अविनाश की पार्टी
दिखने में अविनाश जितना सिंपल दिखता था उसकी पार्टी उतनी ही बड़ी और रंगीन लग रही थी ,बड़े बड़े लोग आये हुए थे ,मुझे यकीं ही नहीं आया की एक कॉलेज के प्रेसिडेंट के बर्थडे पार्टी में राज्य के सभी बड़े नेता दिख रहे है ,और सभी पार्टी के लोग आये हुए थे ,कुछ नामी बिजिनेसमेन और अधिकारी भी वह दिख रहे थे ,लेकिन अधिकतर लोग स्टूडेंट्स ही थे कुछ गुंडे टाइप के लडको का समूह भी था पर वो सभी से बड़ी तमीज से बात कर रहे थे और नौकरों जैसे काम भी कर रहे थे ,दीदी और राहुल के लिए ऐसी पार्टी कोई नयी बात नहीं थी ,पर मैं ऐसा कभी नहीं देखा था ,मैं हमेशा बोर होने की बात कर नहीं आता था पर आज तो आयशा आई थी,तो आना ही था सोचा आज कुछ मामला सेट कर लू,
दीदी आयशा साथ आये और मैं राहुल और प्रीति के साथ आया जब हम आये तो अविनाश दीदी और आयशा से बात कर रहा था ,हम पास गए उसे विश किया और दीदी ने हमारा एक इंट्रो कराया ..
‘अरे मैं इन लोगो को जनता हु ,अच्छा आप लोग पार्टी इंजॉय करे ,’तभी आयशा ने कहा ,आयशा आज तो जन्नत की पारी लग रही थी मैं उसे देखता ही रहा ऐसे भी मैं जब से आया था नजर बचा बचा कर उसे ही देख रहा था ,
‘भईया थैंक्स फॉर एव्री थिंग अब तो परमिंदर भी नहीं रहा केस तो colse हो जायेगा ना ,’
‘हा बिलकुल अब तुम्हे भी झंझट में पड़ने की जरुरत नहीं है ,मैं सब देख लूँगा,और शायद अदालत उसे वो सजा नहीं दे पाती जो कुदरत ने उसे दे दिया ,’तभी पीछे से एक आवाज आती है
‘हैप्पी बिर्थ डे हमारे युवा नेता जी ,’हम सब पीछे मुड़ते है ,डॉ चुतिया खड़े थे और मुस्कुरा रहे थे वही आज मेरी ने नीले रंग की साड़ी पहनी थी जिसमे वो बहुत ही कमल की लग रही थी ,उसका मांसल देह भरपूर निखार में था ,और उसने आज सिन्दूर भी लगाया था ,जो मुझे समझ नहीं आया ,मैंने देखा की राहुल उसे घुर रहा है और वो भी उसे देख कर इशारे कर रही थी ,मेरे चहरे में एक मुस्कान आ गयी वही जब मेरी ने मुझे देखा तो थोड़ी डर गयी जिसे देखकर मैं हलके से हस पड़ा ,
‘ओह थैंक्स डॉ साहब फॉर कमिंग ,’दोनों थोडा बात किये फिर वो हमसे विदा ले लिया दीदी उसे जाते देखती रही और एक गहरी सांसे छोड़ी जिसे देख मैं और आयशा हस पड़े दीदी ने अपने को थोडा सम्हाला और डॉ से बात करने लगी दीदी से बात कर डॉ ने मेरी को वही छोड़ मुझे अपने साथ चलने को कहा ,जिससे राहुल को थोडा आश्चर्य हुआ ,
‘क्या बात है दीदी आज डॉ हमें छोड़ आकाश में बहुत दिलचस्पी ले रहे है ,’
‘हा आजकल वो डॉ से ध्यान सिख रहा है ,वो मेरी तुम तो बहुत हॉट लग रही हो आज ,’दीदी मेरी की ओर मुखातिब हुई और वो सभी बाते करने लगे ….
मैं और डॉ कुछ लोगो से मिलाने के बाद थोड़ी दूर खड़े थे ,
‘डॉ अविनाश की भी क्या पहुच है ना ,देखो ना है तो वो एक यूनिवर्सिटी का प्रेसिडेंट पर इतने बड़े लोगो से उसके पहचान है ,और सब उसके बर्थडे पार्टी में भी आ गए ,’
डॉ अभी एक सिगरेट पि रहे थे और उनके हाथ में एक विस्की का पेग था,
‘पहुच छोडो ठाठ देखो ,इतनी बड़ी पार्टी ,कबाब और शराब ,वो भी इतने लोगो के लिए ,इतने में तो सिंपल लोग शादी में खर्च करते है ,और वो भी एक इमानदार मने जाने वाले नेता जो की बस एक यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट है ,सामान्य घर का लवंडा,वो भी गाव का ,’डॉ ने मुझे देख एक रहस्यमयी मुस्कान दि ,उनके तर्क से मैं भी थोडा चकित हुआ और सोच में पड़ गया
‘हा वो तो है पर नेता लोगो को पैसे की क्या कमी और ये भी तो कुछ उपरी कमाई करता होगा ना ,’
‘हा पर इतनी क्या उपरी कमाई करता होगा की सिर्फ बर्थडे की पार्टी में 3-4-लाख खर्च कर दे ‘रकम सुन मैं थोडा चौका
‘तुम अभी बच्चे हो जब तुम कुछ कार्यक्रम कराओगे तब तुम्हे समझ आएगा की इतना करने में कितना खर्च आता है ,’
‘तो आपको क्या लगता है की ये भी कुछ खपला करता होगा ,’
‘करते तो सब है ,पर पॉइंट है की क्या घपला करता है ,’डॉ ने मुझे देखा और एक स्माइल दि,
‘वो देख रहे हो वो इंस्पेक्टर माथुर है ,’मैंने देखा एक अधेड़ टाइप का आदमी जो सर से गंजा था और खूब दारू पि रहा था ,डॉ उसे हाय करते है और इशारे से अपने पास बुलाता है ,वो भी एक स्माइल लिए डॉ को देखता है और हलके हलके लड़खड़ाते हुए डॉ के पास पहुचता है ,
‘हल्लो डॉ साहब ,’
‘क्या माथुर ससपेंड होने के दुःख ने पि रहे हो ,’
‘क्या करू डॉ ये मदेरचोद सालो को मरने के लिए मेरा ही जेल मिला था ,खुद तो मर गए और मुझे फासा दिया ,अब चलेगी इंक्वायरी तब तक बैठो घर में ,मादरचोद ‘मैंने उसे बड़े धयान से देखा ,
‘अरे कोई बात नहीं ,लेकिन एक बात समझ नहीं आई उसने ये क्यों किया .’
‘अरे मुझे क्या पता डॉ क्यों किया ,’
‘ह्म्म्म ये भी सही है ,कोई मिलाने आया था उससे ,’
‘हा उसके दोस्त आये थे ,दो लवंडे थे और तो कोई नहीं साले के घर वाले भी नहीं आये थे ,अच्छा डॉ चलता हु आज तो धूत होकर नाचूँगा ,अविनाश भाई का बर्थडे है वही मुझे बचा सकते है ,’उसने डॉ को आँख मारी और चला गया ,हम दोनों को समझ आ गया था की नानू और विक्की ही है जो उससे मिले थे ,
‘हूमम्म कुछ समझे ,’डॉ ने मुझे देखा
‘क्या’
‘की ये शख्स झूट बोल रहा था ,’मैंने उन्हें फिर से प्रश्न भरी निगाहों से देखा
‘कैसा झूट ‘
‘की उससे मिलाने सर दो लड़के आये थे और कोई नहीं ,मैं साइकोलॉजीस्ट हु इतना तो समझ गया ,यानि डाल में कुछ काला तो है ,तुम पूछते थे ना की क्या करू तुम्हारा टाइम अब शुरू होता है ,’मैं अब भी प्रश्न वाचक निगाहों से उन्हें देखा
‘इसपर नजर रखो और मौका मिलते ही इसे उठा लो और मैं तुम्हे एक पता देता हु वह लेजाकर इसकी खूब धुलाई करो और इससे वो राज उगलवाओ की वो कोन था जो परमिंदर से मिलने आया था ,और ये भी की क्या उसके कहने पर ही उसे मार दिया गया ‘
मैं डॉ की बात सुनकर पूरी तरह डर गया,
‘डॉ ये आप क्या कह रहे है ,मैं ये सब कैसे ,मतलब मैंने तो कभी किसी को मारा तक नहीं है और किडनेप …डॉ ये और दीदी लोग को क्या कहूँगा की कहा था,’
‘मारा नहीं है तो मारो ये बॉडी क्या घास छिलने के लिए बनाये हो और नेहा की फिकर मत करो मैं सब सम्हाल लूँगा तुम्हे बस ये सोचना है की तुम्हे ये करना है की नहीं ,तुम उस दिन जब मेरे क्लिनिक में आये थे तो मुझे लगा था तुममे एक गरम खून है और तुम अपनी दीदी के लिया कुछ भी कर सकते हो ,मुझे नहीं पता था की तुम डरपोक हो .’डॉ के इतने कहने पर में ही मेरे आँखों में खून आ गया और डॉ के चहरे पर एक मुस्कान डॉ ने मुझे वो एड्रेस दिया और बेस्ट ऑफ़ लक कहकर दीदी लोगो के पास चले गए ,मुझे आयशा से फिर बात ना कर पाने का मलाल तो था पर मेरे लिए ये करना जादा जरुरी था ,मैं माथुर के पीछे हो लिया और एक गलास उठा कर थोड़ी दूर में खडा था ,माथुर पहले कुछ अनजान लोगो के पास जाता है ,बहुत ही मस्ती से अपनी ड्रिंक करता है,मैं थोडा दूर होने की वजह से दीदी लोगो को नहीं दिख पा रहा था ,मैं बहुत धयान से उन्हें देखा ,दीदी और प्रीति बेचैन थे और इधर उधर देख रहे थे वही मेरी और आयशा राहुल से बिजी थे ,,,पर डॉ के वह पहुचने पर दोनों शांत हो गए और मेरी होठो पर एक मुस्कान आ गयी ,
इधर माथुर मेरी नजरो से ओजल हो गया मैंने उसे ओझल होते देखा और उसकी तरफ दौड़ पड़ा,मैं उस बिल्डिंग के पास पंहुचा लिफ्ट 5 फ्लोर दिखा रहा था,जब कुछ ना सुझा मैं पूरी ताकत लगा के सीडिया चड़ने का फैसला किया और जजब मैं हफता 5th फ्लोर में पंहुचा मुझे समझ नहीं आया की आखिर वो किस रूम में गया है ,मैंने उस होटल के लगभग सभी रूमों को चेक किया पहले तीन रूम लॉक था चौथे में एक बुजुर्ग दंपत्ति ठहरे थे जो बड़े परेसान दिख रहे थे कारन था ये पार्टी और पाचवा रूम,मैंने जब उस रूम का पूछा तो बोले की दिन रात आवाजे आती है होटल वाले बोलते है हनीमून वाला रूम है ,मैंने जब खटखटाया तो एक भरी भरकम आदमी पुरे नशे में बहार निकला मैंने अन्दर झाका तो एक कमसिन कन्या को चादर लपेटे लेटे पाया ,
‘क्या हुआ क्या है ,’
‘माथुर है क्या ,’
‘कौन माथुर ‘उसकी आँखे लाल थी और वो बड़े ही गुस्से में लग रहा था ,
‘कुछ नहीं आप जारी रहिये ,’उसने ऐसे मुह बनाया जैसे मुझे मार डालना चाहता हो पर कुछ नहीं कर पा रहा ,
मैंने सोच में था की आखीर वो गया कहा मैं ऐसे ही उदास सा सीढियों के पास पहुच तो मुझे वह ऊपर जाती सीढियों में पैरो के ताजे निशान दिखे मैं तुरंत ऊपर की और बड़ा ऊपर मुझे छत जाने का रास्ता दिखाई दिया ,मैं धीरे से ऊपर पंहुचा देखा बड़ा सा छत और पूरा सन्नाटा ,मैं फिर आगे बड़ा एक कहार ने मेरा ध्यान खीचा और मेरे मुह से जोरो की चीख निकली….
माथुर की लाश पूरी तरह से खून से लथपथ जैसे किसी ने बहुत बे रहमी से मारा हो ,मेरी चीख से निचे से कुछ वेटर भाग के आये मुझे शांत करा के ..
‘सर आप निकल जाए अगर किसी को पता चला की आप छत में आये थे तो ना जाने कितने सवाल खड़े होंगे ,अभी आपकी चीख शोरगुल के कारण किसी ने नहीं सुनी होगी ,आप निकल जाए और जब तक ये बात खुले नहीं किसी को नहीं बताये ,’
‘पर मैंने ,,,,,मैंने तो कुछ भी …,,नहीं किया ‘
‘हम जानते है आप तो हमारे सामने अभी ऊपर आये पर पोलिश को समझाना तो मुस्किल है ना,’मेरी आँखों में अँधेरा था ,मैंने पहली बार कोई लाश को ऐसे देखा था ,,मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और वह से भागता निचे चला आया ….और डॉ को काल लगाया सारी बात बताई डॉ तुरत मेरे पास पहुचे ,
‘तू वह से भगा क्यों ,’
‘तो क्या करता मैं डर गया था,’डॉ मुझे गुस्से से देख रहे थे,
‘चल मेरे साथ ‘हम फिर वह गए पर अब वह लाश नहीं थी देखकर मेरा तो दिमाग ही चकरा गया ,
‘ये देखा ऐसे ही डरेगा तो कर लिया मुकाबला,’मेरे माथे पर पसीने की धार तैर गयी
‘नाम तो मेरा चुतिया है पर असली चुतिया तो तू है,जब जब तू चिल्लाया तो डीजे के इतने शोर में निचे के फ्लोर से इतने वेटर कहा से आ सकते है ,पहले तो कोई नहीं था ना,’मेरा दिमाग फिर से चकरा गया,
‘मैं ,मैं उन्हें पहचान लूँगा एक दो को तो हा हा पहचान लूँगा ‘डॉ ने मुझे घुर के देखा
‘हा जैसे वो तेरे लिए बैठे होंगे की तू आएगा और उन्हें पहचान लेगा ,चल अब एक मौका तो गया दूसरा ढूँढना पड़ेगा ,और याद रखना तेरे साथ जो शख्स खड़ा है वो सिर्फ एक डॉ नहीं है,कुछ भी हो जाय डरना नहीं और भागना नहीं समझे ,’मैंने अपना सर हिलाया