अध्याय 51
ये क्या हो रहा है ,इतना तिरिस्कार ,इतनी जिल्लत ,इतनी नाकामी….
इतना बेसहारा तो मैंने अपने को कभी महसूस ही नही किया था,ये मेरे अंदर की निर्लज्जता थी या नपुंसकता ..
मैं क्यो कुछ नही कर पा रहा था ,मैं अपने को असहाय महसूस कर रहा था ,मैं अंदर से टूटा हुआ महसूस कर रहा था ,
मैं डरा हुआ था,कुछ घबराया हुआ,..
मुझे किसी ने कुछ भी तो नही किया था,किसी ने कुछ भी नही किया था लेकिन ये क्यो हो रहा था,
क्यो मेरे दिमाग में काजल और ठाकुर की छबि बार बार आ रही थी,क्यो मैं इतना बेचैन था की वो दोनो आखिर कर क्या रहे होंगे ,मैं अपने को रोक ही नही पा रहा था,मैं फिर से उसी दर्द को बार बार महसूस कर रहा था,मैं सोच कर ही सिहर उठता था की मेरी ही मौजूदगी में कोई मेरी पत्नी के साथ …….
मुझे रोना आ रहा था ,………
आखिर क्यो मैं इसे चुपचाप देखता रहा मैं वँहा से भाग क्यो नही गया ,
आखिर मुझे हुआ क्या था की मेरा लिंग ये सब देखकर अकड़ रहा था,आखिर मैं ऐसा कैसे हो गया था ,
जिसकी रक्षा की शपथ ली थी उसे दूसरे के साथ देखकर ??????
लेकिन उसे क्या सच में रक्षा की जरूरत थी ,मेरे खयाल से नही ,वो खुद ही इसे अपनायी थी ,काजल अगर यंहा थी तो वो अपने लिए डिसीजन के कारण थी ,ये उसका खुद का ही तो फैसला था…….
मैं गार्डन में बैठा हुआ रो रहा था की मेरे मोबाइल की घंटी बजी…
मैं चौक कर देखा तो वो काजल थी ,और भी ज्यादा चौक गया …….
एक पूरा रिंग होने पर भी मैं उसे नही उठा पाया ,थोड़ी ही देर में अगला रिंग भी बजने लगा
“हैल्लो “मैं थका हुआ सा बोल पाया
“तुम यंहा क्या कर रहे हो “वो बौखलाई हुई आवाज में बोली
मैं हड़बड़ा गया था मैं चारो ओर देखने लगा ,मैं उस खिड़की के तरफ देखा जिस कमरे में वो दोनो गए थे ,कांच की खिड़की में लगे हुए पर्दे से झांकती हुई काजल मुझे दिखी ,मेरे पास कहने को कोई शब्द नही था ,लेकिन शायद वो मेरी कंडीसन देख कर समझ चुकी थी आखिर मैंने क्या देख लिया है …वो अभी भी साड़ी और ब्लाउज पहने हुई थी लेकिन अब भी उसका दुप्पटा उसके कंधे में नही था…
“तुम तुम पागल हो क्या,यहां कैसे आ गए और ये क्या कर रहे हो कोई देख लेगा तो ..”
वो घबराई हुई थी
“और ऐसा हाल क्यो बना लिया है “
कहते कहते ही उसका गला भर गया ,उसकी आंखों से पानी तो नही झर रहा था लेकिन उसकी आवाज से जरूर पता चल रहा था की मेरी हालत देखकर उसे दुख ज़रूर हुआ होगा..
“अब कुछ बोलो भी “
“ठाकुर कहा है “
मेरे सवाल पर वो थोड़ी देर तक चुप ही थी,
“वो अभी बाथरूम में है उसके निकलने से पहले तुम यंहा से चले जाओ प्लीज् “
मैं उसे यू ही देखता रहा जैसे कोई खोया हुआ खजाना मेरे सामने हो..
“तुमने ही तो कहा था ना की देखो और इन्जॉय करो तो इन्जॉय करने आ गया था “
मेरे बातो में वो व्यंग था जिसे काजल अच्छे से समझती थी
“प्लीज् देव मैं जानती हु की तुम ये सब सह नही पाओगे ,देखो तुम्हारी हालत क्या हो गई है,”
उसके आवाज के दर्द को मैं महसूस कर पा रहा था ,मैं एक गहरी सांस लिया
“मुझे कुछ नही होगा तुम वो करो जो तुम यंहा करने आई हो “
पीछे से ठाकुर की आवाज आयी और काजल ने फोन काट दिया ,लेकिन पलटने से पहले ही उसने आंखों ही आंखों से मुझे समझया की मैं वँहा से चला जाऊ…
वो पलटी साथ ही उसने पर्दा भी खिंच लिया ,मेरे हेडफोन अब भी मेरे कानो में थे मैं उनकी बाते भी सुन सकता था..
“डार्लिंग अब और मत तड़फओ आओ इधर “
इस बार काजल ने कुछ नही कहा था लेकिन धम्म की आवाज से इतना तो मुझे समझ आ गया की वो बिस्तर में बैठ या लेट चुकी थी ,
“ओह मेरी जान क्या हुस्न पाया है तुमने मन करता है की कच्चा चबा जाऊ “
ठाकुर की ललचाई सी आवाज आयी ,लेकिन फिर भी काजल ने कुछ भी नही कहा
“क्या हुआ तुम्हे अभी तो अच्छी थी ???”
“कुछ अजीब सा लग रहा है ,”
“तबियत तो ठीक है “
“ह्म्म्म ,नही रुको…आज नही कभी और करते है “
“मैं सह नही पाऊंगा “
“जब जिंदगी भर के लिए कोई चीज मिल रही हो तो थोड़ा इंतजार कर ही लेना चाहिए “
पहली बार काजल की हँसी मुझे सुनाई दी लेकिन वो हँसी भी बड़ी फीकी सी लग रही थी
“आखिर हुआ क्या है ,??”
“कुछ नही जान बस आज नही ,मैं तुमसे वादा करती हु की ये पेंटी और ब्रा तुम्हारे ही हाथो से पहनूँगी लेकिन आज नही ,”
पता नही लेकिन ठाकुर जरूर झल्लाया होगा
“ठीक है जाओ “
‘थैक्स मेरी जान “काजल ने शायद उसके गालो को चुम्मन दिया था या उसके होठो को ??
लेकिन थोड़े ही देर में मेरे पास उसका काल आ गया
“मुझे घर में मिलो अभी “
मैं चुपचाप ही वँहा से निकलकर घर की ओर चल पड़ा …..