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अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 13

मैने चाची को अपने बाहो में भरते हुए….आप क्यो सोई थी पापा के साथ….में ये सच जाने बिना आपको कहीं नही जाने दूँगा…

चाची की आँखो में अब आँसू आचुके थे….और वो अपनी सारी भडास निकालती चली गयी….जब उनके दिल का बोझ कम हुआ तो वो मेरे सामने किसी निर्जीव प्राणी को तरह खड़ी थी…

मैने अपना हाथ आगे बढ़कर उनके सीने से उनका पल्लू हटा दिया….

वो अचानक मेरी इस हरकत से वापस होश में आजाती है….

चाची ये क्या कर रहा है तू…..में तेरी चाची हूँ….तुझे ये सब शोभा नही देता….

में–आपको बेटा देने की कोशिश कर रहा हूँ चाची…..लेकिन बिना आपकी मर्ज़ी के नही….

चाची– क्या तू सच में मुझे बेटा दे सकता है….

में–हाँ चाची मेरे मन में जो विश्वास भरा है….उसी के कारण मुझे पूरा भरोसा है में आपको बेटा दे सकता हूँ….लेकिन मेरी एक शर्त है….

चाची–अगर तू मुझे बेटा दे देगा तो तू जो कहेगा में वो करूँगी….

एक बार फिर से चाची के मन में बेटा पैदा करने की लालसा जाग गयी थी…

में–आपको कोमल और दीक्षा को मेरे हवाले करना होगा और धीरे धीरे उन्हे सारे सच भी बताने होंगे…

चाची–ये कैसी बात कर रहा है जय तू…एक खुशी देकर तू मेरी दोनो खुशिया छीनना चाहता है….

में–चाची में आपकी कोई भी खुशी नही छीन रहा हूँ…आप हमेशा कोमल और दीक्षा की माँ ही रहोगी….लेकिन उन्दोनो मे खून मेरे पापा का है इसलिए आप से ज़्यादा हक हमारा बनता है उन दोनो पर….और अगर वैसे भी आप उन्दोनो को ये सच नही बताऑगी तो ये सच मुझे ही बताना होगा….में आपको बेटा इस लिए देना चाहता हूँ ताकि आपका मन उन दोनो से अलग होने के बाद तडपे ना….

चाची–जय अगर तू मुझे बेटा दे सकता है तो में कुछ भी करने को रेडी हूँ लेकिन याद रखना तेरे बाप की तरह तूने भी मुझे धोका दिया तो तेरे बाप के पूरे वंश को जड़ से ख़तम कर दूँगी में….

में अब चाची के ब्लाउस के बटन खोल चुका था उन्होने अंदर से एक पिंक कलर की ब्रा पहन रखी थी….मैने उनका ब्लाउस और ब्रा दोनो उतार कर साइड में रख दिया और पहाड़ की छोटी की तरह उनके बड़े बड़े बूब्स देखे ही जा रहा था….उनके बूब्स की निप्पल्स अब बिल्कुल कठोर होकर तन चुकी थी….

में उनकी निप्पेल्स पर अपनी नाक को रगड़ने लगता हूँ और अचानक किसी बच्चे की तरह उनकी निपल अपने मुँह में भर कर चूसने लग जाता हूँ…

में अपने एक हाथ से उनका दूसरा बूब दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी साड़ी खोलने लग गया था….

साड़ी खुल कर अब ज़मीन पर बिखर गयी थी. और मेरा हाथ उनके पेटिकोट के नाडे को खोलने में उलझ गया था…मैने एक ही झटके में वो नाडा खीच दिया और चाची का पेटिकोट सॅर्र्र्र की आवाज़ करता हुआ उनके पैरो में जा कर गिर गया…..चाची अब सिर्फ़ एक पिंक कलर की पैंटी में मेरे सामने खड़ी ग़ज़ब की खूबसूरत लग रही थी….मुझे इस तरह देख चाची ने शर्म से अपने चेहरे पर अपने हाथ रख लिए….में अपने घुटनो के बल बैठा और चाची की पैंटी एक ही झटके में उतार कर उनकी खूबसूरत चूत को देखने लग गया वो चूत काले बालो से धकि लगातार रिस रही थी….उसकी गर्म भभक मुझे अपने चेहरे पर महसूस होने लगी थी….

में उनकी चूत पर हाथ फेरता हुआ खड़ा हो गया और चाची को बाहो में लेकर उनके होंठ चूसने लग गया….होंठो के मिलन ने चाची की आग को और ज़्यादा भड़का दिया था…

उन्होने मुझे धक्का दिया और जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया …उसके बाद चाची ने फिर से मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड लिया. ….और धीरे धीरे एक हाथ से मेरे लिंग को सहलाने लगती है….काफ़ी देर तक ऐसे ही एक दूसरे की बाहो में लिपटे रहने के बाद में चाची को आराम से बेड पर लेटा देता हूँ….और उनकी गान्ड के नीचे एक पिल्लो रख कर उनकी टांगे फैला देता हूँ…उसके बाद अपने लिंग को चाची की चूत पर टिका कर एक ज़ोर दार धक्का लगा देता हूँ….एक हे झटके में मेरा आधा लिंग चाची की चूत में समा जाता है….

में चाची की दोनो जांघे अपने कंधे पर रखता हूँ और एक ज़ोर दार झटका फिर से लगा देता हूँ….चाची की दर्द की वजह से आहह निकल जाती है…..उसके बाद में उनके बूब्स सहलाता हुआ धीरे धीरे चाची की चूत के अंदर अपना लिंग रगड़ने लगता हूँ….

उसके बाद मेरे कमरे में एक तूफान सा आजाता है….में अपने धकको की रफ़्तार लगातार बढ़ाता ही चला जा रहा था…पता नही इतनी ताक़त मुझ में कहाँ से आ गयी….चाची अब तक 3 बार झड चुकी थी और जब चाची ने मेरी आँखो को बंद होते देखा उसी पल चौथी बार वो झड़ने लगती है इस बार मेरा भी लावा उनके गर्भ की दीवारो पर दस्तक दे रहा था….अब हम दोनो बेसूध पड़े थे….

तभी दरवाजे पर हुई दस्तक से मुझे होश आया….

में ऐसे ही बिना कुछ पहने ही दरवाजे की तरफ बढ़ गया और पूछा कौन है….

बाहर से मम्मी की आवाज़ सुनते ही मैने तुरंत दरवाजा खोल दिया….मम्मी जैसे ही अंदर आई रूम का हाल देख कर उनकी आँखे खुली की खुली रह गयी..

चाची अभी भी बेसूध अपनी टांगे चौड़ी करे बेड पर पड़ी थी….उनकी चूत में से हम दोनो के मिलन का सबूत रह रह कर बाहर रिस रहा था……..कभी मम्मी मेरी तरफ़ देखती और कभी चाची की तरफ….

अपनी फटी फटी आँखो से लगातार ये नज़ारा वो देखे ही जा रही थी……..

में बिल्कुल नंगा मम्मी के सामने खड़ा था…मम्मी लगातार मुझे देखते हुए….

मम्मी–जय अपने कपड़े पहन….और बता मुझे ये सब क्या चल रहा है….

मम्मी की आवाज़ सुन कर चाची को जैसे होश आ गया वो तुरंत अपने बेड से उठकर खुद के कपड़े पहनने लगी…

मेने अपना बरमूडा डाल लिया था जब तक…मम्मी ने दरवाजा लॉक किया और बेड पर जाकर बैठ गयी अपने सिर पर हाथ रख कर….

मम्मी–जय मैने तुझ से कुछ पूछा है जवाब दे मुझे….ये क्या हो रहा है….और क्यो हो रहा है…

ये बात लगभग उन्होने चीखते हुए कही थी….

में–मैने चाची से सौदा किया है….

मम्मी–कैसा सौदा….कहना क्या चाहता है तू…

में–इनको बेटा चाहिए था….और मुझे मेरी बहनें

इनकी कोख में बेटा मैने डाल दिया है अब इनका अपनी बेटियों पर कोई हक़ नही है….

मम्मी–ये उन लड़कियों की माँ है….तू ये हक़ कैसे ले सकता है…

में–वो सिर्फ़ मेरी बहनें है…उन लड़कियो को कभी इन्होने अपना समझा ही नही…इनको बेटा चाहिए था सो मैने इनको वो दे दिया….

मम्मी–माना ये तेरी बहने है लेकिन इन पर तेरा कोई हक़ नही है…

में–हक है मम्मी मेरी हर बहन पर मेरा हक़ है इन दोनो में भी पापा का ही खून है…बस कोख आपकी जगह चाची की है….मेरी एक बहन और है…जो कहीं दूर मुझे याद कर रही है…में उसे भी ढूँढ कर यहाँ ले आउन्गा…मेरा बस एक ही लक्ष्य है अपनी बहनो की खुशी…ये दोनो भी चाची के साथ नही रहना चाहती….उनको भी हमारी ज़रूरत है…जब उन्हे सच पता पड़ेगा तो वो वैसे भी मेरे साथ ही रुकेंगी.

मम्मी मेरी ये बात सुनकर चाची को एक टक घुरे जा रही थी…और चाची अपना सिर झुकाए वही पास में खड़ी थी…

मम्मी–जय तुझे हो क्या गया है पहले तो तू ऐसा नही था ये एक दम से जानवरों जैसा कैसे बन गया…

में–पहले मुझे कुछ पता नही था….

लेकिन में अब सब समझ गया हूँ…मेरी बहने अब कभी उस गाँव में नही जाएँगी और ये मेरा आख़िरी फ़ैसला है…अगर आपको मुझ पर यकीन नही है तो चाची भी मेरी इस बात को मना नही करेंगी….

मम्मी–लेकिन तू इतनी गॅरेंटी के साथ कैसे कह सकता है कि इसको अब बेटा ही होगा….

में–ये मेरा खुद पर विश्वास है..,इनको लड़का ही होगा…

मम्मी–लेकिन कल को तूने वो बच्चा भी इस से छीन लिया तो….

में–ये उस दिन होगा जब चाची अपना किया हुआ वादा तोड़ देंगी….मेरा काम है प्यार बाटना…अब वो प्यार चाहे आप सौदे के रूप में समझो या हवस के रूप में…

मम्मी–हो क्या गया है तुझे ये कैसी बहकी बहकी बाते कर रहा है…

तुझे इतना भी समझ में नही आरहा तेरी माँ खड़ी है तेरे सामने…

में–अगर आप को भी कुछ चाहिए तो मुझे बोल देना…

ये सुनने के साथ ही मम्मी ने मेरे बेड के पास पानी से भरा जग उठाया और मेरे सिर पर उडेल दिया…..

में जैसे नींद से जागा….

में –मम्मी मुझे गीला क्यो किया…

मम्मी–तू ये क्या अनापशनाप बके जा रहा था…

में–क्या बोला मैने मम्मी….में तो बाहर था यहाँ अंदर कैसे आया….

मम्मी–ये क्या बकवास कर रहा है पिछले आधे घंटे से हम बहस कर रहे है….और तू कहता है कि तूने क्या कहा….

में–सच में मम्मी मुझे नही पता में यहाँ कैसे आया…में तो बाहर नाश्ता कर रहा था और ये मेरे कपड़े कैसे चेंज हो गये….

मम्मी मेरी ऐसी हालत होते देख घबरा गयी और मेरे गीले बदन को अपनी साड़ी से पोछने लग गयी…..

ये क्या हुआ था मुझे….कुछ समझ नही आ रहा था….मुझे कुछ याद क्यों नही आ रहा….में अंदर कैसे आ गया….मम्मी को मैने ऐसा क्या बोल दिया जिस से उन्होने मुझे गीला कर दिया……..

मम्मी मेरी बातो से काफ़ी घबरा गयी थी और वो मेरे सीने से लगकर रोने लगती है….

मम्मी–ये क्या हो गया है मेरे घर को किस की नज़र लग गयी है इसे….

चाची–भाभी मुझे लगता है किसीने जय के खाने पीने के सामान में कुछ मिलाया है….

मम्मी–मेरे घर में कोई ऐसा करने की सोच भी नही सकता…..लेकिन फिर भी कुछ तो ग़लत हुआ है इसके साथ…में अभी इसे पंडित जी के पास लेकर जाती हूँ और तू ये बात किसी को नही बताएगी तुझे जो चाहिए था वो तुझे मिल गया…अब मेरे घर से जाने की तैयारी कर लो…

उसके बाद चाची अपनी गर्दन झुकाए….रूम से बाहर निकल गयी….

मम्मी–जय तू अपने कपड़े बदल कर बाहर आजा हम लोगो को कहीं चलना है….

उसके बाद मम्मी बाहर चली जाती है और में अपने ख्यालो में डूबा हुआ अपने कपड़े चेंज करके बाहर निकल आता हूँ….बाहर आकर देखता हूँ मम्मी कार के पास खड़ी है और मुझे चलने के लिए बोल रही है….

में कार स्टार्ट करता हूँ और मुमनी के कहे अनुसार…..चलाने लगता हुँ….

थोड़ी ही देर में हम एक मंदिर के सामने पहुँच गये थे….मम्मी वही उतर गयी और मुझे कार पार्किंग में लगाकर आने का बोल कर वो लगभग भागते हुए मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ने लगी…

में कार पार्क कर के मदिर में चला आया और अपने जूते बाहर ही उतार दिए…

अंदर गया तो वहाँ एक पुजारी के सामने मम्मी बैठी हुई थी…

मम्मी–पुजारी जी इसे देखिए मुझे लगता है इस पर किसी ने कुछ कर दिया है….

में भी वही मम्मी के पास बैठ जाता हूँ…और पुजारी मेरा हाथ पकड़ कर अपनी आँखे बंद करके ध्यान में चला जाता है….

थोड़ी देर बाद जब पुजारी आँखे खोलता है…तो वो मेरी तरफ आश्चर्य से देख रहा होता है

पुजारी–बेटी तेरा बेटा एक महान इंसान है…इसने वो पा लिया जो हम लोगो के नसीब में शायद ही होगा….लेकिन तुम्हारे घर की एक कन्या ने इसके खाने में कुछ ऐसा मिला दिया था जिस से ये अजीब सा व्यवहार करने लग गया है….उस चीज़ के प्रभाव से इसका भीतरी मन जिसे ये हमेशा दबा कर रखता था वो उजागर हो जाता है…..मेडिकल की भाषा में इसे स्प्लिट पर्सनली कहते है….तुम इसे बिल्कुल सही समय पर यहाँ ले आई हो….वैसे उस चीज़ का प्रभाव इस पर से जा चुका है लेकिन इसे बार बार वो चीज़ दी जाती रही तो एक दिन ये पूरी तरह से बदल जाएगा ….

उसके बाद कोई कुछ नही कर पाएगा….

मम्मी–लेकिन में कैसे पता लगाऊ….कि ऐसा कौन कर रहा है….

पुजारी–इसके खाने पीने का ध्यान तुम खुद रखो….जब तुम इसकी हर चीज़ का ध्यान रखोगी तो वो कन्या कोई ना कोई ग़लती ज़रूर करेगी….या तो वो क्रोधित होकर तुम्हे भला बुरा कहेगी या फिर किसी भी तरह से तुम्हे अपने वश में करने की कोशिश करेगी….जो इसे दिया जा रहा है वो शायद किसी ख़ास प्रायोजन से अपना मतलब सिद्ध करने के लिए दिया जा रहा है.

मम्मी–पुजारी जी आपका आशीर्वाद ऐसे ही बनाए रखिए….में अब से इसके खाने पीने का ध्यान रखूँगी….

लेकिन आपने शुरू में कहा कि इसने ऐसा काम किया है जो आप शायद ही अपने जीवन में कर पाए…ऐसा क्या काम किया है इसने…

पुजारी जी– मुस्कुराते हुए…आपका बेटा महादेव के दर्शन कर चुका है….जो हम सब को इतनी सेवा के बाद भी नही हुए….

उसके बाद पुजारी मेरे पैर छुने लग जाता है….और में पुजारी जी को रोकते हुए उन्हे फिर से अपनो जगह बैठा देता हूँ…

मम्मी–अगर इसके सिर पर महादेव का हाथ है फिर कोई कैसे इसका बुरा कर सकता है….

पुजारी–ये तो उनकी लीला वो ही जाने लेकिन….तुम्हे ये सब भूलकर बस इसके उपर ध्यान देना होगा….कुछ ही दिनो में उसकी सच्चाई तुम्हारे सामने होगी….

उसके बाद में और मम्मी पुजारी जी का आशीर्वाद लेकर घर की तरफ चल पड़ते है….रास्ते में गन्ने के जूस की दुकान देख कर में गाड़ी वहाँ लगा लेता हूँ और जूस वाले से 2 बड़े ग्लास बनाने की बोल देता हूँ….

हम दोनो जूस पीने के बाद वापस घर की तरफ बढ़ जाते है…घर पहुँच कर में मेरे रूम में घुस जाता हूँ और अपनी बुक्स उठा कर पढ़ने बैठ जाता हूँ….कल से कॉलेज जाना था .

थोड़ी देर बाद नीरा मेरे रूम में आती है….

नीरा–क्या बात है भैया आज बुक्स कैसे उठा ली…

में–कुछ नही यार कल से कॉलेज जाना है…और पता नही वहाँ कुछ पढ़ाया गया है भी या नही… तेरा आज स्कूल कैसा रहा वहाँ कोमल के लिए बात करी तूने….

नीरा–हाँ भैया प्रिन्सिपल ने कल कोमल को स्कूल बुलाया है और कुछ फ़ौरमलिटी है जो में करवा दूँगी कोमल के साथ जाकर…

में–चल अच्छा किया….अब कल में भी दीक्षा दीदी के लिए कॉलेज में बात कर लूँगा…

नीरा–भैया एक किस मिलेगी क्या….

ये सुनते ही में उसे कस कर बाहो में भर लेता हूँ और उसके गालो पर खूब सारी किस कर देता हूँ….बदले में नीरा भी मेरे गाल पर किस कर देती है….

में–मिल गयी किस??अब जा यहाँ से थोड़ी देर पढ़ने दे मुझे….और मम्मी को मेरे लिए एक कॉफी बनाने के लिए बोल दे…

नीरा–मम्मी को क्यो परेशान करते हो….में ही आपके लिए कॉफी बना कर ले आती हूँ…

में– मुस्कुरा कर नीरा से कहता हूँ….तू मम्मी से बोल कर देख अगर वो तुझे बनाने दे तो बना ला….

उसके बाद नीरा रूम से निकल कर सीधा किचन में चली जाती है वहाँ मम्मी उसे मिल जाती है….

नीरा–मम्मी में भैया के लिए कॉफी बना रही हूँ आप भी लोगि….

मम्मी–कॉफी में बना देती हूँ….तुझे अगर पीनी है तो बोल दे मुझे….

नीरा–ठीक है मेरे लिए भी एक फुल मग कॉफी का बना दो…उसके बाद नीरा वहाँ से उछलती कुदति बाहर निकल जाती है….

तभी दीक्षा अंदर किचन में आजाती है….

दीक्षा–ताई जी आप क्या बना रही हो क्या में आपकी कुछ मदद करूँ….

मम्मी–नही बेटा में बना लूँगी….तेरी माँ क्या कर रही है….

दीक्षा–उनके सिर में दर्द हो रहा है…वो लेटी हुई है….आप बोलो तो बुलाउ उनको….

मम्मी–नही आराम करने दे….तुझे कॉफी पीनी है तो बोल दे में कॉफी बना रही हूँ….और कोमल और नेहा से भी पुच्छ कर आजा…

दीक्षा–ठीक है ताई जी…में अभी पूछ कर आजाती हूँ….

मम्मी–ये ताई ….ताई क्या लगा रखा है तूने या तो मम्मी बोल या फिर बड़ी मम्मी….दुबारा ताई बोली ना तो देख लेना…

दीक्षा–ठीक है ताई जी…..ओह्ह्ह इम सॉरी बड़ी मम्मी जी….

मम्मी–चल भाग यहाँ से और सब से पूछ कर बता दे मुझे….

उसके बाद वो सब से पूछ कर आजाती है बस चाची कॉफी के लिए मना करती है और बाकी सब कॉफी माँग रहे थे….दीक्षा जब रूही से पूछने के लिए रूम में जाती है…तो रूही भी दीक्षा के साथ किचन में आ जाती है…

रूही–मम्मी मुझे ही बोल देती कॉफी बनाने के लिए…आपने क्यो तकलीफ़ करी…

मम्मी–में बना लूँगी तो घीस नही जाउन्गि…चल अब तू तेरा काम कर और जब आवाज़ दूं तब कॉफी लेने आ जाना तेरी…

तेरे चाचा चाची भी शाम को निकलने वाले है वापस गाँव के लिए उनके लिए भी खाना बनाना है मुझे…

रूही–मम्मी आप से कुछ ज़रूरी बात करनी है…क्या आप थोड़ी देर बाद मुझ से बात कर सकती हो….

मम्मी–बोल क्या ज़रूरी बात है…यहीं बोल दे…

रूही–मम्मी रूम के अंदर बोलने वाली बात है किचन में कैसे बोल दूं….

उसके बाद रूही मम्मी के गाल पर किस करती है और किचन से बाहर चली जाती है.

सभी अपने अपने रूम्स में आ गये थे….में पढ़ता पढ़ता कॉफी की चुस्किया भी लगता जा रहा था….आज मेरा मन काफ़ी शांत था….

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