वरना हमारा पूरा करियर खराब हो जाता….
सुभाष–सही तो वैसे भी कुछ नही हुआ….क्या कहेंगे हम इन लोगो से कि बच्ची कैसे गायब हो गयी….ये तो उल्टा हमारी हे जान ले लेंगे…..
राहुल–ये बताने की ज़रूरत कहाँ है….कि इस औरत को ट्विन्स हुए थे….बस एक लड़की हुई है यही बता देंगे…..
सुभाष–ये राज़ अब इस ओप्रेशन थियेटर के बाहर नही जाना चाहिए….बाकी आगे जो होगा वो देखा जाएगा….एक बार तो भगवान ने इस बच्ची के रूप मे हमारी मुश्किल सुलझा दी है….
ज्योति–आप सही कह रहे है सर….
तभी ज्योति अपनी यादो के भवर से निकल कर बाहर आजाती है…..कोई उसके कॅबिन के दरवाजे पर दस्तक दिए जा रहा था…..
ज्योति उसे अंदर बुलाती है….वो एक चपरासी था जो ज्योति का लंच लेकर आया था….चपरासी के जाने के बाद ज्योति एक फोन लगाती है नूरी के पास…..
ज्योति–नूरी अभी थोड़ी देर पहले जो कॉल तुमने कनेक्ट करी थी वो किस नंबर से आया था वो नंबर मुझे वापस चाहिए….
नूरी–जी मेडम बस एक मिनिट में आपको वो नंबर दे देती हूँ…..
उधर हम सब ज्योति के इस तरह फोन काटने से सोच मे डूब गये थे….शायद मुझे ज्योति से थोड़ी नर्मी से बात करनी चाहिए थी….
अब तो हॉस्पिटल जाकर आमने सामने बैठ कर ही बात करनी पड़ेगी….
तभी मेरा फोन घनघना उठता है….ये कॉल किसी मोबाइल से आ रहा था….मैने जैसे ही कॉल पिक किया….
ज्योति–मुझे नही पता उस समय मुझे क्या करना चाहिए था…..हमेशा मुझे ये डर सताता था कहीं ये सच फिर से मेरे सामने आकर खड़ा ना हो जाए…..मैं आपकी गुनहगार हूँ आप जो भी सज़ा मुझे देना चाहेंगे मुझे मंजूर होगी….
में–मेडम मैं अपने बर्ताव के लिए आपसे माफी माँगता हूँ…..उस बच्ची को गायब करवाने में आपका कोई हाथ नही है ये मैं अच्छी तरह से जानता हूँ….क्योकि मैं उस बच्ची को ले जाने वाले आदमी से भी मिल चुका हूँ….बस मुझे उसके बाद क्या हुआ ये जानना है….अग्र संध्या को पैदा हुई बच्ची. वहाँ से चुरा ली गयी थी तो वो दूसरी बच्ची कहाँ से आई…..
ज्योति–संध्या गुप्ता को उस दिन ट्विन्स हुए थे और दोनो के जन्म मे केवल 2 मिनिट का फासला है….
उसके बाद ज्योति वो सारी घटना बताती चली गयी जो उस ओप्रेशन थियेटर में ही दफ़न हो चुका था…..
मैने अपना फोन हॅंड्ज़ फ्री करके सामने टॅबेल पर रख रखा था…..हम सब की आँखे ज्योति की बाते सुनकर आँसुओ से भर गयी थी….
ज्योति–सर आप नही जानते आज कितना बड़ा बोझ मेरे सीने से उतर गया है…..ना चाहते हुए भी एक ऐसे गुनाह में शामिल हो गयी थी जो मैने नही किया था…..
में–अब सब कुछ ठीक हो गया मेडम….अब आप सुकून से रह सकती है….
ज्योति–क्या वो बच्ची आपको मिल गई है….कैसी है वो ठीक तो है ना….
में–वो अब मेरे पास है पूरी तरह से सुरक्षित….
मेरा पूरा परिवार अभी भी टेबल पर पड़े मेरे मोबाइल को ही देखे जा रहा था…..मेरे अलावा वहाँ ऐसा कोई नही था जिसकी आँखो में ये सब सुनकर आँसू ना आगये हो….
मेरी आवाज़ ने वहाँ फैली एक अंजानी चुप्पी को तोड़ते हुए कहा….
में–आपकी बेटी आप से बरसो दूर रही है….क्या अब भी आप उसे अपने आप से दूर रखोगे…..
मम्मी मेरी आवाज़ सुनकर जैसे नींद से जागी हो…..आँखो के बाँध टूट चुके थे….उन्होने रोते हुए शमा की तरफ अपनी बाहे फैला दी…..आज एक माँ का अपनी उस बेटी से मिलन हो गया था….जिसका चेहरा आज इतने सालो में वो पहली बार देख रही थी….
और जैसे ही शमा मम्मी के सीने में समाई वहाँ जैसे खुशियो की बरसात होने लगी आँसुओ के रूप में…
मम्मी ने शमा को इतना ज़ोर से अपने सीने में भिच लिया था जैसे वो अब कभी अपने कलेजे के टुकड़े को खुद से अलग नही होने देंगी…..
अजब महॉल बन गया था आँसुओ की नमी के साथ चेहरो पर मुस्कुराहते भी अब फैलने लगी थी….और ये सब में चुपचाप सोफे पर बैठा बैठा अपलक देखे जा रहा था…..ऐसी खुशी पहले कभी इस घर ने नही देखी और ना मेरी आँखो ने कभी देखी…..इस खुशी का पूरा लुफ्त मैं उठा लेना चाहता था…..
तभी भाभी की आवाज़ ने मुझे जैसे सम्मोहन से जगा दिया….
भाभी–अब यहाँ बैठे रहोगे या कोई पार्टी का इंतज़ाम भी करोगे…..सच आज कितनी खुशी मिली है मुझे….राज के चले जाने के बाद आज पहली बार खुद को खुश महसूस किया है मेने….में तुम्हारी शुक्रगुज़ार हूँ जय….
में–भाभी आप सब लोगो की ख़ुसी के लिए….में कुछ भी कर जाउन्गा…..बस आप से एक रिक्वेस्ट है अब कभी भी अपने चहेरे की मुस्कान जाने मत देना….मुझे सब कुछ बर्दाश्त है लेकिन अपने परिवार के किसी भी सदस्य की आँखो की उदासी मेरे दिल को चीर देती है….अब आप कभी भी उदास मत होना….
भाभी–सच कहा….में तो भूल ही गयी थी कि मेरे उदास रहने से मेरा परिवार भी खुश नही रह पाएगा…
तेरी कसम…आज से सारे दर्द भुला दूँगी….अगर मेरे दिल में कुछ रहेगा तो बस कुछ खुशनुमा यादे जिनके साहारे ज़िंदगी मुस्कुराते हुई काट लूँगी….
काले स्याह अंधेरे को भी एक मामूली रोशनी का कतरा मिटा देता है…उसी तरह मेरे परिवार पर भी छाए उस अंधेरे को शमा ने अपनी रोशनी से दूर कर दिया था….
अब मेरा लक्ष्य था अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करना…और उसके लिए मुझे वो सब करना था जो मेरे पिता ने किया…
में घर से निकलकर सीधा जुगल किशोर अंकल के शोरुम की तरफ बढ़ गया…
जब मैने शोरुम में कदम रखा तो वहाँ के सभी एम्पलोई ने खड़े होकर मेरा स्वागत किया….मुझे समझ नही आया कि ऐसा क्यो हुआ है….मैं उन सभी को आदर से बैठने का बोलकर अंकल के कॅबिन की तरफ बढ़ जाता हूँ….
मुझे देखते ही अंकल अपनी कुर्सी से उठकर मुझे अपने गले से लगा लेते है….
अंकल–बिल्कुल सही समय पर आए हो जय बेटा….
में–क्या हुआ अंकल….और ये आपका स्टाफ मुझे देख कर खड़ा क्यो हो गया….
अंकल–बेटा अपने होने वाले बॉस को देख कर तो में भी तुम्हारे सामने खड़ा हूँ….तो बाकी का स्टाफ क्यो नही खड़ा होगा….
में–लेकिन अंकल मीटिंग तो अभी हुई ही नही फिर में कैसे बॉस बन गया….
अंकल–बेटा जिस दिन तुम यहाँ से गये थे उसी दिन मैने सारे मंबेर्स से बात कर ली थी सिवाए नंदू के….वो सभी मेंबर्ज़ तुम्हे अपना बॉस बनाने के लिए रेडी है….और जब नंदू से इस बारे में पूछा गया तो वो भी खुशी खुशी मान गया….ऐसा पहली बार हुआ है जब किसीने भी वोटिंग अगेन्स्ट ना करी हो…
में–तो फिर मीटिंग का क्या हुआ….
अंकल–मीटिंग तो एक फ़ौरमलिटी है….सारे डॉक्युमेंट्स मेरे पास आ गये है….बस तुम्हारे सिग्नेचर ही बाकी है इस पर बाकी सारे मेंबर्ज़ ने सिग्नेचर कर दिए है तुम्हे इस संघ का बॉस मान कर…..
में–सच में अंकल पापा के किए हुए कामो की वजह से ही मुझे आज ये मोका मिला है….में आप सब को निराश नही करूँगा….लाइए कहाँ साइन करने है मुझे मैं कर देता हूँ….
अंकल–बेटा वैसे तो तुम्हे कुछ सिखाने की ज़रूरत नही है लेकिन धंधे का एक उसूल तुम मुझ से आज सिख लो….है बड़ा मामूली सा लेकिन एक राजा को फकीर और एक फकीर को राजा बना सकता है….इसलिए कभी भी बिना पढ़े किसी भी डॉक्युमेंट पर अपने सिग्नेचर मत करना…
इन सभी डॉक्युमेंट्स को घर लेजा कर अच्छे से पढ़ना और फिर मुझे भिजवा देना….
में–आपने सही कहा अंकल….मैं आगे से इस बात का ध्यान रखूँगा…
अंकल–तुम्हारे साइन करने के बाद ही मीटिंग की डेट फिक्स हो जाएगी….वो मीटिंग कम एक छोटी सी पार्टी ज़्यादा होगी तुम्हारे बॉस बनने की खुशी में….
में–अंकल में आप से कुछ जानना चाहता हूँ…क्या आप मुझे बता सकते है कि पापा के दुश्मन कौन कौन है….
अंकल–बेटा दुश्मनी और दोस्ती तो धंधे में चलती हे रहती है ….जिस तरह में तुम्हारे पापा के दोस्तो मे से हूँ….वैसे ही दुश्मन भी रहे होंगे….बाकी उन के दुश्मनो के बारे में में जल्दी हे इन्फ़ॉर्मेशन निकाल लूँगा तुम इस बारे में चिंता करना छोड़ दो….
में–मुझे किसी प्रधान की तलाश है….वो मुंबई का ही है शायद….क्या आप मुझे उसके बारे में कुछ बता सकते है….
अंकल–ज़रूर बेटा मुझे थोड़ा वक़्त दो…में उसके बारे मे पूरी इन्फ़ॉर्मेशन निकलवाता हूँ…
उसके बाद मैने जुगल किशोर अंकल से विदा ली और बढ़ गया फिर से अपने घर की तरफ….रास्ते में मंदिर पड़ा वहाँ जाकर ग़रीबो के लिए खाने की व्यवस्था करवा दी….भगवान को प्रशाद का भोग लगाया और घर जाने का रास्ता पकड़ लिया….
घर पहुँचा तो देखा भाभी और रूही किचन मे काम कर रही है हॉल में मम्मी की गोद मे सिर रख कर शमा सो रही है और मम्मी शमा के सिर पर प्यार से अपने हाथ फिरा रही थी…..आँखे अभी भी आँसुओ से भीगी थी उनकी….लेकिन चहेरे पर खुशी की दमक भी दिखाई दे रही थी उनके….
वक़्त बदल रहा था….समय फिर से अपनी रफ़्तार पकड़ने लगा था कुछ मोड़ ज़िंदगी के निकल चुके थे कुछ मोड़ अभी और भी आने बाकी थे….
में चुपचाप म्म्मी के सामने से बिना कुछ बोले निकल गया वो अभी भी शमा से मिलन की अनुभूति से बाहर नही आ पाई थी….वो बस उसे अपना सारा प्यार देना चाहती थी…
में चुप चाप अपने रूम में चला गया….जब में किचन के सामने से गुज़रा तो भाभी ने मुझे देख लिया और पीछे पीछे वो भी मेरे रूम मे आ गई….
रूम मे आते ही भाभी ने मुझे कस कर अपने गले से लगा लिया और कहने लगी….
भाभी–इस घर में खुशिया फिर से आ गयी है….सिर्फ़ तुम्हारी वजह से…मम्मी तो कुछ सुनने को रेडी ही नही है….बस शमा मे ही खोई हुई है…
मैने अपने आप से भाभी को अलग करते हुए कहा…
में–बस यही खुशी मैं सबके चेहरो पर देखना चाहता हूँ….हमारा परिवार अब पूरा हो गया है….बस ये घर हमेशा ऐसे ही मुस्कुराता रहे कोई बुरी नज़र अब इस पर ना पड़े यही महादेव से मेरी प्रार्थना है….ये प्रशाद आप सभी को दे देना भाभी….शमा के आने की खुशी में मैं मंदिर गया था वही भगवान को भोग लगाने के बाद बचा हुआ प्रशाद ले आया….
भाभी–अच्छा किया जय जो तुम मंदिर चले गये….मैं तो कब से मम्मी से मंदिर जाने के लिए कह रही थी….लेकिन मम्मी तो बस सब कुछ भूल कर शमा में ही खोई बैठी है कब से…
में–एक काम करो मम्मी को बोलो मैं उन्हे बुला रहा हूँ…वो मेरा नाम सुनते ही नींद से जाग जाएँगी…
भाभी–हाँ ये सही रहेगा….में अभी मम्मी को बुलाती हूँ…
उसके बाद भाभी वहाँ से निकल कर सीधा मम्मी के पास चली जाती है….
में–एक काम करो मम्मी को बोलो मैं उन्हे बुला रहा हूँ…वो मेरा नाम सुनते ही नींद से जाग जाएँगी…
भाभी–हाँ ये सही रहेगा….में अभी मम्मी को बुलाती हूँ…
उसके बाद भाभी वहाँ से निकल कर सीधा मम्मी के पास चली जाती है….
भाभी–मम्मी ऐसे कब तक शमा को अपनी गोद में सुला कर रखोगी….इसे अब आराम करने दो….जय आ गया है और आपको बुला रहा है…
मम्मी ने एक दम से भाभी का चेहरा देखा और शमा का सिर अपनी गोद में से उठा कर धीरे से सोफे पर रखे पिल्लो पर रख दिया…
मम्मी–जय आ गया है….कहाँ है मेरा बेटा…
भाभी–मुस्कुराते हुए….अपने रूम में है मम्मी आप को वही बुला रहा है….
उसके बाद मम्मी बिना कुछ कहे मेरे रूम की तरफ बढ़ गयी….में अपने बेड पर लेटा हुआ कोई बुक पढ़ रहा था….मम्मी मेरे पास बेड पर आकर बैठ गयी….
मम्मी–तू कब आया….में तो हॉल में ही बैठी थी….मुझे बोला क्यो नही….
में–आपको शमा के साथ खोया हुआ देखकर मन नही माना आपको डिस्टर्ब करने को….लेकिन भाभी ने बताया आप कब से ऐसे ही बैठी हो….बस शमा मे ही खोई हुई तो मुझे भाभी को आपके पास भिजवाना पड़ा…
मम्मी–क्या करूँ बेटा…माँ हूँ ना अपनी बच्ची के सारे दुख तकलीफे ले लेना चाहती थी…
में–मम्मी मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ….
मम्मी–बोल बेटा क्या बात करनी है….
में–मम्मी मैने नीरा से शादी कर ली है है…शमा को उस नरक से निकालने के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा….
मम्मी–मुझे नीरा ने पहले ही बता दिया है ये सब….और मुझे खुशी है कि तूने भी मुझ से कुछ नही च्छुपाया….वैसे उस कोठे पर जो भी हुआ वो ग़लत ही था लेकिन एक रिश्ते को बचाने के लिए दूसरे रिश्ते की कुर्बानी कभी कभी ज़रूरी हो जाती है…अब से नीरा मेरी बेटी नही बहू है….
में–मम्मी लेकिन यहाँ सभी जानते है कि नीरा मेरी बहन है….और कोई नीरा की तरफ उंगली भी उठाए तो मुझ से बर्दाश्त नही होता….
मम्मी–धीरे धीरे सब कुछ ठीक हो जाएगा….हर रिश्ते को बनने में समय लगता है…तुम्हे भी एक दूसरे को समय देना चाहिए…
में–मम्मी एक नाम जो में भूल गया था वो फिर से मेरे सामने आ गया है…प्रधान ने ही आपको मारने की सुपारी दी थी प्रधान ने ही शमा के 19 साल उस नरक मे खराब कर दिए….प्रधान ने ही आपके साथ वो सब किया….लेकिन अब बस अब ये नाम दुबारा हमारे परिवार की खुशियो के बीच में नही आएगा….बस मुझे ये पता चल जाए कि आख़िर प्रधान रहता कहाँ है करता क्या है….
मम्मी–वो आख़िरी दिन था जब मैने प्रधान को देखा था…उसके बाद ना किशोर ने मुझे कुछ बताया ना उन सब के बारे में कोई खबर पढ़ने को मिली….वो सब गायब हो गये थे अपना सब कुछ छोड़ छाड कर…शायद इसी बात का बदला लेने के लिए प्रधान ने ये चाल चली होगी…
में–और जब उसे लगा होगा कि उसका बदला पूरा हो गया है तो वो कुछ और काम करने लग गया होगा….
मम्मी–बस अब उन सब का नाम. लेकर इस घर के माहॉल को खराब मत कर….जो हुआ तू भी भूल जा…जैसे मैं भूल गयी….
में–नही मम्मी अभी नही….कोई मेरे परिवार की तरफ आँख उठाकर देखे उस से पहले में उसकी आँखो की रोशनी छीन लूँगा….बस थोड़ा और वक़्त….और फिर जिनके हाथो में शतरंज की दोनो बाजिया हुआ करती थी….उन्हे मुझ जैसा अपने परिवार का सिपाही राजा बन कर नेस्तोनाबूत कर्देगा….जल्दी ही
खुशियों के फूल फिर से आँगन में खिल उठे है….और मुझे ही मेरी छोटी सी बगिया को संभालना है.
मम्मी जा चुकी थी नीरा रूही कोमल दीक्षा और शमा कब से मेरे रूम में डेरा डाले बैठी थी….थोड़ी देर बाद भाभी भी वहाँ आ गयी….
में–कल तुम सब लोग अपने स्कूल कॉलेज की छुट्टी कर लेना….
रूही–क्यो भाई कल क्या है….
में–शॉपिंग नही करनी क्या….पिच्छली बार शॉपिंग करने का तुम लोगो को ज़्यादा मौका मिला नही लेकिन इस बार शमा कोमल और दीक्षा भी साथ में हैं इस लिए दिल खोल के शॉपिंग करो तुम सब….
कोमल–भैया वैसे हम चल कहाँ रहे है….
में–हृषिकेश….
कोमल–लेकिन वहाँ तो आप लोग पहले भी जा चुके हो….फिर दुबारा क्यो..
में–बस ऐसे ही मुझे वो जगह बहुत पसंद आई थी….
भाभी मेरे कोहनी मारते हुए…
भाभी–कुछ ज़्यादा ही पसंद आ गयी थी इसे वो जगह….
में–भाभी अब तो टाँग खिचना बंद करो….
भाभी–चलो अच्छी बात है न्ही खिचती टाँग….अब सोने की तैयारी करो और शमा आज से तुम मेरे रूम मे सोना…
शमा–जी भाभी….वैसे हृषिकेश में क्या हुआ था जो आप भैया की टाँग खीच रही हो….
भाभी–हुआ था कुछ….राज़ की बात ऐसे ही नही बताई जाती….और ये तो ऐसा राज़ है जिसे सुन कर तुम सब के होश उड़ जाएँगे….
में–अब बस भी करो भाभी….अब मुझे नींद आ रही है अब जाओ सब अपने अपने रूम में….और सोने दो मुझे….
उसके बाद वहाँ से सभी चले जाते है….सब लोगो के जाने के बाद….कुछ ही देर में नीरा मेरे रूम मे आजाती है और कस कर मुझे अपने गले से लगा लेती है….मेरे पूरे चेहरे पर अपने होंठो की बरसात करते हुए मेरे होंठो को वो अपने होंठो से जकड लेती है….कुछ देर होंठो की लड़ाई चलती रहती है….एक प्यास जो बुझने की बजाए और भड़कने लग जाती है….
नीरा–जान मैं आज रात आपके पास हेए रुक जाउ….
में–नीरा तुझे मैं रोकुंगा नही लेकिन खुद को थोड़ा समय दे….जो कुछ भी हुआ है हम लोगो के दरम्यान वो इतना जल्दी नही होना चाहिए था….
नीरा–आपका इंतजार तो हमेशा रहेगा….क्या करुण…अभी आपकी तरह समझदार नही हुई हुण जो ऐसी बाते समझ सकुण…ठीक है मैं मेरे रूम में जेया रही हूँ….आइ लव यू जान गुड नाइट…
उसके बाद में भी उसे गुड नाइट विश करता हुण और उसके माथे पर एक किस कर देता हुण….
नीरा के चले जाने के बाद मैं उसकी के बारे मे सोचता हुआ ना जाने कब नींद की बाहों में समा जाता हूँ