You dont have javascript enabled! Please enable it! टोना टोटका – Update 21 | Incest Story - KamKatha
टोना टोटका - Erotic Incest Story

टोना टोटका – Update 21 | Incest Story

टोना टोटका – Update 21

रुपा जब तक पेट से हुई तब तक फसल की कटाई शुरु हो गयी थी इसलिये फसल की कटाई होने तक तो राजु वही अपनी जीज्जी के साथ उसके ससुराल मे ही रहा, मगर फिर अपने खेतो की फसल की कटाई के लिये मजबुरन उसे वापस अपने गाँव आना पङ गया। अपनी जीज्जी की चुत को छोङकर उसका आने का बिल्कुल भी दिल नही था, मगर खेतो मे फसल कटाई की दुहाई देकर लीला उसे बार बार बुलावा भेज रही थी इसलिये रुपा के खेतो की फसल कटाई से लेकर अनाज निकलवाने तक भी राजु वही उसकी ससुराल मे ही रहा मगर फिर मजबुरन मन मसोदकर उसे आखिर वापस अपने घर लीला के पासा आना ही पङ गया…

इधर घर पर लीला भी उसका बेसब्री से इन्तजार कर रही थी। वो जब घर पहुँचा उस समय लीला घर के बाहर पशुओं को चारा डाल रही थी मगर राजु को दुर से ही आता देख वो इतनी खुश हो गयी की पशुओ को चारा डालना छोङ उसने तुरन्त राजु को गले से लगा लिया, क्योंकि वो अच्छे से जान रही थी की उसकी बेटी का घर उजङने से उसने ही बचाया है तो उपर से खेतो की फसल कटाई होनी थी जो की राजु को ही करनी थी इसलिये राजु को देख लीला तो बहुत खुश थी मगर राजु का दिल अभी भी अपनी जीज्जी मे ही अटका हुवा था जिससे उसका चेहरा बिल्कुल उतरा हुवा सा था। 

लीला एक घाघ और खेली खाई औरत थी। उसने शादी से पहले ही अपने मायके दो तीन चक्कर चला लिये थे, और उसी की वजह से मजबूरन उसके पिता को लीला की जल्दी शादी करनी पङी थी। शादी से पहले तो पहले, बाद मे ससुराल मे आकर भी उसने दो तीन लोगो से टाँका फँसा लिया था जिसमे से एक तो पङोस मे ही राजु का जो दोस्त गप्पु था उसका ही बाप था। ऐसा नही था की लीला के पति मे कोई कमी थी मगर शादी से पहले ही लीला की चुत को लण्ड खाने का ऐसा चश्का सा लगा गया था की जब तक वो रोजाना अपनी चुत को अच्छे से लण्ड ढुकवा नही लेती थी उसे चैन ही नही मिलता था।

अब लीला के पति को तो फसल की रखवाली के खेतो मे सोना पङता था इसलिये लीला ने गप्पु के पिता से चक्कर चला लिया जिसे वो अपने पति के घर से जाते ही रोज रात अपने घर बुला लेती थी। रुपा उसके पति के बेटी थी या राजु के दोस्त गप्पु के पिता की ये तो खुद लीला तक नही जानती थी। वो तो साँप के काटने की वजह से गप्पु के पिता की मौत हो गयी थी नही तो लीला का चक्कर अभी तक उससे चलते रहना था। 

बाद मे फिर रुपा के सयानी हो जाने की वजह से लीला ने भी इन सब बातो पर ध्यान देना छोङ सा दिया था नही तो लीला बहुत खेली खाई और एक घाघ औरत थी जो की राजु के उतरे हुवे चेहरे को देखते ही समझ गयी की उसे पहली बार मिली चुत को छोङकर आने का बहुत दुख हो रहा है इसलिये…

“क्या हुवा..? लगता है तेरा दिल लग गया था वहाँ ..? लीला ने उसके मायुस से चेहरे की ओर देखते हुवे कहा।

“व्.वो्. न्.नही्.. ह्.हा्.हाँ..बुवा वो पहली बार इतने दिन रहा ना तो वहाँ अच्छा लगने लगा था..!” राजु ने भी सफाई सी देते हुवे कहा जिससे…

“तो क्या हुवा..? फसल कटाई के बाद फिर से चले जाना वहाँ.. रुपा के खेत का तो काम ति हो गयस, अब कुछ दिन यहाँ मेरा खेत भी तो देख ले..!” लीला एक घाघ व खेली खाई औरत थी, उसने जब से रुपा के साथ चौराहे के टोटके के समय राजु के नँगे लण्ड को देखा था तब से ही वो उसकी नजर चढा हुवा था इसलिये राजु की ओर देख अब मुस्कुराते हुवे कहा।

वो तो पहले उसे राजु के लण्ड के बारे मे मालुम नही चला था की वो इतना जवान हो गया है नही तो लीला इतनी खेली खाई और घाघ औरत थी अपने पति के रहते ही उसने बाहर के लण्ड नही छोङे थे, तो घर मे ही‌ इतनी आसानी से मिलने वाले राजु के लण्ड को वो कैसे छोङ देती। चौराहे वाले टोटके के समय उसने जब से राजु के लण्ड को देखा था तब से ही उसकी चुत उसे खाने के लिये मरी जा रही थी, मगर उस समय तो घर मे वो रुपा रहते व उसकी मजबूरी को देखकर उसने ऐसा किया नही था, नही तो जो औरत अपनी बेटी का घर बसाने के लिये टोटके के बहाने व गर्म दवा के सहारे उसे ही दुसरे मर्द के पास सुला सकती है तो खुद अपने लिय क्या कुछ नही कर सकती..?

रुपा के पेट से होने की खबर सुनने के बाद से ही वो राजु के लण्ड को अपनी चुत से खाने की योजना बनाये बैठी हुई थी इसलिये राजु के घर मे आते ही उसने राजु ओर डोरे डालने शुरु कर दिये थे। वैसे भी वो अच्छे से जान रही थी की राजु अभी अभी जवान हुवा है तो चुत का स्वाद भी उसने पहली बार ही चखा है और नयी नयी आई जवानी मे एक बार चुत का स्वाद मिलने के बाद किसी भी लङके से रहा नही जायेगा इसलिये वो आसानी से ही उसके चुँगल मे आ जायेगा..!

अपनी बुवा बात राजु को अब कुछ समझ मे नही आई थी इसलिये..

“अ्.अ.आ्.आपका खेत ..? राजु ने भी अब लीला की ओर देखते हुवे पुछा।

“अरे..! वहाँ रुपा के ससुराल मे उनके खेतो की फसल की कटाई तो हो गयी, अब यहाँ के खेतो की फसल कटाई भी तो तुझे ही करनी है..! और जब यहाँ के खेतो का काम खत्म हो जाये तो चाहे तु फिर से रुपा के पास चले जाना..!” लीला ने राजु की ओर देखकर अब मुस्कुराते हुवे ही कहा जिससे…

“ह्.हाँ ठीक है बुवा मै कल‌ से ही कटाई शुरु करता हुँ..!” राजु ने अब उतावला सा होते हुवे कहा जिससे..

“चल भीतर जाकर तु हाथ मुँह धो, तब तक मै दुध निकालर लाती हुँ..!” ये कहते हुवे लीला अब बचा हुवा चारा पशुओं को डालकर दुध निकालने बैठ गयी।

अब जब तक राजु ने हाथ मुँह धोये तब तक लीला ने भी दुध निकाल लाई, हाथ मुँह धोकर राजु अब बाहर आँगन मे गुमसुम सा खङा था। लीला उसकी हालत अच्छे से समझ रही थी इसलिये लीला दूध की बाल्टी को रशोई मे रख आई और…

“एक काम करेगा क्या रे..?” लीला राजु की ओर देखकर मुस्कुराते हुवे ही कहा। राजु अपने ही ख्यालो मे खोया हुवा था इसलिये…

“ह्.हा्.हाँ.. ज्.जी्.. बुवा्..!” राजु ने थोङा हकलाते हुवे सा कहा।

“जा तो.. दुकान से दस रु के टमाटर ले आ टमाटर खत्म हो गये है..!  ये कहते हुवे लीला ने पहले तो अपने ब्लाऊज का उपर का एक बटन खोला फिर उसने पैसे निकालने के लिये अपना एक हाथ ब्लाऊज मे घुसा दिया।

जैसा की गाँव मे अधिकतर औरतो की आदत होती है की वो पैसो को अपनी ब्रा व ब्लाऊज मे ही रखती है, इसलिये लीला भी पैसे अपने ब्लाऊज मे ही रखती थी मगर पैसो को निकालने के लिये वो कभी भी ब्लाऊज का बटन नही खोलती थी, मगर उसने अब राजु को दिखाने के लिये जानबूझकर अपने ब्लाऊज का बटन खोल लिया और…

“पता नही कहाँ रख दिये, रखे तो ब्लाऊज मे ही थे मिल ही नही रहे..?” ये कहते हुवे वो अब कभी इस चुँची की ओर तो कभी दुसरी चुँची की ओर हाथ डालकर देखने लगी जिससे उसके ब्लाउज का दुसरा बटन अपने आप ही खुल गया और सफेद सुत्ती कपङे की ब्रा मे कैद उसकी बङी बङी चुँचियाँ राजु की नजरो के सामने घुम गयी, लीला अब इतने पर ही नही रुकी, उसने पैसे निकालने के बहाने अपनी दोनो चुँचियो को ब्रा के उपर से लगभग आधा बाहर निकाल लिया था जिससे उसकी एकदम दुधिया सफेद व बङी बङी चुँचियो को देख राजु की आँखे बङी होकर नजरे लीला के चेहरे की ओर चली गयी…

लीला भी उसे ही देख रही थी जिससे दोनो की नजरे मिली तो, घबराकर राजु अब इधर उधर देखने लगा जिससे लीला उसे देखकर हल्का मुस्कुरा सा उठी। उसने देखा की राजु उसकी चुँचियो को बङे ही गौर से देख रहा है इसलिये वो भी ऐसे ही कुछ देर तो उसे अपनी चुँचियाँ दिखाती रही और आखिर मे उसने जब पैसे निकाले तो पैसो के साथ साथ वो अपनी एक चुँची को पुरा ही ब्रा से बाहर निकाल लाई जिससे उसकी एकदम गोरी सफेद बङी सी चुँची व सुपारी के जितने बङे भुरे भुरे निप्पल को देख राजु की साँसे गले मे ही अटक सा गयी तो नजरे एक बार फिर से लीला की नजरो सा जा मिली…

लीला अभी भी उसकी ओर ही देखकर मुस्कुरा रही थी जिसे देख राजु शरमा सा गया तो वही पैसे निकालने बाद भी लीला ने अब अपनी चुँची को वापस ब्रा के अन्दर नही किया, वो  ऐसे ही अपनी चुँची को बाहर किये किये ही..

“ये ले.. मिल गये ले, जा तु दस रु के दुकान से टमाटर ले आ..!” लीला ने राजु की ओर देखकर वैसे ही मुस्कुराकर पैसे देते हुवे कहा जिससे राजु भी शरमा सा गया और तुरन्त पैसे लेकर वहाँ भाग आया।

दुकान से टमाटर लाकर राजु ने अब उन्हे तो लीला को दे दिया और खुद अपने खास दोस्त गप्पु से मिलने उसके के घर आ गया। गप्पु से वो काफी दिनो बाद मिल‌ रहा था इसलिये गप्पु से मिलकर जब तक वापस घर आया तब तक लीला ने रोटी सब्जी बना ली थी और बर्तन आदि साफ करके रशोई की साफ सफाई के काम तक निपटा लिये थे। खाना खाने के लिये वो बस राजु की ही राह देख रही थी इसलिये…

  “कहाँ चला गया था रे..?” लीला ने राजु के घर मे घुसते ही पुछा जिससे..

“कही नही बुवा.. वो बस गप्पु से मिलने उसके घर गया था..!” ये कहते हुवे राजु भी अब रशोई मे ही आ गया..

“उस गप्पु के साथ रहकर कुछ ज्यादा ही नही बिगङ गया है तु..!, ये तो नही की इतने दिन बाद आया है तो अपनी बुवा के पास बैठकर बाते करे या किसी काम मे उसका हाथ ही बँटा दे, मगर जब देखो तब गप्पु के घर… चल बैठ जा अब और बैठक चुपचाप रोटी खा ले, फिर खेत मे भी जाना है..!” लीला ने राजु को भाषण सा देते हुवे कहा और एक थाली मे रोटी सब्जी डाल कर राजु को थमा दी तो दुसरी थाली मे खुद भी अपने लिये खाना डालकर वही रशोई मे ही बैठकर खाने लग गयी।

“दुध भी दे दु..?” लीला ने अब एक बार राजु से पुछा, मगर फिर साथ ही…

“पर तु अब मेरा दुध थोङे ना पियेगा, अपनी जीज्जी का दुध पीकर आ रहा है इसलिये मेरा दुध तुझे थोङे ना अच्छा लगेगा ..!” उसने अबकी बार राजु के चेहरे की ओर देखते हुवे कहा।

अपनी बुवा की ये दो अर्थी बात सुनकर राजु ने अब तुरन्त लीला की ओर देखा जिससे लीला उसे देखकर मुस्कुराने लगी तो वही राजु ने शर्मा कर गर्दन झुका ली।

“ये ले.!,  ले पी ले.. अब जैसा भी है अभी तो मेरा ही दुध पीने को मिलेगा..!” ये कहते हुवे लीला ने पहले तो एक गिलास मे दुध भरकर राजु को देते हुवे कहा फिर…

लीला: वैसे ऐसा क्या मिल‌ गया था तुझे वहाँ, जो तु बुलाने से भी वापस नही आ रहा था..?

लीला ने रोटी खाते खाते राजु की ओर देखते हुवे ही पुछा जिससे…

राजु: क्.कुच्छ् भी तो नही..! बस ऐसे ही मै जीज्जी के साथ उनके खेतो की रखवाली के लिये आ जाता था।

 राजु ने भी खाना खाते खाते ही जवाब दिया।

लीला: क्यो.. खेतो ऐसा तुझे वो क्या देती थी, जो तु एक बार जाकर यहाँ वापस आने का नाम ही नही ले रहा था..?

लीला ने अब राजु की ओर घुरकर‌ देखते हुवे पुछा जिससे राजु को लगा की कही लीला को उसके व रुपा के बारे मे मालुम तो नही हो गया इसलिये…

राजु: क्.क्.कु्.कुच्छ् भी तो नही..!

राजु ने अब थोङा हकलाते हुवे कहा और जल्दी से खाना खत्म करके हाथ धोने लग गया, मगर राजु को ये नही मालुम था की उसके व रुपा के बीच जो कुछ भी हुवा वो सारी योजना ही लीला ही लीला की बनाई हुई थी…

खैर खाना खाकर राजु अब बाहर जाने लगा तो…

लीला: अब कहाँ जा रहा है..?

राजु: व्.वो् ख्.खेत मे बुवा..!

लीला: हाँ..फिर ठीक है..

लीला ने अब एक बार तो राजु के खेत मे जाने के लिये हामी भरते हुवे कहा, मगर फिर ना जाने उसके दिल मे क्या आया की…

“थोङी देर रुक मै भी तेरे साथ चलुँगी हुँ..!” लीला ने अब जल्दी से खाने के छुठे बर्तन समेटते हुवे कहा जिससे…

राजु: पर आप वहाँ क्या करोगी..?

लीला: अरे..! वहाँ सबने अपने अपने खेतो की फसल कटाई कर ली है बस अपने‌ ही खेत बचे है इसलिये सारे आवाँरा पशु वही चक्कर लगाते रहते है, तेरे अकेले से वो नही भागेँगे, वैसे भी सब खेत खाली पङे है इसलिये अकेले मे डर लगेगा, दो जन रहेँगे तो ठीक रहेगा..!”

राजु: तो मै गप्पु को साथ मे ले जाता हुँ ना..!

लीला: मै तुझे बोल तो रही हुँ , मै चल रही हुँ ना..! फिर उसे किस लिये ले जा रहा है..?

राजु: पर बुवा हम वहाँ सोयेगेँ कैसे..?

लीला: कैसे क्या सोयेँगे..! जैसे यहाँ सोते है वहाँ भी सो जायेँगे..!

राजु: पर वहाँ एक ही तो खटिया है..?

लीला: वो देख लेँगे वहाँ जाकर..!,

खाने के छुठे बर्तन समेटकर लीला ने अब रशोइ का दरवाजा बन्द करते हुवे कहा और राजु‌ के साथ ही घर से बाहर आ गयी…

“देख तो यहाँ डण्डा पङा होगा उसे‌ ले ले ने नही तो रास्ते मे कुत्ते पीछे पङेँगे..!” घर से बाहर आकर लीला ने अब घर के दरवाजे को भी बन्द करते हुवे कहा, जिससे राजु ने भी घर की दिवार के पास ही पङे डण्डे को उठा लिया। 

रास्ते मे लीला अब कुछ देर उसके साथ साथ ऐसे ही चुपचाप चलती रही फिर..

“तुने बताया नही, ऐसा क्या देती थी रुपा जो तु उसे छोङकर  यहाँ बुलाने से भी नही आ रहा था..?” लीला ने चलते चलते ही एक बार फिर से ये जिक्र छेङ दिया जिससे…

राजु: क्.क.कुछ भी तो नही.. मैने बताया तो था।

लीला: कुछ तो वो ऐसा करती होगी जो तेरा उसे छोङकर आने दिल ही नही कर रहा था।

राजु: न्.नही्. नही्.. ऐसा कुछ भी तो नही बस इतने दिन रहा तो वहाँ दिल सा लग गया था..

लीला: किसके साथ..?

लीला उसके चेहरे की ओर देख अब हँशते हुवे पुछा जिससे..

राजु: किसके साथ इसका क्या मतलब..?

लीला: अरे मै पुछ रही हुँ वहाँ किसके साथ दिल लगा लिया था..?

राजु: नही नही..किसी के साथ नही..!

लीला: तो फिर तुने ही तो कहा वहाँ दिल लग गया था, ऐसा तो नही अपनी जीज्जी के साथ ही दिल लगा लिया हो..?

लीला ने राजु के साथ इस तरह की बाते कभी भी नही की थी जिससे वो एक तो शरमा सा रहा था उपर से लीला जिस तरह उसके व रुपा के बारे मे कुरेद करेद कर पुछने की कोशिश कर रही थी उससे वो थोङा घबरा सा भी रहा था इसलिये…

राजु: न्.न्.नही् तो.. व्.वो् बस इतने दिन वहाँ रहा तो अच्छा लगने लगा था..

लीला:  ऐसा क्या करता था वहाँ..?

राजु: कुछ भी नही बस ऐसे ही सुबह खाना खाकर हम खेतो की रखवाली के लिये आ जाते थे और दिनभर वही‌ खेतो मे घुमते रहते थे..!”

लीला: खेतो लाकर ऐसा क्या दे देती वो तुझे, जो खेतो मे घुमकर तुझे इतना अच्छा लगता था, खेतो मे तो तु यहाँ भी घुमता रहता है..!

राजु की घबराहट अब धीरे धीरे बढती जा रही थी इसलिये…

राजु: ह्.हा्.हाँ..न्.नही् व्.वो…

लीला: क्यो..? खेतो मे लाकर वो तुझे कुछ देती नही थी..?”

लीला ने अब राजु के चेहरे की ओर देखकर मुस्कुराते हुवे इस तरह से पुछा की राजु को भी अब ये यकिन हो गया की लीला को उसके व रुपा के बारे मे सब पता चल गया है इसलिये राजु के चेहरे पर भी शरम हया की एक हल्की मुस्कान सी तैर गयी और…

“व्.व्.वो्. ब्.ब्.बुआ्..!” करते हुवे उसने शरम के मारे गर्दन नीचे झुका ली जिससे…

“ठीक है..ठीक है..! नही बताना तो चल मत बता” रुपा उसके चेहरे की ओर देखते हुवे ही कहा जिससे राजु भी अब चुपचाप हो गया।

तब वो खेतो मे भी पहुँच गये थे इसलिये खेतो‌ मे आकर पहले तो ये देखने के लिये की खेतो मे कोई पशु तो नही घुसा है दोनो ने साथ मे ही खेतो का एक का पुरा चक्कर लगाया, फिर खेतो के बीच मे जो छोटी खटिया रखी हुई थी उसके उसके पास आ गये….

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