में– कामली बाई असली सुंदरता हमेशा छुपि हुई रहती है….एक हीरा भी अपनी सुंदरता समेटे हुए धरती की गहराइयो में रहता है….उसी तरह ये सुंदरता भी आपके यहाँ ही दबी हुई थी….में शमा को आज ही लेकर जाउन्गा अपने घर के लिए….
कामली–अरे ….अरे…जनाब थोड़ा सबर…
में–सबर….अब क्या बाकी रह गया है….
कामली–जनाब नथ उतराई की रसम आपको यही मनानी पड़ेगी….इसी कोठे मे….
में–मतलब कुछ समझ में नही आया ज़रा खुल कर बताइए….
कामली–जनाब इस कच्ची कली को फूल आपको इसी कोठे पर बनाना होगा…
में–लेकिन ये पासिबल नही है….ये तो मेरी पत्नी के लिए मेरी तरफ से धोका हुआ….अगर मुझे किसी के साथ रात ही गुजारनी होती तो मुझे किसी लड़की को खरीदने की ज़रूरत नही थी….
कामली–जनाब आप बुरा मत मानिए ये हमारी परंपरा है जब भी यहाँ की लड़की की नथ उतरती है वो इसी कोठे पर उतारी जाती है….और सबूत के तौर पर मिलन से निकले खून से सनी हुई चादर को. पूरे कोठे का चक्कर लगवाया जाता है…..
में–ये आपने मेरे लिए दुविधा वाला काम पैदा कर दिया….ये सब में अपनी पत्नी के साथ मिलकर करना चाहता था….लेकिन माफ़ कीजिए में उसके बिना ऐसा कुछ भी नही कर सकता….अब मुझे जाना होगा….
कामली–क्या जनाब आप बार बार नाराज़ होकर खड़े हो जाते है….अगर आप अपनी पत्नी को यहाँ बुलाना चाहे तो बुला सकते है….वैसे भी आप तीनो आगे से एक ही कमरे में रहोगे….तो इसमें दुविधा वाली बात कौनसी है….
में–ठीक है कामली बाई….में अभी होटेल जा रहा हूँ….आप मुझे शमा की कीमत बता दीजिए….ताकि कल सुबह आपको आपकी अमानत दे सकूँ….
कामली–आपने क्या कीमत लगाई है शमा की….
में-मेरे लिए ये अनमोल है….मैं इसकी कीमत कभी नही लगा सकता….
कामली–15 करोड़….
में–सुबह कॅश मिल जाएगा….
कामली–जनाब आप सिर्फ़ पैसो के ही धनी नही है दिल के भी धनी है….
शमा मेरे लिए भी अनमोल है….लेकिन वो आपके साए में रहेगी तो खुशिया उसके कदम चूमेंगी….आप बस 15 लाख रुपये दे देना….15 करोड़ मेने बस आपको परखने के लिए कहा था….अब कल आप अपनी पत्नी को लेकर आ जाए और बंद कमरे के अंदर जो करना चाहे कर लीजिए…बस ये रस्म पूरी होनी चाहिए……
उसके बाद में वहाँ से निकल कर बाहर आ गया और सबसे पहले राजेश को आज का प्लान कँसिल करने की सूचना दे दी और उस से होटेल में मिलने को कह दिया…..
होटेल पहुँचने से पहले में गंगा नदी के एक घाट पर पहुँच गया….कितना मनौरम दृश्य वहाँ फैला हुआ था….गंगा में टिमटिमाते हुए दीपक और मंदिर की घंटियो की आवाज़ मे एक अजब सा सुकून मुझे मिल रहा था….कहते है इस नदी मे नहाने से सारे पाप धूल जाते है…लेकिन इंसान इतने पाप करता ही क्यो है जो गंगा जैसी निर्मल नदी में उसे अपने पाप धोने पड़े….
मैने वही बैठे बैठे नीरा के मोबाइल पर कॉल लगा दिया….
नीरा–जान कहाँ हो आप… आपको देखने का मन कर रहा है….मुझे ऐसे छोड़ कर मत जाया कीजिए….
में–शादी करेगी मुझ से…..???
नीरा–क्या कहा…..????एक बार फिर से कहना….
में–नीरा तुम अभी फ्लाइट पकड़ लो वाराणसी एरपोर्ट के लिए….कल सुबह हम दोनो की शादी है…..
नीरा—लेकिन इतना जल्दी…..आप ही तो कहते थे कि कॉलेज ख़तम होने के बाद शादी करूँगा….
में–मेरे कहने से कुछ नही होता नीरा ये सब किस्मत का खेल है…..मुझे तेरी ज़रूरत है यहाँ….एक ख़ास मकसद पूरा करने आया हूँ में यहाँ….
नीरा–में अभी निकल जाती हूँ वाराणसी के लिए तो सुबह 3 बजे तक पहुँच जाउन्गी….
लेकिन घर वालो को क्या बोलूं कि कहाँ जेया रही हूँ…..
में–मम्मी को बोल देना कि मैने बुलाया है….वो तुझे रोकेंगी नही….वो जानती है में जो भी करूँगा सही करूँगा…..
नीरा–ठीक है आप परेशान मत होना में आ रही हूँ….आप मुझे एरपोर्ट लेने आजना…..
में–नीरा भाभी की कुछ हॅवी साड़ी ले आना अपने साथ….मम्मी को बोल देना वो तुझे दिलवा देंगी भाभी से…..अब तू खाना खा कर निकलने की तायारी कर और फ्लाइट में बैठने से पहले मुझे कॉल ज़रूर कर देना…..
नीरा–ठीक है में सब कर लूँगी….अब में फोन रख रही हूँ….जल्दी हे आपके सामने होउंगी में अब..
नीरा–ठीक है आप परेशान मत होना में आ रही हूँ….आप मुझे एरपोर्ट लेने आजना…..
में–नीरा भाभी की कुछ हॅवी साड़ी ले आना अपने साथ….मम्मी को बोल देना वो तुझे दिलवा देंगी भाभी से…..अब तू खाना खा कर निकलने की तायारी कर और फ्लाइट में बैठने से पहले मुझे कॉल ज़रूर कर देना…..
नीरा–ठीक है में सब कर लूँगी….अब में फोन रख रही हूँ….जल्दी हे आपके सामने होउंगी में अब….
उसके बाद नीरा फोन काट देती है….और तभी अचानक मेरा फोन बजने लगता है…..वो कॉल डॉक्टर आलोक का था….
डॉक्टर–भाई कहाँ हो….यार माफ़ करना दिन में रूही आई थी लेकिन में किसी कारण से कहीं गया हुआ था तो उसे रिपोर्ट नही दे पाया था…4 बजे मैने तुम्हे फोन भी किया था लेकिन तुम्हारा फोन बंद आरहा था…..
में–कोई बात नही सर….में उस समय फ्लाइट में था अगर रूही ने भी मुझे कॉल किया होगा तो उसे भी मेरा नंबर बंद मिला होगा….
डॉक्टर–अच्छा सुनो वो रिपोर्ट्स रेडी हो गयी है….उस में सब कुछ ठीक है…..घर के मुखिया से ही सारे बच्चे है…. और जो नया वाला सॅंपल देकर गये थे वो तुम्हारे दोस्त की सग़ी बहन है….मेरे ख्याल से अब कोई कन्फ्यूषन नही रहा होगा तुम्हारे मन में…..
में–सर आपने एक बड़ा बोझ मेरे सीने से उतार दिया है….
डॉक्टर–अब वादे के मुताबिक तुम मुझे बताओ सच क्या है…..
में–सर ये काफ़ी लंबी कहानी है….में एक बार घर आ जाऊ उसके बाद आपको सारी बाते बता दूँगा…..
उसके बाद डॉक्टर आलोक फोन काट देते है और….में गंगा का जल हाथ में लेकर उसे पी कर अपने सिर पर छिड़क लेता हूँ….
जो काम में करने जा रहा था वो काम गंगा मेँया के आशीरावाद के बिना पूरा नही हो सकता था….
एक पाप करने जा रहा था में…. जो समाज के नियमो के खिलाफ था….एक पाप करने जा रहा था में….जिसे पापी भी इसी समाज ने बनाया है….. एक ऐसा पाप जो सब कुछ बदल के रख देगा मेरे जीवन में…..
में वहाँ से उठ कर अपनी होटेल की तरफ चल पड़ा, अपने दिल में चल रहे तूफान को लेकर….होटेल में अभी राजेश नही आया था….मैने अपने लिए कुछ पीने का सामान मंगवा लिया और थोड़ी देर मे मेरे सामने एक शराब की बोतल और कुछ खाने का सामान पड़ा था….
मेने जल्दी जल्दी अपने तीन पेग ख़तम करे और एक फोन लगा दिया…..
में–सुहानी कैसी हो….??
सुहानी–क्या बात है सर आज काफ़ी दिनो बाद याद किया….सब ठीक तो है ना
में–तुम तो जानती हो सुहानी….जब में हर तरफ से मुसीबतो से घिर जाता हूँ….तब तुम्हारी याद आ ही जाती है…..
सुहानी–क्या हुआ सर….कौनसी मुसीबतो की बात कर रहे हो आप….
में–सुहानी…समझ में नही आरहा में ये बात तुम से कैसे कहूँ….
सुहानी–जहाँ तक में आपको समझ पाई हूँ सर….आपके फ़ैसले आप दिल से लेते हो….लेकिन कभी कभी दिमाग़ का इस्तेमाल भी करना ज़रूरी होता है…अगर आप किसी ऐसी उलझन में हो जो आप मुझे बता नही सकते….इसका मतलब आपने अपने दिमाग़ को यूज़ लेना शुरू कर दिया है….आप ने जो करने की सोचा है वो बिल्कुल ठीक ही होगा सर….क्योकि कभी कभी दिल और दिमाग़ दोनो का ही सही सेमाल करना ज़रूरी होता है….आपने जो भी फ़ैसला लिया है आप अपना ध्यान पूरी तरह से उसी पर रखे….क्या होगा और क्या नही उसके परिणामो के बारे में मत सोचिए….
में–सुहानी में बस यही जानना चाहता था जो में कर रहा हूँ वो सही भी है या नही….
सुहानी–सर में जानती हूँ आप किसी का बुरा नही कर सकते….लेकिन अगर आप किसी का अच्छा करने की कोशिश कर रहे है तो फिर सोचना कैसा…..आप जो भी करोगे वो अच्छा ही होगा….सोचना बंद करो और अपने काम को अंजाम तक पहुचाओ….
में–एक बार फिर तुमने मेरे भटकते हुए दिल को सही रास्ता दिखा दिया है….में जल्दी ही दुबारा अपने परिवार के साथ तुमसे मिलने आउन्गा….
सुहानी–युवर मोस्ट वेलकम सर….आपसे मिलने के लिए में भी बेकरार हूँ….जल्दी आइए….
और उसके बाद सुहानी फोन काट देती है और में अपना पेग ख़तम कर के एक और पेग बना लेता हूँ…..
मेने सारी सोच अपने दिमाग़ से निकाल दी और ऐसे ही टीवी देखने लग गया….तभी मेरा मोबाइल एक बार फिर से बजने लग गया…..ये कॉल राजेश का था…..
राजेश–जय क्या हो रहा है….
में–राजेश भाई बस आप ही का वेट कर रहा था….कब तक आओगे आप..??
राजेश–दरअसल मुझे टाइम लग जाएगा ऑफीस में ही….रेड के लिए टीम रेडी कर रहा हूँ…अभी तक ये किसी को नही बताया गया है कि ये टीम किस लिए है..,..सिर्फ़ यहाँ के कमिशनर को पता है. इस बारे में….
में–कल रात को आपको रेड करनी है वहाँ पर…और मेरी बहन नीरा आ रही है यहाँ….
इसलिए में अब आपसे दुबारा यहाँ नही मिल पाउन्गा…..
राजेश–उसे क्यो बुला लिया आपने इस काम के बीच में…..
में–उसका होना काफ़ी ज़रूरी है राजेश भाई….ये में आपको समझा नही पाउन्गा लेकिन उसके बिना में शमा को यहाँ से निकाल कर नही ले जा पाउन्गा….
राजेश–ठीक है जय भाई जैसा आप सही समझे….में अब बनारस मे आपसे नही मिलूँगा….
में–ठीक है राजेश भाई अब सीधा उदयपुर में ही मिलना होगा…..
उसके बाद में वो फोन डिसकनेक्ट कर देता हूँ और फिर से टीवी देखने लग जाता हूँ….होटेल मे मैने नीरा के आने का बता दिया था….इसलिए नीरा के रुकने में कोई परेशानी नही थी….
तभी…………….
तभी एक बार फिर से मेरा फोन घनघनाने लग गया…..इस बार कॉल नीरा का था….
नीरा–जान में एरपोर्ट पहुँच गयी हूँ….आपने खाना खा लिया….
में–नही नीरा खाना नही खाया मैने अभी तक…..लेकिन तू तो कुछ खा कर निकली है ना….
नीरा–भूख तो नही थी लेकिन मम्मी ने ज़बरदस्ती खिला दिया….आप भी कुछ खा लो…
में–चल अच्छा किया….अब जल्दी से तू यहाँ मेरे पास आजा….खुद को काफ़ी अकेला महसूस कर रहा हूँ में आज…..
नीरा–आप चिंता मत करो…सब ठीक हो जाएगा…..मेरी फ्लाइट का टाइम हो गया है अब में फोन काट रही हूँ….यहाँ पहुँच कर आपको रिंग करती हूँ…..
फोन एक साइड में रखने के बाद एक बार फिर से में ख्यालो में डूब गया..और कब मुझे नींद ने अपने आगोश में ले लिया मुझे पता ही नही चला…,.
सपने मे मुझे फिर से वही साधु बाबा नज़र आने लगे….वो मुझ से कुछ कह रहे थे….
साधु–बेटा तूने बिल्कुल सही फ़ैसला लिया है…..वरना कब तक वो मासूम बच्ची भगवान के चर्नो में अपना सिर पटकती रहती….
में–बाबा ये फ़ैसला कैसे सही है…..एक बहन की कुर्बानी देकर दूसरी बहन को बचाना…,.ये कहाँ का इंसाफ़ है….
साधु–नीरा तुमसे प्यार करती है…..उसके लिए सारी दुनिया में तुम से बढ़ कर कुछ नही है….और कभी ना कभी तो ये होना ही था…ये मत सोचो कि तुम लोगो के प्यार का गवाह एक मामूली कोठा बनेगा….बस इतना सोचो कि उस कोठे में भी भगवान विराज्ते है….तुम जो कर रहे हो सही है….और जो आगे भी करोगे वो भी सही ही होगा….तुम्हे अभी काफ़ी लंबा रास्ता तैय करना है…..और ये कोठा तुम्हारी पहली मंज़ील है…..
अब उठ और अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़….उठ और जो जीते जी मर चुके है उन्हे फिर से जीवन दान दे….उठ अब और किसी बालक की भाती सोना बंद कर….समय तेरी प्रतीक्षा कर रहा है….उठ तेरा प्यार तुझे याद कर रहा है……
और इसीके साथ में हड़बड़ा के उठ जाता हूँ मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था…….में तुरंत अपने मोबाइल को उठाता हूँ और उस में समय देखने लगता हूँ….2.30 बज गये थे….में फटाफट उठा और फ्रेश होकर होटेल द्वारा मँगवाई गयी टेक्शी में बैठ कर एरपोर्ट की तरफ चल पड़ा…….
में एरपोर्ट पहुँच गया था…..मुझे नीरा वही इंतजार करती हुई मिल गयी बिल्कुल मासूम सी गुड़िया लग रही थी वो इस समय….मुझे देखते ही वो भागकर मेरे सीने से लग गयी….
नीरा–पता है कितना डर लगता है जब आप साथ में नही होते मेरे….
में–मेरे होते हुए तुझे कैसा डर चल अब होटेल चलते है….फिर बाकी की बाते वही करेंगे….
नीरा–मेरे माथे पर किस करते हुए…..आइ लव यू जान….
उसके बाद हम फिर से होटेल की तरफ बढ़ जाते है….
होटेल पहुँच कर में नीरा को फ्रेश होने के लिए कहता हूँ और एक बढ़िया साड़ी पहने ने के लिए कह देता हूँ…..
जब वो साड़ी पहन कर बाहर आजाति है तो में उसे बस देखता ही रह जाता हूँ….किसी परी से कम नही थी मेरी नीरा…..
वो मेरे सामने आकर खड़ी होगयि और में उसे अपलक निहारे जा रहा था….
नीरा–कहाँ खो गये….मुझे इस तरह देखना बंद करो शर्म आ रही है मुझे….
में–तुम्हारी खूबसूरती का कोई मुक़ाबला नही है नीरा….सच मे मैने कुछ अच्छे काम किए होंगे तभी एक पत्नी के रूप में तुम मुझे मिल रही हो…..
नीरा–अब बंद भी करो मेरी तारीफ़ करना….और मुझे जल्दी से बताओ कि क्या हुआ है जो इतना जल्दी सब कुछ कर रहे हो…..
में खुद का ध्यान नीरा की खूबसूरती से हटते हुए कहता हूँ….
में–नीरा हमारी एक बहन और भी है….में उसे ही बचाने यहाँ आया हूँ….
नीरा–क्या….??ये क्या कह रहे हो आप….एक बहन और….कहाँ है वो मुझे अभी उस से मिलना है….मेरी एक बहन और है और ये आप मुझे अब बता रहे हो….
में–नीरा में पहले खुद कन्फर्म करना चाहता था….लेकिन अब कन्फर्म हो गया है….कि शमा ही हमारी बहन है…..
नीरा–तो फिर हम अभी तक यहाँ क्यो रुके है चलो….चलके शमा को घर ले चलते है….
में–ये इतना आसान नही है नीरा….वो एक कोठे पर है….और उसको यहाँ से भगा के लेजाना काफ़ी मुश्किल है….
नीरा–तो आपने अब तक क्या सोचा है….में शमा से मिलने के लिए मरी जा रही हूँ…अब आप जल्दी उसके पास मुझे ले चलो….
में–शमा की मालकिन कामली बाई ने एक शर्त रखी है….कि शमा की नथ उतराई उसी के कोठे पर होगी….मुझे उस वक़्त कुछ समझ में नही आया इसलिए उसे मैने कह दिया ये सब कुछ मेरी पत्नी के सामने होगा….
नीरा–आपका मतलब ये है कि उस कमरे में हम तीन जने होंगे और कमरे के अंदर नथ उतरई शमा की नही बल्कि मेरी होगी……
में अपना सिर झुका कर नीरा को हाँ में जवाब दे देता हूँ…..
नीरा–मुझे कोई परेशानी नही है….अगर आपने सोच हे लिया है तो…..में आपसे इतना प्यार करती हूँ कि आप अगर मुझे किसी चौराहे पर भी नंगा होने को कहोगे तो में खुशी खुशी अपने प्यार की खुशी के लिए अपने सारे कपड़े वही उतार दूँगी….शमा तो फिर भी मेरी बहन है….
में–नीरा में जानता हूँ तू मुझ से कितना प्यार करती है….इसीलिए बिना सोचे समझे तुझे उस गंदे महॉल में ले जाने के लिए तैयार हुआ……
लेकिन अब सब ठीक है….मैने सब कुछ सोच लिया है….में तुझ से पहले शादी करूँगा…..और उसके बाद ही हम वहाँ चलेंगे….
सुबह 6 बज गये थे….हम लोगो को बाते करते करते….मैने होटेल वालो से एक कार का इंतज़ाम करने को कहा जिसे में खुद ही चलाने वाला था…..जब हम लोग अपने रूम में से निकलकर होटेल लॉबी में पहुँचे तो वहाँ मोजूद सभी लोगो की नज़रें बस नीरा पर ही टिकी हुई थी…..उसकी खूबसूरती के वार से तो वहाँ मोजूद औरते और लड़किया भी खुद को ठंडी साँस भरने से नही रोक पाई…..हम लोग सीधा गंगा नदी के किनारे बने एक मंदिर में पहुँच गये….रास्ते में एक सुनार की दुकान से हमने एक मंगल सूत्र भी खरीद लिया था और पुजारी को कुछ पैसे देकर वहाँ हमने पूरे धार्मिक रीति रिवाज से शादी कर ली…..नीरा गजब ढा रही थी ….
उसकी माँग में मेरे नाम का सिंदूर भरा हुआ था….और सीने पर लटकता . नीरा की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था…..साक्षात रति का अवतार लग रही थी नीरा…..
हम दोनो का रिश्ता अब बदल चुका था….अब हमारे बीच भाई बहन के रिश्ते की जगह पति पत्नी के रिश्ते का मजबूत बंधन पड़ चुका था…
मंदिर से भगवान का आशीर्वाद लेकर हम वहाँ से वापस सीधा होटेल पहुँच गये….
रूम के अंदर पहुँचते ही मैने नीरा को कस कर अपनी बाहो मे भर लिया….
नीरा–अरे थोड़ा सब्र करो पहले जो काम करने आए है उस पर ध्यान दो….
में–नीरा के गालो पर हाथ फेरते हुए कहता हूँ….सही कहा नीरा तुमने….मुझे अभी बॅंक जाना है….वहाँ से कुछ पैसे भी निकलवाने है….
नीरा–ठीक है आप जाकर आओ तब तक में थोड़ा फ्रेश हो जाती हू….और शमा के यहाँ कब चलना है….
में–शमा के पास हमे 2 बजे तक पहुँचना है….अभी 10 बज रहे है….जब तक में बॅंक का काम निपटा लेता हूँ….
नीरा—ठीक है आप जाइए….में आपके आने का इंतजार करूँगी….
उसके बाद में वहाँ से निकल कर सीधा बॅंक पहुँचता हूँ….और बॅंक से पैसे निकलवाने के बाद…..में बाज़ार से कुछ फ्रूट्स और मिठाई खरीद लेता हूँ…..मुझे बाजार में घूमते हुए 12 बज चुके थे उसके बाद में वहाँ से निकल कर सीधा होटेल पहुँच जाता हूँ.,.,रूम मे नीरा मेरा इंतजार कर रही थी….जब उसने दरवाजा खोला वो कुछ इस तरह लग रही थी..
में उसकी तरफ लगातार देखे ही जेया रहा था….और उसके करीब जा कर मैने पहले उसके माथे को चूमा और फिर….उस की आँखो से थोड़ा काजल निकाल कर उसकी गरदन के पीछे एक काला टीका लगा दिया…
में–जिस जगह हम जा रहे है…वहाँ सब की नज़रे तुम पर ही होंगी….और में नही चाहता किसी की भी बुरी नज़र तुम पर पड़े…..
नीरा–इतना प्यार करते हो मुझ से….
में–हाँ मेरी जान……तेरे लिए में कुछ भी कर जाउन्गा….
नीरा–अब बातें बनाना बंद करो और जल्दी चलो में शमा को देखने के लिए बैचेन हो रही हूँ कब से….
में–नीरा शमा को यही पता है कि में अपनी वाइफ के साथ यहाँ आ रहा हूँ..,.अपने बारे में उसे कुछ नही पता……..
नीरा–जब हम यहाँ से उसे ले जाएँगे तो उसे सब कुछ सच सच बता देंगे….और वैसे भी अब में आपकी पत्नी हूँ….इसलिए मुझे अब कोई डर नही है….
उसके बाद हम दोनो उसी कार में बैठकर गलियो में से होते हुए….उस कोठे के बाहर तक पहुँच गये….पूरा बाज़ार सज़ा हुआ था जैसे वहाँ कोई शादी का महॉल हो..