मैं और दीदी डॉक्टर के क्लीनिक में बैठे हुए थे दोनों आज बहुत खुश लग रहे थे डॉक्टर हमारे सामने अपनी मेज पर कुछ कर रहे थे,
“क्या बात है आज से तुम दोनों के चेहरे बहुत ही चमक रहे हैं,” हम दोनों के चेहरे में एक शर्म का भाव आ गया,
“कुछ नहीं डॉक्टर हम तो बस आपको धन्यवाद देने आए थे”
“धन्यवाद धन्यवाद किस लिए”
“आपने यह जो सब किया हमारे लिए उसके लिए आपका धन्यवाद”
“अरे तुम दोनों तो मेरे बच्चे हो मैं तुम्हारे लिए नहीं करुंगा तो किसके लिए करुंगा, लेकिन एक बात कहूं आज सच में तुम दोनों बहुत प्यारे लग रहे हो लगता है कोई खास बात है”
मैं आश्चर्य से डॉक्टर को देख रहा था लेकिन दीदी के चेहरे में एक शर्म का भाव दिखाई पड़ रहा था दीदी का चेहरा लाल हो चुका था मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन दीदी सब समझ रही थी कि डॉक्टर क्या कहना चाहते हैं
हम लोग डॉक्टर से यही बात करते रहें थोड़ी देर बाद डॉक्टर से विदा लेकर हम दोनों जाने लगे डॉक्टर ने दीदी को रोक लिया और मुझे बाहर बैठने कहा, मुझे तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन डॉक्टर की बात कैसे डाल सकता था मैं बाहर चला गया…
“तो लगता है तुम दोनों के बीच कुछ हो गया”
“क्या डॉक्टर आप भी” दीदी ने शरमाते हुए कहा
“ हां कुछ तो हो गया तुम्हारे चेहरे की चमक बता रही है कि कुछ तो हो गया तो बताओ आकाश कैसा है, जैसे मैंने बताया था वैसे ही है ना बिलकुल जानवर सा” डॉक्टर के चेहरे में एक इस्माइल आ गई जबकि दीदी पूरी तरह से शर्मा चुकी थी
“ हां डॉक्टर आप सही कह रहे हैं मुझे कभी-कभी आकाश की चिंता होती है, मैं तो देख कर दंग रह गई कितनी ताकत वह कैसे संभाल पाते हैं” डॉक्टर का चेहरा थोड़ा गंभीर हो गया
“ वह सब तो ठीक है लेकिन आकाश के अंदर कोई ग्लानि का भाव तो नहीं है,”
“ हां थोड़ा तो है लेकिन अब वह इसमें मजे लेने लगा है,” दीदी अभी डॉक्टर से नजर नहीं मिला पा रही थी..
“ ठीक है ठीक है कोई बात नहीं ऐसा तो होगा मुझे पहले ही लगा था वह तुमसे बहुत प्यार करते हैं और तुम भी उससे बहुत प्यार करती हो जब दोनों एक दूसरे से इतना प्यार करते हो तो फिर डर किस बात का तो फिर किस बात का दुख है किस बात की ग्लानि, तुम दोनों इस चीज को इंजॉय करो यह तुम दोनों के लिए अच्छा है कोई भी चीज अच्छी या बुरी नहीं होती उसे अच्छा या बुरा बनाया जाता है जब दिल में प्यार है तो हर चीज अच्छी है और जब दिल में प्यार नहीं होता तो हर चीज बेकार है, तुम दोनों तो बने ही एक दूसरे के लिए हो तुम्हारा प्यार ही तुम्हारी पहचान है, बस आकाश को बहुत प्यार देना वह तुम्हारे बिना नहीं रह पाएगा उसे दूर मत होना उसे डूब जाने देना जितना वह डूबना चाहे…” दीदी डॉक्टर की बात बहुत ध्यान से सुन रही थी,
“ डॉक्टर आपसे एक बात कहनी है”
“हां कहो”
“ डॉक्टर आकाश, आयशा को बहुत प्यार करता है, मुझे कभी कभी डर लगता है कि मेरे कारण आयशा और आकाश के रिश्ते में कोई दरार ना आए, क्या काश उसे भी इतना प्यार कर पायेगा जितना वह मुझे करता है,” डॉक्टर बस मुस्कुरा दिये
“ नहीं कभी नहीं आकाश उसे उतना प्यार कभी नहीं कर पाएगा लेकिन हां तुम्हारा और आकाश का प्यार कुछ अलग है और आकाश और आयशा.का प्यार कुछ अलग है, आकाश भले हि तुम्हारे साथ सेक्स करता है लेकिन फिर भी वह तुझे अपनी बहन मानता है, वह तुझे दिल से चाहता है लेकिन तू उसकी बहन है दीदी है यह चीज मत भूलना,” डॉक्टर की बात से दीदी के चेहरे में एक चमक आ गई
“ मैं भी अपने भाई को बहुत प्यार करती हूं डॉक्टर और उसे हमेशा खुश देखना चाहती हूं भले इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े मैं हर चीज़ करने को तैयार लेकिन डॉक्टर एक बात आपसे कहना है,( इसके बाद दीदी और डॉक्टर के बीच हुई बात गुप्त रहेगी जिसे मैं बाद में खोलूंगा )”
“ हां यह तो ठीक है लेकिन देबू को कैसे मनाओगे..” डॉक्टर ने अपनी चिंता जाहिर की
“ वह बहुत अच्छा लड़का है और मुझसे बहुत प्यार करते हैं मुझे लगता है वह मान जाएगा,”
“हूमममममम ओके देखते हैं लेकिन अगर नहीं माना तो” डॉक्टर फिर चिंता से दीदी को देखते हैं
“ नहीं माना तो आप तो है ना आप किस दिन काम आओगे” दीदी के चेहरे में एक मुस्कान थी वही मुस्कान डॉक्टर के चेहरे में भी थी….
दीदी देबू से मिलने के लिए राजी हो गई , मैं और राहुल उनके इस फैसले से बहुत खुश थे आखिरकार दीदी के जीवन में फिर से कोई प्यार आ रहा था, हम देबू को बचपन से जानते थे जानते तो हम मनीष को भी थे लेकिन देबू के आंखों में मैंने प्यार देखा था जो मनीष की आंखों में कभी नहीं देखा…
देबू इस बात से बहुत खुश था की दीदी उससे मिलने को राजी हो गई पहले कुछ दिन के मुलाकातों में ही दीदी और देबू बहुत करीब आ गए दीदी ने मुझे बताया कि कैसे आज हम ने किस किया और कैसे वो आगे बढ़े,… एक महीने तक यही सिलसिला चलता रहा और आखिरकार दोनों एक हो ही गया, मेरी उम्मीद की विपरीत दीदी ने इस बात का जश्न मनाया.. इन 1 महीनों में मैंने भी आयशा को प्रपोज किया और उसने भी इसे स्वीकार कर लिया, कुछ दिनों बाद कुछ अजीब सा हुआ दीदी देबू से शादी करने की जिद करने लगी, और घरवालों को मनाने की जिम्मेदारी मुझे और राहुल को दी गई, शादी का कारण था की दीदी प्रेग्नेंट थी, देवों के दीदी के सामने कुछ नहीं चल पा रही थी उसे डर था कि उसके घर वाले इस बात का विरोध करेंगे जो हुआ अभी लेकिन दीदी ने किसी की एक नहीं सुनी वह अपना बच्चा नहीं गिराना चाहती थी, मै और राहुल भी नहीं चाहते थे कि दीदी इतनी जल्दी बड़ी जिम्मेदारियों के बोझ तल दब कर रह जाए… लेकिन दीदी किसकी सुनती थी वह तो अपनी जिद पर अड़ी थी,
“ दीदी आप जानती हो यह फैसला आपकी जिंदगी बर्बाद कर सकता है” मैंने गुस्से में कहा
“ हां लेकिन मैं अपने प्यार की निशानी को अपने से अलग नहीं करूंगी, यह बात तुम समझ लो…” मेरी बात सुनकर दीदी का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था राहुल और देबू की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह दीदी का सामना करता या उसे कुछ समझाने की कोशिश करता…
“ दीदी आप बात को समझ नहीं रही हो”
“ भाई तू नहीं समझ रहा है बस और मुझे कुछ नहीं सुनना अगर तुम दोनों घरवालों से मेरी बात नहीं करोगे तो मैं घर छोड़कर जा रहे हूँ.. और हां देबू अगर तुम अपने घरवालों से मेरी बात नहीं कर सकते या मुझसे शादी नहीं कर सकते तो कोई बात नहीं यह बच्चे इस दुनिया में आएगा तो आएगा, यह मेरे प्यार की निशानी है और मैं इसे किसी भी हालत में कुछ नहीं होने दूंगा चाहे इसके लिए मुझे अपने प्यार से लड़ना पड़े, घरवालों से लड़ना पड़े या भाई तुमसे लडना पड़े….” दीदी के चेहरे में एक दृढ़ता साफ दिखाई दे रही थी जिसे झुकाना किसी के बस में नहीं था उन्होंने अपना फैसला कर लिया था और अब वह किसी की नहीं सुनने वाली थी…
मजबूरन है हमें घरवालों से बात करनी पड़ी मेरे घर वाले तो मान गए लेकिन देबू के घर वाले इस बात का पूरा विरोध किया आखिरकार देबू को घर छोड़कर आना पड़ा एक मंदिर में एक सादे फंक्शन में शादी का कार्यक्रम हुआ… शादी के आठवें महीने बाद ही दीदी ने एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया…
दीदी उस दिन बिस्तर पर लेटी हुई थी और मै उनके पास बैठा हुआ था.. मैंने बच्चे को बड़े प्यार से देखा मेरा भांजा कितना प्यारा कितना सुंदर मैंने उसके छोटे छोटे हाथों को अपनी उंगलियों से सहलाया उसका वह लाल चेहरा दीदी और मेरे बीच की सभी गहराइयों को भर दिया… दीदी मुझे प्यार से देख रही थी और मैं उस बच्चे को देख रहा था, कमरे में बस हम दोनों ही दीदी मुझसे कहा देख भाई तेरा भांजा, मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट खिल गई मैंने दीदी से प्यार से कहा नहीं दीदी मेरा बेटा…
दीदी ने थोड़े आश्चर्य से मुझे देखा और मैंने कहा
“ उस दिन मैंने डॉक्टर और आपकी सभी बातें सुनी थी”
दीदी थोड़ी देर आश्चर्य से मुझे देखती रही लेकिन फिर उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई
“ तो तूने यह बताया क्यों नहीं”
“ आपने मुझे बताया था क्या, मैं उसे बहुत प्यार दूंगा दीदी अपनी जान से ज्यादा इसे प्यार करूंगा यह मेरे और आपके प्यार की निशानी है…” हम दोनों की आंखों में आंसू थे और हम दोनों इस बच्चे को देख रहे थे…..